These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज are prepared by our highly skilled subject experts. Bal
Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 8 पाठाधारित प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न
8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. मूल्यपरक प्रश्न प्रश्न 1. पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रियता और ज्ञानी। राम ____________, सीता ____________ अभ्यास प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न 1. कुटिया की ओर भागे चले आ रहे राम के मन में कौन-सी आशंकाएँ थीं? दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1. टूटे हुए रथ और टूटी पुष्पमाला को देख राम और लक्ष्मण ने क्या अनुमान लगाया? Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary राम के मन में कई तरह की शंकाएँ थीं, कई तरह के प्रश्न थे। राम को अनिष्ट की आशंकाएँ थीं। उन्होंने सोचा कि सीता अकेली रहीं तो राक्षस उन्हें मार डालेंगे। मन में अनेक भय लिए वे आगे बढ़ रहे थे तभी उनकी नज़र लक्ष्मण पर पड़ी। लक्ष्मण को देखते ही राम की शंका और बढ़ गई। लक्ष्मण ने उन्हें बताया कि देवी सीता के कटु वचनों ने मुझे यहाँ आने के लिए बाध्य किया। राम ने लक्ष्मण से कहा कि “तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके अच्छा नहीं किया। मेरा मन काफ़ी चिंतित है पता नहीं सीता किस हाल में होगी।” कुटिया अभी दूर थी। राम ने वहीं से पुकारा-‘सीते तुम कहाँ हो?’ पर कोई जवाब नहीं आया। राम सीता को पुकारते रहे पर आवाज़ पेड़ों से टकराकर हवा में विलीन हो जाती थी। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। कुटिया में जाकर देखा। सीता का कहीं पता नहीं था। वे अपना सुध-बुध भुला बैठे। राम रोने लगे। सीता से बिछुड़ना उनके लिए असहनीय था। राम की स्थिति विक्षिप्त जैसे हो गई थी। विरह में राम गोदावरी नदी के पास गए। उन्होंने नदी, पेड़-पौधे, हाथी, शेर, फूल, चट्टान पत्थरों से भी सीता के बारे में पूछा। वे अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। राम का दुख लक्ष्मण से देखा नहीं जा रहा था। विलाप करते हुए राम ने लक्ष्मण से कहा- “मैं सीता के बिना नहीं रह सकता।” राम कह रहे थे-“लक्ष्मण तुम अयोध्या लौट जाओ। मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। यहीं प्राण दे दूंगा।” लक्ष्मण ने राम को समझाते हुए कहा कि “आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। हम लोग मिलकर सीता की खोज करेंगे।” राम शांत हो गए। इसी बीच आश्रम के आस-पास भटकने वाला हिरणों का झुंड राम-लक्ष्मण के निकट आ गया। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण की ओर भाग गए। राम ने संकेत समझ लिया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-हमें सीता की खोज दक्षिण दिशा में करनी चाहिए। उन्होंने वन में भटकते हुए टूटे रथ के टुकड़े देखे। इसके अलावा मरा सारथी और मृत घोड़े भी देखे। लक्ष्मण समझ गए कि यहाँ थोड़ी देर पहले ही संघर्ष हुआ है। सीता की वेणी में गुंथी पुष्पमाला को वहाँ पड़े देखा। वहाँ से थोड़ी ही दूरी पर राम ने पक्षीराज जटायु को देखा। जटायु के पंख कटे हुए थे। वह अंतिम साँस गिन रहा था। उसी ने राम को बताया, “रावण सीता को उठा ले गया है। मेरे पंख उसी ने काटे हैं। मैंने रावण से युद्ध किया और लड़ते-लड़ते उसका रथ तोड़ डाला था। मैं सीता को बचा नहीं सका। रावण सीता को लेकर दक्षिण की ओर गया है। इतना कहकर जटायु ने प्राण त्याग दिए।” वहीं राम और लक्ष्मण ने उसका अंतिम संस्कार किया। राम-लक्ष्मण सीता की तलाश में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ने लगे। मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए दोनों भाई आगे बढ़ते गए। आगे का मार्ग काफ़ी कठिन था। उन्हें बार-बार राक्षसों के आक्रमण का सामना करना पड़ता था। एक दिन रास्ते में कबंध नामक राक्षस ने उन लोगों पर आक्रमण किया। वह बहुत ही खतरनाक था। उसने दोनों भाइयों को उठाकर हवा में उड़ा लिया। राम-लक्ष्मण ने तलवार निकाल कर एक झटके में ही उसके हाथ काट डाले। कबंध उनकी शक्ति देखकर हैरान रह गया। उसने उनका परिचय पूछा। राम के बारे में उसने सुन रखा था। अब उन्हें सामने देखकर प्रसन्न हो गया। वह बोला-मैं सीता के संबंध में तो कुछ नहीं जानता लेकिन तुम लोगों की सहायता का उपाय ज़रूर बता सकता हूँ लेकिन मेरा एक निवेदन है कि मेरा अंतिम संस्कार राम करें। राम ने उसका निवेदन स्वीकार कर लिया। तब कबंध ने उन्हें बताया कि-पंपा सरोवर के समीप ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव रहते हैं। आप उन्हीं के पास जाएँ। वे अपने वानरी सेना के साथ सीता को अवश्य खोज निकालेंगे। ‘इतना कहते हुए उसने राम-लक्ष्मण को अपने समीप बुलाया और कहा पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आप शबरी से भी अवश्य मिलना। कबंध की बातों से राम में सीता तक पहुँचने की आशा बलबती हो गई। इतना कहने के बाद कबंध के प्राण निकल गए। राम उसका अंतिम संस्कार कर सरोवर की ओर चल पड़े। वहाँ से वे लोग शबरी की कुटिया में गए। उसकी आयु बहुत थी। वह हर पलं राम की प्रतीक्षा में अपनी आँखें खुली रखती थी। राम को आश्रम में देखकर शबरी बहुत खुश हुई। उसने राम का स्वागत किया। उसने भी सुग्रीव से मित्रता करने को कहा। खाने को मीठे फल व रहने को जगह दी। शबरी ने राम को विश्वास दिलाया कि सुग्रीव सीता की खोज में उनकी अवश्य मदद करेंगे। वे सीता को अवश्य ढूँढ निकालेंगे। उनके पास विलक्षण शक्ति वाले वानर हैं। अगले दिन वे ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मिलने गए। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या 48 पृष्ठ संख्या 49 पृष्ठ
संख्या 50 पृष्ठ संख्या 51 पृष्ठ संख्या 52 जटायु ने सीता के बारे में क्या जानकारी दी?जटायु रामायण का एक प्रसिद्ध पात्र है। जब रावण सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने सीता को रावण से छुड़ाने का प्रयत्न किया था। इससे क्रोधित होकर रावण ने उसके पंख काट दिये थे जिससे वह भूमि पर जा गिरा। जब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते-खोजते वहाँ पहुँचे तो जटायु से ही सीता हरण का पूरा विवरण उन्हें पता चला।
जटायु कौन था class 6?Answer: जटायु एक विशालकाय गिद्ध था। वह राजा दशरथ का मित्र था। राम-लक्ष्मण से उसकी भेंट पंचवटी के मार्ग में हुई।
जटायु कौन है?जटायु अरुण देवता के पुत्र थे। इनके भाई का नाम सम्पाती था। 'रामायण' में सीताजी के हरण के प्रसंग में जटायु का उल्लेख प्रमुखता से हुआ है। जब लंका का रावण सीता का हरण करके आकाशमार्ग से पुष्पक विमान में जा रहा था, तब जटायु ने रावण से युद्ध किया।
शबरी कौन थी और कहां रहती थी class 6?शबरी कौन थी तथा कहाँ रहती थी? उत्तर: शबरी मतंग ऋषि की शिष्या थी। वह पंपा सरोवर के पास बने मतंग ऋषि के आश्रम में रहती थी।
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