कहानी के अंत में अलोपीदीन ने वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? - kahaanee ke ant mein alopeedeen ne vansheedhar ko mainejar niyukt karane ke peechhe kya kaaran ho sakate hain?

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Question

कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते?

Solution

कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को नियुक्त करने के पीछे बहुत से कारण थे- (क) अलोपीदीन ने धन का लालच देकर लोगों को अपनी अंगुलियों में नचाया था। वंशीधर के चरित्र की दृढ़ता उन्हें हरा गई। उन्होंने धन की शक्ति और लोगों के प्रति अलोपीदीन की राय बदल दी। (ख) अलोपीदीन को अभी तक भ्रष्ट लोग मिले थे। वंशीधर की ईमानदारी का वह कायल हो गया। 40 हज़ार रुपयों का लालच भी वंशीधर की ईमानदारी खरीद नहीं पाया। अलोपीदीन के लिए यह हैरानी की बात थी। (ग) वह जानता था कि धन का लालच देकर किसी को भी खरीदा जा सकता था। अतः वह अपने व्यवसाय के लिए ऐसे व्यक्ति की तलाश में था, जो किसी अन्य के लालच देने पर उसे धोखा न दे दे। वंशीधर के रूप में उसे ऐसा व्यक्ति मिल गया। अतः उसने तनिक भी देर न कि और वंशीधर जैसे हीरे को अपनी संपत्ति का मैनेज़र नियुक्त कर दिया। उसे अपनी संपत्ति का सही रक्षक मिल गया था। प्रेमचंद ने जैसा अंत किया है, वैसा अंत शायद ही और कोई व्यक्ति दे पाता। हम भी ऐसा ही अंत देते। अतः इससे अच्छा अंत और कोई नहीं हो सकता है।

कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या?

उत्तर: कहानी के अंत में अलोपीदीन द्वारा वंशीधर को नियुक्त करने का कारण तो स्पष्ट रूप से यही है कि उसे अपनी जायदाद का मैनेजर बनाने के लिए एक ईमानदार मिल गया।

नमक का दरोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू पर उभर कर आते हैं?

नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? एक – पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करनेवाला भ्रष्ट व्यक्ति। ... दोकहानी के अंत में उसका उज्ज्वल चरित्र सामने आता है। ईमानदारी एवं धर्मनिष्ठा के गुणों की कद्र करनेवाला व्यक्ति।

पंडित अलोपीदीन वंशीधर को कितनी तनख्वाह देने वाला था?

पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को ₹25,000 तक की रिश्वत देने की लालच दिया किंतु उन पर धन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यहां तक कि ₹40,000 पर भी नहीं। धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला और दरोगा जी ने पंडित अलोपीदीन को हिरासत में ले लिया। पंडित अलोपीदीन हथकड़ियों को देखकर मूर्छित होकर गिर पड़े।

अलोपीदीन संपदा में वंशीधर क्या बने?

अलोपीदीन की संपदा में बंशीधर मैनेजर बने