इंसान का सबसे बड़ा मित्र कौन है? - insaan ka sabase bada mitr kaun hai?

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मनुष्य का मन ही सबसे बड़ा मित्र और शत्रु: डॉ. गिरधर शर्मा

मन के जीते जीत है, मन के हारे हार। यानी मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र मन है इसी तरह शत्रु भी वही है। हम इसे जिस ओर ले जाएंगे, उसका वैसा प्रतिफल प्राप्त होगा। समीपस्थ ग्राम बिरकोना में ज्ञान यज्ञ समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में ये बातें व्यासपीठाचार्य डॉ. गिरधर शर्मा ने कहीं। श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन अजामिल प्रसंग का वर्णन करते हुए व्यासपीठाचार्य ने कहा कि मन ही हमें मंदिर पहुंचाता है तो वही मधुशाला तक भी ले जाता है। मन ही पतन और उत्थान का कारण बनता है। वेद पाठी अजामिल का मन जब मित्र रहा तो वह कर्मकांडी साधक-उपासक था, लेकिन लोभ-मोह में फंस कर जब मन शत्रु बन गया तो वह महापापी हो गया। संतों की कृपा से ज्ञान प्राप्त कर उसने जब मन को साध लिया तो संपूर्ण पास से मुक्त होकर भगवत लोक प्राप्त किया। साथ ही भक्ति गीत पर श्रद्धालुओं ने झूमा।

चाणक्य नीति: कौन है मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा धन और शत्रु?

उज्जैन. आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। आज भी इनकी गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। इन्होंने अपनी नीतियों और कुशाग्र बुद्धि का प्रयोग करते हुए नंदवंश का नाश किया और एक साधारण बालक से चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र की बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में रिश्तों, धन, व्यापार आदि को लेकर महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। जानते हैं कौन है मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा धन

सबसे अच्छा मित्र
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सबसे अच्छा मित्र वही है जो विकट परिस्थितियों में आपका साथ दे और अचानक विपत्ति आने पर भी आपको अकेला न छोड़े। बुरे समय में ही एक अच्छे मित्र की पहचान होती है। सही मायने में वही आपका मित्र होता है जो आपको सही और गलत की पहचान करवाता है।
 

सबसे बड़ा धन
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विपत्ति के समय में धन व्यक्ति को उससे निकलने में सहायता करता है लेकिन धन भी न होने पर भी ज्ञान ही व्यक्ति के काम आता है। कभी-कभी जब धन भी किसी काम का नहीं रह जाता है तब उस परिस्थिति में व्यक्ति केवल अपने ज्ञान से ही विजय प्राप्त कर सकता है, इसलिए ज्ञान रुपी धन को सदैव अर्जित करते रहना चाहिए।
 

सबसे बड़ा शत्रु
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु भूख होती है। जब व्यक्ति का पेट खाली होता है तो उस परिस्थिति में व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है इसलिए चाणक्य ने भूख को व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु बताया है।
 

चाणक्य नीति: क्या आप जानते हैं मनुष्य का सबसे बड़ा रोग, शत्रु और मित्र कौन है?

उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की। चाणक्य नीति भी उनमें से एक है। इस नीति शास्त्र में सुखी और सफल जीवन के लिए कई रहस्य बताए गए हैं। चाणक्य नीति में बताए गए लाइफ मैनेजमेंट के ये सूत्र आज के समय में भी हमें सही रास्ता दिखाते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा रोग, शत्रु और मित्र कौन है। जानिए…

1. काम-वासना के समान दूसरा रोग नही
आचार्य चाणक्य के अनुसार, काम-वासना के समान कोई दूसरा रोग नहीं। जिस व्यक्ति के मन में काम-वासना की भावना हर समय रहती है, उसका मन किसी और कार्य में नहीं लगता और निरंतर सिर्फ वासना के बारे में ही सोचता रहता है। ऐसे लोग दिमागी रूप से बीमार होते हैं। शरीर के रोगों के इलाज संभव है, लेकिन काम-वासना से पीड़ित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं है।

2. मोह के समान शत्रु नहीं
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मोह है, ऐसा आचार्य चाणक्य का कहना है। क्योंकि मोह ही सभी दुखों की मूल जड़ है। जब व्यक्ति किसी के मोह में फंस जाता है तो उसके दुखों से वह स्वयं भी दुखी होने लगता है। व्यक्ति दिन-रात जिस व्यक्ति या वस्तु से मोह है, उसी के बारे में सोचता रहता है।

3. क्रोध के समान आग नहीं
जिस व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता है, वह स्वयं का ही शत्रु होता है। क्रोध की अग्नि बहुत भयंकर होती है। क्रोधी व्यक्ति बिना कुछ सोचे-समझे कुछ भी कर बैठता है, जिसके लिए उसे बाद में पछताना भी पड़ता है। इसलिए कहा गया है क्रोध के समान आग नहीं है।

4. ज्ञान से बढ़कर सुख नहीं
जिस व्यक्ति के पास ज्ञान है, उससे सुखी मनुष्य दुनिया में और कोई नहीं। ज्ञान से ही हर दुख का निवारण हो सकता है। ज्ञानी मनुष्य दुनिया के कष्टों से परे होते हैं और निरंतर धर्म-कर्म में लगे रहते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है।

मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र कौन है?...


विनोद कुमार चौहान

TEACHER , TEACHING EXPERIENCE 30 YEAR'S , ADVISER http://getvokal.com/profile/vinod_74

1:01

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र कौन है मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है उसका लालच उसका स्वार्थ काम क्रोध मोह उसका देश यह सा यह मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु और सबसे बड़ा मित्र है उसका चरित्र उसकी ईमानदारी उसका धैर्य उसकी सहनशीलता धन्यवाद जय

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इंसान का सबसे बड़ा मित्र कौन है? - insaan ka sabase bada mitr kaun hai?

8 जवाब

इंसान का सबसे बड़ा मित्र कौन है? - insaan ka sabase bada mitr kaun hai?

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मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन सा है?

भय मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। विश्वास और विकास दोनों ही इससे कुंठित हो जाते हैं। भय मानसिक कमजोरी है। मन दुर्बल हो जाए तो शरीर भी दुर्बल हो जाता है।

मनुष्य के सबसे अच्छे मित्र कौन हैं?

Chanakya Niti In Hindi: मनुष्य के जीवन में मित्र को रिश्तेदारों से भी करीबी माना जाता है और अगर मित्र ही आपका नुकसान पहुंचाने की मंशा रखता हो तो वो दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है. ऐसे में सच्चे मित्र की पहचान कैसे की जाए, इसे लेकर आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में कई नीतियों का उल्लेख किया है...

सबसे बड़ा मित्र कौन सा है?

मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और सबसे बड़ा दुश्मन उसके विचार ही हैं। मनुष्य को यह जानना-समझना होता है कि कौन-सा विचार उसका मित्र है और कौन-सा शत्रु। जो व्यक्ति हर पल अपने प्रति ईमानदार रहता है, वास्तव में वही सच्चा जीवन जीता है

यात्री का मित्र कौन है?

यात्री मित्र या तो कोई सहायक हो सकता है या आईआरसीटीसी के द्वारा उपलब्ध कराया गया कोई अन्य व्यक्ति या आईआरसीटीसी द्वारा इस उद्देश्य के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर हो सकता है. यात्री मित्र दिव्यांग, बीमार और वृद्ध व्यक्तियों को व्हील चेयर एवं कुली सेवाएं उपलब्ध कराएगा.