Show जून 2019 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले तथा आसपास के अन्य जिलों में चमकी (तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) का प्रकोप हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सौ से अधिक बच्चे मारे गए।[1] यह एक तरह का दिमागी बुखार है जो छोटे बच्चों को प्रभावित कर रहा है। बिहार में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कुछ बच्चों की मौत चमकी बुखार के कारण हुई है। यह बुखार खासतौर पर कमजोर एव कुपोषण से ग्रस्त बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है। कई चिकिस्तकों के अनुसार बच्चों को चमकी बुखार होने पर उनके शरीर में सोडियम की कमी हो रही है। इसका उपचार करना अति आवयश्क है। लेकिन जरा सी लापरवाही बच्चो की जान ले लेती है। चमकी बुखार का कारण[संपादित करें]
चमकी बुखार के लक्षण[संपादित करें]
चमकी बुखार का इलाज[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
चमकी बुखार कैसे होता है?क्यों कहा जाता है चमकी बुखार? दरअसल, बोलचाल की भाषा में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि इससे ग्रस्त मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क और शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है, आम बोलचाल की भाषा में इसी ऐंठन को चमकी कहा जाता है।
दिमागी बुखार कितने दिन में ठीक होता है?मेनिनजाइटिस सामान्यतया 10-15 दिन में ठीक हो जाता है लेकिन कारगर इलाज न हो तो मृत्यु और लकवा भी हो सकता है।
दिमागी बुखार के क्या लक्षण Hindi?दिमागी बुखार के लक्षण
चमकी बुखार या इंसेफेलाइटिस के मुख्य लक्षणों में थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, बेचैनी, कम दिखाई देना, बालों का झड़ना, कमजोरी, लकवा आदि शामिल हैं।
चमकी बुखार को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?बिहार के मुजफ्फरपुर सहित 12 जिलों में हर साल कहर ढाने वाले बीमारी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome or AES) या चमकी बुखार (Chamaki Fever) की बीमारी ने गर्मी बढ़ने के साथ दस्तक दे दी है।
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