भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता है आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होनी चाहिए? - bhaarat ka sanvidhaan samaanata ke baare mein kya kahata hai aapako yah kyon lagata hai ki sabhee logon mein samaanata honee chaahie?

भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता है? आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होना जरूरी है?

Solution

भारत का संविधान समानता के बारे में कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं। लोग अपनी पसंद का काम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकारी नौकरियों में सभी लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं। लोगों को अपने धर्म का पालन करने, अपनी भाषा बोलने, अपने त्योहार मनाने और अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है। सरकार सभी धर्मों को बराबर महत्त्व तथा सम्मान प्रदान करेगी।

भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहते हैं आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होना जरूरी है?

Solution : भारत के संविधान के अनुसार यहाँ के सभी नागरिक को जाति, धर्म, भाषा और अभिव्यक्ति की समानता का अधिकार है। चूकि भगवान की नजरों में हम सभी का जन्म समान रूप से हुआ, इसलिए सभी इंसान को समान रूप से देखना चाहिए। सभी इंसान को सामान रूप से शिक्षा और पेशा का अधिकार मिलना चाहिए।

समानता के अधिकार का क्या अर्थ है?

समानता का अधिकार (Right To Equality in Hindi) शब्द का अर्थ है कि देश के कानून के सामने सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और लिंग, जाति, नस्ल, धर्म या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के अनुचित व्यवहार को त्याग दिया जाना चाहिए।

सामाजिक समानता से क्या तात्पर्य है?

सामाजिक समानता से अभिप्राय है- किसी भी वर्ग या जाति या धार्मिक समूह या एक जातीय समूह के लिए विशेष विशेषाधिकार की अनुपस्थिति। जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर किसी के साथ भेदभाव निषेध। सभी लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त अभिगम, अर्थात कोई सामाजिक अलगाव नहीं। सभी लोगों के लिए अवसर की समानता

और समानता से आप क्या समझते हैं?

सामाजिक सन्दर्भों में समानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं।