गवर्नर / गवर्नर जनरल / वायसराय के बारे में पूरी जानकारी – प्लासी युद्ध के बाद भारत में कंपनी की व्यवस्था देखने के लिए गवर्नरों की शुरुवात हुयी। इस युद्ध की जीत का शहरा क्लाइव के सर बाँधा गया। इसी की भेंटस्वरूप उसे बंगाल का गवर्नर बना दिया गया। इसके बाद यह सिलसिला लगभग 200 साल तक चलता रहा। यहाँ पर हम भारत में कंपनी और बाद में सरकार द्वारा नियुक्त गवर्नर्स, उनका कार्यकाल और उनके द्वारा किये गए प्रमुख कार्यों का वर्णन कर रहे है। Show
बंगाल के गवर्नरक्लाइव (1757-60 ईo) –कंपनी द्वारा भारत में नियुक्त यह प्रथम गवर्नर था। बेंन्सिटार्ट (1760-65 ई.) –बक्सर का युद्ध इसी के समय हुआ था। क्लाइव (1765-67 ईo) –
वेरेलस्ट (1767-69) –
कर्टियर (1769-72) –
वारेन हेस्टिंग्स (1772-74) –
बंगाल के गवर्नर जनरल(1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत)वारेन हेस्टिंग्स (1774-85) –
लॉर्ड कार्नवालिस (1786-93) –इसे भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता कहा जाता है। प्रारम्भ में परीक्षा की अधिकतम आयु 23 वर्ष थी। भारत में पुलिस सेवा का जन्मदाता भी इन्हें ही कहा जाता है।
सर जॉन शोर (1793-98) –
लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) –भारत में अंग्रेजी सत्ता की श्रेष्ठता साबित करने और फ्रांसीसियों के भय को समाप्त करने के उद्देश्य से इसने सहायक संधि प्रणाली को अपनाया। सहायक संधि स्वीकारने वाले राज्यों का क्रम :-
सर जॉर्ज बार्लो (1805) –इसने भी अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया और मराठों के प्रति शांतिपूर्ण नीति अपनाई। लॉर्ड मिंटो (1807-13) –
लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-23) –इसने अहस्तक्षेप की नीति का परित्याग कर दिया और ब्रिटिश प्रभुसत्ता को स्थापित किया।
लॉर्ड एडम्स (1823) –यह दूसरा स्थानापन्न गवर्नर था। इसके समय प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। लॉर्ड एम्हर्स्ट (1823-28) –मुग़ल शासक अकबर द्वितीय से बराबरी के स्तर से मिलने वाला यह पहला गवर्नर जनरल था।
लॉर्ड विलियम वेंटिक (1828-35) –भारत का गवर्नर जनरल बनने से पूर्व 1803 में इसे मद्रास का गवर्नर नियुक्त किया गया था। यह एक कट्टर उदारवादी प्रशासक था। इसका कार्यकाल विभिन्न सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है। इसी ने सर्वप्रथम “संभागीय आयुक्तों” की नियुक्ति की।
चार्ल्स मेटकॉफ (1835-36) –इसने समाचार पत्रों पर से प्रतिबन्ध हटा लिया। इसी कारण इसे “समाचार पत्रों का मुक्तिदाता” भी कहा जाता है। लॉर्ड ऑकलैंड (1836-42) –
लॉर्ड एलनबरो (1842-44) –
लॉर्ड हार्डिंग (1844-48) –
लॉर्ड डलहौजी (1848-56) –डलहौजी भारत में राज्य हड़पने की नीति और भारत में रेल लाने के लिए जाना जाता है। अपनी राज्य हड़प नीति के तहत इसने निम्न राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया :-
भारत के वायसराय(1858 के अधिनियम के द्वारा)1857 के विद्रोह के परिणामस्वरूप 1858 का अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत गवर्नर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा। यह विद्रोह कैनिंग के समय ही हुआ था। अर्थात कैनिंग को ही भारत का पहला वायसराय बनाया गया। लॉर्ड कैनिंग (1856-62) –
लॉर्ड एल्गिन (1862-63) –
सर जॉन लॉरेंस (1864-68) –
लॉर्ड मेयो (1869-72) –इसी के काल में भारत में सर्वप्रथम जनगणना हुयी। पोर्ट ब्लेयर में इसकी हत्या कर दी गयी।
लॉर्ड नार्थ ब्रुक (1872-76) –
लॉर्ड लिटन (1876-80) –साहित्य की दुनिया में “ओवन मैरिडिथ” के नाम से प्रसिद्द ये एक महान कवि, उपन्यासकार और निबंधकार थे।
लॉर्ड रिपन (1880-84) –ये भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय गवर्नर जनरल थे। इसने नगर में नगरपालिका का गठन किया। इसने मैसूर को उसके पुराने शासक को बापस कर दिया।
लॉर्ड डफरिन (1884-88) –इसके काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना कांग्रेस की स्थापना थी।
लॉर्ड लेंसडाउन (1888-94) –
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय (1894-99) –
लॉर्ड कर्जन (1899-1905)-यह भारत का सर्वाधिक अलोकप्रिय प्रशासक साबित हुआ। यह इतिहास एवं पुरातत्व का विद्वान था। इसने भारत में प्राचीन स्मारकों की मरम्मत हेतु 50 हजार पौण्ड निश्चित किया। इसके काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1905 का बंगाल का प्रथम विभाजन था।
लॉर्ड मिण्टो द्वितीय (1905-10) –इसके काल की महत्वपूर्ण घटना 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना थी।
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910-16) –
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-21) –इसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड थी। इसी के समय खिलाफत और असहयोग आंदोलन की शुरुवात हुयी।
लॉर्ड रीडिंग (1921-26) –
लॉर्ड इरविन (1926-31) –इसके समय में साइमन कमीशन की नियुक्ति हुयी। गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को डांडी यात्रा प्रारम्भ की।
लॉर्ड विलिंगटन (1931-36) –इसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1935 का भारत शासन अधिनियम थी। इसी अधिनियम के तहत वायसराय को पुनः गवर्नर जनरल कहा जाने लगा।
लॉर्ड लिनलिथगो (1936-44) –
लॉर्ड वेवेल (1944-47) –
लॉर्ड माउंटबेटन (1947-48) –यह भारत में अंतिम अंग्रेज ब्रिटिश गवर्नर जनरल थे।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948-50) –ये भारत के अंतिम गवर्नर जनरल और एकमात्र भारतीय गवर्नर जनरल थे। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होनें के बाद भारत में गणतंत्र की स्थापना हो गयी। डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया। गवर्नर जनरल के पद को समाप्त कर दिया गया। बक्सर के युद्ध के समय गवर्नर जनरल कौन थे?Key Pointsबक्सर के युद्ध (1764) के दौरान वेन्सिटार्ट (1760-65) राज्यपाल थे। लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव: वे 1757-60 के दौरान और 1765-67 के दौरान भी बंगाल के गवर्नर-जनरल थे।
1764 में बंगाल के गवर्नर कौन थे?सही उत्तर रॉबर्ट क्लाइव है। कंपनी के शासन के समय रॉबर्ट क्लाइव बंगाल के पहले राज्यपाल थे जिन्होंने 1757 में मुर्शिदाबाद में नवाब की हत्या के बाद 1758 में पदभार ग्रहण किया था। उन्हें 1764 में बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
भारत का अंतिम गवर्नर जनरल कौन थे?12 फरवरी 1947 से 15 अगस्त 1947 तक लॉर्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय थे।
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल का नाम क्या है?फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी के गवर्नर (बंगाल), 1773-1833. |