हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान श्रीराम से कहते हैं। प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था। आपने तो मुझे मेरी मूर्छा दूर करने के लिए भेजा था। Show हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान श्रीराम से कहते हैं। प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था। आपने तो मुझे मेरी मूर्छा दूर करने के लिए भेजा था। "सुमिरि पवनसुत पावन नामू। और ये भी पढ़े
हनुमान जी ने पवित्र नाम का स्मरण करके श्री रामजी को अपने वश में कर रखा है, प्रभु आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मैं ही आपका सबसे बड़ा भक्त, राम नाम का जप करने वाला हूं। भगवान बोले कैसे? "हनुमान जी बोले- वास्तव में तो भरत जी संत है और उन्होंने ही राम नाम जपा है।" आपको पता है जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो मैं संजीवनी लेने गया पर जब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मैं गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैध बुलाया। कितना भरोसा है उन्हें आपके नाम पर, आपको पता है उन्होंने क्या किया? "जौ मोरे मन बच अरू काया, तौ कपि होउ बिगत श्रम सूला, सुनत बचन उठि बैठ कपीसा,
यह वचन सुनते ही मैं श्री राम, जय राम, जय-जय राम कहता हुआ उठ बैठा। मैं नाम तो लेता हूं पर भरोसा भरत जी जैसा नहीं किया, वरना मै संजीवनी लेने क्यों जाता, बस ऐसे ही व्यक्ति करता है, नाम तो भगवान का लेता है पर भरोसा नही करता, बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, बेटे ने नहीं की तो क्या होगा? उस समय इंसान भूल जाता है कि जिस भगवान का नाम वो जप रहा है वे हैं न, पर भरोसा नहीं करता। बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा व्यक्ति उसी पर करता है। दूसरी बात प्रभु! फिर हनुमान जी कहते हैं भगवान बोले- "हनुमान जब मैंने ताड़का को मारा और भी राक्षसों को मारा तो वे सब मरकर मुक्त होकर मेरे ही पास तो आए", इस पर हनुमान जी बोले प्रभु आपका बाण तो मरने के बाद सबको आपके पास लाता है पर भरत जी का बाण तो जिंदा ही भगवान के पास ले आता है। भरत जी संत है और संत का बाण क्या है? संत का बाण है उसकी वाणी लेकिन व्यक्ति क्या करता है, संत वाणी को समझते तो हैं पर सटकते नहीं हैं, और औषधि सटकने पर ही फायदा करती है। हनुमान जी को भरत जी ने पर्वत सहित अपने बाण पर बैठाया तो उस समय हनुमान जी को थोडा़ अभिमान हो गया कि मेरे बोझ से बाण कैसे चलेगा? परंतु जब उन्होंने रामचंद्र जी के प्रभाव पर विचार किया तो वें भरत जी के चरणों की वंदना करके चले हैं। इसी तरह इंसान भी कभी-कभी संतो पर संदेह करते है, कि ये मुझे कैसे भगवान तक पहुंचा देगा, संत ही तो हैं जो व्यक्ति को सोते से जागते हैं जैसे हनुमान जी को जगाया, क्योंकि उनका मन, वचन, कर्म सब भगवान में लगा है। अरे उन पर भरोसा तो करो तुम्हें तुम्हारे बोझ सहित भगवान के चरणों तक पहुंचा देगें। दुनिया में सबसे बड़ा भक्त कौन था?...
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हनुमान जी के परम भक्त कौन थे?समर्थ रामदास- समर्थ स्वामी रामदास का जन्म रामनवमी 1608 में गोदा तट के निकट ग्राम जाम्ब (जि. जालना) में हुआ। वे हनुमानजी के परम भक्त और छत्रपति शिवाजी के गुरु थे।
हनुमान कितने शक्तिशाली थे?हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में हनुमान जी को सबसे शक्तिशाली माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि हनुमान के बिना न तो राम हैं और न ही रामायण। राम-रावण युद्ध में हनुमान जी ही एकमात्र योद्धा थे जिन्हें कोई भी किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचा सका था।
भगवान हनुमान के गुरु कौन थे?हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया। सूर्य देवता ने उन्हें नौ विद्याओं में से पांच सिखा दी, लेकिन चार विद्याओं की बारी आई तब सूर्यदेव ने हनुमान जी से शादी करने को कहा। क्योंकि इन विद्याओं का ज्ञान विवाहित को ही दिया जा सकता था।
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