जय हिन्द दोस्तों कैसे हैं आप लोग Hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज के इस लेख में हम जानेंगे कि train ki patri par pathar kyu hote hain. इसके पहले वाले लेख में हमने जाना था कि ट्रेन में 2S का मतलब क्या होता है, अगर आपने अभी तक हमारे इस लेख को नहीं पढ़ा है तो अभी जाकर पढ़ें! यहां से भी आपको बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा। Show आज का यह लेख हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सब ने देखा है कि दुनिया में ऐसा कोई रेलवे ट्रैक नहीं है जिसके नीचे पत्थर न हो यानी की गिट्टी ना डाली गई हो लेकिन हमें ये नहीं पता होता है कि रेल की पटरी के नीचे पत्थर क्यों होता है परंतु आज के बाद जब भी आप से कोई इसके बारे में पूछेगा तो आप उससे कई कारण बता सकते हैं। इस लेख में हमने 9 कारण बताए हैं जिसके लिए रेलवे ट्रैक पर पत्थर होते हैं या डाले जाते है। वैसे रेलवे ट्रैक हमें जितना सरल दिखाई देता है वास्तव में यह उतना ही जटिल होता है। रेलवे ट्रैक को कई चरणों में बहुत ही सावधानी पूर्वक बिछाया जाता है। ट्रेन की पटरी कैसे बिछाई जाती हैं। तो आइए अब जानते है कि train ki patri par pathar kyu hote hain और इससे क्या फायदा होता है क्या नुकसान होता है। train ki patri par pathar kyu hote hain|| रेल की पटरी पर पत्थर क्यों होते है।ट्रेन की पटरी पर पत्थर डालने के कई कारण होते हैं जिनमें से कुछ कारणों का उल्लेख यहां किया गया है।
हमने लगभग उन सभी कारणों का उल्लेख यहां पर किया जिनकी वजह से ट्रेन की पटरी पर पत्थर डाले जाते है अगर इसके अलावा भी कोई कारण है और हमने उसे इस लेख में शामिल नहीं किया है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं हम तत्काल प्रभाव से उससे इस लेख में जोड़ने का प्रयास करेंगे।
∆ ट्रेन में D1 D2 D3 D4 क्या होता है। रेल की पटरी पर पत्थर होते हैं जबकि मेट्रो की पटरी पर नहीं ऐसा क्यों।जैसा कि हम सब जानते हैं की मेट्रो फ्लाईओवर पर चलते हैं जो की पूरा कंक्रीट का होता है इसलिए वहां पर घास और झाड़ियां उगने की कोई संभावना नहीं होती है इसलिए पत्थरों का उपयोग मेट्रो में नही किया जाता है। दूसरा और मुख्य कारण यह है कि मेट्रो और ट्रेन की स्पीड में काफी अंतर होता है मेट्रो ट्रेन से कम स्पीड पर चलती है जिससे से कम वाइब्रेशन होता है और इन्हें कम करने की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए मेट्रो की पटरी पर पत्थर नहीं होते हैं। मेट्रो ट्रेन की अपेक्षा आर्मी हल्के होते हैं इसलिए भी मेट्रो के ट्रैक पर पत्थर का उपयोग नहीं किया जाता हैं। मेट्रो के ट्रैक पर जल जमाव की स्थिति भी नहीं होती है। रेल की पटरी पर जंग क्यों नहीं लगती हैं।आपने अक्सर देखा होगा कि ट्रेन की पटरी पर कभी जंग नहीं लगता है यदि लोगों से इसके बारे में पूछा जाए तो उनका जवाब यह होता है कि लगातार ट्रेन चलने की वजह से इस पर जंग नहीं लगता है लेकिन आपको बता दें कि ट्रेन की पटरी पर जंग लगने का यह कारण नहीं है। ट्रेन की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगता है इससे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिरकार जंग क्यों लगता है तो आपको बता दें कि लोहा जोकि आयरन होता है यदि ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आता है तो लोहे पर एक भूरे रंग का परत बन जाता है जो की आयरन ऑक्साइड होता है इसी भूरे रंग की परत को जंग कहते हैं। ट्रेन की पटरीयो को जंग से बचाने के लिए स्टील और मेंगलॉय को मिला कर रेल ट्रैक बनाए जाते हैं इस मिश्रण को मैग्नीज स्टील कहा जाता है इसकी सबसे खास बात यह होती है कि यह नमी और ऑक्सीजन से क्रिया नहीं करता है जिसकी वजह से इस पर जंग नहीं लगता है। रेलवे ट्रैक के बीच गैप क्यों होता है।ट्रेन की पटेरिया खुले धूप में होती हैं जिससे गर्मियों के दिनों में यह गर्म होकर फैलती हैं रेलवे ट्रैक के बीच गैप पटरियो को फैलने के लिए होता है यदि इनके बीच गैप ना हो तो पटरिया टेढ़ी हो सकती हैं। और सर्दियों में टूट सकती है। सर्दियों के मौसम में ये सिकुड़ जाती है आपने देखा होगा कि सर्दियों के समय में परियों के बीच में गैप ज्यादा होता है जबकि गर्मियों के समय में बहुत कम होता है। रेल की पटरी के बीच की दूरी कितनी होती हैं।रेल गेज किसी रेलवे लाइन की दो समांतर भार वहन करने वाली पटरियों के शीर्षों के बीच की दूरी को कहते है। दुनिया की लगभग 60% रेलवे 4 फीट 8½ इंच की मानक गेज का उपयोग करती हैं। सामान्य रेल की पटरियों के बीच की दूरी 4 फीट 8.5 इंच होती है। मानक गेज से चौड़े गेज को ब्रॉड गेज या बड़ी लाइन कहा जाता है इनके बीच की दूरी 5 फीट 6 इंच होती है।छोटे गेज को नैरो गेज या छोटी लाइन कहते हैं इनके बीच की दूरी 2 फीट 6 इंच होती है। इनका उपयोग अक्क्सर हिल स्टेशन पर, या टॉय ट्रेन को चलाने में किया जाता है। रेल या ट्रेन को हिंदी में क्या कहते है।ट्रेन को हिंदी में "लौह पथ गामिनी" कहते है, अक्सर लोगों को लगता है कि ट्रेन को हिंदी में रेल या रेलगाड़ी कहते हैं जबकि ट्रेन को हिंदी में लौह पथ गामिनी कहा जाता है। क्या आप आपको पता था कि ट्रेन को हिंदी में क्या कहते हैं यदि नहीं तो इसे दूसरों के साथ भी जरूर शेयर करे ताकि उन्हें भी पता चल सके। निष्कर्ष! अगर आप रेलवे ट्रेन से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो आप अपने सवाल हमें कमेंट कर सकते हैं हम आपके के सभी सवालों के जवाब देने का पूरा प्रयास करेंगे। अन्त आपसे एक निवेदन है कि आप हमारे इस लेख को अपने दोस्तों या सहयोगी के साथ जरूर शेयर करें हो सके तो किसी व्हाट्सएप ग्रुप में
जरुर शेयर करें। रेल की पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है?रेल गेज, किसी रेलवे लाइन की दो समानांतर भार वहन पटरियों के शीर्षों के भीतरी पक्षों के बीच की दूरी को परिभाषित करती है। दुनिया की लगभग साठ प्रतिशत रेलवे 1,435 मि. मी. (4 फीट 8½ इंच) मिमी (4 फुट 8 में 1/2) की मानक गेज का उपयोग करती हैं।
बड़ी लाइन या ब्राउज़र में रेल पटरियों के बीच दूरी कितनी होती है?(2) चौड़ी या बड़ी लाइन - दोनों पटरियों के मध्य 1.676 मी. या 1676 मिमी. या 51/2 फीट की दूरी होती है।
मीटर गेज रेल पटरियों के बीच की चौड़ाई कितनी होती है?इन रेलवे गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी 1676 mm (5 ft 6 in) की होती है. ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि मानक गेज या 1,435 mm (4 फीट 8½ इंच) से चौड़े किसी भी गेज को ब्रॉड गेज कहा जाता है.
ट्रेन का पहिया कितने किलो का होता है?इसलिए दोनों ट्रेनों के पहियों की बनावट, माप, भार व रसायन में अंतर होता है. एक तरह जहां मालगाड़ी के पहिये का वजन 484 किलो, व्यास 1000 एमएम व कार्बन की मात्रा 0.55-0.70 प्रतिशत होती है. जबकि यात्री ट्रेन के पहिये का भार 384 किलो, व्यास 920 एमएम व कार्बन की मात्रा 0.45-0.60 प्रतिशत होता है.
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