चंद्रमा की पर्यायवाची शब्द - chandrama kee paryaayavaachee shabd

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द (Chandrama ka Paryayvachi Shabd)

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द: चाँद, चंद्र, हिमांशु, सुधांशु, राकापति, शशि, सारंग, निशाकर्, निशापति, रजनीपति, कलाधर, मयंक, तारापति, द्विजराज, सोम, हिमकर, शुभ्रांशु, शीतांशु, शीतगु, कुमुद, सुधाकर, सुधाधर, राकेश, मृगांक, कलानिधि, इंदु, शशांक, विधु, शशधर, कौमुदीपति, अंशुमाली, नक्षत्रनाथ, नक्षत्रेष, द्विज, अमृतरश्मि, अमृतांशु, उडुपति, उडुराज, उदधिसुत, ओषधीश, कुमुदिनीपति, तारकेश, सारंग, विभाकर, क्षपाकर, क्षपानाथ, ग्रहराज, छायांक, तमोहर, तारकेश्वर, ताराधीश, तारानाथ, इंदु, चंदा, अत्रिज, अमीकर, अब्धिज, निशाकांत, महताब, तुषाररश्मि, माहताब, मृगलांछन, मेहताब, शशि, सिंधुजन्मा, सुधांशु, सुधारश्मि, सोम, हरिणांंक, हिमकर, श्वेताश्व, शीतांशु, सितांशु, औषधिपति, कलाधर, कुमुदबंधु, तुषारांशु, दधिसुत, दोषाकर, निशार्माण, रजनीपति, रजनीश, रोहिणीपति

Chandrama ka Paryayvachi Shabd: Chaand, Chandra, Himanshu, Sudhanshu, Raakapati, Shashi, Saarang, Nishaakar, Nishpatim, Rajneepati, Kalaadhar, Mayank, Taarapati, Dwijraaj, Som, Himkar, Shubhanshu, Sheetanshu, Sheetgu, Kumud, Sudhakar, Sudhadhar, Rakesh, Mrigaank, Kalanidhi, Indu, Shashank, Vidhu, Shshdhar, Koumudipti, Anshumali, Nakshtrnaath, Nakshesh, Dwij, Amritrashmi, Uddpati, Udduraj, Uddhisut, Oushdheesh, Kumuduneepati, Taarkesh, Saarang, Vibhaakar, Kshpakar, Kshpaanath, Grahraj, Chayank, Tamohar, Taarkeshwar, Taaradheesh, Taaranath, Indu, Chanda, Arit, Ameekar, Abdhij, Neeshakant, Mahtaab, Tushurrishm, Maahtaab, Mriglaanchan, mehtaab, shashi, Shindhujanma, Shudhaansh, Som. Harinaak, Himkar, Swetaashv, Sheetanshu, Oushdhipati, Kaaladhar, Kumudbandu, Tushraanshu, Dadhisut, Doshakar, Nishaamaarn, Rajnipatim Rajnish, Rohinipati,

चंद्रमा की पर्यायवाची शब्द - chandrama kee paryaayavaachee shabd
Image: chandrama ka paryayvachi shabd

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द संस्कृत में: सोम:, हिमांशु:, चन्द्र:, क्षपाकर:, इंदु:, निशापति:, राजा, प्रालेयांशु:, रोहिणी-वल्लभ:, विधु:, राकेश:, श्वेतरोचि:, नक्षत्रेश:, कलानिधि:, निशाकर:, अब्ज:, ऋक्षेश:, जैवातृक:, कुमुदबांधव:, शशधर:, राशि:, सुधांशु:, शशाड़्क:, मृगाड़्क:, ओषधीश:, द्विजरा:, अत्रिनेत्रप्रसूत:, ग्लौ:।

चंद्रमा के पर्यायवाची शब्द (Synonyms of Chandrama in Hindi) और उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। 

इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।

नीचे हम उदाहरण के माध्यम से चंद्रमा और चंद्रमा के पर्यायवाची शब्द को और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।

  • चाँद चाँद सितारों से भी आगे बढ़ सकते हो।
  • हिमांशु – मैने कल देखा हिमांशु अच्छा क्रिकेट खेलता हैं।
  • निशाकर – निशाचरों की तरह रात में कंहा विचर रहे हो। निशाकर के निकलते ही अंधकार तिरोहित हो गया।
  • कलाधर – कलम कलाधर मानद उपाधि, उदयपुर।”
  • सुधाकर – सुधाकर ने अपनी शिकायत में चार अन्य लोगो का नाम लिया हैं।

पर्यायवाची शब्द परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई पर्यायवाची शब्द हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिए गए शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची (Chandrama ka Samanarthi Shabd) ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी समानार्थक शब्दों में से किसी का भी पर्यायवाची शब्द पूछा जा सकता है।

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द क्या है?

चाँद, चंद्र, हिमांशु, सुधांशु, राकापति, शशि, सारंग, निशापति, रजनीपति आदि चंद्रमा के मुख्य पर्यायवाची शब्द है।

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द संस्कृत में क्या है?

सोम:, हिमांशु:, चन्द्र:, क्षपाकर:, इंदु:, निशापति: आदि चन्द्रमा के मुख्य संस्कृत पर्यायवाची शब्द है।

हमने यहाँ पर 50 से अधिक चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द हिंदी में (Chandrama ke Paryayvachi Shabd) और चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द संस्कृत में शेयर किये हैं। उम्मीद करते हैं आपको यह पसंद आये होंगे, इन्हें आगे शेयर जरुरर करें।

अन्य महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द

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हिन्दी

पर्यायवाची

  • शशि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चंद्रमा नभ में हँसना था बाज रही थी वीणा अश्रांत ।— झरना, पृ॰ ७१ ।

चंद्रमा संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्रमस्] आकाश में चमकनेवाला एक उपग्रह जो महीने में एक बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा करता है और सूर्य से प्रकाश पाकर चमकता है । विशेष— यह उपग्रह पृथ्वी के सब से निकट है; अर्थात् यह पृथ्वी से २३८८०० मील की दूरी पर है । इसका व्यास २१६२ मील है और इसका परिमाण पृथ्वी का ४ १/९ है । इसका गुरुत्व पृथ्वी के गुरुत्व का ८ १/॰ वाँ भाग है । इसे पृथ्वी के चारों ओर घूसने में २७ दिन, ७ घंटे, ४३ मिनट और ११ १/२ सेकडे लगते हैं, पर व्यवहार में जो महीना आता है, वह २९ दिन, १२ घंटे, ४४ मिनट

२. ७ सेकडे का होता है । चंद्रमा के परिक्रमण की गति में सूर्य की क्रिया से बहुत कुछ अंतर पड़ता रहता है । चंद्रमा अपने अक्ष पर महीने में एक बार के हिसाब से घूमता है; इससे सदा प्राय: उसका एक ही पार्श्व पृथ्वी की ओर रहता है । इंसी विलक्षणता को देखकर कुछ लोगों को यह भ्रम हुआ था कि यह अक्ष पर घूमता ही नहीं है । चंद्रमंडल में बहुत से धब्बे दिखाइ देते हैं जिन्हें पुराणानुसार जनसाधारण कलंक आदि कहते हैं । पर एक अच्छी दूरबीन के द्वारा देखने से ये धब्बे गायब हो जाते हैं और इनके स्थान पर पर्वत , घाटी, गर्त्त, ज्वालामुखी पर्वतों से विवर आदि अनेक पदार्थ दिखाई पड़ते हैं । चंद्रमा का अधिकांश तल पृथ्वी के ज्वालामुखी पर्वतों से पूर्ण किसी प्रदेश का सा है । चंद्रमा में वायुमंडल नहीं जान पडता और न बादल या जल ही के कोई चिह्न दिखाई पडते हैं । चंद्रमा में गरमी बहुत थोडी दिखाई पडती है । प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों के मत से भी चद्रमा एक ग्रह है, जो सुर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है । भास्कराचार्य के मत से चंद्रमा जलमय है । उसमें निज का कोई तेज नहीं है । उसका जितना भाग सूर्य के सामने पडता है, उतना दिखाई पडता है — ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार धूप में घडा रखने से उसका एक पार्श्व चमकता है और दूसरा पार्श्व उसी की छाया से अप्रकाशित रहता है । जिस दिन चंद्रमा के नीचे के भाग पर अर्थात् उस भाग पर जो हम लोगों की ओर रहता है, सूर्य का प्रकाश बिलकुल नहीं पडता, उस दिन अमावस्या होती है । ऐसा तभी होता है, जब सूर्य और चंद्र एक राशिस्थ अर्थात् समसूत्र में होते हैं । चंद्रमा बहुत शीघ्र सूर्य की सीध मे पूर्व की ओर हट जाता हैं और उसकी एक एक कला क्रमश: प्रकाशित होने लगती है । चंद्रमा सुर्य की सीध (समसूत्र पात) से जितना ही अधिक हट जायगा, उसका उतना ही अधिक भाग प्रकाशित होता जायगा । द्वितीया के दिन चंद्रमा के पश्चिमांश पर सूर्य का जितना प्रकाश पडता है, उतना भाग प्रकाशित दिखाई पडता हैं । सूर्य सिद्धांत के मतानुसार जब चंद्रमा सूर्य की सीध से ६ राशि पर चला जाता है तब उसका समग्र आधा भाग प्रकाशित हो जाता हैं और हमें पूर्णिमा का पूरा चंद्रमा दिखाई पडता हैं । पूर्णिमा के अनंतर ज्यों ज्यों चंद्रमा बढ़ता जाता हैं, त्यों त्यो सूर्य की सीध से उसेका अंतर कम होता जाता है; अर्थात् वह सूर्य की सीध की ओर आता जाता हैं और प्रकाशित भाग क्रमश: अंधकार में पड़ता जाता हैं । अनुपात के मतानुसार प्राकाशित और अप्रकाशित भागों के इस ह्वास और वृद्धि का हिसाब जाना जा सकता है । यही मत आर्यभट्ट, श्रीपति, ज्ञानराज लल्ल, ब्रह्मपुत्र, आदि सभी पुराने ज्योतिषियों का है । चंद्रमा में जो धब्बे दिखाई पडते हैं, उनके विषय में सूर्यसिद्धांत, सिद्धांतशिरोमणि, बृहत्संहिता इत्यादि में कुछ नहीं लिखा है । हरिवश में लिखा हैं कि ये धब्बे पृथ्वी की छाया हैं । कवि लोगों ने चकोर और कुमुद को चंद्रमा पर अनुरक्त वर्णन किया हैं । पुराणा- नुसार चंद्रमा समुद्रमंथन के समय निकले हुए चोदह रत्नों में से है और देवताओं में गिना जाता है । जब एक असुर देवताओं की पंक्ति में चुपचाप बैठकर अमुत पी गया, तब चंद्रमा ने यह वृत्तांत विष्णु से कह दिया । विष्णु ने उस असुर के दो खंड कर दिए जो राहु और केतु हुए । उसी पुराने वैर के कारण राहु ग्रहण के समय चंद्रमा को ग्रसा करता हैं । चंद्रमा के धब्बे के विषय में भी भिन्न भिन्न कथाएँ प्रसिद्ध हैं । कुछ लोग कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के शाप से चंद्रमा को राजपक्ष्मा रोग हुआ; उसी की शांति के लिये वे अपनी गोद में एक हिरन लिए रहते हैं । किसी किसी के मत से चंद्रमा ने अपनी गुरुपत्नी के साथ गमन किया था; इसी कारण शापवश उनके शरिर पर काला दाग पड गया है । कहीं कहीं यह भी लिखा हैं कि जब इंद्र ने अहल्या का सतीत्व भंग किया था, तब चंद्रमा ने इंद्र को सहायता दी थी । गौतम ऋषि ने क्रोधवश उन्हें अपने कमडल और मृगचर्म से मारा, जिसका दाग उनके शरीर पर पड गया । रुस और अमेरिका चंद्रमा संबंधी अभियान और अनुसंधान में लगे हैं । १९५९ के ४ अक्तूबर के दिन रुस ने एक स्वयंचालित अंतर्ग्रही स्टेशन चंद्रमा की ओर छोडा जिसने चंद्रमा के अदृश्य भाग के फोटो ४० मिनट तक लिये । अमेरिका भी यह काम कर चुका हैं । दोनों के मानवहीन अंतरिक्ष यान मंदतम गति से चंद्रतल पर अवतरण कर चुके हैं । मान व को वहाँ उतारने की चेष्टा में दोनो देश लगे हैं । यह हो जाने पर अनेक नवीन तथ्यों का पता लगेगा । पर्या॰—हिमाशु । इंदु । कुमुदबांधव । विधु । सुधांशु । शुभ्रांशु । ओषधीश । निशाब्जति । अज । जैवातृक । सोम । ग्लौ । मृगांक । कलानिधि । द्विजराज । शशधर । नक्षत्रराज । क्षपाकर ।दोषाकर । निशानाथ । शर्वरीश । एणांक । शीत- रश्मि । सारस । श्वेतवाहन । नक्षत्रनेमि । उडुप । क्षुधासूति । तिथिप्रणी । अमति । चंदिर । चित्राचीर । पक्षधर । रोहि- णीश । अत्रिनेत्रज । पत्रज । सिंधुजन्मा । दशास्य । तारापीड- निशामणि । मृगलांछन । दाक्षायणीपति । लक्ष्मीसहज । सुधाकर । सुधाधार । शीतभानु तमोहर । तुषारकिरण । हरि । हिमद्युति । द्विजपत्ति । विश्वस्पा । अमृतदीधिति । हरिणांक । रोहिणीपति । सिंधुनंदन । तमोनुद् । एणतिलक । कुमुदेश । क्षीरोदनंदन । कांत कलावान् । यामिनीपति । सिप्र । सुधानिधि । तुंगी । पक्षजन्मा । समुद्रनवनीत । पीयूषू- महा । शीतमरीचि । त्रिनेत्रचूडामणि । सुधाँग । परिज्ञा । तु गीपति । पर्ब्बधि । क्लेदु । जयंत । तपस । खचमस । विकस । दशवाजी । श्वेतवाजी । अमृतसू । कौमुदीपति । कुमुदिनीपति । दक्षजापति । कलामृत । शशभृत् । चणभृत् । छरयाभृत् । निशारत्न । निशाकर । रजनीकर । क्षपाकर । अमृत । श्वेतद्युति । शशलांछन । मृगलांछन ।

संबंधित कड़ियाँ

हिन्दी शब्दावली

  • Paryaayavaachee Shabda
    • शिव के नाम
    • शक्ति के नाम
    • विष्णु के नाम
    • सूर्य
    • चन्द्रमा
    • पृथ्वी

बाहरी कडियाँ

चंद्रमा के पर्यायवाची कौन कौन से हैं?

पर्यायवाची.
राकापति.
निशाकर.

चंद्रमा को 5 अक्षर में क्या कहते हैं?

चाँद, हिमांशु, इंदु, सुधांशु, विधु, तारापति, चन्द्र, शशि, कलाधर, निशाकर, मृगांक, राकापति, हिमकर, राकेश, रजनीश, निशानाथ, सोम, मयंक, सारंग, सुधाकर, कलानिधि।

चांद के कितने नाम होते हैं?

चंद्रमा के यूं तो 108 नाम और 1008 नाम प्रचलित है। लेकिन यहां हम उनके 111 ऐसे नाम दे रहे हैं जिनके जप से चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं। कुंडली के चंद्र दोष समाप्त होते हैं और चंद्र से संबंधित बीमारी में भी लाभ मिलता है। मन का विश्वास बढ़ाने में भी यह नाम कारगर है क्योंकि चंद्र मन का कारक ग्रह है।

चंद्रमा के पिता का नाम क्या था?

पुराणों के अनुसार इनके पिता का नाम महर्षि अत्रि और माता का नाम देवी अनुसूया था