गणित की अच्छी पाठ्यपुस्तक के गुण क्या हैं? - ganit kee achchhee paathyapustak ke gun kya hain?

पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार | पाठ्य-पुस्तक का अर्थ | अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ (Meaning of Text-Book in Hindi | Types of Text-Books in Hindi | Main Characteristics Of A Good Text-Book in Hindi)

अनुदेशनात्मक सामग्री के रूप में सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली सामग्री पाठ्य-पुस्तकें ही है। आधुनिक शिक्षा-प्रणाली में पाठय-पुस्तकों का महत्त्व सर्वविदित है। पाठयक्रम की वारतविक रूपरेखा को पाठ्य-पुस्तकों द्वारा ही विस्तार मिलता है जिससे वह शिक्षक एवं छात्र दोनों के लिए सुगम हो पाता है। सीखने के अनुभवों में पाठ्य-पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। पुस्तकों के माध्यम से अतीत के ज्ञान तथा अनुभवों को संचित किया जाता है जिससे आने वाली पीढ़ी उसका उपयोग करके लाभान्वित हो सके। पाठ्य-पुस्तक में किसी विषय-विशेष का संगठित ज्ञान एक स्थान पर रखा जाता है। इस प्रकार अच्छी पाठ्य-पुस्तकें शिक्षण-प्रक्रिया में निर्देशन का कार्य करती हैं। अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिए यह महत्त्वपूर्ण साधन है।

Table of Contents

    • पाठ्य-पुस्तक का अर्थ (Meaning of Text-Book)
  • पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार (Types of Text-Books)
    • सामान्य पाठ्य-पुस्तकें (General Text-Books)
    • पाठ्यक्रम पर आधारित पाठ्य-पुस्तकें (Text-Books according to Curriculum)
    • सन्दर्भ-पुस्तकें (Reference Books)
  • अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ (Main Characteristics Of A Good Text-Book)

पाठ्य-पुस्तक का अर्थ (Meaning of Text-Book)

किसी विषय के ज्ञान को जब एक स्थान पर पुस्तक के रूप में संगठित ढंग से प्रस्तुत किया जाता है तो उसे पाठ्य-पुस्तक की संज्ञा प्रदान की जाती है। पाठ्य-पुस्तक के अर्थ को सुस्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों के कथनों को प्रस्तुत करना यहाँ पर समीचीन प्रतीत हो रहा है।

हैरोलिकर (Harolicker) के अनुसार, “पाठ्य-पुस्तक ज्ञान, आदतों, भावनाओं, क्रियाओं तथा प्रवृत्तियों का सम्पूर्ण योग है।”

हाल-क्वेस्ट (Hall-qucst) के शब्दों में, “पाठ्य-पुस्तक शिक्षण अभिप्रायों के लिए व्यवरिथत प्रजातीय चिन्तन का एक अभिलेख है।”

लेज (Lange) के अनुसार, “यह अध्ययन क्षेत्र की किसी शाखा की एक प्रमाणित पुरतक होती है।”

डगलस (Duglas) का कथन है, “अध्यापकों के बहुमत ने अन्तिम विश्लेषण के आधार पर पाठ्य-पुस्तक को ‘वे क्या और किस प्रकार पढ़ायेंगे’ की आधारशिला माना है।

बैकन (Bacon) का कहना है, “पाठ्य-पुस्तक कक्षा प्रयोग के लिए विशेषज्ञों द्वारा सावधानी से तैयार की जाती है। यह शिक्षण युक्तियों से भी सुसज्जित होती है।”

पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार (Types of Text-Books)

पाठ्य-पुस्तकों को सामान्यतया तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  1. सामान्य पाठ्य-पुस्तकें (General Text-Books)

ये पुस्तकें किसी विषय-विशेष पर सामान्य अध्ययन की दृष्टि से लिखी जाती है। इनमें किसी निर्धारित पाठ्यक्रम को आधार नहीं बनाया जाता है तथा प्रकरणों को विषय-रामग्री की उपलब्धता एवं उपयोगिता की दृष्टि से विस्तार प्रदान किया जाता है ये पुस्तके विशेष रुचि वाले विद्वानों द्वारा लिखी जाती है । ये पुस्तकें शिक्षको एवं विद्यार्थियों के लिए सहायक पूरतकों का कार्य करती हैं। इनका प्रयोग उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं या उनसे ऊपर की कक्षाओं में किया जाता है।

  1. पाठ्यक्रम पर आधारित पाठ्य-पुस्तकें (Text-Books according to Curriculum)

इस प्रकार की पाठ्य-पुस्तकें किसी निश्चित पाठ्यक्रम के आधार पर किसी निश्चित कक्षा-स्तर के लिए लिखी गई होती हैं। यद्यपि इन पुस्तकों का विस्तार क्षेत्र सीमित होता है, किन्तु विद्यार्थियों के लिए ये बहुत उपयोगी होती हैं, क्योंकि ये पाठ्यक्रम से सीधे जुड़ी हुई होती हैं। इन पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण में शिक्षण उद्देश्यों को विशेष महत्त्व दिया जाता है । विद्यार्थियों में इन्हीं पूरत कों का सर्वाधिक प्रचलन होता है। इस प्रकार की पाठ्य-पुस्तकें सभी कक्षओं में प्रयुक्त की जाती हैं।

  1. सन्दर्भ-पुस्तकें (Reference Books)

ये विशिष्ट प्रकार की पुस्तकें होती हैं तथा इनमें विस्तृत ज्ञान का समावेश होता है। इनमें तथ्यों, प्रत्ययों, सूत्रों, घटनाओं आदि की व्याख्या गहनता से की जाती है। शिक्षक इनका प्रयोग सन्दर्भों के रूप में करता है, इसलिए इन्हें सन्दर्भ-पुस्तकें कहा जाता है। उच्च कक्षाओं के शिक्षण में इन पुस्तकों का अध्ययन एवं प्रयोग उपयुक्त होता है।

7.पुस्तक में चित्र,रेखाचित्र,ग्राफ,मानचित्र,उदाहरण अधिक एवं बालको के स्तर के अनुसार अनुकूल होनी चाहिए।

8. पुस्तक में चित्र अधिक तथा स्पष्ट और रंगीन होने चाहिए।

9.पाठ्यपुस्तक में पाठ्यक्रम के सभी अंगो का विवेचन भली-भाति किया जाना चाहिए।

10.प्रश्न वैज्ञानिक रूप से सत्य तथा तकनीकी द्रष्टिकोण से शुद्ध होने चाहिए।

11.पुस्तक के अंत में छात्रों को क्रियात्मक कार्यो के लिए सुझाव प्रस्तुत किये गये हो।

12.बुक(Book) की size & shape उपयुक्त होना चाहिए।

13.समय-समय पर आवश्यकतानुसार आवश्यक संशोधन किये जाने चाहिए।

14.पाठ्यपुस्तक आसानी से छात्रों को उपलब्ध होनी चाहिए।

15. पाठ्यपुस्तक में योजना,समवाय,गृहकार्य,कक्षा-कार्य तथा विषय से सम्बन्धी प्रयोगात्मक  कार्य के लिए सुझाव होने चाहिए ।

16.पुस्तक में विधियों तथा छात्रों में पर्याप्त अभ्यास पर बल दिया जाना चाहिए।

17.विभिन्न पाठ “सरल से कठिन“ सिद्धान्त के अनुसार होने चाहिए।

18. पाठ्यपुस्तक कक्षा विशेष के लिए निर्धारित उद्देश्यों के अनुकूल होनी चाहिए।

19. पाठ्यपुस्तक में सामग्री का आयोजन मनोवैज्ञानिक व तार्किक क्रम में होना चाहिए।

20.विषय संबंधी विभिन्न क्रियाओ के लिए संकेत होने चाहिए ।

पाठ्यपुस्तक के महत्व व आवश्यकता-  

पाठ्य-पुस्तकें स्वाध्याय में सहायक होती है।

1.शिक्षकों के मार्गदर्शन हेतु सहायक होती है।

2.शिक्षण प्रयासों को सफल बनाने में सहायक।

3.पुस्तकों की सहायता से छात्र अपने द्वारा अर्जित ज्ञान की जांच स्वयं अभ्यास द्वारा कर सकते हैं।

4.प्राप्त ज्ञान की जांच छात्र स्वयं आवश्यकता अनुसार विषय वस्तु को पढ़कर कर सकते हैं ज्ञान कि समीक्षा में सहायता प्रदान करती है।

5.अध्यापक को अपनी शिक्षण प्रभावशीलता के विकास में सहायता करती है।

पाठ्यपुस्तक विद्यार्थियों के मस्तिष्क में तर्कसंगत ढंग से विचार करने की आदत का विकास करने में सहायक होती है।

गणित में एक अच्छी पाठ्यपुस्तक के गुण क्या हैं?

गणित की पाठ्यपुस्तकों की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। (5.) गणित के संपूर्ण पाठ्यक्रम को इकाईयों में बांटकर ही पाठ्यपुस्तकों को लिखा जाना चाहिए।.
(8.) पाठ्यपुस्तक में उन्हीं विधियों द्वारा सामग्री प्रस्तुत की जाए जो उस कक्षा के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है। ... .
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गणित के अच्छे शिक्षक में कौन कौन से गुण एवं विशेषताएं होनी चाहिए?

आदर्श गणित अध्यापक के गुण.
अभिव्यक्ति की स्पष्टता।.
उत्साह एवं उपलब्ध जनक व्यवहार।.
विषय पर पूर्ण अधिपत्य।.
विषय के लिए उत्साह।.
उपयुक्त तैयारी।.
पढ़ाने के लिए प्रत्येक पाठ की तैयारी।.
उत्तम नियंत्रण शक्ति।.
व्यावहारिक कुशलता एवं साधन संपन्नता।.

पाठ्यपुस्तक के गुण क्या है?

विषयवस्तु- ज्ञान का विकास, बोधगम्यता, मौलिकता, साहित्यिक रसानुभूति, साहित्यिक रुचि का विकास एवं वांछित अभिवृत्तियों का पोषण करने वाली विषय सामग्री का चयन पाठ्यपुस्तक का आंतरिक गुण है।

गणित शिक्षण में पाठ्यपुस्तक का क्या महत्व है?

गणित में पाठ्य पुस्तक का महत्व विशेष ही है। पाठ्य पुस्तक का प्रयोग इस प्रकार से किया जाए कि बालक शिक्षक द्वारा मौखिक विधि से सीखने के पश्चात पाठ को और अधिक दृढ़ता से हृदय गम कर ले। अतः गणित की पाठ्यपुस्तक का स्थान अध्यापक व छात्रों के लिए एक साधन के रूप में होना चाहिए।