एक शिक्षक की सबसे बड़ी चुनौती क्या होती है? - ek shikshak kee sabase badee chunautee kya hotee hai?

विद्यार्थियों से उनका गृहकार्य करवाना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना कक्षा में अनुशासन बनाए रखना प्रश्न-पत्र तैयार करना

Answer : B

Solution : एक शिक्षक के लिए शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना, उसकी सबसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण चुनौती होती है।

एक शिक्षक की सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती है

  1. विद्यार्थियों से उनका गृहकार्य करवाना
  2. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना
  3. कक्षा में अनुशासन बनाये रखना
  4. प्रश्नपत्र तैयार करना

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना

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10 Questions 10 Marks 8 Mins

शिक्षण एक जटिल गतिविधि है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें छात्रों को निश्चित शिक्षण में बढ़ावा देने के उद्देश्य से बातचीत के लिए एक नियंत्रित वातावरण प्रदान किया जाता है।शिक्षक जो सीखने के अनुभव और स्कूल की सेटिंग प्रदान करने के लिए विशिष्ट शिक्षण अनुभव, विभिन्न तरीके, और साधन प्रदान करता है।छात्रों को प्रदान किया जाने वाला वातावरण सामग्री द्वारा निर्धारित किया जाता है।

शिक्षक की महत्वपूर्ण चुनौतियाँ: शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में प्रतिमान परिवर्तन के कारण, बढ़ती अपेक्षाओं के कारण शिक्षक की भूमिका अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। शिक्षक सीखने के विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई कार्यों से सुसज्जित है।

  • अधिगम को बढ़ावा देने के लिए, छात्रों को सीखने और आगे के विकास के बारे में बातचीत करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करके, सीखने के द्वारा अधिक से अधिक विकसित करने में मदद करने करना।
  • शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को विभिन्न शिक्षण गतिविधियों के आयोजन से और कक्षा में नवीन शिक्षण सहायक सामग्री का उपयोग करके अधिक सुखद और प्राप्य बनाने के लिए।
  • कक्षा की गतिविधियों की देखरेख, पाठों को व्यवस्थित करना, प्रपत्रों को तैयार करना, परीक्षण तैयार करना, ग्रेड आवंटित करना, शिक्षण सहायक सामग्री बनाना, अन्य शिक्षकों और अभिभावकों से मिलना और रिकॉर्ड रखने के द्वारा कक्षा का प्रबंधन करना।
  • न केवल शिक्षार्थियों के बौद्धिक विकास के साथ, बल्कि उनके नैतिक, भावनात्मक, नागरिक, सौंदर्य और यहां तक ​​कि कैरियर के विकास से भी चिंतित रहना।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि एक शिक्षक की सबसे महत्वपूर्ण चुनौती शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना है।

Last updated on Sep 22, 2022

The exam dates for the HTET 2022 have been postponed. Due to the General Elections, the exam dates for the HTET have been revised. The exam will be conducted on the 3rd and 4th of December 2022 instead of the 12th and 13th of November 2022. The exam is conducted by the Board of School Education, Haryana to shortlist eligible candidates for PGT and TGT posts in Government schools across Haryana. The exam is conducted for 150 marks. The HTET Exam Pattern for Level I, Level II, and Level III exams is different. There will be no negative marking in the exam.

संजीव राय; परंपरागत रूप से दुनिया में शिक्षकों को एक अनुकरणीय व्यक्तित्व माना जाता रहा है, लेकिन क्या शिक्षकों का समाज में वही सम्मान और स्थान बना हुआ है? क्या आज भी अधिकतर छात्र अपने शिक्षकों को आदर्श मानते और उनके जैसा शिक्षक बनना चाहते हैं? जिज्ञासा इस बात को लेकर भी रहती है कि शिक्षक के कौन से गुण हैं, जिनका अनुकरण उनके छात्र करना चाहते हैं?

कई लोगों का मानना है कि उनके बचपन में सत्य बोलना, ईमानदारी, दया, करुणा जैसे मूल्यों की शिक्षक प्रसंशा तो करते हैं, लेकिन आज इन मूल्यों को समाज में अव्यावहारिक माना जाने लगा है। क्या समाज बदलने से कक्षा का विमर्श बदला है या कक्षा का विमर्श बदलने से समाज बदला है?

क्या इसका अभिप्राय यह माना जाए कि समाज की दूसरी प्रक्रियाओं ने शिक्षा को अधिक प्रभावित किया है और शिक्षा, समाज को प्रभावित करने में कम असरदार रही है? शिक्षक का एक गुण विद्यार्थी को निर्भीक और विवेकशील बनाना है, लेकिन क्या शिक्षक अपनी कमजोरी से डरते हैं और इसलिए कक्षा में मूल्यों की चर्चा नहीं करते? अगर वास्तव में ऐसा है तो शिक्षकों के भीतर के द्वंद्व को समझना होगा।

शिक्षकों के अपनी कार्यशैली, उत्साह-निराशा और दिन-प्रतिदिन के व्यवहार को विद्यार्थी देखते रहते हैं। स्कूल का विद्यार्थी वयस्क समाज में अपनी भूमिका की कल्पना अपने शिक्षक के व्यक्तित्व के चश्मे से करता है।

पहले की शिक्षा नीतियों के समान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी शिक्षकों से बहुत अपेक्षाएं हैं और विद्यालय स्तर पर नीति का क्रियान्वयन उन्हीं पर निर्भर है। क्या सामान्य कक्षा के विमर्श में सही-गलत की पहचान, तथ्य-कथ्य और पूर्वाग्रह में फर्क करना, भ्रांति और सत्य के बीच तार्किक ढंग से चुनाव करना शामिल है?

क्या शिक्षक सजग हैं कि उनके व्यक्तित्व, उनके मूल्यों और विश्वास का अवलोकन उनके छात्र कर रहे हैं, वह उनके व्यवहार को अनुकरणीय पा रहे हैं? क्या शिक्षक अपने व्यवहार से, छात्रों को यह भरोसा दिलाते हैं कि जो छात्र वैचारिक रूप से अपने शिक्षक और दूसरे सहपाठियों से असहमत हैं, उनके प्रति भी स्नेह और सम्मान का भाव बना रहता है?

आजकल स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों को पूरे कार्यदिवस रोके रखने के लिए उनके आने और जाने के समय का रिकार्ड रखने के लिए 'बायोमीट्रिक' लगाया जा रहा है। क्या यह शिक्षकों पर कम होते भरोसे का परिणाम है या शिक्षकों को भी अन्य कर्मचारियों जैसा मानने के कारण ऐसा हो रहा है?

किसी भी अच्छे शिक्षक का एक गुण नया सीखने के लिए जिज्ञासु होना और विद्यार्थियों को ज्ञान की खोज के लिए प्रेरित करना होता है। अभी तक बनी तीनों ही राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में यह अपेक्षा है कि शिक्षक प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट क्षमताओं की स्वीकृति, पहचान और उनके विकास के लिए प्रयास करेंगे।

कितने प्रतिशत स्कूली शिक्षक हैं जो स्वत:स्फूर्त ढंग से हर छह महीने-साल भर में बच्चों के लिए उपयोगी पुस्तकें पढ़ते हैं? अनौपचारिक चर्चा में जब यह पूछा जाता है कि आपने इस साल क्या पढ़ा, तो बहुमत में स्कूली शिक्षक इसका जवाब चुप्पी में देते हैं और कुछ लोग अलग-अलग शिक्षक-प्रशिक्षण की संदर्भ पुस्तिका पढ़ने का उल्लेख करते हैं! एक छोटा वर्ग कुछ नया पढ़ता-रचता रहता है।

कुछ शिक्षकों का कहना है कि उनके अपने जीवन और नौकरी में इतनी जटिलता और विरोधाभास हैं कि वे अपने विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए प्रेरित नहीं कर पाते हैं। एक शिक्षक का कहना है कि 'अगर हम अपने बच्चों को दया, ईमानदारी, सद्भाव, सत्य जैसे मानवीय मूल्य सिखाते हैं, तो वे आज के प्रतियोगी समाज में कैसे अपनी जगह बना पाएंगे? स्कूल के बाहर दो-तिहाई समय तो बच्चे आस-पड़ोस में देख ही रहे हैं कि उनके चारों तरफ क्या हो रहा है।

देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अमल में लाने का प्रयास है और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या का प्रारूप बन रहा है। भावी शिक्षकों के लिए अब चार वर्षीय पाठ्यक्रम को चलाने की तैयारी है। इससे पहले एक साल वाले बीएड को दो साल के पाठ्यक्रम में बदला गया था। क्या शिक्षक-प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाने से शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ी है? क्या जो संस्थान, शिक्षकों को बीएड-बीटीसी जैसे प्रमाणपत्र देते हैं, उनकी गुणवत्ता में कोई सकारात्मक बदलाव आया है?

अब चार वर्षीय पाठ्यक्रम द्वारा शिक्षकों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले एक दशक में, इंजीनियरिंग से लेकर मैनेजमेंट की डिग्री और पीएचडी किए हुए लोग भी बीएड-बीटीसी करके प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने के लिए प्रयासरत हैं। कुछ सफल भी हुए हैं।

प्राय: विद्यालय के भीतर का यथार्थ, समाज में चल रहा विमर्श और प्रशासनिक स्तर की जटिलता का प्रतिबिंब शिक्षक प्रशिक्षण वाले कालेजों के भीतर की चर्चा और शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में नहीं दिखता है। मीडिया, तकनीक, महामारी के कारण तेजी से बदलते समाज में शिक्षा को प्रभावित करने वाले इतने तत्त्व सक्रिय हैं कि अधिकांश शिक्षकों की विद्यालय और छात्रों के बारे में अपनी कोई दृष्टि नहीं रह गई हैं।

बहुमत में स्कूली शिक्षक, अपने स्तर से विद्यार्थियों के लिए कोई नया प्रयोग करने की जगह ऊपर के आदेश की प्रतीक्षा और उसका पालन करने को ही शिक्षक का धर्म मानने लगे हैं। विद्यालय और दूसरे स्थानों पर बहुतायत में समारोह आयोजित करने का कार्य भी शिक्षकों के हिस्से आता है। ऐसे में विद्यार्थियों के हित के लिए जोखिम लेने का साहस शिक्षक नहीं कर पाते हैं।

शिक्षकों के भीतर विद्यार्थियों के लिए कुछ करने की इच्छा तो है, लेकिन रोजमर्रा की प्रक्रिया में यह बात विस्मृत होती जा रही है कि विद्यालय का अस्तित्व विद्यार्थियों पर टिका है। परंपरा से शिक्षकों की भूमिका विद्यालय के बाहर एक ज्ञानवान सामाजिक पहरुए की भी रही है।

समाज में सही बात कहने और सत्य-ईमानदारी के साथ खड़े होने वाले शिक्षकों ने समाज को दिशा दी है। क्या आज शिक्षकों की अपनी कोई विशिष्ट छवि है, जो उन्हें दूसरी नौकरियों से अलग पहचान दिलाती है?

जब शिक्षकों को गढ़ने के पाठ्यक्रम पर विमर्श चल रहा है, तो किसी भी संस्थान के लिए ऐसे शिक्षक तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती है, जो अपने विद्यार्थियों को निर्भीक और एक बेहतर इंसान बनने, सत्य के पक्ष में खड़े होने और समाज की बेहतरी के लिए ज्ञान अर्जित करने को प्रेरित करें।

समाज चाहता है कि शिक्षक की छवि दूसरी नौकरियों से अलग, एक तार्किक ज्ञानवान व्यक्ति की हो और उनके व्यवहार में उच्च जीवन मूल्य दिखें। समाज एक साहसिक और तर्कवान शिक्षक को हमेशा याद रखता है। कोरोना संकट में लाखों शिक्षकों ने छात्रों के हित में सराहनीय कार्य किया।

अभी भी हजारों शिक्षक समर्पण के साथ अभिनव प्रयोग कर रहे हैं और उनके छात्र आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन जिस समाज में प्रत्येक शिक्षक और उनके प्रतिनिधि सच्चे अर्थों में समाज के पथ प्रदर्शक होंगे, जो विद्यार्थियों और नागरिकों को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने में अहम भूमिका निभाएंगे, वही समाज में सम्मानित होंगे, छात्र उनको ही याद रखेंगे।

क्रेडिट : जनसत्ता

एक शिक्षक के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती क्या है?

एक शिक्षक की सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती है.
विद्यार्थियों से उनका गृहकार्य करवाना.
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्दप्रद बनाना.
कक्षा में अनुशासन बनाये रखना.
प्रश्नपत्र तैयार करना.

शिक्षक के लिए चुनौती क्या है?

शिक्षकों द्वारा सामना की जाने वाली कुछ सामान्य कक्षा चुनौतियों में टीम वर्क की कमी, न्यूनतम व्यक्तिगत समय, दीर्घकालिक लक्ष्यों की दिशा में काम करना, तर्क और छात्र बहाने आदि शामिल हैं।

अच्छे शिक्षक कौन है?

एक अच्छा शिक्षक वही है जो समाज की सभी मजबूरी से मुक्त हो। जो शिक्षक स्पष्ट रूप से विशिष्ट और सटीक हैं तथा अस्पष्ट नहीं हैं। वे विचार की स्पष्टता और एक स्पष्ट दृष्टि रखते हैं जो उनके शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाता है। एक शिक्षक का सबसे आवश्यक कौशल पुस्तकों पर उनकी अपनी राय बनाने में बच्चों की मदद करने योग्यता का होना है।

शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?

शिक्षक का अति महत्वपूर्ण कार्य क्या है?.
छात्रों के विकास का मार्गदर्शन करना.
जब भी आवश्यक हो उपचारात्मक सहायता प्रदान करना.
प्रभावी शिक्षण प्रदान करना.
कक्षा में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखना.