जनता ने सरकार के विरुद्ध कैसा प्रदर्शन किया? Show जनता ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन हिंसात्मक व शांतिपूर्ण दोनों ढंग से किया। एक ओर प्रार्थना व प्रस्ताव पारित करवाने का तरीका था तो दूसरी ओर तोड़-फोड़ व हिंसात्मक संघर्ष था। Book StoreDownload books and chapters from book store. Previous Year PapersDownload the PDF Question Papers Free for off line practice and view the Solutions online. These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 दो पृष्ठभूमियाँ – भारतीय और अंग्रेज़ी Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts. Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9 Question Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ – भारतीय और अंग्रेज़ीBharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Question and Answers पाठाधारित प्रश्न बहुविकल्पी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. पाठ-विवरण भारत सन् 1942 के विद्रोह में जो कुछ हुआ वह अचानक नहीं था। लोगों ने अपने मन में निश्चित कर लिया था कि अब अंग्रेज़ों को देश से बाहर करके छोड़ेंगे। अंग्रेजी हुकुमत को किसी हालत में नहीं रहने देंगे। Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Summary सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित होते ही जगह-जगह भारतीय नेताओं ने गिरफ्तारियाँ देनी शुरू कर दी। इस काल में जनता अंग्रेज़ों के अत्याचार से त्रस्त हो चुकी थी जिसके कारण वह भड़क उठी। उसने हिंसक रूप अपना लिया था। ब्रिटिश के द्वारा गिरफ्तारियाँ तथा गोलीबारी की घटना से भारतीय जनता और उग्र हो गई। कई स्थानीय नेता उभर कर आए। आम लोगों ने उनका अनुसरण किया। इस आंदोलन में छात्रों ने हिंसक और शांतिपूर्वक कार्यवाहियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध यह पहली चुनौती थी। यह विद्रोह सुसंगठित व सोचा समझा विद्रोह न थ। जबकि दूसरी ओर हथियार बंद सैनिक शक्ति थी। इस विद्रोह का परिणाम यह रहा कि भारतीय जनता के दिल में राष्ट्र प्रेम और विदेशी शासन के विरुद्ध नफ़रत की भावना का उदय हुआ। 1942 के विद्रोह में पुलिस और सेना की गोलाबारी से मारे गए और घायलों की संख्या सरकारी आँकड़ों के अनुसार 1208 मरे और 3200 लोग घायल हुए। आम लोगों की मृतकों की संख्या 2500 थी। लेकिन इसमें अनुमानतः 10,000 से अधिक लोगों की मरने की बात सही प्रतीत होती है। इस विद्रोह के बाद कई जगहों पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी हुकूमत समाप्त हो चुकी थी। यह मुख्य रूप से बिहार, बंगाल के मिदनापुर जिले में और संयुक्त प्रांत के दक्षिण-पूर्वी जिले में देखने को मिला। जिसे पुन:स्थापित करने में उसे हफ़्तों लग गए। संयुक्त प्रांत बलिया जिले को अंग्रेज़ों को दुबारा जीतना पड़ा। भारत की बीमारी – अकाल हज़ारों की संख्या में लोग इसके शिकार हुए। कोलकता की सड़कों पर लाशें बिछी थीं। अमीर वर्ग के लोगों में विलासिता दिखाई पड़ रही थी। भारत की जनता भुखमरी के कगार पर था। भारत की इस दुर्दशा को देखकर विद्वान भारत के भविष्य को लेकर सोचते थे कि अंग्रेजों के जाने के बाद भारत का स्वरूप कैसा होगा क्योंकि भारत की दुर्गति का कोई अंत उन्हें दिखाई नहीं दे रहा था। |