By: RF competition Copy Share (205) Show छायावाद– विशेषताएँ एवं प्रमुख कविNov 25, 2021 01:11PM 21567 छायावाद की परिभाषाएँआधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में द्विवेदी युग के बाद हिंदी की जिस
काव्य धारा ने हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाया, उसे 'छायावाद' कहते हैं। विषयवस्तु की दृष्टि से स्वच्छंद प्रेम भावना, प्रकृति में मानवीय क्रियाकलापों व भाव-व्यापारों के आरोपण तथा कला की दृष्टि से लाक्षणिकता प्रधान नवीन अभिव्यंजना-पद्धति आदि छायावादी काव्य की मूल विशेषताएँ हैं। अनेक विद्वानों ने छायावाद को परिभाषित किया है। प्रमुख विद्वान एवं उनके द्वारा दी गई छायावाद की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं– हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। छायावाद की प्रमुख विशेषताएँछायावादी
काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं– हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। छायावादी कवि एवं उनकी रचनाएँछायावाद के प्रमुख कवि एवं उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ निम्नलिखित हैं– हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। उत्तर छायावादउत्तर छायावाद में श्रृंगार रस और प्रेम भाव की एक अलग काव्यधारा चली थी। इस युग में एक सीमित
क्षेत्र में बहुत-सी अनुभूतियाँ व्यक्त की गई हैं। इस तरह की प्रवृत्ति अधिक नहीं चल पायी थी। उत्तर छायावाद के कवियों ने काव्य में श्रृंगार, प्रेम और प्रकृति का चित्रण किया गया है। इन काव्यों में छायावाद के विकास के लक्षण दिखाई देते हैं। छायावादी काव्यधारा की त्रयी प्रसाद, पंत और निराला के रूप में जानी जाती है। साथ ही उत्तर छायावाद की काव्यधारा की त्रयी बच्चन, सुमन और अंचल के रूप में जानी जाती है। छायावाद के प्रमुख कवि निम्नलिखित हैं– हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। I hope the above information will be useful and important. छायावाद की दो प्रमुख विशेषताएं क्या है?ध्वन्यात्मकता, लाक्षणिकता, सौंदर्य, प्रकृति-विधान तथा उपचार वक्रता के साथ स्वानुभूति की विवृत्ति छायावाद की विशेषताएँ हैं।"
छायावादी युग का दूसरा नाम क्या है?छायावादी युग (1920-1936) प्राय: 'द्विवेदी युग' के बाद के समय को कहा जाता है। बीसवीं सदी का पूर्वार्द्ध छायावादी कवियों का उत्थान काल था। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और सुमित्रानंदन पंत जैसे छायावादी प्रकृति उपासक-सौन्दर्य पूजक कवियों का युग कहा जाता है।
छायावाद की प्रमुख प्रवृत्ति कौन सी है?छायावादी कवि के लिए कोई भी वस्तु काव्य-विषय बनने के लिए उपयुक्त थी। इसी स्वच्छंदतावादी प्रवृत्ति के फलस्वरूप छायावादी काव्य में सौंदर्य और प्रेम चित्रण, प्रकृति-चित्रण,राष्ट्रप्रेम,रहस्यात्मकता,वेदना और करुणा, वैयक्तिक सुख-दु:ख, अतीत प्रेम, कलावाद,प्रतीकात्मकता और लाक्षणिकता,अभिव्यंजना आदि सभी प्रवृत्तियां मिलती है।
छायावाद के जनक कौन है?जयशंकर प्रसाद ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई।
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