यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट सेटेलाइट डाटाबेस ने एक सूची तैयार की है। इस सूची में दुनिया के उन देशों के नाम दर्ज है जिन्होंने अंतरिक्ष में सफलता के झंडे गाड़े है। इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के स्पेस में अब तक 1038 सेटेलाइट है। चीन के 356 सेटेलाइट है। Show
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। बीते कुछ दशकों में भारत ने स्पेस की दुनिया में अपनी बादशाहत साबित की है। अमेरिका और रुस से मुकाबला करते हुए भारत उस फेहरिस्त में आ खड़ा हुआ है जहां दुनिया के चंद मुल्क ही पहुंचे है। इस पूरे सफर में भारत के मिशन 'चंद्रयान-2' को अपेक्षाकृत सफलता हाथ नहीं लग सकी लेकिन विश्व पटल पर भारत का डंका बजा। यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट सेटेलाइट डाटाबेस ने एक सूची तैयार की है। इस सूची में दुनिया के उन देशों के नाम दर्ज है जिन्होंने अंतरिक्ष में सफलता के झंडे गाड़े है। इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के स्पेस में अब तक 1038 सेटेलाइट है। चीन के स्पेस में 356 सेटेलाइट है। रुस के स्पेस में 167 सेटेलाइट, अमेरिका के 130, जापान के 78 और भारत के 58 सेटेलाइल स्पेस में है। इनमें से 339 सेटेलाइट का प्रयोग मिलिट्री के लिए, 133 का सिविल के लिए, 1440 का कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए और 318 मिक्स्ड यूज के लिए है। 58 सालों का धमाकेदार सफर भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 21 नवंबर 1963 को हुई थी जब भारत ने केरल में मछली पकड़ने वाले क्षेत्र थुंबा से अमेरिकी निर्मित दो-चरण वाला साउंडिंग रॉकेट ‘नाइक-अपाचे’ का प्रक्षेपण किया था। यह अंतरिक्ष की ओर भारत का पहला कदम था। उस वक्त भारत के पास न तो इस प्रक्षेपण के लिए जरूरी सुविधाएं थीं और न ही मूलभूत ढांचा उपलब्ध था। चूंकि थुंबा रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन पर कोई इमारत नहीं थी इसलिए वहां के स्थानीय बिशप के घर को निदेशक का ऑफिस बनाया गया। प्राचीन सेंट मैरी मेगडलीन चर्च की इमारत कंट्रोल रूम बनी और नंगी आंखों से धुआं देखा गया। यहां तक की रॉकेट के कलपुर्जों और अंतरिक्ष उपकरणों को प्रक्षेपण स्थल पर बैलगाड़ी और साइकिल से ले जाया गया था। मंगलयान की सफलता 16 नवंबर 2013, को अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में भारत ने एक नया अध्याय लिखा। इस दिन 2:39 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV C-25 मार्स ऑर्बिटर (मंगलयान) का अंतरिक्ष का सफर शुरू हुआ। 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत इस तरह के अभियान में पहली ही बार में सफल होने वाला पहला देश गया। इसके साथ ही वह सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद इस तरह का मिशन भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है। Edited By: Vineet Sharan कितने सैटेलाइट्स हैं धरती के चारों ओर, इनसे कितनी दिक्कत, कितना फायदा?कितने सैटेलाइट्स हैं धरती के चारों ओर, इनसे कितनी दिक्कत, कितना फायदा?साल 1957 में सोवियत यूनियन ने इंसान द्वारा निर्मित पहला सैटेलाइट Sputnik अंतरिक्ष में लॉन्च किया. इसके बाद से साल 2010 तक दुनियाभर के देशों द्वारा हर साल करीब 10 से 60 सैटेलाइट लॉन्च किए जा रहे थे. लेकिन 2010 के बाद तो जैसे सैटेलाइट्स की बाढ़ आ गई. इससे हमें क्या नुकसान पहुँच रहा है आइये जानते हैं. दुनिया का पहला सैटेलाइट 64 साल पहले छोड़ा गया था. तब से लेकर अब तक धरती के चारों तरफ करीब 7500 सैटेलाइट्स मौजूद हैं. यानी हर साल करीब 117 सैटेलाइट छोड़े गए. आइए समझते हैं इनसे किस तरह का नुकसान हो सकता है? फायदे तो आप जानते ही हैं. ज्यादा जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो. आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें डाउनलोड करें
भारत ने 1975 से अब (30अगस्त 2013) तक (71)कृत्रिम उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है। ये उपग्रह विभिन्न प्रक्षेपण यानों द्वारा प्रक्षेपित किये गये हैं जैसे अमेरिकी, रूसी, यूरोपीय तथा स्वदेशी यान। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारतीय उपग्रहों के डिजाइन एवं निर्माण का कार्य करती है।[1] उपग्रह[संपादित करें](प्रक्षेपण तिथि के अनुसार शाटित)
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
{{भारतीय अंतरिक्ष काdhxj र्यक्रम}} भारत के कुल कितने सैटेलाइट हैं?चीन के स्पेस में 356 सेटेलाइट है। रुस के स्पेस में 167 सेटेलाइट, अमेरिका के 130, जापान के 78 और भारत के 58 सेटेलाइल स्पेस में है।
टोटल कितने सेटेलाइट है?तब से लेकर अब तक धरती के चारों तरफ करीब 7500 सैटेलाइट्स मौजूद हैं. यानी हर साल करीब 117 सैटेलाइट छोड़े गए.
पृथ्वी के ऊपर कितने सेटेलाइट है?उदाहरण के लिए, संचार उपग्रहों में आमतौर पर सैन्य उपग्रहों की तुलना में पृथ्वी की सतह से कम ऊंचाई होती है जो सुरक्षित अंत से अंत संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं। वर्तमान में पृथ्वी के इर्द-गिर्द कुल कितनी सैटेलाइट चक्कर क़ाट रही हैं? अभी, हमारे ग्रह की परिक्रमा करने वाले लगभग 6,000 उपग्रह हैं।
पहला भारतीय सेटेलाइट कौन सा है?आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह है, जिसे इसी नाम के महान भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर नामित किया गया है। यह सोवियत संघ द्वारा 19 अप्रैल 1975 को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन यार से प्रक्षेपित किया गया था।
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