प्रिलिम्स के लियेभारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 Show
मेन्स के लियेसर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार, रिट जारी करने का अधिकार क्षेत्र चर्चा में क्यों?हाल ही में केरल के एक पत्रकार से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा कि हम अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिकाओं को हतोत्साहित करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रमुख बिंदु
संविधान का अनुच्छेद 226
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेससंवैधानिक उपचारों का अधिकार एवं महत्त्व
संवैधानिक उपचारों का अधिकार स्वयं में कोई अधिकार न होकर अन्य मौलिक अधिकारों का रक्षोपाय है। इसके अंतर्गत व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन की अवस्था में न्यायालय की शरण ले सकता है। इसलिये डॉ० अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद बताया- “एक अनुच्छेद जिसके बिना संविधान अर्थहीन है, यह संविधान की आत्मा और हृदय हैं।”
उपरोक्त बिंदुओं से संवैधानिक उपचारों के अधिकार एवं उसकी महत्ता को देखा जा सकता है। संवैधानिक उपचारों का अनुच्छेद नागरिकों के लिहाज से भारतीय संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कौन से अधिकार को संविधान का हृदय आत्मा कहा जाता है?दूसरे शब्दों में, मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने का अधिकार अपने आप में एक मौलिक अधिकार है। यह मौलिक अधिकारों को वास्तविक बनाता है। इसीलिए डॉअंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद कहा इस अनुच्छेद के बिना यह संविधान एक अशक्त संविधान होगा । यह संविधान की आत्मा है और इसका दिल है।
निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार नहीं है?संपत्ति का अधिकार भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार नहीं है। 1978 में 44 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के तहत मौलिक अधिकारों से संपत्ति का अधिकार हटा दिया गया था और इसे एक सामान्य कानूनी अधिकार के रूप में नए अनुच्छेद 300 A में रखा गया था।
निम्नलिखित में से कौन संविधान का हृदय और आत्मा माना जाता है?भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान के 'हृदय और आत्मा' के रूप में वर्णित किया गया है।
संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है?उपरोक्त से, यह स्पष्ट है कि भारत में सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
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