झारखंड में सरहुल पूजा कब है? - jhaarakhand mein sarahul pooja kab hai?

झारखण्ड के सभी आदिवासी “सरहुल” के नाम से जाने वाले अपने नए साल को चैत्र महीने की अमावस्या के तीन बाद मानते हैं। सरहुल के दिन प्रदेशीय स्तर पर छुट्टी मनाई जाती है और यह उत्सव बसंत ऋतु की शुरुवात का समय होता है।

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
2023 24 मार्च शुक्रवार सरहुल JH
2024 11 अप्रैल गुरूवार सरहुल JH
2025 1 अप्रैल मंगलवार सरहुल JH
2026 21 मार्च शनिवार सरहुल JH
कृपया पिछले वर्षों की तारीखों के लिए पृष्ठ के अंत तक स्क्रॉल करें।

झारखण्ड में ओरों, हो और मुंडा नाम की आदिवासी प्रजातियाँ अपने सभी रीति रिवाजों का पालन करते हुए, इस नए साल के उत्सव को पूरे जोश के साथ मनाती हैं। सरहुल का वास्तविक अर्थ होता है पेड़ों की पूजा करना और प्रकृति की उपासना करना। इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

स्थानीय लोग रंग बिरंगे कपड़े और सुन्दर पहनते हैं। साथ ही में, यह लोग “बा पोरोब” नाम का भी उत्सव मनाते हैं जो की फूलों से जुड़ा त्यौहार है। सरहुल के दिन, यहाँ पर सरहुल नृत्य करा जाता है, साल के पेड़ की पूजा करी जाती है और कई कार्यक्रम करे जाते हैं।

सरहुल के दिन कई तरह का स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है। इस दिन चावल से बना “हंडिया” नाम का व्यंजन बनता है, कई सारी सब्जियाँ बनती हैं और “सूखी मछली“ भी बनती है, जिसमे मछली को सुखा कर या भून कर बनाया जाता है। इस दिन कई तरह के फल, मशरूम, पत्तों और बीज का सेवन करा जाता है, जो की बसंत ऋतु की शुरुवात को दर्शाता है।

झारखंड में मार्च और अप्रैल महीनो में कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है, जो की कई दिनों तक चलते हैं। यह “सरहुल” है, सरना धर्म के लोगों के नए साल का उत्सव।

पिछले कुछ वर्ष

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
2022 4 अप्रैल सोमवार सरहुल JH
2021 15 अप्रैल गुरूवार सरहुल JH
2020 28 मार्च शनिवार सरहुल JH
2019 7 अप्रैल रविवार सरहुल JH
2018 20 मार्च मंगलवार सरहुल JH
2017 30 मार्च गुरूवार सरहुल JH

सरहुल पूजा कब है 2022?

सरहुल 2023, 2024 और 2025.

झारखंड का सरहुल पर्व कब है?

सरहुल आदिवासियों का प्रमुख पर्व है, जो झारखंड, उड़ीसा और बंगाल के आदिवासी द्वारा मनाया जाता है. यह उत्सव चैत्र महीने के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है.

सरहुल का मतलब क्या है?

सर मतलब सरई या सखुआ फूल। हूल यानी क्रांति। इस तरह सखुआ फूलों की क्रांति को सरहुल कहा गया। मुंडारी, संथाली और हो-भाषा में सरहुल को 'बा' या 'बाहा पोरोब', खड़िया में 'जांकोर', कुड़ुख में 'खद्दी' या 'खेखेल बेंजा', नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा और कुरमाली भाषा में इस पर्व को 'सरहुल' कहा जाता है।

सरहुल का त्योहार कितने दिन चलता है?

वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्योहार 'सरहुल' प्रकृति से संबंधित पर्व है। “मुख्यतः यह फूलों का त्यौहार है।” पतझड़ ऋतु के कारण इस मौसम में 'पेंडों की टहनियों' पर 'नए-नए पत्ते' एवं 'फूल' खिलते हैं। इस पर्व में 'साल' के पेड़ों पर खिलने वाला 'फूलों' का विशेष महत्व है। मुख्यत: यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है।