भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह कौन सा है - bhaarat ka pahala krtrim upagrah kaun sa hai

1970 के दशक में दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिद्वंदिता आकार ले चुकी थी. अमेरिका चंद्रमा पर अपने मानव अभियान भेज रहा था. इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की योजना पर काम शुरु कर दिया था और 1975 में 19 अप्रैल को सोवियत संघ की सहायता से स्वदेश में विकसित पहला उपग्रह (Satellite) आर्यभट्ट (Aryabhata) अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया था जो इसरो के एक लंबे सफर का पहला कदम माना जाता है.

भारत के गणितज्ञ के नाम पर
देश के इस पहले उपग्रह का नाम भारत के मशहूर खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. आर्यभट्ट उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित का प्रयोग किया था.  इसके अलावा उन्होंने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था. बताया जाता है कि उपग्रह को आर्यभट्ट नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने चुना था

कैसे चुना गया नाम
इसरो के पूर्व चेयरमैन यू आर राव के मुताबिक उनकी टीम ने सैटेलाइट के लिए सरकार को तीन नामों का प्रस्ताव दिया. उन सभी नामों में आर्यभट्ट सबसे ऊपर था. आर्यभट्ट के अलावा मैत्री और जवाहर नाम पर चर्चा हुई थी. तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्यभट्ट नाम का चयन किया.

आर्यभट्ट की खास बातें
केवल 360 किलोग्राम के वजन के उपग्रह की कक्षा का जीवन करीब 17 साल था. इसकी कीमत उस समय 3 करोड़ से ज्यादा की थी. इसे चलाने के लिए 46 वाट की ऊर्जा की जरूरत थी. वैसे तो इसके जीवन छह महीने ही निर्धारित था, लेकिन यह मार्च 1981 यानी करीब छह साल तक देश के संपर्क में था.

भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह कौन सा है - bhaarat ka pahala krtrim upagrah kaun sa hai

इसरो (ISRO) का उद्देश्य कृत्रिम उपग्रहों के निर्माण और अंतरिक्ष में उनके संचालन में अनुभव पाना था. (फाइल फोटो)

सोवियत संघ की मदद से प्रक्षेपण
इस उपग्रह के प्रक्षेपण की तकनीक उस समय भारत में नहीं थी इसलिए इसमें सोवियत संघ का सहयोग लिया गया और इसका प्रक्षेपण रूस के अस्तरखान ओब्लास्ट की कैपूस्तिन यार साइट से कोसमोस-3एम प्रक्षेपण यान के जरिए किया गया. इसके लिए भारत और सोवियत संघ के बीच  समझौता साल 1972 में हुआ था.

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क्या था आर्यभट्ट का उद्देश्य
आर्यभट्ट  का उद्देश्य एक्स रे एस्ट्रोनॉमी, एरोनॉमिक्स और सौर भौतिकी में प्रयोग करना था. इसके कक्षा में स्थापित होने के बाद ऊर्जा बंद होने से यह चार दिन अपने कक्षा में बिना काम किए घूमता रहा और इसके काम करने के 5 दिन बाद इससे सभी संपर्क टूट गए थे. फिर 17 साल बाद 11 फरवरी 1992 में इसने दोबारा पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश किया.

टॉयलेट में ही रिसीविंग सेंटर
आर्यभट्ट का नियंत्रण कक्ष के लिए अधोसंरचना अच्छी नहीं थी. इसरो के पूर्व चेयरमैन यू. आर. राव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मिशन के दौरान सेंटर में जगह की किल्लत थी. इसके चलते वैज्ञानिकों ने टॉयलेट को ही डाटा रिसिविंग सेंटर के तौर पर उपयोग में लाना पड़ा था.

भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह कौन सा है - bhaarat ka pahala krtrim upagrah kaun sa hai

आर्यभट्ट उपग्रह (Aryabhata Satellite) की तस्वीर भारतीय रिजर्व बैंक के दो रुपये के नोट पर सालों तक दिखती रही. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

बदले में सोवियत संघ को क्या मिला
इस उपग्रह को पीन्या में तैयार किया गया था लेकिन सोवियत संघ के साथ हुए समझौते के अनुसार सोवियत संघ रूस भारतीय बंदरगाहों का इस्तेमाल जहाजों को ट्रैक करने के लिए कर सकता था. वास्तव में इस उपग्रह का निर्माण इसरो द्वारा कृत्रिम उपग्रहों के निर्माण और अंतरिक्ष में उनके संचालन में अनुभव पाने के मकसद से किया गया था.

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1975 में इस सैटेलाइट के प्रक्षेपण के मौक पर इस ऐतिहासिक क्षण को भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1976 में दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर छापा. 1997 तक दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर छापी गई, बाद में इसके डिजाइन में बदलाव हो गया.

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Tags: ISRO, Research, Science, Space

FIRST PUBLISHED : April 19, 2021, 06:36 IST

प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम क्या था?

This question was previously asked in

REET 2012 Level - 1 (Hindi/English/Sanskrit) Official Paper

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  1. भास्कर
  2. आर्यभट्ट
  3. रोहिणी
  4. एडुसैट

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : आर्यभट्ट

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CT 1: Growth and Development - 1

10 Questions 10 Marks 10 Mins

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका मुख्यालय बैंगलोर में है।
  • इसका उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान और ग्रहों की खोज करते हुए राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
  • सभी दिए गए चार उपग्रहों भास्कर, आर्यभट्ट, रोहिणी और एडुसैट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लॉन्च किया गया था।

भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह कौन सा है - bhaarat ka pahala krtrim upagrah kaun sa hai
Key Points

आर्यभट्ट:

  • आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था जिसका नाम प्रसिद्ध खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।
  • इसे 19 अप्रैल 1975 को इसरो द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • इस उपग्रह को एक्स-रे खगोल विज्ञान, कृषि विज्ञान और सौर भौतिकी में प्रयोगों के लिए बनाया गया था।

भास्कर:

  • भास्कर- I और II इसरो द्वारा निर्मित दो उपग्रह थे और इन्हें 7 जून 1979 को लॉन्च किया गया था।
  • वे भारत के पहले निम्न कक्षाीय उपग्रह अवलोकन उपग्रह थे।
  • उन्होंने दूरमापी, समुद्र विज्ञान और जल विज्ञान पर जानकारी एकत्र की थी।
  • दोनों उपग्रहों का नाम प्राचीन भारतीय गणितज्ञ भास्कर I और भास्कर II के नाम पर रखा गया है।

रोहिणी:

  • रोहिणी इसरो द्वारा 17 अप्रैल 1983 को लॉन्च किए गए उपग्रहों की एक श्रृंखला है।
  • इस श्रृंखला में चार उपग्रह शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक को उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा लॉन्च किया गया था।

एडुसैट:

  • एडुसैट को जीसैट -3 के रूप में जाना जाता है, जो पाठशाला स्तर से उच्च शिक्षा तक सुदूर शिक्षा के लिए बना है।
  • इसे 20 सितंबर 2004 को लॉन्च किया गया था और यह पहला समर्पित "शिक्षा उपग्रह" था जो देश भर में शैक्षणिक सामग्री के संवितरण के लिए कक्षा को उपग्रह आधारित दोतरफ़ा संचार उपलब्ध कराता है।

अतः उपरोक्त उपग्रहों और उनके लांच किये गए तारीखों से यह स्पष्ट हो जाता है कि पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट था। 

Last updated on Sep 29, 2022

Rajasthan 3rd Grade Teacher Recruitment for Level 1 & Level 2 will be done through REET 2022 Scores. 48,000 vacancies have been released for this recruitment. Earlier, the REET 2022 Certificate Notice is out, for candidates on 6th December 2022! Candidates can download the certification through the official certificate link. REET 2022 Written Exam Result was out on 29th September 2022! The final answer key was also out with the result. The exam was conducted on the 23rd and 24th of July 2022. The candidates must go through the REET Result 2022 to get the direct link and detailed information on how to check the result. The candidates who will be finally selected for 3rd Grade Teachers are expected to receive Rs. 23,700 as salary. Then, the candidates will have to serve a probation period which will last for 2 years. Also, note during probation, the teachers will receive only the basic salary.

भारत का प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम क्या है?

आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह है, जिसे इसी नाम के महान भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर नामित किया गया है। यह सोवियत संघ द्वारा 19 अप्रैल 1975 को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन यार से प्रक्षेपित किया गया था।

भारत का दूसरा कृत्रिम उपग्रह कौन सा है?

भारत के प्रमुख उपग्रह Important Indian satellites in Hindi आर्यभट्ट (1975 ई.) भास्कर-1 (1979 ई.) भास्कर-2 (1981 ई.)

भारत का सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह कौन सा है?

कलामसेट V2 ,जिसका वजन 1.26Kg , को ISRO ने जनवरी 2019 में लांच किया था।

भारत का प्रथम कृत्रिम उन्नयन कौन सा है?

भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट है,इसे 19 अप्रैल 1975 ईसवी को पूर्व सोवियत संघ के बैकानुर अंतरिक्ष केंद्र से इंटर कॉसमोस प्रक्षेपन यान द्वारा पृथ्वी के निकट वृत्तीय कक्षा में 594 किमी की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था।