होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

होली का पर्व बहुआयामी है। इस दिन समाज से ऊंच-नीच, गरीब-अमीर जैसी विभाजक भावनाएं विलुप्त हो जाती हैं। यह पर्व खेती-किसानी से भी जुड़ा है इसीलिए तो जलती होली में गेहूं की बालियों को भूनने का महत्व है। 

होली दहन विधि : होली उत्साह और उमंग से भरा त्योहार और उत्सव है। विष्णु भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। होलिका दहन के लिए लोग महीनेभर पहले से तैयारी में जुटे रहते हैं। सामूहिक रूप से लोग लकड़ी, उपले आदि इकट्ठा करते हैं और फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन संध्या काल में भद्रा दोषरहित समय में होलिका दहन किया जाता है। होली जलाने से पूर्व उसकी विधि-विधान सहित पूजा की जाती है और अग्नि एवं विष्णु के नाम से आहुति दी जाती है। 

होलिका दहन के दिन पवित्र अग्नि के चारों ओर लोग नृत्य करते हैं और लोकगीत का आनंद लेते हैं। इस दिन राधा-कृष्ण की लीलाओं एवं ब्रज की होली की धुन गलियों में गूंजती रहती है और लोग आनंद-विभोर रहते हैं। होलिका दहन के दिन लोग अपने-अपने घरों में खीर और मालपुआ बनाकर अपनी कुलदेवी और देवता को भोग लगाते हैं।

प्राचीन कथा : होली की पूर्व संध्या में होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक प्राचीन कथा है कि दीति का पुत्र हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखता था। इसने अपनी शक्ति के घमंड में आकर स्वयं को ईश्वर कहना शुरू कर दिया और घोषणा कर दी कि राज्य में केवल उसी की पूजा की जाएगी। उसने अपने राज्य में यज्ञ और आहुति बंद करवा दी और भगवान के भक्तों को सताना शुरू कर दिया।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रहलाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की, परंतु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। 

असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी कि जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को प्रहलाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गई जिससे प्रहलाद की जान बच गई और होलिका जल गई। होलिका दहन के दिन होली जलाकर 'होलिका' नामक दुर्भावना का अंत और भगवान द्वारा भक्त की रक्षा का जश्न मनाया जाता है।

होली रंगोत्सव : होली का त्योहार प्रेम और सद्भावना से जुड़ा त्योहार है जिसमें अध्यात्म का अनोखा रूप झलकता है। इस त्योहार को रंग और गुलाल के साथ मनाने की परंपरा है। इस त्योहार के साथ कई पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। 

होली पौराणिक तथ्य : होली का त्योहार भारतवर्ष में अति प्राचीनकाल से मनाया जाता आ रहा है। इतिहास की दृष्टि से देखें तो यह वैदिक काल से मनाया जाता आ रहा है। हिन्दू मास के अनुसार होली के दिन से नए संवत की शुरुआत होती है। चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा के दिन धरती पर प्रथम मानव मनु का जन्म हुआ था। इसी दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था। इन सभी खुशियों को व्यक्त करने के लिए रंगोत्सव मनाया जाता है। नरसिंह रूप में भगवान इसी दिन प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप नामक महासुर का वध कर भक्त प्रहलाद को दर्शन दिए थे

होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

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भारतीय त्योहारों में होली का बहुत महत्व है। होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली को फाल्गुन ’या वसंत ऋतु के आगमन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली का त्योहार सर्दियों के मौसम के अंत का भी प्रतीक है। यह बहुत सारे रंग, पानी के फुहारे, और गुब्बारों के संग इस दिन को और रंगीन कर देता है। होली का त्योहार जश्न का त्योहार होता है इसलिए इस दिन विशेषरुप से खान-पान और नृत्य गायन किया जाता है।  होली का महत्व हमारे जीवन के हर पहलू में महसूस किया जाता है क्योंकि इस दिन हम अपने मतभेदों को भूल जाते हैं और त्योहार की खुशियों को साझा करने के लिए एक-दूसरे को गले लगाते हैं। भारत में होली का त्यौहार सभी के जीवन मे बहुत सारी खुशियॉ और रंग भरता है, लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इसे आमतौर पर 'रंग महोत्सव' कहा गया है। यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।

 

होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

इसे "प्यार का त्यौहार" भी कहा जाता है। यह एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्यौहार है, जो प्राचीन समय से पुरानी पीढियों द्वारा मनाया जाता रहा है और प्रत्येक वर्ष नयी पीढी द्वारा इसका अनुकरण किया जा रहा है। होली का त्योहार भारत का एक राष्ट्रीय अवकाश है और होली का त्योहार हर वर्ग-हर उम्र के लोग, अमीर गरीब सब मनाते हैं यह किसी के भी बीच फर्क नहीं करता है। यहां  हर एक का रंगों के एकसाथ स्वागत किया जाता है। इस दिन युवा हो या बुजुर्ग, किसी को भी नहीं बख्शा जाता है, ऊपर से लेकर पैर तक हर जगह रंग दिया जाता है। आधुनिक स्थायी रंगों के साथ-साथ कई पारंपरिक और हर्बल रंगों का उपयोग आज होली के अवसर पर किया जाता है। यह ऐसा त्यौहार है जिसे लोग अपने परिवार के सदस्यो और रिश्तेदारों के साथ प्यार और स्नेह वितरित करके मनातें हैं जो उनके रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करता हैं। यह एक ऐसा त्यौहार हैं जो लोगों को उनके पुराने बुरे व्यवहार को भुला कर रिश्तों की एक डोर मे बॉधता हैं। होली का हर रंग एक विशेष संदेश देकर जाता है।

होली का पौराणिक महत्व

होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

फरवरी अंत या मार्च की शुरुआत में होली दो दिनों के लिए मनाई जाती है। होली मनाने के पीछे इसका पौराणिक महत्व भी है। पौराणिक कथा के अनुसार, शक्तिशाली राजा हिरण्यकश्यप था, वह खुद को भगवान मनाता था और चाहता था कि हर कोई भगवान की तरह उसकी पूजा करें। वहीं अपने पिता के आदेश का पालन न करते हुए हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद ने उसकी पूजा करने से इंकार कर दिया और उसकी जगह भगवान विष्णु की पूजा करनी शुरू कर दी। इस बात से नाराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई सजाएं दी जिनसे वह प्रभावित नहीं हुआ। इसके बाद हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने मिलकर एक योजना बनाई की वह प्रहलाद के साथ चिता पर बैठेगी। होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे ओढ़ने के बाद उसे आग में किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता, दूसरी तरह प्रहलाद के पास खुद को बचाने के लिए कुछ भी न था। जैसे ही आग जली, वैसे ही वह कपड़ा होलिका के पास से उड़कर प्रहलाद के ऊपर चला गया। इसी तरह प्रहलाद की जान बच गई और उसकी जगह होलिका उस आग में जल गई। यही कारण है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व आस्था और विश्वास का प्रतीक है।

होली का सांस्कृतिक महत्व

होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न भी मनाया। बुराई, अहंकार, इच्छाओं और नकारात्मकता को जलाने वाले रंगों के त्योहार से पहले हर साल शाम को एक पवित्र अलाव जलाया जाता है। होली बंधन, मित्रता, एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का त्योहार है। शाम का समय वह समय होता है जब अलाव की रोशनी से बुराई के खत्म होने का संकेत मिलता है। अगली सुबह रंगों से खेलने का दिन है, दोस्ती और खुशी का जश्न मनाते हैं, जिसमें बहुत सारे गायन और नृत्य शामिल हैं।

होली का धार्मिक महत्व

होली के त्यौहार का क्या महत्व है? - holee ke tyauhaar ka kya mahatv hai?

होली का धार्मिक महत्व भी है। होली में रंगों के साथ खेलने का महत्व भगवान कृष्ण से जुड़ा है, जो गहरे रंग के थे और अपनी माँ से शिकायत करते थे कि सभी गोपियाँ और राधा का रंग गोरा है फिर वो क्यों सांवले हैं। गोपियाँ कृष्ण का मज़ाक उड़ाती थीं, इसलिए उनकी माँ ने उनसे कहा कि वे  गोपियों और राधा को अपने मनचाहे रलग में रंग सकते हैं।इस तरह होली पर रंगों से खेलने की परंपरा चली आ रही है। यह मजेदार और जीवंत होली एक बहुत प्रसिद्ध परंपरा है जो भगवान कृष्ण के लिए प्रसिद्ध मथुरा वृंदावन में ब्रज और होली समारोह में मनाई जाती है।

कैसे मनाते हैं होली

होलिका दहन के दिन एक पवित्र अग्नि जलाई जाती जिसमें सभी तरह की बुराई, अंहकार और नकरात्म उर्जा को जलाया जाता है। अगले दिन, लोग अपने प्रियजनों को रंग लगाकर त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं साथ ही नाच, गाने और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ इस पर्व का मजा लेते हैं।  यह एक ऐसा दिन है जब सभी पुरुष और महिला स्वतंत्र रूप से एक दूसरे को रंग देते हैं। यह 'क्षमा करने और भूलने का दिन' है, इस दिन सब पुराने गिले-शिकवे, लड़ाई-झगड़े भुला कर दोस्ती नए सिरे से शुरु करते हैं।  यह पारंपरिक पेय का आनंद लेने का समय भी होता है। दूध से बने पारंपरिक पेय और होली पर इसका सेवन किया जाता है। इसे कई स्थानों पर स्वागत पेय या प्रसाद के रूप में भी परोसा जाता है। गुझिया, लड्डू, पकोड़े, हलवा और पूड़ी इत्यादि जैसी शानदार मिठाइयाँ और व्यंजन इस उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा होंते हैं क्योंकि कोई भी भारतीय त्यौहार भोजन के भव्य प्रसार के बिना अधूरा होता है।

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होली का क्या महत्व है बताइए?

यह है होली का महत्‍व बुराई पर अच्‍छाई की जीत की प्रतीक होली का सामाजिक महत्‍व भी है। यह एक ऐसा पर्व होता है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन अगर किसी को लाल रंग का गुलाल लगाया जाए तो सभी तरह के मनभेद और मतभेद दूर हो जाते हैं। क्‍योंकि लाल रंग प्‍यार और सौहार्द का प्रतीक होता है।

होली का क्या इतिहास है?

हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

होली का त्योहार हमें क्या सिखाता है?

होली का त्योहार स्पष्ट संदेश देता है कि ईश्वर से बढ़कर कोई नहीं होता। सारे देवता, दानव, पितर और मानव उसी के अधीन है। जो उस परमतत्व को छोड़कर अन्य में मन रमाता है वह होली के त्योहार के संदेश को नहीं समझता। ऐसा व्यक्ति संसार की आग में जलता रहता है और उसे बचाने वाला कोई नहीं है।

होली मनाने के पीछे क्या कहानी है?

होली मनाने के पीछे सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है कि यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर था जो भगवान विष्णु का कट्टर दुश्मन माना जाता था लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी का सबसे बड़ा भक्त था।