सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली (CJS) में सुधारों से संबंधित मलिमथ समिति की रिपोर्ट पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर विचार किया जा रहा है। Show
आप पढ़ोगे
इस समिति से संबंधित तथ्य
आपराधिक न्याय प्रणाली (CJS)
CJS की समीक्षा की आवश्यकता
रिपोर्ट की कुछ महत्वपूर्ण अनुसंशाएं
अपराध पीड़ित को न्याय –
पुलिस जांच-जांच की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग और राज्य सुरक्षा आयोग का गठन किया जा सकता है। संगठित अपराधों से निपटने हेतु विशेषीकृत दस्तों का गठन और आपराधिक आंकड़ों का अनुरक्षण करने के लिए प्रत्येक जिले में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को नियुक्त किया जाना चाहिए। न्यायालय और न्यायाधीश-यह भारतीय न्यायिक प्रणाली में और अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता को निर्दिष्ट करती है।
आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं
भारत में गवाहों का संरक्षण (Witness Protection in India)हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBI से गवाहों को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा के बारे में सवाल किया क्योंकि उनमें से अधिकांश अपने बयानों से मुकर गए थे। भारत में गवाहों की सुरक्षा के लिए प्रावधानभारत में गवाहों की सुरक्षा के लिए कोई पृथक कानून नहीं है। इन प्रावधानों का विभिन्न कानूनों में उल्लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त, गवाहों या उनके संबंधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये कानून प्रभावी नहीं हैं। इनमें से कुछ क़ानून निम्नलिखित हैं –
मॉडल उदाहरण:दिल्ली गवाह सुरक्षा योजना (Delhi Witness Protection Scheme)
गवाहों की सुरक्षा का महत्व
गवाह संरक्षण विधेयक 2015 (Witness Protection Bill 2015) –प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य गवाहों का संरक्षण सुनिश्चित करना
गवाहों की सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां
भारत में विभिन्न आयोगों के दृष्टिकोणइस मुद्दे को विगत काल में विभिन्न समितियों और आयोगों द्वारा संबोधित किया गया है। उदाहरण के लिए
निष्कर्षगवाह संरक्षण कानून के विकास का प्रथम चरण यह होगा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गवाहों की सुरक्षा राज्य का कर्तव्य है। धमकी के कारण गवाहों के अपने बयानों से मुकरने की समस्या से निपटने के लिए भारत द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है:
कारागारों में क्षमता से अधिक कैदी (Overcrowding of Prisons)उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) से कारागारों में कैदियों की अधिसंख्या के संबंध में विवरण और आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए कहा है। अन्य संबंधित तथ्य
अत्यधिक भीड़ के कारण
कारागार से संबंधित अन्य मुद्दे
मुद्दे से संबंधित वर्तमान घटनाक्रम
विचाराधीन कैदी समीक्षा समितियां (Under Trial Review Committees: UTRCs)
जेलों में अत्यधिक भीड़ का प्रभाव
जेल नियमावली (2016)इसका उद्देश्य देश भर में जेलों के प्रशासन और कैदियों के प्रबंधन को प्रशासित करने वाले कानूनों, नियमों और विनियमों में आधारभूत एकरूपता लाना है। नियमावली के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं
सुधारात्मक उपाय
विधि आयोग की निम्नलिखित अनुशंसाएं हैं। जैसे-
कारागार सुधार एवं सुधारात्मक प्रशासन पर राष्ट्रीय नीति प्रारूप, 2007 की अनुशंसाएं
अन्य उपाय
खुली जेल (Open Prisons)सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को खुली जेलों की स्थापना के संबंध में विचार करने हेतु राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के जेल अधिकारियों की एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया है। खुली जेल का अर्थखुली जेल को न्यूनतम-सुरक्षायुक्त जेल, ओपन कैंप तथा बिना सलाखों वाली जेल के रूप में भी जाना जाता है। इसमें चार प्रकार से खुलापन होता है:
भारत में खुली जेलों की स्थिति
खुली जेलों से संबंधित सिफारिशें
खुली जेलों के लिए पात्र कौन हैं?
खुली जेलों का प्रभाव
सुझावसभी राज्यों में खुली जेलों में अपराधियों के लिए प्रवेश, रियायत और सुविधाएं प्रदान करने के लिए सामान्य नियम तैयार किए जाने चाहिए।
यातना निरोधक कानून का प्रस्ताव (Anti Torture Legislation)पृष्ठभूमि
यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर (UNCAT)यह एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पहल है। इसका उद्देश्य विश्व भर में यातना और क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक व्यवहार या सजा को समाप्त करना है। यह कन्वेंशन 1987 से लागू है। मुख्य प्रावधान:
यातना निरोधक कानून की आवश्यकता
यातना निरोधक विधेयक, 2017
विधि आयोग की अन्य महत्वपूर्ण अनुशंसाएँ
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