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आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है कि जो
गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है वही पूर्ण संत है। चूंकि भक्ति मार्ग का संविधान धार्मिक शास्त्र जैसे – कबीर साहेब की वाणी, नानक साहेब की वाणी, संत गरीबदास जी महाराज की वाणी, संत धर्मदास जी साहेब की वाणी, वेद, गीता, पुराण, कुरआन, पवित्र बाईबल आदि हैं। Pankaj Mehra on Instagram: “पूर्ण संत कौन है? उसकी क्या पहचान है? उत्तर:- कबीर परमात्मा ही पूर्ण संत, पूर्ण गुरु हैं। सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद। चार वेद षट…”@pankaj.dass.948: “पूर्ण संत कौन है? उसकी क्या पहचान है? उत्तर:- कबीर परमात्मा ही पूर्ण संत, पूर्ण गुरु हैं। सतगुरु के…”पूर्ण संत कौन है? उसकी क्या पहचान है? उत्तर:- कबीर परमात्मा ही पूर्ण संत, पूर्ण गुरु हैं। सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद। चार वेद षट…पूर्ण संत कौन है? उसकी क्या पहचान है? उत्तर:- कबीर परमात्मा ही पूर्ण संत, पूर्ण गुरु हैं। सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद। चार वेद षट…पूरी दुनिया में सच्चा गुरु कौन है?पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है। दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है। तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है।
कलयुग में सच्चा गुरु कौन है?अर्थात जो गुरु चार वेद छह शास्त्र और 18 पुराणों आदि सभी सद्ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा वही सच्चा सतगुरु होगा।
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