चीन में सबसे बड़ा धर्म कौन सा है? - cheen mein sabase bada dharm kaun sa hai?

वहां के सरकारी मीडिया के मुताबिक़ चीन ने कम्युनिस्ट पार्टी के रिटायर सदस्यों को भी किसी भी धर्म का पालन करने पर पाबंदी लगा दी है।

चीन ख़ुद को नास्तिक तो कहता ही है, साथ में यह भी दावा करता है कि सभी धर्मालवंबियों अपनी आस्था को लेकर पूरी तरह से आज़ादी है। चीन के सरकारी मीडिया ने कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाशित हुए नियमों का हवाला देते हुए बताया है कि अब पार्टी के रिटायर कार्यकर्ता भी किसी धर्म का पालन नहीं कर सकते हैं। चीन में भले धार्मिक आज़ादी मिली हुई है लेकिन वहां धार्मिक गतिविधियां को स्वतंत्र होकर अंजाम नहीं दिया जा सकता है।

सभी चर्चों को सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है। इसके साथ ही चर्चों की गतिविधियों पर सरकार का नियंत्रण होता है। चीन के शिंजियांग प्रांत में मुस्लिम भी कई पाबंदियों के साथ जी रहे हैं। चीन 21वीं सदी में दुनिया के सबसे ताक़तवर देशों की पंक्ति में आ खड़ा हुआ है। वह दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर देश बन गया है।

चीन इतना ताक़तवर है, लेकिन इस देश में धर्मों का संसार यहां सबसे लाचार है। एक अनुमान के मुताबिक़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 8.5 करोड़ कार्यकर्ता हैं। इन्हें सख्त चेतावनी है कि वो किसी धर्म का पालन नहीं करेंगे। अगर कम्युनिस्ट पार्टी का कोई कार्यकर्ता किसी भी धर्म का अनुयायी पाया जाता है तो उसे सज़ा देने का प्रावधान है़।

वहां की सरकार इस बात को मानती है कि धार्मिक आस्था वामपंथ को कमज़ोर करती है। पार्टी के सदस्यों को पूरी सख्ती से मार्क्सवादी नास्तिक बनने को कहा जाता है। उन्हें पार्टी का नियम हर हाल में मानना पड़ता है। चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग ने ही धर्म को नष्ट करने की कोशिश की थी। उन्होंने नास्तिकवाद को बढ़ावा दिया था।

अगर चीन में घर्म की बात होती है तो तीन धर्मों पर ज़रूर विचार किया जाता है। ये हैं- कन्फ्युसियनिजम, बौद्ध और ताओइजम। कम्युनिस्ट पार्टी की सख्ती के बावजूद चीन में धर्म फला-फूला है। यहां बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और ताओइजम को मानने वाले सबसे ज़्यादा लोग हैं। लेकिन इन सभी धर्मावलंबियों को सरकारी चर्चों, मंदिरों और मस्जिदों के बाहर ही प्रार्थना करनी होती है।

पिछले कुछ दशकों में चीन में धर्म को पैर पसारने का मौक़ा मिला है। इस दौरान चीन में मंदिर, मस्जिद और चर्च बने। आज की तारीख़ में ईसाई धर्म चीन में तेज़ी से बढ़ता हुआ धर्म माना जा रहा है।

एक अनुमान के मुताबिक चीन में 6.7 करोड़ लोग ईसाई धर्म को मानते हैं। इन करोड़ों लोगों के लिए आधिकारिक चर्च के अलावा दूसरे चर्चों में प्रार्थना करना आसान नहीं है। चीन के पारंपरिक धर्म बौद्ध और ताओइजम मानने वाले 30 से 40 करोड़ लोग हैं। चीन में धर्मों पर नियंत्रण का एक व्यावसायिक पहलू भी है। मंदिरों में स्थानीय सरकार लोगों की एंट्री पर शुल्क देने पर मजबूर करती है।

चीन में बौद्ध धर्म के बारे में कहा जाता है कि यह एकमात्र विदेशी धर्म है जिसकी चीन में सबसे ज़्यादा स्वीकार्यता है। चीन में बौद्ध धर्म दूसरी शताब्दी में आया था। आज की तारीख़ में बौद्ध धर्म चीन के कई हिस्सों में एक महत्वपूर्ण ताक़त है। ग्रामीण चीन में इसका ख़ास प्रभाव है।

इस्लाम चीन में सातवीं शताब्दी में आया था। यह चीन में अरब के व्यापारियों के ज़रिए आया था। आज की तारीख़ में इस्लाम यहां अल्पसंख्यक है। एक अनुमान के मुताबिक़ चीन में डेढ़ करोड़ से ज्यादा मुस्लिम हैं। राजनीतिक रूप से चीन में मुसलमनों को अहम माना जाता है, क्योंकि चीन का मुस्लिम देशों से अच्छा संबंध है। यहां के लगभग मुस्लिम सुन्नी हैं, लेकिन इन पर सूफ़ियों का प्रभाव ज़्यादा है।

इसे सुनेंरोकेंवर्ष 1966-76 के दौरान चीनी सांस्कृतिक क्रान्ति के दौरान यह शासन द्वारा धर्मों पर विविध निर्बन्ध भी लगाए गए। वर्तमान सरकार आधिकारिक तौर पर पाँच धर्मों को पहचान देती है: बौद्ध, ताओ, इस्लाम, प्रोटेस्टैंट और (कुछ बन्धनों के साथ) कैथोलिक धर्म।

चाइना में सबसे ज्यादा कौन से धर्म के लोग हैं?

ताओ धर्म

  • 91% — बौद्ध धर्म
  • 2.5% — ईसाई धर्म
  • 1.5% — इस्लाम धर्म
  • 5% — निधर्मी और अन्य धर्म

चीन में सबसे ज्यादा कौन से धर्म के लोग हैं?

चीन में कितने पर्सेंट हिंदू रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवहीं मुस्लिम धर्म के अनुयाई की जनसंख्या भी यहां अच्छी खासी है। लेकिन जिस तरह भारत में हिन्दू धर्म की जनसंख्या सबसे अधिक है, वैसे चीन में हिंदू अनुयायी नही है। यहां बौद्ध धर्म के लोगों की जनसंख्या सबसे अधिक है, इसलिए यहां लगभग 13,000 बौद्ध मंदिर और लगभग 200,000 बौद्ध भिक्षु हैं।

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चीन का देवता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंचीनी देवता यनमो वांग हैं यमराज, लेकिन कैसे? चीन के ही लो-यांग जिले के सुआन वु क्षेत्र में एक ऐसा खंबा है।

चीन में कौन से देवता की पूजा की जाती है?

इसे सुनेंरोकेंअगर चीन में घर्म की बात होती है तो तीन धर्मों पर ज़रूर विचार किया जाता है. ये हैं- कन्फ्युसियनिजम, बौद्ध और ताओइजम.

चीन में कौन से भगवान की पूजा होती है?

इसे सुनेंरोकेंमाँ क्वान यिन को चीन में वही स्थान प्राप्त है जो देवी कात्यायनी को भारत में प्राप्त है.

चीन में कुल कितने मंदिर हैं?

इसे सुनेंरोकेंवैसे वर्तमान में चीन में कोई हिन्दू मंदिर तो नहीं हैं, लेकिन एक हजार वर्ष पहले सुंग राजवंश के दौरान दक्षिण चीन के फूच्यान प्रांत में इस तरह के मंदिर थे लेकिन अब सिर्फ खंडहर बचे हैं।

चीन में कितने परसेंट मुस्लिम है?

इसे सुनेंरोकेंजातीय अल्पसंख्यकों की कुल आबादी 0.83% की दर से ही बढ़ी है. वीगर मुसलमानों की जनसंख्या 1953 में 36 लाख थी जो 2020 में 1.1 करोड़ हो गई. वहीं, दक्षिणी शिनजियांग के चार ज़िलों में वीगर मुसलमानों की आबादी 83.74% है.

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चीन में सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंप्युनिंग मंदिर(सरलीकृत चीनी: 普宁寺; पिनयिन: Pǔníng Sì; अनुवाद “सार्वभौमिक शांति का मंदिर”) जिसे वस्तुतः विशाल बुद्ध मंदिर कहा जाता है, बौद्ध चेंगडे हेबै प्रांत, चीन में मंदिर परिसर है। यह किंग राजवंश में क्वानानोंग सम्राट के शासनकाल के दौरान १७५५ में बनाया गया था।

चीन का मुख्य धर्म कौन सा है?

वर्ष 1966-76 के दौरान चीनी सांस्कृतिक क्रान्ति के दौरान यह शासन द्वारा धर्मों पर विविध निर्बन्ध भी लगाए गए। वर्तमान सरकार आधिकारिक तौर पर पाँच धर्मों को पहचान देती है: बौद्ध, ताओ, इस्लाम, प्रोटेस्टैंट और (कुछ बन्धनों के साथ) कैथोलिक धर्म

चीन में कौन से भगवान को मानते हैं?

ये हैं- कन्फ्युसियनिजम, बौद्ध और ताओइजम. कम्युनिस्ट पार्टी की सख्ती के बावजूद चीन में धर्म फला-फूला है. यहां बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और ताओइजम को मानने वाले सबसे ज़्यादा लोग हैं.

चीन देश में कितने हिंदू हैं?

चीन में हिंदू धर्म का अभ्यास अल्पसंख्यक चीनी नागरिकों द्वारा होता है। आधुनिक चीनी मुख्यधारा में हिन्दू धर्म की उपस्थिति अपने आप में बहुत ही सीमित, परन्तु पुरातात्विक साक्ष्य से पता चलता है कि, मध्ययुगीन चीन के विभिन्न प्रांतों में हिंदू धर्म की उपस्थिति थी।

दुनिया में सबसे पहला धर्म कौन सा है?

हिन्दू धर्म (संस्कृत: हिन्दू धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत, नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसके अलावा सूरीनाम, फिजी इत्यादि। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है।