भारत और चीन के बीच विवाद क्या है? - bhaarat aur cheen ke beech vivaad kya hai?

भारत-चीन सीमा विवाद: अमेरिका की चिंता से चीन नाराज़, भारत के लिए क्या हैं मायने?

  • अनंत प्रकाश
  • बीबीसी संवाददाता

12 जून 2022

भारत और चीन के बीच विवाद क्या है? - bhaarat aur cheen ke beech vivaad kya hai?

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भारत और चीन के बीच लद्दाख की स्थिति को लेकर पिछले कुछ दिनों में अमेरिका के दो बड़े अधिकारियों ने बयान दिए और चीन ने इस पर आपत्ति जताई. अमेरिका ने चीन के आक्रामक रुख़ को लेकर चिंता जताई तो चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. आइए समझें कि इन बयानों के भारत के लिए क्या मायने हैं.

बीते बुधवार को अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ़्लिन ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए लद्दाख में चीनी गतिविधि पर बयान दिया था.

इस बयान में फ़्लिन ने कहा था, "मेरा मानना है कि जिस स्तर की सैन्य गतिविधि है, वह आँखें खोलने वाली है. मुझे लगता है कि चीन ने वेस्टर्न थियेटर कमांड में कुछ ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए हैं, जो सतर्क करने वाले हैं.''

इसके एक दिन बाद चीन ने उनके इस बयान पर आपत्ति जताई. गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने लद्दाख पर अमेरिकी सैन्य अधिकारी के बयान को शर्मनाक बताया और अमेरिका की आलोचना की.

इसके बाद शनिवार को अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड जेम्स ऑस्टिन ने भी चीन के आक्रामक रुख़ को लेकर चिंता ज़ाहिर की.

सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में बोलते हुए अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड जेम्स ऑस्टिन ने चीन के आक्रामक रुख़ पर चिंता ज़ाहिर करते हुए भारत का साथ देने की बात कही.

उन्होंने कहा, "चीन, भारत के साथ सीमा पर अपनी स्थिति को मज़बूत कर रहा है. अमेरिका अपने दोस्तों के साथ खड़ा है."

अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की ओर से ये बयान आने के बाद से भारत में विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ दल बीजेपी की घेराबंदी शुरू कर दी है. इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है.

भारत-चीन के बीच विवाद की जड़ क्यों है लद्दाख?

अप्रैल 2020 में शुरू हुआ ताज़ा विवाद, जब चीन ने विवादित एलएसी के पूर्वी लद्दाख में सैन्य मोर्चाबंदी की

गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे इलाकों में दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने आईं

15 जून को गतिरोध हिंसक हुआ. गलवान में हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत

बाद में चीन ने माना कि उसके भी चार सैनिक मरे, पर जानकारों के मुताबिक चीनी सैनिकों की मौत का आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा था.

फरवरी 2021 में दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर चरणबद्ध और समन्वित तरीके से तनाव को कम करने की घोषणा की

गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक और डेपसांग जैसे इलाकों को लेकर चल रहा विवाद जारी

एलएसी पर भारत और चीन के बीच कई सालों से कम-से-कम 12 जगहों पर विवाद रहा है

जून 2020 के बाद दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर पर 14 राउंड की बातचीत हो चुकी है

अमेरिका पर क्या बोला चीन?

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने अमेरिकी जनरल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सीमा विवाद दोनों देशों के बीच का मामला है.

उन्होंने कहा है, "इस समय चीन और भारत के बीच सीमा से जुड़ी स्थिति स्थिर बनी हुई है. दोनों देशों की सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के वेस्टर्न सेक्टर में ज़्यादातर जगहों पर डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. चीन और भारत के बीच सीमा से जुड़ा सवाल दोनों देशों के बीच का मसला है."

"दोनों पक्ष इस विवाद को संवाद और विचार-विमर्श के ज़रिए सुलझाने के लिए इच्छुक हैं और उनमें ऐसा करने की क्षमता भी है. कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने उंगलियां उठाकर तनाव बढ़ाने और दोनों देशों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की है. ये शर्मनाक है."

चीन इससे पहले भी लद्दाख सीमा विवाद के मुद्दे पर अमेरिकी सरकार को घेरता रहा है. इससे पहले ये सब कुछ तब देखने को मिला था जब एक अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी फर्म ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन सरकार द्वारा पोषित हैकर्स ने सितंबर 2021 से 7 स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर्स (एसएलडीसी) पर हमला किया.

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केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने इस ख़बर की पुष्टि करते हुए कहा था कि चीनी हैकर्स ने लद्दाख के पास बिजली वितरण केंद्रों पर कम से कम दो बार हमले की कोशिश की है.

हालांकि, उन्होंने इन हैकर्स के चीनी सरकार से संबंधित होने के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था.

लेकिन चीन ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी सरकार पर चीन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था.

लिजियन ने कहा था कि "हम ये देख रहे हैं कि पिछले कुछ समय से अमेरिकी सरकार और कुछ सायबर सिक्योरिटी कंपनियों ने व्यवस्थित तरीके से 'चाइनीज़ हैकिंग' से जुड़ा दुष्प्रचार फैलाना शुरू कर दिया है."

चीन ने ऐसा बयान क्यों दिया?

लेकिन सवाल ये उठता है कि चीन ने अमेरिका पर इतना गंभीर आरोप क्यों लगाया और भारत के लिए इस बयान के क्या मतलब हैं?

चीनी मामलों के जानकार और लेखक मनोज केवलरमानी मानते हैं कि भारत को ज़मीन पर हो रहे बदलावों पर नज़र रखने की ज़रूरत है.

वो कहते हैं, "इस बात की चिंता करने की बजाए कि कौन क्या बोल रहा है, भारत को ये समझने की ज़रूरत है कि ज़मीन पर क्या हो रहा है. 2017 के बाद से जो डेटा हम देख रहे हैं, उसमें पता चल रहा है कि वेस्टर्न थिएटर कमांड में पीएलए का इंफ्रास्ट्रक्चर और बेस बनने की प्रक्रिया में तेज़ी आई है. इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होता है."

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अमेरिका के ख़िलाफ़ इस तरह का बयान देने पर केवलरमानी कहते हैं, "मुझे चीन की प्रतिक्रिया पर किसी तरह का आश्चर्य नहीं है. क्योंकि चीन दुनिया को अमेरिका के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देखता है. ऐसे में उनकी ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया आना सामान्य है."

चीन मामलों की जानकार अलका आचार्य भी इस बात से सहमत नज़र आती हैं.

वो कहती हैं, "चीन की ओर से ये प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक है. चीन ये बिलकुल नहीं चाहेगा कि इस मामले में कोई तीसरा पक्ष किसी तरह की प्रतिक्रिया दे. और अब भारत की ओर से भी इसी तरह के बयान आ रहे हैं कि हमें इस मसले को सुलझाना पड़ेगा. बातचीत का दौर चलता ही जा रहा है. अब देखना ये होगा कि चीन किस तरह का समझौता करेगा, जैसे वह अपनी ओर से कुछ पहल करे कि भारत को कुछ विश्वास हो कि ये मसला सुलझाया जा सकता है. लेकिन चीन के नज़रिये से देखा जाए तो अमेरिका फूट डालने की कोशिश कर रहा है."

चीन-भारत विवाद में अमेरिका कहां?

भारत और चीन के बीच लद्दाख में साल 2020 में विवाद शुरू हुआ था. इसके बाद से अमेरिकी अधिकारी अलग-अलग मौकों पर बयान देते रहे हैं.

हाल ही में अमेरिका के उप सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने एक ऐसा बयान दिया था जिसे लेकर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था.

रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के लगभग एक महीने बाद भारत दौरे पर आए अमेरिका के डिप्टी एनएसए ने कहा था कि चीन अगर एलएसी का उल्लंघन करता है तो रूस भारत को बचाने के लिए नहीं आएगा.

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अमेरिका के उप सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह

इस बयान के बाद सवाल उठाए गए थे कि क्या अमेरिकी नीति में किसी तरह का बदलाव आया था.

नीति में निरंतरता के मुद्दे पर मनोज केवलरमानी कहते हैं, "अमेरिकी नीति की बात करें तो ट्रंप प्रशासन के बाद बाइडन प्रशासन में भी एक तरह की निरंतरता है. सिर्फ एक बदलाव है कि बाइडन प्रशासन ने अपने सहयोगियों के साथ तनाव को कम किया है जो कि ट्रंप प्रशासन के दौरान पैदा हुआ था.

हालांकि, चीन को लेकर उनकी नीति एक समान रही है. इंडो-पैसेफिक में उनका निवेश बढ़ा है. नीति के अलग-अलग अंग जैसे मिलिट्री और अर्थव्यवस्था अब जुड़ने लगे हैं. इसमें अभी बहुत कुछ होना बाकी है."

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में जो हो रहा है, उस पर बेहद ध्यान से नज़र रखे हुए है.

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दो दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा है कि, "हमारी सीमाओं की सुरक्षा ज़रूरी है और हम यथास्थिति में एकतरफ़ा तरीक़े से बदलाव करने की कोशिशों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. जो चीज़ें पहले तय हैं, उनसे उलट कुछ हुआ तो वैसी ही प्रतिक्रिया मिलेगी."

"जहाँ तक सुरक्षा की बात आती है, हम अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर काम करेंगे. हम अपने विश्वसनीय सहयोगियों की भूमिका को मानते हैं जो हमारे साथ भारत को हर दिन सुरक्षित बनाने में मदद कर रहे हैं. हम इतिहास की झिझकों से बाहर आ चुके हैं और हमारे विकल्पों पर किसी को वीटो नहीं करने देंगे."

ऐसे में सवाल उठता है कि भारत अमेरिकी नीति को कैसे देखता है.

अलका आचार्य कहती हैं, "भारत में काफ़ी लोगों का मानना है कि चीन के साथ संघर्ष में हमें अकेले ही निपटना होगा. जब अमेरिका की ओर से ये कहा गया कि अगर आपको चीन से निपटना है तो आप पूरी तरह हमारे साथ आ जाइए, इस पर दिलीप सिंह की प्रतिक्रिया आई थी. अमेरिका की ओर से एक बड़ी पहल चल रही है कि भारत पूरी तरह उनके साथ आ जाए और रूस के ख़िलाफ़ खड़ा हो जाए. लेकिन उनकी ओर से अब तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है जिससे ये पता चले कि चीन के साथ संघर्ष में वह हमारे साथ खड़े होंगे. ऐसे में ये सारी बातें उसी दिशा में की जा रही हैं कि भारत अमेरिका के साथ खड़ा हो जाए. लेकिन हमारे विदेश मंत्री के बयानों से ये स्पष्ट होता है कि उन्हें ये नहीं लगता है कि चीन और भारत के बीच कोई हस्तक्षेप कर सकता है या किसी की मदद मिल सकती है."

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भारत और चीन के बीच विवाद के मुद्दे क्या है?

पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर को लेकर विवाद है तो चीन के साथ न सिर्फ लद्दाख, बल्कि अरुणाचल प्रदेश में भी सीमा विवाद है. चीन भारत के हजारों किलोमीटर हिस्से पर अपना दावा करता है. पूर्वी लद्दाख में तो चीन के साथ मई 2020 से ही तनाव बना हुआ है, लेकिन अब अरुणाचल से सटी सीमा पर भी ड्रैगन अपनी ओर पक्का निर्माण कर रहा है.

चीन और भारत की लड़ाई का मुख्य कारण क्या है?

विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई। चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी।

चीन का दुश्मन कौन है?

वहीं, चीन के जानकार मानते हैं कि अमेरिका उनके लिए सबसे बड़ा दुश्‍मन भी है और खतरा भी है। चीन के मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स के मुताबिक जानकारों का कहना है कि अमेरिका चीन को हर मोर्चे पर विफल करना चाहता है। लेकिन चीन कूटनीतिक स्‍तर पर देश के सामने आने वाली हर चुनौती का सामना करने को तैयार भी है और सक्षम भी है।

चीन ने कितने देशों पर कब्जा कर रखा है?

चीन की छह देशों की 41.13 लाख वर्ग किमी जमीन पर कब्जा है। इसमें भारत की 43 हजार वर्ग किमी जमीन भी है। 1949 में चीन ने तिब्बत पूर्वी तुर्किस्तान और भीतरी मंगोलिया पर कब्जा किया था। हांगकांग पर 1997 और मकाउ पर 1999 से चीन का कब्जा है।