In this article, we will share MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्त्व Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. Show p-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. N2(g) +3H2(g) ⇌ 2NH3(g) (ΔfH°= -92.4 kJ mol-1 ली-शातेलिए नियम के अनुसार, उच्च दाब अमोनिया निर्मित करने के लिए अनुकूल होता है। अमोनिया उत्पादन के लिए अन्य अनुकूलतम परिस्थितिया निम्न प्रकार हैं –
प्रश्न 5. Cu+2(aq) +4NH3(aq) ⇌ [Cu(NH3)4]2+(aq) प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. हल्का गर्म करने पर PCl5 उर्ध्वपातित हो जाता है परन्तु अधिक गर्म करने से वियोजित हो जाता है। प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. (i) सल्फेटों के रूप में-उदाहरण- जिप्सम (CaSO4. 2H2O), एप्सम लवण (MgSO4.7H2O), बेराइट (BaSO4). प्रश्न 14. H2O > H2S > H2Se > H2Te > H2Po. तापीय स्थायित्व का क्रम भी इसी प्रकार है। प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न
19. 2I–+H2O(l) + O3(g) → 2OH–(aq) + I2(s) + O2(g) प्रश्न 20. 2Fe+3 + SO2 + 2H2O → 2Fe+2 + SO42- + 4H+ प्रश्न 21. प्रश्न 22. (b) यह अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन का रंग नारंगी से हरा कर देती है। प्रश्न 23.
प्रश्न 24. 2SO2(g)+ O2(g) ⇌ 2SO3(g) (ΔfH°= -1966kJmol-1) अभिक्रिया उत्क्रमणीय, ऊष्माक्षेपी तथा आयतन के घटते क्रम में प्रेरित होती है। प्रश्न 25. प्रश्न 26. उपरोक्त आँकड़ों से स्पष्ट है कि आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान क्लोरीन के लिए उच्च हैं लेकिन जलयोजन एन्थैल्पी का मान फ्लुओरीन के लिए बहुत उच्च है। उन दोनों के प्रभावों की क्षतिपूर्ति करता है। यह मान ही फ्लुओरीन को क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक बनाता है। हैलोजनों की तुलनात्मक ऑक्सीकारक सामर्थ्य को उनकी जल के साथ अभिक्रिया से और अधिक समझा जा सकता है। 2F2(g)
+2H2O(l) → 4H+(aq) + 4F–(aq) + O2(g) प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. Cl2 +H2O → 2HCl + [O] लोरीन का विरंजक प्रभाव स्थायी होता है। यह नमी की उपस्थिति में वानस्पतिक अथवा कार्बनिक पदार्थों को विरंजित करती है। प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. XeF6 + H2O →XeO2F2 + HF प्रश्न 34. p-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. निम्न बिन्दुओं पर इनकी विवेचना इस प्रकार है – 1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)-इनके संयोजकता कक्ष में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा इस कक्ष का सामान्य विन्यास ns2np3 से प्रदर्शित होता है। जहाँ, n= 2 से 6 तक होता है। अंतिम से पहले वाले कक्ष में N में 2, फॉस्फोरस में 8 तथा अन्य में 18 इलेक्ट्रॉन होते हैं। np3 में स्थित तीन इलेक्ट्रॉन हुंड के नियम के अनुसार, npx1npy1npz1 के रूप में वितरित होते हैं। यह विन्यास अर्द्धपूरित अवस्था में होने के कारण स्थायित्व प्रदर्शित करता है। यही कारण है कि ये तत्व अधिक क्रियाशीलता प्रदर्शित नहीं करते। 2. आयनन एन्थैल्पी (Ionization enthalpy)-(a) समूह 14 (कार्बन परिवार) के तत्वों की तुलना में समूह 15 (नाइट्रोजन परिवार) के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी अपेक्षा से अधिक होती है। 3. विद्युत् ऋणविद्युतता (Electronegativity)-समूह 14 के तत्वों की तुलना में समूह 15 के तत्वों की ऋणविद्युतता अधिक होती है। इसका कारण परमाण्विक त्रिज्या का घटना तथा नाभिकीय आवेश का बढ़ना है। 4. परमाण्विक आकार (Atomic shape)-समूह 15 में ऊपर से नीचे जाने पर विद्युत्ऋणता में कमी होती जाती है, इसका कारण परमाणु त्रिज्या का बढ़ना तथा आवरण प्रभाव का बढ़ना है। . 5. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state)-समूह 15 के तत्वों का संयोजकता कक्ष का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np3 होने के
कारण इन तत्वों की संभावित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ -3, +3 तथा +5 हो सकती हैं। किंतु समूह में नीचे जाने पर यह प्रवृत्ति कम होती जाती है क्योंकि परमाणु का आकार भी बढ़ता है तथा विद्युत्ऋणता भी घटती हैं अपने से अधिक विद्युत्ऋणी तत्वों से जब ये संयोग करते है, तो धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने लगते हैं। फॉस्फोरस तथा आगे के तत्व +3 एवं +5 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। +3 ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती है। समूह में नीचे जाने पर +5 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व घटता जाता है। +5 ऑक्सीकरण अवस्था के लिये ns2np3 के सभी पाँचों इलेक्ट्रॉन निकलना आवश्यक है किंतु समूह में नीचे जाने पर ns2 इलेक्ट्रॉनों की अक्रियता बढ़ती जाती है। यह इलेक्ट्रॉन युग्म अलग नहीं होता, इसलिए इसे “अक्रिय इलेक्ट्रॉन युग्म” (Inert electron pair) कहते हैं। इसके प्रभाव से मात्र ns3 के तीन इलेक्ट्रॉन निकल पाते हैं जो +3 ऑक्सीकरण अवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। जिस प्रभाव के कारण +5 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व समाप्त हो जाता है, उसे अक्रिय युग्म प्रभाव (Inert pair effect) कहते हैं। इसीलिए BiCl3 का अस्तित्व है, BiCl5 का नहीं। प्रश्न 2. इसके विपरीत फॉस्फोरस (श्वेत या पीला) P4 अणु से बना होता है, क्योंकि N≡N त्रिबन्ध की अपेक्षा (941.4 kJ mol-1), P-P एकल बन्ध काफी दुर्बल (213 kJ mol-1) होता है। अतः फॉस्फोरस, नाइट्रोजन की अपेक्षा बहुत अधिक क्रियाशील है। प्रश्न 3. फॉस्फोरस की परमाणुकता 4 है। चारों P परमाणु एक चतुष्फलक के शीर्षों पर स्थित होते हैं तथा आपस में जुड़े होते हैं। इस प्रकार से फॉस्फोरस की तीन सहसंयोजकताएँ पूर्ण होती हैं। sp3 संकरण में बनने वाला 109°28′ का कोण इसमें लुप्त रहता है तथा 60° का कोण होता है। इस वजह से श्वेत रंग का P4 एक अत्यंत ‘तनाव’ युक्त अणु होता है जो इसे सक्रिय बनाता है। दूसरी ओर लाल रंग का फॉस्फोरस खुली श्रृंखला में होने के कारण अपेक्षाकृत निष्क्रिय होता है। As, Sb तथा Bi भी क्रियाशील नहीं है।। (b) दो नाइट्रोजन परमाणुओं के बीच Pπ-Pπ बंध के कारण त्रिबंध होता है। फॉस्फोरस में Pπ-Pπ बंध संभव है। ऐसे बंधन मुक्त यौगिकों के उदाहरण – POX3,RN = PX3,R3P = O,R3P = CR2 (R = एल्किल समूह)। फॉस्फोरस तथा आर्सेनिक में Pπ-Pπ बंध भी बनाने की क्षमता है। ऐसा ये संक्रमण तत्वों के साथ करते हैं। :P(C2H5), तथा :As(C6H5)3 लिगेण्ड के रूप में रहकर संक्रमण धातु के साथ यह बंध बनाते हैं। अभी हाल में P = C, P≡ C, P = N, P = P तथा As = As समूहों से युक्त यौगिकों का भी संश्लेषण किया गया है। प्रश्न 4. फॉस्फोरस तथा हाइड्रोजन की विद्युतऋणात्मकताएँ समान हैं यही कारण है कि P-H सहसंयोजी बन्ध अध्रुवीय होता है। अतः PH3 अणुओं के बीच H-आबन्ध नहीं बनते हैं। प्रश्न 5. प्रश्न 6 अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन कैसे किया जाता है? उत्तर अमोनिया निर्माण की हैबर विधि (a) सिद्धान्त – एक आयतन नाइट्रोजन गैस और तीन आयतन हाइड्रोजन गैस आपस में क्रिया करके अमोनिया बनाती है। यह एक ऊष्माक्षेपी क्रिया है। इसमें अमोनिया के बनने से आयतन में कमी होती है, क्योंकि कुल चार आयतन अभिकारक से दो आयतन क्रियाफल प्राप्त होते हैं । अतः ली-शातेलिये के सिद्धान्त के अनुसार अमोनिया के अधिक उत्पादन हेतु N2 तथा H2 का अधिक सान्द्रण कम ताप एवं उच्च दाब ही उपयुक्त परिस्थिति होगी। (b) अभिक्रिया का समीकरण – (c) विधि-वायु को, शुद्ध N2 तथा वॉटर गैस से प्राप्त H2 को क्रमशः 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डलीय दाब से संपीडक में प्रवेश कराते हैं । इसमें Fe चूर्ण एवं उत्प्रेरक वर्धक Mo रखा होता है। इस कक्ष का ताप 450-500°C तक नियंत्रित रखते हैं। उत्प्रेरक कक्ष से निकलने वाली गैसों में 10% से 15% तक NH3 रहती है। इसे संघनित्र की सहायता से ठंडा करके अलग कर लेते हैं। शेष अनुपयुक्त गैस को पम्प की सहायता से पुनः उत्प्रेरक कक्ष में पहुँचा दिया जाता है। (d) सावधानियाँ-(1) N2 और H2 शुद्ध अवस्था एवं शुष्क अवस्था में होनी चाहिए, क्योंकि अशुद्धियाँ उत्प्रेरक को विषाक्त कर देती हैं । (2) ताप एवं दाब नियन्त्रित होने चाहिए। (e) क्लोरीन की अधिकता में क्रिया प्रश्न 7. 3Cu + 8HNO3 (तनु) → 3Cu(NO3)2+4H2O + 2NO (ii) कॉपर धातु, सान्द्र HNO, के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन (IV) ऑक्साइड या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड NO2 देता है। प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. (ii) ऑक्सीकरण अवस्था- चूँकि इन तत्वों में 6-संयोजी इलेक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं, (ns2, np4) अतः ये -2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार केवल ऑक्सीजन ही प्रभावी रूप से -2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते है, अर्थात् ये उच्च विद्युत् ऋणात्मक होते हैं। ये -1 (H2O2), 0 (O2) और +2 (OF2) ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं । इस प्रकार समूह में नीचे आने पर तत्वों की विद्युत् ऋणात्मकता में निरंतर कमी होने के कारण -2 ऑक्सीजन अवस्था के स्थायित्व में भी कमी आती है। इस समूह के भारी तत्व d-कक्षक की उपस्थिति के अनुसार +2, +4 एवं +6 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। (iii) हाइड्राइड्स का निर्माण-ये तत्व H2E प्रकार के हाइड्राइड्स का निर्माण करते हैं। जहाँ, E= O, S, Se, Te, PO होता है। ऑक्सीजन तथा सल्फर को H2E2 प्रकार के हाइड्राइड्स का निर्माण करते हैं। ये हाइड्राइड्स पूर्णतया परितवर्तनशील गुण वाले होते हैं। प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. 2SO2 + O2
→ 2SO3 + 45.2 kcal विधि-विधि का क्रमबद्ध वर्णन निम्नलिखित है –
परीक्षण कक्ष (Testing chamber)-इस प्रकार शुद्ध किया हुआ गैसीय मिश्रण सम्पर्क कक्ष में भेजने के पूर्व उसका परीक्षण किया जाता है। परीक्षण कक्ष (T) में प्रकाश की तेज किरण पुंज भेजी जाती है। यदि धूल आदि के कण हों तो वे चमक जाते हैं तब इस गैसीय मिश्रण को पुन:शुद्ध किया जाता है। पूर्ण शुद्ध और परीक्षित गैसीय मिश्रण अब गर्म कर (H द्वारा) सम्पर्क कक्ष (R) में भेजा जाता है। सम्पर्क कक्ष (Contact chamber)-यह लोहे, का बना एक बड़ा कक्ष (R) होता है जिसमें लोहे के कई पाइप होते हैं। इन पाइपों में उत्प्रेरक वेनेडियम पेण्टॉक्साइड (V2O5) या प्लैटिनम युक्त ऐस्बेस्टॉस या अन्य उपयुक्त उत्प्रेरक भरा रहता है। इनका ताप 450°C रखा जाता है। शुद्ध एवं परीक्षित सल्फर डाइऑक्साइड और हवा का गर्म मिश्रण इन पाइपों में उत्प्रेरक के सम्पर्क में रहकर आगे बढ़ता है और सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) बनाता है। कैलोरी क्रिया ऊष्माक्षेपी होने से अब ताप स्वयं ही मिलने लगता है। अवशोषक स्तम्भ (Absorption tower)- बनी हुई सल्फर ट्राइऑक्साइड को सान्द्र गन्धकाम्ल के फुहारे लगे कक्ष (A) में भेजा जाता है । गन्धकाम्ल SO3 अवशोषित होकर उसे और अधिक सान्द्र बनाती है। यह अम्ल SO3 की अधिकता के कारण कुहरा जैसी धूम्र से कक्ष भर जाता है। प्राप्त हुआ अम्ल सधूम गंधकाम्ल (Fuming sulphuric acid) या ओलियम (Oleum) कहलाता है। H2SO4 + SO3 → H2S2O7 ओलियम में आवश्यकतानुसार जल मिलाकर उससे वांछित सान्द्रता वाला गन्धकाम्ल प्राप्त कर लिया जाता है। H2S2O7 + H2O → 2H2SO4 So3 जल में तेजी से और सूं-सूं की आवाज के साथ घुलती है। नोट-विस्तृत वर्णन हेतु NCERT पाठ्य-पुस्तक देखें। प्रश्न 22.
प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. हैलोजन रंगीन क्यों होते हैं ? पीला हरा-पीला भूरा बैंगनी हैलोजनों में रंग उनके अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश (Visible light) के अवशोषण के कारण होता है। अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश के अवशोषण के फलस्वरूप बाह्यतम इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते हैं, जिसके कारण ये तत्व रंगीन दिखाई देते हैं। उदाहरणार्थ-फ्लुओरीन का आकार अत्यन्त छोटा होने के कारण बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है तथा बाह्यतम इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। फ्लुओरीन परमाणु अधिक ऊर्जा वाले बैंगनी विकिरणों को अवशोषित करते हैं, अत: वे हल्के पीले दिखाई देते हैं। जबकि आयोडीन परमाणु का आकार बड़ा होता है। बाह्यतम इलेक्ट्रॉन नाभिक से काफी दूर रहते हैं। उन्हें उत्तेजित करने के लिए कम ऊर्जा वाले पीले विकिरणों की आवश्यकता होती है। दृश्य प्रकाश से पीले रंग के विकिरण के अवशोषण के कारण वे बैंगनी दिखाई देते हैं। प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. उन्होंने अनुभव किया कि ऑक्सीजन और जिनॉन की प्रथम आयनन एन्थैल्पी लगभग समान हैं। इससे उन्होंने O2+ [PtF2]– जैसा ही जिनॉन का यौगिक बनाने पर विचार किया तथा Xe और PtF6 को मिलाकर लाल रंग के एक-दूसरे यौगिक Xe+PtF6– के विरचन में सफलता प्राप्त की। प्रश्न 31. निम्नलिखित में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्या हैं ? (i) H3PO3, (ii) PCl3, (iii) Ca3P2, (iv) Na3PO4, (v) POF3. उत्तर- (i) माना H3PO3 की ऑक्सीकरण अवस्था 3x (+1) + x + 3x (-2) = 0, x = +3 (ii) PCl3 = x + 3(-1) = 0 or x = +3 (iii) Ca3P2 = 3 x (+2) + 2x = 0 or x = -3 (iv) Na3PO4 = 3 x (+1) + x + 4 x (-2) = 0 x = +5 (v) POF3 = x + (-2) + 3 x (-1) = 0 or x = +5. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. प्रश्न 40.
ऑर्गन-
p-ब्लॉक के तत्त्व अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरp-ब्लॉक के तत्त्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. (A) सही विकल्प चुनकर लिखिए – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. (B) सही विकल्प चुनकर लिखिए – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. 2. (A) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
उत्तर
(B) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
उत्तर
3. (A) एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –
उत्तर
(B) एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –
उत्तर-
4. उचित सम्बन्ध जोड़िए – उत्तर 1. (d), 2. (c), 3. (a), 4. (b), 5. (1), 6. (g), 7. (e), 8. (i), 9. (j), 10. (h). II. उत्तर 1. (e), 2. (c), 3. (b), 4. (a), 5. (d). III. उत्तर 1. (e) 2. (d) 3. (b) 4. (a) 5. (c). p-ब्लॉक के तत्त्व अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. p-ब्लॉक के तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. H2S में हाइड्रोजन बंध नहीं पाये जाने के कारण इसके अणुओं में संगुणन नहीं होता तथा गैसीय अवस्था में रहता है। जबकि H2O द्रव अवस्था में। प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. अमोनिया को चूने के अलावा अन्य जल शोषक पदार्थों (H2SO4, P2O5, CaCl2) से शुष्क नहीं किया जा सकता क्योंकि वह उनसे क्रिया करती है। अमोनिया के, जल में अत्यधिक विलेय होने से जल के ऊपर भी एकत्रित नहीं किया जा सकता। 2NH3 + H2SO4 → (NH4)2SO4बनता है। प्रश्न 7. Cl2 द्वारा विरंजन-Cl2 द्वारा विरंजन ऑक्सीकरण क्रिया से होता है। नमी की उपस्थिति में यह वनस्पतियों एवं रंगीन वस्तुओं का विरंजन कर देती है । Cl2 और जल की क्रिया से नवजात ऑक्सीजन बनती है, जो रंगीन पदार्थ को ऑक्सीकरण द्वारा रंगहीन पदार्थ में बदल देती है। Cl2 + H2O →HCl + HClO Cl2 द्वारा किया गया विरंजन स्थायी होता है। प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10. प्रश्न 11.
प्रश्न 12. प्रश्न 13. अभिक्रिया समीकरण – प्रश्न 14.
नाइट्रोजन का गन्धक से विकर्ण सम्बन्ध-नाइट्रोजन समूह 15 का तत्व है जबकी गन्धक समूह 16 का तत्व, परन्तु दोनों समानता प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. (b) फ्लुओरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s22s2p5 है। इसके संयोजकता कोश में रिक्त d-कक्षक की अनुपस्थिति के कारण यह उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता है और इसीलिए यह पॉलीहैलाइड नहीं बनाता है। आर्गन प्रश्न 24. प्रश्न 25. CaOCl2 + H2SO4→ CaSO4 + H2O + Cl2 इस प्रकार मुक्त क्लोरीन “प्राप्य क्लोरीन” कहलाता है। एक अच्छे नमूने में 35-38% प्राप्य क्लोरीन होती है। प्रश्न 26. प्रश्न 27. XeF2 की संरचना – Xe की उत्तेजित अवस्था में 5p-कक्षक के 2 इलेक्ट्रॉन 54-कक्षक में जाकर sp2d2 संकरण बनाते हैं। इन 6 संकरित कक्षकों में से चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन XeF4 बनाते हैं। दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति के कारण संरचना वर्ग समतलीय होती है। प्रश्न 28. प्रश्न 29. संरचना-HClO की संरचना-HClO के ClO आयन में केन्द्रीय परमाणु क्लोरीन sp3 संकरण द्वारा चार संकर कक्षक बनाता है, जिनमें से तीन पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म और चौथा ऑक्सीजन परमाणु के d-कक्षक से अतिव्यापन करके σ-बन्ध बनाता है। इनकी आकृति रेखीय हो जाती है। HClO4 की संरचना-इसके केन्द्रीय परमाणु Cl में sp3 संकरण होता है, इस प्रकार ClO4 आयन की संरचना चतुष्फलकीय होती है। प्रश्न 30. अब इसे तीसरे पात्र में, जिसमें सोडियम थायो-सल्फेट या हाइपो का विलयन होता है डुबा देते हैं। हाइपो द्वारा क्लोरीन की अधिक मात्रा समाप्त हो जाती है। इसके पश्चात् कपड़े को चौथे टब में ले जाया जाता है, जिससे इसे पानी में खूब धोते हैं । यहाँ कपड़े में लगे सारे रासायनिक पदार्थों को धोकर निकाल दिया जाता है। इसके बाद कपड़े को गर्म रोलरों पर दबाया जाता है, जिससे कपड़ा सूख जाता है तथा इस्तरी करने के बेलनों से कपड़े की सिकुड़न दूर कर दी जाती है। अन्त में रंग उड़े कपड़े को छड़ पर गोल करके लपेट देते हैं। प्रश्न 31.
प्रश्न 32.
प्रश्न 33. प्रश्न 34. फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है, कारण दीजिए। उत्तर फ्लुओरीन, क्लोरीन की तुलना में निम्नलिखित कारणों से प्रबल ऑक्सीकारक है—
प्रश्न 35. MnO2 + 4HCl → MnCl2 + 2H2O+Cl2 प्राप्त Cl2 गैस में HCl और जल वाष्प की अशुद्धियाँ होती हैं, जो क्रमशः जल और सान्द्र H2SO4 में प्रवाहित करने से दूर हो जाती है। प्रश्न 36.
प्रश्न 37.
प्रश्न 38. हैलोजनों में रंग उनके अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश (Visible light) के अवशोषण के कारण होता है। अणुओं द्वारा दृश्य प्रकाश के अवशोषण के फलस्वरूप बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर पर चले जाते हैं, जिसके कारण ये तत्व रंगीन दिखाई देते हैं। उदाहरणार्थ-फ्लोरीन का आकार अत्यन्त छोटा होने के कारण बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है तथा बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। फ्लुओरीन परमाणु अधिक ऊर्जा वाले बैंगनी विकिरणों को अवशोषित करते हैं, अत: वे हल्के पीले दिखाई देते हैं जबकि आयोडीन परमाणु का आकार बड़ा होता है । बाह्यतम् इलेक्ट्रॉन नाभिक से काफी दूर रहते हैं। उन्हें उत्तेजित करने के लिए कम ऊर्जा वाले पीले विकिरणों की आवश्यकता होती है। दृश्य प्रकाश से पीले रंग के विकिरण के अवशोषण के कारण वे बैंगनी दिखाई देते हैं। प्रश्न 39. प्रश्न 40. F2> Cl2> Br2 > I2 अतः फ्लुओरीन सबसे प्रबल ऑक्सीकारक है। प्रश्न 41. p-ब्लॉक के तत्त्व दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. (2) आयोडीन ऑक्सीजन से क्रिया करके आयोडिक अम्ल देता है। I2 + H2O + 5O3 → 2HIO3 + 5O2 (3) सिल्वर ऑक्साइड अवकृत होकर सिल्वर देता है। Ag2O + O3 →2Ag + 2O2 (4) एथिलीन ओजोनॉइड बनाता है। (5) Pbs को PbSOA में ऑक्सीकृत कर देता है। PbS + 4O3 → PbsO4 +4O2 प्रश्न 2. बनी हुई नाइट्रिक ऑक्साइड को बची हुई ऑक्सीजन कक्ष में भेजा जाता है, जिससे वह नाइट्रोजन परॉक्साइड में बदल जाती है। 2NO +O2 → 2NO2 यह NO, शोषक कक्ष में भेज दी जाती है, जहाँ ऊपर से धीरे-धीरे जल गिरता रहता है। जल और NO, के संयोग से तनु नाइट्रिक अम्ल बन जाता है। 2NO2 + H2O → HNO2 + HNO3 प्रश्न 3.
गुणों में भिन्नता-
प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ii) क्षारीय गुण-NH3 से BiH3 की ओर जाने पर क्षारीयता घटती जाती है। क्योंकि नाइट्रोजन के छोटे आकार के कारण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति से इस पर इलेक्ट्रॉन घनत्व उच्च होता है। (iii) अपचायक गुण-NH3 से BiH3 की ओर जाने पर अपचायक क्षमता बढ़ती है। (iv) बंध कोण-समूह में ऊपर से नीचे चलने पर बन्ध कोण घटता जाता है क्योंकि केन्द्रीय परमाणु की विद्युत्-ऋणात्मकता घटती है। (v) गलनांक तथा क्वथनांक (m.p. and b.p.) – जहाँ तक गलनांक अथवा क्वथनांक का प्रश्न है, समूह 15 के तत्व कोई क्रमिकता प्रदर्शित नहीं करते। N से लेकर As तक गलनांक बढ़ता जाता है, जबकि पुनः Sb तथा Bi तक घटता है। क्वथनांक N से Bi तक लगातार बढ़ता जाता है। . . प्रश्न 6. (ii) ऊष्मीय स्थायित्व-हाइड्राइडों का ऊष्मीय स्थायित्व नीचे की ओर घटता है क्योंकि परमाणु आकार में वृद्धि से बंध शक्ति घटती है। (iii) अपचायक गुण – H2O अपचायक नहीं है। H2S से H2Te तक अपचायक गुण बढ़ता है क्योंकि बंध शक्ति कम होने से हाइड्रोजन देने की प्रकृति बढ़ती है। (iv) अम्लीय गुण-सभी दुर्बल अम्लीय प्रकृति के होते हैं। H2O से H2Te तक अम्लीय प्रकृति बढ़ती है क्योंकि हाइड्राइडों द्वारा सरलता से H’ दिया जाता है। (v) सहसंयोजक गुण-हाइड्रोजन के बाह्यतम् कक्ष में एक इलेक्ट्रॉन होता है इससे वह ऑक्सीजन परिवार के अन्य तत्वों से सहसंयोजक बंध बनाकर अपना बाह्यतम् कक्ष पूर्ण करता है। प्रश्न 7. (2) डीकन विधि-क्लोरीन का उत्पादन पहले डीकन विधि द्वारा किया जाता था, जिसमें HCl अम्ल गैस को उत्प्रेरक क्यूप्रिक क्लोराइड (CuCl2) की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ 450°C पर गर्म किया जाता था। प्रश्न 8. (b) यदि क्लोरीन की अधिकता हो तो एक विस्फोटक पदार्थ नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड बनता है। NH3 +3Cl2 → NCl3 + 3HCl (2) NaOH से क्रिया – (3) जल से क्रिया-Cl2 जल में घुलकर क्लोरीन जल बनाती है। यह हाइपोक्लोरस अम्ल होता है, जो
बाद में HCl में विघटित हो जाता है। (4) विरंजन गुण-नमी की उपस्थिति में क्लोरीन विरंजन का कार्य करती है तथा वनस्पतियाँ और रंगीन वस्तुओं का रंग उड़ा देती है। यह क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। अतः विरंजन स्थायी होती है। प्रश्न 9. विधि – चित्रानसार उपकरण में उत्कृष्ट गैसों का मिश्रण लिया जाता है। शीत कुण्ड में रखे उपकरण में नारियल का कोयला भरा होता है, इसमें-100°C पर Xe, Kr तथा Ar का अधिशोषण हो जाता है। अनाशोषित He और Ne के मिश्रण को – 180°C पर नारियल के कोयले के सम्पर्क में रखा जाता है, जिससे निऑन पूर्ण रूप से अधिशोषित
हो जाती है तथा He मुक्त अवस्था में बची रहती है। इसे चारकोल का ताप Ar, Kr और Xe अधिशोषित चारकोल को द्रव वायु के ताप (- 193°C) पर रखे एक अन्य चारकोल के सम्पर्क में लाने पर Ar इस चारकोल में अधिशोषित हो जाती है। Kr और Xe वाले चारकोल का ताप – 90°C कर देने पर Kr निकल जाती है और Xe चारकोल के साथ बची रहती है। अब विभिन्न गैसें अधिशोषित चारकोल का ताप बढ़ाकर प्राप्त कर ली जाती हैं। प्रश्न 10. अन्तिम कोश अष्टक विन्यास प्राप्त करने हेतु एक इलेक्ट्रॉन लेते या साझा करते समय, जब ये अपने से कम ऋणविद्युती तत्व से संयुक्त होते हैं तो इनकी ऑक्सीकरण अवस्था – 1 होती है और यदि अपने से अधिक ऋणविद्युती तत्वों से संयुक्त होते हैं, तो ऑक्सीकरण अवस्था + 1 होती है। HF, HCl व HI में हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था -1 तथा ClF BrF, IF, HClO, HBrO, HIO में हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था + 1 है। फ्लुओरीन सर्वाधिक ऋणविद्युती तत्व है तथा हमेशा – 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। F परमाणु के संयोजकता कोश में d-कक्षक नहीं होते, जिससे यह किसी उत्तेजित अवस्था में नहीं आ पाता, जिसके कारण यह कोई उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता। _ F को छोड़कर शेष अन्य हैलोजन परमाणुओं के संयोजकता कोश में d-कक्षक होते हैं, जिससे p तथा s कक्षकों के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर इन कक्षकों में पहुँच सकते हैं, जिसके कारण ये +3, +5, +7 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं । ब्रोमीन परिरक्षण प्रभाव (Screening effect) की अधिकता के कारण +7 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता। (2) विद्युत्-ऋणात्मकता-इस समूह के तत्वों की विद्युत्-ऋणात्मकता अन्य समूह के तत्वों से अधिक होती है तथा F से At तक घटती है । ज्ञात तत्वों में फ्लुओरीन की विद्युत्-ऋणात्मकता सर्वाधिक है, जिसका मान 4 दिया गया है। (3) ऑक्सीकारक गुण-हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक है। इन तत्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता अधिक होती है। अतः इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता अधिक है। इस कारण ये प्रबल ऑक्सीकारक होते हैं। ऑक्सीकारक गुण के घटने का क्रम इस प्रकार है- F2> Cl2 > Br2 >I2 (4) अन्य तत्वों के साथ बन्ध बनाने की प्रकृति-हैलोजन, धातु अथवा विद्युत् धनात्मक तत्वों के साथ आयनिक बन्ध बनाते हैं । हैलोजन परमाणु का आकार बढ़ने के साथ-साथ आयनिक बन्ध बनाने की प्रकृति कम होती जाती है। उदाहरण-AIF3 आयनिक है, जबकि AlCl2 सहसंयोजक है। ये अधातुओं के साथ सहसंयोजक बन्ध बनाते हैं। (a)
हाइड्राइड-सभी हैलोजन HX प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। HF द्रव है, जबकि HCI, HBr व HI गैसें हैं। 2F2 + 2NaOH → 2 NaF + OF2 + H2O. प्रश्न 11: (1) हेसेनक्लेवर संयन्त्र-इसमें अनेक क्षैतिज बेलन होते हैं जिनमें घूमने वाले शेफ्ट लगे होते हैं। ऊपर से बुझा हुआ चूना डाला जाता है, जो घूमने (2) बेकमेन संयन्त्र-आजकल विरंजक चूर्ण को बेकमेन संयन्त्र द्वारा बनाया जाता है। यह लोहे का एक ऊर्ध्वाधर स्तम्भ होता है जिसमें नीचे से थोड़ा ऊपर
क्लोरीन तथा गर्म वायु के अन्दर जाने का रास्ता होता है तथा ऊपर एक कीप लगी रहती है। ऊपरी सिरे पर अप्रयुक्त क्लोरीन एवं वायु के एक निकास द्वार होता है। स्तम्भ के अन्दर की ओर क्षैतिज खाने के बने होते हैं। प्रत्येक खाने में घूमने वाली रेक लगी होती है तथा नीचे जाने पर यह ऊपर आती क्लोरीन से क्रिया कर ब्लीचिंग पाउडर में परिवर्तित हो जाती है। (ii) ब्लीचिंग पाउडर के गुण – (1) यह सफेद रंग का चूर्ण है, जिसमें क्लोरीन की प्रबल गन्ध होती है। CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2 इस प्रकार मुक्त क्लोरीन ‘प्राप्य क्लोरीन’ (Available chlorine) कहलाती है। एक अच्छे नमूने (Sample) में 35 – 38% प्राप्य क्लोरीन होती है। (6) अपघटन उत्प्रेरक कोबाल्ट क्लोराइड की अल्प मात्रा की उपस्थिति में अपघटित होकर ऑक्सीजन देता है। 2CaOCl2 → 2CaCl2 + O2 अधिक समय तक रखा रहने पर इसका स्वतः ऑक्सीकरण हो जाता है तथा यह कैल्सियम क्लोरेट, कैल्सियम क्लोराइड के मिश्रण में परिवर्तित हो जाता है। 6CaoCl2→ Ca(ClO3)2 +5CaCl2 (iii) उपयोग–(1) जल को कीटाणुओं तथा रोगाणुओं से मुक्त करने में। प्रश्न 12. 1. AX – CIF, BrF, BrCI, IBr, ICI 1. AX प्रकार-जैसे-CIF, BrCl, IBr, ICl. 2. AX3 प्रकार-इनकी T-आकृति होती है। जैसे-ClF3 अणु इनका केन्द्रीय परमाणु X में sp3d संकरण होता है। 3. AX5 (IF5, BrF5 आदि) प्रकार-इस प्रकार के यौगिकों में sp3d2 संकरण होता है। इनकी संरचना वर्ग
पिरामिडीय होती है, जिसमें एक स्थान पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म रहता है। जैसे-चित्र में IF5 अणु का बनना दिखाया गया है। 4. AX7(IF7) प्रकार-इसकी आकृति पंचभुजीय पिरामिडीय होती है, जो कि sp3d3 संकरण से बनती है। IF7 अणु में
होने वाला sp3d3 संकरण प्रश्न 13. आर्गन के उपयोग-
निऑन के उपयोग-
क्रिप्टॉन (Kr) और जीनॉन (Xe) के उपयोग-
रेडॉन (Rn) के उपयोग-1. कैन्सर के उपचार में तथा रेडियोधर्मी सम्बन्धी शोध कार्य में प्रयुक्त होता है। MP Board Class 12th Chemistry Solutions |