बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड राजस्थान - banjar bhoomi evan chaaraagaah vikaas bord raajasthaan

  • Hindi News
  • Local
  • Rajasthan
  • Bikaner
  • Made Sushil A Member Of The Wasteland Development Board, Turned Down The Post After 3 Hours

Show

बीकानेर9 महीने पहले

  • कॉपी लिंक

बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड राजस्थान - banjar bhoomi evan chaaraagaah vikaas bord raajasthaan

सिलसिलेवार राजनीतिक नियुक्तियों में साेमवार काे बीकानेर के पांच कार्यकर्ताओं को अलग-अलग बाेर्ड में सदस्य बनाया गया। लेकिन बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड के सदस्य बनाए गए सुशील आसोपा ने नियुक्ति के तीन घंटे बाद ही पद ठुकरा दिया। साेशल मीडिया पर ट्वीट कर पद लेने से इनकार कर दिया।

पीसीसी कार्यालय में सचिव रह चुके आसाेपा ने कहा, मैंने 42 महीने की नाैकरी कांग्रेस में कुछ पाने के लिए नहीं छाेड़ी। मैं ये चरागाह विकास बाेर्ड के सदस्य पद काे अस्वीकार करता हूं। लाेग आसाेप के इस कदम के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।

आसाेपा सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं। वहीं, राजस्थान मदरसा बोर्ड में सलीम सोढा, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति में शब्बीर अहमद, विप्र कल्याण बोर्ड में राजकुमार किराड़ू और जीव जंतु कल्याण बोर्ड में अशोक धारणिया को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है।

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड राजस्थान - banjar bhoomi evan chaaraagaah vikaas bord raajasthaan

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • National
  • बंजर एवं चरागाह भूमि के विकास में समन्वय बनाकर कार्य

बंजर एवं चरागाह भूमि के विकास में समन्वय बनाकर कार्य

जिला परिषद सभागार में सीईओ की अध्यक्षता में बैठक

टोंक|जिलापरिषद सभागार में बंजर भूमि एवं चरागाह विकास समिति की बैठक सीईओ ओम प्रकाश जांगिड़ की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित हुई। बैठक में सीईओ जांगिड़ ने कहा कि यह समिति जिला, ब्लॉक/पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत स्तरीय होगी। जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला प्रमुख एवं सहअध्यक्ष कलक्टर, ब्लॉक स्तरीय समिति के अध्यक्ष प्रधान एंव सहअध्यक्ष उपखण्ड अधिकारी तथा ग्राम पंचायत स्तरीय समिति के अध्यक्ष सरपंच होंगे। सीईओ, बीडीओ एवं ग्राम सचिव इन समितियों के नोडल अधिकारी होंगे।

उन्होंने कहा कि इस समिति में राजस्व विभाग,वन विभाग,कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, टी.ए.डी.विभाग, पंचायती राज विभाग, महात्मा गांधी नरेगा, वाटरशेड विभाग की महत्ती भूमिका होगी। इसलिए सभी विभाग आपसी समन्वय बनाकर कार्य करें ताकि समिति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकें। सीईओ ने सभी विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी सात दिवस में बंजर भूमि एंव चरागाह विकास हेतु आवश्यक रूप से पंचायत समिति पर एक एक पायलेट प्रोजेक्ट प्रस्ताव तैयार कर भिजवाने की सुनिश्चितता करें। आवारा पशुओं,अनुत्पादक पशुओं के प्रबन्धन की व्यवस्था ग्राम पंचायत द्वारा करवाने एंव ग्राम पंचायत स्तर पर पशु पालन प्रबन्धन समिति गठित करवाने की कार्यवाही करे। इस संबंध में पशुपालन विभाग से सामन्जस्य बनाकर कार्य करें। सीइओ ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि चरागाह विकास कार्य में वन विभाग की योजनाओं कैम्पा,नेशनल ग्रीन मिशन आदि के माध्यम कार्य कराया जाए। स्थानीय जलवायु के अनुसार वृक्षारोपण किया जावे। राजस्व विभाग द्वारा चरागाह भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्यवाही करें। बैठक में जिले के सभी तहसीलदार, विकास अधिकारी, कृषि विभाग के कृषि अधिकारी दिनेश बैरवा, वाटर शेड विभाग अधीक्षण अभियंता के.के.सैनी, मनरेगा के अधिशासी अभियन्ता, सूचना विज्ञान अधिकारी रमेश चन्द जैन मौजूद रहे।

टोंक. जिलापरिषद सभागार में बंजर भूमि एवं चरागाह विकास समिति की बैठक को सम्बोधित करते सीईओ ओम प्रकाश जांगिड़ एवं उपस्थित अधिकारी।

Jaipur: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा के बाद अब नेता पदभार ग्रहण करने के साथ ही विभाग के कामकाज को संभालने लगे हैं. 

आज जयपुर में बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड के चेयरमैन संदीप चौधरी ने पदभार ग्रहण करते ही अधिकारियों की बैठक बुलाकर विभाग की गतिविधियों  के बारे में फ़ीड्बैक लिया. 

वहीं, संदीप चौधरी ने विभाग के अधिकारियों को राज्य के समस्त जिलों में गठित त्रिस्तरीय बंजर भूमि चारागाह विकास समितियों की नियमित बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए. 

यह भी पढ़ेंः राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग के उपाध्यक्ष किशनलाल जैदिया ने संभाला पदभार, कही ये बड़ी बात

संदीप चौधरी ने बताया कि इन समितियों के माध्यम से चारागाह भूमिकों की अतिक्रमण मुक्त करने  के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. संदीप चौधरी ने बताया कि उनका मकसद है कि प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एक मॉडल चारागाह विकसित किया जाए ताकि राजस्थान को इस क्षेत्र में एक मॉडल स्टेट बनाया जा सके. 

गौरतलब है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संदीप चौधरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बंजर भूमि और चारागाह विकास बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी है. 

राजस्थान में बंजर भूमि विकास के सम्बन्ध में निम्न कथनों का परीक्षण कीजिए तथा नीचे दिए गएं विकल्पों का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए -i) राज्य में वर्तमान (2013-14) में भू-उपयोग हेतु कुल प्रतिवेदित क्षेत्र में लगभग 19 प्रतिशत भूमि बंजर भूमि है।ii) राज्य में गत 30 वर्षों में पुरानी पड़त भूमि में लगभग 18 प्रतिशत की कमी आई है।iii) राज्य में बंजर भूमि विकास कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का उत्तरदायित्व राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड का है। iv) राज्य में एकीकृत बंजर' भूमि विकास योजना स्वीडिश अन्तर्राष्ट्रीय विकास एजन्सी (SIDA) के सहयोग से वर्तमान में 10 जिलों में चल रही है।

  1. i और ii
  2. i और iii
  3. i और iv
  4. i, ii और iv

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : i और ii

Free

Rajasthan - History and Culture : Part 1

12 Questions 15 Marks 10 Mins

सही उत्तर i और ii है।

बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड राजस्थान - banjar bhoomi evan chaaraagaah vikaas bord raajasthaan
Key Points

  • राजस्थान का लगभग आधा क्षेत्र 125% की औसत फसल तीव्रता के साथ खेती के अधीन है।
  • 12.6% गैर-कृषि उपयोगों से बाहर है, यानी खेती के लिए उपलब्ध नहीं है।
  • राज्य में भूमि उपयोग के प्रयोजनों के लिए बंजर भूमि कुल सूचित क्षेत्र का लगभग 19 प्रतिशत है। इसलिए, कथन 1 सही है।
  • अन्य भूमि उपयोग वर्गों में शामिल हैं-
    • कृषि योग्य बंजर भूमि के रूप में 13.27% भूमि
    • वन के अंतर्गत भूमि का 7.76%
    • 10.75% भूमि परती भूमि के रूप में
    • 5% भूमि चरागाह और चराई भूमि के रूप में
    • 6.95% भूमि बंजर और अकृषि योग्य भूमि के रूप में
  • कृषि योग्य बंजर भूमि अजमेर, अलवर और जैसलमेर में सबसे अधिक और हनुमानगढ़, झुंझुनू और भरतपुर में न्यूनतम है।
  • राज्य में पिछले 30 वर्षों में पुरानी परती भूमि में लगभग 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसलिए, कथन 2 सही है।
  • बंजर भूमि के प्रबंधन के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय (MEF) के तहत 1985 में राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड बनाया गया था। इसका विभाजन इसलिए किया गया ताकि वनों के बाहर की निम्नीकृत भूमि का उपयोग ग्रामीण जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सके।
  • एमईएफ ने जंगल के भीतर बंजर भूमि को बरकरार रखा, जबकि जंगलों को, जबकि बाहर नए विभाग में चला गया। इसलिए, कथन 3 सही नहीं है।
  • एकीकृत बंजर भूमि विकास परियोजना 100 प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना के तहत गैर-वन बंजर भूमि का विकास किया जाता है।
  • यह योजना छिटपुट क्षेत्रों में टुकड़ों में उपचार के बजाय समग्र रूप से एक संपूर्ण माइक्रो वाटरशेड के विकास के लिए प्रदान करती है।
  • योजना का जोर बंजर भूमि के विकास पर जारी है।
  • चौथा कथन सही नहीं है।

राजस्थान बंजर भूमि विकास बोर्ड की स्थापना कब की गई?

बंजर भूमि के प्रबंधन के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय (MEF) के तहत 1985 में राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड बनाया गया था।

चरागाह भूमि का पट्टा कैसे बनाएं?

ऐसी भूमि को पंचायत के नाम दर्ज कराएं। { सीईओ सीमाज्ञान कराई गई भूमि को पंचायती राज अधिनियम 1996 के नियम 137 के तहत रजिस्ट्रर में इंद्राज कराएं। { सीईओ पंचायत भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को हटवाएं। { जिन पंचायतों में ट्रेसपास के प्रकरण हों वहां नियमित कर पट्टे आबंटित किए जा सकते हैं।

चरागाह भूमि से आप क्या समझते हैं?

चरागाह उस भूमि को कहते हैं जिस पर घास लगी हो और जो पशुओं के चरने के काम आती हो।

भारत में चारागाह भूमि का प्रतिशत कितना है?

देश में फिलहाल लगभग एक करोड़ तीस लाख हेक्टेयर भूमि ही स्थायी चरागाह के लिए वर्गीकृत है।