चश्मे का नंबर बढ़ने के लक्षण - chashme ka nambar badhane ke lakshan

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • ई-पेपर

चश्मे का नंबर बढ़ने के लक्षण - chashme ka nambar badhane ke lakshan

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • चश्मे का नंबर बढ़े तो हो जाएं सचेत

चश्मे का नंबर बढ़े तो हो जाएं सचेत

आंखोंकी रोशनी का धीरे-धीरे लगातार कम होना, दृष्टि क्षेत्र का सिकुड़ना, आंखों का लाल रहना, भारीपन, कभी-कभी सिरदर्द एवं आंखों में दर्द, बल्ब के चारों ओर इंद्रधनुषी रंगों का दिखाई पड़ना।

बीमारी का उपचार

इसबीमारी में मुख्य चुनौती आंख के प्रेशर को सामान्य स्तर पर बनाए रखना होता है। ग्लूकोमा में जो नुकसान दृष्टि का हो चुका है उसे सही नहीं किस जा सकता। लेकिन आई ड्रॉप, लेजर एवं ऑपरेशन की मदद से इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके लिए नियमित जांच जरूरी है।

ग्लूकोमा आंखों में काला पानी एवं काला मोतिया को ही कहते हैं। यह अंधेपन का प्रमुख कारण है। जिस तरह शरीर में ब्लड प्रेशर होता है। उसी तरह आंख में इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर (आईओपी) भी रहता है। इसे आंखों का प्रेशर कहते हैं। शुरुआती दौर में जब आंखों की तंत्रिकाओं की कोशिकाएं मामूली रूप से टूटने लगती हैं तो आंखों के सामने छोटे-छोटे बिंदु और रंगीन धब्बे दिखाई देते हैं।

डॉ. सुरेश गुप्ता

भास्कर संवाददाता | अलवर

अगरआपकी आंखों की रोशनी लगातार धीरे-धीरे कम हो रही है। कम समय में चश्मे का नंबर लगातार बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में अगर आप 40 वर्ष की आयु को पार कर चुके हैं तो आपकी आंखों में ग्लूकोमा यानी काला पानी (काला मोतिया) हो सकता है। डायबिटीज रोगी को यह बीमारी जल्दी अपनी गिरफ्त में लेती है। यह कहना है नेत्र ज्योति हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेश कुमार गुप्ता का। उन्होंने बताया कि छह से 12 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह में ग्लूकोमा के बारे में आमजन को इसके लक्षण और कारणों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है, जिससे समय पर इलाज संभव हो सके। इस बीमारी के प्रति लापरवाही दृष्टिहीनता की ओर धकेल सकती है। क्योंकि ज्यादातर लोग इसी बीमारी के कारण दृष्टिहीनता का शिकार हो रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी में जितनी रोशनी खत्म हो गई उसे पुन: नहीं लौटाया जा सकता, लेकिन समय पर इलाज से गिरती रोशनी को रोका जा सकता है। शेष|16पर

परिवारमें किसी को ग्लूकोमा होने, आंखों में चोट लगने, लंबे समय से दमा या एलर्जी के रोगी को स्टीरॉयड या कॉटिजोन दवा लेने पर भी काला पानी हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह खामोश बीमारी है। इसका पता जब चलता है तब आंखों की काफी हद तक रोशनी जा चुकी होती है। इसका पता नियमित आखों की जांच से भी चल सकता है।

कितने नंबर तक का चश्मा उतर सकता है?

-26 चश्मे का नंबर RLE सर्जरी से हटाया जा सकता है | RLE for Specs Removal if LASIK/ICL Not Possible - YouTube.

आंखें कमजोर होने के क्या लक्षण है?

नज़रअंदाज़ न करें इन लक्षणों को.
आंखों या सिर में भारीपन और धुंधला दिखाई देना।.
आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।.
आंखों में खुजली होना.
रंगों का साफ दिखाई न देना।.
लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।.

चश्मे का नंबर क्यों बढ़ता है?

आंखों से अचानक कम दिखने लगे या चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बढ़ने तो इसे गंभीरता से लें। यह ग्लूकोमा (काला पानी) की बीमारी का लक्षण है। समय रहते इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है। इससे अगर आंखों की रोशनी जाती है तो दोबारा नहीं आ सकती, इसलिए सतर्क रहें और समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहें।

गलत नंबर का चश्मा लगाने से क्या होता है?

स‍िर में तेज दर्द होना (Headache) अगर आपके स‍िर में तेज दर्द हो रहा है तो इसका कारण चश्‍मे का गलत नंबर भी हो सकता है, अगर आप नया चश्‍मा बनवाकर लाए हैं और कई द‍िनों बाद भी सिर में तेज दर्द होता है तो आप डॉक्‍टर को द‍िखाएं।