अकाल का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? - akaal ka bhaarat par kya prabhaav pada?

जनता ने सरकार के विरुद्ध कैसा प्रदर्शन किया?


जनता ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन हिंसात्मक व शांतिपूर्ण दोनों ढंग से किया। एक ओर प्रार्थना व प्रस्ताव पारित करवाने का तरीका था तो दूसरी ओर तोड़-फोड़ व हिंसात्मक संघर्ष था।

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These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 दो पृष्ठभूमियाँ – भारतीय और अंग्रेज़ी Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9 Question Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ – भारतीय और अंग्रेज़ी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Question and Answers

पाठाधारित प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
जनता अब सरकार के विरुद्ध कैसा प्रदर्शन कर रही थी?
(i) शांतिपूर्ण
(ii) हिंसात्मक
(iii) शांतिपूर्ण व हिंसात्मक दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) शांतिपूर्ण व हिंसात्मक दोनों

प्रश्न 2.
इस विद्रोह में पुलिस और सेना की गोलाबारी से मारे गए लोगों की संख्या लगभग कितनी थी?
(i) 820
(ii) 1120
(ii) 1020
(iv) 1028
उत्तर:
(ii) 1120

प्रश्न 3.
भारत में भयंकर अकाल कब पड़ा?
(i) 1942 में
(ii) 1943 में
(iii) 1944 में
(iv) 1945 में
उत्तर:
(iii) 1944 में

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1942 में नेताओं की गिरफ्तारी का जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1942 में राष्ट्रवादी नेताओं की गिरफ्तारी और गोलीबारी से देश की जनता त्रस्त होकर भड़क गई। तब उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन किया। उन्होंने तोड़-फोड़ करना भी शुरू किया।

प्रश्न 2.
सन् 1942 में हुए जन-आंदोलन की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
सन् 1857 के बाद 1942 का विद्रोह सबसे पहला बड़ा विद्रोह था। इस आंदोलन की विशेषता थी कि इसमें युवा पीढी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसमें देश के सभी लोगों ने अंग्रेजी सरकार के प्रति अपना आक्रोश प्रकट किया। इसलिए यह आंदोलन हिंसात्मक व शांतिपूर्ण दोनों था।

प्रश्न 3.
ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत में कहाँ-कहाँ अकाल पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन-काल के दौरा भारत में बंगाल और पूर्वी तथा दक्षिणी राज्यों में अकाल पड़ा।

प्रश्न 4.
अकाल की तस्वीर को देखकर भारतीय विद्वानों का क्या मत है?
उत्तर:
भारत की तस्वीर प्रस्तुत करते हुए भारतीय विद्वानों का कहना है कि जिस प्रकार अकाल और युद्ध के बाद भी प्रकृति अपना स्वरूप अवश्य बदलती है, उदाहरण के तौर पर युद्ध के मैदान को भी फूल और हरी घास ढक लेती है, उसी प्रकार भारत ने कितने ही अत्याचार का सामना भले ही किया हो लेकिन फिर भी उसकी आने वाली सशक्त पीढ़ियों ने उसके स्वरूप को डूबने न दिया, उसने अपना वजूद कभी समाप्त नहीं किया। देश के लिए साहसी लोग सदैव मशाल लेकर यहाँ का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ते रहे और आने वाले पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करते रहे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इस प्रदर्शन को मूर्खतापूर्ण प्रदर्शन क्यों कहा गया?
उत्तर:
यह प्रदर्शन मूर्खतापूर्ण इसलिए कहा गया क्योंकि यह योजनाबद्ध तरीके से प्रदर्शन नहीं किया गया था। एक तरफ करोड़ों जनता थी जबकि दूसरी तरफ हथियार बंद सैनिकों का प्रहार। यदि आंदोलन सोच समझकर किया जाता तो इसके नतीजे बहुत अच्छे हो सकते थे।

प्रश्न 2.
1942 के जन आंदोलन का अंग्रेज़ी सरकार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1942 के जन आंदोलन के परिणामस्वरूप जनता ने अंग्रेज़ी सरकार के विरोध, घृणा, आक्रोश और देश के प्रति राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास हुआ। इस प्रदर्शन के परिणामस्वरूप अनेक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों पर अंग्रेजों का अधिकार समाप्त हो गया। अब इन पर पुनः अधिकार करने में अंग्रेजों को हफ़्तों लग गए। इनमें बिहार, बंगाल का मिदिनापुर जिला तथा संयुक्त प्रांत (यू.पी.) का बलिया जिला था, जिसे दोबारा अंग्रेजों को इस पर अपना अधिकार जमाना पड़ा।

पाठ-विवरण

भारत सन् 1942 के विद्रोह में जो कुछ हुआ वह अचानक नहीं था। लोगों ने अपने मन में निश्चित कर लिया था कि अब अंग्रेज़ों को देश से बाहर करके छोड़ेंगे। अंग्रेजी हुकुमत को किसी हालत में नहीं रहने देंगे।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Summary

सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित होते ही जगह-जगह भारतीय नेताओं ने गिरफ्तारियाँ देनी शुरू कर दी। इस काल में जनता अंग्रेज़ों के अत्याचार से त्रस्त हो चुकी थी जिसके कारण वह भड़क उठी। उसने हिंसक रूप अपना लिया था। ब्रिटिश के द्वारा गिरफ्तारियाँ तथा गोलीबारी की घटना से भारतीय जनता और उग्र हो गई। कई स्थानीय नेता उभर कर आए। आम लोगों ने उनका अनुसरण किया। इस आंदोलन में छात्रों ने हिंसक और शांतिपूर्वक कार्यवाहियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सन् 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध यह पहली चुनौती थी। यह विद्रोह सुसंगठित व सोचा समझा विद्रोह न थ। जबकि दूसरी ओर हथियार बंद सैनिक शक्ति थी। इस विद्रोह का परिणाम यह रहा कि भारतीय जनता के दिल में राष्ट्र प्रेम और विदेशी शासन के विरुद्ध नफ़रत की भावना का उदय हुआ।

1942 के विद्रोह में पुलिस और सेना की गोलाबारी से मारे गए और घायलों की संख्या सरकारी आँकड़ों के अनुसार 1208 मरे और 3200 लोग घायल हुए। आम लोगों की मृतकों की संख्या 2500 थी। लेकिन इसमें अनुमानतः 10,000 से अधिक लोगों की मरने की बात सही प्रतीत होती है।

इस विद्रोह के बाद कई जगहों पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी हुकूमत समाप्त हो चुकी थी। यह मुख्य रूप से बिहार, बंगाल के मिदनापुर जिले में और संयुक्त प्रांत के दक्षिण-पूर्वी जिले में देखने को मिला। जिसे पुन:स्थापित करने में उसे हफ़्तों लग गए। संयुक्त प्रांत बलिया जिले को अंग्रेज़ों को दुबारा जीतना पड़ा।

भारत की बीमारी – अकाल
भारत कई रूप से डाँवाडोल था। अंग्रेजी शासन में यहाँ की जनता बहत ही दीन-हीन थी। इन परेशानियों के बीच अकाल ने उसकी कमर ही तोड़कर रख दी। इस अकाल का प्रभाव बंगाल और दक्षिणी भारत पर पड़ा। पिछले 170 वर्षों में यह सबसे बड़ा और विनाशकारी था। इनकी तुलना 1766 ई. से 1870 के मध्य बंगाल और बिहार के उन भयंकर आकालों से की जा सकती है जो अंग्रेज़ी शासन की स्थापना के शुरुआती परिणाम थे। इसके बाद महामारी फैली, विशेषकर हैजा और मलेरिया।

हज़ारों की संख्या में लोग इसके शिकार हुए। कोलकता की सड़कों पर लाशें बिछी थीं। अमीर वर्ग के लोगों में विलासिता दिखाई पड़ रही थी। भारत की जनता भुखमरी के कगार पर था।

भारत की इस दुर्दशा को देखकर विद्वान भारत के भविष्य को लेकर सोचते थे कि अंग्रेजों के जाने के बाद भारत का स्वरूप कैसा होगा क्योंकि भारत की दुर्गति का कोई अंत उन्हें दिखाई नहीं दे रहा था।