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हुई और आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे। (सरल वाक्य में बदलिए) प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. खण्ड ‘ख’ प्रश्न 5. क) जीवन के अमूल्य क्षणों को किस प्रकार के व्यक्ति खो देते हैं? [2] (ख) भाग्य के भरोसे बैठना पौरुष का अपमान क्यों कहा गया है? [2] (ग) दार्शनिक अरस्तू के कथन का आशय लिखिए। [2] (घ) लक्ष्मी किसे प्राप्त होती है? [1] (ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1] उत्तर: (ग) दार्शनिक अरस्तू ने कहा है-हर एक व्यक्ति के लिए उचित समय पर उचित मात्रा का ज्ञान होना आवश्यक है। तभी हम उचित व्यक्ति से उचित समय
पर उचित व्यवहार कर सकते हैं। प्रश्न 6. खण्ड ‘ग’ प्रश्न 7.
(ख) मित्र की परख संकट में ।
(ग) मेरी कल्पना का विद्यालय
उत्तर: हम यह तो नहीं कह सकते कि हमारे देश में महिला सुरक्षा को लेकर कोई मुद्दा नहीं है परन्तु हम कुछ सकारात्मक बिंदुओं को अनदेखा भी नहीं कर सकते। एक महिला को अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से जिंदगी जीये। वह जब चाहे तब अपनी मर्जी से कहीं भी कभी भी जा सकती है। लेकिन एक सवाल उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? आज ऐसा जमाना है जब जगह-जगह इंसान की शक्ल में भेड़िये घूम रहे हैं। वह भेड़िया आपके साथ में बैठा ऑफिस का कर्मचारी हो सकता है, आपका बॉस हो सकता है, आपके साथ बस या मेट्रो में बैठा यात्री हो सकता है, आपका अपना कोई रिश्तेदार हो सकता है या फिर स्वयं आपका कोई अच्छा और विश्वासपात्र मित्र भी। किस वक्त कौन सा भेड़िया हमला बोल दे, इसकी क्या गारंटी है। स्वयं एक महिला होने के नाते मुझे यह बात कहते हुए बहुत दु:ख होता है कि हमारा समाज सुरक्षित नहीं है। केवल समाज ही क्यों…. आज तो घर में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। दिल्ली महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से देश का सबसे असुरक्षित शहर है एक नए सर्वेक्षण के अनुसार छुट्टियों में घूमने-फिरने या काम के लिए बाहर निकलने के लिहाज से दिल्ली को सबसे असुरक्षित महानगर माना गया है। मुंबई को महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से (34 प्रतिशत) सबसे सुरक्षित बताया गया जबकि 12 प्रतिशत मतों के साथ अहमदाबाद एवं बैंगलुरु दूसरे स्थान पर हैं। (ख) मित्र की परख संकट में हित अनहित या वे कहते हैं कि थोड़े दिनों का कष्ट अच्छा है। क्योंकि उस समय हम अपने असली मित्र को पहचान सकते है। ऐसा देखा जाता है कि सुख के समय जब व्यक्ति के पास धन, समाज में मनि, अच्छी नौकरी, सकुशल परिवार होता है तो उसके अनेक मित्र होते हैं। पर जैसे ही उसके पास नि का अभाव होता है या उसके बुरे दिन होते हैं, सभी मित्र जो सिर्फ नाम के मित्र थे उसे छोड़ देते हैं। जैसे जब तक तालाब में पानी रहता है अनेक मेढ़क उसके पास मँडराते रहते हैं और पानी सूखने पर तालाब को छोड़कर वो अन्य किसी जगह चले जाते हैं। एक अच्छा मित्र सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह सुख-दु:ख का साथी होता है। सिर्फ सुख में साथ देने वाले व्यक्ति, असली मित्र नहीं होते हैं। सच्चा मित्र दु:ख में सहायता करता है। हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। इसलिए मुसीबत में ही मित्र की परख होती है। सच्चे मित्र आपके साथ बेवजह नाटकपन या बनावटीपन नहीं दिखाते अगर आपका मित्र आपकी व्यक्तिगत गोपनीय बातें दूसरे लोगों से साझा करता है, तो सच मानिए वह आपका सच्चा मित्र नहीं है उसे तुरंत छोड़ देने में ही आपकी भलाई है। एक अच्छा दोस्त भावनात्मक रूप से बुद्धिमान होता है, वह आपको इसलिए नहीं ठुकरीता, क्योंकि लोग आपको अच्छा नहीं मानते या आपके बारे में आपके मित्रों को गलत राय देते हैं, बुरे समय में जब कोई आपके साथ नहीं होता, तब भी सच्चा मित्र आपका साथ नहीं छोड़ता। जीवन में एक अच्छे दोस्त का होना बहुत जरूरी है। एक ऐसा दोस्त जो हर मुश्किल में आपका साथ दे एक अच्छा दोस्त हमारे जीवन का अहम हिस्सा होता है। जिसकी जरूरत हमें उम्र के हर पड़ाव में होती है। दोस्ती का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। मित्र राजदार भी होते हैं और सुख-दुख के साथी भी। अत: सच्चा मित्र जीवन के लिए परमावश्यक है। (ग) मेरी कल्पना का विद्यालय स्कूल में हमारे अध्यापक गण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता प्राप्त करने का रास्ता दिखाते हैं। विद्यालय का उदेश्य होता है कि विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा मिले। मेरी कल्पना का विद्यालय ऐसा होना चाहिए कि जहाँ शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ, विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास हो। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, रहन-सहन, विज्ञान, कला के क्षेत्र में भी ज्ञान प्रदान किया जाये। सभी विषय के उच्च शिक्षित एवं जानकार शिक्षक विद्यालय में तैनात हो। विद्यालय में उपयुक्त पुस्तकालय हो जो इंटरनेट के माध्यम से विश्व से जुड़ी हो। परंपरागत शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी का भी भरपूर उपयोग हो। विद्यालय में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाओं का उपयोग करते हुये, चुनिन्दा जानकर शिक्षकों के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया। जा सके। विद्याथियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ जैसे पुस्तकालय, इंटरनेट, कम्प्यूटर, प्रॉजेक्ट, आदि उपलब्ध हो मेधावी विद्यार्थी के साथ-साथ कमजोर विद्यार्थी पर भी शिक्षकों का पूरा ध्यान हो। अगर विद्यार्थी किसी कारणवश विद्यालय आने में असमर्थ हो तो वह इंटरनेट के माध्यम से भी अपने घर पर भी विद्यालय की कक्षा में मानसिक रूप से उपस्थित रह सके। इस प्रकार मेरी कल्पना का विद्यालय आज के युग से कदम से कदम मिलाकर चलाने वाला होना चाहिए। मेरी कल्पना के विद्यालय में सर्वधर्म समभाव होना चाहिए। अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर विद्यार्थी स्वच्छंद रूप से बेहिचक प्रसन्नतापूर्वक शिक्षा ग्रहण कर सके। मेरी कल्पना के विद्यालय में एक बहुत ही सुंदर पुस्तकालय होना बेहद आवश्यक है। जहाँ हर विषय और ज्ञान की पुस्तकों की भरमार हो जहाँ विद्यार्थी खुश होकर स्वाध्याय कर सके। हमारा विद्यालय हमारा विद्या का मंदिर होता है। जिस तरह से भक्त लोगों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है उसी तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है। इस पवित्र मंदिर के भगवान हैं हमारे गुरुजन जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमारे मन में ज्ञान रूपी प्रकाश को फैला देते हैं। अतः मेरी कल्पना का विद्यालय ज्ञान विज्ञान का और स्वस्थ स्वच्छ वातावरण का तथा शांति एकता सौहार्द्र और प्रेम का पवित्र मंदिर होना चाहिए जो छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल और उन्नत दिशा में आगे बढ़ाए। प्रश्न 8. अतः आप से निवेदन है कि हमारे क्षेत्र के अस्पताल में उचित । चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए और दवाएँ उपलब्ध करवाई जाए जिससे डेंगू से पीड़ित मरीजों की जान बचाई जो सके। यदि आपने मेरी समस्या पर अमल किया तो मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी
रहेंगे। पत्र लिखने का कारण यह कि मैं तुम्हें तुम्हारी दयालुता और सहयोग भावना के लिए तहेदिल से धन्यवाद प्रकट करना चाहता हूँ। मित्र जब मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता थी और मैं लाचार था तब आड़े वक्त में तुमने मुझे पैसे देकर मेरी समस्या को दूर किया। मैं शुक्रगुजार हूँ कि तुम्हारा किस प्रकार कर्ज चुकाऊँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हारे जैसा मित्र सबको मिले। मैं तुम्हारी दयालुता को कभी भुला नहीं पाऊंगा घर में अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम देना और छोटे भाई बहन को प्यार। प्रश्न 9. खण्ड ‘घ’ प्रश्न 10. (ग) लेखिका और भाई बहनों की सहानुभूति अपनी माँ के साथ थी। प्रश्न 11. (ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी। दूसरा मन्नू स्वच्छद ख्यालों वाली थी और पिता शक्की स्वभाव के थे। (ग) कैप्टन चश्मे बेचने वाला दुबला पतला मरियल सा आदमी था। वह इतना बड़ा देशभक्त था कि रोज अपनी फेरी में से नया चश्मा नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति पर लगा दिया करता था। उसकी देशभक्ति का मजाक उड़ाने के लिए लोग उसे कैप्टन कहकर पुकारते थे। (घ) फादर बुल्के की चिंता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हिंदी वालों के द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर उन्हें बहुत दु:ख होता था। हर मंच से वे अपनी यह तकलीफ बयान करते। (ङ) नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया पोंछा सुखाया और फिर तौलिये से साफ किया। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और नमक लगाकर लाल मिर्च की सुर्खा बुरक दी। इतने इत्मीनान से खीरों को सूंघकर बिना खाये ही रसास्वादन करके खिड़की से बाहर फेंक दिया। प्रश्न 12. (ख) परशुराम अपनी प्रशंसा करते हुए सभा में बोले- मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, सारा संसार मुझे क्षत्रिय कुल के विनाशक के रूप में जानता है। अपनी भुजाओं के बल से मैंने धरती को जीत लिया था और अनेक बार ब्राह्मणों को दान में दे दिया था। (ग) परशुराम अत्यंत क्रोधी और पितृभक्त थे। पूरा संसार उन्हें क्षत्रिय कुल द्रोही के रूप में जानता था। प्रश्न 13. (ख) कवि निराला जी एक क्रांतिकारी कवि हैं। वे क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाने की बात कहते हैं। कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं। (ग) छाया मत चूना कविता में छाया शब्द का प्रयोग अतीत की स्मृतियों के रूप में किया गया है। कवि अतीत को छाया के रूप में चित्रित कर रहा है। कविता यह सन्देश देती है कि यदि वर्तमान में हम अपने अतीत को याद करते हैं तो हमारा वर्तमान भी दु:खी हो जाता है। अतः हमे अतीत को भूलकर आने वाले भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। (घ) फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि परिश्रमी किसानों को सलाम करना चाहता है। किसान तपती गर्मी, कड़कड़ाती तथा हाड़ कॅपकपाती ठण्ड तथा मूसलाधार वर्षा में भी दिन-रात परिश्रम करते हुए खून-पसीना एक करके फसल उगाने में लगा रहता है। उन्हीं के हाथों के स्पर्श के कारण फसलें खेतों में लहलहाती फलती-फूलती दिखाई देती हैं। कवि किसानों के प्रति अपनी आभार व्यक्त करना चाहती है। (ङ) संगतकार मुख्य गायक को हमेशा बुलंदी पर पहुँचाने में मदद करता है। वह हमेशा मुख्य गायक के सुर में सुर मिलाकर उसको बुलँदी पर पहुँचाने में मुख्य भूमिका निभाता है। जिस प्रकार क्रिकेट के मैदान में सभी खिलाड़ी अपना प्रदर्शन करते हैं लेकिन श्रेय कैप्टन को जाता है। ठीक उसी प्रकार मुख्य गायक की सफलता के पीछे संगतकार का हाथ होता है। प्रश्न 14. Class 10th Hindi B Previous Year Question Paper – 2020खण्ड ‘क’ प्रश्न 1. इन्हीं लोगों को आज का समाज आदर्शवादिता के रूप में देखता है यथार्थ में जब चर्चा होती है तो इन्हीं के आदर्श बहुत पीछे छूट जाते हैं। इसी आधार पर व्यावहारिक व्यक्ति अपने जीवन मूल्यों को गिरने नहीं देता गाँधी जी ने भी यही किया कि अपने व्यवहार को ऊपर रखा उस पर बल दिया तभी. आदर्श अपने आप ऊपर उठने लगता है। यही इस पाठ का मूल्य है। (ख) ततांरा-वामीरों की त्याग भरी मृत्यु से निकोबार में एक सुखद परिवर्तन यह हुआ कि निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे। (ग) कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन बहुत महत्वपूर्ण था। इस दिन को अमर बनाने के लिए सबने एकजुट होकर काफी तैयारियाँ की, राष्ट्रीय झंडे लगाए गए, प्रत्येक मार्ग पर उत्साह और नवीनता दिखाई दे रही थी। सरकार के प्रतिबंधों के बावजूद हजारों की
संख्या में जुलूस में भाग ले रहे थे मानो ऐसा लग रहा था कि आज स्वतंत्रता मिल गई हो। समय के विकास में मनुष्य बुद्धि ने आपस में दीवारें खड़ी कर दी, अब सब डिब्बेनुमा घर कोठरी में सिमट कर रह गए। लेकिन दूसरी ओर इस बढ़ती आबादी ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कंक्रीट की दुनिया को निर्माण किया। यह निर्माण इस कदर बढ़ गया कि जमीन छोटी पड़ने लगी तब मनुष्य ने अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े बिल्डरों के द्वारा मुंबई जैसे बड़े शहरों में समुद्र को घेरकर उसकी जमीन हथिया ली और समुद्र को पीछे धकेल दिया। प्रश्न 2. (2) गंभीर प्रवृत्ति- भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के थे वे छोटे भाई के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता था। (3) घोर परिश्रमी- भाई साहब जीवन में परिश्रम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। वह एक कक्षा में तीन बार फेल होकर भी लगन से पढ़ते रहे। वे दिन रात पढ़ते थे उनकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है। (4) वाक्पटु- भाई साहब वाक कला में निपुण थे वह उदाहरणों के जरिए बात समझाने में निपुण थे इस कला के सामने सब उनके सामने नतमस्तक थे। (5) संयमी व कर्तव्यपरायण– भाई साहब अत्यंत संयमी व कर्तव्यपरायाण थे। वह भी पतंग उड़ाना चाहते थे लेकिन छोटे भाई के आगे ऐसा नहीं करते थे। वह अपने कर्तव्य को बखूबी निभाते थे छोटे भाई के अभिमान को उन्होंने आड़े हाथ लिया जिससे उसका सिर श्रद्धा से झुक गया। (6) उपदेश देने की कला में निपुण– उपदेश देने की कला में वे निपुण थे वे अपनी बात को साबित करने के लिए सुक्ति बारण चलाते थे। (7) बड़ों का आदर— बड़े भाई साहब बड़ों का आदर करते थे। वह अपने माता-पिता, गुरुजनों का आदर करते थे और उनके अनुभवों को सम्मान देते थे। अथवा वज़ीर अली सचमुच एक जाँबाज सिपाही था। वह बहुत हिम्मती और साहसी था। उसे अपना लक्ष्य पाने के लिए जान की बाजी लगानी आती थी। जब उससे अवध को नवाबी ले ली गई तो उसने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करना शुरू कर दिया। उसने गवर्नर जनरल के सामने पेश होने को अपना अपमान माना और पेश होने से साफ मना कर दिया। गुस्से में आकर कंपनी के वकील की हत्या कर डाली। यह हत्या शेर की माँद में जाकर शेर को ललकारने जैसी थी। इसके बाद वह आजमगढ़ और गोरखपुर के जंगलों में भटकता रहा। वहाँ भी निडर होकर अँग्रेजों के कैम्प में घुस गया। उसे अपनी जान की परवाह नहीं थी। उसके जाँबाज सिपाही होने का परिचय उस कैंप में घुसकर कारतूस लेने में सफल हो जाता है तथा कर्नल उसे देखता रह जाता है। इन घटनाओं से पता चलता है कि वह सचमुच जाँबाज आदमी था। प्रश्न 3. मन की विषय-वासनाओं को त्याग कर ही हम भक्ति के मार्ग पर बढ़ सकते हैं। ईश्वर का निवास हमारे मन में होता है उसे कहीं बाहर मन्दिर मस्जिद में नहीं ढूँढ़ना पड़ता। जैसे मृग की नाभि में कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ होता है लेकिन वह अज्ञानता के कारण उसे ढूँढ़ने के लिए दूर जंगलों में भटकता रहता है। अतः हमें अपने मन को एकाग्रचित्त करके ईश्वर को पाने में सफल हो सकते हैं। (ख) कवि ने तालाब की समानता दर्पण से करते हुए यह दिखाया है कि जिस प्रकार दर्पण में चेहरा दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार तालाब में ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के प्रतिबिंब साफ दिखाई देते हैं। इस कारण उन्होंने तालाब की समानता दर्पण से की है। (ग) आत्मत्राण कविता के आधार पर हम कह सकते हैं कि व्यक्ति को दु:खों और मुसीबतों को याद रखना चाहिए लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहना है कि यदि हमारे पास सुख है तो भी हमें ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। परमात्मा को याद करना, धन्यवाद देना तथा उनके प्रति विनय प्रकट करना न भूलें। अथवा श्रीकृष्ण हर समय केवल बाँसुरी ही बजाते रहते हैं। ऐसे में गोपियों को भी भूल चुके हैं उनका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी को छिपा लेती हैं ताकि उनका पूरा ध्यान गोपियों पर रहे और वे उनसे बातें करें। प्रश्न 4. कंपनी बाग और तोप ये दोनों अँग्रेजों की विरासत हैं। इन दोनों का प्रयोग भारतीय जनता के लिए किया गया था। अँग्रेजी सरकार ने भारतीय जनता को खुश करने के लिए जगह-जगह कंपनी बाग बनवाए। जिससे जनता प्रसन्न हुई। लेकिन दूसरी ओर अँग्रेजों ने जनता में विद्रोह को दबाने के लिए इस तोप का भी इस्तेमाल किया। यह दोनों विरासतें भारतीय जनता को सावधान करने के लिए रखी गई है। ये विरासतें हमें विदेशी शक्तियों से सावधान करती हैं, ये कहती हैं कि विदेशी कंपनियों द्वारा दिए गए आकर्षणों में न फंसों। अथवा इस कविता में कवि ने संदेश दिया है कि देश की रक्षा करना हमारा सबसे अहम कर्तव्य है हमारे मन में यह भावना होनी चाहिए कि देश का सर ऊँचा रहे। किसी भी शत्रु के अपवित्र कदम इस देश पर न पड़ जाए। हमारे अंदर इतनी शक्ति होनी चाहिए कि हम उसे उसके दुस्साहस का मजा चखा सकें। विदेशी ताकतों का सामना करने के लिए सीमाओं को सशक्त बनाने के लिए लक्ष्मण रेखा जैसी मजबूत सीमा तैयार करनी चाहिए ताकि शत्रु देश में पाँव भी न रख पाएँ। यह देश को सुरक्षित रखने के लिए केवल हमारे सीमा प्रहरी ही नहीं हर एक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। प्रश्न 5. अथवा यह कहानी ग्रामीण पारिवारिक जीवन तथा हमारी आस्था के प्रतीक धर्मस्थलों में अपने पाँव फैला रही स्वार्थ प्रवृत्ति को उजागर करती है। हरिहर केवल 15 बीगा जमीन के लिए अपने परिवार ठाकुरबारी के महंत उनके पीछे पड़ जाते हैं। परिवार उनकी जमीन को हड़पने को तैयार बैठा है और ठाकुर-बारी के महंत भी इसे इंतजार में है कि कब उनका समय पूरा हो। इन सब सांसारिक चक्रों में फंस कर हरिहर काका ने अपने अनुभवों से सब अटकलों को मात दे दी वो जानते थे कि अपने साथ तो कुछ जाएगा नहीं सब यहीं पर रह जाना हैं अत: उन्होंने सोच लिया कि अपने जीते जी अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करेंगे अगर जमीन किसी को दी तो उनका जीवन नरक बन जाएगा। महंत द्वारा अपहरण करवा कर भी कोई लाभ नहीं उठा सके। अबे हरिहर काका समझ गए थे कि वह किसी के साथ नहीं रहेंगे। अपनी मदद के लिए उन्होंने एक नौकर रख लिया और पुलिस की देख-रेख में अपना जीवन मौज से बिताने लगे। खण्ड ‘ख’ प्रश्न 6. (क) आज का विद्यार्थी अपना समय किन बातों में नष्ट कर देता है? इसे त्याज्य क्यों माना गया है? [2] (ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र क्या हो सकता है और कैसे? (ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक
लिखिए। [1] (ङ) समय का महत्त्व/सफलता का मूल मंत्र/परिश्रम भविष्य की डोर। प्रश्न 7. अथवा तरूण, तुम्हारी शक्ति अतुल है। (ग) इन पंक्तियों का आशय है कि मानव के संकल्पों में इतनी शक्ति होती है कि कोई भी राष्ट्र बन और बिगड़ सकता है। खण्ड ‘ग’ प्रश्न 8. प्रश्न 9. (ख) तताँरा ने विवश होकर आग्रह किया। (संयुक्त वाक्य में) प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. खण्ड “घ” प्रश्न 13.
(ख) मोबाइल फोन
(ग) एक ठंडी सुबह
उत्तर: इसीलिए कहा जाता हैं। निरोगी काया के लिए सबसे पहले व्यायाम जरूरी है। प्रातःकालीन उठकर व्यायाम करना निरोगी काया का पहला गुण है यदि व्यायाम सही है तो स्वास्थ्य अपने आप ठीक रहता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन मष्तिष्क स्वभाव सभी अस्त-व्यस्त रहते हैं। एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर विद्या अर्जित करने और कला कौशल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए निरोगी काया जीवन की प्रथम आवश्यकता है यदि व्यक्ति नीरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और दूसरों को भी बाँट सकता है। वो समाज, वो देश विकास कर सकता है जिसका निवासी स्वस्थ हो। स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ समाज का व देश का निर्माण कर सकता है। जहाँ समाज को लाभ मिलेगा वहाँ समाज सुन्दर व स्वस्थ होगा। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को स्वस्थ रहना चाहिए। (ख) मोबाइल फोन विज्ञान की इस तरक्की से हम कहाँ से कहाँ तक पहुँच चुके हैं। बच्चों से बुजुर्गों तक के जीवन में एक रचनात्मक परिवर्तन ला दिया है। जो कुछ बचा था वो मोबाइल कम्पनियों ने पूरा कर दिया है। कुछ प्राइवेट कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा की बाढ़ सी आ गई है। आज के स्मार्ट फोन का प्रयोग करके हमें ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा प्राप्त हुई है। रेलवे टिकट, दवा, भोजन आदि सभी मोबाइल से घर बैठे मँगवा सकते हैं। विद्यार्थी वर्ग में यू-ट्यूब, व्हाट्सएप से शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक परिवर्तन लाकर इस क्षेत्र में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। दूसरा शौपिंग के क्षेत्र में भी परिवर्तन आए हैं। फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी कम्पनियों ने भयंकर परिवर्तन ला दिया है। नौकरियों के लिए भी मोबाइल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जिससे मोबाइल इन्टरनेट वरदान साबित हुआ है। लाभ के साथ-साथ इसकी हानियाँ भी उतनी अधिक हैं। समाज में आतंकवादी भी इससे हानि पहुँचा रहे हैं। विद्यार्थी भी अपना अधिक समय इस पर बिताते हैं इससे उनको शारीरिक हानियाँ बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से चोरी भी अधिक बढ़ गई है। आतंकी फोन पर वायरस व स्पामिंग आदि भेजकर गोपनीय जानकारी चोरी करके आपराधिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते है कि मोबाइल के लाभ-हानि दोनों है। (ग) एक ठंडी सुबह पास की नहर भी जम गई थी पेड़ों के पत्तों पर बर्फ चमक रही थी। बर्फ के छोटे-छोटे कण सूरज के हल्की किरणों से जगमगा रहे थे। चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। मेरा शरीर एक दम सुन्न सा पड़ गया था और काँपने भी लगा था। सामान्य सर्दी में रहने वाले हम इतनी बर्फ वाली ठंड में जो कभी न देखी न ही सही अब तक केवल सपनों आशाओं में कल्पना करते थे आज प्रत्यक्ष देखने व सहने से जीवन का आनन्द मिल रहा था तो आज का दिन याद तो रहेगा ही। इस प्रकार के मौसम से
सीख मिलती है कि जीवन के अनेक रंग हैं जिसका आनन्द प्रश्न 14. आशा है आप हमारी इस समस्या को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द दूर करेंगे। अथवा प्रेषक, प्रश्न 15. ‘सूचना’ पुस्तक कोष हेतु’ विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में एक निर्धन बच्चों के लिये पुस्तक कोष बनाया जा रहा है। सभी विद्याथियों से निवेदन है कि वे अपनी पुरानी कक्षा की पाठ्य पुस्तकों को उदारतापूर्वक इस कोष में जमा कर सकते हैं जिसमें कक्षा 1 से XII की पुस्तक ही मान्य होगी। आपके इस उदारतापूर्वक कार्य से निर्धन बच्चों को आगे भविष्य में सहयोग होगा और वह अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकेंगे। अथवा उत्थान विद्यालय जिसका भी यह बटुआ है वह दिनांक 18-3-20XX से दिनांक 25-3-20XX तक सुबह 10 बजे से 1 बजे तक छात्र सचिव से संम्पर्क कर ले सकते हैं। इसके लिए उनके पास अपना पहचान पत्र या अन्य संबंधित पहचान पत्र होना जरूरी है। संपूर्ण जानकारी के बाद ही उन्हें वापस किया जा सकेगा। प्रश्न 16. अथवा राम– श्याम देखो कितनी बुरी दुर्घटना है। प्रश्न 17. Class 10th Hindi A Previous Year Question Paper – 2019खण्ड ‘क’ प्रश्न 1. दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्हें
मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। (ख) ‘देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है।’ इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है? [2] (ख) हालदार साहब को लगा कि कैप्टन जो मूर्ति का चश्मा बदलता रहता था, पान वाले ने उसका मजाक उड़ाया था। नेता जी की प्रतिमा देशभक्ति की परिचायक थी। हालदार साहब को यह कतई पसन्द नहीं था कि प्रतिमा से संबंधित किसी चीज का कोई मजाक उड़ाए। वे बार-बार सोचते कि उस कौम का क्या होगा जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-जिन्दगी सब कुछ देश पर न्योछावर करने वालों पर हँसती है। उन्हें बहुत खराब लगा कि देश भक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है। (ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब ने देखा कि मूर्ति का चश्मा बदल गया था। साईकिल पर चश्मे बेचने वाला मूर्ति का चश्मा बदल दिया करता था। मोटे फ्रेम वाले चश्मे की जगह तार के फ्रेम वाले चश्मे ने ले ली थी। प्रश्न 2.
(ग) काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक हैं। काशी आज भी बिस्मिल्ला खाँ के सुर पर सोती और जागती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा हीरा रहा है जो दो कौमों को एक होने की प्रेरणा देता है। प्रश्न 3. (ख) गोपियाँ उद्धव को कहती हैं कि हम तो पूरी तरह कृष्णमय हो गई हैं और हमें योग की जरूरत नहीं है। हमारा मन भ्रमित नहीं है। इस योग की आवश्यकता तो उनको है। जिनका मन चकरी के समान घूमता रहता है, एक जगह नहीं लगता, इसलिए इस योग को ऐसे लोगों को सौंप दो। (ग) गोपियाँ कहती हैं कि योग उन्हें कड़वी ककड़ी की तरह लगता है जिसे खाया या निगला नहीं जा सकता है। गोपियाँ यह भी कहती हैं कि वे पूरी तरह कृष्णमय हो गई प्रश्न 4. (ग) कन्यादान कविता में उल्लेखित कुरीतियाँ
(घ) यद्यपि संगतकार की आवाज कमजोर और काँपती हुई थी, परन्तु वह आवाज की कमी उसकी विफलता नहीं थी। वह प्रयास करता था कि गायक के रूप में उसकी आवाज मुख्य गायक से अधिक महत्त्वपूर्ण न हो जाए। इसलिए यह उसकी विफलता नहीं, मनुष्यता का सूचक है। वह दूसरों को आगे बढ़ाता और स्वयं को पीछे रखता है। प्रश्न 5. खण्ड ‘ख’ प्रश्न 6. आपके असहयोग का उद्देश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है। अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए । अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने जिम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती हैं। लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं। मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने
गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृभक्ति के कारण अपने पिता के दोषों को सहन करता है। मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आँख बंद नहीं करता। यह सुधारने वाला प्रेम है। (क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते| [2] प्रश्न 7. खण्ड ‘ग’ प्रश्न 8. (ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए) (ग) सरल वाक्य : गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द ले रहे थे। प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. खण्ड “घ” प्रश्न 12.
(ख) पर्वो का बदलता स्वरूप
(ग) बीता समय फिर लौटता नहीं
उत्तर: पर इन सबके बावजूद महानगरों की चमक-दमक का आकर्षण गांवों के लोगों को अपनी तरफ खींचता है। महानगरों में खाने-पीने की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। बढ़ते हुए ट्रांसपोर्ट की वजह से वहाँ का वातावरण बहुत प्रदूषित रहने लगा है। इसलिए न वहाँ शुद्ध हवा मिलती है और न ही शुद्ध जल । महानगरों में मध्यम वर्गीय नौकरी-पेशा लोगों को एक और समस्या का सामना करना पड़ता है, वह है दिखावा या दूसरे शब्दों में आन-बान-शान का दिखावा । घर में, आस-पड़ोस में कोई समारोह हो तो ब्यूटी पार्लर, पहनने वाले एक-एक कपड़े और आभूषण का नया होना एक अनिवार्य अंग बन गया है और अगर घर में या रिश्तेदारी में शादी समारोह हो तो लेन-देन का दिखावा अपने चरम पर पहुँच जातो है। इन सब बातों को सामने रखें तो महानगरीय जिन्दगी ‘ में आराम कम और कठिनाइयाँ ज्यादा हैं। (ख) पर्वो का बदलता स्वरूप समय के साथ-साथ हमारे सभी पर्व और त्योहारों का स्वरूप बदलता जा रहा है। पहले किसी भी पर्व में लोग पूरे उत्साह से भाग लिया करते थे, मंदिरों में पूरी श्रद्धा से पूजा-पाठ चला करता था। प्रत्येक घर में किसी न किसी रूप में एक मंदिर भी हुआ करता था। परन्तु आधुनिक युग में लोगों के पास समय को अभाव रहने लगा। जो लोग किसी पर्व को मनाते भी हैं उनमें ज्यादातर सिर्फ औपचारिकता दिखाने लग गए हैं। भारत में कई पर्व ऐसे भी हुआ करते थे जिसमें आदमी और औरतें दिन-भर का उपवास रखते थे, परन्तु अब इसमें किसी की कोई रुचि नहीं बची। पर्वो व त्योहारों के परंपरागत तरीके को हम अगर याद करें, तो त्योहार किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के मुख्य अंग, स्वरूप एवं प्रतीक हुआ करते हैं। उनसे यह जाना जाता है कि कोई राष्ट्र, वहाँ रहने । वाली जातियों, उनकी सभ्यता और संस्कृति कितनी अपनत्वपूर्ण, जीवंत और प्राणवान है। पुराने वक्त में त्योहारों और पर्यों के अवसर पर ये घर-परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों को समीप आने, मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद को साझा बनाने के अवसर होते थे। पर्वो और त्योहारों के बदलते स्वरूप के लिए आज बाजार का बढ़ता प्रभाव है। किसी भी पर्व को लोकप्रिय बनाने के लिए उससे सम्बन्धित गानों की सीडी छोटे बड़े नये-नये स्टाइल के कपड़े, चुन्नियाँ आदि पहले से मिलनी शुरू हो जाती हैं। बाजार के बदलते और बढ़ते प्रभाव के कारण दिवाली चाइनीज पटाख़ों से भर जाती है। (ग) बीता समय फिर लौटता नहीं समय यानी वक्त एक ऐसी चीज़ है कि एक बार वो बीत जाये तो फिर नहीं आता और इस बात का मलाल रहता है। कि वह काम समय पर क्यों नहीं किया। विशेषतः आफिस में, समय पर काम न होने से कई बार आर्थिक नुकसान तक हो जाता है। इसलिए सभी को समय के महत्व को समझना जरूरी है। समय वह धन है जिसका सदुपयोग न करने से वह व्यर्थ चला जाता है। हमें समय का महत्त्व तब पता लगता है जब दो मिनट के विलंब के कारण गाड़ी छूट जाती है। जीवन में वही व्यक्ति सफल हो पाते हैं। जो समय का पालन करते हैं। लोगों को अपने समय को नियोजित करने की कला भी आनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को एक मीटिंग में जाना है, एक अफसर से अलग मीटिंग है, और शाम को अपनी शादी की सालगिरह की पार्टी भी देनी है, तो इसमें हर एक काम के लिए समय निकालना पड़ेगा। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बेकार की बातों में समय को आँवा देते हैं। मनोरंजन के नाम पर भी बहुत समय
आँवाया जाता है। बहुत से व्यक्ति समय गॅवाने में जैसे-मोबाईल पर गेम खेलने, बेकार की व्हाट्स ऐप पर बातें लिखने में आनंद का अनुभव करते हैं, परन्तु यह प्रवृत्ति हानिकारक है। समय के ऊपर तुलसीदास ने ठीक ही कहा है प्रश्न 13. परन्तु पुलिस से मीटिंग के बाद, पार्क के पास एक बोर्ड लगवाया गया कि उस क्षेत्र में कूड़ा फेंकना मना है। पुलिस विभाग के एक सब-इंस्पेक्टर की नियुक्ति ने कूड़ा डालने वालों को वहाँ आने से मना कर दिया। फिर आसपास के रिहायशी इलाकों वाले लोगों के साथ पार्क में एक फुटपाथ का निर्माण कर पार्क को एक नया रूप मिला। अब सुबह और शाम को लोग पार्क में घूमने आने लगे हैं और इसका श्रेय पुलिस विभाग को मिलना चाहिए। एक बार फिर से इस क्षेत्र के लोग आपको धन्यवाद देते हैं। हमारे देश में अब अगले महीने दीपावली का पर्व आ रहा है। जहाँ तक दियों या बल्ब से शहर का रोशन होना बहुत अच्छा । लगता है वहीं दिवाली और दिवाली से पूर्व पटाखे चलाने से। होने वाले प्रदूषण से वातावरण इतना खराब हो जाता है कि
पटाखों से निकलने वाले सल्फर के कणों के कारण सांस लेना। दूभर हो जाता है और यह कई बीमारियों की जड़ है। इसलिए मैं तो तुमसे यही कहना चाहूँगा कि खुद भी पटाखे चलाने से परहेज करो और अपने आसपास के लोगों को भी पटाखों से। होने वाले प्रदूषण के बारे में बताओ। प्रश्न 14. सभी विद्यार्थियों के परिवारीजन वार्षिकोत्सव व प्रदर्शनी में आमन्त्रित हैं। Class 10th Hindi B Previous Year Question Paper – 2019खंड ‘क’ प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) तताँरा को देखते ही वामीरो फूट-फूट कर
रोने लगी। (मिश्र वाक्य में) प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. खंड ‘ख’ प्रश्न 6. प्रश्न 7. हम लेखक के विचारों से सहमत हैं क्योंकि इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली में बालकों की मौलिकता नष्ट हो जाती है, उसको स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता। अथवा बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ा। इस बढ़ती हुई आबादी ने प्रकृति के संतुलन को गड़बड़ा दिया। इस आबादी ने समुद्र को पीछे धकेलना शुरू कर दिया, पेड़ों को रास्ते से हटाना और प्रदूषण को बढ़ाना शुरू कर दिया। पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर कहीं भाग गए। वातावरण में गर्मी होने लगी। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण प्रदूषित हो गया। ईश्वर ने धरती के साथ-साथ अनगिनत ऐसी वस्तुएँ बनाई हैं, जो मानव हित में हैं, लेकिन स्वयं को बुधिमान समझने वाला मानव इन सबसे लाभ उठाकर स्वार्थी हो गया। स्वार्थ के वशीभूत होकर उसने नई-नई खोज करनी शुरू कर दीं। नई-नई खोजों की लालसा में उसने प्रकृति का अत्यष्टि कि दोहन करना शुरू कर दिया। दोहन इतना अधिक था कि सहनशील प्रकृति व्याकुल हो उठी। प्रकृति के इस असंतुलन का परिणाम यह भी हुआ कि पक्षियों ने बस्तियों से भागना शुरू कर दिया। अब भयंकर गर्मी पड़ने लगी। भूकंप, बाढ़, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा आने लगीं। नित्य नए-नए रोग पनपने लगे। इन सभी समस्याओं का समाधान है कि आबादी पर रोक लगाई जाए। प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए और प्रकृति ‘ के साथ छेड़-छाड़ बंद करके अधिकाधिक वृक्षारोपण किया जाए। प्रश्न 8. (ग) ग्रीष्म ऋतु की भयंकर गर्मी की मार के कारण सारा संसार तपोवन के समान तप रहा हैं तेज गर्मी सहन नहीं हो पा रही है। इसलिए बिहारी ने ‘जगतु तपोवन’ शब्दों का प्रयोग किया है। प्रश्न 9. अथवा ‘मनुष्यता’ कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त अपनों के लिए जीने-मरने वालों को मनुष्य तो मानता है, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है कि ऐसे मनुष्यों में मनुष्यता के पूरे-पूरे लक्षण भी हैं। वह तो उन मनुष्यों को ही महान मानता है। जो अपना और अपनों के हित चिंतन से कहीं पहले, दूसरों का हित चिंतन करते हों। उनमें परोपकार प्रेम, एकता, दया, करूणा और त्याग जैसे गुण हों, जिसके कारण युगों-युगों तक लोग उन्हें याद कर सकें। ऐसे लोगों की मृत्यु को ही सुमृत्यु कहा जाता है। रंतिदेव, दधीचि, उशीनर, कर्ण आदि ऐसे ही महान व्यक्ति थे। हमें कभी भी वैभव और धन में अंधा नहीं हो जाना चाहिए। सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के | लिए जीता है और मरता है और एकमत होकर आगे बढ़ता है। प्रश्न 10. टोपी को इफ्फन की दादी से बेहद लगाव है, जबकि उसे अपनी दादी बिल्कुल अच्छी नहीं लगती। जिस स्नेह और अपनेपन को वह अपने घर में हूँढता था, वह उसे इफ्फन के घर, उसकी दादी से मिलता था। जब इफ्फन की दादी को देहांत हुआ तो वह बहुत उदास हो गया। उसने कहा तेरी दादी की जगह मेरी दादी क्यों नहीं मर गई। उस दिन दोनों खूब रोए। टोपी और इफ्फन की मित्रता ऐसी थी कि दोनों को एक-दूसरे के बगैर चैन नहीं मिलता था। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया था कि मित्रता की भावना को मजहब और जाति की दीवारों में कैद नहीं किया जा सकता। आज समाज में टोपी और इफ्फन जैसी मित्रता की बहुत अधिक आवश्यकता है। बच्चों में उत्पन्न प्रेम और अपनेपन का आधार मजहब या सम्पन्न परिवार के लोग नहीं होते। यह भी सच है कि मनुष्य पहले मनुष्य है, वह हिंदू या मुसलमान बाद में है। टोपी और इफ्फन की मित्रता से हमें प्रेरणा मिलती है। कि ऐसी सच्ची मित्रता सांप्रदायिक भावना, तनाव और झगड़ों को समाप्त करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है। ऐसी मित्रता समाज में मौजूद मजहब की दीवारों को भी तोड़ सकती हैं। अथवा महंतों से कोई भी समाज यह अपेक्षा रखता है कि ये ईश्वर के दिखाए मार्ग से लोगों को अवगत कराएँ, धर्म और अधर्म की वास्तविक परिभाषा को लोगों के समक्ष लाएँ, दुःखियों और बेसहारों को मंदिर/आश्रम इत्यादि में स्थान देकर उनमें भगवान के प्रति आस्था एवं विश्वास जगाएँ। ‘हरिहर काका’ पाठ में महंत को धूर्त, मक्कार, चालाक, स्वार्थी एवं हिंसक प्रवृत्ति वाला बताया गया है। वह हरिहर काका को अपने जाल में फंसाने को हर संभव उपाय करता है। पहले समझाता-बुझाता तथा अच्छे खाने का जाल फेंकता है, फिर हरिहर काका को पिटवाने तक से बाज नहीं आता। वह एक प्रकार से महंत न होकर एक गुंडा है जो धर्म गुरु का चोगा पहनकर अनैतिक कार्यों में लिप्त रहता है। वह कहीं से भी धार्मिक व्यक्ति प्रतीत नहीं होता। ठाकुरबारी में साधु-संतों का रहन-सहन, ठाठ-बाट इस बात का प्रतीक था। ठाकुरबारी के साधु-संत कामधाम करने में कोई रुचि नहीं लेते थे। वह ठाकुर जी को भोग लगाने के नाम पर दोनों समय हलवा-पूड़ी खाते थे और आराम से पड़े रहते थे। वे सिर्फ बातें बनाना जानते थे। गाँव के लोगों में ठाकुरबारी के प्रति अंधभक्ति थी। वे लोग ठाकुरबारी में प्रवचन सुनकर और ठाकुरजी के दर्शन कर अपना जीवन सार्थक मानते थे। खंड ‘ग’ प्रश्न 11. एक अंग्रेज डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है। (ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व इसलिए दिया है क्योंकि वे मानते थे कि हँसी अनेक कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हम हँसेंगे, उतनी ही हमारी आयु बढ़ेगी। (ग) हँसी (आनंद) को एक शक्तिशाली इंजन के समान इसलिए बताया गया है क्योंकि हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है और बड़े-से-बड़े शोक और दुःख को ढहाने में सक्षम कर सकती है। (घ) लेखक कहता है कि हँसी और आयु में सीधा संबंध है। जितना अधिक आनंद से हँसेंगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। हेरीक्लेस हर बात पर खीझता था इसलिए बहुत कम जिया, परंतु डेमोक्रीट्स सदैव प्रसन्न रहता था इसलिए 109 वर्षों तक जिया।। (ङ) शीर्षक — ‘हँसना : एक उत्तम औषधि प्रश्न 12. (ख) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’-पंक्ति का अर्थ है कि जो मनुष्य अपने देश और देशवासियों के विकास और उत्थान के लिए प्रयासरत रहते हैं, वे इतिहास के पन्नों पर अमर हो जाते हैं। सदियों तक लोग उनके बलिदान और त्याग को याद करते हैं। इस प्रकार वे सदा के लिए अमर हो जाते हैं। (ग) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों द्वारा कवि साहसी और बलिदानी नवयुवकों के विषय में बताते हुए कह रहे हैं कि सदैव देश और समाज का हित चाहने वाले लोग, दुनिया को अपने बलिदान और त्याग से अपना बना लेते हैं और एक नए राष्ट्र का निर्माण करते हैं। त्याग रूपी इस विष को वे हँसते-हँसते अपने राष्ट्रहित के लिए पी जाते हैं। और इतिहास के पृष्ठों पर अमर हो जाते हैं। खंड ‘(घ)’ प्रश्न 13.
(ख) स्वच्छता आंदोलन
(ग) मन के हारे हार है मन के जीते जीत
उत्तर: आत्मनिर्भरता की वह जीवंत मूर्ति होता है। हमारा अन्नदाता इतनी कठोर परिस्थितियों में जीवन-यापन करता है। उसके कच्चे घर के चारों ओर लहलहाते खेत ही उसके लिए बगीचा हैं। कृषिप्रधान देश होने के कारण भारत का किसान भारत की रीढ़ है। उसके संकटमय और अभावग्रस्त जीवन को खुशहाल बनाने के लिए उनको सरल ब्याज पर ऋण सुविधाएँ, उनकी फसलों के लिए उचित कीमत और कृषि शिक्षा संबंधी प्रयास अवश्य करने चाहिए। सूखे या अकाल की दशा में उसे सरकार द्वारा मदद दी जानी चाहिए। (ख) स्वच्छता आंदोलन स्वच्छ भारत अभियान को स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है। स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान के आरंभ की घोषणा की। साफ-सफाई को लेकर दुनिया भर में भारत की छवि बदलने के उद्देश्य से इस अभियान को एक जन आंदोलन बनाकर देशवासियों को इससे जोड़ा गया। साफ-सफाई केवल सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी नहीं हैं हमें अपना यह नजरिया बदलना होगा। इस अभियान के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने के लिए सरकार समाचार पत्रों, विज्ञापनों आदि के अतिरिक्त सोशल मीडिया का भी उपयोग कर रही है। आजकल बड़े-बड़े शहरों में नगर निगमों ने घर-घर से कूड़ा उठवाने की व्यवस्था कर दी है। पहले घर के सामने ही घर का कूड़ा-करकट फेंक दिया जाता था। गाँवों में तो आज भी गली-खरंजों पर पशु बाँधकर गंदगी फैलायी जाती हैं जगह-जगह पर जल भराव, गड्डे, कीचड़ की गंदगी से जीवन दूभर हो जाता है। अब नागरिक जाग उठा है तथा इन सभी कारणों पर ध्यान देने लगा है। गंदगी से अनेक बीमारियाँ फैलती हैं जो हमारे परिवार के बच्चों को हानियाँ पहुँचाती हैं। आज देश का हर नागरिक जागरूक है तथा हेमारी ‘सरकार भी इस ओर अपना पूरा ध्यान दे रही है। (ग) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत “जो भी परिस्थितियाँ मिलें, काँटे चुभे कलियाँ खिलें, हारे नहीं इंसान, है संदेश जीवन का यही” मनुष्य का जीवन चक्र अनेक प्रकार की विविधताओं से भरा होता है जिसमें सुख-दुःख, आशा-निराशा तथा जय-पराजय के अनेक रंग समाहित होते हैं। वास्तविक रूप में मनुष्य की हार और जीत उसके मनोयोग पर आधारित होती है। मन को सीधा संबंध मस्तिष्क से है। मन में हम जिस प्रकार के विचारों को रखते हैं, हमारा शरीर उन्हीं के अनुरुप ढल जाता है। हमारा मन यदि निराशा व अवसादों से घिरा हुआ है. तब हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप शिथिल पड़ जाता है, परंतु दूसरी ओर यदि हम आशावादी हैं। और हमारे मन में कुछ पाने व जानने की तीव्र इच्छा हो तथा हम सदैव भविष्य की ओर देखते हैं तो हम प्रगति की ओर बढ़ते जाते हैं। इसलिए सच ही कहा गया है कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत हमारी पराजय का सीधा अर्थ है कि विजय के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया गया। यदि मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे मन को संयमशील बनाकर ऊँची भावनाओं का स्वामी बनना चाहिए। मनोबल से मनुष्य लौकिक ही नहीं लोकोत्तर शक्तियाँ भी प्राप्त कर सकता है। मानसिक शक्ति के संयम में ही सच्ची सफलता का बीज निहित है। प्रश्न 14. उनके साहस और ईमानदारी को देखते हुए मैंने उन्हें 1,000 रुपए का पुरस्कार देना चाहा, परंतु उन्होंने लेने से इंकार कर दिया और कहा कि “मैंने अपना कर्तव्यपालन किया है।” मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि श्री रामविलास को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाए जिससे कि अन्य व्यक्ति भी इनसे प्रेरणा लें। अथवा प्रबंधक महोदय प्रश्न 15. अथवा सूचना प्रश्न 16. अथवा राकेश : अरे सीमांत इतनी जल्दी-जल्दी कहाँ चले जा रहे हो ? प्रश्न 17. Related Articles:
FAQs on Class 10 Hindi Previous Year Question PapersQ. When will CBSE conduct the Class 10th Term 2 Examination? CBSE will begin Class 10th Term 2 Examination from 26th April 2022 onwards. Q. Where I can get CBSE Class 10th Hindi Previous Year Question Papers? You can get CBSE Class 10th Hindi Previous Year Question Papers on this page. we have covered CBSE Class 10th Hindi Previous Year Question Papers with their solutions on this page. Q. How can I get full marks in Hindi class 10? Complete the syllabus of Hindi for the Class 10th examination and practice CBSE Class 10th Hindi Previous Year Question Papers given on this page to get full marks in Class 10th Hindi. Q. Which website is best for previous year’s question papers of CBSE Class 10th? The official website of Adda247 school is best to get all the previous year’s question papers for CBSE Class 10th. कमल के फूल से हमें क्या सीख मिलती है?कमल
कमल का फूल कीचड़ में ही क्यों होता है?इसके बाद कमल का दुर्बल तना जल के कारण सीधी खड़ा रखने में मदद करता है जो प्रकाश संश्लेषण में मदद करता है और पत्तियों के उपर पाया जाने वाला मोम का परत पत्तियों को सड़ने से बचाती है । इस प्रकार सभी अनुकुल परिस्थितियों के कारण कमल कीचड़ में ही खिलता है।
फूल से हमें क्या मिलता है?उत्तर : फूलों से हमें हंसते मुस्कुराते रहने का संदेश मिलता है फूल खिलकर और खुशहाली का संदेश फैलाता है फूल खिल कर हमें विभिन्न परिस्थितियों में भी हंसने का संदेश देते हैं फूल हमें खुश रह कर सारे जग को खुश एवं प्रसन्न रहने का संदेश देते हैं वह हमेशा चारों और का सकारात्मक का वातावरण बनाते हैं
कमल का फूल किसका प्रतीक है?कमल का फूल शांति और संस्कृति का प्रतीक है।
कमल का फूल भारत का राष्ट्रीय फूल भी है, यह भारत में सदैव संस्कृति का प्रतीक रहा है। भारतीय संस्कृति में कमल के फूल का बड़ा महत्व है। कमल का फूल किसी तालाब या कीचड़ आदि में खिलने वाला फूल होता है। कमल के फूल को योग और अध्यात्म के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
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