क्या भारत में कोयला की कमी हो गई है? - kya bhaarat mein koyala kee kamee ho gaee hai?

Last Updated: October 10, 2021 10:43 IST

कोयले की कमी के बीच देश में 'बिजली संकट' का खतरा, ऊर्जा मंत्रालय ने बताए संकट के चार कारण

इस वक्त कोयले की भारी कमी (India Coal Shortage) के कारण भारत के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कोयले की कमी का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है।


इस वक्त कोयले की भारी कमी (India Coal Shortage) के कारण भारत के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कोयले की कमी का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है। राजधानी दिल्ली समेत पंजाब और अन्य कई राज्यों में बिजली संकट (Power Crisis) गहराने लगा है। कहा जा रहा है कि देश में बिजली संकट पैदा हो सकती है। इस बीच विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power ) ने बिजली की मांगों में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ कोयले के भंडार में कमी के चार कारणों को सूचीबद्ध किया है। बता दें कि बिजली की किल्लत देश की आर्थिक स्थिति में सुधार और उपलब्ध कोयले के भंडार पर दबाव के बाद देखी गई है।

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कोयले के भंडार में कमी के चार कारण

  1. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार होने की वजह से बिजली की मांग बढ़ी है।
  2. सितंबर 2021 के महीने के दौरान कोयला खदान क्षेत्रों में भारी वर्षा, जिससे कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदानों से कोयले की डिलिवरी भी प्रभावित हुई।
  3. आयातित कोयले की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में भारी कमी आई है, जिससे घरेलू कोयले पर अधिक निर्भरता बढ़ गई है। इससे कोयले की किल्लत भी हुई है। 
  4. इसके बाद मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त कोयले के भंडार का निर्माण न होने से कोयला खदानों पर प्रभाव पड़ा है। 

कोयला भंडार की निगरानी के लिए केंद्र की पहल

इस बीच कोयला भंडारण और उसके वितरण के प्रबंधन के लिए विद्युत मंत्रालय और केंद्र सरकार द्वारा एक कोर मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) बनाई गई है। विद्युत मंत्रालय द्वारा आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रबंधन टीम का गठन पहले 27 अगस्त को किया गया था, जिसमें एमओपी, सीईए, पोसोको और रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड सहित विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। टीम को दैनिक आधार पर कोयला स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन और मंत्रालयों के साथ आगे की कार्रवाई का काम सौंपा गया है। इससे पहले शनिवार को किए गए कार्यों की स्थिति को समझने के लिए समीक्षा बैठक की गई। 

यह भी पढ़ें: कोयला संकट: टाटा पावर डीडीएल की दिल्ली के लोगों से बिजली का संयंमित इस्तेमाल करने की अपील

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रबंधन टीम का गठन पहले 27 अगस्त को किया गया था, जिसमें एमओपी, सीईए, पोसोको और रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड सहित विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। टीम को दैनिक आधार पर कोयला स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन और मंत्रालयों के साथ आगे की कार्रवाई का काम सौंपा गया है। इससे पहले शनिवार को किए गए कार्यों की स्थिति को समझने के लिए समीक्षा बैठक की गई। 

वहीं कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड ने सुनिश्चित किया है कि अगले तीनों में पावर सेक्टर को 1.6 मीट्रिक टन कोयला पहुंचाया की कोशिश रहेगी और साथ ही इसे आगे बढ़ाकर 1.7 मिट्रिक टन किया जाए। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इससे भविष्य में पावर प्लांट्स में कोल स्टॉक बढ़ेगा।

First Published: 10th October, 2021 10:43 IST


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भारत में कोयले की कमी क्यों हो गई?

इसकी वजह है डिमांड और सप्लाई का खेल. पॉवर मिनिस्ट्री के मुताबिक, 29 अप्रैल को देश में बिजली की डिमांड ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 28 अप्रैल को देश में बिजली की डिमांड 2.07 लाख मेगावॉट थी. लेकिन इतनी डिमांड होने के बावजूद कोयले की सप्लाई नहीं हो पा रही है.

क्या भारत में कोयला खत्म हो गया है?

भारत में 107 साल का कोयला बचा है भारत की सरकार के आंकाड़ों की मानें तो हमारे पास 319 साल का कोयला है। अगर इंटरनेशनल एजेंसी की माने तो 107 साल कोयला और बचा हुआ है।

भारत में कोयला की स्थिति क्या है?

भारत में 319 अरब टन कोयले का भंडार है. भारत ने साल 2019-20 में 73.08 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया जबकि साल 2020-21 में ये उत्पादन 71.60 करोड़ टन रहा. 2020 में कोरोना महामारी की वजह से बिजली खपत कम होने के कारण कोयले की खपत भी कम हुई और इसका असर उत्पादन पर भी हुआ.

कोयला क्यों खत्म हो गया?

वैश्विक उच्च कीमतों के कारण कम आयात, बाढ़ से प्रभावित उत्पादन और परिवहन, और कोयला उत्पादकों और कोयले से चलने वाले प्लांट्स के बीच पॉलिसी विफलता के कारण, मौजूदा समय में कोयला भंडार की कमी देखने को मिल रही है.