बासमती चावल की पहचान कैसे करें? - baasamatee chaaval kee pahachaan kaise karen?

बासमती चावल का एक खास पैन्डन (पैन्डेनस एमारिफोलियस पत्ते) का स्वाद होता है। यह फ्लेवर (स्वाद+खुशबू) रसायन २-एसिटाइल-१-पायरोलाइन[4] के कारण होता है।

बासमती की अनेक किस्में होती हैं। पुरानी किस्मों में – बासमती-३७०, बासमती-३८५ और बासमती-रणबिरसिँहपुरा (आर.एस.पुरा), एवं अन्य संकर किस्मों में पूस बासमती 1, (जिसे टोडल भी कहा जाता है) आती है। खुशबूदार किस्में बासमती स्टॉक से ही व्युत्पन्न की जाती हैं, परन्तु उन्हें शुद्ध बासमती नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए पीबी२ (जिसे सुगन्ध-२ भी कहते हैं), पीबी-३ एवं आर.एच-१०। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, पूसा संस्थान, ने एक परंपरागत बासमती की किस्म को शोधित कर एक संकर किस्म बनाई, जिसमें बासमती के सभी अच्छे गुण हैं और साथ ही यह पौधा बहुत छोटा भी है। इस बासमती को पूसा बासमती-१ कहा गया। पी.बी.-१ की उपज/पैदावार अन्य परंपरागत किस्मों से अपेक्षाकृत दुगुनी होती है। काला शाह काकू, में स्थित पाकिस्तान के चावल अनुसंधान संस्थान[मृत कड़ियाँ] बासमती की कई किस्में विकसित करने में कार्यरत रहा है। इसकी एक उत्कृष्ट किस्म है सुपर बासमती, जो कि डॉ॰मजीद नामक एक वैज्ञानिक ने १९९६ में विकसित की थी। यहीं विकसित हुआ विश्व का सबसे लम्बा चावल दाना, जिसे पाकिस्तान कर्नैल बासमती कहा गया। इसकी औसत लम्बाई कच्चा: ९.१ मि.मि. और पका हुआ: १८.३ मि.मि. होती है।[5]

इसके साथ अन्य अनुमोदित किस्मों में कस्तूरी (बरान, राजस्थान), बासमती १९८, बासमती २१७, बासमती ३७०, बासमती ३८५, बासमती ३८६, कर्नैल (पाकिस्तान), उत्तर प्रदेश, देहरादून, हरियाणा, कस्तूरी, माही सुगन्ध, पंजाब, पूसा, रणबीर, तरओरी हैं।[6] कुछ गैर-परंपरागत खुशबूदार संकर किस्में भी होती हैं, जिनमें बासमती लक्षण हैं।[7][8]

सितंबर १९९७ में, राइसटैक नामक एक टैक्सास की कम्पनी ने बासमती लाइन्स और दानों का पेटेण्ट जीत लिया (यू.एस.पेटेण्ट सं० ५,६६३,४८४)। इस पेटेण्ट से बासमती और समान चावलों की शोधन प्रक्रिया आदि पर उनका एकाधिकार हो गया था। राइसटैक नामक लीख़्टेनश्टाइन की एक कंपनी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध का सामना किया, जिससे संयुक्त राज्य और भारत के बीच एक लघु कालीय राजनयिक संकट उभरा था। इस संदर्भ में भारत ने इस मामले को ट्रिप समझौते को तोड़ने के आरोप में, डब्ल्यू.टी.ओ. तक पहुंचाने का संकल्प किया, जिससे सं.राज्य को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा।[11] बाद में कुछ स्वेच्छापूर्वक, व कुछ सं.राज्य पेटेंट कार्यालय के इस दावे के पुनरावलोकन पश्चात, उस कम्पनी को अपने सभी दावे छोड़ने पड़े। अंतिम फैसला भारत के पक्ष में हुआ था। यह भारतीय किसानों के लिये एक बड़ी विजय हुई, क्योंकि अन्यथा उन्हें अत्यधिक आर्थिक हानि झेलनी पड़ती। इसके बाद भारत सरकार ने बासमती चावल से निर्यात कर भी हटा लिया। बासमती चावल पर ८००० रुपए प्रति टन निर्यात कर था, जिससे उसका न्यूनतम निर्यात मूल्य १२०० डॉलर प्रति टन था। २१ जनवरी २००९ को इसकी न्यूनतम कीमत घटाकर ११०० डॉलर प्रति टन कर दी गई है।[12]

चीन से आने वाला यह प्लास्टिक चावल दिखने में बिल्कुल असली चावल की तरह ही दिखाई देता है। और तो और पकने के बाद भी आप प्लास्ट‍िक चावल और असली चावल में फर्क नहीं कर सकते। असली चावल के साथ मिलाकर बाजारों में बिकने वाला यह चावल, असली चावल में इस कदर मिल जाता है, कि आप इसके रूप, रंग, आकार और यहां तक कि स्वाद में भी फर्क नहीं कर पाएंगे।   

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस चावल को खाने से आप कैंसर जैसी भयानक बीमारी के शिकार हो सकते हैं। लेकिन उससे भी पहले आप शिकार हो सकते हैं,पेट की बीमारियों के...। एक कटोरी प्लास्टिक चावल, एक बैग पॉलीथि‍न के बराबर होता है। जरा सोचिए.... प्लास्टिक या पॉलीथि‍न को खाने के बाद, पेट की क्या हालत होगी ? यह ना तो पचता है, और ना ही सड़ता है।

स्‍वादिष्‍ट और सेहतमंद चावल खाना चाहती हैं तो बाजार से इन्‍हें खरीदते वक्‍त अच्‍छे से जांच-परख लें। अच्‍छी क्‍वालिटी के चावल खरीदने के लिए इन टिप्‍स क...

भारत के कई राज्‍यों में चावल को ही मुख्‍य भोजन माना गया है। कई लोगों को तो चावल के बिना खाना ही अधूरा लगता है। इसलिए गेहूं और विभिन्‍न दालों के अलावा लोग चावल को भी घर में स्‍टोर करके रखते हैं। चावल का इस्‍तेमाल कई तरह से किया जा सकता है और इससे कई तरह के स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन भी बनाए जा सकते हैं। यह खाने में स्‍वादिष्‍ट होता है और सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। मगर बाजार से इसे खरीदते वक्‍त बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। 

बाजार में आपको चावल की कई वैरायटी मिल जाएगी। जाहिर है, कई तरह के चावल देख कर उनमें से बेस्‍ट क्‍वालिटी के चावलों को पहचान कर खरीदना आसान नहीं है। इसलिए आज हम आपको कुछ टिप्‍स देंगे, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं। 

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असली-नकली चावल की पहचान 

बाजार में आने वाली हर चीज में आजकल मिलावट हो रही है। चावल भी इससे अछूते नहीं हैं। आपको बाजार में प्‍लास्टिक वाले चावल मिल जाएंगे। दिखने में यह हू-ब-हू असली चावल की तरह ही लगते हैं। इन्‍हें पहचानने का असली तरीका है कि एक मुट्ठी चावल को आग में जला कर देखें। जलते वक्‍त अगर उनमें से प्‍लास्टिक की गंध आए तो समझ जाइए कि वह नकली हैं।

चावल को उबाल कर 2-3 दिन के लिए ढांक कर फ्रिज के बाहर ही रख दें। अगर चावल सड़ते नहीं है और उनमें फफूंद (फफूंद से बचाने के लिए अपनाएं ये तरीका) नहीं लगती है तो आप समझ जाएं कि वह नकली हैं। 

चावल के असली और नकली होने का अंतर जानने के लिए आप 1 चम्‍मच चावल को पानी से भरे कटोरे में डाल कर देखें। अगर चावल कटोरी के सतह पर बैठ जाए तो वह असली है और यदि वह पानी में तैरने लगे तो जान जाएं कि वह नकली है। 

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चावल का साइज देखें 

बाजार में आपको चावल कई वैरायटी में मिल जाएगा। रंग के साथ-साथ चावल का साइज भी अलग-अलग आता है। अगर आप बासमती राइस खरीदना चाहती हैं तो आपको बता दें कि यह बड़े साइज का होता है। बिना पके ही इसमें बहुत अच्‍छी खुशबू भी आती है। यह भी कई तरह के साइज में आता है। बासमती राइस का साइज जितना बड़ा होगा वह उतना ही महंगा और पकने के बाद दिखने में खूबसूरत दिखेगा। इतना ही नहीं, बासमती राइस खाने में भी स्‍वादिष्‍ट होता है। 

छोटे आकार के चावल में 'जोहा' वैरायटी आती है और इन चावलों की पैदावार अधिकतर असम में होती है। यह चावल दिखने में भले ही मोहक न लगें, मगर खाने में बहुत ही स्‍वादिष्‍ट होते हैं।

बाजार में आपको मध्‍यम आकार के चावल भी मिल जाएंगे। इनमें परिमल, आइजोन, मंसूरी आदि वैरायटी आती हैं। अगर आप अपनी डाइट में नियमित रूप से चावल खाते हैं तो इस तरह के चावल आपके लिए बेस्‍ट हैं। इन चावलों से आप खिचड़ी, इडली-डोसे का घोल और पुलाव आदि तैयार कर सकते हैं। यह चावल दाम में भी सस्‍ते होते हैं। 

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नए और पुराने चावल का अंतर कैसे समझें 

अमूमन लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि चावल जितना पुराना होता है उतना ही ज्‍यादा अच्‍छा होता है। मगर नए और पुराने चावल को पहचाना कैसे जाए यह एक बड़ी समस्‍या है। इसके लिए सबसे पहले तो आप चावल का रंग देखें। अगर चावल में पीलापन है तो वह पुराना है और यदि वह नया है तो उसका रंग सफेद होगा। 

वहीं आप नए और पुराने चावलों को हल्‍का सा दबा कर भी देख सकती हैं। अगर आपके दबाने से चावल टूट जाता है तो वह नया है और जो चावल मजबूत होता है वह पुराना होता है। 

चावल को पकाने पर भी आपको पता लग जाएगा कि वह नया है या पुराना है। नए चावल को पकाने पर उसमें ज्‍यादा स्‍टार्च निकलता है और वह गला-गला बनता है। वहीं पुराने चावल में ऐसा नहीं होता है। नए चावल का स्‍वाद और खुशबू भी खास नहीं होती है और पकने के बाद नया चावल अधिक फूलता भी नहीं है। 

अनपॉलिश्‍ड और पॉलिश्‍ड चावल की पहचान

चावलों को आकर्षक रूप देने के लिए उन्‍हें मशीन में डाल कर पॉलिश किया जाता है। ऐसे में वह चिकने और ट्रांसपेरेंट नजर आने लगते हैं, मगर पॉलिश होने के साथ ही चावल में मौजूद सारे पोषक तत्‍व खत्‍म हो जाते हैं। वहीं अगर आप अनपॉलिश्‍ड चावल खरीदती हैं तो इनमें सभी जरूरी तत्‍व मौजूद होते हैं लेकिन दिखने में ये खुरदुरे और हल्‍के पीले रंग के होते हैं। 

आगे से जब भी आप चावल खरीदने जाएं तो ऊपर बातई हुईं टिप्‍स को जरूर ध्‍यान में रखें। यह जानकारी आपको अच्‍छी लगी हो तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

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पुराने बासमती चावल की पहचान कैसे करें?

बासमती चावल महीन और लंबा होता है ।.
चमक- जब आप चावल को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे प्लास्टिक के चावल असली चावल की तुलना में ज्यादा चमकीला नजर आता है।.
आकार- अगर दो तरह के नकली चावलों को एक साथ मिलकर देखेंगें, तो सारे चावलों की मोटाई और आकार, एक जैसा ही दिखाई देगा।.

सबसे अच्छा बासमती चावल कौन सा होता है?

बासमती राइस (Basmati Rice) आमतौर पर हर भारतीय अपने व्यंजनों में इसका इस्तेमाल करता है। अगर आप सही बासमती चावल खरीदना चाहते हैं तो प्राइड ऑफ इंडिया एक्स्ट्रा लॉन्ग ब्राउन का बासमती राइस सबसे बेहतर होता है। बासमती चावल खरीदते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह जितना बुराना हो बेहतर है।

असली और नकली चावल की पहचान कैसे करें?

असली और नकली चावल की पहचान के लिए एक चम्मच चावल को एक गिलास पानी में डालें। कुछ देर में अगर चावल पानी में डूब जाए तो वह असली है और अगर चावल पानी में ऊपर की ओर तैरने लगे तो वह नकली चावल है, क्योंकि प्लास्टिक कभी पानी में नहीं डूबती है।

बासमती चावल कितने प्रकार के होते हैं?

बासमती चावल (Basmati Rice) की 27 किस्में भारत मे उगाई जाती हैं. इसके अलावा चावल की कई पारंपरिक किस्में (Varieties of Tr ... अधिक पढ़ें