हमारे यहाँ पढ़े लिखे लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए क्या कर रहे हैं? - hamaare yahaan padhe likhe log apanee svaarth siddhi ke lie kya kar rahe hain?

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प्रश्न अभ्यास 
मौखिक 
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?
उत्तर 
आज धर्म के नाम पर उत्पात, ज़िद, दंगे-फ़साद हो रहे है। 
2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होना चाहिए?
उत्तर 
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए। 
3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन बुरा था?

उत्तरलेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया।

4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान के रक्षा के लिए जान तक दे देना वाजिब है।

5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) उत्तर दीजिए -

1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। वे इन जाहिलों के बल आधार पर अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम रखते हैं।

2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तरचालाक लोग साधारण आदमी की धर्म की रक्षा के लिए जान लेने और देने वाले विचार और अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। पहले वो अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं उसके बाद स्वार्थ सिद्धि के लिए जिधर चाहे मोड़ देते हैं।

3. आनेवाल समय किस प्रकार के धर्म को नही टिकने देगा?

उत्तर दो घंटे तक बैठकर कीजिये और पञ्च-वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार के रिश्वत दे चुकने के पश्चात, यदि आप दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने के लिए आजाद हैं तो इस धर्म को आनेवाल समय नही टिकने देगा।

4. कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा?

उत्तर आपका जो मंन चाहे वो माने और दूसरे का जो मन चाहे वो माने। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं दुसरो के धर्म में जबरदस्ती टांग  अड़ाते हैं तो यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा।

5. पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों के बीच एक गहरी खाई है। गरीबों के कमाई से वे और अमीर बनते जा रहे हैं और उसी के बल से यह प्रयत्न करते हैं कि गरीब और चूसा जाता रहे। वे गरीबों को धन दिखाकर अपने वश में करते हैं और फिर मनमांना धन पैदा करने के लिए जोत देते हैं।

6. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से ज्यादा अच्छे हैं?

उत्तर धार्मिक लोगों से वे ला-मज़हबी और नास्तिक लोग ज्यादा अच्छे हैं जिनका आचरण अच्छा है, जो दरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) उत्तर दीजिए -1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तरचालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। मूर्ख लोग धर्म की दुहाई देकर अपने जान की बाजियाँ लगते हैं और धूर्त लोगों का बल बढ़ाते हैन। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ मजबूत उद्योग होना चाहिए।

2. 'बुद्धि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर'बुद्धि पर मार' का आशय है की बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए लेना और फ़िर धर्म, ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ना भिड़ाना। यह साधारण लोगो नही समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मानते हैं।

3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर लेखक की दृष्टि में धर्म किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने का साधन ना बने। जिसका मन जो धर्म चाहे वो माने और दूसरे को जो चाहे वो माने। दो भिन्न धर्मों मानने वालो के लिए टकरा जाने का कोई स्थान ना रहे। अगर कोई व्यक्ति दूसरे के धर्म में दखल दे तो इस कार्य को स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाये।

4. महात्मा गांधी के धर्म सम्बन्धी विचारो पर प्रकाश डालिये।

उत्तर महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। धर्म के बिना एक पग भी चलने को तैयार नहीं होते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले।

5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तरसबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रख सकेंगे। दिन भर के नमाज़, रोजे और गायत्री किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति की स्वाधीनता रौंदने और उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही छोड़ सकेगा।

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(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।1. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

उत्तरयहाँ लेखक का आशय इस बात से है कि साधारण लोग जो की धर्म को ठीक से जानते तक नहीं, परन्तु धर्म के खिलाफ कुछ भी हो तो उबाल पड़ते हैं। चालाक लोग उनकी इस मूर्खता का फायदा उठाकर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उनसे अपने ढंग से काम करवाते हैं।

2. यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

उत्तर धर्म ईमान के नाम पर कोई भी साधारण आदमी आराम से चालाक व्यक्तियों की कठपुतली बन जाता है। वे पहले उनके बुद्धि पर परदा दाल देता है तथा उनकी ईश्वर और आत्मा का स्थान खुद ले लेता है। उसके बाद अपने कार्यसिद्धि के लिए उन्हें लड़ता भिड़ाता रहता है।

3. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।

उत्तर आप चाहे दिन भर नमाज अदा और गायत्री पढ़ लें तभी आप उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही कर सकेंगे। आने वाले समय में केवल पूजा-पाठ को ही महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि आपके अच्छे व्यवहार को परखा जाएगा और उसे महत्व दिया जाएगा।

4. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो !

उत्तर ईश्वर द्वारा कथित इस वाक्य से लेखक कहना चाहा रहा है की जिस तरह से धर्म के नाम पर अत्याचार हो रहे हैं उसे देखकर ईश्वर को यह बतलाना पड़ेगा की पूजा-पाठ छोड़कर अच्छे कर्मा की ओर ध्यान दो। तुम्हारे मानने या ना मानने से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा। इंसान बनो और दूसरों की सेवा करो।

भाषा अध्यन1. उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए −1.सुगम-दुर्गम2.धर्म-.............3.ईमान-.............4.साधारण-.............5.स्वार्थ-.............6.दुरूपयोग-.............7.नियंत्रित-.............8.स्वाधीनता-.............
उत्तर

1.सुगम-दुर्गम2.धर्म-अधर्म3.ईमान-बेईमान4.साधारण-असाधारण5.स्वार्थ-निस्वार्थ6.दुरूपयोग-सदुपयोग7.नियंत्रित-अनियंत्रित8.स्वाधीनता-पराधीनता
2. निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए −ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तरला -लाइलाज, लापरवाहबिला -बिला वजहबे -बेजान, बेकारबद -बददिमाग, बदमिज़ाज़ना -नाकाम, नाहकखुश -खुशनसीब, खुशगवारहर -हरएक, हरदमगैर -गैरज़िम्मेदार, गैर कानूनी
3. उदाहरण के अनुसार 'त्व' प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए −उदाहरण : देव + त्व =देवत्व

उत्तर

1.उत्तरदायी+त्व=उत्तरदायित्व2.महा+त्व=महत्व3.पशु+त्व=पशुत्व4लघु+त्व=लघुत्व5.व्यक्ति+त्व=व्यक्तित्व6.मनुष्य+त्व=मनुष्यत्व

4. निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण − चलते-पुरज़े

उत्तर

समझता -बूझनाछोटे -बड़ेपूजा -पाठकटे -फटेठीक -ठाकखट्टे -मीठेगिने -चुनेलाल -पीलेजले -भुनेईमान - धर्मस्वार्थ -सिद्धीनित्य -प्रति

5. 'भी' का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए −
उदाहरण − आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।

उत्तर1. मुझे

भी

पुस्तक पढ़नी है।
2. राम को खाना

भी

खाना है।
3. सीता को

भी

नाचना है।
4. तुम्हें

भी

आना है।
5. इन लोगों को

भी

खाना खिलाइए।