Export and Import TemplatesYou can export a template to modify it offline and then import it either as a new template or to replace the existing template. You can also export a template to move it to another Oracle Content Management instance and import it there Show Export Templates When you export a template, you essentially copy the template to a folder in Oracle Content Management as a single .zip file. You can download the template package directly from the folder to unpack and work with the individual files. When you’re done working with the template files, create a .zip file containing the template package and import it into your site and overwrite the original template or create a new one. Note: When you export a template, sharing information for the template isn’t included.To export a template:
Import Templates Note: If you import a template to a different server, some links in the default site may not be valid in the new server context. If the site uses reference links to images or other content rather than copying the content directly into the site, that content is not available on the new server. Even if you copy the content to the new server, the content will have a different internal ID, and the link will not be valid. When you import the template, you are notified of the pages that contain invalid reference links.To import a template package:
Import Templates into a Specific Repository You can select a repository and import a template package specifically to it.
आयात किसे कहते हैं आयात जिसे अंग्रेजी में इम्पोर्ट कहते हैं इसका सामान्य अर्थ होता है किसी भी अन्य देश से अपने देश में कुछ मंगाना। विश्व के सभी देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। इस व्यापार में एक देश दूसरे देश से या तो कुछ खरीदता है या उस देश को कोई वस्तु बेंचता है। कई बार अपने देश में किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए या कई बार किसी वस्तु के निर्माण के लिए कच्चा माल के लिए दूसरे देशों से उन वस्तुओं की खरीदारी की जाती है। तो कई बार विदेशों से सर्विस के लिए भी एक देश दूसरे देश को मूल्य चुकाना पड़ता है। अतः वे सारी क्रियाएं जिनके द्वारा हम किसी दूसरे देश से सेवाएं, कच्चा माल, वस्तुएं या अन्य कोई भी सामान पैसे चुकाकर प्राप्त करते हैं अर्थात खरीदारी करते हैं आयात या इम्पोर्ट कहलाता है। ज्यादा आयात किसी देश की अर्थ व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालता है। आयात की वजह से किसी देश की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है। यही वजह है कि हर देश अपने आयात और निर्यात में संतुलन बनाये रखना चाहते हैं। अतः बहुत आवश्यक होने पर ही एक देश दूसरे देश से किसी वस्तु का आयात करना चाहता है। पेट्रोलियम आज की तारीख में एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है और विश्व के अधिकांश देशों के पास पर्याप्त मात्रा में पेट्रोलियम नहीं है। पेट्रोलियम के लिए आज दुनियां के तमाम देश मध्यपूर्व एशिया के खाड़ी देशों पर निर्भर हैं। अधिकांश देश इन खाड़ी देशों से पेट्रोलियम का आयात करते हैं। इसके अलावा खाद्यान्न,दवाएँ, युद्ध सामग्री आदि कई चीज़ों का बहुतायत से कई देशों के द्वारा अन्य देशों से आयात किया जाता है। निर्यात किसे कहते हैं आयात के ठीक विपरीत निर्यात एक देश से दूसरे देशों में वस्तुओं के विक्रय की प्रक्रिया को कहा जाता है। निर्यात को अंग्रेजी में एक्सपोर्ट कहते हैं। निर्यात तब किया जाता है जब अपने देश में किसी वस्तु की सरप्लस मात्रा मौजूद हो। दुनियां के तमाम देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। निर्यात इसी व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। निर्यात में कच्चे पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, युद्ध हथियार, सेवाएं भी शामिल हैं। निर्यात किसी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। अतः हम कह सकते हैं कि वे सभी क्रियाएं जिनके द्वारा कोई देश दूसरे देश को वस्तु या सेवा का विक्रय करता है और उसके बदले में उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है निर्यात कहलाती है। निर्यात किसी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। आज चीन अपने व्यापक निर्यात की वजह से दुनियां में एक आर्थिक महाशक्ति बन कर उभरा है। इलेक्ट्रॉनिक गुड्स से लेकर हर क्षेत्र में उसके प्रोडक्ट का दबदबा है। भारत आईटी सेक्टर में अपने समृद्ध मैनपावर की बदौलत दुनियां के तमाम देशों को आईटी सेक्टर में अपनी सर्विसेज बेंचकर विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। कई देश खाद्यान्न, फल, मीट आदि का निर्यात करते हैं। आयात और निर्यात में क्या अंतर है Difference Between Import and Export
आयात और निर्यात दोनों ही विदेश व्यापार के अंतर्गत आते हैं। एक ही देश किसी वस्तु का आयातक हो सकता है तो दूसरी वस्तु का निर्यातक। खाड़ी देश जहाँ कच्चे तेल के निर्यातक हैं तो वहीँ अनाज, फल, सब्ज़ियों के वे बड़े आयातक हैं। वास्तव में एक देश के लिए आयात दूसरे देश के लिए निर्यात होता है। आयात और निर्यात से वस्तुओं का भण्डारण और खराब होने की संभावना जहाँ ख़त्म होती है वहीँ दूसरे देश जहाँ उसकी कमी है उनको उसका लाभ मिल जाता है और उसका सदुपयोग हो जाता है। इसके साथ ही निर्यात करने वाले देश को आर्थिक लाभ भी मिलता है।
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