गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन के वक्त यह बस अवश्य जवान रही होगी बस के संबंध में ऐसा क्यों कहा गया? - gaandhee jee ke asahayog aur savinay avagya aandolan ke vakt yah bas avashy javaan rahee hogee bas ke sambandh mein aisa kyon kaha gaya?

लेखक का यह कहना कहाँ तक उचित है कि यह बस गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी?


जब लेखक ने बस के चलने पर उसके किसी भी हिस्से का आपसी सहयोग न देखा तो उसे गाँधीजी के ‘असहयोग आंदोलन’ अर्थात् भारतीयों अंग्रेजों का साथ न देना याद आ गया। और बस का सही रूप में न चलना, बार-बार रुक कर विरोध करना, लेखक को ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की याद दिलाता है। जिसमें गाँधीजी ने अंग्रेजों द्वारा नमक पर टैक्स लगाने पर दांडी यात्रा करके, समुद्री नमक बनाकर उनके कानून को तोड़ा था। इसीलिए लेखक ने कहा कि यह बस गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन के वक्त जवान रही होगी अर्थात् अपने- आप को स्वतंत्र करवाने के सभी दावपेंच जानती है। लेखक का कहना पूर्णतया उचित है।

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लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा के भाव क्यों आए?

  • क्योकि वह लोगों का हित चाहता था।
  • क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
  • क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
  • क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।


B.

क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।

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लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गांधी जी के असहयोग व सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय यह जवान रही होगी?

  • बस में लोग विरोध कर रहे थे।
  • बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
  • बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
  • बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।


B.

बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।

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‘बस की यात्रा’ कैसा लेख है?

  • विचारात्मक
  • आत्मकथा        
  • व्यंग्यात्मक
  • व्यंग्यात्मक

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लेखक व उसके मित्र कहां गए थे?

  • सतना
  • पन्ना
  • जबलपुर
  • जबलपुर

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बस की दशा किसकी भाँति लग रही थी?

  • एक टूटी इमारत की भाँति
  • एक वयोवृद्धा की भाँति
  • एक बूढ़े पेड़ की तरह
  • एक बूढ़े पेड़ की तरह

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लेखक ने बस की तुलना गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन से क्यों की है?

जब लेखक ने बस के चलने पर उसके किसी भी हिस्से का आपसी सहयोग न देखा तो उसे गाँधीजी के 'असहयोग आंदोलन' अर्थात् भारतीयों अंग्रेजों का साथ न देना याद आ गया। और बस का सही रूप में न चलना, बार-बार रुक कर विरोध करना, लेखक को 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' की याद दिलाता है।

सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में क्या अंतर है?

A) सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वराज था, जबकि असहयोग आंदोलन का उद्देश्य स्वराज था। B) सविनय अवज्ञा आंदोलन की तुलना में असहयोग आंदोलन के दौरान मुस्लिम भागीदारी अपेक्षाकृत कम थी।

गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किये?

बता दें कि भारत में अंग्रेजों के शाशनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया था और नमक जीवन जरूरी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेतु ये सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और इस समूह में क्यों हिस्सा लिया?

Solution : अपनी हितों के चलते अनेक वर्गों और समूहों के भारतीय लोगों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया। उनके लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे। जैसे कि - (i) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के स्वप्न में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होंगी और व्यापार व उद्योग , निर्बाथ ढंग से फल-फूल सकेंगे।