अक्सर कहा जाता है कि मानव संचार का 93% हिस्सा शारीरिक भाषा और परा भाषीय संकेतों से मिलकर बना होता है जबकि शब्दों के माध्यम से कुल संचार का 7% हिस्सा ही बनता है[1]- लेकिन 1960 के दशक में इस क्षेत्र में कार्य करके ये आंकड़े देने वाले शोधकर्ता एल्बर्ट मेहराबियन ने कहा था कि ये दरअसल उनके अध्ययन के परिणाम के आधार पर हो रही एक गलतफहमी है (मेह्राबियन के नियम के अपनिर्वचन या मिसइंटरप्रिटेशन को देखें).[2] अन्य लोगों ने जोर दिया कि 'अनुसन्धान के आधार पर संचार में छिपे अर्थों का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा अमौखिक व्यवहार से प्रकट होता है।[3] शरीर की भाषा किसी के रवैये और उसकी मनःस्थिति के बारे में संकेत दे सकती है। उदाहरण के लिए, यह आक्रामकता, मनोयोग, ऊब, आराम की स्थिति, सुख, मनोरंजन सहित अन्य कई भावों के संकेत दे सकती है। शरीर की भाषा को समझना[संपादित करें]लोगों को पढ़ने की तकनीक अक्सर प्रयोग की जाती है। उदाहरण के लिए, साक्षात्कार के दौरान आमतौर पर शारीरिक भाषा को प्रतिबिंबित करके लोगों को निश्चिन्त अवस्था में लाने के लिए किया जाता है। किसी की शारीरिक भाषा को प्रतिबिंबित करना इस बात की तरफ संकेत देता है कि उसकी बात समझी जा रही है। शारीरिक भाषा के संकेत का संचार से अलग भी कोई लक्ष्य हो सकता है। दोनों ही लोगों को ये बात ध्यान में रखनी होगी. पर्यवेक्षक अमौखिक संकेतों को कितना महत्व देते हैं ये वो स्वयं निर्धारित करते हैं। संकेतकर्ता अपने संकेतों को स्पष्ट करके अपने कार्यों की जैविक उत्पत्ति को प्रदर्शित करते हैं। शारीरिक अभिव्यक्ति[संपादित करें]शारीरिक अभिव्यक्तियाँ जैसे कि हाथ हिलाना, उंगली से इशारा करना, छूना और नज़र नीचे करके देखना ये सभी अमौखिक संचार के रूप हैं। शरीर की गति और अभिव्यक्ति के अध्ययन को काइनेसिक्स या गतिक्रम विज्ञान कहते हैं। जब मनुष्य कुछ कहता है तो साथ ही अपने शरीर को गति देता है क्योंकि जैसा कि शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है[कृपया उद्धरण जोड़ें], इससे 'संचार के कठिन होने पर भी बात कहने और समझने के लिए मानसिक प्रयास को मदद मिलती है।' शारीरिक अभिव्यक्तियाँ उस व्यक्ति के बारे में बहुत सी बातें प्रकट करती हैं जो उनका उपयोग कर रहा है। उदाहरण के लिए, इशारों द्वारा किसी खास बिंदु पर बल दिया जा सकता है या एक संदेश को आगे बढाया जा सकता है, आसन संचार में आपकी ऊब या रुचि को प्रदर्शित कर सकता है और स्पर्श प्रोत्साहन या चेतावनी जैसे भाव प्रकट कर सकता है।[4]
उदाहरण सूची[संपादित करें]
मनुष्य में अमौखिक संचार कितना प्रचलित है?[संपादित करें]कुछ शोधकर्ताओं ने कुल संचार में अमौखिक संचार को 80 प्रतिशत जितने बड़े हिस्से का दावेदार माना है जबकि हो सकता है कि ये 50-65 प्रतिशत तक ही हो. विभिन्न अध्ययनों से अलग-अलग महत्व का होना पाया गया है जिनमें से कुछ से पता चलता है कि प्रायः संचार चेहरे के भावों के ज़रिये ही कर लिया जाता है यानी बोली गई बातों की तुलना के 4.3 गुना अवसरों पर चेहरे के भाव ही संचार का माध्यम बनते हैं। दुसरे अध्ययन के अनुसार चेहरे के किसी शुद्ध भाव की तुलना में सपाट ध्वनि में कही गई बात चार गुना ज्यादा बेहतर ढंग से समझी जा सकती है। एल्बर्ट मेहराबियन 7% -38% -55% का एक नियम खोजने के लिए जाने जाते हैं जो कि ये प्रदर्शित करता है कि क्रमशः शब्द, स्वर और शारीरिक भाषा का कुल संचार में कितना योगदान है। हालांकि वो सिर्फ ऐसे मामलों की बात कर रहे थे जहाँ इस तरह के भाव या रवैये प्रकट किये जाते हैं जिनमें एक व्यक्ति ये कह रहा हो 'मुझे तुमसे कोई समस्या नहीं है!' जब लोग आमतौर पर आवाज के स्वर पर और शारीरिक भाषा पर ध्यान देते हैं बजाये कही गई चीज़ों के. यह एक आम गलत धारणा है कि ये सभी प्रतिशत सभी तरह के संचार के लिए लागू है।[8] शारीरिक भाषा और स्थान[संपादित करें]अंतर्वैयक्तिक स्थान एक तरह के मनोवैज्ञानिक बुलबुले की तरह है जो हम तब महसूस कर सकते हैं जब कोई हमारे बहुत करीब खड़ा हो। अनुसंधान से पता चला है कि उत्तर अमेरिका में अंतर्वैयक्तिक स्थान के चार विभिन्न क्षेत्र हैं। पहला क्षेत्र है अन्तरंग जो कि छूने की स्थिति से लेकर अठारह इंच की दूरी तक होता है। अंतरंग दूरी वो स्थान है जिसके भीतर हम अपने प्रेमी, बच्चों, साथ ही साथ निकट परिवार के सदस्यों और दोस्तों को ही आने की अनुमति देते हैं। दूसरा क्षेत्र व्यक्तिगत दूरी कहा जाता है जो कि हमसे एक हाथ की दूरी से शुरू होता है; जोकि हमारे शरीर से अठारह इंच से शुरू होकर चार फीट दूर तक जाता है। हम दोस्तों या सहकर्मियों के साथ बातचीत करते समय और समूह चर्चाओं के दौरान व्यक्तिगत दूरी का प्रयोग करते हैं। अंतर्वैयक्तिक स्थान का तीसरा क्षेत्र सामजिक दूरी कहा जाता है और ये आपसे चार फीट दूर से शुरू होकर आठ फीट तक जाता है। सामाजिक दूरी अजनबियों, नए बने समूहों और नए परिचितों के लिए आरक्षित होती है। चौथा क्षेत्र सार्वजनिक दूरी कहा जाता है और ये उस पूरे स्थान पर होता है जो आपसे आठ फीट से अधिक दूरी पर हो. यह क्षेत्र भाषणों, व्याख्यानों, थियेटर आदि के लिए प्रयोग होता है आवश्यक रूप से सार्वजनिक दूरी का क्षेत्र वह क्षेत्र है जो श्रोताओं के बड़े समूह के लिए आरक्षित हो.[9] यौन रुचि और शरीर की भाषा[संपादित करें]लोग आमतौर पर शरीर की भाषा के माध्यम से अन्य लोगों में यौन रुचि प्रदर्शित करते हैं, हालांकि इसका सटीक रूप और सीमा संस्कृति, युग और लिंग के हिसाब से बदलती है। इस तरह के कुछ संकेतों में शामिल हैं अतिरंजित इशारे और गतियाँ, गूँज और प्रतिबिंबित करना, घेरती हुई दृष्टि से देखना, पैरों को एक दुसरे पर चढ़ाना, घुटने किसी की तरफ इंगित करना, बाल उछालना या छूना, सर मोड़ना, पेडू को घुमाना, कलाई दिखाना, कपडे ठीक करना, हँसना, या मुस्कुराना, नज़रें मिलाना, छूना, खेलना, या करीब आना. लैंगिक रूप से उत्तेजित होने पर मनुष्य कई शारीरिक संकेत भी देते हैं जैसे पुतली का फैलना. अनैच्छिक इशारे[संपादित करें]हाल ही में, मानव स्वभावजन्य संकेतों के अध्ययन में भारी रुचि देखी गई है। इन संकेतों का अध्ययन संवादात्मक और अनुकूली मानव मशीन प्रणाली विकसित करने के लिए उपयोगी हो सकती है। अनैच्छिक मानवीय भाव जैसे कि आँखों को मीचना, ठोढ़ी को आराम देना, होठों को छूना, नाक खुजाना, सर खुजाना, कान खुजाना और उँगलियों को आपस में मोड़ना जैसे कुछ उपयोगी संकेत कुछ विशेष बातों के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ देते हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने इन भावों और संकेतों को शैक्षिक प्रयोगों के विशिष्ट विषयों में उपयोग करने की कोशिश की है।[10] सन्दर्भ[संपादित करें]
आगे पढ़ने के लिए[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
कौन सा शारीरिक भाषा का प्रारूप है?शारीरिक भाषा अमौखिक संचार, का एक रूप है जिसे शरीर की मुद्रा, चेहरे की अभिव्यक्ति, इशारों और आँखों की गति के द्वारा व्यक्त किया जाता है। मनुष्य अनजाने में ही इस तरह के संकेत भेजता भी है और समझता भी है।
शारीरिक भाषा कितने प्रकार की होती है?शारीरिक अभिव्यक्ति शारीरिक अभिव्यक्तियाँ जैसे कि हाथ हिलाना, उंगली से इशारा करना, छूना और नज़र नीचे करके देखना ये सभी अमौखिक संचार के रूप हैं। शरीर की गति और अभिव्यक्ति के अध्ययन को काइनेसिक्स या गतिक्रम विज्ञान कहते हैं।
शारीरिक भाषा संप्रेषण से क्या समझते हैं?भाषा मिुष्य के संप्रेषण का महत्वपूणण माध्यम और भावबोध का अन्यतम साधि है। भाषा के माध्यम सेमिुष्य ि केवल अपिेववचारों को अभभव्यक्त कर सकता है, बल्कक उन्हें दूसरों तक संप्रेवषत भी कर सकता है।
बॉडी लैंग्वेज कैसे पहचाने?बॉडी लैंग्वेज यानी हाव-भाव एक तरह की शारीरिक भाषा है, जिसमें शब्द तो नहीं होते, लेकिन बिना कुछ कहे अपनी बात कह जाते हैं। बॉडी लैंग्वेज एक तरह से इंसान के व्यक्तित्व का आईना होती है। जैसे किताब के हर पन्ने में अलग-अलग बातें होती हैं, उसी तरह हाव-भाव के पीछे भी अलग-अलग अर्थ छिपे होते हैं।
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