भारत के प्रथम प्रधान महिला कौन है? - bhaarat ke pratham pradhaan mahila kaun hai?

नाम "प्रथम" उपलब्धि अधिक/अन्य जानकारी
प्रतिभा पाटिल प्रथम महिला राष्ट्रपति व

राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल(2004-07)

(२००७-१२)
इंदिरा गाँधी प्रथम महिला प्रधानमंत्री
सरोजिनी नायडू प्रथम महिला राज्यपाल उत्तर-प्रदेश की राज्यपाल (१९४७-४९)
सुचेता कृपलानी प्रथम महिला मुख्यमंत्री उत्तर-प्रदेश की मुख्यमंत्री (१९६३-६७)
मीरा कुमार प्रथम महिला लोक सभा अध्यक्ष
कादम्बिनी गांगुली और चन्द्रमुखी बसु प्रथम महिला स्नातक (१८८३)
किरण बेदी प्रथम महिला भारतीय आरक्षी सेवा (आई॰पी॰एस॰) अधिकारी।
तेजस्विनी सावंत विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता विजेता। उन्होंने म्युनिख में आयोजित विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता २०१० के 50 मीटर की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर यह उपलब्धि प्राप्त की।[कृपया उद्धरण जोड़ें]
हरिता कौर देओल भारतीय वायु सेना में प्रथम महिला पायलट
पद्मा बंदोपाध्याय भारत की प्रथम महिला एयर वाइस मार्शल,
एयर कॉमॉडोर के पद पर पदोन्नत होने वाली प्रथम महिला,
रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज कोर्स पूरा करने वाली प्रथम महिला अधिकारी,
उत्तरी ध्रुव में वैज्ञानिक अनुसंधान करने वाली प्रथम भारतीय महिला
कल्पना चावला प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री शिवांगी सिंह प्रथम महिला नौसेना पायलट
मधु धामा प्रथम संस्कृति मनीषी सम्मान से सम्मानित[1][2] दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार (२०१७)

भारत कि प्रथम महिला शासक रजिया सुल्तान[संपादित करें]

  • प्रथम महिला लेफिटनेट जनरल पुनीत अरोड़ा

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "मधु धामा को प्रथम संस्कृति मनीषी सम्मान". amarujala.com. अमर उजाला. मूल से 13 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फरवरी 2019.
  2. "मधु धामा को मनीषी सम्मान से नवाजा". jagran.com. दैनिक जागरण. अभिगमन तिथि 9 फरवरी 2019.


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[[श्रेणी cheaf justice. Meera shaib M fathima Bb]

जन्म : 19 नवंबर 1917

मृत्यु : 31 अक्टूबर 1984

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में आनंद भवन में हुआ था। अपने दृढ़ निश्चय, साहस और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता के कारण इंदिरा गांधी को विश्व राजनीति में 'लौह महिला' के रूप में जाना जाता है।



पिता जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों में शामिल थे। वही दौर रहा, जब 1919 में उनका परिवार बापू के सान्निध्य में आया और इंदिरा ने पिता नेहरू से राजनीति का ककहरा सीखा।

मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए बच्चों की वानर सेना बनाई। 1938 में वे औपचारिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुईं और 1947 से 1964 तक अपने प्रधानमंत्री पिता नेहरू के साथ उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जाता था कि वे उस वक्त प्रधानमंत्री नेहरू की निजी सचिव की तरह काम करती थीं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक ब्योरा नहीं मिलता।

पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वे सबसे पहले लालबहादुर शास्त्री मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं।

शास्त्रीजी के निधन के बाद 1966 में वे देश के सबसे शक्तिशाली पद 'प्रधानमंत्री' पर आसीन हुईं। एक समय ‘गूंगी गुड़िया’ कही जाने वाली इंदिरा गांधी तत्कालीन राजघरानों के प्रिवीपर्स समाप्त कराने को लेकर उठे तमाम विवाद के बावजूद तत्संबंधी प्रस्ताव को पारित कराने में सफलता हासिल करने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसा साहसिक फैसला लेने और पृथक बांग्लादेश के गठन और उसके साथ मैत्री और सहयोग संधि करने में सफल होने के बाद बहुत तेजी से भारतीय राजनीति के आकाश पर छा गईं।

1971 के युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया।

वर्ष 1975 में आपातकाल लागू करने का फैसला करने से पहले भारतीय राजनीति एक ध्रुवीय-सी हो गई थी जिसमें चारों तरफ इंदिरा ही इंदिरा नजर आती थीं। इंदिरा की ऐतिहासिक कामयाबियों के चलते उस समय देश में ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’ का नारा जोर-शोर से गूंजने लगा।

राजनीति की नब्ज को समझने वाली इंदिरा मौत की आहट को तनिक भी भांप नहीं सकीं और 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मियों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन्हें गोली मार दी। दिल्ली के एम्स ले जाते समय उनका निधन हो गया।

वे वर्ष 1966 से 1977 और 1980 से 1984 के बीच प्रधानमंत्री रहीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वे सिख अलगाववादियों के निशाने पर थीं। 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों ने ही उनकी हत्या कर दी।