करंट लगने पर क्या करना चाहिए कोई दो उपाय बताएं? - karant lagane par kya karana chaahie koee do upaay bataen?

घर में और बाहर होने वाली दुर्घटनाओं में करंट लगना एक बेहद आम दुर्घटना है। किसी व्यक्ति को करंट तब लगता है जब वह करंट या बिजली के संपर्क में आता है और करंट उसके शरीर से गुजरता है या पास होता है।

करंट का मतलब है किसी तार या उपकरण में से छोटे-छोटे कणों का प्रवाह होना। इन कणों को "इलेक्ट्रॉन्स" (Electrons) कहा जाता है। कुछ पदार्थों में से इलेक्ट्रॉन्स आसानी से पास होते हैं और कुछ में से नहीं होते। हमारे शरीर में से बिजली बहुत आसानी से पास होती है, इसीलिए हमें करंट से नुक्सान होता है और चोट लगती है।

करंट लगने से गंभीर नुकसान या चोट लग सकती है और मृत्यु भी हो सकती है।

इस लेख में करंट कैसे लगता है, करंट लगने पर क्या होता है और इसके प्राथमिक उपचार (फर्स्ट ऐड) के बारे में बताया गया है।

बिजली का झटका यानि इलेक्ट्रिक शॉक कहीं भी लग सकता है। कई मामलों में इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर करंट के शरीर के माध्यम से गुजरने पर कार्डीएक अरेस्ट (cardiac arrest) यानि हृदय गति रुकने का खतरा हो सकता है। कई बार करंट लगने से जलना और छाले हो सकते हैं। हालांकि तेज करंट लगने से दिल और दिमाग पर असर पड़ सकता है। दिल पर असर पड़ने से हार्ट बीट्स बिगड़ना (arrhythmia) और वेंट्रिकुलर फिब्रेलेशन (ventricular fibrillation) का जोखिम होता है, जिससे कार्डीएक अरेस्ट का खतरा हो सकता है। बिजली का करंट लगने से दिमाग में ऐंठन हो सकती है और अगर व्यक्ति बुजुर्ग है और दिमागी हालत से पीड़ित है, तो जटिलताएं अधिक गंभीर हो सकती हैं। मुंबई स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर प्रदीप शाहआपको बता रहे हैं कि बिजली का करंट लगने के बाद आपको तुरंत कौन से ऐसे काम करने चाहिए जिससे करंट लगने वाले व्यक्ति की जान बचाई जा सके।

1) इससे पहले की आप मदद के लिए आगे जाएं, ये सुनिश्चित कर लें कि आसपास कुछ ऐसी चीजें तो नहीं है, जिसमें करंट हो। आपको बता दें कि पानी या लोहे की चीजों में करंट जल्दी से पास होता है। उसके बाद तुरंत एमरजेंसी हेल्पलाइन पर कॉल करें।

2) व्यक्ति को करंट लगने वाली चीज से अलग करने की कोशिश करें। इसके लिए पावर ऑफ कर दें या डिवाइस अलग निकाल लें। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, तो एक सूखे लकड़ी के स्टूल पर खड़े होकर किसी लकड़ी की छड़ी से व्यक्ति को अलग करने की कोशिश करें। व्यक्ति को भूलकर भी ना छूएं, इससे आप भी करंट चपेट में आ सकते हैं।

3) व्यक्ति को अलग करने के बाद उसे रिकवरी पोजीशन में लेटा दें। इस पोजीशन में व्यक्ति किसी एक करवट में होता है और उसका एक हाथ सिर के नीचे और दूसरा आगे की तरफ होता है और उसका एक पैर सीधा होता है और दूसरा मुड़ा हुआ होता है। इसके बाद उसकी ठोड़ी उठाकर जांच करें कि वो सांस ले रहा है या नहीं।

4) अगर व्यक्ति सांस ले रहा है और थोड़ा जल गया है, तो उसे पानी से धो लें। व्यक्ति को कभी भी कंबल से ना लपेटें।

5) अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो ब्लड रोकने के लिए उस जगह को एक साफ और सूखे कपड़े से बांध दें।

6) अगर आपको व्यक्ति के सांस लेने, खांसने या किसी भी तरह की गतिविधि का कोई संकेत नहीं मिल रहा है, तो आप सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू करें। इस प्राथमिक चिकित्सा से किसी बेहोश या मूर्छित व्यक्ति के दिल और फेफड़ो को पुन: होश में लाया जाता है। अगर व्यक्ति सांस ले रहा है, तो कभी भी सीपीआर ना करें।

ध्यान रहे कि करंट लगने वाले व्यक्ति को तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, भले ही व्यक्ति घटना के बाद पूरी तरह से ठीक लग रहा हो। डॉक्टर जांच के बाद ही ईसीजी, ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे टेस्ट के लिए कह सकते हैं।

भारत जैसे देश में घरों में दो पिन वाले बिजली उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल होता है. मानसूनी मौसम के दौरान हवा में नमी के कारण करंट लगने की आशंका ज्यादा रहती है. करंट से लोगों की मौत हो जाती है. लेकिन ज्यादातर मौतों को टाला जा सकता है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि अगर करंट लगने से मौत हो भी जाए तो पीड़ित को कार्डियोप्लमनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की पारंपरिक तकनीक का 10 का फार्मूला प्रयोग करके 10 मिनट में होश में लाया जा सकता है. इसमें पीड़ित का दिल प्रति मिनट 100 बार दबाया जाता है.
सबसे पहले तो बिजली के स्रोत को बंद करना जरूरी है. भारत में ज्यादातर मौतें अर्थ के अनुचित प्रयोग की वजह से होती हैं. भारत में अर्थिंग या तो स्थानीय स्रोत से प्राप्त की जा सकती है या घर पर ही गहरा गड्ढा खोदकर खुद बनाई जा सकती है.

अर्थिंग के बारे में इन बातों पर गौर करें
1. तीन पिन के सॉकेट के ऊपर वाले छेद में लगी मोटी तार अर्थिंग की होती है.
2. किसी बिजली सर्किट में हरी तार अर्थिंग की, काली तार न्यूट्रल और लाल तार करंट वाली तार होती है. आसानी से पहचान हो सके इसलिए अर्थ की तार शुरू से ही हरी रखी गई है.
3. आम तौर पर करंट वाले तार को जब न्यूट्रल तार से जोड़ा जाता है, तब बिजली प्रवाहित होती है. करंट वाले तार को अर्थिंग मिल जाने से बिजली प्रवाहित होती है. जब अर्थिंग का तार न्यूट्रल से जुड़ा होगा, तब बिजली प्रवाहित नहीं होती है.
4. अर्थिंग सुरक्षा के लिए की जाती है जो लीक होने वाली बिजली को बिना नुकसान पहुंचाए शरीर के बजाय सीधी जमीन में भेज देती है.
5. अर्थिंग की जांच हर छह महीने बाद करते रहना चाहिए, क्योंकि समय व मौसम के साथ यह घिसती रहती है, खासकर बारिश के दिनों में.
6. टेस्ट लैंप से भी अर्थिंग की जांच हो सकती है. करंट और अर्थिंग वाले तार से बल्ब जलाकर देखा जा सकता है. अगर इन दो तारों के जोड़ने से बल्ब न जले तो समझिए, अर्थिंग में खराबी है.
7. लोग आमतौर पर अर्थिंग को हलके में लेते हैं और इसका गलत प्रयोग करते हैं.
8. करंट वाले और अर्थिंग के तार को अक्सर अस्थायी तौर पर एक साथ जोड़ दिया जाता है, जो खतरनाक हो सकता है.
बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें
1. घर में अर्थिंग की उचित व्यवस्था का ध्यान रखें.
2. हरे तार को हमेशा याद रखें, इसके बिना कभी बिजली उपकरण का प्रयोग न करें, खास कर जब यह पानी के स्रोत को छू रहा हो. पानी करंट के प्रवाह की गति को बढ़ा देता है, इसलिए नमी वाले माहौल में अतिरिक्त सावधानी रखें.
3. दो पिन वाले बिना अर्थिंग के उपकरणों का प्रयोग न करें, इन पर पाबंदी होनी चाहिए.
4. तीन पिन वाले प्लग का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि तीनों तार जुड़े हों और पिनें खराब न हों.
5. तारों को सॉकेट में लगाने के लिए माचिस की तीलियों का प्रयोग न करें.
6. किसी भी तार को तब तक न छुएं, जब तक बिजली बंद न कर दी गई हो.
7. अर्थिंग के तार को न्यूट्रल के विकल्प के तौर पर ना प्रयोग करें.
8. सभी जोड़ों पर बिजली वाली टेप लगाएं, न कि सेलोटेप या बेंडेड.
9. गीजर के पानी का प्रयोग करने से पहले गीजर बंद कर दें.
10. हीटर प्लेट का प्रयोग नंगी तार के साथ न करें.
11. घर पर सूखी रबड़ की चप्पलें पहनें.
12. घर पर मिनी सर्कट ब्रेकर और अर्थ लीक सर्कट ब्रेकर का प्रयोग करें.
13. मैटेलिक बिजली उपकरण पानी के नल के पास मत रखें.
14. रबड़ के मैट और रबड़ की टांगों वाले कूलर स्टैंड बिजली उपकरणों को सुरक्षित बना सकते हैं.
15. केवल सुरक्षित तारें और फ्यूज का ही प्रयोग करें.
17. किसी भी आम टैस्टर से करंट के लीक होने का पता लगाया जा सकता है.
18. फ्रिज के हैंडल पर कपड़ा बांध कर रखें.
19. प्रत्येक बिजली उपकरण के साथ बताए गए निर्देश पढ़ें.
20. यूएस में प्रयोग होते 110 वोल्ट की तुलना में भारत में 220 वोल्ट का प्रयोग होने से करंट से मौत की दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं.
21. डीसी की तुलना में एसी करंट ज्यादा खतरनाक होता है. 10 एमए से ज्यादा का एसी करंट इतनी मजबूती से हाथ पकड़ लेता है कि हटा पाना असंभव हो जाता है.
करंट लगने पर 5 मिनट के अंदर करें ये इलाज बच सकती है जान
करंट लगने की हालत में उचित तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी होता है. मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ हटा दें कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दें.
क्लीनिक तौर पर मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से एक जोरदार धक्के से ही होश में लाया जा सकता है.
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तीव्र करंट लगने से क्लिनिकल मौत 4 से 5 मिनट में हो जाती है, इसलिए कदम उठाने का समय बहुत कम होता है. मरीज को अस्पताल ले जाने का इंतजार मत करें. वहीं पर उसी वक्त कदम उठाएं.

करंट लगने पर क्या करना चाहिए कोई दो उपाय बताओ?

करंट लगने पर 5 मिनट के अंदर करें ये इलाज बच सकती है जान मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ हटा दें कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दें. क्लीनिक तौर पर मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से एक जोरदार धक्के से ही होश में लाया जा सकता है.

बिजली का झटका लगने से क्या हो जाता है?

विद्युताघात (करंट) लगने के परिणाम 1. श्वसन पेशियों में लकवा मार जाना. 2. गंभीर रूप से शरीर का जल जाना.

करंट लगने के बाद शरीर में क्या होता है?

करंट लगने पर शरीर में क्या होता है? बिजली का करंट लगने पर मनुष्य के शरीर में उपस्थित रक्त में जल की कमी हो जाती है यानि कि करंट शरीर के पानी को जला देता है जिससे खून गाढ़ा हो जाता है यहां तक कि रक्त गाढ़े हो जाने के कारण रक्त में मिश्रित ऑक्सीजन शरीर के सभी अंगो को नहीं मिल पाती है।

बिजली का करंट लगने के बाद क्या खाना चाहिए?

हां बिजली का करंट लगने पर गर्म दूध पीना चाहिए। इससे खून के कलाॅट बनने की संभावना कम हो जाती है। गर्म दूध शरीर में गर्मी पैदा करता है और ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।

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