Gulam Vansh Ka Sansthapak Kaun ThaGkExams on 06-02-2019 Show गुलाम वंश (उर्दू: سلسله غلامان) मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था जिसे मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद नियुक्त किया था। इस वंश ने दिल्ली की सत्ता पर 1206-1290 ईस्वी तक राज किया। इस वंश के शासक या संस्थापक ग़ुलाम (दास) थे न कि राजा। इस लिए इसे राजवंश की बजाय सिर्फ़ वंश कहा जाता है। सम्बन्धित प्रश्नComments Shikha on 12-05-2019 Muhammad bin tugalk Shikha on 12-05-2019 Kutubuddin aibwk 1206 Sumit kumar on 09-08-2018 Gulam wansh ka sansthapak kon tha? आप यहाँ पर गुलाम gk, question answers, general knowledge, गुलाम सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं। गुलाम वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था, तथा इस वंश का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था| 1206 से लेकर 1290 ईस्वी तक इस वंश ने दिल्ली की सत्ता पर राज किया। प्रारंभ में इस वंश के शासक या संस्थापक ग़ुलाम (दास) हुआ करते थे न कि राजा, इसी कारणवश इसे राजवंश ना कहकर सिर्फ़ वंश कहा जाता है। Important Points of Ghulam Vansh-
गुलाम वंश का इतिहास (Ghulam vansh ka itihas)-दिल्ली का पहला मुसलमान तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है और कुतुबुद्दीन ऐबक को ही गुलाम वंश के संस्थापक की संज्ञा दी गई है| ऐबक के माता-पिता तुर्किस्तान के निवासी थे| मोहम्मद गौरी के समय में ऐबक ने एक योग्य सेनापति के रूप में कार्य करते हुए समस्त युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद कुतुब्बुद्दीन ऐबक को मुख्य व्यक्ति के रुप में नियुक्त किया था। सन 1206 ईस्वी में मोहम्मद गौरी की मृत्यु हो जाने पर लाहौर की जनता ने कुतुबुद्दीन को दिल्ली से लाहौर आकर दिल्ली की शासन सत्ता संभालने के लिए आमंत्रित किया| तब कुतुबुद्दीन ने 1206 ईस्वी में गुलाम वंश की स्थापना की और दिल्ली के राज सिंहासन पर विराजमान हुआ| कुतुबुद्दीन को उसकी उदारता के कारण लाख बक्स की उपाधि दी गई जिसका अर्थ होता है- “लाखों का दान करने वाला|” ऐबक ने दिल्ली की मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम एवं अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा नामक एक मस्जिद का भी निर्माण करवाया था| ऐबक की मृत्यु 1210 में चंगान (पोलो) खेलने के दौरान घोड़े से गिर कर हुई थी| ऐबक के बाद उसका उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ जिसका कार्यकाल सिर्फ 8 महीने तक ही था| आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश सन 1211 में दिल्ली की राजगद्दी पर आसीन हुआ| इल्तुतमिश लाहौर से राजधानी को स्थानांतरित करके दिल्ली लाया, इसने ही हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण करवाया था| इल्तुतमिश ऐसा पहला शासक था जिसने 1229 में बगदाद के खलीफा से सुल्तान की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की थी| इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार के निर्माण को पूरा करवाया तथा वह गुलाम वंश का ऐसा पहला शासक था जिसने शुद्ध अरबी के सिक्के जारी किए| इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल 1236 में हुई थी, और उसके बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज राज सिंहासन पर विराजमान हुआ परंतु वह एक अयोग्य शासक था, जिस कारण उसके शासन कार्य पर उसकी मां शाह तुर्कान का प्रभुत्व एवं वर्चस्व रहा| शाह तुर्कान के प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन को राज गद्दी से हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया| रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी जिसने साम्राज्य की बागडोर संभाली और रजिया सुल्तान के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हुई| रजिया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया एवं पुरुषों की तरह काबा एवं टोपी पहनकर राज दरबार में जाने लगी| रजिया बेगम की हत्या 13 अक्टूबर 1240 को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई| रजिया के बाद गुलाम वंश में गयासुद्दीन बलबन का नाम आता है, बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था और वह इल्तुतमिश का गुलाम था| बलबन 1266 में दिल्ली की राजगद्दी पर विराजमान हुआ और वह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा| राज दरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलबन ने ही की थी एवं उसने भारतीय रीतिरिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव का भी प्रारंभ करवाया था| अपने विरोधियों के प्रति पल बनने बहुत ही कठोरता से निर्णय लिया था| नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूंग खान की उपाधि प्रदान की थी| बलबन के ही दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे| गुलाम वंश का अंतिम शासक शमशुद्दीन क्यूम़र्श था| गुलाम वंश (1206 ई0 से 1290 ई0) वंश नामकरण
प्रमुख शासक कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई0)
आरामशाह (1210 ई0)
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1210-1236 ई0)
इल्तुतमिश के व्यक्तित्व एवं कार्यों का मूल्यांकन सफल कूटनीतिज्ञ इल्तुतमिश विजेता ही नहीं, वरन् सफल कूटनीतिज्ञ भी था। उसने अपने शत्रुओं को अपनी दूरदर्शिता तथा कूटनीति द्वारा पराजित किया। योग्य प्रशासक
इल्तुतमिश के उत्तराधिकारी
रजिया सुल्तान (1236 ई0 से 1240 ई0)
रजिया सुल्तान का मूल्यांकन
मुइजुद्दीन बहराम शाह (1240 - 1242 ई0)
अलाउद्दीन मसूदशाह (1242-1246 ई0)
नासिरूद्दीन महमूद (1246-1265 ई0)
गयासुद्दीन बलबन: (1266 - 1287 ई0)
बलबन के राजत्व का सिद्धांत
विद्रोहों का दमन
न्याय व्यवस्था
बलबन की मृत्यु
बलबन के उत्तराधिकारी
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इल्तुतमिश को गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता हैं। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद इल्तुत्मिश 1210 ई. में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। दिल्ली का शासक बनने से पहले यह बनदायू का राजा था।
गुलाम वंश का असली नाम क्या है?इल्बरी वंश – यह नाम सर्वाधिक उपयुक्त नाम है, क्योंकि कुतुबुद्दीन ऐबक को छोङकर इस वंश के सभी शासक इल्बरी जाति के तुर्क थे।
भारत में गुलाम वंश का स्थान कौन था?1206 में मोहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में गुलाम वंश की स्थापना की। वह केवल 4 वर्ष ही सुल्तान रहा। कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाई।
गुलाम वंश का अंतिम संस्थापक कौन है?Notes: गुलाम वंश का अंतिम राजा कैकुबाद था। गुलाम वंश की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने की। कैकुबाद की हत्या जलालुद्दीन फिरोज ने कर दी।
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