कक्षा में अध्यापक कैसी टिप्पणी करके टोपी का अपमान करते थे क्या यह न्यायसंगत है? - kaksha mein adhyaapak kaisee tippanee karake topee ka apamaan karate the kya yah nyaayasangat hai?

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए −
एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?


एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को कई भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता क्योंकि कमजोर लड़कों के रूप में अध्यापक उसका ही उदाहारण देते थे। उसका मज़ाक उड़ाते थे। मास्टर भी उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। फेल होने के कारण उसके कोई नए मित्र भी नहीं बन पाए। मास्टर उसकी किसी भी बात पर ध्यान ही नहीं देते थे वह किसी से शर्म के मारे खुलकर बातें नहीं कर पाता था। पर फिर भी उसने इन चुनौतियों को स्वीकार कर सफलता प्राप्त की।

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इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?


इफ़्फ़न की दादी जमींदारों के परिवार से आई थी इसलिए वहाँ पर किसी भी चीज की कोई कमी न थी परन्तु उनका विवाह मौलवी के साथ कर देने के कारण उन्हें पाबंदी में रहना पड़ता था। वह वहाँ दूध, घी, दही खाती थी। लखनऊ आकर वह इसके लिए तरस गई थी। इसलिए उन्हें पीहर जाना अच्छा लगता था।

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इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?


दादी का विवाह मौलवी परिवार में हुआ था जहाँ गाना बजाना पसंद नहीं किया जाता था। इसलिए इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।

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'अम्मी' शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?


'अम्मी' शब्द को सुनते ही सबकी नज़रें टोपी पर पड़ गई। क्योंकि यह उर्दू का शब्द था और टोपी हिंदू था। इस शब्द को सुनकर जैसे परम्पराओं और संस्कृति की दीवारें डोलने लगीं। घर में सभी हौरान थे। माँ ने डाँटा, दादी गरजी और टोपी की जमकर पिटाई हुई।

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दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?


दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में एक विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि उस दिन टोपी के मित्र इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया था, उसका मित्र उसे छोड़कर मुरादाबाद चला गया था।  अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ और इसी दिन उसने कसम खाई थी कि वह तबादला होने वाले मित्र के साथ दोस्ती नहीं करेगा। इसी दिन से टोपी अकेला भी हो गया था और बाद में वह किसी से दोस्ती भी नहीं कर पाया।  

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इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?


इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। एक दूसरे के बिना अधूरे थे परन्तु दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी। इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कह कर हल्का कर लेता था परन्तु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था। अत इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

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1. टोपी ज़हीन अर्थात् बहुत तेज़, होशियार व मेहनती लड़का था किंतु फिर भी वह नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। इसके दो कारण थे 

  • पहले साल तो वह पढ़ ही नहीं पाया क्योंकि घर के सदस्य उससे अपने-अपने काम करवाते थे जिस कारण उसे पढ़ने का समय ही न मिल पाता था। 
  • दूसरे साल उसे टाइफाइड हो गया इस कारण वह पास न हो पाया था। 

2. एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को निम्नलिखित भावनात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा 

  • वह अकेला पड़ गया था क्योंकि उसके दोस्त दसवीं कक्षा में थे और इसमें उसका कोई नया दोस्त नहीं बन पाया। 
  • वह शर्म के कारण किसी के साथ अपने दिल की बात न कर पाता था। 
  • वह अध्यापकों की हँसी का पात्र होता था क्योंकि कक्षा में आने पर अध्यापक कमज़ोर लड़कों के रूप में उसका उदाहरण देते और उसे अपमानित करते हुए व्यंग्य करते थे। 
  • कक्षा के छात्र भी उसका मज़ाक उड़ाते थे। 

3. टोपी के भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में कुछ आवश्यक बदलावों की आवश्यकता है। सुझाव इस प्रकार हैं| 

  • किसी भी छात्र को एक ही कक्षा में दो बार फेल नहीं करना चाहिए, दूसरी बार उसे अगली कक्षा में बैठा देना चाहिए। 
  • छात्र जिस विषय में पास न हो रहा हो, उसे उससे हटा दिया जाए। विषय चुनाव की छूट मिलनी चाहिए। 
  • बच्चों को अंकों के आधार पर नहीं अपितु ग्रेड के आधार पर अगली कक्षा में भेज देना चाहिए ताकि वह अपनी । स्थिति पहचान कर मेहनत कर सके। 
  • अध्यापकों को कड़ा निर्देश देना चाहिए कि कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अपमानित न कर उनका हौसला बढ़ाते हुए उनकी मदद करें।