हरी घास पर बिखेर दी हैं ये किसने मोती की लड़ियाँ कौन रात में गूँथ गया है? - haree ghaas par bikher dee hain ye kisane motee kee ladiyaan kaun raat mein goonth gaya hai?

"हरी घास पर बिखरे दी हैंये किसने मोती की लड़ियाँ?" ऊपर की पंक्तियों को उलट फेर कर इस तरह भी लिखा जा सकता है"हरी घास पर ये मोती की लड़ियाँ किसने बिखेर दी हैं?"इसी तरह नीचे लिखी पंक्तियों में उलट फेर कर तुम भी उसे अपने ढंग से लिखो।क "कौन रात में गूँथ गया हैये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ?"ख "नभ के नन्हें तारों में ये कौन दमकते हैं यों दमदम?"

Question

"हरी घास पर बिखरे दी हैंये किसने मोती की लड़ियाँ?"ऊपर की पंक्तियों को उलट-फेर कर इस तरह भी लिखा जा सकता है–"हरी घास पर ये मोती की लड़ियाँ किसने बिखेर दी हैं?"इसी तरह नीचे लिखी पंक्तियों में उलट-फेर कर तुम भी उसे अपने ढंग से लिखो।(क) "कौन रात में गूँथ गया हैये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ?"(ख) "नभ के नन्हें तारों में येकौन दमकते हैं यों दमदम?"

हरी घास पर बिखेर दी हैं ये किसने मोती की लड़ियाँ कौन रात में गूँथ गया है ये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ?

ये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ ? जुगनू से जगमग जगमग ये कौन चमकते हैं यों चमचम? नभ के नन्हें तारों से ये कौन दमकते हैं यों दमदम ? लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खज़ाना ?

हरी घास पर मोती से क्या चमकते हैं *?

कवि कहते हैं कि जाड़े के मौसम में ये बूंदे हरे मैदान पर ऐसी लगती हैं मानो किसी ने मोती की लड़ियाँ बिछा दी हो। ओस की बूंदों को रत्न कहा है क्योंकि वह पत्तों और फूलों पर चमकती इठलाती रहती है, जैसे किसी जौहरी ने अपना खजाना लुटा दिया हो। ओस की यह बूंदें हरी घास के साथ-साथ सभी जगह बिखरी हुई हैं