भैंस के थन में सूजन आ जाए तो क्या करना चाहिए? - bhains ke than mein soojan aa jae to kya karana chaahie?

विषयसूची

  • 1 भैंस के थन में सूजन आने का क्या कारण है?
  • 2 भैंस के कितने थन होते हैं?
  • 3 थनैला रोग कैसे ठीक होगा?
  • 4 थन क्या होता है?
  • 5 What is the difference between edema and lymph edema?
  • 6 What is edema causes of edema?

भैंस के थन में सूजन आने का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंथन में सूजन, दूध निकालने का रास्ता एक दम बारीक हो जाता है और साथ में दूध में छिछड़े, दूध फट के आना, मवाद आना या पस आना जैसा होने लगता है।” थनैला रोग एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग ज्यादातर दुधारू पशु गाय, भैंस, बकरी को होता है। जब मौसम में नमी अधिक होती है तब इस बीमारी का प्रकोप और भी बढ़ जाता है।

भैंस के कितने थन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंचार थन होते है।

थनैला रोग कैसे ठीक होगा?

उपचार

  1. दूधारू पशुओं के रहने के स्थान की नियमित सफाई जरूरी हैं।
  2. दूध दुहने के पश्चात् थन की यथोचित सफाई लिए लाल पोटाश या सेवलोन का प्रयोग किया जा सकता है।
  3. दूधारू पशुओं में दूध बन्द होने की स्थिति में ड्राई थेरेपी द्वारा उचित ईलाज करायी जानी चाहिए।
  4. थनैला होने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह से उचित ईलाज करायी जाय।

भैंस के थन में सूजन आ जाए तो क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपशु चिकित्सक इसमें एंटीबायोटिक का ट्रीटमेंट करके इसे ठीक कर सकता है। इस बीमारी में स्टेरॉयड का कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर तीन दिन में एंटीबायोटिक का कोई परिणाम नहीं आ रहा तो दूध का कल्चर कराना चाहिए। अगर थनों या लेवटी में सूजन है तो ठंडे पानी या बर्फ से सेंकना पशु के लिए अच्छा रहता है।

के कितने थन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमादा के चार थन होते हैं।

थन क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंथन Meaning in Hindi – थन का मतलब हिंदी में गाय-भैंस इत्यादि दूध देने वाले चौपायों का स्तन ; पशुओं के थन की वह थैली जिसमें दूध भरा होता है 2. स्त्रियों का स्तन। पुलिंग – गाय, बकरी आदि चौपायों का वह अंग जिसमें दूध जमा रहता है, स्तन।

What is the difference between edema and lymph edema?

Edema is usually caused by excess tissue fluid that had not yet returned to the circulatory system. Lymphedema is swelling caused by excess protein-rich lymph trapped within the tissues. Edema due to an injury, such as bumping into something, is caused by additional tissue fluid coming into the area to help with healing.

What is edema causes of edema?

The balance and regulation of fluid in the body is very complex. In short, the cause of edema as simply defined as possible, is that tiny blood vessels in the body (capillaries) leak fluid into the surrounding tissues. This excess fluid causes the tissues to swell.

What is edema of the eyelid?

A swollen eyelid occurs when there is inflammation or excess fluid (edema) in the connective tissues surrounding the eye. Swollen eyes can be painful and non-painful, and affect both the upper and lower eyelids.

What is a cow udder?

Udder of a cow. An udder is an organ formed of the mammary glands of dairy breeds of cattle and female four-legged mammals, particularly ruminants such as goats, sheep and deer. It is equivalent to the breast in primates. The udder is a single mass hanging beneath the animal, consisting of pairs of mammary glands with protruding teats.

Edema is usually caused by excess tissue fluid that had not yet returned to the circulatory system. Lymphedema is swelling caused by excess protein-rich lymph trapped within the tissues. Edema due to an injury, such as bumping into something, is caused by additional tissue fluid coming into the area to help with healing.

The balance and regulation of fluid in the body is very complex. In short, the cause of edema as simply defined as possible, is that tiny blood vessels in the body (capillaries) leak fluid into the surrounding tissues. This excess fluid causes the tissues to swell.

A swollen eyelid occurs when there is inflammation or excess fluid (edema) in the connective tissues surrounding the eye. Swollen eyes can be painful and non-painful, and affect both the upper and lower eyelids.

Udder of a cow. An udder is an organ formed of the mammary glands of dairy breeds of cattle and female four-legged mammals, particularly ruminants such as goats, sheep and deer. It is equivalent to the breast in primates. The udder is a single mass hanging beneath the animal, consisting of pairs of mammary glands with protruding teats.

सुखबीर मोटू - भिवानी
थनों मे सूजन या लेवटी में सूजन दुधारू पशुओं में थैनेला बीमारी के लक्षण हैं। यह बीमारी दूध देने वाले पशुओं गाय, भैंस, बकरी आदि सभी में होती है। यह बीमारी ज्यादातर पशुओं के तीसरे और चौथे ब्यांत में पाई जाती है। इसका कारण यह है कि इस दौरान पशु अपने दूध के उत्तम स्तर पर होता है। यह बीमारी तीन प्रकार की होती है। पहले नंबर पर क्लीनिकल मैस्टाइटिस, दूसरी सब क्लीनिकल मैस्टाइटिस और तीसरी लेटेंट मैस्टाइटिस होती है। क्लीनिकल मैस्टाइटिस में अचानक होने वाली बीमारी थनों में सूजन पैदा कर देती है। इससे दूध भी खून जैसा आने लगता है। यह एक या चारों थनों में हो सकती है। इसके अलावा इस बीमारी में केवल थन में सूजन होती है। इसमें दूध का स्वाद थोड़ा बहुत बदल जाता है। यह मुख्यत चरचरा हो जाता है। इससे दूध फटा फटा लगता है। अगर यह बीमारी लंबी चलती है तो थनों में गांठ होने से थन रूक जाते हैं। सब क्लीनिकल मैस्टाइटिस बीमारी ज्यादातर डेयरी वाले दुधारू पशुओं में होती है। इस बीमारी में पशु जब दूध से हटता है तो उसके थनों में सूजन न होने वाली दवाई चढाकर छोड़ देनी चाहिए।

भिवानी पोलीक्लिनिक के एसवीओ डॉक्टर विजय सनसनवाल ने थनैला से बीमारी में पशु के थन बिल्कुल जा सकते हैं। इसके अलावा पशु की जान को भी खतरा हो सकता है। दूध निकालने वाले व्यक्ति को जैसे ही पता लगे कि थन या लेवटी में सूजन है या फिर दूध के स्वाद में बदलाव है तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। पशु चिकित्सक इसमें एंटीबायोटिक का ट्रीटमेंट करके इसे ठीक कर सकता है। इस बीमारी में स्टेरॉयड का कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर तीन दिन में एंटीबायोटिक का कोई परिणाम नहीं आ रहा तो दूध का कल्चर कराना चाहिए। अगर थनों या लेवटी में सूजन है तो ठंडे पानी या बर्फ से सेंकना पशु के लिए अच्छा रहता है।

इस तरह करें चिकित्सीय उपचार

अलर्ट : थनों या लेवटी में सूजन हो तो समझो थनैला की दस्तक

भैंस के थन में सूजन का क्या इलाज है?

दोहान करने से पहले एक प्रतिशत पोटेशियम परमैग्नेट (लाल दवा) पानी में डालकर थनों को अच्छी तरह से साफ कर लें। हमेशा पशुओं के बांधने की जगह साफ-सुथरी रखें। दूध निकालने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। दूध निकालने के बाद पशु को आधे घंटे तक बैठने नहीं देना चाहिए।

थनैला रोग कितने दिन में ठीक होता है?

इसके अंतर्गत थनैला रोग से ग्रसित दुधारू पशुओं 15 दिन तक आवले की निर्धारित खुराक देने से न सिर्फ रोग दूर होगा बल्कि दूध की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

थनैला रोग का उपचार क्या है?

रोग से बचाव फिनाइल से सफाई करें। दूध दुहने से पहले हाथ साफ करें और साफ बर्तन में ही दूध निकालें। दूध दुहने से पूर्व तथा बाद में एक प्रतिशत लाल दवा के घोल से थन साफ करना भी अच्छा रहता है। दुधारू पशुओं का दूध सूख जाने पर उनके थन में प्रतिजैविक उपचार करने पर अगले ब्यात तक थनैला की संभावना कम हो जाती है।

जानवरों में सूजन कैसे कम करें?

इसलिए उक्त बीमारी की चपेट में आने वाले जानवरों के शरीर के उस हिस्से को नीम के पत्ते से धोएं अथवा कोनी का तेल लगाएं। जहां दाना-दाना निकल आया है। सूजन वाली जगह में भी यह उपचार कारगर है।