गले की हड्डी बढ़ने के कारण - gale kee haddee badhane ke kaaran

इसे सुनेंरोकेंफिलहाल परंपरागत तकनीक में मरीज का दो ऑपरेशन करना पड़ता है। इसके तहत पहले मुंह के अंदर इंस्ट्रूमेंट डालकर बढ़ी हुई हड्डी को काटा जाता है और दूसरी बार के ऑपरेशन के दौरान गर्दन के पीछे ऑपरेशन करके रॉड-स्क्रू के जरिए जोड़ा जाता है।

गर्दन की हड्डी क्यों बढ़ जाती है?

इसे सुनेंरोकेंइसमें गर्दन की हड्डियों से जुड़ी नसों में असंतुलन हो जाता या हड्डियां बढ़ जाती हैं। हड्डियों में कोई लचक या चोट आ जाए तो… गर्दन की नसों व मांसपेशियों में खिंचाव की आम वजह सर्वाइकल स्पॉन्डेलाइसिस होती है। इसमें गर्दन की हड्डियों से जुड़ी नसों में असंतुलन हो जाता या हड्डियां बढ़ जाती हैं।

गले में गठान होने पर क्या करें?

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इसे सुनेंरोकेंथायराइड कैंसर में सर्जरी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होता। जब कैंसर एडवांस स्टेज में होता है तो रेडियोएक्टिव आयोडीन से उसे खत्म किया जाता है। यदि इसका इलाज सर्जरी से नहीं हो पाता है तो रेडिएशन की मदद से गांठ के आकार को कम किया जाता है।

गर्दन की हड्डी बढ़ने का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंहड्डियों में कोई लचक या चोट आ जाए तो… गर्दन की नसों व मांसपेशियों में खिंचाव की आम वजह सर्वाइकल स्पॉन्डेलाइसिस होती है। इसमें गर्दन की हड्डियों से जुड़ी नसों में असंतुलन हो जाता या हड्डियां बढ़ जाती हैं। हड्डियों में कोई लचक या चोट आ जाए तो इनसे जुड़ी नसों में दर्द होता है।

गर्दन की नस क्यों दर्द करती है?

इसे सुनेंरोकेंगर्दन का दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे लंबे समय तक एक ही पोजिशन में काम करना, तकिया का गलत इस्तेमाल करना, घंटों तक गर्दन का एक ओर झुकाव, खराब पोस्चर में बैठकर टीवी देखना, कंप्यूटर मॉनिटर का अधिक या कम ऊंचाई पर होना, एक्सरसाइज करते समय गर्दन को सही तरीके से न मोड़ने की वजह से गर्दन में दर्द हो सकता है।

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हड्डी क्यों बढ़ जाती है?

इसे सुनेंरोकेंएड़ी और पंजे के बीच वाले हिस्से को सपोर्ट देने के लिए जो फैटी टिश्यू होता है वो ‘प्लैंटर फेशिया’ के नाम से जाना जाता है और जब इस फैटी टिश्यू के ऊपर ज्यादा दबाव पड़ता है या चोट लगती है तो उसकी वजह से एड़ी की हड्डी बढ़ जाती है।

हड्डी बढ़ने का क्या इलाज है?

इसे सुनेंरोकेंइसके अलावा फोर्टीफाइड दूध, अनाज, सैमन, टूना मछली, झींगा या ओऐस्टर में भी विटामिन डी की अच्छी मात्रा पाई जाती है. – नियमित तौर पर कम से कम आधा घंटा शारीरिक कसरत अवश्य करें. इससे हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. – तम्बाकू या शराब का सेवन त्याग दें.

हड्डी के बढ़ने को अंग्रेजी में ओस्टियोफाइट्स (osteophytes) भी कहा जाता है। हड्डी जिस भी तरफ से बढ़ती है, उस तरफ एक उभरा हुआ हिस्सा दिखाई देता है। जिन जगहों पर दो हड्डियां मिलती हैं, अक्सर वहीं पर हड्डी निकलती है। 

शरीर के कई हिस्सों में हड्डी बढ़ सकती है, जैसे कि  - 

  • हाथ
  • कंधा 
  • गरदन
  • रीढ़ की हड्डी
  • कूल्हा 
  • घुटना 
  • पैर 
  •  ऐड़ी 

अधिकतर हड्डी बढ़ने से कोई दिक्कत नहीं होती है लेकिन अगर ये अन्य हड्डियों से रगड़ जाए या नसों पर दबाव बना दें, तो आपको बढ़ी हुई हड्डी में दर्द और अकड़न का अनुभव हो सकता है।

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बेटी बनी गले की हड्डी बढ़ने का सही रास्ता कंसल्ट डॉक्टर स्पेशलिस्ट इसको देखते हैं गले में हड्डी क्या है क्या हड्डी में कोई हार्मोन की गड़बड़ी है जो आप पूछ रहे हैं क्योंकि आपका सवाल किए नहीं है खैर इनकी कोई तकलीफ है जो हड्डी में कैंसर हड्डी में सूजन है एसेंबली आपको खांसी नजला जुकाम है कोई समझ नहीं आ रहा क्या पूछ रहे हैं इसका तरीका है आप आज ही जल्दी हो सकता है अपने गले के डॉक्टर को मिली है उसको बोलते हैं एनपीआईसी लिस्ट

beti bani gale ki haddi badhne ka sahi rasta Consult doctor specialist isko dekhte hain gale mein haddi kya hai kya haddi mein koi hormone ki gadbadi hai jo aap puch rahe hain kyonki aapka sawaal kiye nahi hai khair inki koi takleef hai jo haddi mein cancer haddi mein sujan hai esembali aapko khansi najla zukam hai koi samajh nahi aa raha kya puch rahe hain iska tarika hai aap aaj hi jaldi ho sakta hai apne gale ke doctor ko mili hai usko bolte hain NPIC list

पानीपत. गर्दन और सिर को जोडऩे वाली हड्डी (क्रेनियो-वर्टिब्रल जंक्शन) के इलाज के लिए अब मरीजों को लंबी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं है। एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टरों द्वारा विकसित की गई नई तकनीक को अंतरराष्ट्रीय मैगजीन में भी सराहा गया है। नई तकनीक के जरिए मरीज को दो बार की लंबी ऑपरेशन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।

केवल एक बार के ऑपरेशन में ही मरीज को आराम मिल जाएगा। अमूमन कई बार गर्दन और सिर को जोडऩे वाली हड्डी के बढ़ जाने से मरीज को खासा दिक्कत होती है। शुरुआती दौर में बढ़ी हुड्डी की वजह से मरीज की नस दबने लगती है, जिसकी वजह से मरीज के हाथ-पांव कमजोर होने लगते हैं। सांस की दिक्कत होने लगती है। इलाज न कराने पर मरीज की स्थिति गंभीर होने लगती है और उसे टॉयलेट में भी दिक्कत होती है। एक साल से तीन साल के अंदर मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है।

फिलहाल परंपरागत तकनीक में मरीज का दो ऑपरेशन करना पड़ता है। इसके तहत पहले मुंह के अंदर इंस्ट्रूमेंट डालकर बढ़ी हुई हड्डी को काटा जाता है और दूसरी बार के ऑपरेशन के दौरान गर्दन के पीछे ऑपरेशन करके रॉड-स्क्रू के जरिए जोड़ा जाता है। न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रो. पी. शरदचन्द्र का कहना है कि नई तकनीक के जरिए मरीज का मात्र एक बार गर्दन के पीछे ऑपरेशन करना पड़ता है। इस तकनीक में मरीज को लंबी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता है और न ही उसे दर्द होता है। इस तकनीक के जरिए अब छोटे अस्पताल में भी मरीज का इलाज हो सकता है।

गले की हड्डी बढ़ने से क्या होता है?

हड्डी बढ़ने से गले की नसों पर दबाव पड़ता है और दर्द होता है। टीबी की बीमारी, रीढ़ की हड्डी में इन्फेक्‍शन भी गले में दर्द पैदा कर सकता है। गले और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव और सर्वाइकल वर्टिब्रा से निकलने वाली तंत्रिकाओं में ऐंठन की वजह से भी दर्द बनता है। गले का कान और नाक से सीखा संबंध होता है।

गर्दन की हड्डी क्यों बढ़ जाती है?

ऊंचाई से गिरने, खेल-कूद और मार-पीट जैसे कई कारणों से गर्दन क्षतिग्रस्त हो सकती है और कई बार इसकी वजह से मौत भी हो सकती है। इसके अलावा गलत तरीके से व्यायाम करने और सोने-उठने-बैठने के गलत तौर-तरीकों से भी गर्दन दर्द की समस्या हो सकती है।

हड्डी बढ़ने पर क्या करें?

एड़ी की हड्डी बढ़ने से बचाव - Adi Ki Haddi Badhne Se Bachav.
एड़ी में होने वाले किसी भी प्रकार के दर्द को नजरअंदाज न करें. ... .
अगर किसी शारीरक गतिविधि से दर्द उत्पन्न होता है तो उस प्रभावित क्षेत्र पर इचे लगाएं और अपने पैरों को राहत पहुंचाए..
हमेशा सही नाप वाले जूत्ते ही पहने..
एड़ी और पंजे पर ज्यादा दबाब वाले जूत्ते न पहनें..

हड्डी का बढ़ना कैसे रोके?

दर्द को नजरअन्दाज करके चलने, व्यायाम करने या जूते पहने रखने से एड़ी की हड्डी बढ़ने की समस्या हो सकती है। अगर आपको कोई गतिविधि या कार्य करने से एड़ी में दर्द होता है, तो उस क्षेत्र पर बर्फ लगाएं और अपने पांव को आराम दें। उचित नाप के और सही फिटिंग वाले जूते पहनें। कोई काम करने से पहले वॉर्मअप और स्ट्रेचिंग करें।