बच्चे भाषा अर्जन कैसे करते हैं? - bachche bhaasha arjan kaise karate hain?

इसे सुनेंरोकेंइसमें बच्चे निरीक्षण करते हैं और नकल करते हैं और जो वे देखते हैं उसी के अनुसार सीखते- समझते हैं। बच्चे अपने परिवेश के साथ निरंतर परस्पर संवाद करते रहते हैं। वे जो कुछ भी देखते हैं उसे छूना चाहते हैं। इसी प्रक्रिया के माध्यम से वे सीखते हैं।

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बच्चे भाषा कैसे अर्जित करते हैं?

भाषा अर्जन की विधियाँसंपादित करें

  1. अनुकरण: बालक जब भी भाषा के नए नियम या व्याकरण के नियम सुनता है, वह उसे बिना अर्थ जाने दोहराता है।
  2. अभ्यास: भाषा के नए नियमों और रूपों का विद्यार्थी बार-बार अभ्यास करते हैं, जिससे नियम उनके भाषा प्रयोग में शामिल हो जाते हैं।

बच्चों में भाषा का विकास कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंबालक का भाषा विकास या अभिव्यक्ति क्षमता का विकास बालक को सर्वप्रथम भाषा ज्ञान परिवार से होता है। तत्पश्चात विद्यालय एवं समाज के सम्पर्क में उनका भाषायी ज्ञान समृद्ध होता है। कार्ल सी. गैरिसन के अनुसार- “स्कूल जाने से पहले बालकों में भाषा ज्ञान का विकास उनके बौद्धिक विकास की सबसे अच्छी कसौटी है।

किसी भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले क्या सीखना होता है?

इसे सुनेंरोकें➲ किसी भी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा के वर्ण और उसकी लिपि उसके बाद शब्द और उनका अर्थ, फिर उस भाषा का व्याकरण तथा वाक्य सीखने पड़ते हैं। ✎… किसी भाषा को सीखने के लिए उस भाषा के वर्णों को पहचानने की आवश्यकता सबसे पहले पड़ती है। इसलिए उस भाषा के वर्ण और लिपि को समझने की प्रक्रिया सबसे प्रारंभिक कार्य है।

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भाषा नकल से कैसे सीखी जाती है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा नकल से सीखी जाती है। भाषा सिखाने का एक मात्र साधन पाठ्यपुस्तक है? कुछ मुद्दों तथा भाषा सीखने-सिखाने के उद्देश्यों के बारे में बात करेंगे। यहाँ यह भी समझने का प्रयास है कि कैसे हमारी भाषा की समझ, बच्चों के प्रति नजरिया, उनके सीखने के प्रति नजरिया भाषा शिक्षण को प्रभावित करता है ।

चोमस्की स्किनर के अनुसार बच्चे भाषा कैसे सीखते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार, भाषा के चॉम्स्की के सिद्धांत का मानना ​​है कि एक बच्चा भाषा को एक्सपोज़र और नकल से नहीं सीखता है, लेकिन भाषा के वाक्यात्मक संरचनाओं के अपने सहज ज्ञान से संबंधित सीखता है, शब्दों के सीमित सेट के साथ (जिसे लेक्सिकॉन भी कहा जाता है) शामिल हैं: आपकी मूल भाषा यह सिद्धांत, जो भाषाविज्ञान की एक नई अवधारणा की शुरुआत …

भाषा अर्जन कब होता है?

इसे सुनेंरोकेंभाषा अर्जन (Language Acquisition) – भााषा का अर्जन बच्चे के जन्म के कुछ सप्ताह बाद ही शुरू हो जाता है, जो कि मुख्य रूप से मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में होता है। इसी कारण बच्चे की मां को उसकी पहली शिक्षक और उसके परिवार को पहली पाठशाला / प्राथमिक स्कूल कहा जाता है।

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बी एफ स्किनर के अनुसार बच्चों में भाषाई विकास किसका परिणाम है?

इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बीएफ स्किनर के अनुसार बच्चों में भाषा का विकास अनुकरण और पुनर्बलन के परिणाम के रूप में होता है।

भाषा सीखने के लिए क्या आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंएक भाषा को बोलने के लिए जिस समय का इंतजार करना चाहिए, वह व्यक्ति और उसके अपने खुद के भाषा के अनुभव पर बहुत अधिक निर्भर करता है, लेकिन अब मुझे पता है कि जब बहुत करीबी भाषा सीखते हैं, तो जितनी जल्दी हो सके बोलना ज्यादा कुशल होता है पिछली भाषा का कौशल और ज्ञान नए में स्थानांतरित कर सकते हैं।

आज के इस लेख में हम लोग भाषा के बारे में पढ़ेंगे। हम लोग जानेंगे कि भाषा किसे कहते हैं? भाषा अधिगम और भाषा अर्जन किसे कहते हैं? साथ ही साथ हम लोग यह भी जानेंगे कि भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में क्या अंतर है।

भाषा किसे कहते हैं? [Bhasha kya hai]

भाषा एक संकेतिक साधन है जिसके माध्यम से बालक अपने विचारों एवं भावों को संप्रेषित करता है तथा दूसरे के विचारों एवं भाव को समझता है।

भाषायी योग्यता के अंतर्गत मौखिक अभिव्यक्ति, सांकेतिक अभिव्यक्ति, लिखित अभिव्यक्ति इत्यादि आते हैं।

भाषा अधिगम किसे कहते हैं? [Bhasha Adhigam kya hai]

भाषा को सीखना भाषा अधिगम का अर्थ है। हम कह सकते हैं कि मनुष्य अपने विचारों को अभिव्यक्त करने एवं समाज एवं परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए जिस प्रक्रिया द्वारा अपनी भाषा क्षमता का विकास करता है, वह प्रक्रिया भाषा अधिगम कहलाती है।

भाषा अर्जन किसे कहते हैं? [Bhasha arjan kya hai]

सीखे हुए भाषा को ग्रहण करने की प्रक्रिया एवं उसे समझने की क्षमता अर्पित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं।

भाषा का अर्जन अनुकरण के द्वारा होता है। बालक अपने वातावरण में, अपने परिवेश में जिस प्रकार लोगों को बोलते हुए सुनता है या लिखते हुए देखता है, वह उसे ही अनुकरण करने का प्रयास करता है।

भाषा अधिगम एवं भाषा अर्जन के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के विचार :-

चाॅम्स्की के अनुसार :- भाषा सीखे जाने के क्रम में, वैज्ञानिक की खोज भी साथ-साथ चलती रहती है। इस अवधारणा से आंकड़ों का अवलोकन, वर्गीकरण, संकल्पना निर्माण वह उसका सत्यापन अथवा असत्यता और इस धारणा का शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान लिया जा सकता था।

चाॅम्स्की के अनुसार बच्चों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है।

जीन पियाजे के अनुसार :- भाषा ने संज्ञानात्मक तंत्रों की भांति परिवेश के साथ अंतः क्रिया के माध्यम से ही विकसित होती है।

वाइगोत्सकी के अनुसार :- बच्चे की भाषा समाज के साथ संपर्क का ही परिणाम है। बच्चा अपनी भाषा के विकास के दौरान दो प्रकार की बोली बोलता है- पहले आत्मकेंद्रित और दूसरी सामाजिक। आत्मकेंद्रित भाषा के माध्यम से बालक अपने आप से संवाद करता है, जबकि सामाजिक भाषा के माध्यम से वह शेष सारी दुनिया से संवाद स्थापित करता है।

भाषा अधिगम और भाषा अर्जन को प्रभावित करने वाले कारक

बालक के भाषा अधिगम और भाषा अर्जन को विभिन्न सामाजिक व व्यक्तिगत परिस्थितियां प्रभावित करती है।

सामाजिक परिवेश

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वाइगोत्सकी का मानना है कि बालक की भाषा उसके समाज के साथ संपर्क का परिणाम होता है। समाज में जैसी भाषा का प्रयोग किया जाता है, बालक की भाषा उसी के अनुरूप निर्मित होती है। यदि समाज में अशुद्ध तथा असभ्य भाषा का प्रयोग होगा तो बालक में भी अशुद्ध तथा असभ्य भाषा होने की आशंका होगी। इस प्रकार से सामाजिक परिवेश में बालक के भाषा अधिगम एवं भाषा अर्जन को प्रभावित करती है।

भाषा अर्जन की इच्छा

बालक अपने प्रथम भाषा यानी मात्रिभाषा को सहज रूप से सीख लेता है, किंतु द्वितीय भाषा का अधिगम एवं अर्जुन उसकी भाषा सीखने के प्रति इच्छा पर निर्भर करता है।

बालक में भाषा विकास की प्रारंभिक अवस्था

बालक जन्म लेते ही रोने और चिल्लाने की चेष्टाएं करता है। रोने और चिल्लाने की चेष्टाओं के साथ-साथ वह अन्य आवाज में भी निकलता है। यह आवाजे पूर्ण रूप से स्वाभाविक, स्वचालित एवं नैसर्गिक होती है, इन्हें सीखा नहीं जाता।

उपरोक्त क्रियाओं के बाद बालक में बड़बड़ाने की क्रियाएं प्रारंभ हो जाती है। इस बड़बड़ाने के माध्यम से बालक में स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों के अभ्यास का अवसर आते हैं।

बच्चे भाषा कैसे अर्जित करते हैं?

भाषा अर्जन: इस प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सीखी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्पित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं

भाषा का अर्जन कैसे होता है?

भाषा अर्जन (Language acquisition) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिये शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है।

भाषा अर्जन कब होता है?

अतः, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भाषा अर्जन होता है जब बच्चे को भाषा के अवसर मिलते हैं। भाषा अधिगम में बच्चे को व्याकरण के नियम पढ़ाए जाते हैं। भाषा शिक्षण जिसे अधिगम भी कहा जाता है में बच्चे को पुरस्कार या दंड देकर व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है।

भाषा अर्जित करने की स्थिति में बच्चे क्या करते हैं?

Detailed Solution. भाषा अर्जन एक सहज एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें बच्चें घरेलू परिवेश में भाषा के नियमों को आसानी से आत्मसात् करते हैं और बच्चे भाषा को सहज और स्वाभाविक रूप से सीखते हैंभाषा अर्जन से तात्पर्य भाषा को अपने परिवेश से स्वयं के प्रयासों से ग्रहण करने से है।

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