शिव पुराण के अनुसार हनुमान का जन्म कैसे हुआ? - shiv puraan ke anusaar hanumaan ka janm kaise hua?

महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है और वे प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हैं। हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानरराज केशरी हैं। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरीनंदन आदि नामों से पुकारा जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी

को पवन पुत्र भी कहते हैं।

हनुमान जी के जन्म के पीछे पवन देव का भी योगदान था। एक बार अयोध्या के राजा दशरथ अपनी पत्नियों के साथ पुत्रेष्टि हवन कर रहे थे। यह हवन पुत्र प्राप्ति के लिए किया जा रहा था। हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर तीनों रानियों में थोड़ी थोड़ी बांट दी।

खीर का एक भाग एक कौआ अपने साथ एक जगह ले गया जहा अंजनी मां तपस्या कर रही थी। यह सब भगवान शिव और वायु देव के इच्छा अनुसार हो रहा था। तपस्या करती अंजना के हाथ में जब खीर आई तो उन्होंने उसे शिवजी का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया। इसी प्रसाद की वजह से हनुमान का जन्म हुआ।

Pauranik Kathayen आज मंगलवार है और आज का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इसी के चलते हम आपको हनुमान जी से संबंधित एक पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें यह वर्णित किया गया है कि हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था।

Pauranik Kathayen: आज मंगलवार है और आज का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इसी के चलते हम आपको हनुमान जी से संबंधित एक पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें यह वर्णित किया गया है कि हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था। वेदों और पुराणों के अनुसार, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म चैत्र मंगलवार के ही दिन पूर्णिमा को नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। इनके पिता का नाम वानरराज राजा केसरी थे। इनकी माता का नाम अंजनी थी। रामचरितमानस में हनुमान जी के जन्म से संबंधित बताया गया है कि हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ था। मान्यता है कि एक बार वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के पास पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषियों को देखा जो समुद्र के किनारे पूजा कर रहे थे।

तभी वहां एक विशाल हाथी आया और ऋषियों की पूजा में खलल डालने लगा। सभी उस हाथी से बेहद परेशान हो गए थे। वानरराज केसरी यह दृश्य पर्वत के शिखर से देख रहे थे। उन्होंने विशालकाय हांथी के दांत तोड़ दिए और उसे मृत्यु के घाट उतार दिया। ऋषिगण वानरराज से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छानुसार रुप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र का वरदान दिया।

भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में लिया था जन्म:

एक अन्य कथा के अनुसार, माता अंजनी एक दिन मानव रूप धारण कर पर्वत के शिखर की ओर जा रही थीं। उस समय सूरज डूब रहा था। अंजनी डूबते सूरज की लालीमा को निहारने लगी। इसी समय तेज हवा चलने लगी और उनके वस्त्र उड़ने लगे। हवा इतनी तेज थी वो चारों तरफ देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। हवा से पत्ते भी नहीं हिल रहे थे। तब माता अंजनी को लगा कि शायद कोई मायावी राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा था। उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि आखिर कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण स्त्री का अपमान कर रहा है।

तब पवन देव प्रकट हुए और हाथ जोड़ते हुए अंजनी से माफी मांगने लगे। उन्होंने कहा, "ऋषियों ने आपके पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है इसलिए मैं विवश हूं और मुझे आपके शरीर को स्पर्श करना पड़ा। मेरे अंश से आपको एक महातेजस्वी बालक प्राप्त होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि मेरे स्पर्श से भगवान रुद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट हुए हैं। वही आपके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। इस तरह की वानरराज केसरी और माता अंजनी के यहां भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में अवतार लिया।  

Edited By: Shilpa Srivastava

  • 1/9

श्रीराम भक्त हनुमान की शक्तियों और चमत्कारों के बारे में कई किस्से और कहानियों मौजूद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंजनी पुत्र हनुमान का जन्म कैसे हुआ था. इसे लेकर भी कई अलग-अलग तरह की मान्यताएं हैं. आइए हनुमान जयंती के इस शुभ अवसर पर आपको पवन पुत्र के जन्म को लेकर स्थापित कुछ ऐसी ही मान्यताओं के बारे में बताते हैं.

  • 2/9

हनुमान का जन्म एक वानर के रूप में हुआ था. इनकी मां अंजनी एक अप्सरा थीं, जिन्होंने एक श्राप की वजह से पृथ्वी पर वानर के रूप में जन्म लिया था. हालांकि उन्हें ये वरदान भी था कि एक पुत्र को जन्म देने के बाद वह इस श्राप से मुक्त हो जाएंगी.

  • 3/9

वाल्मीकि की रामायण के मुताबिक, हनुमान के पिता केसरी बृहस्पति पुत्र थे, जो स्वयं राम की सेना के साथ मिलकर रावण के खिलाफ लड़े थे. अंजना और केसरी ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की उपासना की थी. इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ही इन्हें पुत्र का वरदान दिया था. एक अन्य कहानी के अनुसार, हनुमान भी शिव के एक अवतार ही थे.

  • 4/9

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, मारुति एक वन में अंजनी को देखकर उन पर मोहित हो गए थे. अंजनी गर्भवती हो गईं और इस तरह पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ. एक दूसरी, मान्यता ये है कि वायु ने अंजनी के कान के रास्ते शरीर में प्रवेश किया और वह गर्भवती हो गईं.

  • 5/9

एक कहानी में ऐसा भी बताया जाता है कि महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त हवि अपनी तीनों रानियों में बांटी थी. इस हवि का एक टुकड़ा गरुड़ उठाकर ले गया और वो टुकड़ा उस स्थान पर गिर गया जहां अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही थी. हवि खाते ही अंजनी गर्भवती हो गई और इस तरह हनुमान का जन्म हुआ.

  • 6/9

विष्णु पुराण और नारद पुराण के कथानुसार, नारद एक राजकुमारी पर मोहित होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें अपने जैसा रूप देने के लिए कहा ताकि स्वयंवर में राजकुमारी उन्हें हार पहना सके. उन्होंने विष्णु से हरि मुख की मांग की. हरि भगवान विष्णु का ही दूसरा नाम है.

  • 7/9

हालांकि विष्णु जी ने नारद को एक वानर का चेहरा दे दिया, जिसे देखे बगैर नाराद स्वयंवर में पहुंच गए. स्वयंवर में एक वानर को देख पूरे दरबार में हंसी के ठहाके लगने लगे. नारद ये बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने विष्णु का श्राप दिया कि एक दिन विष्णु एक वानर पर निर्भर होंगे.

  • 8/9

हालांकि बाद में विष्णु जी ने नारद से कहा कि उन्होंने जो कुछ किया उनकी भलाई के लिए ही किया. नारद अपनी शक्तियों को कम किए बिना वैवाहिक जीवन में प्रवेश नहीं कर सकते थे. उन्होंने कहा कि संस्कृत में हरि का दूसरा अर्थ वानर ही होता है. ये जानने के बाद नारद अपना श्राप वापस लेना चाहते थे, लेकिन विष्णु ने कहा कि उनका यही श्राप एक दिन वरदान बन जाएगा. कालांतर में हनुमान का जन्म होगा जो भगवान शिव का ही एक रूप होंगे और उनकी सहायता लेकर प्रभु श्रीराम रावण का वध करेंगे.

  • 9/9

तंत्र-मंत्र में हनुमान की पूजा एक शिर, पंचशिर और एकादश शिर, संकटमोचन, सर्व हितरत और ऋद्धि-सिद्धि के दाता के रूप में होती है. आनंद रामायण के अनुसार, हनुमान जी की गिनती आठ अमर देवों में होती है. अन्य सात हैं, अश्वत्थामा, बलि, व्यास, विभीषण, नारद, परशुराम और मार्कण्डेय हैं.

हनुमान जी शिव का कौन सा अवतार है?

उसी समय भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया था और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था. हनुमान उनके ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं. इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा भी की और रावण वध में उनकी मदद भी की थी.

शिव ने हनुमान का अवतार क्यों लिया?

पहला शिव का अवतार है क्योंकि हनुमान जी की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में पाने का वरदान मांगा था। ऐसे में भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली और फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था।

हनुमान जी पिछले जन्म में क्या थे?

2. हनुमानजी को शिवजी के 11 रुद्र अवतारों में से एक थे। इस मान से वे पिछले जन्म में रुद्र भगवान थे। भारद्वारज मुनि द्वारा कपिराज केसरी को दिए गए वरदान के चलते उनके यहां हनुमानजी के रूप में रुद्र का जन्म हुआ।

शिव हनुमान कैसे बने?

शास्त्रों में यह उल्लेख मिलता है कि शिव जी ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित कर दिया था। यह शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। इस प्रकार से चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ। यह प्रसंग बहुत ही प्रसिद्ध है और अधिकर लोग इसी में विश्वास करते हैं।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग