See other formatsकक्षा 0 के लिए पादयपुस्तक लेखक आशा रानी सिंगल महेन्द्र शंकर जी. देवकीनंदन मोहन लाल जी.पी. दीक्षित राम अवतार ईश्वर चन्द्र एस. के. श्रीवास्तव संपादन्कछ जी.पी. दीक्षित राम अवतार महेन्द्र शंकर एनसी हू आर ला एक्टर राष्ट्रीय शोीशध्निक सअच्तचुसंघधान और प्रशिक्ष्णा परिषद ॥87]0॥8। ७00/४७॥ 07 5070॥08॥0॥88। 9६858 8 ए# 8४० 3798॥98॥95 प्रथम संस्करण [889 8-7450-6-4 , अप्रैल 2003 चैत्र /924 70 २0] + व30 ॥ २४७ () श्ट्रीय शक्षिक अनयंवान आर ग्रश्िक्षण परिष: सर्वाधिकार सुरक्षित... [प्रकाशक की पूर्व अनुमति के बिना इस प्रकाशन के किसी भाग को छापना तथा इलैक्ट्रॉनिकी, मशीनी, फोटोप्रतिलिपि, श्कॉर्डिंग | अथवा किसी अन्य विधि से पुनः प्रयोग पद्धति द्वारा उसका संग्रहण अथवा प्रसारण वर्जित है। (इस पुस्तक की बिक्री इस शर्त के साथ क्री गई है कि प्रकाशक की पूर्व अनुमति के बिना यह पुस्तक अपने मूल आवरण अथवा जिल्द के अलावा किसी अन्य प्रकार से व्यापार द्वारा उधारी पर, पुनर्विक्रय या किराए पर न दी जाएगी, न बेची जाएगी। था इस प्रकाशन का सही मूल्य इस प ष्ठ पर मुद्रित है। एबड़ की मुहर अथवा चिपकाई गई पर्ची (स्टिकर) या किसी डन्य -.. विधि दवारा अंकित कोई भी संशोधित मूल्य गलत है तथा मान्य नहीं होगा। _ “सकी कआरडी, कप्काशन विभाग के कार्यलय | - न | एन.सी.ई.आर.टी. कैंपस 408, 00 फीट रोड, होस्डेकेरे नवजीवन ट्रस्ट भवन सी.डब्लूसी. कैंपस | श्री अरविंद मार्ग हेली एक्सटेंशन बनाशंकरी ॥ इस्टेज.. डाकघर नवजीवन निकट : धनकल बस स्टॉप । नई दिल्ली 4006 बैंगलूर 560 085 े अहमदाबाद 3800॥4 प्रनिहटी, कोलकाता 70044 | 5 लय 2 20 मम ओम और जाओ कक कक मत मिट मी आर लज3 2. जम 232, लरीककफ रमआ नरक कप 28.8 के और 3 अरतजअर अल कट पान आज जी | प्रकाशन सहयोग संपादन : रेखा अग्रवाल उत्पाद :; अरुण चितकारा रू 55.00 एन.सी.ई.आर.टी. बाटरमार्क 70 जी.एस.एम. पेपर पर मुद्रित । प्रकाशन विभाग में सचिव, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, श्री अरविंद मार्ग, नई दिल्ली 006 दूवारा प्रकाशित तथा गीता कंप्यूट ग्राफिक्स द्वारा लेजर टाईपसैट होकर श्री इंडस्ट्रीज बी-6, सैक्टर-2, नौएडा (त०प्र०) 2030] द्वारा मुद्रित। प्राक्कथन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन.पी.ई.) 986 में सामान्य शिक्षा के एक अभिन्न अंग के रूप में गणित के पठन-पाठन की आवश्यकता पर स्पष्ट रूप से बल दिया है। चूंकि पाठ्यचर्या नवीनीकरण एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए प्रौद्योगिकी उन््मुख समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप गणित पादयचर्या में समय-समय पर विभिन्न प्रकार के परिवर्तन होते रहे हैं। राष्ट्रव्यापी चर्चा एवं परामर्श के पश्चात्, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.) ने “विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा! (एन.सी.एफ,एस,ई.-2000) का प्रकाशन किया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 986 (992 में संशोधित) में उपलब्ध मूल सिद्धांतों और निर्देशों पर पुन; बल दिया गया और विद्यालयी स्तर पर गणित से संबंधित अन्य मुद्दों को बिस्तारपूर्वक बताया गया। प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक, सन् 2002 में कक्षा 9 की प्रकाशित गणित की पाठ्यपुस्तक के अनुक्रम में है। यह पुस्तक एन.पी.ई., 986 में दर्शाई गई अपेक्षाओं और एन.सी.एफ.एस.ई-2000 में दिए गए सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु लिखी गई है। इस पाठ्यपुस्तक में गणित को विद्यार्थियों के आस-पास के परिवेश से संबंधित क्रियाकलापों और प्रेरक उदाहरणों दूवारा . प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। नवीन पाठ्यक्रम के आधार पर दक्षताओं एवं अभिवृत्तियों को विकसित कर ज्ञान प्रदान करने के लिए, पुस्तक में सम्मिलित विषयवस्तु और सुझाए गए क्रियाकलापों को संयोजित किया गया है। पाद्यसामग्री और सुझाए गए क्रियाकलापों को देश की व्यापक विद्यालयी पद्धतियों की विभिन्न आवश्यकताओं, पृष्ठभूमि और पर्यावरण के अनुकूल बनाने का एक सार्थक प्रयास किया गया है। विषयवस्तु को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का विशेष ध्यान रखा गया है। पुस्तक का प्रथम प्रारूप विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा विकसित किया गया जिन्हें अध्यापन और अनुसंधान का व्यापक अनुभव प्राप्त था! तत्पश्चात् एक समीक्षा कार्यशाला में इस प्रारूप की विषयवस्तु एवं उसके प्रस्तुतीकरण की क्थधि की पढ़ाने वाले शिक्षकों, शिक्षक-प्रशिक्षकों और विषय-विशेषज्ञों द्वारा गहन रूप से समीक्षात्मक विवेचना की गई। समीक्षा कार्यशाला में प्राप्त टिप्पणियों और सुझावों पर लेखकों ने विचार किया और इस प्रारूप को उपयुक्त रूप से संशोधित कर अंतिम पाण्डुलिपि तैयार की। लेखक दल ने गणित की पूर्व पाठयपुस्तक के प्रयोक्ताओं से प्राप्त सुझावों एवं पुनर्निवेशन का उपयोग क्रिया। प्रस्तुत पाठयपुस्तक को विकसित करने में, जहाँ उपयुक्त समझा गया, लेखक दल ने पूर्व प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों के संदर्भों का भी प्रयोग किया। मैं लेखक दल के अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों तथा समीक्षा हेतु कार्यशाला के शिक्षकों और विषय विशेषज्ञों को इस पुस्तक के निर्माण में दिए गए योगदान के लिए धन्यवाद देता हूँ 'एन.सी.ई.आर.टी. इस प्रुस्तक में और सुधार करने हेतु प्रयोक्ताओं से प्राप्त सुधारों का स्वागत करेगी। जे.एस, राजपूत निदेशक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् नई दिल्ली फरवरी 2003 प्रस्तावनों औपचारिक शिक्षा के प्रारंभ से ही गणित विद्यालयी शिक्षा का एक अभिन्न अंग रहा है और इसने न केवल सभ्यता की उन्नति में बल्कि भौतिक विज्ञान और अन्य विषयों के विकास में भी प्रबल भूमिका निभाई है। चूंकि पाठ्यचर्या नवीनीकरण एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप गणित पाठ्यचर्या में समय-समय . पर'विभिन प्रकार के परिवर्तन हुए हैं। माध्यमिक स्तर पर गणित पाठ्यचर्या में सुधार कर उसे समयानुकूल बनाने का वर्तमान प्रयास, प्रयोक्ता समूहों से पुनर्निवेशन, ज्ञान की नवीन विचारधारा के आविर्भाव और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई. आर.टी,) द्वारा विस्तृत चर्चा के उपरांत नवंबर 2000 में प्रकाशित 'विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा” (एन.सी.एफ.एस.ई.) में दिए गए पाठयचर्या संबंधी विभिन्न सरोकारों पर आधारित एक प्रयत्न है। इससे पहले “पाद्यचर्या रूपरेखा पर प्रारूप दस्तावेज़' तैयार किया गया था जिस पर शिक्षक-प्रशिक्षकों, विभिन्न परीक्षा बोड़ों से नामित व्यक्तियों, शिक्षा निंदेशालयों और विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषदों (एस.सी.ई.आर.टी.) के प्रतिनिधियों, सामान्य जन और विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और परिषद् के संकाय सदस्यों द्वारा विभिन्न स्तरों पर . चर्चा की गई। एन.सी.एफ.एस.ई. से माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के संबंध में उभर कर आए कुछ सामान्य पाठ्यचर्या सरोकार इस प्रकार हैं ; पाठ्यचर्या को सामाजिक परिवेश और व्यक्ति विशेष के जन्म से संबद्ध पूर्वाग्रहों को निष्प्रभावित करने तथा सार्वजनिक समभाव एवं समानता की जागरूकता का सृजन करने योग्य होना चाहिए। बालिका शिक्षा। पर्यावरण सरक्षण। स्वदेशीय ज्ञान और प्राचीन काल से अबतक विज्ञान और गणित में भारत के योगदान का समुचित समावेश। ० अप्रचलित और अनावश्यक विषयवस्तु को हटाकर पाठयचर्या के बोझ में कमी तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर पर गणित के शिक्षण के लिए आवश्यक ज्ञान एवं पृष्ठभूमि प्रदान करना। ज्व् उपर्युक्त सरोकारों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने माध्यमिक स्तर हेतु गणित की पाठ्यपुस्तकों को विकसित करने के लिए एक लेखक दल गठित किया। लेखक दल ने गत वर्ष कक्षा 9 के लिए गणित को एक पाठ्यपुस्तक तैयार की। प्रस्तुत पुस्तक इसी पुस्तक की अगली कड़ी है। इस पुस्तक को तैयार करने में बहुत अधिक प्रयत्न किए गए हैं। सर्वप्रथम विभिन्न लेखकों दूवारा तैयार , प्रारूप सामग्री पर दल के सदस्यों ने परस्पर चर्चा की और विभिन्न गोष्ठियों से प्राप्त टिप्पणियों और सुझावों के आधार पर उनमें संशोधन किया गया। इन चर्चाओं में, विद्यालयों में बिषय को पढ़ाने वाले चार शिक्षकों, श्री पी.डी.चतुर्वेदी, श्री सुरेन्द्र पी.सचदेवा, श्रीमती चारु दुरेजा और श्रीमती झरना डे की भी आवश्यकतानुसार सहायता ली गई। तत्पश्चात् इस * सामग्री को एक समीक्षा कार्यशाला में शिक्षकों, शिक्षक-प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों के एक समूह के समक्ष रखा गया। पाण्डुलिपि को अंतिम रूप प्रदान करते समय लेखकों दूवारा समीक्षा कार्यशाला के सुझावों और टिप्पणियों को आवश्यकतानुसार सम्मिलित किया गया। इस पाठ्यपुस्तक के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं : ० जहाँ तक संभव हो सका है, विचारों का प्रस्तुतीकरण सरलता से समझने योग्य शैली में किया गया है और नई संकल्पना का वास्तविक जीवन की स्थितियों के उदाहरणों से उपयुक्त अभिप्रेरण देकर परिचय देने का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया है। ० पाठयपुस्तुक में अवधारणाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है तथा अधिक संख्या में हल किए हुए उदाहरण और प्रश्न सम्मिलित किए गए हैं, जो अभ्यास और अनुप्रयासों दोनों पर बल देते हैं। ऐसा सोच-समझकर किया गया है ताकि विद्यार्थी में अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझकर प्रश्नों को बेहतर ढंग से हल करने की दक्षता में वृद्धि को जा सके। *» ज्यामिति को कक्षा 9 की पाठपुस्तक की तरह ही पुनर्गठित किया गया है। अवधारणाओं को समझाने के लिए आकृतियों का अत्यधिक उपयोग किया गया है। » गणितीय तथ्यों की पुनः खोज करने और आरेखण एवं मापन के लिए दक्षता के विकास हेतु अनेक क्रियाकलाप सुझाए गए हैं। ० राष्ट्रीय एकता, छोटे परिवार के मानदंडों का अनुपालन करने, लिंग भेदभाव मिटाने आदि की आवश्यकता पर जागरूकता विकसित करने के लिए कुछ शाब्दिक समस्याओं का समावेश किया गया है। विद्यार्थियों को इन शाब्दिक समस्याओं के शा प्रमुख संदेश पहुँचने चाहिए तथा अध्यापकों को भी शिक्षण के समय इन तथ्यों के प्रति सचेत रहना चाहिए। ० पाठयपुस्तक में विद्यार्थियों के अवबोधन एवं परिपक्वता के स्तर के अनुरूप शब्दावली और पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। | ० विद्यार्थियों में स्वतंत्र रूप से सोचने की प्रेरणा उत्पन्न हो, इसके लिए कुछ प्रश्नों के लिए 'संकेत' दिए गए हैं। कुछ स्थानों पर “क्यों ' लगाया गया है, जिससे विद्यार्थियों को गणितीय सोच के प्रति प्रेरित किया जा सके और उनकी जिज्ञासा को बढ़ाया जा सके। ० यथोचित स्थानों पर विभिन्न विषयों के ऐतिहासिक संदर्भों, विशेषकर भारतीय योगदानों, का उल्लेख किया गया हे। मैं प्रो. जे, एस. राजपूत, निदेशक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने पाठ्यचर्या नवीनीकरण की इस परियोजना का शुभारंभ किया और गणित शिक्षा में सुधार हेतु इस राष्ट्रीय प्रयास में हमें सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया। में प्रो. आर.डी.शुक्ल, अध्यक्ष, विज्ञान एवं गणित शिक्षा विभाग को भी इस कार्य में सहयोग देने के लिए धन्यवाद देता हूँ। लेखक दल के सभी सदस्य और समीक्षा कार्यशाला के सभी प्रतिभागी भी धन्यवाद के पात्र हैं। किसी भी विषय पर कोई भी पुस्तक अंतिम नहीं हो सकती। हम यह समझते हैं कि पाठ्यपुस्तक में और अधिक सुधार हो सकता है। इस पाठयपुस्तक में और अधिक सुधार हेतु पाठकों के सुझावों / टिप्पणियों का स्वागत है। जी.पी. दीक्षित अध्यक्ष लेखक दइल हा“ पा सदा लात. । मच ६४" कु म्मन्यजा 5? [आर 7 आआ ) 0) मी ्ँ ४ 2 हिना [ ् रत है है / व्नननस॥9592703. “४ :/2 गांधी | ५ गांधी जी का जंतर 2 त पर ६५८८८ है फाउा5ा। न *) ै < >> तुम्हें संदेह हे श तुम्हें एक जंतर देता हूँ। जब भी तुम्हें संदेह ! ८ ््टट् 2) डे | हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे, ४) तो यह कसौटी आज़माओ : ४73) जो सबसे गरीब और कमज़ोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुँचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा? यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है? तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त होता जा रहा है। द्र्य हि व्पट ््य ..-- है! हट हा या च ८ रर् ध 725 7 २८725 ह्ः है “4 डा धन पर । लक / 2७; जस्टिस 729, ४२५ ] के >, [ र ्ध्ड कक न कक 70 ५ मच >> व्यय रा >भ दि 2! ल्द्ा 5 6, #2/ -.न्य दें ॥ का 5 का, "बदल तन) 70 २८० 7280 «जी (8 0०, पोल 2) ग->न ५०4 मल गज "न 7) कर जे ्् 5 पम्प घर फल राज्य: पाद्यपुस्तक के हिन्दी मंस्करण की स्ीक्षा संशोधन कार्यगोष्ठी के सदस्य जी.पी. दीक्षित ( अध्यक्ष, लेखक दल) प्रोफेसर तथा विभागाध्यक्ष गणित एवं खगोलिकी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आशा रानी सिंगल प्रोफेसर (गणित) (सेवानिवृत्त) ए-], स्टाफ आवास चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ अशोक कुमार गुप्ता टी जी टी (गणित) सर्वोद्य विद्यालय, जी पी ब्लाक, पीतमपुरा, दिल्ली बी. देवकीनंदन प्रोफेसर एन.सी.ई.आर.टी. (सेवानिवृत्त) सी-9/967, पाकेट 9, सेक्टर सी बसंत कुंज, नई दिल्ली दिनेश कुमार शर्मा टी जी टी (गणित) सर्वोदय विद्यालय, जे ब्लाक, साकेत, नई दिल्ली ईश्वर चन्द्र प्रवकता (एस.जी.) एन.सी.ई.आर टी. (सेवानिवृत्त) डब्ल्यूजैड.-427 डी, नांगल राय, नई दिल्ली जगमोहनी वरिष्ठ प्रवक्ता (गणित) एस.सी.ई.आर.टी., डिफेन्स कालोनी, नई दिल्ली मुकेश कुमार अग्रवाल टी जी टी (गणित) राजकीय बाल सीनियर माध्यमिक विद्यालय तुगलकाबाद, नई दिल्ली मोहन लाल अवैतनिक सलाहकार एबं सचिव डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधक कमेटी, चित्रगुप्त मार्ग, नई दिल्ली नरेन्द्र मिश्र रीडर (गणित) एस.जे.एन.पी.जी, कॉलेज लखनऊ पी.के, तिवारी सहायक आयुक्त (के.वी.एस.) (सेवानिवृत्त) फ्लैट नं. ओ-460, जलवायु विहार, सेक्टर 30, गुड़गांव राज कुमार भारद्वाज टी जी टी (गणित) सर्वोद्य विद्यालय, मंगोलपुरी, दिल्ली रणवीर सिंह सुधा गुप्ता टी जी टी (गणित) टी जी टी (गणित) सर्वोदय बाल विद्यालय नं, । सर्वोदय कन्या विद्यालय, सरोजिनी नगर, नई दिल्ली अवंतिका, सेक्टर , | रोहिणी, दिल्ली रविद्ध सिंह पंवार पी जी टी (गणित) बेद डुडेजा 'एम.बी.डी.ए.वी. उपग्रधानाचार्य सीनियर माध्यमिक विद्यालय राजकीय बालिका माध्यमिक विदयालय, युसुफ सराय, नई दिल्ली सैनिक विहार, दिल्ली एस.एन. चौरसिया प्रोफेसर (गणित) एन.सी.ई,आर.टी.संकाय राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान विज्ञान एवं गणित शिक्षा विभाग इलाहाबाद रब लिए अजित एस. के. श्रीवास्तव डक प्रोफेसर (गणित) सागर विश्वविद्यालय वी. पी. सिंह, रीडर (सेवानिवृत्त) , प्रीति निकुंज, 0, सिविल लाइंस, सागर महेन्द्र शंकर, लेक्चरर (एस.जी.) राम अवतार, रीडर ( समन्वयक ) हिंदी रूपांतर आशा रानी सिंगल ईश्वर चन्द्र मोहन लाल नरेन्द्र मिश्र बी. देवकीनंदन जी. पी. दीक्षित एस.के. श्रीवास्तव महेन्द्र शंकर नरेन्र मिश्र राम अवतार पाठ्यपुस्तक की सप्ीक्षा संशोधन कार्यगीष्ठी के सदस्य जी.पी.दीक्षित ( अध्यक्ष, लेखक दल ) ग्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, गणित एवं खगोलिकी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आशा रानी सिंगल प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) ए-], स्टाफ आवास चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ अशोक कुमार गुप्ता टीजी टी गणित) सर्वोदय विद्यालय जी.पी, ब्लॉक, पीतमपुरा, दिल्ली बी. देवकीनंदन प्रोफेसर/एन.सी.ई.आर.टी. (सेवानिवृत्त) सी-9/967, पॉकेट-9, सैक्टर सी वसंत कुंज, नई दिल्ली चारु दुरेजा पी जीटी( गणित) डी.ए,वी. पब्लिक स्कूल, सेक्टर-4 गुड़गांव एच.एस. राघव टी जी टी (गणित) परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसायटी अणुशक्ति नगर, मुम्बई ईश्वर चंद्र लेक्चरर(एस.,जी.) एन.सी.ई.आर,टी. (सेवानिवृत्त) डब्ल्यू जैड.-427 डी नांगलराय, नई दिल्ली जगदीश सरन प्रोफेसर,सांख्यिकी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली जयदयाल भारद्वाज प्रधानाचार्य राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय रेलवे कॉलोनी, तुगलकाबाद, नई दिल्ली झरना डे टी जी टी( गणित) देव समाज मॉडर्न स्कूल नेहरू नगर, नई दिल्ली ज्योति कथूरिया टी जी टी( गणित) रायसीना बंगाली स्कूल मंदिर मार्ग, नई दिल्ली कुलदीप कुमार टी जी टी (गणित) सैनिक स्कूल, कपूरथला मोहन लाल अवेनिकसलाहकार और सचिव डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधक कमेटी चित्रगुप्त रोड, नई दिल्ली निर्मला गुप्तन टी जी टी (गणित) आवर लेडी ऑफ फातिमा माध्यमिक स्कूल गुड़गांव पी.डी. चतुर्वेदी पी जो टी (गणित) केंद्रीय विद्यालय आर.के.पुरम, सेक्टर-2, नई दिल्ली रामा बालाजी टी जी टी गणित) केंद्रीय विद्यालय एम.ई.जी. और सेंटर सेंट जॉन्स रोड, बंगलूर रविन्द्र सिंह पवार पीजी टी गणित) एम.बी.डी.ए.वी. सीनियर माध्यमिक विद्यालय युसुफ सराय, नई दिल्ली शंकर मिश्र टी जी टी (गणित) डी.एम. स्कूल क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भुवनेश्वर सुधा गुप्ता टीजी टी( गणित) सर्वोदय कन्या विद्यालय, अवन्तिका, सेक्टर-।, रोहिणी, दिल्ली सुनीला तलवार टी जी टी( गणित) स्प्रिगडेल्स स्कूल पूसा रोड, नई दिल्ली सुनीता धारीवाल टीजीटी(गणित) नवयुग विद्यालय सरोजिनी नगर, नई दिल्ली सुनीता तुलसानी टी जी टी (गणित) सैंट जोसफ. कान्वेंट सीनियर माध्यमिक विद्यालय, जबलपुर एस. कृष्णामूर्थि टी जीटी (गणित) ब्लू बैल्स इंटरनेशनल स्कूल कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली सुरेंद्र सचदेव पी जी टी[ गणित) दिल्ली पब्लिक स्कूल वसंत कुंज, नई दिल्ली एस.के. श्रीवास्तव प्रोफेसर( गणित) सागर विश्वविद्यालय (सेवानिवृत्त) प्रीति निकुंज 0, सिविल लाइन्स, सागर बी.ए. सुजाथा टी जी टी गणित) केंद्रीय विद्यालय, डब्ल्यू, ए.पी. येलहंका बंगलूर वेद डुडेजा उपप्रधानाचार्य राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय सैनिक विहार द्ल्ली एन.सी.ई.आर.टी.संकाय विज्ञान एवं गणित शिक्षा विभाग हुकुम सिंह, प्रोफेसर महेन्र शंकर, लेक्चरर (एस.जी.) राम अवतार, रीडर ( समन्वयक ) प्राककथन प्रस्तावना अध्याय ]. .4 .2 ].3 ].4 ],5 .6 2. 2.] 2४ 2.3 2.4 3. 3,] 3.2 3.3 3.4 3.5 4. 4.] 4.2 4.3 4.4 4.5 4.6 4.7 5. 5.] 5.2 ' विषय सूची दो चरों वाले रैखिक समीकरण भूमिका ह दो चरों वाले रैखिक समीकरण का आलेखीय हल : पुनरावृत्तति दो चरों वाले रैख़िक समीकरणों के युग्म का आलेखीय हल किसी समीकरण-निकाय का बीजीय हल वज्र-गुणन द्वारा रैखिक समीकरणों के निकाय का हल व्यावहारिक समस्याओं में अनुप्रयोग बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापतवर्त्य भूमिका बहुपदों के गुणनखंड बहुपदों का महत्तम समापवर्तक बहुपदों का लघुतम समापतवर्त्य परिमेय व्यंजक भूमिका निम्नतम पदों में परिमेय व्यंजक परिमेय व्यंजकों का योग परिमेय व्यंजकों का गुणन परिमेय व्यंजकों का विभाजन दविघात समीकरण .' भूमिका द्विघात बहुपद द्विघात बहुपद के शून्यक द्विघात समीकरण गुणनखंडन द्वारा दुविघात समीकरण हल करना पूर्ण वर्ग की विधि द्वारा द्विधात समीकरण हल करना : द्विघात सूत्र द्विघात समीकरणों के अनुप्रयोग समांतर श्रेढ़ी भूमिका समांतर श्रेढ़ी 00 00 [00 5.3 5.4 6,] 6.2 6.3 है| 7.2 9.3 8.] 8.2 8.3 8.4 8.5 8 रु 6 हि 8.7 8 + है 9] 9.2 9.3 9.4 9.5 9.6 9.7 9.8 0. 0,] 0.2 0.3 0.4 0.5 द्राप समातर श्रेढ़ी का # वाँ पद किसी «7 के परिमित पदों का योगफल किस्त योजनाएँ भूमिका किस्त क्रय योजना ऋण का भुगतान (चुकानो) आयकर भूमिका करों का वर्गीकरण आयकर समरूप त्रिभुज भूमिका समरूप बहुभुज आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय दो त्रिभुजों की समरूपता की कसौरटियाँ दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफल समकोण त्रिभुज के एक शीर्षलंब से बने त्रिभुजों की समरूपता पाइथागोरस प्रमेय त्रिभुज के किसी कोण का आंतरिक समद्विभाजक वृत्त ह ह भूमिका | वृत्त और उसके भाग वृत्तों कौ सर्वांगसमता समान जीवाएँ और सर्वांगसम चाप केंद्र से जीवा पर लंब केंद्र से समदूरस्थ जीवाएँ चापों और जीवाओं दवारा वृत्त पर स्थित बिंदुओं पर अंतरित कोण चक्रीय चतुर्भुज के कोण वृत्त की स्पर्श रेखाएँ भूमिका एक बिंदु से एक वृत्त पर स्पर्श रेखाओं की संख्या स्पर्श रेखाओं के गुण ह व॒त्त की एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करने वाली जीवाएँ एकांतर व॒त्तखंड और उसके कोण 03 * 0$ ]॥8 ]3 ]4 423 30 30 3] 32 ]4] 4] 42 45 52 - ]066 ]67 ॥72 [78 व83 83 683 84 85 687 96 200 204 26 26 2]7 28 220 229 रूप ज्यामितीय रचनाएँ भूमिका 'किसी वृत्त की स्पर्श रेखा की रचना त्रिभुज के अंतर्वृत्त तथा परिवृत्त की रचनाएँ कुछ अन्य रचनाएँ त्रिकोणमितति भूमिका त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात ऊँचाई और दूरी भूमिका समकोण त्रिभुज का हल अनुप्रयोग पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन भूमिका ठोस आकृतियों का रूपांतरण संयुक्त ठोस आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन लंब वृत्तीय शंकु का छिन्नक लंब वृत्तीय शंकु के छिन्नक का आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल सांख्यिकी भूमिका अल सांख्यिकीय | का चित्रमय निरूपण पाई चार्ट यथाप्राप्त आँकड़ों का माध्य अवर्गीकृत आँकड़ों का माध्य माध्य के परिकलन की कल्पित माध्य विधि माध्य के परिकलन की पद-विचलन विधि वर्गीकृत ऑकडों का माध्य प्रायिकता प्रायिकता-अनिश्चितता का एक मापक निर्देशांक ज्यामिति भूमिका ह बिदु के निर्देशांक दो बिंदुओं के बीच की दूरी विभाजन सूत्र विभाजन सूत्र का अनुप्रयोग उत्तरमाला 242 242 242 244 248 255 255 264 269 269 269 270 280 280 282 290 294 295 302 302 302 303 3] 34] 343 3]7 326 उथ7 334 3उ4 334 345 349 352 भारत का संविधान भाग 4क नागरिकों के मूल कर्त॑व्य अनुच्छेद 5. क मूल कर्तव्य - भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह - (क) संविधान का पालन करे और उसके आवर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और । राष्ट्रगान का आदर करे । स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च || आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे | भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण [| बनाए रखे; देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे; || भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभावों से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझे और उसका परिरेक्षण करे प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं,रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रत्ति दयाभाव रखे वैज्ञानिक 5 के मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का || विकास 5 सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे; और व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर [| बढ़ने का सतत् प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और || उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छ सके। । भ्रमिका चर्यों वाले रैखिक समीकरणों से आप पहले ही से परिचित हैं। दो चरों « और » वाले रैखिक समीकरण का व्यापक रूप होता है बड+29+ ८ रू 0, ६#& 0, 2 # 0, जहाँ 8, / तथा ८ वास्तविक संख्याएँ हैं। ऐसे समीकरण के हल (४०४४०) से हमार तात्पर्य & और » के एक ऐसे मान-युग्म (|क्वाः 0/ ५७४८७) से होता है, जो समीकरण के दोनों पक्षों को बराबर कर दे। याद कीजिए कि दो चरों वाले प्रत्येक समीकरण के अपरिमित रूप से अनेक (४५7) हल होते हैं। ये सभी हल एक निश्चित रेखा के बिंदुओं से निरूपित होते हैं। जबतक अन्यथा न कहा जाए, इस अध्याय में 'समीकरण' से हमारा तात्पर्य दो चरों वाले रैखिक समीकरण से होगा। बहुधा हम समान दो चरों वाले एक से अधिक समीकरणों का अध्ययन एक ही समय में करते हैं। ऐसा करने पर अध्ययन किए जा रहे समीकरणों को हम समीकरण-निकाय (९>श४॥ ० ८६४०॥०४०) या युगपत् समीकरण (अंक्रषद्ा।2008 2(४००॥७) कहते हैं। उदाहरणतः, 22 - 39+ 4 र 0 ओर ह झनी 7/-50 चरों » और » वाला दो समीकरणों का एक निकाय है। हम अपने अध्ययन को दो चरों वाले समीकरण-युग्म तक ही सीमित रखेंगे। युग्म के प्रत्येक समीकरण के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे। युग्म के सार्व (00॥॥7907) हल होने कौ स्थिति में, हम हल ज्ञात करने की अनेक विधियों पर विचार करेंगे) .2 दो चरों बाले रैखिक समीकरण का आलेखीय हल : पुनराक्षृत्ति याद कौजिए कि दो चरों वाले रैखिक समीकरण का हल ज्ञात करने के लिए, हम दोनों चरों में से एक को कोई मान देकर दिए गए समीकरण से दूसरे चर का मान निकाल लेते हैं। इस प्रकार, ४-५-+57->0 में ४> | लेकर, हम 9-6 प्राप्त कर लेते हैं। इससे हमें एक हल %रः[, आप 6, और कार्तीय (006शंक्षा)) तल में एक बिंदु (, 6) प्राप्त होता है। दिए गए समीकरण के दो हल ज्ञात करने के पश्चात्, हम इनके संगत बिंदुओं, कहिए 9 और 0, को आलेखित करते हैं। इन बिंदुओं से होकर जाने वाली रेखा ?() दिए गए समीकरण से इस . प्रकार जुडी हुई है : . दिए गए समीकरण का प्रत्येक हल ४>#, »>« एक बिंवु (£ 5) निर्धारित करता है जो इस रेखा पर स्थित होता है। 2, रेखा ?0 पर स्थित प्रत्येक बिंदु (8.७) से दिए गए समीकरण का एक हल > * #, »5-+ प्राप्त होता है। रेखा ९0, दिए गए समीकरण का आलेख (४7०४४) कहलाती है। परिषाटी के अनुसार, हम कहते हैं कि रेखा 700, दिए गए समीकरण को +िरूपित (#2#४४४४४) करती है। याद कीजिए ; . समीकरण के दोनों पक्षों में किसी भी संख्या को, समीकरण और उसके हल को प्रभावित किए बिना, जोड़ा / घटाया जा सकता है। 2. समीकरण के दोनों पक्षों को किसी भी शून्येतर संख्या से, समीकरण और उसके हल को प्रभावित किए बिना, गुणा / भाग किया जा सकता है। .3 दो चरों वाले रैखिक समीकरणों के युग्म का आलेखीय हल अभी तक आपने दो चरों वाले एक समीकरण का अध्ययन किया। ऐसा समीकरण, दो राशियों के मध्य एक सरल संबंध को निरूपित करता है। उदाहरणत:, मान लीजिए कि एक संतरे का मूल्य दो केलों के मूल्य से एक रुपया अधिक है। मान लीजिए कि एक केले और एक संतरे के मूल्य रुपयों में, क्रमशः » और 9 हैं। तब छ्ल्श्डक । () दो चरों वाले रैखिक समीकरण................................०-५००००ननननवेवेनेननिनननिनिनिननिननिनलनिनिनननतनतिनतितनलाननना न 3 इस प्रकार, एक केले और एक संतरे के मूल्यों में संबंध दो चरों वाले एक रैखिक समीकरण से प्राप्त होता है। समीकरण () के आलेख को, अर्थात् समीकरण () को निरूपित करने वाली रेखा »&3 को आकृति ॥. में दिखाया गया है। ७83 को आलेखित करने के लिए निम्नलिखित हलों का प्रयोग किया गया दैनिक जीवन में हमें बहुधा दो राशियों के मध्य एक ऐसा संबंध देखने को मिल जाता है जिसे () जैसे किसी समीकरण से व्यक्त किया जा सकता है। पुन; व्यावहारिकता की दृष्टि से हमारी रुचि एक ही समय में ऐसे अनेक समीकरणों में हो सकती है। उदाहरणार्थ, मान लीजिए कि ऊपर दिए गए उदाहरण में यह ज्ञात हो कि 3 केलों और 2 संतरों का कुल मूल्य 9 रु है। तब समीकरण () के अतिरिक्त, » और » के लिए निम्नलिखित संबंध को संतुष्ट करना भी अनिवार्य है : 3:+ 2959 (2) समीकरण (2) के आलेख को, अर्थात् समीकरण (2) को निरूपित करने वाली रेखा 70 को भी आकृति ।.] में दिखाया गया है। इस रेखा ९0१ के आलेखन हेतु निम्नलिखित हलों का प्रयोग किया गया है गकृति ,॥ याद कीजिए कि रेखा »8 पर स्थित कोई बिंदु (6, 8) हमें बताता है कि यदि एक केले का मूल्य ८ रु और एक सतेरे का मूल्य # रु हो, तो एक सतरे का मूल्य दो केलों के मूल्य से एक रु अधिक होगा। (5) इसी प्रकार, रेखा ?0 पर स्थित कोई बिंदु (#. 4) हमें यह बताता है कि यदि एक केले का मूल्य 2 रु और एक सतरे का मूल्य 4 ₹ हो, तो 3 केलों और 2 सतयों का कुल मूल्य 9 रु होगा. (9 इस स्थिति में यह अनिवार्य हो जाता है कि प्रतिबंध (&) और (8) युगपत् रूप से संतुष्ट हों। : दूसरे शब्दों में, हमें मूल्यों का एक ऐसा युग्म (5 3) चाहिए कि समीकरण () और (2) युगपत् रूप से संतुष्ट हो जाएँ। इस प्रकार, हमें एक ऐसे बिंदु (,#) की खोज है जो दोनों ही रेखाओं 88 और 70, पर स्थित हो। इसके लिए आवश्यक है कि अच्का, आच्कआ समीकरण () का हल हो और साथ ही समीकरण (2) का भी। अर्थात् 5, » # समीकरणों () और (2) का सार्व हल (८०४०४ ०77०४) होना चाहिए। आकृति ।. में हम देखते हैं कि बिंदु (, 3) रेखाओं ७8 और 7९), दोनों पर स्थित है। तात्पर्य यह कि ह ४], #₹3 समीकरणों () और (2), दोनों का हल है। अतः यदि हम एक केले का मूल्य । रु और एक संतरे का मूल्य 3 रु मानकर चलें, तो एक सतरे का मूल्य दो केलों के मूल्य से ।ह अधिक होगा। और साथ ही | 3 केलों और 2 संतर्ों का कुल यूल्य 9 रु होगा। दो या दो से अधिक समीकरणों के सार्व हल ज्ञात करना बीजगणित की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह इसलिए कि इससे अनेकानेक व्यावहारिक समस्याओं को हल करने में सहायता मिलती है। स्पष्टतया दो (या अधिक) समीकरणों के सार्व हल से हमारा तात्पर्य ऐसे मान-युग्स से होता है (एक मान 5 का और दूसरा 9 का) जो दोनों (सभी) समीकरणों को युगपत् रूप से सत्तुष्ट करे। विचाराधीन समीकरणों को समीकरण-निकाय कहा जाता है। सार्व हल ज्ञात करने की प्रक्रिया को सर्मोकरण-निकाय को हल करना कहा जाता है। दंग पीले रेखिक सभी करण. ...००० ०० किले 8 लग य ५ पत्ती यादव नप नकल प लिन प +०उ भीरर यम त पक दस रत $ दिए गए दो समीकरणों का हल कैसे ज्ञात करते हैं, यह समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। आइए, निम्नलिखित समीकरणों का सार्व हल निकालें ; आ- 270 (3) और 2&+औ 2 (2) अब () और (2), दोनों में से प्रत्येक के अपरिमित रूप से अनेक हल हैं। हमें एक हल ४ २ %५, 7 9, ऐसा ज्ञात करना है जो () और (2) दोनों को संतुष्ट करे, अगर ऐसा कोई हल वास्तव में हो तो। यदि हम समीकरण () के कोई दो हल ज्ञात कर लें, तो इसका आलेख खींचकर हम इसके समस्त हलों का अनुमान कर सकते हैं। हम देख सकते हैं कि &४ 50, 95 0 और #+ 2, ;#72 समीकरण () के दो हल हैं। अब बिंदुओं 0 (0,0) और 7 (2, 2) को आलेखित कर इनमें से होकर जाने वाली रेखा 07 खींचते हैं (आकृति .2)। रेखा 07 के प्रत्येक बिंदु से समीकरण (।) का एक हल प्राप्त होता है। उदाहरणतः, बिंदु (3, 3) रेखां 0? पर स्थित है। सत्यापित कीजिए कि ४53, 3 समीकरण (।) का हल है। (-, भी 07 पर स्थित है और हम देख सकते हैं कि ४5-, /»5 - भी (।) का हल है। अब प्रश्न यह है कि (]) के अपरिमित रूप से अनेक हलों में से यदि समबीकरण (2) का भी कोई हल है , तो वह कौन-सा है? यह तो स्पष्ट है कि (।) के प्रत्येक हल के लिए यह जाँच नहीं की जा सकती कि वह (2) का भी हल है अथवा नहीं। अतः हमें कोई अन्य व्यावहारिक विचार प्रयोग में लाना होगा। एक उत्तम विचार यह होगा कि हम एक ही कार्तीय तल में एक ही अक्षों पर दोनों समीकरणों के आलेख खींच लें। इस स्थिति में, 0 टी | पंप, | 0 ५ पु म्ज है | | + ] आकृति 4.2 सार्ब हल यदि हुआ (हुए), तो तत्काल ज्ञात हो जाएगा (जाएँगे)। चलिए समीकरण (2) के कोई दो हल ज्ञात किए जाएँ। समीकरण (2) के दो हल नीचे की सारणी में दिए गए हैं : रे 2 | 0] आकृति [.2 के आलेख में ही बिंदुओं &(2, 0) और 3(0, 2) को आलेखित कर. आकृति ॥.3 प्राप्त की गई है। ध्यान दीजिए कि जिस प्रकार रेखा 07 के प्रत्येक बिंदु से समीकरण () का एक हल प्राप्त होता है, ठीक उसी प्रकार रेखा ४8 के प्रत्येक बिंदु से ल् समीकरण (2) का एक हल प्राप्त होता है। बिंदु [(, ), जो रेखाओं 07? और &४8 का सार्व बिंदु है, के विषय में क्या विचार है? क्योंकि ' रेखा । 07 पर स्थित है, अतः 25 | और १ । समीकरण () का हल है। क्योंकि , 8 पर भी... पेज: स्थित है, अतः 0 > 5] और 95 । समीकरण (2) का भी हल है। इस प्रकार, समीकरणों हर ४ । कर । (।) और (2) का एक सार्व हल प्राप्त हो जाता है। इस तथ्य को हम इन शब्दों में व्यक्त करते हैं कि . ;.. »₹ , 9 ः] समीकरण-निकाय | $ आकृति 4,3 ४-४0 और ता 952 का हल है। एक सार्व हल निकालने के बाद अब यह देखा जाए कि क्या कोई और सार्व हल भी है। ध्यान दीजिए कि यदि ४76, »ः४ कोई सार्व हल हो, तो बिंदु (७,७) रेखाओं 0? और ४ दोनों पर स्थित होगा क्योंकि दी गई दो भिन्न रेखाएँ अधिक-से-अधिक एक ही बिंदु पर प्रतिच्छेद कर सकती हैं, अतः कोई अन्य सार्व हल नहीं है। आइए, जो कुछ अभी सीखा है उसका संक्षेप में पुन: कथन करें। दो दिए गए समीकरणों का सार्व हल प्राप्त करने के लिए, हम निम्नलिखित प्रक्रम का अनुसरण करते हैं : [. दोनों में से प्रत्येक समीकरण के दो हल ज्ञात कर, इन हलों के संगत बिदुओं को आलेखित कर, दिए गएं समीकरणों को निरूपित करने वाले बिंदुओं को मिलाकर प्राप्त होने वाली रेखाओं को खींचना। 2. रेखाओं के प्रतिच्छेद बिंदु से अद्वितीय सार्व हल प्राप्त करना [रेखाएँ यदि समांतर अथवा संपाती (००॥० ०) न हों ]। जदाहरण ॥: समीकरण - युग्म 22 + 395 6 () 45 + 695 24 ; (2) का सार्व हल, यदि कोई है, ज्ञात कीजिए। हल : सार्व हल ज्ञात करने की दिशा में प्रथम चरण यह होगा कि दिए गए समीकरणों के दो-दो हल प्राप्त किए जाएँ जिससे कि इन्हें निरूपित करने वाली रेखाएँ आलेखित की जा सकें। याद कीजिए कि हल ज्ञात करने के लिए, हम दोनों में से किसी भी एक चर को प्रायः मान 0, +, +2 आदि देकर दूसरे चर का मान निश्चित कर लेते हैं। इस प्रकार, हम दो सुविधाजनक (पूर्णाक) हल प्राप्त करते हैं। ऐसा करने पर, हमें निम्नलिखित हल प्राप्त होते हैं ; अं |०0]| ।:0:| बिंदुओं &(0, 2) और 8(3, 0) को आलेखित कर हम समीकरण () को निरूपित करने वाली रेखा ४8 प्राप्त करते हैं (आकृति .4)। इसी प्रकार, हम 7(0, 4) और 0 (6, 0) से होकर जाने वाली रेखा 70 प्राप्त करते हैं जो समीकरण (2) को निरूपित करती है। समीकरण (2) : आकृति ॥.4 सार्व हल ज्ञात करने के लिए हमें इन दो रेखाओं का सार्व बिंदु, अर्थात् प्रतिच्छेद बिंदु ज्ञात करना होगा। किन्तु रेखाएँ »38 और ९0 समांतर हैं और इसलिए यह किसी भी बिंदु पर मिलती नहीं हैं। अत: हम इस परिणाम पर पहुँचते हैं कि समीकरणों () और (2) का कोई सार्व हल नहीं है। अब निम्नलिखित समीकरणों द्वारा निरूपित रेखाओं पर विचार कीजिए : के 93 (3) 7४+ 795 2] (4) इस बार जब हम समीकरणों को आलेखित करने का प्रयास करते हैं, तो हमें वही रेखा प्राप्त होती है, अर्थात् यहाँ रेखाएँ संपाती हैं। अतः कितने बिंदु सार्व हुए? निश्चित रूप से, प्रत्येक बिंदु एक सार्व बिंदु है। अत: रेखा के प्रत्येक बिंदु से एक सार्व हल प्राप्त होता है। इस प्रकार, समीकरण निकाय (3) और (4) के अपरिमित रूप से अनेक सार्व हल हैं। अब हम दो चरों वाले दो समीकरणों के निकाय को निरूपित करने वाली रेखाओं के व्यवहार और सार्व हलों के होने-न-होने का सार-संक्षेप इस प्रकार कर सकते हैं ै. रेखाएँ केवल एक बिंदु में प्रतिच्छेद करें। इस स्थिति में, समीकरणों का एक अद्वितीय सार्व हल होगा। 8. रेखाएँ समांतर हों। इस स्थिति में, समीकरणों का कोई सार्व हल नहीं होगा। ९. रेखाएँ संपाती हों। इस स्थिति में, समीकरणों के अपरिमित रूप से अनेक सार्व हल होंगे। दोअ्यंगवॉज गखेक सर्ाकेरत::.2 7:02: 05 कप 3 337 उप 70: वर सो त िन भय या प धन लत 5 हि ५ पक 9 दिप्पणी : सार्व हल ज्ञात करने में हमारी रुचि प्रायः व्यावहारिक कारणों से होती है। अतः मुख्य रूप से हमारी रुचि स्थिति & में होगी जहाँ समीकरणों का एक अद्वितीय हल होता है। उदाहरण 2 : समीकरण-निकाय 5४0- 9- / 7 0 (() ओर 5-97 + -0 । (2) को आलेखीय विधि से हल कोजिए। हल : आइए, समीकरणों (4) और (2) को आलेखित करें। ऐसा करने के लिए. हम दोनों समीकरणों के दो-दो हल ज्ञात करते हैं। 50- /४- 750: फ जप ०2 हलक ल्जीके- जज आओ क औ की ' अब बिंदुओं »(0,-7) और 8(, -2) को आलेखित करते हैं। बिदुओं (0, -7) और (।,-2) से होकर जाने वाली रेखा ७8, समीकरण (।) को निरूपित करती हे। इसी प्रकार, बिंदुओं 7? (-, 0) और 0 (0, ।) से होकर जाने वाली रेखा ?(0, समीकरण (2) को निरूपित करती है (आकृति .5)। अब रेखा «8 के प्रत्येक बिंदु से हमें समीकरण (]) का एक हल प्राप्त होता है। रेखा ?0 के प्रत्येक बिंदु से समीकरण (2) का एक हल प्राप्त होता है। हम देखते हैं कि बिंदु प' (2, 3) रेखाओं ७8 और 7(), दोनों पर ही स्थित है। अत: इस बिंदु से हमें समीकरणों () और (2), दोनों का ही हल प्राप्त हो जाता है। अत;, समीकरणों (।) और (2) का हल हुआ : कक हे ४52 और »« 3 आकृति 4.5 शो * # 52 और »>3 लेने पर-ःसमीकरण () और (2), दोनों संतुष्ट हो जाते हैं। अतः हल का सत्यापन हुआ। किपणियों : . यदि आप आलेखीय विधि का प्रयोग करें, तो हल का सत्यापन अनिवार्य होगा। ह 2. पूर्णाकों वाले हल खोजने का प्रयास करें, जिससे कि बिंदु ठीक स्थान पर आलेखित किए जा सकें। उदाहरण 3 : यह दिखाइए कि निम्नलिखित समीकरण-निकाय का कोई हल नहीं है : 2%४+ 39- [ 7 0 () कु झक हि 9-20 (2) फछ्त ; क्योंकि हमें यह दिखाना है कि निकाय का “कोई हल नहीं' है, इसलिए संभावना है कि दिए गए समीकरण समांतर रेखाओं को निरूपित करते हैं। आइए हम आलेख खींचकर ज्ञात करें| निम्नलिखित सारणियों में समीकरणों () और (2) के दो-दो हल सारणीबद्ध हैं : #॥ 2 5 के 3 2 नई बिंदुओं 8(2, -!)) और छ (5, -3) को आलेखित कर रेखा 8 खींचिए। यह छू (कि समीकरण (।) को निरूपित करती है। -.- रू ४ 5 ' बिंदुओं ९2, 0) और 0], 2) को ... ' आलेखित कर रेखा ९0 खींचिए। यह |. ४: समीकरण (2) को निरूपित करती है। .. |! यह देखा जा सकता है कि #8 और ४ ( [| - ९0 समांतर रेखाएँ हैं। क्योंकि 48 और 5 | ८ ९0 प्रतिच्छेद नहीं करतीं (आकृति .6), इसलिए इनमें कोई सार्व बिंदु नहीं है। | | अत: दिए गए निकाय का कोई हल. | डी नहीं है। आकृति ,6 20 + 3/-50 : हे ि न्नजजजजलललग+++०+्जबज> ५ 0 +-- 7 दो चरों बोले, रखिक समीकरण: ६ नकल त नी ५ 2 पक आप ले नेक >> तप गतत तिल रजत 58 कम देगा [] टिप्पणी ; किसी समीकरण-निकाय को हल करने से तात्पर्य यह है कि यदि निकाय के समीकरणों का कोई अद्वितीय हल हो, तो उसे निकालना, अन्यथा यह बताना कि इन समीकरणों का कोई सार्व हल नहीं है या कि इनके अपरिमित रूप से अनेक हल हैं। उद्दाहरण 4 ; निम्नलिखित समीकरण-निकाय के अभिन्न हल (यदि हैं, तो) ज्ञात कीजिए ; 9.2- 79+ 7 0 () ]4 2) ११0४ व्स्टा लि का मे 9) 9 ; 9 (2) हल : समीकरण (2) को > से गुणा कर पुनः इस रूप में लिखा जा सकता है : 9:-79+] 5 0 किंतु यह तो समीकरण () ही है। अतः समीकरणों () और (2) से निरूपित होने वाली रेखाएँ संपाती हैं। इस प्रकार, समीकरणों () और (2) के सभी हल सार्व हल हैं। अत: निकाय के अपरिमित रूप से अनेक अभिन्न हल हैं। दूसरे शब्दों में, निकाय के समीकरणों, अर्थात् समीकरणों (]) और (2) के अपरिमित रूप से अनेक अभिन्न हल हैं। उदाहरण 5: समीकरणों 22-35 - 8 पद () और 8४+ 395 24 | (2) को आलेखित कीजिए। #-अक्ष के साथ इन समीकरणों को निरूपित करने वाली रेखाएँ जो त्रिभुज बनाती हैं उसके शीर्ष ज्ञात कीजिए। इस प्रकार बबे.....््प्प्प_पख़ | त्रिभुजाकार क्षेत्र को छायांकित कीजिए। कह पी 3 हल : नीचे, दिए गए प्रत्येक समीकरण के दो-दो हल कह ा सारणीबद्ध हैं : 22--%9.-- 9 : 5-4 अर डक ह जी की सदा की भाँति बिंदुओं &(-3, 2) और 8(-4, 0) को - है ः ! अर आलेखित कर समीकरण () को निरूपित करने वाली ४ | रेखा ४8 प्राप्त होती है (आकृति .7)। बिंदुओं ? (0, 8) हा (0 (3, 0) को आलेखित कर समीकरण (2) को निरूपित करने वाली रेखा ?( प्राप्त होती | अब 3. »8 और 70 बिंदु ?(0, 8) पर प्रतिच्छेद करती हैं। 2. ४8, »- अक्ष को 8(- 4, 0) पर काटती है। 3. 7९0, »- अक्ष को 0(3, 0) पर काठती है। : इस प्रकार, त्रिभुज के शीर्ष (0, 8), (- 4, 0) और (3, 0) हैं। अभीष्ट छायांकित क्षेत्र आकृति ॥.7 में दिखाया गया है। ' प्रश्नावली . निम्नलिखित समीकरण-निकायों में से जिनके अद्वितीय हल हैं, उन्हें आलेखीय विधि से हल कीजिए। शेष के लिए यह बताइए कि हल है ही नहीं अथवा कि अपरिमित रूप से अनेक हल हैं « ४-49? + !4 5 0 2, ह+ 93 3४ + 29 -- ।4 5 0 22 + 597 2 3. उ35४-४8१४+ ] > 0 4, 2४ + 795 ]4 2-१ + 357 0 * 2] 2 5. 30+ 27 6 6. 40 + 69 9 2४-39 > ) 2% + 3/-][ 7. ४-2४ 8. 2४-39 5 20-4)/- [0 50 30+49+ ]5 0 9. निम्नलिखित समीकरणों के आलेख खींचिए ; 4४- 9 5 4 और 40 + / र ]2 इन समीकरणों दूवारा निरूपित रेखाएँ ४- अक्ष के साथ जो त्रिभुज बनाती हैं उसके शीर्ष ज्ञात कीजिए। इस प्रकार बने त्रिभुजाकार क्षेत्र को छायांकित कीजिए। 0. निम्नलिखित समीकरणों को निरूपित करने वाली रेखाओं से बने त्रिभुज के शीर्ष ज्ञात कीजिए ; ह४+ ३०5, ४-95 और #5०0। दो चरों चाल रखिक समीक 3 .4 किसी समीकरण-निक्काय का बीजीय हल पिछले अनुच्छेद में, हमने दो चरों वाले दो रैख्िक समीकरणों को आलेखीय विधि से हल करना सीखा है। यह तो सत्य है कि प्रत्येक आलेखित दृश्य (४5४८7) वस्तु में अपना एक आकर्षण होता है, किन्तु जैसा कि हमने देखा, समीकरणों को हल करने के संदर्भ में तो यह बहुधा जाँच-और-भूल (॥४8| 270 ७7०) विधि बनकर रह जाती है। अभीष्ट रेखाएँ खींचने के लिए पूर्णांक मानों वाले हल खोजना एक कठिन कार्य होता है। हलों को पूर्णाक न लेने का मूल्य संगत बिंदुओं के आलेखन के समय परिशुद्धता और यथार्थता की हानि के रूप में चुकाना पड़ता है। उस स्थिति में भी, जब हम अलग-अलग समीकरणों के पूर्णांक मानों वाले हल खोज पाते हैं, प्रतिच्छेद बिंदु त़ ख जैसा हो सकता है। अब यह तो आप मानेंगे ही कि ग्राफ कागज पर आलेखित ऐसे बिंदु के निर्देशांक ठीक-ठीक पढ़ पाना संभव न होगा। आलेखीय विधि की ऐसी कठिनाइयों से बचने के लिए, अब हम दो ऐसी बीजीय विधियों पर विचार करेंगे जो शुद्ध हल भी देंगी और हमें न तो अनुमान लगाने पर विवश करेंगी और न ही जाँच-और-भूल विधि पर हमें निर्भर रखेंगी। .4. बिलोपन या निराकरण विधि ( प्रतिस्थापन दवारा ) एक चर वाले रेखिक समीकरण को हल करना आप जानते हैं। मान लीजिए कि दो चरों » और » वाले दो रैखिक समीकरणों में से हम पहले पर विचार करें और » को चर न मानकर इसे अचर मान लें। तब हम इस समीकरण को एक चर » वाले समीकरण के रूप में देख सकेंगे, और » के लिए इसे हल कर सकेंगे। हाँ, यह ठीक है कि इस प्रकार प्राप्त » के मान में » उपस्थित होगा। उदाहरण के लिए, हम निम्न समीकरण-निकाय पर विचार करते हैं : 20-93 () और 4४-४#चत5ठ ., (2) * को अचर मानते हुए, समीकरण () को » के लिए हल करने पर, | अच्2८-3. - (3) प्राप्त होता है। अब (3) से प्राप्त » के इस मान को समीकरण (2) में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : 45 - (20-33) 55 (4) अब (2) में से » का निराकरण हो गया है। परिणाम में प्राप्त समीकरण (4) अकेले < में बफ्च्क्कनब्वटे लिन ललट लि लह १३०० ०००१०००१९०००००००६७४०० ५०० %५).»नन्न््लल--३०५०४००००००९०५४१००००९०००००३००९४०६४००००००४०००५ ०४०७० टलज्लल्ाजल्लाओ समीकरण है। (4) को सरल करने पर हमें प्राप्त होता है : 2४ + 3 5 5 या ही । »का यह मान (।) में रखने पर, हमें प्राप्त होता है : 2-»#चःठे या श्च्ननों इस प्रकार, दिए गए समीकरण-निकाय का हल है; ४5] और #-] हिणपणियों ; | ). आप जाँच सकते हैं कि ४5 , #»--] दिए गए समीकरणों को संतुष्ट करते हैं। 2. समीकरण (3) वही है जो समीकरण () (पुनर्लिखित) है। अतः » का मान प्राप्त करने के बाद, ४» का मान प्राप्त करने के लिए हम सीधे समीकरण (3) में, &> प्रतिस्थापित कर सकते थे। न किसी समीकरण-निकाय को हल करने की यह विधि ग्रतिस्थापन द्वारा विलोपन या निराकरण (८#ा॥८7ं०४) करने की विधि कहलाती है। 'निराकरण' इसलिए कि » को विलुप्त किया गया है, अर्थात् समीकरण (2) में से » का निराकरण किया गया; और “प्रतिस्थापन' इसलिए कि हमने » का मान दूसरे समीकरण में रखा, अर्थात् प्रतिस्थापित किया है। उदाहरण 6 : प्रतिस्थापन द्वारा निराकरण की विधि से निम्नलिखित समीकरण-निकाय को हल कोजिए ४ उ&+ 29 5 ]4 (4) -४+49 «7 (2) हल : » के मान को एक समीकरण से दूसरे में प्रतिस्थापित कर हम » का निराकरण कर देंगे। हम देखते हैं कि समीकरण (2) में » का गुणांक -] है। आइए, (2) को पुनः निम्न रूप में लिखें : & 49 -7 (3) अब » को » के पदों में व्यक्त कर दिया गया है। चलिए, (3) से » के इस मान को समीकरण (]) में प्रतिस्थापित कर दें। ऐसा करने पर, हमें प्राप्त होता है ; 3 (4/-7) + 295 4 (4) दो चरों वाले रैखिक समीकरण........................-०-०+-_«_---नननननननननननननननननननननिाननननन गम 5 अब (4), » में एक रैंखिक समीकरण है, क्योंकि » का निराकरण हो गया है। (4) को सरल करने पर, प्राप्त होता है : 49-2] 5 ]4 या 49 5 35 दो या शर्त हर » के इस मान को (3) में प्रतिस्थापित करने पर, प्राप्त होता है : अं + 49 -7 5 42 दर -/ 3 इस प्रकार, निकाय का एक हल है : ०) ४53 और >> सत्यापन : ४53 और 95 धि रखने पर, हम पाते हैं कि दोनों समीकरण () और (2) संतुष्ट हो जाते हैं। अत: हल सही है। .4.2 निराकरण विधि (गुणांकों को बराबर कर ) एक चर के निराकरण की एक अन्य विधि है जो कभी-कभी ऊपर वाली विधि से अधिक सुविधाजनक रहती है। मान लीजिए कि हमें । 23:- 79+ ]] 5 0 () और 3%+ 39- 5750 (2) को हल करना है। यदि » को » के पदों में व्यक्त करना चाहें, तो 23 या 3] से भाग करना होगा। » को » के पदों में व्यक्त करने के लिए 7 या 3 से भाग करना होगा। क्योंकि ऐसी संख्याओं से भाग देने की अपेक्षा गुणा करना अधिक सुविधाजनक है, हम भाग की क्रिया को गुणा की क्रिया में बदलेंगे। पहले समीकरण को 3, अर्थात् (2) में » के संख्यात्मक गुणांक से गुणा कर, तथा दूसरे समीकरण को 7, अर्थात् () में » के संख्यात्मक गुणांक से गुणा कर, हम दिए गए समीकरण-निकाय के तुल्य एक समीकरण-निकाय प्राप्त करते हैं। इस नए समीकरण-निकाय का लाभ यह है कि इसके दोनों समीकरणों में » का संख्यात्मक गुणांक वही है। इन नए समीकरणों को जोड़ने पर » वाले पद निरस्त हो जाएँगे, क्योंकि इनके संख्यात्मक गुणांक समान और विपरीत चिहनों के हैं (यदि इनके चिहन सपान होते, तो हम एक समीकरण को दूसरे में से घटा देते)। इस प्रकार, » का निराकरण हो जाएगा। अब हम शेष क्रिया पूर्व की भाँति कर, निकाय को हल कर सकते हैं। स्पष्ट कारणों से, निशधकरण की इस विधि को गुणांकों को बराबर कर निराकरण करने की विधि कहते हैं। उद्धाटश्श 7 : निग़करण की गुणांकों को बराबर करने की विधि द्वारा निम्नलिखित समीकरण-निकाय को हल कीजिए : ]]:-59+650 () और 35% - 2209-25 0 (2) ले : समीकरण (]) को 3 से और समीकरण (2) को । से गुणा करने पर, 33%-]59+ 83 5 0 (3) और 33:-2209- 2250 (4) (4) को (3) में से घटाने पर, 205 ५+ 20550 या है -] प्राप्त होता है। » के इस मान को समीकरण (2) में प्रतिस्थापित करने पर, प्राप्त होता है 35-20 » (-)-250 या 3:5>- 8 या &-06 इस प्रकार, अभीष्ट हल है : +5-6 और आऋच- सत्यापन : ५< .. ७ और )'<-] रखने पर दोनों समीकरण संतुष्ट हो जाते हैं। अतः हल सही है। टिप्पणी ; यदि हम प्रत्येक समीकरण को दूसरे समीकरण में » के गुणांक से गुणा कर दें और इस प्रकार प्राप्त समीकरणों में से एक को दूसरे में से घटा दें, तो » का निराकरण हो जाएगा। अब यदि 9 का मान ज्ञात कर, इस मान को किसी एक समीकरण में प्रतिस्थापित कर दें, तो > का मान ज्ञात कर सकते हैं। किन्तु दिए गए समीकरणों पर निर्भर करते हुए, कोई सरलतर विधि भी हो सकती है। यहाँ हम समीकरण () को 4 से गुणा कर, प्राप्त समीकरण को समीकरण (2) में से घटा सकते थे। ऐसा करने पर » का निराकरण हो जाता और हल ज्ञात करना सरल हो जाता। जब--जब संभव हो, ऐसी श्रम-निवारक युक्तियों का प्रयोग करना चाहिए। दो चरों वाले रैक समीकरण..............--०्न्नेन शिरकत मम 7 प्रक्याडली .2 निम्नलिखित प्रत्येक समीकरण-निकाय को » का निराकरण (प्रतिस्थापन द्वारा) कर, हल कोजिए : . अफकआऔत यम 2. ह+ 97 3. 2४-7४] 2४-39 ₹ 2६+ 5957 45 + 3) 55 ]5 4. 32-59 3, न 8/79 50+2) 5 9 25+ 3954 नि्नलिखित समीकरण-निकायों को (प्रतिस्थापन द्वारा) » का निराकरण कर, हल कीजिए ; 6. 37-9४ 3 7. 7४+]9-3 50 8, 3४+ 49-75 0 7४ + 295 20 8८ + 7- 57₹ 0 20+9+250 9, 270+79- ]]50 40, 2.0+9-75 0 30- )/- 9 5 0 ]7४- त]9- 85 0 अथवा 9 के गुणांकों को बराबर कर, निराकरण विधि से निम्नलिखित समीकरण-निकायों को हल कीजिए ; ]4, £- 5५5 ] 2, 44-39-8 70 43., 7४- 8/-] 5 0 29 22 + 3))5- 4 6४- 9 - ग्ब्र के 0 8%- 79-75 0 ] ]4, 3४ + 5) 5 7 45. 3%४+ 29 5 दर्ज ]]४- [3) 5 9 3] -+/»% + 59 पर निम्नलिखित समीकरण-निकायों को हल कीजिए : 406, 2४-%5 ] 7. ->6४+ 5952 8, 48 + 795 20 550+ 4४9] - 5%2+ 69579 2]%- 3/95 2] 2 9. 2४ + 3950 20. 23:-77+ ]50 2. पक्कचाए 6 3४+ 49 ₹ 5 3:+ 39-57 0) कट . ८ 9? 5 [संकेतः न पड, न 59 लिखिए।] 23. निम्नलिखित समीकरणों का ऐसा हल ज्ञात कीजिए कि ४# 0, /# 0 हो : 20 + ५ कई दर 7] ६ ने 39८5 न //32 [संकेत : दोनों पक्षों को ४५ से भाग दीजिए।] .5 सज्-गुणन दबारा पखिक समीकरणों के निकाय का हल रैखिक समीकरणों के निकाय को प्रतिस्थापन द्वारा निशकरण कर हल करने की बीजीय विधि उसी स्थिति में प्रभावी रहती है जब निकाय का एक अद्वितीय हल हो। अब रैखिक समीकरणों के निकाय को हल करने की एक अन्य ऐसी बीजीय विधि का वर्णन किया जाएगा जो सभी स्थितियों में प्रयोग के योग्य है। इस विधि से यह पहले ही ज्ञात हो जाता है कि निकाय का एक अद्वितीय हल है या हल है ही नहीं, या फिर इसके अपरिमित रूप से अनेक हल हैं। निम्नलिस्बित दो समीकरणों पर विचार कोजिए : धार गी 8] #/+2[50, 4, #ू 0, 8, #ू 0, (!) वह ने 8, 9+८,०७0, 4, रू 0, 0, # 0 (2) जहाँ कि गुणांक वास्तविक संख्याएँ हैं। हम प्रतिस्थापन द्वारा » का निराकरण करते हैं। समीकरण (|) से, पर न्ज (० +०,- [9#0 दिया है] | » के इस मान को (2) में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : हि ०,२%+ 8, 8, (८ + ड़) | + ८,5०0 या का 8८ 8 व ; +८, 50 कक आज. दो चरों वाले रैंखिक समीकरण +०००००६९००६००६००००००००५००००००००४०००००००००००००००४०५००००४०००००३४०००»०४०३९६४००४० २४४००» ० नल््ब्ब्ल्न्लब्ल्नब्ललल्ट०११०००१०००१००९००००००१०००००००० धर 2,८ या [०- डे -भ- णक +%-० या (8 ००-०७ ०)४+ -2/2+8 ०) 5 0 [दोनों पक्षों को शून्येतर संख्या ४, से गुणा करने पर ] या (०9, - 5,0,) 7 8८, - 8,९, (3) इसी प्रकार,» का निराकरण करने पर, हमें प्राप्त होता है : (69, 5 ०,9,) # 7 26,- ०६| (4) अब (3) और (4) को देखिए, जिनमें से प्रत्येक एक चर वाला रेखिक समीकरण है (एक » में और दूसरा » में)। इन्हें देखकर यह इच्छा होनी स्वाभाविक है कि इन्हें ८(8,-०,९, से विभाजित कर, » और » के मान प्राप्त कर लिए जाएँ। परंतु यहाँ एक चेतावनी सामयिक होगी। विभाजन केवल शून्येतर संख्या से ही किया जा सकता है। इसलिए हम इन दो स्थितियों में विभेद करेंगे : स्थिति |:. 40.7 50 # 0 ह | इस स्थिति में, (3) और (4) को 4४,- ०,१, से भाग देने पर, हमें « तथा » के ये मान प्राप्त होते हैं ; 9५०-# ० हु ८ 9,/-०2 8 ०]6४2 “८2 4 6] 8-7 4; 8 और आस हम इन संबंधों को पुन; इस प्रकार लिख सकते हैं ; ५ ] 82८,-0, ८... 6, 8,- ०, 6 ४ (5) | ] और 0 242:-2,०.... 0[0/-4;0 (6) 240 5 मम की मन मम कम मर हट अजय न गणित क्योंकि (5) और (6) के दाएँ पक्ष एक से हैं, इसलिए हमें प्राप्त हुआ : हल है ] 2922-79) 2 €[677567 ८7 हर ० 82 7०५ 8 हि) इस प्रकार, स्थिति [ में » और » के मान, (7) को सूत्र मानकर प्राप्त किए जा सकते हैं। आरंभ में, सूत्र (7) को स्मरण कर लिखने के लिए आगे बताई गई युक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। (बाद में, अभ्यास से आप यह संबंध अपनी विधि से स्वयमेव बिना सोच-विचार के लिखने में समर्थ हो जाएँगे।) दी हुई समीकरणों को निम्न रूप में लिख सकते हैं : | के 89, ,. 9 + ८, .70 और 4, .४+ 8, . /+ ८, .[50 अब ०, 4, को » के गुणांकों के रूप में देखिए, 8,, 8, को » के गुणांकों के रूप में देखिए, ८.०, को । के गुणांकों के रूप में देखिए (क और निम्न प्रकार लिखिए : हि है ] ध ] 9 | ष 4, 0, ही गुणांकों के पहले दो स्तंभों को अंत में जोड़कर, हि है 6, 9, ८, ध् 8, (, 9, रा रू 8, प्राप्त कीजिए। अब नीचे दिखाए अनुसार त्तीर खींचिए ; हर की या रे | का आओ हा ध्ा ््ट् धा 6 | छ | टः ] 6 क। ह। ८ हे 2] हु श्र 6. 0. 4, 8५ 22 8५ है 8. | 4; 9, 0, 0. >९' (९ का हर) (9 का हर) (| का हर) आकृति ,8 (8) .... आकृति 3,8 () आंकूँति .8 (९) दो घरों वाले रैखक समीकरण प्रत्येक स्थिति में, अधोमुखी तीर ( ५५ ) धन चिह्न वाला पद और ऊर्ध्वमुखी तीर ( »/) ऋण चिंहन वाले पद को दर्शाता है। इस प्रकार, रॉ #[८:-8) 2 मम ही कर 4] 87-62 8 न 8 प्राप्त होता है। अब समानता चिहन लगाते ही, हमें निम्न संबंध प्राप्त हो जाते हैं : भर हि » ] 9००-6022८ ०0१०-८० ०। 4, 889 - 42 8 क्योंकि हर, गुणांकों के वज़-गुणन (6०58 #॥४777267०॥) से प्राप्त किए गए हैं, इसलिए रैखिक समीकरणों के निकाय को हल करने की यह विधि वज्ज-गुणन की विधि कहलाती है। एक बार जब ऊपर की युकति ठीक से समझ ली जाएं, तो आकृतियों .8 (४) -- .8 (०) की इस प्रकार एकीकृत किया जा सकता है : कक द 2 4 ९ ५ । ध् हे 5, आकृति ,9 अतावनी : संबंधों (7) का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। बहुधा समीकरण और [अत 8|/+८, 7 0 ] () और 4,> +े 0, १ + ८, ₹ के रूप में न होकर, मै 4४7 2%5० रा (8) ः 4, + 8,१7८, के रूप में दिए जाते हैं। यदि समीकरण रूप (४) में न लिखे जाकर रूप (8) में लिखे गए हों, तो आकृति ।.9 को निम्नलिखित आकृति में परिवर्तित करना होगा : 2... २. नन्ज- ्ट' ८ । ध् 7 । 2 83 ० 9, 9, आकृति ॥.0 उदाहरण 8 : निम्नलिखित समीकरण-निकाय को हल कौजिए : 2%४-39+ [ 5 0 3%४+ 49-35 50 हल : आकृति .9 को देखिए। हम » के गुणांकों (8,, 8.) से लिखना आरंभ कर, अचर पद (०, ०) लिखते हैं, और फिर » के गुणांक (८,, 6), और फिर अंत में पुनः » के गुणांक (0,, 8,) लिखते हैं। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है (आकृति .) : ४ बी - >> हे 2 3 >५ >९ 2६ 4. +-5 3 4 आकृति ॥.] संबंधों (7) के अनुसार लिखने पर, हमें निम्न मान प्राप्त होंगे : मम म न. कतमममशिम! पा किलीलि रनललल 2, मल (ऋत्ज-पव्तरा क्5--छेटठ 2%4-5%एओ) जी 5 2 तर [हब उन्तात0े 2-८9 आर , गक गा आए ]] और ]3 < >-- और #< --- कप आह ता आप सत्यापित कर सकते हैं कि और » के ये मान, दिए गए समीकरणों को संतुष्ट करते हैं। अत: हल सही है। सिलाति की : 60, - ०,0, 5 0। इस स्थिति में, & और » के मान प्राप्त करने के लिए, हम समीकरणों (3) और (4) को ०2 १, “०, 2, से विभाजित नहीं कर सकते। यदि 4.9, -- 4,8, 0, तो 60, ₹ ०,8| दर 6 बयोंकि या जल जी [क्योंकि ८, € 0, 8, # 0] है” 2 धर 6 माना कि हक 77<* है (४0)! 2! 2 तब ० 5 # ०, और ४, 5 # 2, होगा। अब दो संभावनाएँ हैं : संभावना 4: ८ 5#८, इस दशा में, समीकरण () बन जाता है : व, + #0,2+ 2, 50... [क्योंकि 6 5 #4,, 2, 5 #2, और ०, ८ #८,] या 4(०,>+ 8,2+ ०) 50 या 4,» + 8,9+7 ८, 5 0, [क्योंकि £ 0] ह जो और कुछ नहीं, समीकरण (2) ही है। इस प्रकार, प्रत्येक समीकरण का कोई भी हल दूसरे समीकरण का भी हल है। अतः निकाय के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे संभावना 2: ८, # 2, इस दशा में, समीकरण ([) से प्राप्त होता है : प्व,४ + #2,2+ ८; 50... (क्योंकि 45 #०,, 2.5 78, ) या ८(०,४+ 8,9)+ 2८/ 5 0 या £(-८,)+ ०5० [समीकरण (2) से] या ढ्त /्ट, जो सही नहीं है। अतः इस दशा में कोई हल नहीं है। इस अनुच्छेद के विचारों का सार-संक्षेप इन दो नियमों में स्पष्ट हो जाता है : नियम & : समीकरण-निकाय 22 ध,% + 0,9 + ८,०0० का केवल एक हल अर्थात् अद्वितीय हल होगा, यदि 6,8, -4,0, & 0 हो। 8 (0) अर्थात् यदि का कर हो। भमियम 8 : यदि न प्र रो ल् / (माना) हो, तो समीकरण-निकाय (/) 2 0) के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे, यदि ८, #ट, हो। (४) का कोई हल नहीं होगा, यदि ८, # #८, हो। इस अध्याय में, हम स्वयं को उन्हीं समीकरण-निकायों तक सीमित रखेंगे जो नियम & के अंतर्गत आते हैं, अर्थात् जिनके लिए ०|8,-०,१, # 0 है। उदाहरण 9 : निम्नलिखित समीकरण-निकाय को वज्ज-गुणन की विधि से हल कौजिए ; 6४-93 पद्ध+ 49 9 हल : यहाँ 6, 56, 8 5-, 6, 57 और ४, 5 4 है। अत: 60, > 4,0, * 6 & 4-7 » (-) ३|#0 अत; दिए गए समीकरणों का एक अद्वितीय हल है। अब आकृति .0 की योजना के अनुसार (देखिए आकृति .2), हमें प्राप्त होता है : हि शिलल ली 5. मम अमन 5 कर जल वन, लिप या: “मम (-4)09)-(4)(3) (3)07)-09)॥6) (७(4)-(7)7) न हे हा 5 2 है -9-2 आडि वअऋणता ज्र्ट हि ही 5 अपर या 2 5 0०] आकृति .2 (९ [।#क् र्ट्व का बढ घर ा | न्प रत सं डॉ दर ग। 4 र् 2 रथ ] जि 2] कक । 4४ नी धुए+ 37 0 2:+39+ 750 का एक अद्वितीय हल होगा? हल : यहाँ 654, 4, 5 2, 8, 5 ०, 2, 53 है। अत: 40,-4५,9, 742 3-2» ८ च्व2-टखेध दिए गए निकाय का अद्वितीय हल होने के लिए, 42- 24 # 0 या ६0 अतः 6 के अतिरिक्त, ८ के सभी मानों के लिए, दिए गए समीकरण-निकाय का एक अद्वितीय हल होगा। प्रश्नावली .3 निम्नलिखित समीकरण-निकायों को वच्भन-गुणन विधि से हल कीजिए ; . 2४+ 39४7 2. 3:- 595 20 6४-59 |] 75:+ 295 7 3, 7४-29₹3 ््ि 4. 6&+ 595॥] 3 ]% - उ7 न्न्छै 9%+ 09 7 2] 2 5. 4६+ 795 0 6. 4८+ यु 7-0 35 ]0%४ - यूएत265 6४ - 9+ 25-70 # के ऐसे मान ज्ञात कीजिए जिनके लिए निम्नलिखित समीकरण-निकायों का एक अद्वितीय हल हो : है. 7४7 2५535 9, 7४7 3५57 . उड्क 9 | ह 22-97 6 40. 9:+ 79 -[50 ], 7४-5/-4 7 0 ' 32 + 49-27 0 ]4८+ 7४+ 47 0 ४ और » में निम्नलिखित रैखिक समीकरण-निकायों को हल कीजिए : 42, 4४+ 899- ६+ 97 0 43., ४+9५-(ध+ 0) 5 0 . 0४-६/9- 4-82 ₹ 0 40 - 87 - (४८- 87?) 5 0 ]4., ८6(४+ 9) + #/४- 9) - (४/ - &8 + 87) 5 0 ब(८ + 9) - (४-३) - (व + ६8 + 2?) 5 0 | 9.9 पक “-+<“++-2+50 ५, +++-54०+8 5. हर 6 अर 32 _ ध४- 89 + 9/ - ८१ 5 0 7 हक दो ।7. +-<२ ८0 *... 8, ८८+ 8/5 ८ 7 | व ने 8/ 5 ८? +॑ 8! 8४ + ६५०७ + ८ 9., (ध- 2)2 + (६ + 9)/ 5 6- 240 - 8? (ध + 89) (६+ 9) 5 ८ + 8? [6 व्यावहारिक समस्याओं में अनुप्रयोग जैसा पहले कहा गया है, रैखिक समीकरण-निकायों को हल करने में हमारी रुचि का कारण यह है कि अनेक प्रकार की व्यावहारिक समस्याओं को हल करने के लिए हमें रैखविक समीकरणों के किसी निकाय को हल करना पड़ता है। अब ऐसी कुछ समस््याएँ हल की जाएँगी। उदाहरण || : पुत्र की आयु (वर्षों में) का दुगुना, पिता की आयु में जोड़ने पर योगफल 90 प्राप्त होता है। पिता की आयु (वर्षों में) का दुगुना पुत्र की आयु में जोडें, तो योगफल ॥20 प्राप्त होता है। पिता और पुत्र की आयु ज्ञात कीजिए। हैँश; मान लीजिए कि पुत्र की आयु > > वर्ष और पिता की आयु 5 » वर्ष |] चंरों वाले रैसिक समीकरण... नकल ल लदिय 3०-९० न खत पी िमय 5 पतन गन मिल मम ल् पा मपरला क 5 27 तब वर्षों में, पुत्र की आयु का दुगुना ८2% दिया है कि पुत्र की आयु का दुगुना+ पिता की आयु - 90 या 2:+ 9 90 () इसी प्रकार, दूसरे प्रतिबंध से प्राप्त होता है : - %+ 29520 (2) (।) और (2) को जोडने पर, 3%+ 395 20 या &+ 9 70 (3) समीकरण () और (2) को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है : &४+ (४+ 9) 5 90 (४+ 9) + 97 20 या 20 । [क्योंकि (3) से ४+#»>१0] और ञ»₹50 इस प्रकार, पुत्र की आयु 20 वर्ष ओर पिता की आयु 50 वर्ष है। डिप्पणी : समीकरणों () और (2) को आप किसी भी विधि से हल कर सकते हैं। यह सुझाव भी दिया जाता है कि आप प्राप्त हल (हलों) का दिए गए प्रतिबंधों से सत्यापन कर लें। उद्दाहरण 42: दो अंकों बाली एक संख्या और उसके अंकों का क्रम पलटकर प्राप्त होने वाली - संख्या का योगफल 0 है। इस संख्या के अंकों का अंतर 6 है। ऐसी कितनी सख्याएँ हैं? ये सभी संख्याएँ ज्ञात कीजिए। हल : माना कि संख्या के दहाई और इकाई के अंक क्रमश: » और » हैं। तब विस्तृत संकेतन (०५००११०0 7००७४००) में इस संख्या को लिखा जा सकता है : 0%+ 9 (मूल संख्या) अंकों को पलटने पर » इकाई का, और » दहाई का अंक बन जाता -है। विस्तृत संकेतन में यह 0/+ » (अंक पलटने पर) अतः प्रश्नानुसार, हमें प्राप्त होता है : (0:+ 9) + (09+ ») 5 0 या ] (४+ 9) 70 या &४+9770 () यह दिया गया है कि अंकों का अंतर 6 है। अत; यातो >-95-6 (2) ' और या एछए-<चत06 (3) यदि ४-9 6, तो () और (2) को हल करने पर, >नत 8, १52 इस दशा में संख्या 82 हुई यदि #-»> 6, तो () और (3) को हल करने पर, >₹2, ? 8 इस दशा में संख्या 28 हुई। इस प्रकार, ऐसी दो संख्याएँ 82 और 28 हैं। आप सत्यापित कर सकते हैं कि 82 और 28, दोनों ही इस समस्या के प्रतिबंधों को संतुष्ट करती हैं। जब समस्या के एक से अधिक हल हों, तब उन सभी हलों को ज्ञात करना चाहिए। अप.» + 7, किसी भिन् के अंश को 2 से गुणा करने और इसके हर में 2 जोड़ने पर, यह भिन्न 7 हो जाती है। किन्तु दूसरी ओर, हर को 2 से गुणा करने पर और अंश में 2 जोड़ने से ] यह: रह जाती है। यह भिन्न क्या है? ४एु : माना कि भिन्न के अंश और हर क्रमश: # तथा 4 हैं, जिससे कि भिन्न रा हुई। दिए ४ दो चरों वाले रैखिक समीकरण गए प्रतिबंधों के अनुसार, 20 . _ 6 और #+2 रु है 4+2 7 24... 2 है 3 #+2 - -_. और ज। या धे+2 7 वें या पार 3(.+2) और #+2ल् दूसरे समीकरण में से पहले समीकरण में ४-5#+2 रखने पर, फऋररू3((0+2)+2) सा 793४ + !2. या 48 नौ ]2 या #च्ठे धंच्आक 255 ३ अत: अभीष्ट भिन्न दर है। 293 5+2 22% आल कह । | 32+2 . 2. बल | 575 767 उः जैसा कि दिया गया है। अत: हल सही है। 6 खायापन : न ञ और जदाहण ॥० : माला ने 5 कुर्सियाँ और 2 मेजें 625 रु की खरीदीं। रेशमा ने | मेज और 2 कुर्सियाँ 750 रु की खरीदीं। प्रति कुर्सी और प्रति मेज, मूल्य ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए कि एक कुर्सी का मूल्य & रु और एक मेज का मूल्य » रु है। तब 5 कुर्सियों का मूल्य 5£ रु और 2 मेजों का मूल्य 29 रु होगा। इस प्रकार, माला द्वारा किया गया कुल व्यय हुआ : ह | 50र+29रु या (5+2गरु: क्योंकि माला ने कुल 625 रु व्यय किए, अतः 5डझ + 29 ₹ 625 () अब रेशमा की 2 कुर्सियों और । मेज की खरीद पर विचार करने से प्राप्त होता है ; 2%+ 95 750 (2) (।) और (2) से दो चरों वाले रैखिक समीकरणों का एक निकाय प्राप्त होता है। इस निकाय को हल करने पर प्राप्त होता है : ४ ]25 और 9500 इस प्रकार, वांछित मूल्य 25 रु प्रति कुर्सी और 500 रु प्रति मेज हुआ। ध् ऊपा जेसी समस्याओं के हल के लिए कुछ लाभए्द सुझाव : . उन अज्ञात राशियों की पहचान कीजिए जिनके विषय में कुछ सूचना दी गई है। इन राशियों को », », 2», 4 आदि जैसा कोई चर नाम दीजिए। 2. सुनिश्चित कीजिए कि ऊपर वाले चरों में किस-किस का मान ज्ञात करना है। 3, एक-एक वाक्यांश पर ध्यान देते हुए, प्रश्न को पुनः पढ़िए। प्रत्येक वाक्यांश इन चरों में जो संबंध, अर्थात् समीकरण सुझाए, उसे लिख लीजिए। 4. अब प्रश्न में पूछे गए चरों के लिए समीकरणों को हल कर लीजिए। प्रणश्नावली ॥,4 . राम की आयु रहीम की आयु की तीन गुनी है। पाँच वर्ष बाद राम की आयु रहीम की आयु की ढाई गुनी होगी। राम की और रहीम की आयु इस समय क्या है? 2. पाँच वर्ष पहले नीता की आयु, गीता की आयु की तीन गुनी थी। दस वर्ष पश्चात् नीता की आयु, गीता की आयु की दुगुनी होगी। इस समय नीता की और गीता की आयु क्या है? 3. किसी भिन्न के अंश और हर दोनों में से प्रत्येक में यदि जोड़ दें, तो वह दि बन जाती है। परंतु यदि प्रत्येक में से 5 घय दें, तो वह यर हो जाती है। वह भिन्न ज्ञात कीजिए। 4. किसी भिन्न के अंश में । जोड़ने और उसके हर में से | घटाने पर प्राप्त होता है। यदि यह भी ज्ञात हो कि उसके अंश में जोड़ने पर ये प्राप्त होता है, तो भिन्न क्या होगी? 5. किसी भिन्न के हर में 5 जोड़ने और उसके अंश में से 5 घटाने पर दि प्राप्त होता है। यदि उसके अंश में से 3 घटाया जाए और उसके हर में 3 जोड़ा जाए, तो नर प्राप्त होता है। वह भिन्न ज्ञात कीजिए। $ दो चरों वाले रैखिक समीकरण...........................-.-----------००_न----नन-न-नननननननननननलननिननननलननननतन नमन 3] 6 0. 4, 2., 3. 4. दो अंकों वाली एक संख्या के अंकों का योग 8 है। अंकों को पलटने पर प्राप्त होने वाली संख्या दी गई संख्या से 36 अधिक है। वह संख्या ज्ञात कीजिए। दो अंकों वाली एक संख्या के अंकों का योग 9 है। इस संख्या का नौ गुना अंकों को पलटने पर प्राप्त संख्या का दुगुना है। वह संख्या ज्ञात कीजिए। दो अंकों वाली एक संख्या का सात गुना, संख्या के अंकों को पलटने पर प्राप्त होने वाली संख्या के चार गुने के बराबर है। यदि संख्या का एक अंक उसके दूसरे अंक से 3 अधिक हो, तो वह संख्या ज्ञात कौजिए। | दो श्रव्य (ऑडियो, 00४0०) और तीन दृश्य (वीडियो, ४४१००) कैसेटों का मूल्य 340 रु है। परंतु तीन ऑडियो और दो वीडियो कैसेटों का मूल्य 260 रु है। एक ऑडियो कैसेट का और एक वीडियो कैसेट का अलग-अलग मूल्य ज्ञात कौजिए। तीन कुर्सियों और दो मेजों का मूल्य 850 रु है। पाँच कुर्सियों और तीन मेजों का मूल्य 2850 रु है। दो कुर्सियों और दो मेजों का मूल्य ज्ञात कौजिए। स्टेशन & से स्टेशन छे के 2 टिकटों और स्टेशन & से स्टेशन (: के 3 टिकटों के लिए 795 रु देने पड़ते हैं। परंतु स्टेशन & से 8 के 3, और & से (! के 5 टिकटों के लिए कुल 300 रु देने पड़ते हैं। स्टेशन & से 8 का और स्टेशन & से (४ तक का किराया ज्ञात कीजिए। लंबाई को 5 मात्रक घटाने और चौड़ाई को 3 मात्रक बढ़ाने से एक आयत का क्षेत्रफल 9 वर्ग मात्रक कम हो जाता है। परंतु यदि लंबाई को 3 मात्रक और चोडाई को 2 मात्रक बढ़ाया गया होता, तो उसका क्षेत्रफल 67 वर्ग मात्रक बढ़ गया होता। आयत की लंबाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए।. यदि एक आयत की लम्बाई को 2 मात्रक बढ़ा दें और उसकी चौड़ाई को 2 मात्रक घट दें, तो उसका क्षेत्रफल 28 वर्ग मात्रक घट जाता है। यदि लंबाई को ! मात्रक कम कर दें और चौड़ाई को 2 मात्रक बढ़ा दें, तो क्षेत्रफल 33 वर्ग मात्रक बढ़ जाता है। आयत की विमाएँ ('तल्ााह्अं०१४) ज्ञात कीजिए। एक व्यक्ति किसी मासिक वेतन विशेष पर नौकरी आरंभ करता है और प्रत्येक वर्ष उसके वेतन में एक नियत वृद्धि होती रहती है। यदि 4 वर्ष नोकरी करने के पश्चात् उसका वेतन 4500 रु हो और 0 वर्ष नौकरी कर लेने के पश्चात् उसका वेतन 5400 रु हो, तो उसका आरंभिक वेतन और नियत वार्षिक वृद्धि ज्ञात कीजिए। ह । 32400 45. 6. [7. 8, 9. 20. 24. पल 3 07 88 गे ० जि रा 2 52 20 8:70 दल 0 न कपल शक 277 कर 37020 00% 00,276 गणित रेल के आधे टिकट का किराया पूरे टिकट के किराए का आधा है और इस पर आरक्षण-शुल्क वही है जो पूरे टिकट पर है। स्टेशन & से स्टेशन 8 के एक आरक्षित प्रथम श्रेणी के टिकट के 225 रु लगते हैं तथा & से 8 तक एक आरक्षित प्रथम श्रेणी के पूरे टिकट और प्रथम श्रेणी के ही एक आरक्षित आधे टिकट के कुल मिलाकर 3200 रु लगते हैं। स्टेशन & से 8 तक पूरा किराया और आरक्षण-शुल्क, पृथक्-पृथक् ज्ञात कौजिए। 0 ४30 में, (5 3.3 52 (2#& + 23) है। तीनों कोण ज्ञात कीजिए। [संकेत : /#& + 28 + <(5 80%] दो अंकों बाली एक संख्या या तो अंकों के योगफल को 8 से गुणा कर उसमें । जोडने से प्राप्त होती है या अंकों के अंतर को 3 से गुणा कर उसमें 2 जोड़ने से प्राप्त होती है। संख्या ज्ञात कीजिए। ऐसी कितनी संख्याएँ हैं? एक चक्रीय चतुर्भुण ७800 में, 2७ 5 (2:+ 4)", 23 5 (9 + 3)" , 20 5 (29 + 0)" और “0 & (4६- 5)" है। चारों कोण ज्ञात कीजिए। एक राजमार्ग पर दो बिंदुओं & तथा छ के बीच 00 किमी की दूरी है। एक ही समय पर, एक कार # से और एक अन्य कार 8 से चलती है। अपनी-अपनी नियत चालों से ये कारें एक ही दिशा में चलती हुई 5 घंटे में मिलती हैं। यदि ये कारें एक-दूसरे की ओर चलें, तो घंटे में ही मिल जाती हैं। दोनों कारों की चालें ज्ञात कीजिए। एक व्यक्ति नदी की धारा की दिशा में 2 घंटे में 20 किमी और धारा के विरुद्ध 2 घंटे में 4 किमी नाव चला सकता है। स्थिर जल में इस व्यक्ति की नाव चलाने की चाल और धारा की चाल ज्ञात कीजिए। [ संकेत : यदि नाव की चाल स्थिर जल में » किमी प्रति घंटा और धारा की चाल 9 किमी प्रति घंटा हो, तो धारा के विरुद्ध चाल (४-3) किमी प्रति घंटा, और धारा के साथ चाल (४+3) किमी प्रति घंटा होगी। ] एक व्यक्ति 4 घंटे में धारा के विरुदूध 8 किमी और धारा के साथ-साथ 24 किमी नाव चला सकता है। 4 ही घंटे में वह धारा के साथ-साथ 2 किमी और धारा के विरुद्ध ।2 किमी नाव चला सकता है। इस व्यक्ति की स्थिर जल में नाव चलाने की चाल और धारा की चाल ज्ञात कीजिए बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापतवर्त्य 2.] भूमिका आप जानते हें कि ध् +॑ व्का। न॑...7 6, ऐप 4 जैसे बीजीय व्यंजकों को एक चर » में बहुपद (#0//४०#74/5) कहते हैं, जहाँ कि () केवल एक चर » आता हो और # (20) एक पूर्णाक हो, और (0) ७५ ०५-७५ ८, ., ०, वास्तविक संख्याएँ हों। उदाहरणत;, 2£2+ 3::-4 चर » में एक बहुपद है। #-9+5, चर » में एक बहुपद है। बहुपद में चर का अधिकतम घातांक (७७०॥०४) बहुपद की घात (4८४/८८) कहलाता है। इस प्रकार, 0/ - 2/7+ 37 की घात 3 है। अचर घात 0 के बहुपद समझे जाते हैं। इस प्रकार, 0 घात 0 वाला बहुपद है, क्योंकि ।0 को हम 0ऋ" लिख सकते हैं। इस अध्याय में, हम केवल पूर्णाक गुणांकों वाले बहुपदों पर ही विचार करेंगे। चर > वाले बहुपदों के लिए हम /), 8(७), 7(»), #(:) इत्यादि जैसे व्यंजकों का प्रयोग करेंगे। आप संख्याओं के लिए प्र0# (पा8॥०४ (0०४४०! 7४००/महत्तम समापवर्तक) और [00 ([.0ए6४ (070 )/०।४७।७४/लघुतम समापवर्त्य) की धारणाओं से परिचित हैं। इस अध्याय में, हम बहुपदों के प्४७ और [/ की धारणाओं का अध्ययन करेंगे। 2.2 बहुपदों के गुणनखंड याद कीजिए कि यदि कोई बहुपद /(»), किन्हीं दो या दो से अधिक बहुपदों 2(४) और #(0) आदि का गुणनफल हो, तो 8(४) और #(७) आदि में से प्रत्येक /४) का एक गुणनखंड कहलाता है। उदाहरणत:, यदि ७0) 5 2.0 - 0४+ 2 हो, तो हम /) को निम्न प्रकार भी लिख सकते हैं : (४) 5 2(४- 2) (४- 3) अतः 2, ४-2 और ४-3 तीनों /(») के गुणनखंड हैं। हम (&) को निम्न प्रकार भी लिख सकते थे ; ४) 5-2 (3-७) (७-2) इस प्रकार, -2 और 3-& भी /») के गुणनखंड हैं। वास्तविकता यह है कि यदि ४(४) किसी बहुपद /) का गुणनखंड हो, तो - ४८0) भी /(४) का गुणनखंड होता है। सामान्यतः, बहुपदों पर विचार करते समय हम 2(७) और -2(») में से उसे चुनते हैं जिसमें » के अधिकतम घातांक वाले पद का गुणांक धनात्मक हो। इस प्रकार, ऊपर बाले बहुपद 8(४) के संदर्भ में, यह कहने की अपेक्षा कि 3-», 7) का गुणनखंड है, हम यह कहना अधिक पसंद करेंगे कि &--3, /00 का गुणनखंड है। ह याद कीजिए कि जहाँ तक संख्याओं का प्रश्न है, पद भाजक और गुणनखड, दोनों का तात्पर्य एक ही होता है। इस प्रकार, कथन '3, 6 का भाजक है? का अर्थ वही है जो कथन “3, 6 का गुणनखंड है' का है। संख्याओं की ही भाँति, बहुपदों के गुणनखंडों को भी इनका भाजक कहा तो जा सकता है, किन्तु हम भाजक की तुलना में पद गुणनखंड को वरीयता देंगे। 2.3 बहुपदों का महत्तप समापवर्तक बहुपदों “0 5 2(४- 2) (६-4) (2४- ) और 8(0) 5 8 (४- 2)) (2४- ) (3४+ ) पर विचार कीजिए। हम देखते हैं कि (४-2), //) और &(0 दोनों का गुणनखंड है। हम कहते हैं कि (६-2), /(() और 28(०) का सार्व गुणनखंड है। (2४-) भी /(9 और &60 दोनों का ही गुणनखंड है। अर्थात् (४-॥) भी /0 और 20) का सार्व गुणनखंड है। क्या कोई और भी सार्व गुणनखंड हैं? हाँ, 2 और (४-2)? कुछ और सार्व गुणनखंड हैं। पुन, #() 5 2(४- 2) (2४ - !) भी /(४) और ४८४) का सार्व गुणनखंड है, क्योंकि 00 5 [2(४-2) (२४ - )) (८-4) 5 7() ७-4), 8७) 5 [2(- 2)? (22 - 7)] (4(७- 2) (3५ + ॥)) ८ /(७) (4(७- 2) (3४ + )) क्या /(४ और &8(४) का कोई ऐसा सार्व गुणनखंड है जो /() में निहित नहीं है? निश्चित रूप से नहीं। कारण यह है कि 7(४) के शेष गुणनखंड (५-4) में और ४(४) के शेष गुणनखंड (4(४-2) (3४+ )) में कोई सार्व गुणनखंड नहीं है। इस कारण यहाँ /() को /(0) और &00 का सबसे बड़ा सार्व गुणनखंड अर्थात् महत्तम समापवर्तका (प्राह/८४ (७#क्लाछत #वरट॑ं०) या प(छ कहते हैं। ध्यान दीजिए कि सार्व गुणनखंडों 2, ४-2, (४-2), (2४-) में से प्रत्येक /(.0 का गुणनखंड है। ' ... सामान्यतः, #(0 को बहुपदों /0) और ४800 का प्र कहते हैं, यदि . #(७), 0) और 8(७०) सार्व गुणनखंड हो, 2. [0 और 8(0) का प्रत्येक सार्व गुणनखड #(४) का भी गुणनखड हो। अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि दो बहुपदों के प्र८7 से क्या तात्पर्य है, हम पलट ज्ञात करने की विधि पर ध्यान देंगे। आरंभ करने के लिए यह देखा जाए कि संख्याओं के संदर्भ में हम क्या करते हैं। दो दी गई संख्याओं, माना 36 और 54 का प्र" ज्ञात करने की एक विधि निम्नलिखित है : चरण | : प्रत्येक संखया को अभाज्य संख्याओं के घातांकों के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए। उदाहरणत:, 36 5 22 » 32 5452 » 33 अरण 2 : यदि कोई सार्व अभाज्य गुणनखंड न हो, तो (४, होगा। यदि कोई सार्व अभाज्य गुणनखंड हों, तो दी गई संख्याओं के अभाज्य गुणनखंडन में आने वाली प्रत्येक अभाज्य संख्या का न्यूनतम घातांक ज्ञात कौजिए। उदाहरणत:, 22 32 तथा 2 » 3? में 2 एक अभाज्य सार्व गुणनखंड है और 2 का न्यूनतम घातांक [ है। 3 एक अभाज्य सार्व गुणनखंड है और इसका न्यूनतम घातांक 2 है। चरण 3 : अभाज्य सार्व गुणनखंडों को, इनके ज्ञात किए गए न्यूनतम घातांकों के साथ लेते हुए, गुणा कर, प्र प्राप्त कीजिए। उदाहरणत:, ऊपर ली गई संख्याओं 36 और 54 के संदर्भ में, (0) सार्व अभाज्य गुणनखंड 2, न्यूनतम घातांक [ (7) सार्व अभाज्य गुणनखंड 3, न्यूनतम घातांक 2 पक <८2! * 32८ ]8 बहुपदों में, अभाज्य गुणनखंड के स्थान पर अखंडनीय (#7८४४८४४४८) गुणनखड का प्रयोग किया जाता है। एक अखंडनीय गुणनखंड के और स्वयं के अतिरिक्त कोई अन्य गुणनखंड नहीं होते। इस अर्थ में अखंडनीय गुणनखंड को सरलतम गुणनखंड कहा जाता है।उदाहरणत:, &+3 अखंडनीय है। 2:+ 4 अखंडनीय नहीं है, क्योंकि 2:+4 - 2(४+ 2) है। >!+ | अखंडनीय है, क्योंकि इसके आगे गुणनखंड नहीं किए जा सकते। इस तथ्य पर भी ध्यान दीजिए कि ऊपर बताए गए अर्थ में प्रत्येक अभाज्य सख्या भी अखडनीय है। अब दिए गए दो (या अधिक) बहुपदों का प्८फ ज्ञात करने के लिए एक सुविधाजनक विधि दी जा सकती है, जिसके विभिन्न चरण निम्न हैं : ' अरण | : प्रत्येक बहुपद को अखंडनीय गुणनखंडों की घातों के रूप में व्यक्त कीजिए (यह आवश्यक होगा कि संख्यात्मक गुणनखंडों को भी अभाज्य संख्याओं की घातों के रूप में व्यक्त किया जाए)। चरण 2 : यदि कोई सार्व गुणनखंड न हो, तो 07, होगा। सार्व अखंडनीय गुणनखंड होने की दशा में, दिए गए बहुपदों के गुणनखंडनों में इन गुणनखंडों के न्यूनतम घातांक ज्ञात कीजिए। चरण 3 : सार्व अखंडनीय गुणनखंडों को, चरण 2 में ज्ञात किए गए न्यूनतम घातांकों के साथ लेते हुए, गुणा कर प्र(% प्राप्त कीजिए। अब दो या दो से अधिक बहुपदों का (9 ज्ञात करने के प्रक्रम को उदाहरणों द्वारा समझाया जाएगा। बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापवर्त्य...............................--.-५--०---०--न_-ननगनन>लनननतननररलननन तन 37 उदाहरण | : बहुपदों 30(४2 -- 3:+ 2) और 50(2 -2:+ ) का प्त( ज्ञात -कीजिए। हल ; माना कि 7025 30 (४ - 3:+ 2), 800 5 50 (४ - 2४ +) चरण | : /() और ४&(७ को अखंडनीय गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखने पर, 00722 3 %< 35 < (४-) * (४-2), 80072 < 57 » (६- )* चरण 2: /(४) तथा 20») के सार्व अखंडनीय गुणनखंड और इनके न्यूनतम घातांक हैं : सार्व अखंडनीय गुणनखंड . न्यूनतम घातांक 2 ] 5 ] ऊज-+ई चरण 3; प्त्कर-2/#5 »& (४-])' +]0(%४-) अभ्यास से, बहुपदों का अखंडनीय गुणनखंडों में गुणनखंडन करने के पश्चात् , इनका प्रएफ़ आप सीधे ही लिख पाएंगे। यह नीचे दर्शाया गया है : उदाहरण 2 : /(५) < 33 (2४+ 3)? (3४ - 4)! (4६४ - 5) और 200) 522 (४+ ) (2४+ 3) (4६४- 5)? (4४2 - 9) का प्र" ज्ञात कीजिए। हल; 00 53३3 < [ (2४+ 3) (3४ - 4)? (45 - 5) 8०0) 7 2 < ] (४+ ) (22+ 3) (45- 5) (2४ + 3) (22 - 3) ' ८2 » ]] (६+ ) (2%+ 3) (2%- 3) (५-5)? यहाँ सार्व अखंडनीय गुणनखंड [, 2:+ 3 और 45- 5 हैं। इन गुणनखंडों के न्यूनतम घातांक क्रमश: , 2 और 2 हैं। ह पर(ए < ]! & (2४+ 3)? & (4४- 5)? न ]] (2£+ 3)? (4४- 5)? उदाहरण ३ : बहुपदों | /(४ 5 6(७+ 3%2 (४ - 6) (/++ 9४+ 8) और 2800 5 800 + 4%) (७ + 68+ 9)? का पछ८फ़ ज्ञात कौजिए। हल : ऐसा लगता है कि यहाँ /(0) और ४(0) पहले ही अपने गुणनखंडित रूप में हैं। किन्तु ध्यान दीजिए कि गुणनखंड अखंडनीय नहीं हैं। स्तन ज्ञात करने के लिए, बहुपदों को इस प्रकार गुणनखंडित करते हैं कि गुणनखंडों का आगे और गुणनखंडन न किया जा सके। घात दो या अधिक वाले गुणनखंड के लिए यह संभावना होती है कि वह दो या दो से अधिक रैखिक गुणनखंडों का गुणनफल हो। अब (०2 5 6(& + 32) (४7 -- 6) (४४+ 9४ + 8) ८०223 (४ (४+ 3)) (४-4) (४+ 4)) ((४+ 6) (४+ 3)) 52 23 ४? (६+ 3)? (६-4) (४+ 4) (४+ 6) और 22) 8 (४ + 4) (४१ + 6४ + 9): 27 (डो (४+ 4)। (७+ 3) न 27 हो (४+ 4) (४ + 3) इस प्रकार, सार्व अखंडनीय गुणनखंड 2, », ४+3 और »+4 हैं। साथ ही, इनके संगत न्यूनतम घातांक क्रमशः , 2, 2 और हैं। अतः, पट 2४ (४+ 3) (६+ 4) है। टिप्पणी : सार्व अखंडनीय गुणनखंड और इनके संगत न्यूनतम घातांक मन में ही निश्चित किए जा सकते हैं। इसके पश्चात् प्रः# सीधे ही लिखा जा सकता है। उदाहरण 4 ; बहुपदों “७05 0(४+ ) (४- 3)), 80) 5 5 (७-2) (४- 3)? और ॥#(00 5 25 (४+ 5) (४ - 9) का प्न07 ज्ञात कौजिए। हल : यहाँ निम्नलिखित तीनों बहुपदों में सार्व अखंडनीय गुणनखंड और इनके न्यूनतम घातांक ज्ञात करने हैं : ७) ₹ 2 २ 5 €४ (७+ ) < (४- 3) 8) 53 ४ 5 & (४- 2) * (७-३3) #(0 557 « (६+ 5) * ४-3) अत;, छ(फ + 5(४- 3) प्रश्नावली 2, . निम्नलिखित बहुपदों के 07% लिखिए ; 0) (४+ ) (६-3) (६+ 2)? और (६८+)7 (६५ 2) (0) ४ (४+) (४-3) और %४(४+ )? (४+ 2) (#) 22 (७+5) और 4४(४+ 5)? (४+ 0) (0ए 8४ (८+0)?(:-5) और 2% (४+ 0) (ऐ। (2:+ 3) (35+ 4)? और (2%+ 3)2(3::+ 4) (श) (६+ ]) (६-2) (४-4), (६-2) (६+4) और (४-2)£ (६+ ) (शो) (४+ ]) और (४४+) 2. निम्नलिखित बहुपदों का गुणनखंडन कीजिए और प्तट ज्ञात कीजिए : 0) (४+ ) (४-4) और (४?- ) (४-2) (0) 25 (४-) और 3%(४+ ) 60) 0 (४- )? और 5 (४+ ) (2:४+ 3) 60) 3(४- 9) ((+4) और 2 (४-3)? (९) 6(४+ ) (४+2) और 9 (७+]) (श) 42(४-]) और 4 (४४- ) 3. निम्नलिखित बहुपद-युग्मों का गुणमखंडन कीजिए और प्त09 ज्ञात कीजिए ; (6) 2४+3%+2 और %2+6४+ 8 0) 5४(४- 0:+ 2!) और 25% (४-9) () 408 (8+27) और 0% (४2 + 6%+ 9) 07 24 ((६+ ४ + 2) और 6 (४- ») (७) 6(४- ) (/+ ]) और 24 (/- ) (७+) (श) 3(४- )* और 6 (४-) (शो) 4(४2+ ४ + ]) (४१-- ४ + ) और 6 (४- ) (४- ) (णंा) 9(४- ]) और 6 (४ - ) (४+ )7 (0 (४+) और (४+ ॥) (#- ]) 4. निम्नलिखित बहुपदों का प्र/# ज्ञात कीजिए : 6) (४+3) (४+ 5), (४+5) (४+7) और (४+2) (७+ 5)* (60 2(४-7) (४+ 7), 4४-7)7(४+ 8) और 8(४2- 49) (॥) ४- , /- | और (४- )? (0५) 4(४+ 2), 80:53) और 6(४+ 4) (७ 3(४+3), 500+ 3) (४६5) और 7(४+4) 5. निम्नलिखित बहुपदों का प्र" ज्ञात कीजिए ; 0) (४+]) (४+ ]) और (४+)?6६+ ]) 0) (४+»+ ) (६+ 3)? और (./+&+ )7(६+ 3) (8) (22+ 3) (७+ 5%+ ]) और 4 (22+ 3)? (६+ 5) 0५९) 6 (४४+ 6) (४+ )) और 24 (४+ )? (६-3) (९) (६+4)' (४-4) और (४+ ८)* (६-८६+ ) 2.4 बहुपदों का लघुतम समापवर्त्य समता 2!57»3 पर ध्यान दीजिए। यहाँ 2! को 7 और 3, दोनों का गुणजण या अपकर्त्य (#7४77/०) कहा जाता है। साथ ही, 7 और 3 दोनों 2 के गुणनखंड हैं। सामान्यत:, यदि कोई पूर्णाक #, किन्हीं दो पूर्णाकों & और # का गुणनफल हो, अर्थात् यदि #57/# हो, तो # को /# का गुणज कहा जाता है। यहाँ ४, £ का भी गुणज है। इस तथ्य पर भी ध्यान दीजिए कि यदि # गुणज हो #ऋ का, तो # गुणनखंड होता है # का। बहुपदों के संदर्भ में भी गुणज की धारणा ऐसी ही है। यदि ऊपर दी गई संख्याओं ॥, /£ और #% के स्थान पर ऐसे बहुपद /(0, ४(0) और #(») हों कि ७0४७० 80), () तो /(४) को ४0) और #(४) का गुणज कहा जाता है। यह भी समझ लीजिए कि यदि /() गुणज हो 20) का, तो (७) गुणनखंड होता है /() का। ध्यान दीजिए कि () से यह निष्कर्ष भी निकलता है कि /(), #(0) का गुणज है और #(0, /(0) का गुणनखंड है। बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापवर्त्य.....................-"०-_ननतननननननिनिनीनिनिननितिनिगनिनिनििनिानिनितिना तन 4] याद कीजिए कि गुणनखंडों की बात करते समय हमने सार्व गुणनखरडों या समाप्वर्तकों' और महत्तम समापवर्तक (सत्र) पर विचार किया था। अतः यह स्वाभाविक होगा कि गुणजों की बात करते समय हम सार्व गुणजों या समाषवत्यों और लघुतम समापवर्त्य (20) पर विचार करें। आइए पहले याद करें कि दो दी गई संख्याओं, माना कि 8 और 2, का 7७ कैसे निकालते हैं। अब 8 के गुणज हैं : 8,6, 24, 32 , 40, ... . १2 के गुणज हैं : 2, 24, 36, 48, 60, ... 8 और 2 के इन गुणजों में संख्याएँ 24, 48, ... सार्व हैं। अत: ये सभी संख्याएँ 8 और 2 की सार्व गुणज हैं। इन सार्ब गुणजों या समापवर्त्यों में 24 सबसे छोटा या लघुतम गुणज है। अत: यह 8 और 2 का लघुतम समापतवर्त्य (.)0) है। 8 और 2 का।,0५ ज्ञात करने का एक अन्य विकल्प अधाज्य गुणनखंडन द्वारा भी है, जो इस प्रकार किया जाएगा : 85 22, 2 5 22 ५ 3!। अब 8 और 2 के इन गुणनखंडों में आने वाली सभी अभाज्य संख्याओं को इनके अधिकतम घातांक के साथ ले लेते हैं। इस प्रकार, 2ः और 3) प्राप्त होता है। इनका गुणनफल 28 «3 (+ 24) अभीष्ट |,000 होगा। अब अभाज्य संख्याओं के स्थान पर अखंडनीय गुणनखंड लेकर, दो या दो से अधिक बहुपदों का [,0]/ ऊपर की भाँति ज्ञात किया जा सकता है। उदाहरण 5 : बहुपदों (ः - 2) (४१ -- 3/:+ 2) और #-5%+6 का ],0५ ज्ञात कीजिए। हल : दिए गए बहुपदों को #(४) और 400 से व्यक्त करने पर, 70) 5 (७४- 2) (/- 3४7 2) 5 ७- ]) (४- 22', 4(७) 5४2 -- 55+ 6 5 (४- 2) (४- 3) स्पष्टत:, ४- और (६-2)? अनिवार्यतः #(४) के प्रत्येक गुणन के, गुणनखंड होंगे। इसी प्रकार, ४-2 और ४-3 आवश्यक रूप से ५(७ के प्रत्येक गुणन के गुणनखंड होंगे। अत: ४- , ४-2, (४-2)? और ४-3 अनिवार्यतः #(४) और 4090 के प्रत्येक सार्व गुणन के गुणनखंड होंगे। इन चार गुणनखंडों में से ४-2 को छोड़ा जा सकता है, क्योंकि यदि (४-2)? किसी बहुपद का गुणनखंड हुआ, तो >--2 इसका गुणनखेंड अवश्य ही होगा। अत;, /(0) 5 (४- ) (४- 2) (४ - 3) आवश्यक रूप से »(0 और 4( के प्रत्येक सार्व गुणण का गुणनखंड होगा। अतः: #(४) और 4(४) का ।0५ ऊपर वाला व्यंजक ।(॥) है। 7.("५ ज्ञात करने की एक व्यावहारिक विधि दो (या दो से अधिक) बहुपदों का 7,0/५ ज्ञात करने के लिए, हम त्तीन चरणों वाली निम्नलिखित विधि का प्रयोग कर सकते हैं चरण | : प्रत्येक बहुपद को अखंडनीय गुणनखंडों की घातों के गुणमफल के रूप में व्यक्त कीजिए। चरण 2 ; बहुपदों में आने वाले सभी अखंडनीय गुणनखंडों की सूची बनाइए (प्रत्येक गुणनखंड एक ही बार लिखा जाएगा)। सूची के प्रत्येक गुणणखंड के लिए दिए गए बहुपदों के गुणनखंडित रूप (चरण ! से) में आया अधिकतम घातांक ज्ञात कीजिए। चरण 3 : (रैक अखंडनीय गुणनखंड को चरण 2 में प्राप्त उसके अधिकतम घातांक के साथ लेते हुए, इन सबको गुणा कर ],५ ज्ञात कीजिए! उदाहरण 6 : «हुपदों 2 (0 5 4(४- )* (४१+ 6%+ 8) और 200 5 0(७- ) ((६+ 2) (४+ 7%४+ 0) का 4,((५ ज्ञात कीजिए। हल ; अआरण १ बहुपदों को अखंडनीय गुणनखंडों की घातों के गुणनफल के रूप में लिखने पर, हमें प्राप्त होता है 002 * (४- ) * (४+ 2) ४ (४+ 4), 80072 25 2 (४- |) * (७+ 2) * (६+ 5) ४ (६+ 2) या 8(७) 572 * 5 » (४- |) * (४+ 2)? & (:+ 5) चरण 2: अखंडनीय गुणनखंड अधिकतम घातांक 2 2 5 ] झज 2 >+2 2 >+4 ] कफ) ] बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापवर्त्य......................-०ेनवेवेनेनिनिनानिनिनिनिनिनिनिनिनितितिनिनितितागित नितिन ५ 43 चरण 3 :].000 5 22 € 5 & (४- )7% (४+ 2)? & (६+ 4)! € (+5)' वन्/ 20 (४- )7 (४+ 2) (४+ 4) (४+ 5) उदाहरण 7; बहुपदों 72 (/- 0) और 8(/- 38 + 220 का ॥.0/५ ज्ञात कीजिए। हल : दिए गए बहुपदों को क्रमशः #9(४) और 400 से व्यक्त कीजिए। अब 27": 5 2: 2 3 » ४ * (४- ) 4७0) ल् 27 * | * (६-) * (४- 2) - अखंडनीय गुणनखंड 2, 3, ५, ४-! और »-2 हैं।इनके संगत अधिकतम घातांक 3, , 3,। और ] हैं। ॥0॥ ८25 »# 3: 8» (७-]) ४ (७-2)! | 524४ (७- ) (४- 2) ध्यान दीजिए कि ऊपर दिए गए #() और 4(७) का पट 42(४- ॥) है। अत$;, ह [,ट५ > पटक 5 (240 (६- ) (६- 2)) « (4४ (४- )) | नै 96% (४- ) (४- 2) पुन, 70) *% 4७७) 5 96% (४- )* (४- 2) इस प्रकार, न [00७ < छ(ए 7 (0 < 400) (0) अब निम्नलिखित बहुपद लीजिए; ह 00 5 ( -») (2-०), 800 + (2-७) (3-७) (4-०) यहाँ [,ए५ >(]->2) (2-20 (3-2) (4-20 +(४-) ७-2) ७-3) (४-4) (9-८ 2-<>% पक के अधिकतम घातांक वाले पद के गुणांक को धनात्मक बनाने पर, स॒(ए ८-5 ४-2 ््् अब -टश> क्टए 5 (४-) ७ ०2) (४ 73) ७ - 9) 5-[(-20 (2 -»] «(2 - 00-20 (4 -»)] +7- (0 * 800 (8) संख्याओं के निम्नलिखित नियम को याद कीजिए : यदि # और # कोई दो धनात्मक पूर्णाक हों, तो (6 और # का)॥,000 ५» (# और # का) पटक 5 कक (0) (५) और (9) से स्पष्ट होता है कि बहुपदों के लिए () के संगत नियम निम्नलिखित है : (70) और 200 का ) 700 » [/00 और 800 का) छटफ-/(0 8४00 या -/00 ४00 अतः उपर्युक्त परिणाम का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। इस परिणाम से चार राशियाँ [(00, प्, /(0 और &00 जुड़ी हैं। यदि /(घध), 8(४) दिए गए हों, और ],0५ तथा प्र८7 में से एक दिया हो, तो दूसरा असंदिग्ध रूप से ज्ञात किया जा सकता है, क्योंकि 7(0५ और पर (गुणनखंड -। के अतिरिक्त) अद्वितीय होते हैं। यदि पट 7,टॉ५ दिए हुए हों और /() तथा ४(७) में से एक, माना कि /(0 ज्ञात हो, तो ४(४) अद्वितीय रूप से ज्ञात नहीं किया जा सकता। दो बहुपद, ४(४) और -&(०, ऐसे होंगे जिनके /() के साथ ५ और प्त"फ़ वही होंगे जो दिए गए हैं। दिए गए बहुपदों को /(४) और ४&(») से व्यक्त कीजिए। प्रटए को #&) से और ॥,0५/ को ।0) से व्यक्त कीजिए। तब हमें प्राप्त होता है : #७0) 2 /(७) 5 +/ (0) * 8७) (2) उदाहरण 8 ; (( _]) (७ +3) और (५४ -])? (# + 5) का 7,0/ ज्ञात कीजिए और फिर निर्धारित कीजिए कि इन बहुपदों का प्र८फ ४ - है। हैल : दोनों बहुपदों के सभी अखंडनीय गुणनखंडों को, उनके अधिकतम घात के साथ लेते हुए, गुणा करने पर हमें प्राप्त होता है 7,एट0 5 (£४ - ) (#+ 3) (६+ 5) ऊपर के संबंध (2) का प्रयोग करने पर घि(क « (& - ) (&+ 3) (0+ 5)) 5 +((६ - )00+ 3) (७ -॥)? (४+ 5)) दोनों ओर के सार्व गुणनखंडों को निरस्त करने पर, पघटए<+ (६ - [) अधिकतम घात वाले पद के गुणांक को धनात्मक करने के लिए, चिहन “+! का चयन करने पर, प्राप्त वांछित (८ ४-] उदाहरण 9 ; दो बहुपदों के प्रएए और [ट0 क्रमशः (45+5) (४-7)? और (कऋ+5) (%-7 हैं। यदि दोनों में से एक बहुपद (4£+ 5) (3४- 7)? हो, तो दूसरा बहुपद ज्ञात कीजिए। हल : जो बहुपद ज्ञात करना है उसे ४(४) से व्यक्त करने और संबंध (2) का प्रयोग करने पर, + (4:+ 5)? (3४- 7)? « 8(७) 5 ((4८+ 5) (3४- 7)? ((4४+ 59 (3४- 7)) (450+ 5) (3४- 7) सार्व गुणनखंडों को निरस्त करने पर, / 800) 5 (45+ 5) (3४- 7) अर्थात् 800 (45+ 5) (3४- 7)! या -(4६+ 5) (3४- 7)? उदाहरण 0 : यदि बहुपदों 20) 5४ - 5%+ 6 और 4(0) 5 22 + 4६ - 2 का (४ (४-2) हो, तो उनका ,2/५ ज्ञात कीजिए। हल : हम जानते हैं कि।,0]/ » पक < + 722) < 4(७) या [0 » (४-2) 5 + (४ - 5४+ 6) » (४४+ 4£- |2) + + (४-2) (४-3) & (४-2) (४+ 6) या [00७ 5 + (४-3) (४-2) (४+ 6) चिहन को इस प्रकार चुनने पर कि अधिकतम घात वाले पद का गुणांक धनात्मक हो जाए, [.000/ 5 (४-3) (४-2) (४+ 6) उदाहरण : बहुपदों (६+3) (-+ 0:-25) और (४-5) (४+3) का ,0/५ ज्ञात कीजिए और फिर निर्धारित कीजिए कि इन बहुपदों का प्र0४, (६+ 3)&-5) है। हल : गाने लीजिए. कि 00 + (&+ 3) (-४+ ]0४ - 25) 5 - (४+ 3)(४- 5)7 और 200 5 (४-5) (४६+ 39 है। अधिकतम घात वाले पद का गुणांक धनात्मक लेने पर, /७) और 80 का [ए0 5 (६+3)? (६-5)? संबंध (2) के प्रयोग द्वारा (४+ 3)(४- 5)» पक 5 + [-(४+ 3)0-5)7) < ((७-5)(+ 3)? ८ + (४+ 3)(४- 5) अत;, पसएए < + (४+ 3) (४-5) अधिकतम घात वाले पद् का गुणांक धनात्मक लेने पर, पघफ ८ (४+3) (४-5) उदाहरण 2 : /(४) 5 3(७ - )) (४- 2)% 80४ 5 7(७ - 2)* (४ + 3) और #(0 5 ु (४- !) (४+ 3) का ,00५ ज्ञात कीजिए। हल : /2, 8()0 और #(४) में से किसी-न-किसी में आने वाले अखंडनीय गुणनखंड हैं ; 7, 3, (४-), ((-2) और (४+3) इनके अधिकतम घातांक क्रमश: , , 2, 2 और 2 हैं। अतः, क्0/ 5 7 & 3 « (७- )? » (६-2)? & (६+ 3) 59] (४- ) (४-2): (४+ 3)? उदाहरण 3 : यदि बहुपदों 200) 5 (४४ + 22 - 8) (४१ + 4८ + ८) और 4(७) 5 (४ + 2:+]) (४४+ 35- 8) का प्ञटए (४-2) (४+ ) हो, तो & तथा 9 के मान ज्ञात कीजिए। हल : #(४) और 4(४) के गुणनखंडन करने पर, हमें प्राप्त होता है : 270) 7 (७+ 4) ७-2) (४ + 4४ + ५), 4(७) 5 (४+ ) (४+ ) ((+ 35-४8) , क्योंकि (८- 2) (४+ !), #(0 और 4(0) का परत है, अत; ४+ , ४ + 4:+ 4 का गुणनखंड है ह () और ४-2, > + 3४-४9 का गुणनखंड है। (2) बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापवर्त्य................००००हेेवेवेवववनितनिनिनिनिनितिििितितिनितििनि नितिन 47 (0) से ज्ञात होता है कि ह - ], 22 + 45६+ 4 का एक शून्यक (2७70) है। अत;, (-)+ 4(- )+ 47 0 या | 4-3 750 या ह 43 (2) से ज्ञात होता है कि 2, ४» + 35- 9 का एक शून्यक हेै। अतः, 22+3 9» 2-80 या ः ]0- 98 5 0 यो 850 अतः, ८ और ४ के मान क्रमशः 3 और ॥0 हैं। उदाहरण 4 : * के वह मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए #१+ 2/:+ 3ऋ+ 3 और &+>&- 5६ का प्र॒/फछ् ४+5 हों। दुल ; क्योंकि ४+ 5 दिए गए बहुपदों का प्त८फ है, अत::४+ 5 दिए गए, दोनों बहुपदों का गुणनखंड । इसका अर्थ यह हुआ कि -5 दिए गए दोनों बहुपदों का एक शून्यक है। अर्थात् (-5)+ 2&(- 5) + 38+ 350 और (-5)?+ (- 5) - 5:50 या ,. 28-7६£50 और 20-5%&50 ऊपर के दोनों समीकरणों से हमें प्राप्त होता है: ६54 अतः, # का अभीष्ट मान 4 है। सत्यापन : दिर्ण गए बहुपदों में /-4 प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : 2 + 8::+ 5 और 2 + ४ - 20 या (४+ 3) (४+ 5) और (६-4) (४+ 5) इस प्रकार £>4 होने पर, दिए गए बहुपदों का प्र वास्तव में &+ 5 है। . . गुणनखंड कर निम्न का ]00॥ ज्ञात कीजिए ; के >> णित प्रश्नावली 2.2 निम्नलिखित बहुपदों के [(2/ लिखिए : 6) (-) (७-2) और (४-2) (६-7) त) (2४+3) (४+ 7)? और (2:+ 3)? (4६+ 5) (॥) ३४-59 और 2(४-5) (55+ [) (५) 25(8+ 9) (६+ 8) और 5(४+ 9)? (४+ 8)? (श) 2(४+ ४) और 4/(४+ ) (शे) (४+ ) (/+%+ )) और (४-!) (शो) (22+ 3) (४+3) और (४+ 3)422+ 3)? - निम्नलिखित बहुपद-युग्मों के ।0॥ ज्ञात कीजिए : 0) (४-3)%5+ 2) और (४-3)(४+ 2)(5+ ॥) (0) 2७+ ॥॥5-)45+ 2) और 8७+ ॥)45%- 9(४+ 2): (0) 6(2४+ 3)(5:-7) और 9५(2४+ 3)(5:-7)(5%+ 6) (ए) 9५६ + 4)(४ - 4)' और 7७( + 4) - 3) 0) #(४+ 9 और ॥2] ४(292+ 3: + ]) 0) 25(0४+7%४+ 2) और 5%(४- 6) (#) «(8४+ 27) और 2 (2/2+ 9:+ 9) 6५) 66+ 2)(४-४+ ) और 5(:+ ।)६+ 2) नीचे दिए गए बहुपदों के पक और ॥,00 ज्ञात कीजिए। सत्यापित कौजिए कि प्र और [0७५ के गुणनफल, तथा बहुपदों के गुणनफलों में यदि कोई अंतर है, तो वह केवल गुणनखंड - | का हें। 0) (2४+ ])(3४- 5)? और (2+ ])(%- 59 0) &+3)&+4)+ 5) और (६+ 3)%%+4)* (0) ।-४ और #-] (५) 4-»? और :४७- ] बहुपदों का महत्तम समापवर्तक और लघुतम समापवर्त्य............................०००.्े्ेवेवैविविनिनियिनिितिलितिितितिलानिनिग न 49 $, दो बहुपदों (४) और 4(0) के प्र तथा ॥,00 क्रमश: 5 (४+ 3) (/-) और 20% (४४ - 9) (४४ - 3%+ 2) हैं। यदि #(४) + 0(४ - 9) (४- !) हो, तो 4() ज्ञात कौजिए। 6. दो बहुपदों 700 (४- 3) (४ + ४ - 2) और 4७) 5 - 5:+ 6 का पट , ४-3 है। 70) और 400 का ॥,ट/ ज्ञात कौजिए। 7. यदि बहुपदों 7000) र (७- !) (७४ + 3४+ 4) और 4(0) 5 (४+ 2) (2 + 2%+2) का प्रक्त (-) (६+2) हो, तो & और 8 के मान ज्ञात कीजिए। 8. ८ और ४ के मान ज्ञात कीजिए, यदि बहुपदों (0 + (४+ 3) (2४ -- 35 + 4) और 2) ₹ (४-2) (3४ + 02४- 8) का प्रएछ, (६+ 3) (६-2) हो। 9, ८ और ४ के वे मान ज्ञात कीजिए जिनके लिए बहुपदों 270४) 5 (४४ + 3४8+ 2) (४४ + 2४ + ८) और 4(.) 5 (४४ ++ 7४+ 2) (७४ + 7%४+ /) का प्र", (४+]) (४+ 3) हो जाए। .& के किस मान (किन मानों) के लिए £#+>-(2£+2) और 22+#£-]2 का पट, ४+4 होगा? ; ॥। पट हैं. [न , निम्नलिखित में कौन से कथन असत्य हैं? इन्हें सत्य बनाइए। 0) प्रत्येक बहुपद के गुणनखंडों की संख्या परिमित (876) होती है। (0) प्रत्येक बहुपद के गुणजों की संख्या परिमित होती है। (४) घात 2 वाले दो बहुपदों का प्तृ/ए एक अचर हो सकता है। (५) घात 2 वाले दो बहुपदों का [,0/ एक अचर हो सकता है। (श) दो बहुपदों के प्र की घात इनके।,(] की घात से सदैव कम होती है। परिमेय व्यंजक 3.] भूमिका पिछली कक्षाओं में आपने पूर्णाकों और उनके योग, गुणन आदि के संबंध में अध्ययन किया था। नवीं कक्षा में, आपने बहुपदों और उनके योग, गुणन आदि का अध्ययन किया है। याद कीजिए कि एक बहुपद में ४ के केवल ऋणेतर घातांक ही होते हैं एवं « की प्रत्येक घात का गुणांक वास्तविक संख्या होती है। पूर्णाकों एवं बहुपदों के योग एवं गुणन के गुणधर्म समान होते हैं, जैसा कि निम्नलिखित तुलना से स्पष्ट होता है : कब सजा ऋययानााराक १ 7 जद का . दो पूर्णाकों का योग (अंतर) एक पूर्णाक होता है। 2, पूर्णांक शून्य (0) ऐसा है कि किसी भी पूर्णाक ८ के लिए, 4+ 0६ 3. किसी पूर्णाक ८ के लिए एक ऐसा पूर्णाक -० होता है कि 4+(-4)50 ह 4. किन््हीं भी दो पूर्णाकों का गुणनफल एक पूर्णाक होता है। 5. पूर्णाक | ऐसा है कि किसी पूर्णांक ४ के लिए, 4.न-ध ] 4. ६ बहुपद दो बहुपदों का योग (अंतर) एक बहुपद होता है। . शून्य बहुपद (जिसे हम 0 से प्रकट करते हैं) ऐसा होता है कि किसी बहुपद ४(४) के लिए, 200 + 057७0) . किसी बहुपद #(») के लिए एक ऐसा ' बहुपद -#(») होता है कि 70) + [-#७0]50 किन्हीं भी दो बहुपदों का गुणनफल एक बहुपद होता है। बहुंपद । ऐसा बहुपद है कि किसी बहुपद #(४) के लिए, (0) . 57200 7 अमल जम कम 5] उपर्युक्त गुणधर्मों के आधार पर हम कह सकते हैं कि बहुपंद ' पृर्णाकों की तरह व्यवहार करते हैं।' स्मरण कीजिए कि -; के रूप की संख्याएँ, जहाँ # एवं # पूर्णाक हैं (# # 0), परिमेय संख्याएँ कहलाती हैं। निम्नलिखित परिणामों से आप भली-भाँति परिचित हैं : 6). यदिऋ एवं # (४ # 0) पूर्णाक हैं, तब यह आवश्यक नहीं कि | भी पूर्णाक हो। () प्रत्येक पूर्णाक एक परिमेय संख्या है। है आस 06 नि कि पा मय थे) डक फाखतफ 4... 4 उपर्युक्त से स्पष्ट है कि पूर्णाक एवं बहुपद बीजीय रूप से समान हैं। इसलिए हम अब उस बीजीय व्यंजक का परिचय देंगे जो कि परिमेय संख्या के समान व्यवहार करता है और जिसे परिमेय व्यजक (६70४4 ०५६०४८5४४०४) कहते हैं। पहले हम निम्नलिखित परिभाषा देते हैं : हल के रूप का व्यंजक, जहाँ #(४), 4(४) बहुपद हैं तथा 4(४) शून्येतर बहुपद है, परिमेय व्यजक कहलाता है। (2) परिमेय व्यंजक ते में #(४) को अश और (५) को हर कहा जाता है। स्पष्टतया, यह आवश्यक नहीं है कि ला एक बहुपद हो। प्रत्येक बहुंपद »(४) एक परिमेय व्यंजक है, क्योंकि हम (0) को ्ः के रूप में लिख सकते हैं। इस संकल्पना को समझने के लिए, हम कुछ उदाहरण लेते हैं। () "प् एक परिमेय व्यंजक है जिसका अंश एक रैखिक बहुपद है एवं हर एक द्विघात बहुपद है। की +बट2िद्र! -45+5. 0777 हा 7 हक परिमेय व्यंजक है जिसका अंश एक त्रिघात बहुपद है एवं हर एक दविघात बहुपद है। (झ) सा एक परिमेय व्यंजक नहीं है, क्योंकि अंश एक बहुपद नहीं है। प्रश्नावली 3, . निम्न बीजीय व्यंजकों में से कौन-से व्यंजक बहुपद हैं? 6) #+४5४+4 (४) >+3/%>-4 कक) अक्श्कीफ... 00 ऑन: 2. निम्न व्यंजकों में से कौन-से परिमेय व्यंजक हैं? ् अ +32 + 4 () ४ +43%+5 अल्प जता ।) | अअाकाजत कस ४ ऋ्-] %+ 2 7) 2 ५] ] 2+ 45- ह (ता 5.40, - (५०) 5 *अज 3. एक व्यापक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश एक रैखिक बहुपद हो एवं हर एक द्विघात बहुपद हो। 4. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश एक द्विपद हो और हर एक त्रिपद् हो। 5. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश शून्यक 2 और -] वाला एक द्विघात बहुपद् हो और हर शून्यक रे और 3 वाला एक द्विधात बहुपद हो। [संकेत : अंश (४-2) (५४ + ) है तथा हर (2४-]) (४-3) है।] 6. एक परिमेय व्यंजक लिखिए जिसका अंश शून्यक 2 एवं -3 वाला एक द्विघात बहुपद हो और हर शून्यक - 2, [ एवं 4 वाला एक त्रिघात बहुपद हो। सेरिमय व्यजक % 75 लग पिता लत कम 5 आह लेप ड 4 जम 4 को मिल मा 8 27 त उपर ३ टी कर पट 53 3.2 निम्नतम पदों में परिमेय व्यंजक हम एक परिमेय संख्या “7 को अपने लघुतम या निम्नतम पदों (!0४८७४४/४४४) में होना तब कहते हैं जबकि प्र [#ऋ,#] ₹। हो, जहाँ प्टफ़ [, #] का अर्थ ऋ तथा # का महत्तम समापवर्तक है। यदि ++ अपने निम्नतम पदों में न हो, तो हम अंश और हर में से प्रटए [ऋ,#] का निरसन करके उसे निम्नतम पदों में प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार, यदि (४), 4(०) पूर्णाक गुणांकों वाले ऐसे बहुपद हों कि पटए [ ७9(0, 400] 5 | हो, तो हम कह सकते हैं कि परिमेय व्यंजक हल अपने निम्नतम पदों में है। दिल 0! (2) का निरसन करके उसे निम्नतम पदों में प्राप्त कर लेते हैं। अपने निम्नतम पदों में नहीं हो, तो अंश और हर दोनों में से (09 | »(७), 4(»)] आइए कुछ उदाहरणों पर ध्यान दें।.. उदाहरण । : जाँच कीजिए कि परिमेय व्यंजक कट: अपने निम्नतम पदों में है या नहीं। हल : ईस व्यंजक में अंश के गुणनखंड (४+2) एवं (४-4) हैं और हर का केवल एक गुणनखंड (४+]) है। इसलिए, अंश एवं हर का पछ्तऊ,] है। अत; यह परिमेय व्यंजक अपने निम्नतम पदों में है। उदाहरण 2 : जाँच कीजिए कि परिमेय व्यंजक अपने निम्नतम पदों में है या नहीं। 5 हल : यहाँ अंश 790) ₹# + ! तथा हर 4७) 5 + 55+ 6 5 (+ 2) (८+ 3) इसलिए, प्टए [ ४00, 400] 5 ! अत: यह व्यंजक अपने निम्नतम पदों में है। (४+3)(४- 2) (४-2)(5+5) यदि नहीं, तो इसे निम्नतम पदों में व्यक्त कीजिए। हल: यहाँ,.. 7005 (४+3)-2) तथा (४) 5 (६- 2)(४+ 5) है। | इसलिए, मऊ [ »0), 400] 5 ४-2, जो कि । नहीं है। इसलिए यह व्यंजक अपने निम्नतम पदों में नहीं है। 22(2) _ (४+3)(४-2) _ &+3 न 4७ &-20675) >+5 (हमने अंश एवं हर से प20, »- 2 का निरसन किया है) उदाहरण 3 : जाँच कीजिए कि परिमेय व्यंजक अपने. निम्नतम पदों में है या नहीं। * पदों में झकठे अत: दिया हुआ व्यंजक अपने निम्नतम पदों में हक है। उदाहरण 4 : निम्नलिखित परिमेय व्यंजक को उसके निम्नतम पदों में व्यक्त कीजिए : 657 -5%+] 922 +]2%४-5 हल: 700) 5 6४7 - 5:+ ]5 (2४ - )(%- ) 4(७) 5 9४१ + 22- 5 5 (3४+ 5)(3:-) इसलिए, पल [ 7७0, 4७)] 5 3४-॥। हे 22०) _ (2४-)(32-) _ 2» शक दोनों में से । है 40) ठ>33)6%27) 35ल्75 (अंश एवं हर दोनों में से (3४-) का. निरसन करने पर) 2%2+-] 35४+5 है । उदाहरण 5 : निम्नलिखित परिमेय व्यंजक को उसके निम्नतम पदों में व्यक्त कीजिए : (४-3)(४7 -5%+ 4) (४-)(४ -25-3) अतः दिया हुआ व्यंजक अपने निम्नतम पदों में पंरिमेय: व्यंजक: ५ 3,752 कै सेव + कर, मगर ने परपउ समीप म रप रन कप निदान नि नि ननिनतग दिन नितिन निनिनितितिनितिना+ 55 727(5) < (ल् -3)(&? -5-:+ 4) ६ (४-3)(४-)(४- 4) कर 400 5 6-08 -2४-3) 5 (४-)(४-3)0+)) 20) _ ४-3)0-)(४-4) इसलिए, व) (४-)४-3):+!) अब पक [४(0, 4४] 5 (४-3)5- ) अत; अंश एवं हर में से (£- 3) (४- ) का निरसन करने पर, अपने निम्नतम पदों में परिमेय व्यंजक --+ है। उद्दाहरण 6 : निम्नलिखित परिमेय व्यंजक को उसके निम्नतम पदों में व्यक्त कीजिए झा ४-6 ४-3४ +4 हल: यहाँ 700) +#-+-6 एवं ०00 5७7-3/+4 है। यह सरलता से देखा जा सकता है कि 7(2) ₹ 05 4(2) इसलिए गुणनखंड प्रमेय से, (४-2) दोनों #(0) एवं 4(४) का गुणनखंड है। अब हम 700 एवं 4(४) के शेष गुणनखंड प्राप्त करते हैं (या आप 9(४) एवं 4७) को (४-2) से भाग देकर प्रत्येक का दूसरा गुणनखंड प्राप्त कर सकते हैं)। अतः, - 2(५) 5 (४- 2)(४* +2%+ 3) 4७) 5(४-2)(४ -४-2) चूंकि *ः+ 2:+ 3 को रैखिक गुणनखंडों में गुणनखंडित नहीं किया जा सकता (क्यों?), इसलिए, घ6ए [ 7७), 4(७)] 5४- 2 गुणनखंड (४- 2) का निरसन करने पर, अपने निम्नतम पदों में परिमेय व्यंजक निम्न है; ४7 +25+3 5४7 -5४-2 प्रश्नावली 3.2 जाँच कीजिए कि निम्नलिखित परिमेय व्यंजकों में से प्रत्येक अपने निम्नतम पदों में है या नहीं। यदि नहीं, तो इसे निम्नतम पदों में व्यक्त कौजिए। (. को हिआ। 2. कई 3, रो -] ४ + 25 क ४ +] हु कक 4, ४ -3-:+42 ड, अ-4 6, &+दवडी * .. &४£“ -ह85+2 अर +ह 0 इम्टल हुआ 5. चूंकि ५ पर 7 5488: 78 चूंकि /(2) 50 है, अतः ४-2 अंश का एक गुणनखंड है। ] ४7 -3:-40 8, “/++] 3 न दा व हे ऊ* अनाजजप्आा £ 2/+ & + | (४#2+ )? - ४? ] ४7 +&क 9. 3-6 +36:7 (४-3)(४ -5%-+ 4) ४ +26 (४-4)(४४ - 2£- 3) है, _ आह 2 57 ४ +4%“ +6 ४-9 के 6४* -6% 957 - (४ -- 4) 53 (4&7 + 4)(2::+ 2) 74. 3४+4->* (७४7 +3%+ 2)(४7 +5%+6) किक ग त ४ (57 +45+ 3) 3.3 परिमेय व्यंजकों का योग यदि 7.८) 9) ४00 ३ परिमेय व्यंजक हों, तो उनके योग को हम 2५0) , ७) _ 7(०05(७) + 4(०)/(०) ; 4(७). ४०) 4(०)४(०७) से दर्शाते हैं। परिमेय व्यजक 0 कर 22 गन धर 5 जग गत पता दस कम जल 8 57 यदि परिमेय व्यंजके रा णवं हिल समान हर वाले हों, तब 20) | 709) _ 20)0+70). 4५४)... 4५७) 4(४) होता है! टिप्पणी: परिमेय संख्याओं के योग एवं परिमेय व्यंजकों के योग की समानता पर आप ध्यान दें। यह गुणन एवं भाग के लिए भी सत्य होगा। पु उदाहरण 7 इल : चूंकि दोनों व्यंजकों के हर समान हैं, इसलिए. ४7 +] ४2-। _ (४+॥+(७-)) _ ४-2 ४-2 ४-2 ४-2 उदाहरण 8 : परिमेय व्यंजकों त्ख और -“- का योग ज्ञात कीजिए। %४+2 हा हा । हा (४+2)(४- 2)+(.४-)(४+ 3) हल: ४+3 ४-2 . (४+3)6:-2) _ ४-4+&४/+25-3 (४+3)-2) > 25 +2%-7 (४+96४-2) हि 25“ 4 2:-7 5 + ४-6 पद ह उदाहरण १ : परिमेय व्यंजकों -- !_ और को योग ज्ञात कीजिए! >+] _! _ (४+) +(४-)7 स् ४“) ४+]. (४-) (४+]) _ ४ +2%+ +5 -25+] (४-]) (४+]) 257 +2 | (४-)5+]) हि 257 +2 “४ -४+] व्यंजकों +2 उदाहरण 0 : परिमेय व्यंजकों “5-7८ और पा का योग ज्ञात कीजिए! 3४+2 5. ड-5 हा 3%+2 ४-5 हल: >४7-6 (४+4)< (४-4)(४+4) (४+ 4)? _ (32+2)(४+4)+(४-5)(४- 4) (४-4)(४+4)* हा 352 +]42+8+ 5“ -9४+20 हा 6&-46+ 4? हा 457 + 554 28 . (४ -6)(४+ 4) 4 ४7 +55+28 . ४ +45 -]65- 64 टिप्पणी : यहाँ योग प्राप्त करने के लिए हमने पहले हरों #2-65 (४-4) (/+4) तथा (४+4) का 7,ट५ ज्ञात किया जो कि (४-4) (४+ 4)? है और फिर हमने उसी प्रकार हल किया जैसे कि दो परिमेय संख्याओं का योग ज्ञात करने के लिए किया जाता है। ] उदाहरण : “+5-+- और का योग ज्ञात कीजिए। अं +ह४-], अ+] _ (४ +४-])(४7 +2)+(४+)(४? -।) हल: कान पर पाक सह कप कह असर अं ०] ४+2 (४४ -)(४ +2) . परिमेय व्यंजक............-.००निनतिनितिनि नियत गिनती हित 59 (झ +४ ->४ +257 +25-2)+(४ + ४ -४-]) (४ -)%+2) _ अ+४/+357 +४-3 .. ४-४ +25 2 परिमेय व्यंजक का योज्य प्रतिलोम क् ध्यान दीजिए कि यदि हम किसी परिमेय व्यंजक श्ह को परिमेय व्यंजक तर में जोड़ें तो हमें प्राप्त होता है : | । 2०) | “200 _ 2(०0+(-7(७०) _ _?९ 4(७). 4(७) 4(०) 4(०) ॥ बज * व्यंजक धलो का योज्य प्रतिलोस (बर८77५९ 7४77०:४०८) कहलाता है। उदाहरण 2 : परिमेय व्यंजक का योज्य प्रतिलोम ज्ञात कीजिए। । -2 -(») -2<») ->+2 हल: 2 का योज्य. प्रतिलेम --5-7--> अर्थत ऊप, कस है। अब हम दो परिमेय संख्याओं के योग के एक आधारभूत गुणधर्म का कथन लिखेंगे एवं उसे सिद्ध करेंगे प्रमेय 3.] : वो परिमिय व्यजकों का योग सदैव एक प्रस्सिय व्यजक हाता है। उपपत्ति : मान लीजिए हि हा कोई दो परिमेय व्यंजक हें। तब, 4(४)#0 और 5(४) &0 है। अब हमें ज्ञात है : 202) | 70०) _ 700500+700.40)0 4७). ४७) 400-(») चूंकि /(0, 400, /(0 और 50) सभी बहुपद हैं, इसलिए 20800 + 70400) भी एक बहुपद है, जिसे हम ?(») से दर्शाते हैं। (स्मरण कीजिए कि दो बहुपदों के योगफल एवं गुणनफल युनः बहुपद होते हैं।) फिर 4४) #0 एवं #॥(४).#0 है। अतः 4(0:)४(४) # 0 है। हम 4005४ को ९७० से दर्शाते हैं, जो कि शून्य बहुपद नहीं है। अतः, 22) | 70) _ (०0 व(४) ४») (९७० ' जहाँ, ९४) एवं 0७०) बहुपद हैं और ९७) शून्य बहुपद नहीं है। ए इसलिए, ठ्छ एक परिमेय व्यंजक है। हम दो परिमेय व्यंजकों के अंतर को पहले परिमेय व्यंजक तथा दूसरे परिमेय व्यंजक के योज्य प्रतिलोम के योग के रूप में परिभाषित करते हैं, जैसा कि परिमेय संख्याओं के लिए किया गया था। #(2) यदि हल ण्वं जा परिमेय व्यंजक हैं, तो 20) 7०) _ 72700 | <7(०) _ 2(0)४(४) 7/(०04(०० 4022 50) 4७) ४(७) 4(५)5(४) और 2(2) _ 7०) _ 70०) | “7०७ _ 7(०)-70० अं ि--++- *च न ॑+ 5 “>> मिल ऑ०->] 4०) 4४ ५१(७ १७) 4१(०) जो कि एक परिमेय व्यंजक है, जैसा कि हमने ऊपर दर्शाया है। झ+4 अना है में कौजिंए उद्धाहरण 3 : 745 ३:53 को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त | हल; के # ै-2 (४+ 2)(४-2) _ (४ +22-8)-(५४+ ४-2) >-4 ४-4 परिमेय व्यजक 77 कस ण यम सा कमल मकर 2 गा मर कर सतत भाग 7 सी 2 74225 20 6] उदाहरण 4 : यदि & सता हो -पू और 8-77 है, तब #-8 को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए। 2%+] 25-] हल 0 ८ >_--+ आल व नल मर (2:+)7 - (2४-])* 85:-8%+]) ॥ _ 452 +4%+]-4%7 +4%-] के 45372 -] _ _ 5 . 45४“ -] उदाहरण 5 :सरल कीजिए 2 2. 73 52200 अ+] ४ (४+)(४-॥) 3 2 %४+3 5 न गत _ 3४(53+)- 2(४- )(४+ ) + (४+ 3) ष (४-)%(४+]) [हर को (४-), » तथा (४+ ) (४-) का 7.00 लेने पर] का 35४7 +35४-2% + 24% +35% (» कल ) जे (७८ नः !) _ 257 +6:+2 दा मम न विश ि मव डक मन लि री ज8 2220 3 2720//300/ 38% अं अर 30287 6 20572 डाक हल : दिए गए व्यंजक को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं : न्न्न्ग का ४-] #४+/ #7+] _ (४+) -(४-|) _ 45% जोक). की >> _ तह ४ -] #+] _ 42(४:+])-4%(४:-])) __ 85४ तन छाफाओओ आया ह। 2 2 7 उदाहरण !7 : जप में से कौन-सा परिमेय व्यंजह घटाया जाए कि -- प्राप्त हो? हल: म्रान लीजिए कि वांछित परिमेय व्यंजक हल है। तब का ऋिखिििणओ अआआे ७ ४ +४-6 40) #>टे . 2(0) _ 2४ +2४-7 ४-! ( अं फड-6. ४-2 सर 257 + 2:0- 7 ्ी . (४+3)॥5-2) ४-2 _ 2४ +2%-7-(४-])(४+ 3) ् (४+3)0-2) _ 22 +2:-7-(४2 +22-3) (४+ 3)(४- 2) परिमेय व्यजक 2 कल 20 रत पैदा 5ा 278५ घना, २ पाप पल मेक जप पेन पी 3 कद लग > ता मत पिला पलपल 2 63 सा ४-4 _(४+2)(४-2) . (४+3)४-2) (४+3)(४-2) >+2 &+उ है ४+2 अतः, अभीष्ट परिमेय व्यंजक “4 है। उदाहरण |6 : निम्न को एक परिमिय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए : हल _ ४+! ि _ &+] | ज-व 2%+] कटे ४-2 हल: हमें प्राप्त है : नतऊ-+जनसमी- अल नि ओओओ या ४-].. 25+] (४-)(2%+) (45? -) - (४? -]) 6-8%5+)) _ _ ओ > लाए (4) >-> _ ४+ _ (४-)४-2)-(४+)(४+2) औए- तहत द (४+2)5-2) (४ -3%+2)- (४ +35+ 2) (४-4) न्ख्् ह) 252-] #४+] | हि द्र्का | अान््क न अर मम चल >> लक अबतक पु ड-+]व 2%+] &#+2 #-2 .. 33४7 0» और कल गा के (() और (2) स] 3८ -2%7 - 6%(2%7 -- ४-!) (४-)(2:+ )(४? -4) हु 3४ -[]2% -25% + 65 + 65 3 आल जा 20% काका _ 3 -2%* - 627 + 6. . 29 -+ -9४7 +4%+4 प्रश्नावली 3.3 . निम्नलिखित परिमेय व्यंजक-युग्मों का योग ज्ञात कीजिए ; ४3-72 5४+2 +2 ४-2 () %४+3 ४+3 3 ४-2 ४+2 ए) हक ४ -] के 34/2%+] -2425+] ता ४+2 ४ +] हे डा. 2 2. निम्नलिखित को परिमेय व्यंजकों के रूप में व्यक्त कीजिए : 4. १48 + | उ-++ ॥) (४+) + () प् (7) (४+) कक कस अभी 2 ,.. &#+2 #+2 थे) उग7; (0५) जा हक 257 +3 #* +। (७) फापफाए ४-4 3-4 परिमेय व्यंजक.................------------«««न__वतननननननननन न 22 0 के बन उप के जप मर दस खिा फ काम 65 3, निम्न का योग ज्ञात कोजिए : . #+#-] झ+ (4) 5 -] >> +2 3 और के रा +] 5-3 4. निम्न को परिमिय व्यंजकों के रूप में व्यक्त कीजिए ; 2 ++ +3 ! 25 ऑल 27 ५7 ऑल 06) छठी छठ 9 53329 2-9) .... 4४ को | न्जि रे कह हि 3४7 (0 अ-] #-ा 03 ऋण अभी) ऋ-] 5. निम्नलिखित व्यंजकों को परिमेय व्यंजकों के निम्नतम रूप में सरलीकृत कीजिए ; %7 +8:+2 37 +4%-2 ४7 -7%४+2 %-4 को जो एव _ 2-3 का अ +45+ 4 &+ 6. निम्नलिखित व्यंजकों को परिमेय व्यंजकों के निम्नतम रूप में व्यक्त कीजिए : ] ] लि कर लक 3 अमर () ४ -75+]2 5४7 --5%४+6 _ ] व तय न ऊन में ह 222 9७“ %2 +3 7. “7 में कौन-सा परिमेय व्यंजक जोड़ा जाए कि “5 ८7 प्राप्त हो? कट हे ऋा +2 7 हम से कौन-सा परिमेय व्यंजक घटाया जाए कि --- प्राप्त हो? 4 के... न 7 में कौन-सा परिमेय व्यंजक जोड़ा जाए कि “-- प्राप्त हो? जः ] 5 5 5 0. सरल कीजिए: हट या ऋ॥।। १,]) ] ऋ- 5डइ+। :। [संकेत : 2] के ॥. निम्नलिखित को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए : & +3%+2 +27० हम हक अं 20. 5-8 ऋ+4 ऋ+2 >+6:+8 £४“ +6%+8 2. सरल कीजिए ; ]+<% ]-+%» हे 4 न श्द्रँ 0) [>> +#े ]+&* ॥55४४ पा ] हा 22 (0) ड-). अभी |->#% 9 5 ऑफर ३ 0) 7.9 /9५+9 .. 2865-39) . 4४७2-59 3.4 'परिभेष व्यंजकों का गुणन यदि > एवं -> दो परिमेय संख्याएँ हों, तो उनके गुणनफल को हम 2 | ७५ 9 है| 8 के द्वारा व्यक्त करते हैं। इसी प्रकार, दो परिमेय व्यंजकों गला न! के गुणनफल को 2220 “(2 _ 7(3)/(>) 4(७) . &४(>) (०)४(») के रूप में व्यक्त करते हैं। हम देख सकते हैं कि दो परिमेय व्यंजकों का गुणनफल भी एक परिमेय व्यंजक होता है। आओ ,. 35&+! [हहरणा ।१ : कल ण्वं का गुणनफल ज्ञात कौजिए। बस ४ -] 3%+| _ (४ -!) (3%+!) रह >+2 >> -.6 (४+2) (2 -6) 3 +&४ -35-] & +2.67 - 6.:-2 जुदाहरण 20 : परिमेय व्यंजकों ४ ौ-7%2+0 _. »2-7४:+2 ल्ज्के श्र आपात का गुणन कीजिए एवं गुणनफल को उसके निम्नतम पदों में व्यक्त कौजिए| ४ -75+0 ४ -75+2 ७-97 % छ-5 _ (४-2)(४- 3) (/-3)(%४-4) (४-4)(४-4)(४-४) अंश एवं हर का पट, (४-5) (४-4) है। प्रट7 का निरसन करने पर, हमें निम्नतम पदों में निम्न गुणनफल प्राप्त होता है (४- 2)(४-3) ४7 -5%+6 >--7-+--- अर्थात हा कक उदाहरण 2/ : सरल कीजिए : 2४7 +3 #४+3| #-] +ः % ---+-+ &४-] %#+] 35 68: 52005 प 55 यह 50827 कक जप शत तप पास पक मत र 0 तर पा अर कल लक पड 26 गणित | 277 +3 £४#+3 | ४ -] हर गप आय हक 5: द् लटका, 3; हर 202 + 257 +35+3+ 7 - ४+ 3-3 हा >> कु त्ज्छल््णः 3५ ही 2४ + 35 + 55 ह 2 -] ४7-] 32 दा 257 +3%2+ 5 3 बे न आाहरण 22 : यदि कर २ एवं # है तब #”+#*-#%# का मान ज्ञात कीौजिए। हल: का + हा -का ८ (का + या) - 20 - 7? | (॥#+#)* -3#फ77 न्ज्ज है | जो न््यँ ब्य्ड 4३>नरीक००«>लनऊ-ऊ--+क कक, गा 3 क्््जज-+ च+++5 डे) #£+] ४-१/५४+] _ +])+ (४-॥? हा | (४-(४+[) _ 2४ +2 ५ जे | नी । 5 45% +- 8:८7 -. 4 मर डॉ -2%* +] ४ +]4%< +] 3 252 +] अरिमेये व्यगेक 25८7४ उन 257, 5 7 7: पर धरम उसे रिमक ममस मटयकम 69 शिप्पणी : हम का के ४ - #फ? में क णवं # के मान सीधे भी रख सकते हैं। 3. परिमेय व्यंजकों का विभाजन /2(2) 4(-) [०00 # 0] के संगत 7? एक ऐसा परिमेय व्यंजक होता प्रत्येक शून्येतर परिमेय व्यंजक । है कि 22(9) ( 40 _ 20004) _।] बे 70७) बएफछो 4(.४) 22(2) / 7») को 4(:) #77९7/४९) कहते हें | हमें ज्ञात है कि एक शून्येतर परिमेय संख्या से भाग देने का अर्थ होता है उसके व्युत्क्रम से गुणा करना। उसी प्रकार शून्येतर परिमेय व्यंजक से भाग देने का अर्थ होता है उसके व्युत्क्रम से गुणा करना। का व्युत्क्रय (॥४८०/०८६/) या ( गुणनात्यक प्रतिलोम) (क्र2/टद/९ मान लीजिए कि हाल एक परिमेय व्यंजक है एवं अर्थात् 0 #0 है। तब 2(2) . ”(2) _ 7(0) , ४(४) _ /7(2)5(2) व) 80) 4व(४७) 7७). 4(४)४(०) हा हल एक शून्येतर परिमेय व्यंजक है 20) , "०0 4). ॥(2) ध्यान दीजिए 4(:) 0 एवं #(०0 0० हैं, इसलिए 4(:)/(50 0 होगा। अतः: एक परिमेय व्यंजक है। उदाहरण 23 : निम्नलिखित परिमेय व्यंजकों के व्युत्क्रम ज्ञात कीजिए : .. ऋ +झऋक ... >+25 () डा बफत धो) स्र्ण % +%ऋ+] ऊ-] है हल: 5 5 | लः. 0) जता काब्युतक्रम ऊपा ०० ज्टेड व्युत्क्रम ] बस रो है। 0) छत का ब्युत्तम नए उद्ाहरण 24 : निम्नलिखित को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कोजिए : अक3ठ ४77 ४ -] ४ +2%5+3 &+3.,. %-४7 ४+3. ४7 +2%+3 जा अफकटड+ओ अऑजुा अज .. _ (८+3)2 (७४ + 2.:+3) हे न्ख्शछणा _ >+35>7 +9:+9 ४-75 -४+7 । उदाहरण 25 न आल को निम्नतम पदों के एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए। ह ४-२) | ४ -4४-5 अ-) &+45४-5 पा किज्ज-नत+त- नया >|>-+>त+--+ हल : 22048: कप ह ४-25 &४+4%-5 ४-25 %&“-45-5 _ ७-)0+) ७+5)5-/) . (४-5)॥5+5) (४-5)(४+) _ (४-)(४-॥) . (४-5)(४-5) _ _४-22+] ४ -0%४+25 उद्दाहरण 26 : निम्नलिखित को निम्नतम पदों के एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए ; 22 +3 5+4| 35४+2 न गा अशिजिक मम वीक %>-] %&+] ४ -] गरिगेये त्योतको 7 छ के ० न लिंग किए ज सप यो से धवन प बतग मर: > पर पर पल रस" लत स पिन पते +४४ 57२०८ ४ तन ठ 8 से 2 +3 # +4|_ उद्कट हलेः अ-ा. अक। &-] _ (2४ +3)(0+])+(४+400-) | 3४+2 हर . &-)७+) कि 2 +3:7 +6%ऋ-] £#*-] त््छाय्फ ख्र्य2 (क्यों) 25 +357 +6%-] 3%2+2 प्रश्नावली 3.4 , निम्नलिखित परिमेय व्यंजक-युग्मों के गुणनफल ज्ञात कीजिए : .. 32-3 #४+2 है डर +] १ । 0) 55+2 ४#+6 का &-] ४ -४+ का +ठ &४-] 25 ४४ /8४-५१32 () (५) हि 25% +4 %४+3 2. निम्नलिखित परिमेय व्यंजक-युग्मों के गुणनफल ज्ञात कीजिए और परिणाम को निम्नतम पदों में व्यक्त कीजिए ; . औ-3 2 ->5४+4 .... ४ -7%+]2 57 -2%-24 2 आटा पटक की 227 ऋ+3 ... 6 ->४-2. 25 -35-4 60) पप 9 7575८ (४) +552+6 # +3%+9 8४7 +6%+] 2% -25%+2 3. निम्नलिखित व्यंजकों में से प्रत्येक को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए : 2 2 () मल मद ५९ थम 7 (0) (जन कमी मनन %४+2 5-4 4+> ]ऊ नि | हे 4% | राज डे! अफक] #&+] 45% ; 4. डा | 2 +22+] को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए| औकर्व.... टेज- , निमलिखित व्यंजकों की निम्नतम पदों के परिमेय व्यंजकों के रूप में व्यक्त कोजिए। 2 3_ () । 52038 ,. &# -) हा >9 | हि “-45४+ डे 2 4 (0) ४7 +2.४- 24 हि #-॥-6 ४४ - ४-!2 ४-9 382 हि [4४-७ ही 35% + ८ (॥) + --८ $ ->3४+2 25४ -3%४-2 .. 20+४-3. 257 +55+3 (५) - नी आकिशाप+ा--+ (४-)* हल « निम्नलिखित व्यंजक को एक परिमेय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए ; ३४ 25%“ +3 पु ४+3 ४ _.] # | +] 9) £! 4 , सरल कीजिए : ॥ प् ) रे ४ -४-6 ४ +६-2 57 -4४+3 ॥ ] में , यदि 45 3+ फ हो, तब ८+ हे को एक परिमिय व्यंजक के रूप में व्यक्त कीजिए। ४ न यदि #< जार ; ४० न हों, तो निम्नलिखित को परिमेय व्यंजकों के रूप में व्यक्त कीजिए। () #+&४ (7) #-& (प) #. ७ (ए) #“ ४ ह है दावघात समाकरण 4.] भूमिका अभी तक आपने एक और दो चरों में रैस्िक समीकरणों का अध्ययन किया है। आपने देखा है कि हमारे देनिक जीवन में विद्यमान विभिन्न समस्याओं को सुलझाने में रैख्रिक समीकरण तथा रैखिक समीकरणों के निकाय किस प्रकार हमारी सहायता करते हैं। किंतु निम्नलिखित प्रकारों की कुछ समस्याएँ ऐसी हैं जिनका समाधान अकेले रैखिक समीकरणों के उपयोग द्वारा संभव नहीं है: (!) एक हॉल की लंबाई उसकी चौड़ाई से 5 मीटर अधिक है। यदि हॉल के फर्श का क्षेत्रफल 84 वर्ग मीटर है, तो हॉल की लंबाई और चौड़ाई कितनी हैं? (2) किसी समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई 25 सेंटीमीटर है। उसकी अन्य दो भुजाओं का अंतर 5 सेंटीमीटर है। इन भुजाओं की लंबाइयाँ कितनी हैं? ऐसी समस्याओं के समाधान हेतु, हम कुछ ऐसे समीकरणों का उपयोग करते हैं जो रेखिक नहीं हैं। इस अध्याय में, हम ऐसे ही समीकरणों की चर्चा करेंगे जिन्हें हम दूविधात समीकरण ((॥46/धा2 2६४०४०४७) कहेंगे। 4.2 दातिधात पहुपत आप कुछ व्यंजकों जैसे 8, 2 -.४, 3:8 + 7.2, /१+ 3:09+ 272, #१ - 8/2+ ], आदि से, जिन्हें बहुपद कहा जाता है, पहले से ही परिचित हैं। 8५, 398 + 7:2, # - 8£१ + , आदि एक चर में बहुपदों के उदाहरण हैं, जबकि ४? -.४, ॥? + 3:0/+ 22 आदि दो-चरों में बहुपदों के उदाहरण है। ४+- कक नहीं हैं | 2+-7, +/ +४४+2 आदि ऐसे व्यंजक हैं जो बहुपद नहीं हैं। यहाँ पर हम अपनी परिचर्चा एक चर वाले बहुपदों तक ही सीमित रखेंगे। बहुपद की घात (4८४:००), उसमें प्रयुक्त चर का सबसे बड़ा घातांक (एक पूर्ण संख्या) होती है। उदाहरणार्थ, बहुपद 8.६ की घात। है, ,/2.7 +3% की घात 2 है तथा )9-8)?+ की घात 3 है। बहुपद 5' की घात 0 (शून्य) है। (क्यों?) सरलतम बहुपद वे हैं जिनमें एक पद होता है, जैसे 8&, 6, ५392, >> आदि। इन्हें एकपदी (४०४०4) कहा जाता है। 3:+ 2, 2-3, आदि प्रकार के बहुपद जिनमें दो पद होते हैं, दृविषद (!#०%४८४) कहलाते हैं। तीन पदों वाले बहुपद त्रिपद (#४#०#४४८४5) कहलाते हैं। 5 क 32+2, #+ 99+ 2 22+ 32+ +--, आदि त्रिपदों के उदाहरण हैं। एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद ([#ल्दा/#०7०7#४ंदा) तथा दो घात वाले बहुपद को दूविघात बहुपद ((४८६/व४८ |०१४०/४ांध) कहा जाता है। इस अध्याय में, हम आगे की परिचर्चा द्विघात बहुपदों तक ही सीमित रखेंगे। द्विघात बहुपदों के कुछ उदाहरण हैं : कर के 2, 222 + 3-4, *- 25, ४3%? +%-7 , आदि। ध्यान दीजिए कि इन बहुपदों में से प्रत्येक के गुणांक वास्तविक संख्याएँ हैं। एक द्विघात बहुपद में अधिकतम तीन पद, यथा वे पद जिनमें »?, » तथा अचर पद समाहित हैं, हो सकते हैं। > में द्विघात बहुपद का व्यापक रूप है दा +0:+८ जिसमें 6, 8, ८ वास्तविक सख्याएँ हैं तथा 4&0 है। इस पूरे अध्याय में, » को एक वास्तविक चर के रूप में लिया जाएगा, अर्थात् द्विघात बहुपद में « का मान कोई भी वास्तविक संख्या हो सकती है। हम द्विघात बहुपद को »(०0), 4(०), /(:0, आदि द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। 4.3 दृविधात बहुपद के शून्यक याद कीजिए कि यदि एक रैखिक बहुपद ८&८+४ दिया हो, जिसमें ०, 9 वास्तविक संख्याएँ हों तथा 6४0 हो, तो हम « का एक मान, मान लीजिए ० , ज्ञात कर सकते हैं ताकि कप १. 9 ५ हि रेखिक 4०+ 8-0 हो, अर्थात् ५ ८ “टव हो ५ को इस रेखिक बहुपद का शून्यक (2७/०) कहा जाता है। तार208 52570 नम मम मम 7 इसे संगत समीकरण 6८८+850 का मूल या हल भी कहा जाता है। हम देखते हैं कि इस स्थिति में केवल एक ही मूल है। अब हम < में एक ब्विघात बहुपद, मान लीजिए, 720) 5 *४+ 5-2 पर विचार करते हैं। हम » के कुछ वास्तविक मान प्रतिस्थापित करते हैं तथा (0 के संगत मान ज्ञात करते हैं। 0 700 0 त् जो -2 ] 0 5 0 2 4 इस प्रकार, प्रयलल और भूल विधि से, हमें » के दो मान (६८] तथा £--2) प्राप्त हुए जिनके लिए द्विघात बहुपद &#+&-2 का मान शून्य हो जाता है। आगे चलकर हम पाएँगे कि » के केवल यही दो मान हैं जिनके लिए उपर्युक्त #(.0) का मान शून्य है। इन मानों में से प्रत्येक को बहुपद का एक शूत्यक कहा जाता है, अर्थात् । और -2 द्विघात बहुपद &+&-2 के शून्यक हैं। इससे हमें निम्नलिखित परिभाषा प्राप्त होती है: यदि ४5०, जहाँ » एक वास्तविक संख्या है, के लिए दुविघात बहुपद ०८+8:४+८ का मान शून्य हो, तो « को 60 + &८+ ८ का एक शून्यक कहा जाता है। यह एक तथ्य है कि प्रत्येक द्विघात बहुपद के अधिकतम दो शून्यक हो सकते हैं। यहाँ इस बात को ध्यानपूर्वक देखा जा सकता है कि कुछ द्विघात बहुपदों के कोई वास्तविक शून्यक नहीं होते हैं। या यह कहिए कि » का कोई ऐसा वास्तविक मान नहीं होता जिसके लिए बहुपद का मान शून्य हो जाए। उदाहरण के लिए, द्विघात बहुपद £2+ पर विचार कीजिए। » का कोई ऐसा वास्तविक मान नहीं है जो -2+] को शून्य बना सके, क्योंकि « के प्रत्येक वास्तविक मान के लिए » >20 है; जिससे मिलता है कि £१+ ] > 0 है। इसी प्रकार, कुछ द्विघात बहुपद ऐसे हैं जिनका केवल एक शून्यक है, अर्थात्» का केवल एक वास्तविक मान ऐसा है जिसके लिए बहुपद का मान शून्य होता है। उदाहरण के लिए, द्बिघात बहुपद &?-2:+] पर विचार कीजिए। ४ का केवल एक मान (४5॥]) ऐसा है जिसके लिए £-2:+| शून्य होता है, क्योंकि ४-2:+ 5 (४-])? तथा » के | के अतिरिक्त सभी मानों के लिए ((-)>0 है। अब प्रश्न उठता है कि हम द्विघात बहुपद के शून्यक कैसे ज्ञात करें। यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है तथा इस अध्याय का मुख्य उद्देश्य इस प्रश्न का उत्तर खोजना है। याद कीजिए कि रैखिक बहुपद ८४+४, जबकि 4, £ वास्तविक संख्याएँ हैं तथा ८&0 है, का शून्यक संगत रैखिक समीकरण कप 950 के हल करने पर प्राप्त होता है। इसी प्रकार, द्विधात बहुपद 62+ &:+ ८, जिसमें ०, 8, 2 वास्तविक संख्याएँ हैं तथा 6%0 है, के शून्यक संगत समीकरण वर्धा + €४ + 2 0, जिसे दुविधात समीकरण (4४६4/०४८ ८६४८४४०४) कहते हैं, के हल करने पर प्राप्त होते हैं। यदि वास्तविक संख्याएँ « तथा 9 दूविघात बहुपद ८४४+ &£+2८ के शून्यक हैं, तो हम कह सकते हैं कि ०» तथा 8 द्विघात समीकरण &2+ 8:+ ८८0 के मूल या हल हें। किसी समीकरण के मूल ज्ञात करने की प्रक्रिया को समीकरण का हल करना कहा जाता है। यहाँ हम द्विघात समीकरणों के हल करने पर ही मुख्यतः अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। +.्व दैवियात समीकरण ऊपर आपने देखा है कि द्विघात बहुपदीय समीकरणों को सामान्यतः द्विघांत समीकरण कहते हैं। दूविघात समीकरण का व्यापक रूप है : धर! नी 80४ + 2 > 0, जहाँ ८, 8, ८ वास्तविक संख्याएँ हैं तथा 6&0 है। क्योंकि ८&0 है, अतः सामान्यतः द्विघात समीकरण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं ; 6) 9850, 2&0, अर्थात् 6७४+८250 (0) 2#0, 250, अर्थात् 602+ 8८50 (0) 850, ८८0, अर्थात् 6&<0 (6229#0, 2०0, अर्थात् &+9४+८50 इस ब्रकार, 5775 25, 26+3४50, 62750 तथा ४7+ 5४+ 45 0, ऊपर दिए गए प्रत्येक द्विघात समीकरणों के उदाहरण हैं। ह॥20 6 //7700 / म म या उदाहरण । :जाँच कीजिए कि क्या निम्नलिखित समीकरण द्विधात समीकरण हैं : 6) (४-2) (७+3)+50 6) (+4) (४-4) ₹ श(>+ 2) + 8 (0) 6-< (2+ 2) 50 । हल : () (४-2)(४+3)+-0 को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है : अ+32-270-6+ |ल्>0 या £:+४- 550 क्योंकि यह ८:2+ 8::+ 250 के रूप में है, अतः दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है। (॥) दिए गए समीकरण को हम लिख सकते हैं : ४7 - 6 5 |? + 20+ है इसे सरल करने पर, हमें प्राप्त होता है : 25% + 24 0 या के [250 जो कि एक रैखिक समीकरण है। अतः दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण नहीं है। (#0) क्योंकि 6- ४(४? + 2) 56-5%* - 2» है, अत: दिया गया समीकरण निम्नलिखित रूप ले लेता है : | “>> -25+ 6 50 या ४ +2%-650 स्पष्ट है कि यह द्विघात समीकरण नहीं है। अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण नहीं है। उदाहरण ८ :द्विधात समीकरण 2% -- 5४-33 -0 के लिए निर्धारित कीजिए कि निम्नलिखित में से कौन-कौन से इसके हल हैं : () 3 (0) & 2 (त) रू हक हल :() दिए गए समीकरण के बाएँ पक्ष में ४3 प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : बायाँ पक्ष ८252 - 5४- 3 +2(3)?- 5(3) -3 ल्]8-5-3 05 दायाँ पक्ष अतः, »>3 दिए गए समीकरण का एक हल हे। (0) दिए गए समीकरण के बाएँ पक्ष में ४-2 प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : बायाँ पक्ष 52(2)2- 5(2) -3 <8-0-3 नू-5 #0 अर्थात् बायाँ पक्ष & दायाँ पक्ष अतः, ४2 दिए गए समीकरण का हल नहीं है। (0) दिए गए समीकरण के बाएँ पक्ष में & दर प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है; ९५ 7 ह 50 0 ० | +८ 5 55 की बायाँ पक्ष | ठ । 5 | गे 3 अतः, &< नर दिए गए समीकरण का एक हल है। प्रश्नावली 4.] जाँच कीजिए कि निम्नलिखित समीकरणों में कौन-से द्विघात समीकरण हैं : 4, ४2 _- 6:- 45 0 2, 3४ - 7४-25" 0 3. >- 670 + 2:2- ]5 0 4. 75४5 22 ] है; -क +-ह72 0) है; 32-48 दूविघात समीकरण................०० «नल 50553 जन दी 7 00227 57 42752: 007 केक द४ 76 व तट मिला 79 7. (४+)४+3)50 8. (2£:+ )(35+ 2) 5 6(४- )(0- 2) 9, ४+-ल््ख (६0) 0. 6% - 3 5 (2£+ 5)(52- 3) निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए ज्ञात कीजिए कि » का दिया गया मान समीकरण का हल है अथवा नहीं ; ], 3४ - 2४-०7 4570;3% * । 2. 20 “6४+350;+ 7 ]3. (20+38%-2)-0: 4, औ+४+]0;%ऋल्-] निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए ज्ञात कीजिए कि » के दिए गए दोनों मान समीकरण के हल हैं अथवा नहीं : । पक ]5. ४ +65+5-0; &८-, 2 ८-5 6. 6४ "य-2त0 अल मु अ लय है है है गे [८ ॥7. # +424-450;%25३2, 25-22. 78. ४ "उ४7250;3 7 “पुज्टक््नु 2 ] 9, (४+4)६-5)<0; 5-4, ४८5 20. 8:+90)(2:+5)50; 72-५४ 527 4.5 गुणव्खंडन दवारा दचिधात समीकरण हल करना आप बहुपदों के गुणनखंड करना पहले सीख चुके हैं। इस अनुच्छेद में, दविघात समीकरणों के हल करने में गुणनखंडन की विधि प्रयुक्त की जाएगी। द्विघात समीकरणों को हल करने से पूर्व, हम निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण परिणाम का उल्लेख करते हैं : : यदि दो संख्याओं, मान लीजिए, ८ तथा & का गुणनफल शून्य है, अर्थात् &*&<0, तो उनमें से कम से कम एक संख्या अवश्य शून्य होगी; अर्थात् (()4850 या (2)850 इस प्रकार, यदि (७- 4)(४- 02) 5 0 दिया हो, तो ४-50 अर्थात् ४5०, या फिर £-25-0 अर्थात् ४5४ होगा। उदाहरण ३ : हल कीजिए : 642 -625-0 . एप ;दिया है 64४? - 6255 0 या (8» - (25) 50 या (8%+25)(8%-25)50 अर्थात् 8:+ 2550 या 88-2550 इससे ४« न्य या प्र प्राप्त होता है। अतः, ४> पर 7 दिए गए समीकरण के हल हैं। "पर :४३ | दूविधात समीकरण 6%४2 - 24४ ८ 0 को हल कीजिए (0 ;दिए गए समीकरण को लिखा जा सकता है : 8% (2:-3) 50 ट इससे ४5 0 या &« ठ्र्भाप्त होता है। अर्थात्. #<0, पि अभीष्ट हल हैं। जार 8 हल कीजिए ; 25%2-- 30:+9- 0 ४४६३ 525%2 - 30:+ 9 5 0 को लिख सकते हैं : 6») -2(52)»3+ (3) <0 या (5४- 3)7 ८ इससे हमें ४> न्य हल प्राप्त होते हैं। 3 अतः, #|ै7> अभीष्ट हल है। (77070 2 0227 2 मम 8] उदाहरण 6 : द्विघधात समीकरण &? + 6£+ 5 > 0 के हल ज्ञात कीजिए तथा हलों की जाँच कीौजिए। हल ; द्विधात बहुपद &? +6:+ 5 का निम्न प्रकार से गुणनखंडन किया जा सकता है; कं +60+ 5 ८ +55+%+5 +;४(४&+-5)+ (४+ 5) ्ूऔऋ(४+क 5) (४+ ) अत: दिया गया द्विधात समीकरण निम्नलिखित रूप ले लेता है : (४+5)(५४+)- 0 इससे &5-5 या &--- प्राप्त होता है। अत:, ४ -, -5 दिए गए समीकरण के हल हैं। जाँच : हम दिए गए समीकरण में £5- तथा &5-5 प्रतिस्थापित करते हैं तथा जाँच करते हैं कि बायाँ पक्ष दाएँ पक्ष के बराबर आता. है या नहीं। 6) (-) + ७(-)+ 5 (0) (-5)+ 6(-5)+5 व [-0+$5 न 25 -30+5 -- () न्-() अत, बायाँ पक्ष ८ दायाँ पक्ष अतः, बायाँ पक्ष > दायाँ पक्ष अत:, ज्ञात किए गए हल सही हैं। उदाहरण 7 ;: हल कीजिए : 6ल्2+%- 550 हल: 6ऋ2+ ४ -5 - 0 समतुल्य है : 6.७ + ]00-- 9४- 45 5 0 या 25 (35+ 5) - 3 (35४+ 5) 50 या (3::+ 5) (2:-3) 50 इससे कर न्दु या ४-८ ्र प्राप्त होता है। पर है अर्थात् +6-]-5 7 अभीष्ट हल हैं। उदाहरण 8 ; हल कीजिए : 2४ 3४+9 <् ४-3 2%+3 (४-3) (2%+3) हल : स्पष्टत: दिया गया समीकरण तभी सत्य होगा, जबकि ४-3 %0 तथा 2:+3#0 हों। समीकरण के दोनों पक्षों को (६- 3)(2:+3) से गुणा करने पर, हमें प्राप्त होता है : 2% (2::+ 3) + (६-3) + 3६+9 5 0 या 457 + 08+ 65 0 या 202 + 5४+ 350 या (2४+ 3)(8+ ]) 50 किंतु 2;+ 3 #% 0 है। इसलिए हम प्राप्त करते हैं : ह &+50 अर्थात् #5-] अत:, दिए गए समीकरण का अभीष्ट एकमात्र हल &--] है। 'प्रश्णावली 4.2 गुणनखंडन के उपयोग से निम्नलिखित द्विधात समीकरणों में से प्रत्येक के हल ज्ञात कीजिए : . 9४2- ]650 2. 64४ - 9 50 3. (४-2)*- 2550 4. (४+ 5) -- 3650 5. (+ओच्ह | 6. #-3->0 [संकेत : 35 (5) ] 7. ध£2- 9? 5 0 8. 32-52८0 9, 52: -- 305"0 0, ८४ - 260:: 5 0 47, 4॥/2+4/+50 2. 9-89 +650 2 हक ] 2 2 . डॉ-डकलत » एड “दुह+<८ 3. 2 बिक 4. ठुठ हर ॥$। 5., #+2./89+3 5-0 6. ४ - 445४+ 402 5 0 ॥7. ४४ - 22- 850 8, 622 --52- 2]5-0 9. ४१+ 39- ]8 50 20, #-39-05-"0 24. 6॥2-/-27-0 22. 9४ -- 39-- 250 दविधात सेमीकरेणे,....८००५-० ४४ ०> सकने ते 7 >ने 5 एल कक कर पेज] गए फेर प पर क न गुर प उस बाप प नमक पर लत रत छ मम 83 23, 52/- 32-25 0 24, 222 + ८25 - ८२ 5 0 ]7 3 25. 8४2-22%४- 2]57 0 26, आ -द्राम+उ70 ]]. 5 ] ] £-->अक 750 कु) 5 387 कक छ7* प9 4 29, 3:2+ 0 5 ]% 30६, के कडओ (४0) 9४2 + (8? ) ४- 825 0 32 कर का कल (४ # 2, 4) 3]. 405४7 + (8? -- ८) 5 -- 8८ $- ता यु हे ] ] ] अ+] 5-2 की न-+ मत कक द्द न-+ > क्ूु 3, 5 रे ल्ॉाकान + न्न्ठे ४ ,--2. हे ४-3 ४+5 6 ( ) ते &-] ऊ+2 (६ ) 4,6 पूर्ण बर्ग की जिश्षि दूयारा बृविधात समीकरण हल करना : दविधात सूत्र बहुपदों के गुणनखंड करना तथा उपर्युक्त विधि से द्विघात समीकरण हल करना सदा सरल नहीं है। उदाहरण के लिए, द्विघात समीकरण ४? +5%+ 550 पर विचार कीजिए। यदि हम बाएँ पक्ष के मध्य पद को तोड़ने की विधि के उपयोग से गुणनखंड करने की चेष्या करें, तो हमें 5 के ऐसे दो पूर्णाक गुणनखंड ज्ञात करने होंगे जिनका योग 5 हो। किंतु 5 के ऐसे गुणनखंड | तथा 5 या - तथा -5 हैं। दोनों ही स्थितियों में योगफल 5 नहीं है। अतः गुणनखंडन के उपयोग से हम द्विघात समीकरण ,2+5::+550 को हल करने में असमर्थ हैं। यहाँ हम ऐसे ही द्विघात समीकरणों को हल करने की एक विधि पर चर्चा करेंगे। आइए, निम्नलिखित उदाहरण पर विचार करें। | उदाहरण 9 : हल कीजिए : &+3%:+ | 5 0 इल : दिया है: #+35+ [ 0 । | यक्ष में हे हम (7%>» का गुणांक) को बाएँ पक्ष में जोड़ने तथा घटाने पर प्राप्त करते हैं : डँ 2 कक जि नही ठ [95 2 2 *.. >लहिल डी नल या ॥ ष्ट+ ठ्र) न पर नल इससे ६८ दा था कक प्राप्त होता है। न दिए गए समीकरण के हल हैं। अब हम दविघ्यात समीकरण के व्यापक रूप, अर्थात् &20+ 9:+ ८50, जिसमें ०, ४, ८ चारनविक संशयाएँ हैं तथा ५ 0 है, का हल आत करते हैं। दिया गया है : अत, ८०-27 5 -3+४5 न हे पड़ी + 02 + 2 0 दोनों पक्षों को ८ से (४&%0) भाग देने पर, हमें प्राप्त होता है : ह ८ का +-+४+--+0 दध लक बन हे बाए पक्ष में (-» » का गुणांक)ः जोड़ने तथा घटाने पर, हम प्राप्त करते हैं : ५ 6 8१) /#90 ८ (जद 2 2 किमी अत 0 (किक पता जिद 6 मी हि +255)/+ (द् (द्] + हर () ४ 89) ४7 -व4घट या हल हि. ॥ 26 ] बंद + यदि ४-4४८८>0 है, तो (2 - 4०८ एक वास्तविक संख्या होगी। देविधात संग करंणे, ८.६८ २ रत सी 52 लय 5 तल दल: जन मम जे 770 4 है गत अलवर मर अम 85 हमें | इससे हमें प्राप्त होता है : कल कक -08+# २(९१-4०42 २ 4६८2 2 या अर्थत् ४ >80+४27 -4०2 ५ आंच >2-४०-462 दिए गए समीकरण के हल (या मूल) हैं। य्र्द य्द यदि 6? - 462 <0 है, अर्थात् ऋणात्मक है, तो /9? -4४८ वास्तविक संख्या नहीं होगी तथा इस स्थिति में समीकरण के कोई वास्तविक मूल नहीं होंगे। टिप्पणी : यदि ४2-46८ ऋणात्मक है, तो “समीकरण ८४+४४+८2-0 के कोई वास्तविक मूल नहीं हैं।” ऐसा कहने के स्थान पर हम सामान्य रूप से कहेंगे कि “समीकरण के मूल नहीं हैं। | हमने देखा है कि यदि ४? -- 462 >0 है, तो दविघात समीकरण ४४+४%+८2₹0 के मूल, माना ७ तथा 5, वास्तविक होंगे तथा उनके मान होंगे : -60+4४४१ -46८ हि -0-३४१ - 4६८ सर १44, श्र ५2 -- 46८! ([) दूवारा निरूपित) को द्विघात समीकरण «०४ + 8: + ८5 0 का विविक््तकर (बांडटबं॥ं॥०/४) कहा जाता है। परिणाम भ्द् या +०>2+४१-48८. 72-४९ -4०८ 20 £4८। को प्राय: दूविषात सूत्र ((४४८८/८४४८ /0/77%/८) कहा जाता है। इसे सबसे पहले प्राचीन भारतीय गणितज्ञ श्रीधराचार्य ने 025 ई० के लगभग प्रतिपादित किया था। इसलिए यह दूविघात समीकरण- ०४ + ४४+ 250 के मूल ज्ञात करने के लिए श्रीधराचार्य सूत्र के नाम से जाना जाता है। स्थिति | : जब ४२-- 442 5 0, अर्थात् #75 4६८ हो, तो 267 शा । ह अर्थात् दोनों मूल बराबर हैं। हम कहते हैं कि समीकरण का मूल पुनरावृत्त (छथ्वाथ्व) है। स्थिति 2 : जब ४? - 4682 > 0, अर्थात् ४#?>462 हो, तो समीकरण &४2+#&£+८250 के दो पघिन्न (##क्रट) मूल, माना ०७ तथा 5 होंगे जिनके मान नीचे दिए गए हैं; 0--१+ि का 0-० फीफछ य्द् ख्द् उदाहरण 0 : निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित दूविघात समीकरणों के मूल वास्तविक हैं। यदि हैं, तो उन्हें ज्ञात कीजिए 6) 3४2-5:+2 50 ह) &#-4क८ट+ 4570 कं) अ-नुअ+>50 । हल : () दिए गए समीकरण की 6८ + &४+ ८50 से तुलना करने पर हम पाते हैं कि यहाँ 43, 95-5 तथा ८52 है। अतः, स्05 6 -- 42८ +(-5)-4<3»2 ध्। क्योंकि विविक्तकर 70 > 0 है, इसलिए दिए गए समीकरण के दो भिन्न मूल, मान लीजिए ०, हैं जिनके मान नीचे दिए गए हैं >+ी अर्थात् ! 6 इस प्रकार, दिए गए समीकरण के दो मूल । तथा दि हैं। दूविघात समीकरण............... ५ न _ननननननिनननिनिन नितिन नितिन नितिन नितिन नितिन न 87 (9) यहाँ ६०, 85-4 तथा ८54 है। अत:, 05<(-4)?-4 < ]&456-650 अत:, समीकरण का पुनरावृत्त मूल है, जिसे हम (-ञ् के उपयोग से, प्राप्त करते हैं। (0) ए-ड) “एड ढ ८९ हुँ <० क्योंकि ) <0 है, अत: समीकरण के मूल वास्तविक नहीं हैं। उद्गाहरण | : दविघात समीकरण 7४-55 0 को हल कोजिए। हल : दिए हुए समीकरण की 6/+ ४::+ ८5० से तुलना करने पर, हम पाते हैं 4 रू], 8 7-7 तथा ८ ८- $ अत;, 05 (-7)?-4 » ] » (-5) ः <49+20 - 69 >0 क्योंकि ) धनात्मक है, इसलिए दिए गए समीकरण के दो भिन्न मूल हैं 7+४69 7-+३/69 2... 2 69 7-65 है हक बता पर हे जे दिए गए समीकरण के हल हैं। अर्थात् ४८ उदाहरण 2 : # का / के मान ज्ञात कीजिए जिसके / जिनके लिए द्विघात समीकरण 2 + #४+ 850 के मूल वास्तविक हों। हल : समीकरण के मूल वास्तविक होने के लिए प्रतिबंध है : [020 यहाँ, [70 - 07- 46८ ज9-4>23< ७8 न््न # - 64 अतः, समीकरण के मूल वास्तविक होने के लिए, 77-64>0 या #28?, . जिससे हमें प्राप्त होता है; #>28 या #<-8 टिप्पणी ; हम देखते हैं कि »2...8?>0 या (7+8)(9-8)>20 () () सत्य होगा यदि 6) #+8>20 और #-820, अर्थात् #2-8 और #>8 हो। इन दोनों से हम प्राप्त करते हैं : (8 या 0) 7+850 और #-850 अर्थात् / ४-8 और »<8 हो। इन दोनों से हम प्राप्त करते हैं ; 25-86 अतः, » के अभीष्ट मान हैं : 2चघ्टेठ0 या 75-8 2 277 0 लि मल मम 3 मम 89 प्रश्नावली 4.3 निम्नलिखित द्विधात समीकरणों में से प्रत्येक का विविक्तकर लिखिए : ], #+40+ [50 2. 30+2:-50- 3, 47-६४ +ा 25 0 4. #+ऊ++ [50 5... ३5३0 -242%४-2453 50 6. 2+45+ 8950 जाँच कीजिए कि निम्नलिखित द्विघात समीकरणों में से किन समीकरणों के मूल हैं : 7. 20+5४-50 8. 3४2+2%४-50 9, ४2+.४+ ]5-0 0, &#+4£+450 ], ५ै४+ 5%४+ 5 5 0 ]2, 2772+ 5.+ 550 ज्ञात कीजिए कि निम्नलिखित दूविघात समीकरणों में से किन समीकरणों के मूल पुनरावृत्त हैं ; 3, ४72+ 6/+ 95 0 4, 22 - 62+ 60 5. 227 + 59+ 3050 6. 9४? -- 2:+ 4 0 7. 69 - 409 + 25 5 0 ' 8. 922 - 62+ 45 0 निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए ज्ञात कीजिए कि द्विघात समीकरण के मूल हैं या नहीं। यदि हैं, तो उन्हें ज्ञात कीजिए। 9., ४ -49-| 5 0 20. ॥7 - 6/+250 ] 2 2]. | + ह५/+4 5 0 22. हट गे 23, 27 + 59-35 0 24, -299+ ५४+ [50 25. 39 + 979+ 45 0 26, 52 - 29-25 0 2.व7 5 27. 727/+ 82+ 2-7 0 28. 3 ; 29, ८7 + 22 -- 8 5 0 30. 27 .-.62 + 45 0 3, 6४+ ४-25 0 32. 42 + ]2% + 9 33, 25? +5५3 ;+6< 0 34. 35? + 2./5:- 5-0 35. //*-6/-3/-0 36. 397 + (6+44)9+86 50 97. (४+4)(&+ 5) # 3(8 + )(४ + 2) + 2४ आज पक ४+] ४+2 %#+4 निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए 9 का / के वह / वे मान ज्ञात कीजिए जिसके / जिनके लिए द्विषात समीकरण के मूल वास्तविक हैं (४#-,-2,-4) 39. ४४ + 4:+ ] 75 0 40. 2.72 + 3४+ 977 0 4]. 50 - 88+ 250 42, 4/2+ 8६-% 5 0 43, ;2+#:+ ] 5 0 44. 4 - 379४ + 950 4.7 इबिधात समीवाश्णों के उनगप्रयोग हमारे दैनिक जीवन में मिलने वाली अनेक समस्याओं के समाधान में दविघात समीकरणों का उपयोग किया जाता है। संबंधित प्रश्न हल करने की विधियों में निम्नलिखित तीन चरण समाविष् . होते हैं ; | आअरण! | : शाब्दिक प्रश्न को सांकेतिक भाषा (गणितीय कथन) में परिवर्तित करना जिसका अभिप्राय यह है कि दिए गए प्रश्न में स्थित संबंधों की पहचान करना तथा उनके द्वारा द्विघात समीकरण बनाना। चरण 2 : इस प्रकार निर्मित द्विघात समीकरण को हल करना। शरण ३ : समीकरण के हल का विश्लेषण करना; जिसका अभिप्राय यह है कि परिणामी गणितीय कथन को शाब्दिक भाषा में परिवर्तित करना। यह हो सकता है कि द्विघात समीकरण के दो मूलों में से केवल एक ही प्रश्न के लिए अर्थपूर्ण हो। द्विघात समीकरण के उस मूल को, जो दिए गए प्रश्न के प्रतिबंधों को संतुष्ट नहीं करता, छोड़ दीजिए। उदाहरण 3 : दो क्रमागत धनात्मक पूर्णाकों के वर्गों का योग 545 है। इन पूर्णाकों को ज्ञात कोजिए। दूविघात समीकरण,...........--बननननिनिनितििनितिितितिनिति तन नितिन नितिन तन तितगि 9] हल धश्ण । : (सांकेतिक भाषा में परिवर्तन) मान लीजिए एक धनात्मक पूर्णाक » तथा दूसरा + है। क्योंकि पूर्णाकों के वर्गों का योग 545 है, अतः हम प्राप्त करते हैं ; |; 22 + (४+ )2 5 545 या 22 + 22 - 544 ८ 0 या 22+&४- 27250 चरण 2 : (द्विघात समीकरण हल करना) >2 +४- 272 5८0 समतुल्य है ; >2+ ]7%- 65- 272 5 0 या ४ (&+ ]7)-6 (४+ 7) 50 या (७- 6)(४+ 7) 5 0 इससे &56 या 5 -॥7 प्राप्त होता है। अरण 3 : (विश्लेषण करना) हमें ४5 6 या £₹-]7 प्राप्त हुए। किंतु हमने & को धनात्मक पूर्णाक माना था। अतः, हम ४5-]7 को छोड देते हैं तथा ४ 6 लेते हैं। इस प्रकार, दो क्रमागत धनात्मक पूर्णांक 46 तथा (6+ ), अर्थात् 7 हैं। जाँच : 62+ ]72- 256 + 289 5 545 यह प्रश्न में दिए गए प्रतिबंध के अनुरूप है। अतः, हल सही है। उदाहरण 4 : एक हॉल की लंबाई उसकी चौड़ाई से 5 मीटर अधिक है। यदि हॉल के फर्श का क्षेत्रफल 84 वर्ग मीटर हो, तो हॉल की लंबाई तथा चौड़ाई क्या होंगी? हल : मान लीजिए हॉल की चौड़ाई » मी है। तब, हॉल की लंबाई (६+5) मी होगी। '. फर्श का क्षेत्रफल 5» (+ 5) मी? अतः, ४ (४+ 5) 5 84 या 27 + 5४ - 84 ८ 0 6 कट न नमक सन कि पर कि लए रकम जम कम मल अमर मम) 2 मल समेत गणि या (४+2)0-7) 50 इससे &57 या »>-/2 प्राप्त होता है। क्योंकि हॉल की चौड़ाई ऋणात्मक नहीं हो सकती, अतः हम ४--2 को छोड़ देते हैं तथ केवल £₹7 लेते हैं। इस प्रकार, हॉल की चौड़ाई ८7 मीटर तथा हॉल कौ लंबाई -(7+ 5) मीटर, अर्थात् 2 मीटर है। जाँच : हॉल के फर्श का क्षेत्रफल 5 (2 » 7) मी? < 84 मी? जो प्रश्न में दिए गए प्रतिबंध के अनुरूप है। उदाहरण 5 : हे बालिके! हंसों के एक झुंड में से कुल संख्या के बर्गमूल का - एक तालाब' के किनारे खेल रहे हैं। शेष दो पानी में जलक्रीड़ा कर रहे हैं। हंसों की कुल संख्या कितनी है? (भास्कर, जन्म 4 ई० हल : मान लीजिए हम हंसों की कुल संख्या को » से प्रकट करते हैं। तब, तालाब के तट पर खेलने वाले हंसों की संख्या >+ी: क्योंकि 2 बचे हुए हंस पानी में जलक्रीड़ा कर रहे हैं अतः! द््का >४४+2 या् ४-25 मा ध 2 ह 2३. या 4७४ - 45: + 4) 5 49% 9 या ह 42 -- 65:+ ]6 < 0 या 4४ -- 640 --£+ ]6 5 0 या 4(४- 6) -) (६- 6) 5 0 दविघात समीकरण............ ...०- नितिन दिन नितिन नितिन नितिन नितिन 93 या (४- 6)(45:- ) 5 0 ] इससे हमें ४5 6 या %८ य्न्शाप्त होता है। हम #रू प्र छोड देते हैं (क्यों?) तथा ४5 6 लेते हैं। अतः, हंसों की कुल संख्या 6 है। जाँच : दर » ]6 का वर्गमूल - 4 अर्थात 4 हंस तालाब के किनारे खेल रहे हैं। शेष हंस 5 6-4 - 2, जो प्रश्नानुसार ही है। उदाहरण 6 : किसी समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई 25 सेमी है। त्रिभुज की अन्य दो भुजाओं की लंबाइयों का अंतर 5 सेमी है। इन भुजाओं की लंबाइयाँ ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए छोटी भुजा की लंबाई > सेमी है। ह तय, बड़ी भुजा की लंबाई ८ (&+ 5) सेमी क्योंकि त्रिभुज समकोण त्रिभुज है, अतः भुजाओं की लंबाइयों के वर्गों का योग कर्ण की लंबाई के वर्ग के बराबर होगा (पाइथागोरस प्रमेय)। इस प्रकार, के के (5+ 5)? 5 25 या: ऊ के झा के 0%+ 25 5८ 625 या | 205 + ]0:४- 6005 0 या >> + 52- 300 5 0 या (४+ 20)(४- 5) 5 0 इससे हमें ४5 5 या £5--20 प्राप्त होता है। हम 5 -20 को छोड़ रहे हैं (क्यों?) तथा ४> 5 ले रहे हैं। इस प्रकार, छोटी भुजा की लंबाई -5 सेमी बड़ी भुजा की लंबाई 5 (5 + 5) सेमी, अर्थात् 20 सेमी ४ : जाँच: कर्ण की लंबाई /57 + 20? सेमी 5 ,57उप्रवृठ सेमी 5 ४655 सेमी -25 सेमी उदाहरण 47 : दो धनात्मक पूर्णाकों के वर्गों का योग 208 है। यदि बड़ी संख्या का वर्ग छोटी संख्या के 8 गुने के बराबर हो, तो संख्याएँ ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए छोटी संख्या » है। तब, प्रश्नानुसार बड़ी संख्या का वर्ग 8 « होगा। अतः, 2 + ]8 & * 208 या 2 + 85४ - 208 5८ 0 या (४- 8)(४+ 26) 5 0 इससे हमें 58 या ४-26 प्राप्त होता है। क्योंकि संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक हैं, अतः हम &--26 को छोड़ते हैं तथा» 8 लेते हैं। इस प्रकार, छोटी संख्या +8 इसलिए बडी संख्या का वर्ग 58 » 85 44 इसलिए बड़ी संख्या 5 /विव 52 अतः, छोटी संख्या 8 तथा बड़ी संख्या 2 है। जाँच: 6) 22+ 82- 44 + 64 5 208 (४) ॥22- 44 5 8 » 8 जा उदाहरण 8 : स्वाति शांत जल में अपनी नाव 5 किमी / घंटा की चाल से खे सकती है। र उसे धारा की दिशा के विपरीत 5.25 किमी जाने में, धारा की दिशा में लौटने की तुलना ] घंटा समय अधिक लगता है, तो धारा की चाल ज्ञात कीजिए। हल््ल : मान लीजिए धारा की चाल < किमी / घंटा है। धारा की दिशा के विपरीत नाव की चाल ८ (5 ->) किमी / घंटा धारा की दिशा में नाव की चाल (5 +>) किमी / घंटा धारा की दिशा के विपरीत 5.25 किमी जाने में लगने वाला समय, मान लीजिए, ॥, (घंटों में) - ्ज्क धारा की दिशा में 5.25 किमी चलने में लगने वाला समय, मान लीजिए, ॥ , (घंटों में) - 3+>»% प्रत्यक्ष रूप से / >2, है। 0 मम मिमी आम मम 95 अत; , प्रश्न में दिए गए प्रतिबंध के अनुसार, हल जोर ॥ 5.25 5.25 च्ड + या 5-» 5+> 2[_ हक या 45-55 5+>» 5+5४-5+<% 2][ जज [| 54 ह | 25-+* ) या 42% 5 ]00 -- 4%* या 45 + 42% -- 00 5८ 0 या 2४: + 2]:- 50 "0 या (2४ + 25)(४- 2) 75 0 इससे हम £-2 प्राप्त करते हैं, क्योंकि हम :+- प्र को छोड देते हैं। (क्यों?) अत:, धारा की चाल 2 किमी / घंटा हे। जाँच: धारा के विपरीत नाव की चाल (5 -2), अर्थात् 3 किमी / घंटा धारा की दिशा में नाव की चाल (5+ 2), अर्थात् 7 किमी / घंटा में 5.25 _. | धारा के विपरीत 5.25 किमी जाने में लगने वाला समय - हि 3 कक .75 घंटा ह में 5.25 , धारा के साथ 5.25 किमी जाने में लगने वाला समय - हज घंटा + 0.75 घंटा अंतर ८ .75 घंटा -- 0.75 घंटा 5 घंटा उदाहरण ।9 : प्रथम # प्राकृत संख्याओं का योग 8 निम्नलिखित संबंध दूबारा दर्शाया जाता है; 8-7९४+]) 2 यदि योग 276 हो, तो # ज्ञात कीजिए। या ह_र+॥४-55250 इससे हमें प्राप्त होता है ; __ -[+ %:2 ]+2208 -- बी+ 2208 8 $/ ! 5 2 ५ _> >+छिछ --४छछ हि 2 ॥॒ 2 का _ “ की >> (7-47 हि. ० 2 या. ॥ 5 23, -24 हम ॥5-24 को छोड देते हैं, क्योंकि -24 प्राकृत संख्या नहीं है। अत:, #₹23 है। का ख्याओं 23:24 जाँच : प्रथम 23 प्राकृत संख्याओं का योग5 >-7>- - 276 'प्रश्नावली 4.4 . ।2 को दो ऐसे भागों में विभक्त कीजिए जिनका गुणनफल 32 हो। 2. ।2 को दो ऐसे भागों में विभकत कीजिए जिनके वर्गों का योग 74 हो। 3. एक संख्या तथा उसके व्युत्क्रम का योग कद है। संख्या / संख्याएँ ज्ञात कीजिए। 4. एक आयत की एक भुजा उसकी दूसरी भुजा से 2 सेमी बड़ी है। यदि आयत का क्षेत्रफल 95 सेमी है, तो आयत की भुजाएँ ज्ञात कौजिए। 5. किसी भिन्न का हर उसके अंश के दुगुने से एक अधिक-है। यदि भिन्न तथा इसके व्युत्क्रम का योग 2 नि है, तो भिन्न ज्ञात कीजिए! दूविधात समीकरण.............-"नननििगिितितततितितितितिततितति तिनिलिनिनितिनि नितिन नि नितिन गत 97 6. 0. ]. 2. 3. 44. 5. 6. पाँच वर्ष पहले की रामू की आयु (वर्षो में) तथा 9 वर्ष बाद की आयु (वर्षों में) का गुणनफल 5 है। रामू की वर्तमान आयु ज्ञात कीजिए। दो अंकों वाली एक संख्या ऐसी है कि उसके अंकों का गुणनफल 2 है। इस संख्या में ३6 जोड़ने पर इसके अंकों के स्थान परस्पर बदल जाते हैं। संख्या ज्ञात कीजिए। दो क्रमागत विषम प्राकृत संख्याएँ ज्ञात कीजिए जिनके वर्गों का योग 202 है। दो क्रमागत सम धनात्मक पूर्णाक ज्ञात कीजिए जिनके वर्गों का योग 00 है। दो प्राकृत संख्याओं का योग 8 है। यदि उनके व्युत्क्रमों का योग ् हो, तो संख्याएँ ज्ञात कीजिए। तीन क्रमागत धनात्मक पूर्णांक ऐसे हैं कि प्रथम के वर्ग तथा अन्य दो के गुणनफल का योग 54 है। वे पूर्णाक ज्ञात कीजिए। - विक्रम तीन लकड़ी की छड़ों से एक समकोण त्रिभुज बनाना चाहता है। समकोण त्रिभुज का कर्ण उसके आधार से 2 सेमी तथा शीर्षलंब से 4 सेमी बड़ा होना चाहिए। उसे लकड़ी की छडें कितनी लंबी लेनी चाहिए? । एक समकोण त्रिभुज के आकार के घास के मैदान का कर्ण उसकी सबसे छोटी भुजा के दुगुने से एक मीटर बड़ा है। यदि उसकी तीसरी भुजा सबसे छोटी भुजा से 7 मीटर बड़ी है, तो मैदान की भुजाएँ ज्ञात कोजिए। दो संख्याओं के वर्गों का अंतर 45 है। छोटी संख्या का वर्ग बड़ी संख्या के चार गुने के बराबर है। संख्याएँ ज्ञात कीजिए। पिता तथा उसके पुत्र की आयु का योग 45 वर्ष है। पाँच वर्ष पूर्व उनकी आयु (वर्षों में) का गुणनफल 24 था। उनकी वर्तमान आयु ज्ञात कौजिए। सारस पक्षियों में से एक चौथाई कमल के पौधों के आस-पास घूम रहे हैं। कुल संख्या का पर तथा उसी संख्या का है एवं उसी संख्या के वर्गमूल के सात गुने मिलकर पहाड़ी पर घूम रहे हैं। शेष 56 पक्षी वकुल वृक्षों पर बेठे हैं। पक्षियों की कुल संख्या कितनी है? ( महावीर, 850 ई० लगभग) 8, 9, 20. 24. 22. 23, , एक किसान 00 मी _ क्षेत्रफल वाला आयताकार सब्जी का बगीचा बनाना चाहता है। क्योंकि उसके पास घेराबंदी के लिए कुल 30 मी लंबाई का कांटेदार तार है, इसलिए वह आयताकार बगीचे की तीन भुजाओं की घेराबंदी इस तार से करता है तथा चौथी भुजा की घेराबंदी के लिए अपने सहन की दीवार का उपयोग करता है। बगीचे की विमाएँ (#॥7र७/0०॥७) ज्ञात कौजिए। [संकेत : यदि एक भुजा की लंबाई » मी हो, तो दूसरी भुजा (30 - 220 मी होगी। इसलिए ४ (30-22) 5 00 ] एक समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई 3./6 सेमी है। यदि इसकी छोटी भुजा को तीन गुना तथा बड़ी भुजा को दुगुना कर दिया जाए, तो नए समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई 9,/5 सेमी हो जाती है। त्रिभुज की भुजाओं की लंबाइयाँ कितनी-कितनी हैं? यदि एक छोटे वर्ग के क्षेत्रफल का दुगुना एक बड़े वर्ग के क्षेत्रफल में से घटाया जाए, तो परिणाम 4 सेमी प्राप्त होता है। किंतु यदि बड़े वर्ग के क्षेत्रफल का दुगुना छोटे वर्ग के क्षेत्रफल के तीन गुने में जोड़ा जाए, तो परिणाम 203 सेमी प्राप्त होता है। दोनो वर्गों की भुजाएँ ज्ञात कीजिए। मुंबई से पुणे तक की 92 किमी की दूरी तय करने में एक तेज चलने वाली गाड़ी एक धीरे चलने वाली गाड़ी से 2 घंटा कम समय लेती है। यदि धीरे चलने वाली गाड़ी की औसत चाल तेज चलने चाली गाड़ी कौ औसत चाल से 6 किमी / घंटा कम हो, तो प्रत्येक गाड़ी की औसत चाल ज्ञात कीजिए। यदि किसी सवारी गाड़ी की सामान्य चाल में 5 किमी / घंटा की वृद्धि कर दी जाए, तो यह 300 किमी की यात्रा तय करने में 2 घंटे कम समय लेती है। इसकी सामान्य चाल ज्ञात कीजिए। एक तेज चलने वाली रेलगाड़ी 600 किमी की दूरी तय करने में एक धीरे चलने वाली गाड़ी से 3 घंटे कम समय लेती है। यदि धीरे चलने वाली गाड़ी की चाल तेज चलने वाली गाड़ी की चाल से ]0 किमी / घंटा कम हो, तो इन गाड़ियों की चालें ज्ञात कीजिए। एक विमान अपने निर्धारित समय से 30 मिनट देर से प्रस्थान करता है और 500 किमी की दूरी पर स्थित अपने गंतव्य स्थान पर समय से पहुँचने के लिए, वह अपनी सामान्य चाल में 250 किमी / घंटा की वृद्धि करता है। विमान की सामान्य चाल ज्ञात कीजिए। दूविधात समीकरण......... ० नदननिनननिनिनिनिनिनिनिनिनिनिनिनिनन लिन नि तिनिनिनिनिननननन नाना 00 शत 5 हक व तक 40 मकर 99 24. एक नाव को, जिसकी शांत जल में चाल 5 क्रिमी / घंटा है, धारा की दिशा में 30 किमी जाने तथा फिर धारा की दिशा के विपरीत लौटने में कुल 4 घंटे 30 मिनट का समय लगता है। धारा की चाल ज्ञात कीजिए। | 25, एक नाव को, जिसकी शांत जल में चाल 9 किमी / घंटा है, धारा की दिशा में 2 किमी जाने तथा फिर धारा की दिशा के विपरीत लौटने में कुल 3 घंटे का समय लगता है। धाया की चाल ज्ञात कीजिए। 26. 3 से आरंभ करके, # क्रमागत विषम प्राकृत संख्याओं का योग $ निम्नलिखित संबंध दूवारा दर्शाया जाता है : 955%8(0+ 2) यदि योग 68 हो, तो # का मान ज्ञात कीजिए। 27, प्रथम # क्रमागत सम प्राकृत संख्याओं का योग 8 निम्नलिखित संबंध द्वारा दर्शाया जाता है: 8-5 #(४ + ) यदि योग 420 हो, तो # का मान ज्ञात कीजिए। समांतर श्रेढ़ी ७१ अं मिस इस अध्याय में, हम संख्याओं के एक रोचक प्रतिरूप (92/०77) का अध्ययन करेंगे जिसमें कोई राशि उत्तरोत्तर किसी नियत मात्रा में बढ़ती या घटती चली जाती है। उदारहणतः, आपकी आयु प्रति वर्ष ।2 मास बढ़ जाती है। वर्ष में प्रति सप्ताह बीतते दिनों की संख्या 7 दिन बढ़ जाती है। किसी निवेश (76977»॥) पर साधारण ब्याज नियत अवधि के बाद एक नियत राशि से बढ़ता जाता है। जैसे-जैसे आप किसी वस्तु के मात्रकों की संख्या एक-एक कर बढ़ाते हैं, वैसे-वैसे उसका मूल्य एक नियत राशि से बढ़ता चला जाता है। दैनिक जीवन की ऐसी स्थितियों के अध्ययन के लिए, हम समातेर श्रेढ्ढी (॥77॥॥०॥2 |7०8/&४४०) को अवधारणा का परिचय कराएंगे और फिर उसका अध्ययन करेंगे। 2.) समता शेठी संख्याओं की निम्नलिखित सूचियों पर ध्यान दीजिए ; () ,4, 7, 0, 3, 6, ... () ], 6, 2!, 26, 3, 36, . . . (0) -4, 0, 4, 8, 2, 6, . . . (ण -?,<2; 8, [8, 28, 38, ... (0 6, 8, 0, -8, -6, -24, . . . (४) 2, 6, -9, -24, -39, -54, . .. (शो) .0, .5, 2.0, 2.5, 3.0, 3.5, .... इन सभी सूचियों में भिन्न संख्याएँ हैं। परंतु वह नियम जो हमें इन सभी सूचियों का विस्तार करने में, या इनमें आगे पद जोड़ने में समर्थ बनाता है, एक ही है। सूची () में, पहली संख्या के अतिरिक्त, प्रत्येक संख्या पिछली संख्या में 3 जोड़ने पर प्राप्त होती है ((७।+3, 7<4+ 3, 057+ 3, . ..)। इसी भाँति, सूची (7) में, पहली संख्या के अतिरिक्त, प्रत्येक संख्या पिछली समांतर श्रेढी...................०००«+««+« कम 7 रत तक 22077 50 0:27 7777 7088: 70270 40 0720 /72 202 0] संख्या में 5 जोड़कर प्राप्त होती है। सूची (४), - 4 से आरंभ होती है। अन्य संख्याएँ पिछली संख्या में 4 जोड़कर प्राप्त होती हैं। सूचियाँ (7) और (शं) पहली चार सूचियों से कुछ भिन्न हैं। इनमें पहली संख्या के बाद वाली संख्याएँ पिछली संख्या में से क्रमश: 8 और 5 घटाकर प्राप्त की जाती हैं। परंतु 8 घटाने का तात्पर्य है -8 जोड़ना आदि। अंतिम सूची में जोड़ी जाने वाली संख्या प्र या 0.5 है। इस प्रकार, सभी सूचियाँ दो सार्व तथ्य प्रदर्शित करती हैं ; . प्रत्येक सूची एक स्वेच्छा से चुनी गई संख्या से आरंभ होती है। (यह आरभिक या प्रथम सख्या कोई भी वास्तविक संख्या हो सकती है।) 2. सूची की प्रत्येक उत्तरोत्तर (57००४४»४०४०८) संख्या पिछली संख्या में एक ही नियत संख्या जोड्कर प्राप्त की जाती है। (यह नियत सख्या कोई भी वास्तविक संख्या हो सकती है।) यदि हम आरंभिक अर्थात् प्रथम संख्या को “४' से व्यक्त करें, और जोड़ी जाने वाली नियत संख्या को “४* से, तो ऊपर की प्रत्येक सूची को ॥,4+ रच, द्व+ 26, ८+3व ं, 6+ 4, ६+ 5, .. . (5) से व्यक्त किया जा सकता है। ४5] और ८53 लेने पर सूची () प्राप्त होती है। 4>] और ४5०.5 लेने पर सूची (शा) प्राप्त होती है। क्या ऊपर की सूचियाँ विभिन्न संख्याओं का क्रम बदलकर लिखी जा सकती हैं? उदाहरणत:, क्या (४) को निम्न प्रकार भी लिखा जा सकता है? बकरे, 6, 6+4र्चव, 6+ 36, ६.+ 5, 6+ 6, . . - स्पष्टत:, उत्तर 'नहीं' है। क्योंकि यदि हम ऐसा करते हैं, तो प्रतिरूप नष्ट हो जाएगा; हम यह नहीं कह सकेंगे कि उत्तरोत्तर (प्रगामी) संख्याएँ पिछली संख्या में ८ जोड़कर प्राप्त की जाती हैं। अतः उत्तरोत्तर या प्रगामी संख्याओं का क्रम महत्त्वपूर्ण है। अत: ऊपर के प्रतिरूप को बनाए रखने के लिए यह अनिवार्य है कि ४ प्रथम संख्या ही हो, ८+ 4 द्वितीय संख्या ही हो, ०८+2व तृतीय संख्या ही हो, और इसी प्रकार आगे भी। इस प्रकार, ऊपर की सूचियाँ (0) से (शा) इस अर्थ में क्रमित सूचियाँ हैं कि विभिन्न सख्याओं का क्रम परिवर्तित नहीं किया जा सकता। यदि आप संख्याओं का क्रम बदल देंगे, तो एक भिन्न सूची प्राप्त होगी; यह वहीं सूची नहीं होगी जिससे आपने प्रारंभ किया था। क्रमित सूची को एक अच्छी-सी संज्ञा देते हैं। इसे अनुक्रम (४८६४०४८४) कहकर पुकारते हैं। इस प्रकार, सूचियाँ () - (शा) संख्याओं के अनुक्रम हैं। पर ध्यान रहे, यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक अनुक्रम ()-(श) जैसा ही हो। अनुक्रम अन्य प्रकार का भी हो सकता है। उदाहरणत:, निम्नलिखित सभी सूचियाँ अनुक्रम हैं : , 0, 00, 000], ... ' 5, 52, 53, 55, .. . 4,6< 2, ]<2»%3, [& 2< 3» 4, ... परंतु इस अध्याय में, केवल () से (ए४) जैसे अनुक्रमों का ही अध्ययन किया जाएगा। किसी अनुक्रम में आने वाली संख्याएँ उसके पद (॥2//#5) या अवयव (०४४४४४४४) कहलाती हैं। इस प्रकार, अनुक्रम 0, 20, 30, .. . में ।0 पहला पद है, 20 दूसरा पद है और ऐसे ही आगे भी। सामान्यतया, पहले पद को ॥, ४,, 8, आदि से व्यक्त किया जाता है, दूसरे पद को £&, ०,, 8, आदि से व्यक्त किया जाता है। व्यापक रूप से, # वें पद को #, ८,, 2, आदि से व्यक्त किया जाता है। अनुक्रम (0), अर्थात् , 4, 7, 0, . . . के लिए इस संकेतन का प्रयोग करने पर, 6|>, 6,574, 4, 7, ०,70, .. . ध्यान दीजिए कि 4, 74, + 3, जिससे 4,- 4, 3, 4, +] ६, + 3, जिससे 6,- 4, 5 3 ६,०१०, + 3, जिससे 4,- 4. 3 और ऐसे ही आगे भी। इस प्रकार, जब किसी अनुक्रम के विभिन्न पद पिछले पद में एक नियत संख्या (यहाँ 3) जोड्कर प्राप्त किए जाते हैं, तो क्रमागत उत्तरोत्तर पदों में अंतर इस नियत संख्या (यहाँ 3) के ॥॒ 9 संमातर अढी, ५८ ता नह) ॥ तल तक तप दे गा 85 तक >किस न तन मय सन िनय लिपिक 03 बराबर होता है। ऊपर बताए गए 6) - (शा) जैसे अनुक्रम समातर श्रेढ़ी (व###॥2४८ #70827/26570॥5) या संक्षेप में, »? कहलाते हैं। उस नियत संख्या को, जिसे किसी भी पद को अपने से ठीक अगले पद में से घटाने पर प्राप्त होने वाले अंतर के रूप में देखा जा सकता है, इस »? का सार्व अतर (००४७#७०४ व#2८४८८) कहा जाता है। हम पहले ही देख चुके हैं कि 8, +रध, ६+ 24, 4+ 34, ,., ० और ० के विभिन्न मानों के लिए समांतर श्रेढ़ी ()- (शा) को निरूपित करते हैं। वास्तव में यह प्रथम पद ८ और सार्व अंतर ८ वाले ४? का व्यापक रूप है। यदि आपको ८ और व ज्ञात हों, तो आपको «7? के सभी पद ज्ञात हो जाते हैं। : दृष्ठांत | ; प्रथभ पद 0 और सार्व अंतर 5 वाली ४९ 0, 5, 20, 25, 30, .. . है। दृष्ठांत 2 : प्रथम पद -00 और सार्व अंतर 30 वाली ४? -00, -70, -40, -0, 20, 50, 80, . . . है। न । दृष्डांत 3; प्रथम पद | और सार्व अंतर _ या 0.25 वाली 07 .00, .25, .50, .75, 2.00, 2.25, 2.50, . . , है। दृष्टांत 4: प्रथम पद 2 और सार्व अंतर -। वाली 4? 2] 0,-/,-2,-3,., : ; है। दृष्टांत 5: 07 : 25, 35, 45, 55, . . . , का प्रथम पद 25 है और इसका सार्व अंतर 0 है। 4 दृष्टांत 6: 437 : 2, ग कप नि ही; लि तर 27 मल प्र ,-.., का प्रथम पद 2 और सार्व अंतर - न है। टिप्पणी ; किसी ७? का सार्व अंतर कोई भी वास्तविक संख्या हो सकती है। परंतु यहाँ हम केवल उन 7? पर ही विचार करेंगे जिनका सार्व अंतर कोई परिमेय संख्या हो। 5.3 समांतर श्रेढ़ी का # वा पद | एक ४? लीजिए जिसका प्रथम पद ८ और सार्व अंतर ८ है। इसके पदों को ८,, ८ 9 ८६25 ध 4 से व्यक्त करने पर, इसके उत्तरोत्तर पद होंगे 6| 5 6 4, तद[7रचत्ध्र+र्त॑ 6, 54, + रत (.+ध)+ ध्ैच'व+॑2व॑ अब प्रतिरूप स्पष्ट हो जाता है। दूसरा पद प्राप्त करने के लिए हम ७ में ८ का का योग करते हैं; तीसरा पद प्राप्त करने के लिए हम ० में 26 का योग करते हैं और ऐसे ही आगे भी। इन पदों को पुन; हम इस प्रकार लिख सकते हैं: 6 ₹4+(-]) 4 6, 57६८+ (2-) 4४ ६, +6+(3-]) 6 और ऐसे ही आगे भी। अतः #वाँ पद इस प्रकार लिखा जा सकता है : 8, + 6+ (7- [)व॑ () सूत्र () से हम प्रथम पद ० और सार्व अंतर 4 वाले ७7? का # वाँ (व्यापक) पद प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण १: समांतर श्रेढ़ी 7, 3, -], -5, -9, . .. . का सार्व अंतर ज्ञात कीजिए। इल : याद कीजिए कि यदि हम किसी «7? के प्रथम पद ८ में इसका सार्व अंतर 4 जोड़ दें, तो उसका दूसरा पद ८+४ प्राप्त हो जाता है। अत:, ४/5(७+ 4) - ७ 5 दूसरा पद - पहला पद ब्स् र-4 इस प्रकार, सार्व अंतर -4 है। सत्यापन ; 7+ (-4)53 (दूसरा पद) 3+(-4)5- (तीसरा पद) -+(- 4) 5-5 (चौथा पद) आदि। अतः, परिणाम सही है। हिप्परणी ; हम 7 और 3 के स्थान पर क्रमागत पद् 3 और -] लेकर, पहले की भाँति -।-3 5-4 प्राप्त कर सकते थे। परंतु आपको (#+ ]) वें पद में से ही #वें पद को घटाना आवश्यक है, भले ही (#+ !) वाँ पद # वें पद से छोटा ही क्यों न हो। समांतर श्रेढी...............- मय गम तर + सकल मे लाल कदर “आलम पाक 55 एप हर व 2 22 कफ 5 7 सर गग मकर रू 05 उदाहरण 2: वह 7? ज्ञात कीजिए जिसका तीसरा पद 6 है और जिसके सातवें पद में से पाँचवाँ पद घटाने पर ।2 प्राप्त होता है। इल :माना कि ? है : ०, .+ ६, 8+ 24, . . . तब ६, " ध + 24॑, 6६ 7१ 6 + 4, और 4, 5 ६ + 6व जैसा कि दिया गया है कि 6, >॥6 है, अर्थात् 8+ 245 6 () और 6. ८ 6. 55 !2 है, अर्थात् (ध+ 04)-(०+46) > 2 या 24 2 ८ “ही () और (2) से, हमें प्राप्त होता है: 4-6, ६54 इस प्रकार, »? का प्रथम पद 4 और इसका सार्ब अंतर 6 है। अतः, 7? है : 4, 0, 6, 22, 28, 34, . .. . $.4 किसी &? के परिमित पदों का बोगफल सी. एफ. गॉस (0.9. 59758) को महानतम गणितज्ञों मे से एक माना जाता है। जब वह छोटा ही था, तब एक दिन कक्षा के छात्रों को व्यस्त रखने के लिए, उसके अध्यापक ने सब छात्रों से ! से 700 तक की संख्याओं का योग करने को कहा। गॉस ने अविलंब इसका उत्तर अध्यापक को दे दिया। बाद में अध्यापक यह देखकर विस्मित रह गए कि केवल गॉस का ही उत्तर सही था। [आप इन संख्याओं का योग करने का प्रयत्न कीजिए और देखिए कि आपको ऐसा करने में कितना समय लगता है। यह भी याद रखिएगा कि गॉस बहुत छोटा था, कक्षा 5 में नहीं।] गॉस ने निम्नलिखित सरल युक्ति का प्रयोग किया था योग 85]+2+3+,..+98+ 99 +00 $-00+99+98+...+3+2+[ $ के इन दो व्यंजकों के संगत पदों का ऊर्ध्वाधर योग करने पर, 258 - 0।+0]+0]+. .. +0+0।+ 0] (सौ बार) >00 » 0 6 -- जा - 5050 गॉस से शिक्षा प्राप्त करते हुए, गॉस की ही युक्ति का प्रयोग कर, हम किसी ९? के परिमित पदों का योगफल प्राप्त कर सकते हैं। संयोगवश कया आपने ध्यान दिया कि , 2, 3, . . ., 00 एक ४९ हे? माना कि हम 67 .. 6, 4+4, 4+20, . . . के प्रथम # पदों का योगफल ज्ञात करना चाहते हैं। इस ४7? का # वाँ पद 6+(७-)« है। # वें पद तक के योगफल को &$, से व्यक्त करने पर, 8,5०+(.+६)+(४+26)+ ... + (6+(४-2)4) + (8+ (७- ) ४) () इसी योगफल को पुनः अंतिम पद से लिखना आरंभ कर, पहले पद पर समाप्त करने पर, 8, 5 4+(0-4)+(७+(७-2)4) + . +(०+24)+(४+६)+ ० (2) () और (2) का ऊपर की भाँति ऊर्ध्वाधर योग करने पर, 28, 5 26+ (#-)4)+(24+(४-)2)+ ...+ 26 +(४-)2)+(26+ (४ -)4) [# बार] व #24+ [8 - जग 8, - उरशिव +(४-)4) (७) या 5, ८ + 4९ ग् 0०] (3) (4) से प्राप्त होता है : 9, ् #2ि८ दि ( प् ])४) समातर अदी 8५57५ फल कल भा 55० दान 3 का 7८ मम तह मम सा उप तल पर जप 07 घन दा ्ि (] + (ह -- !)4)] अर्थात् शक 5 (७+/) ड (6+4, (0) जहाँ. [5६+(#४-) 4, ७? का अंतिम पद है। उदाहरण 3: उस ४९ के प्रथम 5] पदों का योगफल ज्ञात कीजिए जिसके दूसरे और तीसरे पद क्रमश; 4 और ।8 हैं। हल :#वें पद को ०, से, प्रथम # पदों. के योगफल को 8, से और ४7 के सार्ब अंतर को ४ से व्यक्त करने पर, सार्व अंतर 5 4-०, - 4, +]8-4 न््4 अब 4|74, - नै ]4 - 45 0 बे 80 +द्रुठा -94] ₹5](]0)5560 उदाहरण 4 ; किसी 7? का सार्व अंतर -2 है। यदि इसका प्रथम पद 00 और अंतिम पद -0 हो, तो इसका योगफल ज्ञात कीजिए। हल :सामान्य संकेतन में, & 5 00 | यदि पदों की संख्या # हो, तो 6,/5-0 है। अब हमें # ज्ञात करना है। 4, 6 4, + (#- ) 6 से, -0500+(७-)(-2) या 200-)500+ 0 या 20 ]!2 या ॥8556 इस प्रकार, -0, 56 वाँ पद है। अत: हमें उस «7? के प्रथम 56 पदों का योगफल ज्ञात करना है, जिसका प्रथम पद 00 और 56 वाँ पद -0 है। 00+(-0 856 57 कप [(0) का प्रयोग करने पर] 556 » 45 52520 उद्दाहरण $ ; उस अनुक्रम के प्रथम 24 पदों का योगफल ज्ञात कीजिए, जिसका # वाँ पद है ; & । न3+£ ६, 7५ हल : जाँच कीजिए कि क्या दिया गया अनुक्रम एक ४7 है। यदि इसके किन्हीं भी दो क्रमागत पदों का अंतर एक नियत संख्या हो, तो यह 7 होगा। अब, ६, 53+ दर (| ॥ उनका (५ न ५ | ० च्च न निनन न [>> ॥ [ + | 2 | ०,॥ एक सदर जो एक नियत संख्या है। अतः, दिया गया अनुक्रम एक #? है, जिसका सार्व अंतर | है। प्रथम पद, ८, में #5। लेने पर प्राप्त होता है। 4, 53+ ५ पड न इसका 24 पदों तक 4, योगफल है : वश“) 4] रे हा से 92, 524 ण।ट | न्न 249 प्र 58) 345 272 प्रश्नावली 5. ज्ञात कीजिए कि निम्नलिखित में से कौन-कौन से अनुक्रम समांतर श्रेढ़ी में हैं। जो समांतर श्रेढ़ी में हों उनका सार्ब अंतर ज्ञात कीजिए। 0) 3, 6, [2, 24, . . . () 0,-4,-8,-2, . . . पं) (९) (४) 3, 3, 3, 3, .. . [ संकेत : याद कीजिए कि ८ कोई भी वास्तविक संख्या हो सकती है।] (श) 9, 9 7 90, 9 + 80, 9 + 270, . . . जहा 9 5 (999)?? (शो) .0, .7, 2.4, 3.], . . . (शत) - 225, - 425, - 625, - 825, .. . (9) 0, 40+ 25, 0+ 2९, 0+27 ७) 8+ 8, (ध+ )+ 8, (७+ )+ (9 + ), (६ + 2) + (४+ ), (३+ 2) + (8+ 2) (0) 2, 32, 5, 7? एव) !?, 5१, 77, 73, . . . !त 24686 242, -0 2.' 2? का सार्व अंतर ज्ञात कीजिए और उसके अगले दो पद लिखिए : 6) 5, 59, 67, 75, ... . (0) 75, 67, 59, 5, .. . (0) .8, 2.0, 2.2, 2.4, . . . | ध | १ +]|४+ (0ए) 0, + | ७२ 2 (९) 9, 36, 53, 70, ... ज्ञात कीजिए ; () -40,-5, 0, 35, .,.. का 0 वाँ पद (0) ॥7, 04, 9, 78, ... का 8 वाँ पद (0) 0.0, 0.5, .0, .5, . . . का ]] वाँ पद 4 | ०२ +> (शे >> का9वाँ पद् ]५ | 4 9 4 कर (हे बह उस 87 का ]2 वाँ पद ज्ञात कीजिए, जिसका () प्रथम पद 9 और सार्व अंतर 0 है। (00) प्रथम पद -20 और सार्व अंतर 4 है। ] कर कं) प्रथम पद > और सार्व अंतर ग है। दिखाइए कि 6-9, ८ और 4८+४ किसी #7? के क्रमागत पद हैं। समांतर श्रेढ़ी 2, 42, 63, 84, ... का कौन-सा पद् 420 है? यदि निम्नलिखित «7? के # वें पद का मान » हो, तो & का मान ज्ञात कीजिए ; 6) 25, 50, 75, 00, . ..; ४5 000 (0) -,-3,-5,-7, ...; ४5-5] ] (0) टच ], हर 22, . ..; ४5550 समांठर श्रेढी....................०-०-० ना किला मिश लिए तर आप + सं प भनक धर करे स मत 25270: 2 पे के दा कपल टिकट र पर ]] 2]3] 4. [7] 9 9 «5० बछ रो 69० जाया ता ! 8. दी गई 8? के लिए ७,,-५,, ज्ञात कीजिए : 6) -9०,-4, -9, -24, . . . () ०8, ६+बव॑, ६+ 24, 8+ 34, . . . 9, समांतर श्रेढ़ी 6, ० + ४, ४+ 24, . . . के लिए व्यंजक ०,-०, लिखिए। फिर उस 6? का सार्व अंतर ज्ञात कोजिए ; () जिसका । वाँ पद 5 और ]3 वाँ पद 79 है। (४) जिसके लिए ०,,- ८; 5 200 है। (॥) जिसका 20 वाँ पद उसके ]8 वें पद से 0 अधिक है। 0. समांतर श्रेढ़ी 3, 45, 27, 39, ... का कौन-सा पद उसके 54 वें पद से 32 अधिक होगा? . किसी ४ का सार्व अंतर वही है जो एक अन्य ४० का। इनमें से एक का प्रथम पद 3 और दूसरी का 8 है। अंतर क्या होगा, उनके (0) दूसरे पदों में? . (0) चौथे पदों में? (॥7) दसवें पदों में? (४) तीसवें पदों में? 2. किसी «7? का सार्व अंतर वही है जो एक अन्य ७? का। इनके सौवें पदों में अंतर 222333 है। उनके दस-लाखवें पदों का अंतर क्या है? 3. किसी 7? का प्रथम पद 5 और 00 वाँ पद -292 है। इस ४? का 50 वाँ पद ज्ञात कीजिए। 4. योगफल ज्ञात कीजिए : (0) 8९; 2, 6, 0, . .. के प्रथम ! पदों का। (४) 807; -6, 0, 6, ... के प्रथम 3 पदों का। (४) उस # के प्रथम 5] पदों का जिसका दूसरा पद 2 और चौथा पद 8 है। 5. योगफल ज्ञात कीजिए प्रथम (0) 00 प्राकृत संख्याओं का। (7) # प्राकृत संख्याओं का। 46. योगफल ज्ञात कीजिए : 47. ]8, 9. () 2+47/06+,.. + 200 () 3+]+ 9+ . , . + 803 (॥॥) --5 + (-8) + (-) + . . . + (-230) वह अनुक्रम बताइए जिसका ? वाँ पद है : (0) ३3+बका () 5+20# () 6-# (69५) 9-58 दिखाइए कि इनमें से प्रत्येक अनुक्रम एक 8 है। प्रत्येक के प्रथम 5 पदों का योगफल ज्ञात कीजिए। सिद्ध कीजिए कि ८ और 8 कोई भी वास्तविक संख्याएँ हों, # वें पद ८+#8 वाला अनुक्रम सदैव एक 5? ही होगा। सार्व अंतर कया है? पहले 20 पदों का योगफल क्या है? ]000 रु की राशि को 8% वार्षिक की दर से साधारण ब्याज पर निवेश किया गया। , 2, 3,... वर्षों के अंत में ब्याज का परिकलन कीजिए। कया ब्याजों का यह अनुक्रम एक /7 है? 30 वर्ष के अंत में ब्याज ज्ञात कीजिए। किस्त योजनाएँ 6. भूमिका कभी-कभी व्यक्ति साधनों की कमी के कारण किसी वस्तु को खरीदने में असमर्थ होता है, यद्यपि उसे उस वस्तु की आवश्यकता तुरंत होती है। ग्राहकों कौ सुविधा के लिए जिससे वे साइकिल, पंखे, कूलर, सिलाई मशीन, स्कूटर, रेंफ्रिजरेटर, टेलीविजन या कार आदि वस्तुएँ खरीद सकें, व्यापारी लोग एक ऐसी योजना प्रस्तुत करते हैं जो क्रिस्त योजना (##दाक्षशा 8200९ या ॥84/ए९॥ |4॥) कहलाती है। व्यापार नीति के अंतर्गत, कभी-कभी व्यापारी ग्राहकों दूवारा इन वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रलोभन स्वरूप किस्त योजना आरंभ करते हैं। किसी वस्तु को किस्तों में भुगतान करके खरीदने की इस प्रक्रिया को किस्त क्रय योजना (#काकिशा 9पटीव56 3200॥९ या #दा॥शा॥। 0207॥8 ४22४४) कहते हैं। इस योजना के अंतर्गत, किसी वस्तु को खरीदते समय, ग्राहकों को ऐसी सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे वे मूल्य के कुछ भाग का भुगतान वस्तु खरीदते समय और शेष भाग का भुगतान ऐसी आसान किस्तों में कर सकें, जो मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक भी हो सकती हैं। स्वाभाविक है कि किस्त योजना में क्रेता (ग्राहक) को कुछ अधिक भुगतान करना पड़ेगा, क्योंकि विक्रेता स्थगित भुगतान (शेष भुगतान) पर कुछ ब्याज भी लेगा फ्लैट और मकान की किराया क्रय योजना (#7४ 7/20456 52/02४2) से हम सभी परिचित हैं। सरकारी एजेंसियों तथा निजी संगठनों दूवारा निर्मित फ्लैट तथा मकान इस योजना के अंतर्गत समय-समय पर विज्ञप्तियों द्वारा जनता को बेचे जाते हैं। कुल मूल्य का आंशिक भुगतान प्रारंभ में और शेष भुगतान सुविधाजनक किस्तों में किया जाता है, जो मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त एक अन्य प्रकार की किस्त योजना भी है, जिसके अंतर्गत बैंकों या वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण का वापस भुगतान (अदायगी) किया जाता है। इस अध्याय के आगामी अनुच्छेदों में, हम विभिन्न किस्त योजनाओं और संबंधित अवधारणाओं का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। 6.2 किस्त क्रय योजना किसी वस्तु का नकद मूल्य (८४४ ४४८०४) वह धनराशि है जो ग्राहक को वस्तु के खरीदते समय पूरे भुगतान के रूप में देनी पड़ती है। तत्काल नकद भुगतान (८467 धं०॥४ 7८)%०४0 वह धनराशि है, जो ग्राहक दवारा किसी वस्तु को खरीदते समय उसके मूल्य के आंशिक भुगतान के रूप में करनी पड़ती है। शेष राशि का भुगतान किस्तों में करने के लिए ग्राहक्त एक समझौता-पत्र (४87०७०7००0) पर हस्ताक्षर करता है। जैसा कि पहले समझाया गया है, किस्तों में दी गई कुल राशि नकद मूल्य और तत्काल नकद भुगतान के अंतर से सदैव अधिक होती है, क्योंकि विक्रेता शेष भुगतान पर कुछ ब्याज भी लेता है। यदि किस्तें मासिक हों और उनकी संख्या अधिक से अधिक 2 या उससे कम हो, तो सांधारण ब्याज लिया जाता है। साधारणतया प्रत्येक किस्त की राशि, किस्त योजना में लगाए गए कुल ब्याज से अधिक अथवा उसके बराबर होती है। हम अपने अध्ययन को केवल इस प्रकार की स्थितियों तक ही सीमित रखेंगे। दूसरे शब्दों में, हम किसी ऐसी स्थिति पर विचार नहीं करेंगे, जिसमें प्रत्येक किस्त को राशि, लिए गए कुल ब्याज से कम हो। कुछ उदाहरणों द्वारा हम इस योजना को स्पष्ट करेंगे। उदाहरण | ; एक ब्रीफकेस 800 रु नकद भुगतान अथवा 500 रु तत्काल नकद भुगतान और छः मास पश्चात् देय 320 रु में उपलब्ध है। किस्त योजना के अंतर्गत लगाए गए ब्याज की दर ज्ञात 'कीजिए। हल ; ब्रीफकेस का नकद मूल्य 5 800 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 5 500 रु किस्त योजना में देय शेष भुगतान का वर्तमान मूल्य + 800 रु - 500 र८300 रु छ; मास बाद देय किस्त की राशि5 320 रु 300 रु पर छ; मास के लिए ब्याज 5 320 रु - 300 रु 5 20 रु यदि ब्याज की वार्षिक दर #% हो, तो 300::7»% 6 क्योंकि 6 कत ह 20 ( 6 मसल वर्ष) किस योजना 0 28 न पक त आ 8 ]5 या # ८ ]3.33 (लगभग) अतः, किस्त योजना में ब्याज की दर 3.33 % वार्षिक है। उद्घाहरण 2 : एक साइकिल 800 रु नकद मूल्य अथवा 600 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 60 रु प्रति मास की दो मासिक किस्तों पर बेची जाती है। किस्त योजना में ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। हल ; साइकिल का नकद मूल्य 5 ]800 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान ८ 600 रु किस्तों में देय शेष मूल्य 5 200 रु मान लीजिए कि किस्त योजना में ब्याज की दर #% वार्षिक है। अत: 2 मास बाद, 200 रु का 4200%#/+%2 धन ८ | [200+-------:- मिश्र ॥ 52 | ८ (]200+2/) रु () इसी प्रकार, एक मास बाद दिए गए 6]0 रु का दूसरे मास के अंत में 6]0»+#+»<] धन < | 60+--------- मिश्र | 7-7 ठाठ | कर (६ 0) 20 दोनों मासिक किस्तों को मिलाकर दो महीनों के अंत में मम (6 0+ प., कह 0] 6]7 () तथा (2) से, 6]/ + 2# 55 ।220+ 200 + 2/ 56 797# या जद 20 या #<202420 _]3 4% (लगभग) ]79 अत;, किस्त योजना में ब्याज की वार्षिक दर 53.4]%।| वैकल्पिक विधि साइकिल का नकद मूल्य 5 800 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 5८ 600 किस्तों में देय शेष मूल्य 5८ 200 रु समान किस्तों की संख्या- 2 प्रत्येक किस्त की धनराशि 5 60 रु किस्तों में दी गई कुल राशि5 (2 » 6]0) रु 5 220 किस्त योजना में दिया गया कुल ब्याज 5 (220 - 200) रु" 20 रु () पहले मास के लिए मूलधन 5८ 200 रु दूसरे मास के लिए मूलधन 5 (200-60) रु न्ः 590 रु एक मास के लिए कुल मूलधन 5 (200+ 590) रु न ]790 अंतिम शेष मूलधन (590 रु) + दिया गया ब्याज (20 रु) > मासिक किस्त (60 रु) > अंतिम किस्त मान लीजिए कि ब्याज की दर + % वार्षिक है, तब ]790%/+%॥ 0७७४ ४ पा () और (2) से, द ।790%7#+%] ]00<2 दर किश्ते योजनाएँ, .3 07500 225 पे कप ०००5 मिलने तन तल माल लि अर मम 2 मय लक ]7 _20:200 . _790 अत:, किस्त योजना में ब्याज की वार्षिक दर5 3.4% । गया -3.4] (लगभग) उदाहरण 3 : कपडे धोने की एक मशीन 6400 रु नकद मूल्य अथवा 400 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 030 रु प्रति मास की पाँच किस्तों में उपलब्ध है। किस्त योजना में ब्याज की दर ' परिकलित कीजिए। हल : कपड़े धोने की मशीन का नकद मूल्य 6400 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 400 रु किस्तों में देय शेष मूल्य 55000 रु माना कि ब्याज की दर % वार्षिक 5 मास बाद 5000 रु का #% वार्षिक ब्याज की दर से मिश्रधन | 000+ 5000%< हा है | (5000 2 | धन () पाँचवें मास बाद 030 रु की पहली किस्त का मिश्रधन >> | 030 + ]030%#%» 4 | 00%2 इसी प्रकार, दूसरी किस्त का मिश्रधन हा [॥080+ 030%#2< षे 00»2 ' तीसरी और चौथी किस्तों का मिश्रधन क्रमश: 030५/% 2 030 %#»%] 200 7 बी क कल ।' 002 | केश कक । 002 ) होगा। पाँचवें महीने के अंत में पाँचों किस्तों का मिश्रधन 03/ 030:/5+----(4+3+2+६ | अंक (4+ )| के 03» - | 550 । तु | है (2) (।) तथा (2) से, 5000+-+ 0 _550++2 7. ]2 १2 ]477% -----८50 या हर 50,2 चर स्ड लग। भंग या् हि ]2.24 (लगभग) अतः, किस्त योजना में ब्याज की वार्षिक दर5 2.24% वैकल्पिक विधि कपडे धोने की मशीन का नकद मूल्य 56400 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 5400 रु किस्तों में देय शेष मूल्य 55000 रु समान मासिक किस्तों की संख्या 55 प्रत्येक किस्त की राशि 5030 रु ' किस्त योजना में भुगतान की गई कुल राशि 5(5 » 030) रु >5]50 रु अतः, किस्त योजना में दिया गया कुल ब्याज 5(550 - 5000) रु +]50 रु () पहले मास के लिए मूलधन 55000 रु दूसरे मास के लिए मूलधन 5000 रु - 030 रु 53970 रु किस्तयोजनाए... 300 + महक, 0०020 0 220 ४४778: 2 रीकित तप रपट 26 पद रद 9 तीसरे मास के लिए मूलधन -2940 रु चौथे मास के लिए मूलधन -90 रु पाँचवें मास के लिए मूलधन -880 रु एक मास के लिए कुल मूलधन +4700 रु अंतिम शेष मूलधन (880 रु) + दिया गया ब्याज (50 रु) > मासिक किस्त (030 रु) माना कि ब्याज की वार्षिक दर ८# % अत ब्याज ८ 4700%7»] हा 2 300, छत? ह (2) () तथा (2) से, 470027% _। «0 00»]2 50::200 या # न "777: 2.24 (लगभग) 4700 अतः, किस्त योजना में ब्याज की वार्षिक दर 5 2.24 % उदाहरण 4 : एक कंपनी एक कंप्यूटर 9200 रु नकद मूल्य अथवा 4800 रु तत्काल नकद भुगतान तथा पाँच समान मासिक किस्तों पर बेचती है। यदि कंपनी 2 % वार्षिक की दर से ब्याज लेती हो, तो प्रत्येक किस्त ज्ञात कीजिए। हल : कंप्यूटर का नकद मूल्य 59200 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 54800 रु किस्तों में देय शेष मूल्य 5(9200 - 4800) रु + 4400 रु ब्याज कौ दर 52% वार्षिक 5 मास के अंत में, 4400 रु कां मिश्रधन हद [4400 हा ]4400:2»5 ) 00%2 -(4400+ 720) रु 5 ]5]20 र () भाना कि प्रत्येक मास बाद देय किस्त 5» रु पाँचवें मास के अंत में, ४ रु की पहली किस्त का मिश्रधन न! मी हे नी रु ]00»2 ४»%2%3 00%४2 दूसरी किस्त का मिश्रधन ८ ॥ 5>]2५%2 तीसरी किस्त का मिश्रधन । ला | चौथी किस्त का मिश्रधन (+ + कक] 00,02 पाँचवें मास के अंत में, सभी पाँच किस्तों का कुल मिश्रधन | 229 4 ]2%93 जार ]25% »९] -> || %४+ +| ४+ +|४+ कहक- 57 कह | रू 00»2 00<42 00,८2 [00»%[2 व 3, 3+2+] | अदा! (4+3+2+ | प्ः का] ः 5]% फ (2) (]) तथा (2) से, 2 5]20 90 'किस्त गोजनाएँ:: ६ 520२४ तक रत तल सर 3 तक परत नि खक मर व नर पट मद 7१०5 पीते मर कप लप सम पार रन 2] है या के मम मन हलक मो 5] अत:, प्रत्येक किस्त 5 2964.70 रु वैकल्पिक विधि कंप्यूटर का नकद मूल्य 59200 रु 'किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 54800 रु किस्तों में देय मूल्य 54400 रु समान मासिक किस्तों की संख्या ८5 ब्याज की वार्षिक दर 52 % माना कि प्रत्येक किस्त की राशि 5&रु किस्त योजना में देय ब्याज 5(5%- !4400) रु (!) पहले मास के लिए मूलधन 5 4400 रु दूसरे मास के लिए मूलधन -5(4400 ->») रु तीसरे मास के लिए मूलधन 5 (4400 - 2.2) रु चौथे मास के लिए मूलधन +(]4400-3:0 रु पाँचवें मास के लिए मूलधन 5(4400-4४) रु . एक मास के लिए कुल मूलधन 5(72000 - 0:) रु अंतिर्म शेष मूलधन (4400 - 4%) रु + लिया गया ब्याज (5%- ]4400) रु # मांसिक किस्त (रु) (72000-0:)%2%] अत; गया पक प्रत:, लिया गया कुल ब्याज < शा जा इ (2) () तथा (2) से, (72000-05)»2 हा ल् 5..-4400 या 7200 - ४7 50 ४ - 44000 या 5] ४5 5200 या ४ + 2964.70 अत:, किस्त योजना में प्रत्येक मासिक किस्त की राशि 2964.70 रु है।| प्रशनावली 6,] . कमरा गर्म करने का एक हीटर 440 रु नकद मूल्य अथवा 200 रु तत्काल नकद भुगतान तथा एक मास बाद 244 रु देय राशि पर बेचा जाता है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज को वार्षिक दर ज्ञात कौजिए। 2, बिजली की एक इस्त्री 550 रु नकद मूल्य अथवा 250 रु तत्काल नकद भुगतान तथा दो मास बाद 305 रु देय राशि पर उपलब्ध है। इस योजना में ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। 3, एक प्रेशर कुकर 500 रु नकद मूल्य अथवा 250 रु तत्काल नकद भुगतान तथा तीन मास बाद 260 रु की देय राशि पर बेचा जाता है। इस योजना में ब्याज की दर ज्ञात कौजिए। 4. एक रूम कूलर 2400 रु नकद मूल्य अथवा ! 200 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 60 रु की दो समान मासिक किस्तों पर खरीदा जा सकता है। किस्त योजना में ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। 5. एक घड़ी 960 रु नकद मूल्य अथवा 480 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 245 रु प्रति मास की दो समान मासिक किस्तों पर उपलब्ध है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर परिकलित कीजिए। 6. एक पंखा 970 रु नकद मूल्य अथवा 20 रु तत्काल नकद भुगतान तथा तीन समान मासिक किस्तों पर मिलता है। यदि किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर 6% वार्षिक हो, तो मासिक किस्त ज्ञात कीजिए। 7. एक मिक्सी 500 रु नकद मूल्य अथवा 360 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 390 रु प्रति मास की तीन समान किस्तों पर उपलब्ध है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। 8. गैस को एक कुकिंग रेंज 2500 रु नकद मूल्य अथवा 520 रु तत्काल नकद भुगतान तथा चार समान मासिक किस्तों पर उपलब्ध है। यदि लिए गए ब्याज की दर 25% वार्षिक हो, तो मासिक किस्त की राशि परिकलित कीजिए। 9. एक स्कूटर 28000 रु नकद मूल्य अथवा 7400 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 5200 रु प्रति मास कौ चार समान किस्तों पर खरीदा जा सकता है। किस्त योजना के अंतर्गत लिए गए ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। 0. एक टाइपराइटर 7200 रु नकद मूल्य अथवा 3040 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 860 रु प्रति मास की पाँच समान किस्तों पर उपलब्ध है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। किसे योजनाएँ है 257 दल ता रत अत पति य तक तक पटल या तय 2208 725 23 4. कोई वस्तु 500 रु नकद मूल्य अथवा 50 रु तत्काल नकद भुगतान तथा पाँच समान मासिक किस्तों पर बेची जाती है। यदि लिए गए ब्याज की दर 8% वार्षिक हो, तो मासिक किस्त की राशि परिकलित कीजिए। 42. एक ट्रैक्टर 450000 रु नकद मूल्य अथवा 50000 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 32000 रु प्रति मास की 0 समान किस्तों पर बेचा जाता है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर ज्ञात कीजिए। 3. एक टेलीविजन सेट 24000 रु नकद मूल्य अथवा 8000 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 2800 रु प्रति मास की छ: समान किस्तों पर खरीदा जा सकता है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर परिकलित कीजिए। 4. कोई वस्तु 7000 रु नकद मूल्य अथवा 900 रु तत्काल नकद भुगतान तथा छः समान मासिक किस्तों पर उपलब्ध है। यदि दिए गए ब्याज की दर श्र % मासिक हो, तो प्रत्येक किस्त की राशि परिकलित कीजिए। 5. एक स्टीरियो सेट 5600 रु नकद मूल्य अथवा 800 रु तत्काल नकद भुगतान तथा 400 रु प्रति मास की 0 समान किस्तों पर बेचा जाता है। किस्त योजना में लिए गए ब्याज की दर ज्ञात कीजिए! 6, एक विद्युत जेनरेटर 39000 रु नकद मूल्य अथवा 25 % तत्काल नकद भुगतान तथा 3900 रु प्रति मास की 8 समान किस्तों पर बेचा जाता है। लिए गए ब्याज की दर परिकलित कीजिए। 7. एक वीडियो कैमरा 60000 रु नकद मूल्य अथवा 20 % तत्काल नकद भुगतान तथा 5000 रु प्रति मास की 0 समान किस्तों पर खरीदा जा सकता है। ग्राहक को कितनी ब्याज की दर देनी होगी? 8, एक जिराक्स मशीन 78000 रु नकद मूल्य अथवा 33 ट्र % तत्काल नकद भुगतान तथा 4900 रु प्रति मास की ॥] समान किस्तों पर उपलब्ध है। लिए गए ब्याज की दर परिकलित कीजिए। 6,3 ऋण का भुगतान (चुकाना) पिछले अनुच्छेद में, हमने किस्त योजनाओं की ऐसी समस्याओं के बारे में अध्ययन किया है, जिनमें किस्तें मासिक थीं और किस्तों के भुगतान का कुल समय एक वर्ष से अधिक नहीं था। इन सभी प्रश्नों में साधारण ब्याज लिया गया था। इस अनुच्छेद में, हम किराया क्रय योजनाओं और ऋण भुगतान की समस्याओं के बारे में अध्ययन करेंगे, जिनमें किस्तें मासिक न होकर जैमासिक, 24..........................................७०५७५०५५,०- न बन नरक नितिन रितिक गणित अर्धवार्षिक अथवा वार्षिक होती हैं तथा इन किस्त योजनाओं में लिया गया ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज होता है। लंबे और कठिन परिकलन से बचने के लिए, हम केवल ऐसी स्थितियों पर विचार करेंगे जिनमें किस्तें तीन से अधिक न हों। उपर्युक्त योजना के स्पष्टीकरण हेतु हम कुछ उदाहरणों पर विचार करेंगे। उदाहरण 5 : एक राज्य सरकार 550000 रु नकद मूल्य अथवा 42750 रु तत्काल नकद भुगतान और तीन समान वार्षिक किस्तों पर फ्लैट बेचने की घोषणा'कस्ती है। इस कल्याणकारी योजना के अंतर्गत सरकार नाममात्र के लिए 8% वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज भी लेती है। यदि कोई व्यक्ति इस किस्त योजना में फ्लैट खरीदता है, तो प्रत्येक किस्त की राशि ज्ञात कौजिए। हल : फ्लेट का नकद मूल्य 550000 रु किस्त योजना में तत्काल नकद भुगतान 42750 रु किस्तों में देय राशि का वर्तमान मूल्य 5550000 ₹-42750₹ +507250 रु माना कि प्रत्येक वार्षिक किस्त रु है। मूलधन (वर्तमान मूल्य) जो पहले वर्ष के अंत में &रु हो जाएगा इसी प्रकार, दूसरे और तीसरे वर्ष के अंत में, अ दसरी तथा तीसरी किस्तों का वर्तमान मूल्य क्रमश: किस्तें योजनाएं 20 >ग002 27272 856 7 कक लो घट दफा गत 2 0 कल 5 मपशे तप 5 री 825 अत;, तीनों किस्तों का कुल वर्तमान मूल्य यह राशि 507250 रु के बराबर है। 25 25 /257 आल 7 | | ल्लेी 0723] 507250%» 27 _ 507250: 27» 729 ..._ 252029 - ]96830 अत;, प्रत्येक किस्त का मूल्य 5 96830 रु है। उदाहरण 6 : एक व्यक्ति किसी वित्त कंपनी से कुछ राशि ऋण लेता है और इसे वह दो समान अर्धवार्षिक किस्तों में लौटाता है, जबकि प्रत्येक किस्त 4945 रु की है। यदि कंपनी 5% वार्षिक की दर से अर्धवार्षिक संयोजित चक्रवृद्धि ब्याज लेती है, तो मूलधन तथा कुल दिया गया ब्याज ज्ञत कौजिए। हैले : पहले छः मास के अंत में देय किस्त 4945 रु में मूलथन और इस पर ् % छमाही दर से ब्याज सम्मिलित है। यह मूलधन (वर्तमान मूल्य) - |4945 ् |] कं 7) रु 200 40 “अब १ २5 अत 567 | “ग ? हट 74600 रु इसी प्रकार, एक वर्ष बाद देय किस्त 4945 रु का संगत मूलधन ]5 _ 4945 + | +---- कह ॥ । | तर | ड 40. 40 > 4945)... - 4279. “पद “कर 74279.07र अतः, ऋण ली गई कुल राशि (मूलधन) 5 (4600 + 4279.07) रु 5 8879.07 रु + 8879 रु (लगभग) कुल दिया गया ब्याज 5 (4945 «४ 2- 8879) रु" 0]] रु उदाहरण 7 ; एक टेलीविजन सेट 9650 रु नकद मूल्य अथवा 300 रु तत्काल नकद भुगतान तथा तीन समान वार्षिक किस्तों पर उपलब्ध है। यदि दुकानदार 0% वार्षिक की दर से, वार्षिक संयोजित, ब्याज लेता है, तो प्रत्येक किस्त की राशि परिकलित कीजिए। हल : माना कि प्रत्येक किस्त 5» रु क्रय मूल्य की शेष राशि जो किस्तों में देनी है > (9650 - 300) रु5 6550 रु पहले वर्ष के अंत में देय » रु की राशि का वर्तमान मूल्य प ( हैं त कर | हि इसी प्रकार, दूसरे और तीसरे वर्ष के अंत में देय४रु की राशि के वर्तमान मूल्य क्रमशः » की रु तथा » । | रु होंगे। तीनों किस्तों के वर्तमान मूल्यों का योग "मत आती और यह 6550 रु के बराबर है। ") न | हक कि स्तश्योजनाएँ: 5707 दिल 2 तल 02 722२४ क गत 5 आन नरक दम 20 27 हि 270+00+000 9 लेके या जाकर: ]6550 ु 330 _ >ह या छा 6550 या & 5 6655 अत, प्रत्येक किस्त 6655 रु की हेै। उदाहरण 8 : राम ने कुछ राशि उधार ली और उसे तीन समान त्रैमासिक किस््तों में लौटा दिया, जबकि प्रत्येक किस्त 7576 रु की थी। उधार ली गई धनराशि ज्ञात कीजिए, यदि ब्याज की दर 6% वार्षिक हो और ब्याज त्रैमासिक संयोजित किया गया हो। कुल लिया गया ब्याज भी ज्ञात कीजिए। हल: ब्याज को दर 6 % वार्षिक -4 % त्रैमासिक (चूंकि प्रश्न में यह दिया गया है कि ब्याज ज्रैमासिक संयोजित किया जाता है।) पहले तीन मास के अंत में दी गई 7576 रु की राशि का वर्तमान मूल्य 4 25 डे एड ]+-- | रू> [7576 » <- । ः) हि ॥ ऋ] ज इसी प्रकार, दूसरे तीन मास तथा तीसरे तीन मास के अंत में दी गई 7576 रु की किस्तों का वर्तमान मूल्य क्रमशः 25) 2577 7576 | <- 7576 | << | (ऋ) | रु तथा | (क) | रु है। + 2 3 अत, तीनों किस्तों का कुल वर्तमान मूल्य - | हल श 8) कक [%] ॥| रु न््- 876 टुु 22 80 । 26 26. 676 ०. णित । 2 5 676+650+ 625 गन 2 | 0-०२ | रा न । 26 ] | 676 | _ 7576:25 »95 26,676 रु-48775 रु किस्तों में दी गई कुल राशि 5(!7576 » 3) रु5 52728 रु अतः, लिया गया ब्याज ८ (52728 - 48775) रु 53953 रु द प्रश्नावली 6.2 , एक व्यक्ति किसी वित्त कंपनी से 860 रु उधार लेता है और इसे दो समान वार्षिक किस्तों में लौटाता है। यदि ब्याज की दर 2.5 % वार्षिक हो और ब्याज का संयोजन भी वार्षिक हो, तो किस्त की राशि ज्ञात कीजिए। , 390200 रु की एक राशि तीन समान वार्षिक किस्तों में लौटाई जाती है। प्रत्येक किस्त कितनी होगी, ह यदि ब्याज 4 % वार्षिक की दर से प्रति वर्ष संयोजित होता है? . एक कार 402200 रु नकद मूल्य अथवा 50000 रु तत्काल नकद भुगतान तथा.3 समान छमाही किस्तों पर उपलब्ध हे। प्रत्येक किस्त की राशि ज्ञात कीजिए, यदि ब्याज की दर 0 % वार्षिक हो, जो अर्धवार्षिक संयोजित होता है। . किसी ऋण को दो समान वार्षिक किस्तों में चुकाना है। यदि 6 % वार्षिक ब्याज का संयोजन वार्षिक हो और प्रत्येक किस्त 682 रु की हो, तो ऋण की राशि और कुल ब्याज परिकलित कीजिए। , 2750 रु का एक ऋण दो समान छमाही किस्तों में वापस किया जाना है। यदि 8 % वार्षिक ब्याज का संयोजन छमाही हो, तो प्रत्येक किस्त कितने की होगी? , 085 रु की एक राशि को 3 समान छमाही किस्तों में लोटाना है। प्रत्येक किस्त की राशि ज्ञात कीजिए, यदि ब्याज 3 पर % वार्षिक दर से अर्धवार्षिक संयोजित होता है। किस्त योजनाएं: 8५0 72077: 0 07:28 गम 277 ४2675 की 0 77 खो दद7क पद 2 0:2 .. ।29 7. एक कंप्यूटर 39300 रु नकद मूल्य अथवा 2820 रु तत्काल नकद भुगतान तथा त्तीन समान अर्धवार्षिक किस्तों पर उपलब्ध है। प्रत्येक किसत की राशि परिकलित कीजिए, यदि विक्रेता 20 % वार्षिक की दर से ब्याज लेता है, जबकि ब्याज अर्धवार्षिक संयोजित होता है। 8. एक भवन निर्माता किसी फ्लैट को 3000000 रु नकद मूल्य अथवा 03600 रु तत्काल नकद भुगतान तथा तीन समान ज्ैमासिक किस्तों पर बेचने की घोषणा करता है। यदि 0 % वार्षिक ब्याज का संयोजन त्रैमासिक हो, तो किस्त योजना में प्रत्येक किस्त की राशि ज्ञात कौजिए। कुल ब्याज भी ज्ञात कौजिए। 9. एक व्यक्ति चक्रवृद्धि ब्याज पर कुछ ऋण लेता है और इसे तीन समान वार्षिक किस्तों में लौटा देता है। यंदि ब्याज की दर 5 % वार्षिक तथा वार्षिक किस्त 486680 रु की हो, तो ऋण की राशि ज्ञात कीजिए। 40. एक आवास समिति फ्लैट के लिए 600000 रु नकद मूल्य अथवा 585500 रु तत्काल नकद भुगतान तथा तीन समान अर्धवार्षिक किस्तें लेती है। यदि समिति 6 % वार्षिक ब्याज का संयोजन अर्धवार्षिक करती हो, तो प्रत्येक किस्त की राशि परिकलित कीजिए। दिया गया कुल ब्याज भी ज्ञात कीजिए। जीबकर ॥, भूमिका सरकार को अपने कर्तव्य निभाने के लिए बहुत से कार्य करने होते हैं; जैसे -- कानून-व्यवस्था बनाए रखना, न्याय-पद्धति को चलाना, देश की सुरक्षा करना, मुद्रा का प्रचलव एवं उसका स्थायित्व बनाए रखना, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा देना, बेरोजगारी एवं गरीबी का उन्मूलन करना आदि। एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते, इसका कर्तव्य बनता है कि धनी वर्ग तथा निध 'न वर्ग के बीच की खाई को पाया जाए और जहाँ कहीं भूख जैसी बुराई हो, उसे समाप्त किया जाए। इन सभी पर सरकार को बहुत-सा धन व्यय करना पड़ता है और यह व्यय दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है। 'देश के विकास के लिए और इन सभी कार्यों को करने के लिए इतनी बड़ी मात्रा में धन सरकार को कहाँ से प्राप्त होता है? हम एक विकासशील राष्ट्र में रह रहे हैं और यदि हमें एक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो केवल सरकार को ही नहीं अपितु देश के सभी लोगों को सतत् प्रयास करना होगा। सरकार यह वांछित धन राजस्व के रूप में अनेक साधनों से जुगती है। इन सभी में से एक महत्त्वपूर्ण साधन को कर-प्रणाली (7४४०४०४) कहते हैं। आपने, इनमें से कई के बारे में सुना होगा जैसे आयकर ([0076 9४0), वैभव या धन कर (५४८४७ 7४४0), सेवा कर ($6एं०७ ४४), बिक्री कर ($४6४ १४४), संपत्ति कर (2090/५ 7४४), मनोरंजन कर (प्रालिाक्ागालं ४४), चुंगी शुल्क (040 ), सीमा शुल्क ('॥श०णा 7पए), उत्पाद शुल्क (5०४७ /)09) इत्यादि। इन सभी करों का प्रस्ताव, वृद्धि या कमी, केंद्रीय सरकार, प्रदेश सरकार, नगर निगम अथवा समिति, छावनी बोर्ड, जनपद बोर्ड इत्यादि द्वारा अपने वार्षिक बजट में किया जाता है। यह वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में, कैलेंडर वर्ष की । अप्रैल से अगले कैलेंडर वर्ष की 3 मार्च तक किया जाता है। किन-किन क्षेत्रों में केंद्रीय सरकार, प्रदेश सरकार, अथवा स्थानीय संस्थाएँ ([,0०8॥ 8006४) कर लगा सकती हैं, पहले से ही निर्धारित होता है। क्योंकि केंद्र सरकार इन करों का अधिक भाग प्राप्त करती है, इसलिए उसे इन सभी साधनों का कुछ अंश प्रदेश सरकोरों अथवा आयकर रस लक पक / जग 20:57 0007 छत 7 कद कोर गत तप 00 00677: 025 3] संघीय क्षेत्रों को भी देना होता है ताकि वे भी विकास के लिए और दूसरे खर्च करने के लिए उसका उपयोग कर सकें। अत: देश के नागरिकों द्वारा प्रदत्त ये कर देश के विकास तथा सरकार द्वारा इसकी सामाजिक एवं आर्थिक दायित्व की पूर्ति के लिए होते हैं। इन करों का भुगतान, व्यक्ति अथवा व्यापारिक तथा औद्योगिक प्रतिष्ठान करते हैं। 7.2 करों का वर्गीकरण करों का वर्गीकरण बहुत से रूपों में किया जा सकता है; जैसे - 0). आय पर कर (0) धन पर कर (॥ संपत्ति पर कर ((९ उत्पादन पर कर (0) आयात और निर्यात पर कर (श) वाहनों पर कर (शो) वस्तुओं की बिक्री पर कर (शा) माल के स्थानांतरण पर कर किंतु व्यापक रूप में, इन्हें दो वर्गों में बाँठ जा सकता है : (क) प्रत्यक्ष कर (7)/80 79568) (ख) अप्रत्यक्ष कर (00760 5568) (क) प्रत्यक्ष कर : वह कर, जो किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह पर लगाया जाता है और उसको या उनको सीधा प्रभावित करता है, अर्थात् जिसको उसे अथवा उन्हें सीधा सरकार को देना होता है, प्रत्यक्ष कर कहलाता हे। उदाहरण के लिए, आयकर, धन अथवा वैभव कर, संपत्ति कर, व्यावसायिक कर इत्यादि सभी प्रत्यक्ष कर हैं। (ख) अप्रत्यक्ष कर : इस वर्ग में लगाए गए कर निम्न प्रकार के हैं ४ | 0) केंद्रीय उत्पाद कर (शुल्क), जिसे उत्पादित वस्तुओं पर लगाया जाता है। 0) वस्तुओं के आयात और निर्यात पर लगाया गया सीमा शुल्क। /: 0 रकम न अल कब तप कर 3 दम अल गणित (00 रसीदी टिकट शुल्क! (५) केंद्रीय बिक्री करा (४) प्रदेश उत्पाद शुल्क (कर)। (शं) बिक्री कर। (शी) मनोरंजन कर। (शा) चुंगी शुल्क। (४) शिक्षा उपकर (806॥०॥ (१8४४8)। अगले अनुच्छेद में हम केवल आयकर के बारे में पढ़ेंगे। 7.3 आयकर एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह की वार्षिक आय पर लगाए गए कर को आयकर कहते हैं। इस अनुच्छेद में, हम सरल स्थितियों में केवल वेतन भोगी व्यक्तियों तथा पेंशन भोगी व्यक्तियों पर लगे आयकर के परिकलनों के बारे में ही पढ़ेंगे। प्रत्येक व्यक्ति, जिसकी वार्षिक आय एक निर्धारित सीमा से अधिक होती है, को आयकर अधिनियम (000७ १४४ ४०) के अंतर्गत, अपनी आय का कुछ भाग आयकर के रूप में अदा करना होता है। केंद्र सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष से पहले, कर की दरों की घोषणा करती है। प्रत्येक व्यक्ति को आयकर विभाग द्वारा एक 'स्थाई खाता संख्या" (7श#क्ाशा #2ट0कां ४४0४) (?५)५) दिया जाता है। करदाता को अगली वित्तीय वर्ष की एक पूर्व निश्चित तिथि से पहले अपनी आयकर विवरणी ([#20#82 7७ 2४४४) जमा करनी होती है। साधारणतया यह तिथि अगले वित्तीय वर्ष की 3। जुलाई होती है। अगले वित्तीय वर्ष को कर निधारिण वर्ष (45४25७४८४7 9८८०) भी कहते हैं। इस प्रकार, वित्तीय वर्ष 2002-2003 का संगत कर निर्धारण वर्ष 2003-2004 होगा। अगले परिच्छेदों में, हम विभिन्न अंतरालों में आयकर की दरें, वेतन भोगी एवं पेंशन भोगी व्यक्तियों के लिए मानका कटौती (#क्यावंद्ार्व 2024॥४८४०७), कुछ पूर्व निर्धारित प्रकार के दिए गए दानों पर कटौती तथा बचत पर कर में छूट के बारे में ब्यौरा देंगे। आयकर): 73२ के फीस कि पर सतत सम आप पदक ० थे रस किसका सपने पलट रच यरिपनप गलत लेप उप पर 433 व्यक्ति के लिए वित्तीय वर्ष 2002-2003 ( कर निर्धारण वर्ष 2003-2004) में आयकर की दरें कर योग्य आय* .... दर ( रुपए में, निकटतम 0 रू तक ) आयकर** अधिभार 50,000 तक कुछ नहीं 50,00! से 60,000 तक 50,000 रु से अधिक राशि का 0 % 000 रु + 60,000*#** रु से अधिक राशि का 20% 60,00। से ,50,000 तक ,50,000 से अधिक 9,000 रु + ,50,000 रु से अधिक राशि का 30 % हमारी रुचि वेतन भोगी (पेंशन भोगी सहित) व्यक्तियों के लिए आयकर के परिकलन में ही रहेगी। इन सभी को मानक कटौती की सुविधा निम्न प्रकार से उपलब्ध रहती है : आय (5व्वाध्ना'श) मानक कटौती (9्ापत्रा'त 0९0॥0९॥0॥) (0) यदि वेतन ,50,000 रु से अधिक नहीं है | ु वेतन का व भाग, परंतु अधिकतम सीमा 30,000 रु (0) यदि वेतन ,50,000 रु से अधिक हो और 3,00,000 रु से अधिक नहीं 25,000 रु (0) यदि वेतन 3,00,000 रु से अधिक हो और 5,00,000 रु से अधिक नहीं (५) यदि वेतन 5,00,000 से अधिक हो 20,000 रु कुछ नहीं मे कर योग्य आय & कुल आय - अनुमति प्राप्त क्ैतियाँ शुद्ध देय आयकर (आयकर + अधिभार) को निकटतम | रु तक परिकलित किया जाता है। “ अधिभार सहित कुल आयकर (व्यक्ति की आय - 60000 रु) से अधिक नहीं होगा। दान की वृत्ति को बढ़ावा देने के लिए, कर योग्य आय में कटौती का भी प्रावधान दिया गया है। कुछ दान राशियाँ, जो 00 % और कुछ 50 % तक कर मुक्त हें, निम्न हैं : 0) प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (0) राष्ट्रीय सुरक्षा कोष (0) आयुर्विज्ञान अनुसंधान में दी गई दान राशि (५) अन्य धर्मार्थ ट्रस्ट ((॥8श80]6 परपरण8) 'जैसे शिक्षण संस्थाएँ, अस्पताल, अनाथालय आदि [ दान दी गई राशि जिस पर आय में कगेती का प्रावधान है, व्यक्ति की कुल आय के 0% से अधिक नहीं हो सकती। उपर्युक्त दी गई कटौतियों के अतिरिक्त कुछ विशेष वर्गों के व्यक्तियों को आयकर में छूट निम्न प्रकार भी दी जाती है : वरिष्ठ नागरिकों (5७४४० /ं72०॥8), जिनकी आयु किसी वित्तीय वर्ष में 65.वर्ष अथवा अधिक हो जाती है, को उनकी कुल आय पर लगने वाले आयकर में 700 % छूट दी जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा 5000 रु है। महिलाओं (यद्यपि उनकी आयु 65 वर्ष से कम भी हो) को आयकर में 00 % की छूट दी जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा 5000 ₹ है। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आय में कुछ निर्धारित बचत करने पर कर में छूट का भी प्रावधान है; जैसे - (0) अंशदायी भविष्य निधि (0?) (7) सामान्य भविष्य निधि (52) (7) सार्वजनिक भविष्य निधि (श्र) ह (५) जीवन बीमा प्रीमियम (॥0) जिसमें यूनिट संबंधी बीमा योजना ([] 7?) भी सम्मिलित है। (५) राष्ट्रीय बचत पत्र 098८)/ राष्ट्रीय बचत योजना (४४७) (श) कुछ निर्धारित इंफ्रास्ट्रक्चर बाँडों आदि में जमा की गई राशि इन पर निम्न दरों से आयकर में छूट दी जाती है : आय छूट (आयकर में ) (क) यदि कुल आय (कटौतियाँ देने के पश्चात्) बचत का 20 % 50000 रु तक है (ख) यदि कुल आय 50000 रु से अधिक तथा बचत का 5 % 500000 रु तक है (ग) यदि कुल आय 500000 रु से अधिक है कुछ नहीं (घ) यदि कुल आय 00000 रु से अधिक नहीं है बचत का 30 % (मानक कटौती देने से पहले), कुछ प्रतिबंधों के अंतर्गत। उपर्युक्त () से (९) तक में की गई बचत पर केवल 70000 रु तक की बचत पर ही आयकर में छूट दी जाती है। ।00000 रु तक की बचत पर आयकर की छूट का प्रावधान तभी है यदि इसमें से कम से कम 30000 रु इंफ्रास्ट्रक्चर बाँडों (श) में जमा करवाए गए हों। निम्न उदाहरणों में हम आयकर का परिकलन केवल वेतन भोगी/पेंशन भोगी व्यक्तियों के संदर्भ में करेंगें। वेतन में हम घर का किराया भत्ता (प्ा२७) तथा परिवहन भत्ता सम्मिलित नहीं करेंगे। उद्दाहरण | ; कृष्ण की वेतन रूप में कुल वार्षिक आय 20000 रु है। वह 500 रु प्रति मास भविष्य निधि में जमा करता है। परिकलित कौजिए कि उसे कितना आयकर देना होगा। हल : वेतन से कुल आय -20000 रु मानक कटोती 5८20000 रु का वर भाग जिसकी अधिकतम सीमा 30000 रु 5 30000 रु कर योग्य आय 5(20000 - 30000) रु 5 90000 रु 50000 रु तक कर > कुछ नहीं अगले 0000 रु पर कर 5000 रु ह (]) (90000 - 60000) रु, अर्थात् 30000 रु पर 20% की दर से कर न [30000 भर गत रु 00 ++ 6000 रु (2) कुल कर [() तथा (2) का योग] 7000 रु भविष्य निधि में जमा की गई राशि 5 (500 « 2) रु 5 6000 रु 20 00 अत;, देय आयकर ८ (7000 - 200) रु 5 5800 रु बचत पर आयकर में छूट 5 (6000 « +>5) रुक ।200 रु 5 % की दर से आयकर पर अधिभार ८ (5800 » पा रु 5290 रू कुल देय आयकर ८ (5800 + 290) रु> 6090 रु उदाहरण 2 : सविता का मासिक वेतन 2000 रु है। वह 600 रु प्रति मास भविष्य निधि में जमा कराती है और 3000 रु वार्षिक जीवन बीमा प्रीमियम के रूप में देती है। ज्ञात कीजिए कि उसे कितना आयकर देना होगा। हल ; सविता का कुल वार्षिक वेतन (2000 » 2) रु 5 44000 रु त कपल मानक कणेती ८ 44000 रु का हर जि अधिकतम सीमा 30000 + 30000 रु कर योग्य आय 5 (44000 - 30000) रु 5 4000 रू 50000 रु तक आयकर > कुछ नहीं अगले 0000 रु पर कर 5 000 रु (!) (]4000 - 60000) रु पर 20% की दर से कर 20 ह 54000 रु» क्गु _ /0800 रु (2) कुल कर [() तथा (2) का योग] 5 800 रु महिलाओं के लिए कर में छूट 5 5000 रु जीवन बीमा 5 3000 रु भविष्य निधि 600 » 2 रु+ 7200 रु कुल बचत (भविष्य निधि+ जीवन बीमा) 57200 रु + 3000 रु5 0200 रु | में 2 बचत पर 20% की दर से कर में छूट « ्ा » ]0200 रु - 2040 रु कुल छूट (5000 + 2040) रु 7040 रु देय आयकर 5 (800 - 7040) रु 4760 रु 5 5% की दर से अधिभार ८ प्र 4760 रु 5 238 रु कुल देय आयकर +> (4760 + 238) रु 5८ 4998 रु उदाहरण 3 :ऊषा की वेतन से वार्षिक आय 240000 रु है। वह 2000 रु प्रति मास भविष्य निधि में जमा कराती है, 5000 रु वार्षिक जीवन बीमा में प्रीमियम देती है और 5000 रू राष्ट्रीय बचत पत्र में निवेश करती है। वह 5000 रु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान देती है जिस पर 00 % छूट है। परिकलित कीजिए कि वर्ष में उसे कितना आयकर देना होगा। हल ; वेतन से कुल आय 5 240000 रु मानक कटौती 5 25000 रु (क्यों?) प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान से कटौती ८ 5000 रु कर योग्य आय 5 (240000 - 25000 - 5000) रु 5 20000 रु 30 आयकर - | 9000+----(20000 -50000 कुल आयकर | गा )| रु झ् ॥ 9000 + गा | 60000] रु < [9000 + 8000] रु 37000 रु बचत - (2000 » 2+ 5000 + 5000) रु 5 44000 रु बचत पर आयकर में छूट ८ (44000 फे रू 56600 रु महिलाओं के लिए कर में छूट 55000 रु कुल छूट 5 (6600 + 5000) रु+ !600 रु देय कर ८ (37000 - 600) रु 5 25400 रु 5 अधिभार 5 25400 * गा | ]270 कुल देय कर ८ (25400 + [270) रु" 26670 रु '४४४४] 4 : यदि उपर्युक्त उदाहरण 3 में, वेतन में से [। मास तक 2250 रु प्रति मास कर की कटौती की गई हो, तो अंतिम मास में कितना आयकर देय होगा? #ल्य : कुल देय कर 5 26670 रु !! मास में की गई कर की कटौती 5 (2250 » ]!) रु 5 24750 रु अत:, 2वें, अर्थात् अंतिम मास में कर की कटौती 5 (26670 -- 24750) रु “5 ]920 रु छाए 5:67 वर्षय अहमद को 8000 रु मासिक पेंशन मिलती है। वह 60000 रु सार्वजनिक भविष्य निधि में जमा कराता है और 0000 रु के राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदता है। वह 0000 रु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में भी दान देता है। परिकलित कीजिए कि उस वर्ष में उसे कितना आयकर देना होगा। 5 कुल आय (8000 » 2) रु: 26000 ₹ मानक कटौती 5 25000 रु (क्यों?) प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान के लिए कटौती 5 0000 रु कुल कर योग्य आय 5 (26000 - 25000 - 0000) रु 8]000 रु 50000 रु तक कर 5 कुछ नहीं अगले 0000 रु पर कर 5 000 रु अगले 90000 रु पर कर 8000 रु अगले ([8000 - 50000) रु, अर्थात् 3]000 रु पर 30% की दर से कर- 9300 रु कुल कर (000 + 8000 + 9300) रु 28300 रु बचत > (60000 + 0000) रु+ 70000 रु में 5 बचत के कारण कर में छूट ८ 70000 'ह््ू+50500₹ वरिष्ठ नागरिक के लिए कर में छूट 5000 रु कुल छूट 5 (0500 + 5000) रु 5 25500 रु दिया जाने वाला कुल कर 5 (28300 - 25500) रु 52800 रु 5% की दर से अधिभार ८ (2800 » े 5 ]40 रु कुल देय कर 5 (2800 + 40) रु 5 2940 रु प्रश्नावली 7, ., राम की कुल आय (वेतन रूप में) 08000 रु है। वह. 600 रु प्रति मास भविष्य निधि में जमा कराता है। उसके द्वारा आयकर के रूप में दी जाने वाली राशि परिकलित कीजिए। , गुरबव्श सिंह का मासिक वेतन 4000 रु है। वह प्रति मास 700 रु भविष्य निधि में जमा कराता है और 2000 रु का वार्षिक जीवन बीमा प्रीमियम देता है। उसके द्वारा देय आयकर की राशि परिकलित कीजिए। » असलम का मासिक वेतन 26000 रु है। वह वर्ष में कुल 54000 रु सामान्य भविष्य निधि और सार्वजनिक भविष्य निधि में जमा कराता है। वह 6000 रु के राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदता है। वह 8000 रु एक धर्मार्थ ट्रस्ट में दान देकर उस पर 50% की कटौती प्राप्त करता है। उसके द्वारा दी गई आयकर की राशि निकालिए। . अनिल का मासिक वेतन 50000 रु है। वह 3000 रु मासिक भविष्य निधि में जमा कराता है और 5000 रु वार्षिक जीवन बीमा प्रीमियम के रूप में देता है। वह 4000 रु के राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदता है। वह 8000 रु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में देता है और 5000 रु उस स्कूल को दान के रूप में देता है जहाँ वह पढ़ा था। इन दोनों दान राशियों पर उसे क्रमशः 00% और 50% की कटैतियाँ प्राप्त होती हैं। उस वर्ष इसे कितना आयकर देना पड़ेगा? . कार्तिका का मासिक वेतन 2600 रु है। वह 000 रु सामान्य भविष्य निधि में जमा कराती है और 500 रु राष्ट्रीय बचत पत्रों में निवेश करती है। वह 500 रु एक आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र में दान देकर उस पर 00% की कटौती प्राप्त करती है। परिकलित कीजिए कि उसे कितना आयकर देना पड़ेगा। 6. राज रानी को 9000 रु प्रति मास पेंशन मिलती है। यदि वह कोई बचत नहीं करती, तो उसे कितना आयकर देना पड़ेगा? 7, श्याम 7] वर्षीय वरिष्ठ नागरिक है। वह एक निजी फर्म में काम करता है और [6000 रु मासिक वेतन पाता है। वह सार्वजनिक भविष्य निधि में 45000 रु जमा कराता है और 300 रु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दान देता है (दान राशि पर 00 % कटौती)। उसे कितना आयकर देना होगा? 8. अवतार सिंह का मासिक वेतन 55000 रु है। वह 5000 रु मासिक भविष्य निधि में जमा कराता है और जीवन बीमा के दो अर्धवार्षिक प्रीमियम देता है जिनमें से प्रत्येक की राशि 3000 रु है। वह 20000 रु इंफ्रास्ट्रक्चर बाँडों में निवेश करता है। उसके द्वार दिए जाने वाले आयकर का परिकलन कीजिए 9, उपर्युक्त प्रश्न 8 में यदि आयकर के रूप में 5000 रु ! मास तक उसके मासिक वेतन से काटे जा रहे हों, तो वर्ष के अंतिम मास में कितना आयकर काय जाएगा? ॥। चल , सीता का मासिक वेतन 9250 रु है। वह 2500 रु प्रति मास सामान्य भविष्य निधि में और 20000 रु सार्वजनिक भविष्य निधि में जमा कराती है। वह 000 रु एक स्कूल को दान करती है; उस पर 50% की कटगेती प्राप्त करती है। यदि उसके वेतन में से आयकर के रूप सें प्रति मास ]700 रु )] मास के लिए काटे गए हों, तो वर्ष के अंतिम मास में काटे जाने वाले आयकर का परिकलन कीजिए। | पुन, , सुदेश का मासिक वेतन 30000 रु है। वह 3000 रु मासिक सामान्य भविष्य निधि में और 34000 रु सार्वजनिक भविष्य निधि में जमा कराती है। वह 30000 रु इंफ्रास्टक्चर बाँडों में भी निवेश कराती है, जिससे उसे 00000 रु तक की बचत पर कर में छूट मिलती है। वह 000 रु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में और 5000 रु उस कॉलेज में देती है, जहाँ वह पढ़ी थी। इन राशियों पर उसे क्रमशः 00% ' और 50% की कटौतियाँ मिलती हैं। यदि उसके वेतन में से [॥ मास तक आयकर के रूप में 4500 रु काटे जाते रहे हों, तो वर्ष के अंतिम मास में काटा गया आयकर ज्ञात कौजिए। 2. राजेंदर कौर का मासिक वेतन 5400 रु है। वह प्रति मास 000 रु भविष्य निधि में और जीवन बीमा के 000 रु वाले त्रैमासिक प्रीमियम देती है। वह 300 रु आयुर्विज्ञान अनुसंधान केन्द्र में दान के रूप में देकर उस पर 00 % की कठीती प्राप्त करती है। उसे कितना आयकर देना पड़ा? . 43, एक वरिष्ठ नागरिक की वार्षिक पेंशन 4600 रु है। ज्ञात कीजिए कि क्या उसे कुछ आयकर देना होगा। यदि हाँ, तो कितना आयकर देना होगा? ह 4, सुब्रहमण्यम् का वार्षिक वेतन 95300 रु हैं। वह 4800 रु सामान्य भविष्य निधि में तथा 200 रु की जीवन बीमा किस्त देता है। इस वर्ष में उसके द्वारा देय कुल आयकर परिकलित कीजिए समरूप त्रिभुज 8.] भूमिका । हम पिछली कक्षाओं में दो ज्यामितीय आकृतियों की सर्वांगसमता के संबंध में पढ़ चुके हैं। हम दो त्रिभुजों के सर्वांगसम होने के कुछ नियमों का भी अध्ययन कर चुके हैं। स्मरण कीजिए कि दो सर्वागसम आकृतियों के "समान आकार (&॥8/6)' तथा 'समान माप (अं56)' होते हैं। अब हम उन आकृतियों के बारे में पढ़ेंगे जो "समान आकार' की तो हैं, परंतु यह आवश्यक नहीं है कि वे 'समान माप' की भी हों। ऐसी आकृतियों को समरूप (अं#६/) कहते हैं। यह स्पष्ट है कि दो सर्वांगसम आकृतियाँ समरूप होती हैं, परंतु यह आवश्यक नहीं है कि इसका विलोम भी सत्य हो। आइए हम निम्न आकृतियों को देखें (आकृति 8.) ; ८20 ढ ७ (0) (200८ (॥॥ आकृति 8.] 0) में, चार समबाहु त्रिभुज विभिन्न मापों के हैं। क्या वे समान आकार के हैं? क्या वे समरूप हैं ? आकृति 8. (॥) में, विभिन्न मापों के तीन वर्ग हैं। क्या उनके आकार समान हैं ? क्या वे समरूप हैं ? आकृति 8.। (69) में, विभिन्न मापों के तीन सम पंचभुज हैं। क्या वे समान आकार के हैं ? क्या वे समरूप हैं ? आकृति 8.] (0) में, चार वृत्तों के माप भिन्न हैं। क्या उनके आकार समान हैं ? क्या वे समरूप हैं ? उपर्युक्त सभी प्रश्नों का उत्तर स्पष्ट रूप से 'हाँ' है। हम उपर्युक्त से यह निष्कर्ष निकालते हैं कि सभी समान सख्या की भुजाओं के सम बहुभुज, जैसे की समबाहु त्रिभुज, वर्ग इत्यादि, समरूप होते हैं। विशेष तौर पर, सभी वृत्त भी समरूप होते हैं। क्या वृत्त तथा त्रिभुज अथवा त्रिभुज न् और वर्ग एक ही आकार के होते हैं? स्पष्टत: नहीं। इन प्रश्नों का उत्तर हम केवल आकृति देखकर दे सकते हैं। आइए अब हम आकृति 8.2 में दिए दो त्रिभुजों ७80! तथा ?00 को देखें। ये आकृतियाँ समरूप दिखती हैं, परंतु हम इनके बारे में स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते हैं। इसलिए, आकृतियों की ८ सर्वांगसमता की तरह, हमें समरूपता आकृति 8.2 की स्पष्ट परिभाषा करनी होगी और उस परिभाषा पर आधारित कुछ अनुकूल नियम बनाने होंगे जिससे कि हम निर्णय कर सकें कि दो दी गई आकृतियाँ समरूप हैं या नहीं। 8.2 समरूप बहुभुजें अब आपको समरूपता का अभिप्राय कुछ समझ में आ गया. होगा। वास्तव में, सभी जीवित प्राणियों में समरूपता के ज्ञान की कुछ भावना होती है। आपने किसी व्यक्ति के अथवा एक ही वस्तु के या एक ही आकृति के फोटो-चित्रों को विभिन्न मापों में एक ही निगेटिव से बने देखा होगा। फोणेग्राफर क्या करता / करती है, जब वह विभिन्न साइजों के फोटो को बनाता / बनाती है। वह बहुधा फोटो को, छोटे साइज के फिल्म जिसको हम 35 मिमी माप कहते हैं, खींचता / खींचती है और फिर उसको बडे माप जैसे 45 मिमी या 55 मिमी के फिल्म पर बढ़ा देता / देती है। इस प्रकार, यदि हम छोटे फोटो (आकृति) के किसी रेखाखंड पर विचार करें, तो बड़ी आकृति में 5 मी मा 45 5 में संगत रेखाखंड उस रेखाखंड का >> या न् होगा। वास्तव में, इसका अर्थ यह है कि छोटे चित्र 35 3 संमरूप!विभज 7४३०० 85 व 9 छप 7५ गधे 2 गन द मी हे- ३३ ८ पल मकर भय 5घ 5० कि घर लग जो दो प8 के 055 443 के प्रत्येक रेखाखंड को फोटोग्राफर समान अनुपात, अर्थात् 35:45 या 35: 55 में बढ़ा देता है (अथवा बडे फोटो के प्रत्येक रेखाखंड को समान अनुपात में कम कर देता है)। पुनः यदि हम दो संगत रेखाखंड-युग्म के झुकाव (कोण) का विचार अलग-अलग मापों के दो फोटो के लिए करें, तो हम देखेंगे कि दोनों कोण बराबर हैं। यही दो बहुभुजों के समरूप होने का मूल सार है। हम कहते हैं कि : दो बहुभुज जिनके भुजाओं की सख्या समान है समरूप होते हैं, यादि (0) उनके संगत कोण बराबर (समानकोणिक) हों, ओर (0) उनकी सरगत थुजाएँ समान अनुपात में (या समानुपाती ) हों। इस प्रकार, हम सरलता से कह सकते हैं कि आकृति 8.3 के चतुर्भुज ७300) और «&'छ'ट'0' समरूप हैं। ८ 20%, ८ 4.2 सेमी ,6 हु बात ६3%. ग % न 4,8 सेमी “सि्सी आ6...>५ 2.4 सेमी टी मु हे हो 5 ह - [2 2 हे (0५ 8 0:05" है । 5 (९ अल कप ( 702. ४! 0५. $, नि ल् ] ण् 9 » 5 सेमी हा हि कि 2. 3 मी । रा के 275 ५, न भर ५ जॉन दं 8... हर ध्यान दीजिए कि आकृति 8.4 में, दोनों आकृतियों (वर्ग और आयत) के संगत कोण बराबर हैं, परंतु उनकी संगत भुजाएँ समान अनुपात में नहीं हैं। अतः, दोनों आकृतियाँ समरूप नहीं हैं। छ 3 सेमी ्रि एः रा ॥ 3 सेमी 3 सेमी. 3.5 सेमी 3.5 सेमी पट कद ह ॒ री फ द उसी 7 थै कतपइचत- छः आकृति 8.4 इसी प्रकार, हम देख सकते हैं कि आकृति 8.5 में दोनों आकृतियों (वर्ग और समचतुर्भुज) की संगत भुजाएँ समान अनुपात में हैं, परंतु उनके संगत कोण बराबर नहीं हैं। अतः, दोनों आकृतियाँ समरूप नहीं हैं। इस प्रकार, दोनों प्रतिबंधों () और (४) में से केवल एक प्रतिबंध, बिना दूसरे प्रतिबंध के, बहुभुजों के समरूप होने के लिए पर्याप्त नहीं है। 4.6 सेमी रथ 0' 4.6 सेमी 4.6 सेमी री 4.6 सेमी छः आकृति 8.5 टिण्पणी : यह स्पष्ट है कि यदि एक बहुभुज दूसरे बहुभुज के समरूप हो तथा दूसरा बहुभुज तीसरे बहुभुज के समरूप हो, तो पहला बहुभुज तीसरे के समरूप होगा। चूंकि त्रिभुज भी एक बहुभुज है, इसलिए सामान्यतः: बहुभुज की समरूपता के यही प्रतिबंध त्रिभुज की समरूपता के लिए भी लागू होते हैं। दूसरे शब्दों में, दो त्रिभुज समरूप होंगे यदि 0) उनके सगत कोण बराबर हों, तथा (0) उनकी सगेत भुजाओं का अनुपात समान हो (आनुपातिक हों ) प्रसिद्ध यूनानी गणितज्ञ थेल्स (600 ई० पू०) ने समानकोणिक त्रिभुजों के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण सत्य उद्घाटित किया था, जो निम्न प्रकार है ; समानकोणिक त्रिभुजों की किन्हीं दो संगत भुजाओं का अनुपात सदैव समान होता है, चाहे उनके माप (साइज) कुछ भी हों। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसे सिद्ध करने में उन्होंने एक आधारभूत प्रमेय का उपयोग किया जिसे आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय (9द॥ंट 77670 /ंकदाी। 7॥००१४७) कहते हैं (इसे थेल्स प्रमेय से भी जाना जाता है)। अगले अनुच्छेद में, हम इस प्रमेय तथा उसके विलोम की चर्चा करेंगे। है (45 परत जागपाविव्यक प्रयेश पे (73 ४.। * बदि किसी तिभुज की एक भुजा के समातर अन्य पर दो भुजाओं को काटते हुए कोई रेखा खींचें, तो वह ब्रिभुज की स् स्ज अन्य दोनों भुजाओं को समान अनुपात में विभाजित करती है। अल ६०७३ + : & ७80 जिसमें 8? के समांतर एक रेखा «8 को 7 पर तथा »0 को ४ पर प्रतिच्छेदित करती है (आकृति 8.6)। 80 _ 48 हे इज छ8 एझट आकृधि 98.6 0 ; 89, 00 को मिलाइए और छए। «8, 7]ए | «० खींचिए। ला ४० (५४98) बह उस : आइए अनुपात 65छछ) 'र विचार करें, जहाँ # (6 ४708) का अर्थ & 005 का क्षेग्रफल है। 3 4० (4 898) _ ॥ कर फ () --» 3)» हए 2 मर मा ०/ (५ 408) _ उर्नश्शणर 45 प्रकार, ऋलहिेलोओी व त्क्ठ ड् ४ (80८08) | 7०, ड्र (2) परंतु ८/ (७ 8098) < &/ (&७(.08) (3) (क्योंकि दोनों त्रिभुज समान आधार 98 पर और समान समांतर रेखाओं 78 और 8८ के मध्य स्थित हैं) 6/ (0 32.9) _ ०/ (४ /975) 4०(5 895) ऋ#८ट)9) [8)से| (4) 590 ._ 8 | अतः, कक [00), (2) और (4) से] गश्मेभ : हमें ज्ञात है गे तय (0) 2, दोनों ओर #&0+908 _ &४+४० हे छठ छठ 23 _ 20 ् 83. छट 708. ४८ | व्युत्क्रम लेने पर 4 ब्छ हट है ) ९) (।) और (2) को गुणा करने पर, हमें प्राप्त होता है: 30 78 __ #8 52 फररख्फ हटाफऋट ) _ 685 शैछठे.. 80 इस प्रकार, यदि ७७8९० में 80 के समातर एक रेखा अन्य दोनों भुजाओं ५8 और 40 को क्रमश; बिंदुओं 0) और ४ पर प्रविच्छेद करे, तो 80 ._ #5 क>न्तब्_-. अन्त 48. #2 या आधारभूत आनुपातिकता प्रभेय का बिलोम : आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का विलोम भी सत्य है। इसके लिए, आइए निम्न क्रियाकलाप करें। कोई त्रिभुज 82 खींचिए और उसकी भुजा 8 और ४० किसी भी संख्या में बराबर भागों में बाँटिए (मान लीजिए 5 भाग), जैसा कि आकृति 8.7 में दर्शाया गया है। आइए अब हम 8,0,, 8,0,, 8,0, और 82, को मिलाएँ। स्पष्टत:, दि न छ8 लूट 4 रेखाओं 80, और 8८ के संबंध में क्या कह सकते हैं? हम देखते हैं कि 8,2, | 82 | हम 8,0, | 8० की यथार्थता संगत कोणों 8, और 8 को मापकर तथा 8, “9 पाकर प्रमाणित कर सकते हैं। इसी प्रकार, हम देख सकते हैं कि आकति जी) 232 “० 203 ड़ 2 ( (् 8.8 * टूटे 7 दु तथा 8,९, | 82, 'समरूँप व्िभुज. 28 २२7२8६ ४ लत लम नरकत पक मनन जगत 2 मे के. घ पद 20५ जन रन दल छ8 टूट 72 तथा 80, | 8०, । 88, _ &0, _ 4 और छ.छ _ ठ,.ट 7 तथा 8,८,॥ 82८। हम ४8 और «० को किसी भी संख्या में बराबर भागों में विभाजित कर इस क्रियाकलाप को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार हम एक ही निष्कर्ष पर पहुँचेंगे। इस प्रकार, हम प्रमेय 8.। का निम्न विलोम प्राप्त करते हैं: गुणप्र्भ 8.। : यदि कोई रेखा किसी त्रिभुज की किन्हीं दो धुजाओं क्रो समान अनुपात में विभाजित करती हो, तो यह रेखा तीसरी भरुजा के समातर होती है। हणणी ; इस विलोम को इस प्रकार भी सिद्ध कर सकते हैं कि हम यह मान लें कि रेखा तीसरी भुजा के समांतर नहीं है और फिर एक विरोधाभास प्राप्त करें। अब हम कुछ उदाहरणों की सहायता से उपर्युक्त परिणामों का प्रयोग स्पष्ट करेंगे। जठाहशण | ; आकृति 8.8 में यदि 87' | 0४ है, तो 78 निकालिए। हल : मान लीजिए ?$ » सेमी है। | पट 0 क्योंकि 8 | 0९ है, इसलिए ए8$ _ए ! ः ढक (प्रमेय 8.] ) या लो 3 2 9 या है न क्र इस प्रकार, ए8 रु सेमी उद्दाहरण 2 : आकृति 8.9 के लिए बताइए कि क्या ९० || # है। 07 _3.9 __3 औ+ 20 _ 3.6 होने ६777० आर च्त्बत द एए 3 ]0 09 2.4 चूंकि 797 . 00 चूंकि काका इसलिए 70, ४ के समांतर नहीं है। उदाहरण ३ : आकृति 8,0 में, छ7 | 8 || 00 है। 808. फ्रप् ध कीजिए कि 22 सिद्ध कीजिए कि छ्फट | हल : ७000 से, हम पाते हैं : ॥ए | 900... ##॥|7०0 दिया है) आकृति 8.0 22 मिकी» क्र एट साथ ही, ७८५४ से हमें मिलता है ; एए | 880. (# | ४ दिया है) (प्रमेय 8.]) () छए _ ४7 ज़््त्फ़्ट पा इसलिए (]) और (2) से, 5 छः घर) ए८ उद्दाहरण 4 : आकृति 8.] में, यदि कि 6८»8 समद्विबाहु है। 89 _ छः पल और “८08 - “८90 हो, तो सिद्ध कीजिए हल : चूंकि न पद » इसलिए 798 | ४8 (गुणधर्म 8. से) <ए85 ८० त्तथा “ए59 5 28 (संगत कोण) परंतु. “00785 “८ए0 (दिया है) * &2. 5 <ऐ आकृति 8.॥ 085 (५ (बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ) अतः, 6 ०४5 समद्विबाहु है। संगखप तिरधुज: 5४२०४ ० तने ने मन नि ले 0 पतले से गे गिल कला 7 नरम लक पल लत प 49 सताहरण 5 : एक रेखाखंड ७8 को आंतरिक रूप से एक दिए हुए अनुपात, मान लीजिए 2:3, में विभाजित कीजिए। ८. 2 4५ 0, 2.2. स्का के हे ना &. ह॑ाि ७७७ आकृत्ति #.॥2 हल : हमें एक रेखाखंड ४8 दिया है। हमें रेखाखंड ,४8 पर एक बिंदु ? इस प्रकार ज्ञात करना है कि ९७ : 78 52 : 3 हो। इस रचना के लिए हम निम्न चरणों का अनुसरण करते हैं : चरण ] : एक किरण 80 खींचिए और उस पर पाँच (2+3) बिंदुओं & , &,, &,, ४, और ४, को बराबर दूरी पर चिह॒नित कीजिए, अर्थात् & 8,686, 0,८5४, 8, ८ ै., ४, ८ ४, ४. हो (आकृति 8.2)। चरण 2 : ४.8 को मिलाइए। चरण 3 : &, (दूसरे बिंदु) से, एक रेखा ४.8 के समांतर खींचिए जो ४8 को 7 पर प्रतिच्छेद करे। तब 7? ही अभीष्ट बिंदु होगा। टिप्पणी : हम उपर्युक्त तथ्य को आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का उपयोग कर सिद्ध कर सकते हें। प्रश्नावली 8.] . किसी ७700 की भुजाओं ?0 और शर पर क्रमशः ॥/ और 7 बिंदु हैं। निम्नलिखित प्रत्येक स्थितियों में, ज्ञात कीजिए कि क्या शाप | 008 है: 0) ७-4 सेमी, 0// 5 4.5 सेमी, शीप 5 4 सेमी, !।श२ 4.5 सेमी (0) ?0- .28 सेमी, ।श२ 5 2.56 सेमी, ?]/ 0.6 सेमी, ?|४ 5 0.32 सेमी 2. यदि आकृति 8.3 6) और 69 में, 0 || 80 हो, तो 6) में 00 और (60) में ७0 ज्ञात कीजिए। ,5 सेमी री सेमी, (६... / ॥.3 सेमी १ के 3 सेमी (२ श्र 5.3 सेमी विद, 8*%... ण । ॥ लक ० () हे () आकृति 8.3 3. आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का प्रयोग कर सिद्ध कीजिए कि त्रिभुज की किसी भुजा के मध्य-बिंदु से दूसरी भुजा के समांतर खींची गई रेखा तीसरी भुजा को समद्विभाजित करती है। 4. आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय के विलोम का प्रयोग कर सिद्ध कीजिए कि किसी त्रिभुज की दो भुजाओं के मध्य-बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा, तीसरी भुजा के समांतर होती है। था हि 4 रे 5. आकृति 8.]4 में, यदि ९0 | 8८ तथा ए१ | ०9 हो, तो 7. ै 5 आ लय ला मर सह कन (! ९ >> ए सिदूध कौजिए कि “-5 हू ऐ। हर का 9 आकृति 8.4 ४898-450 कक * आकृति 8.5 में, 08 | 420 और 700|॥ 4० है। 398 80 सिर कोजिए कि 7 के 55 है छ ९ आकृति 8.5 संमरूप॑तिभुज:: 0५7 वे-कर८सअलन्ल नी सरल अपन मास / न पे मर पिन मे 2४ मल पक नल सम म पल पमप पिन रत सम प्य रा हमसे 5] 7. आकृति 8.6 में, 08 | ७0 और 707 || 8 है। सिदूध कीजिए कि छ7 | 0९ है। 5 २. पे |! व जप दी, हि ला म कर आकृति ४.॥७ 8. आकृति 8.7 में, ९0 | 28 और ए१ | »0 है। सिद्ध कीजिए कि 0१ | 8८ है। हर ः आकृति 8.7 9, एक समलंब ४800 में, ४8 | 00 है। उसके विकर्ण &20 तथा छा) एक दूसरे को 0 पर 30 _ 80 प्रतिच्छेदित करते हैं। सिद्ध कीजिए कि पर है। [ संकेत : 0 से एक रेखा »8 या (0) के समांतर खींचिए। ] 0. किसी चतुर्भुज #800 के विकर्ण 0 और छा) एक-दूसरे को बिंदु 0 पर इस प्रकार प्रतिच्छेदित करते हैं कि नि ता है। सिद्ध कीजिए कि चतुर्भुज ७30१) एक समलंब हे। . सिद्ध कीजिए कि समलंब की समांतर भुजाओं के समांतर कोई रेखा, उन भुजाओं को जो समांतर नहीं हैं, आनुपातिकता (अर्थात् समान अनुपात) में विभाजित करती है। 2, यदि तीन या अधिक समांतर रेखाएँ दो तिर्यक रेखाओं से प्रतिच्छेदित होती हों, तो सिद्ध कौजिए कि उनके द्वारा तिर्यक रेखाओं पर काटे गए अंतःखंड (00००8) आनुपातिक होते हैं। [टिप्पणी : इस परिणाम को सामान्यतः आनुपातिकता अतेःखड गुणधर्म कहते हैं। ] 3. एक रेखाखंड 0 सेमी लंबाई का खींचिए और उसको 3 :4 के आंतरिक अनुपात में विभाजित कीजिए। 8.५ हो जिभजोीं को जा ॥ कं अशोडियों हम पहले कह चुके हैं कि दो त्रिभुज समरूप होते हैं यदि 6) उनके संगत कोण बराबर हों, और (४) उनकी संगत भुजाएँ समान अनुपात में हों। अर्थात् यदि दो त्रिभुजों ७80! और ए6ए में (0) 2285 ८९, 285 20, 20₹ <रे तथा () ऊठ व्द नि हो, तब दोनों त्रिभुज समरूप होंगे। यहाँ ७, ? के संगत है, 8,0 के संगत है तथा 0,२ के संगत है। सांकेतिक रूप में, हम ऊपर के संबंध को '& ४2380 - «५ 700! लिखते हैं, और पढ़ते हैं कि '७ ७80 समरूप है 4 ९0४8 के।' सर्वांगससमता की स्थिति की तरह, समरूपता में भी समरूप त्रिभुजों को उनके संगत शीर्षों के सही क्रम में लिखते हैं। उदाहरणत:, उपर्युक्त स्थिति में & ७8९ - & (४० या & ७8९ “४ 7२?(), इत्यादि लिखना सही नहीं है। अब एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है: क्या दो त्रिभुजों की समरूपता का निर्धारण करने के लिए हमें हमेशा दोनों त्रिभुजों के संगत कोणों की समानता तथा संगत भुजाओं के आनुपातिक संबंधों को देखना होगा? स्मरण कीजिए कि दो त्रिभुजों की सर्वागसमता के लिए, हमने कुछ कसोटियाँ निर्धारित की थीं, जिसमें त्रिभुज के अबयवों के केवल तीन युग्म लिए थे। हम यहाँ भी ऐसी निश्चित कसौटियों पर पहुँचने का प्रयास करेंगे जिनमें दो त्रिभुजों की समरूपता स्थापित करने के लिए त्रिभुजों के कुछ कम अवयवबों की ही आवश्यकता हो। इसके लिए आइए हम कुछ क्रियाकलाप करें। आइए दो रेखाखंड 80! और पृथक् लंबाइयों (मान लीजिए क्रमश: 2 सेमी तथा 5 सेमी) के खींचें। 8 और छ पर किसी भी माप, मान लीजिए 60%, के कोण "830 तथा श्र तथा ८ और 7 पर, मान लीजिए 40", के कोण #८8 और 07 की रचना कीजिए। भान लीजिए भुजाएँ 87 और 0८४५ एक-दूसरे को # पर प्रतिच्छेदित करती हैं और भुजाएँ छ? तथा 90, 0 पर प्रतिच्छेदित करती हैं (आकृति 8.8)। 0७ 5 न ;? 8 ही" घु ४! ् ो 5 ट ह.€ ट टँ पी | ० हम हैँ ९0 (0९५ ८ पर डी हल अल 2 व 37022, -श 5 सेमी ' आकृति ४.8 20775 0% 027 मिट कह मी कर न ला शक 2 53 इस प्रकार, हमें दो त्रिभुज ७380: और ॥)9 प्राप्त होते हैं। आप 2» और 27 के संबंध में क्या कह सकते हैं? स्पष्टत: ये दोनों प्रत्येक 80" के हैं। इस प्रकार, त्रिभुजों ७3९! और ॥)7 में, हमें 20 ८ 270, 285 2808 और “05 7 मिलता है, अर्थात् संगत कोण बराबर हैं। आइए 88 0९0 (५ ता के हम ४3, ४0, 05, 07 की माप ज्ञात करें और अनुपात एक आदत शत करे। आप क्या देखते हैं? हम देखते हैं कि दोनों अनुपात उठ और ऊए्, 0.4 (या उसके बहुत अधिक 2५: 50 48 निकट), अर्थात् <# के बराबर हैं। इस प्रकार, ्िः कक, ] है, अर्थात् संगत भुजाएँ समान अनुपात में हैं और इसीलिए त्रिभुनज &80: तथा 787 समरूप हैं। हम इस क्रियाकलाप को ऐसे अनेक त्रिभुजों के युग्म बनाकर जिनके संगत कोण बराबर हों तथा उनकी संगत भुजाओं के अनुपात को निकालकर दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार हम एक ही निष्कर्ष पर पहुँचेंगे। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है : गृणधर्म ४.2 : यदि दो त्रिभुजों में संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ आनुपातिक होती हैं (अर्थात् उनका अनुपात समान होता है), और इस प्रकार दोनों त्रिथुज समरूप होते हैँ। इस गुणधर्म को दो त्रिभुजों की कोण-कोण-कोण (444) समरूपता कसौटी कहते हैं। एणाणियों : . गुणधर्म 8.2 को हम एक त्रिभुज की दो भुजाओं के बराबर रेखाखंड दूसरे त्रिभुज के संगत भुजाओं से काटकर और आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का प्रयोग करके, सिद्ध कर सकते हैं। 2. चूंकि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 80* है, अत: यदि किसी त्रिभुज के दो कोण दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों के बराबर हों, तो उनके तीसरे कोण स्वतः बशबर होंगे। इस प्रकार, हम गुणधर्म 8.2 का निम्न उप-गुणधर्म पाते हैं : उप गृणघर्म : यदि किसी त्रिभुज के दो कोण, दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों के बराबर हें, वो दोनों त्रिधुज समरूप होंगे। इसे दो त्रिभुजों की समरूपता की कोण-कोण (44) कसाोंटी कहते हैं। आइए अब हम दो त्रिभुजों ७80४ और 7087 की रचना करें जिनकी भुजाएँ क्रमश: 3 सेमी, 6 सेमी और 8 सेमी तथा 4.5 सेमी, 9 सेमी और ॥2 सेमी हों (आकृति 8.9)। आकृति 8.9 छछ का कफ 3 अनुपात में हैं। इनके संगत कोणों के बारे में हम क्या कह सकते हैं? हम कोणों & और 0, 8 और छ, तथा (४ और 9 की तुलना चाँदे या अक्स कागज की सहायता से कर सकते हैं। हम देखेंगे कि “0 5 0, 28 - “8 और 20 - 7 है। अर्थात् संगत कोण बराबर हैं और इस प्रकार दोनों त्रिभुज ७80 और 087 समरूप हैं। हम इस क्रियाकलाप को कई त्रिभुजों के युग्मों को जिनकी संगत भुजाएँ समान अनुपात में हों और उनके संगत कोणों की तुलना कर दोहरा सकते हैं। हम प्रत्येक बार एक ही परिणाम पाएँगे। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है : गुणधर्म ४.3 : यदि दो त्रिभुजों की भुजाएँ आनुपातिक हों (अर्थात् समान अनुपात में हों ), तब उनके संगत कोण बराबर होंगे और इस प्रकार दोनों त्रिभुज समरूप होंगे। इस गुणधर्म को दो त्रिभुजों की भुजा-भुजा-भुजा (५५४) समरूपता कसौटी कहते हैं। टिष्प्रणियाँ : . इस गुणधर्म को हम एक त्रिभुज की भुजाओं के बराबर दूसरे त्रिभुज की संगत भुजाओं से दो रेखाखंड काटकर और आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय के विलोम का प्रयोग करके सिद्ध कर सकते हैं। 2. स्मरण रखिए कि दोनों में से कोई एक प्रतिबंध () संगत कोण बराबर हों और (४) संगत भुजाएँ समान अनुपात में हों, बहुभुजों के समरूप होने के लिए पर्याप्त प्रतिबंध नहीं है। परंतु गुणधर्म 8.2 और गुणधर्म 8.3 के आधार पर हम सुगमता से कह सकते हैं कि दो त्रिभुजों के समरूप होने की दशा में दोनों प्रतिबंधों की पुष्टि करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि एक प्रतिबंध से दूसरा प्रतिबंध स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। आइए हम दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता के विभिन्न प्रतिबंधों का, जो हम पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके हैं, स्मरण करें। हम ध्यान दें कि समरूपता की भुजा-भुजा-भुजा (889) कसौटी की एक प्रकार से दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता की भुजा-भुजा-भुजा कसौटी से तुलना की जा सकती है तथा यहाँ हम देखते हैं कि फज को 4) है, अर्थात् दोनों त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समान 2547 १० ६777 7 मम मम मम मम 455 समरूपता की कोण-कोण (44) या कोण-कोण-कोण (७४४५७) कसौटी की तुलना, सर्वांगसमता की कोण-भुजा-कोण (५8) या (8४५) कसौटी से की जा सकती है। यह हमें सुझाव देता है कि हम समरूपता की एक कसौटी प्राप्त करें और उसकी तुलना सर्वांगसमता की भुजा-कोण-भुजा (8.5) कसौटी से करें। आइए इसके लिए हम निम्न क्रियाकलाप करें : आइए, हम दो त्रिभुज ७80! और 87 इस प्रकार बनाएँ कि »3 53 सेमी, 8९८ 5 सेमी, ८४ < 40% 708 5 4.5 सेमी, 707 5 7.5 सेमी और 7 - 40" हो (आकृति 8,20)। अमरकृति 8.20 आप देख सकते हैं कि इन दोनों त्रिभुजों में, नि ष्नि तथा 22 (भुजाओं 8 और. के अंतर्गत) 5 “7 (भुजाओं 098 और 79 के अंतर्गत)। अर्थात् किसी त्रिभुज का एक कोण दूसरे ब्रिभुज के एक कोण के बराबर है और इन कोणों को बनाने वाली भुजाएँ आनुपातिक (अर्थात् समान अनुपात में) हैं। आइए हम कोण 8 और ४8 की तुलना (अथवा 0! और # की) अक्स कागज या चाँदे का प्रयोग करके करें। हम पाएँगे कि 8-5 “8 (तथा 20८ 7) है। इसलिए, समरूपता की ४4 कसौटी से दोनों त्रिभुज 8८ तथा 787 समरूप हैं। ध्यान दीजिए कि हम दो त्रिभुजों की समरूपता 80 और 7४ को माप कर तथा का प्रेक्षण करके भी प्राप्त कर सकते हैं। हम इस क्रियाकलाप को अनेक त्रिभुजों के युग्मों को लेकर जिनमें एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के कोण के बराबर लेकर और इन कोणों को अंतर्विष्ट (70066) करने वाली भुजाओं को . आनुपातिक लेकर दोहरा सकते हें। प्रत्येक बार हमको वही परिणाम मिलेगा। इस प्रकार, हम पाते हैं : गुणधर्म ४.4 ; यदि किसी त्रिथुज का एक कोण दूसरे त्रिथुज के किसी कोण के बराबर हो और उन कोणों को अतर्विष्ट करने वाली भुजाएँ आनुपातरिक हों, हो त्रिथभुज समरूप होते हैं। इस गुणधर्म को दो त्रिभुजों की भुजा-कोण-भुजा (५4७) समरूपता कसौटी कहते हैं। टिप्पणी : इस गुणधर्म को हम एक त्रिभुज के एक दिए हुए कोण & को अंतर्विष्ट करने वाली दो भुजाओं से, दूसरे त्रिभुज के दिए हुए संगत कोण को अंतर्विष्ट करने वाली भुजाओं के बराबर रेखाखंडों 'को काटकर और कोण-कोण (4५) समरूपता कसौटी का प्रयोग करके +, सिद्ध कर सकते हैं। आइए अब त्रिभुजों की समरूपता की उपर्युवत कसौटियों का प्रयोग स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण लें। '. उदाहरण # ; आकृति 8.2। में, ४8 । 80 और ॥7)98 । &८ है। के सिद्ध कीजिए कि ॥»80 - 0/४0 है। जज हल : त्रिभुजों ७30 और &7)7 में, हमें प्राप्त है : 204 < 6 (उभयनिष्ठ कोण) और 28-27 (दोनों 90" हैं, क्योंकि ॥8 । 82 और ए8 । »८ दिया है) “« 0490 - &50४89) (कोण-कोण समरूपता) उदाहरण 7 ; आकृति 8.22 में, “० ज्ञात कीजिए। छ जज डर आकृति 8.22 ऐें समस्गा। निज ७७०० मत पल दर कप तिक 00 पर मेड वर तक गीत कप 020८7: 74476 57 हल : त्रिभुजों ७300 तथा 7997 में, हमें ज्ञात है : 88 _3.8 _] छा 7.6 2 8९ _ 6 _। और 20 3२3 ॥ इसी प्रकार, 7 "7 "और _> त््ा॑+चतण छह 22 2 छः 643 2 अर्थात् दोनों त्रिभुजों में भुजाएँ आनुपातिक हैं। अब सही संगतता का उपयोग करने पर, हमें प्राप्त होता है : 03830 - ७908 (558 समरूपता) ८28 5 “7 (संगत कोण) परंतु 28 60% (दिया है) “29 < 60% उदाहरण 8 : आकृति 8.23 में, रू ठ और 5 “2 है। सिद्ध कीजिए कि 6९03 - «700 है। ॥ 8): हल : किम लू हा (दिया है) आकृति 8.23 शा छ अब 2- ८2 (दिया हे) ०0८ एए (बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ) (2) 2“ ढेर ठा [() और (2) से|। . 08) अब त्रिभुजों 70४ और १0४ में, हमें प्राप्त है : अप (08 हे (२ [(3) से] तथा “(0- “(0८७ 2, प्रत्येक में) )) 60708 - 6700 (भ्रुजा-कोण-भुजा समरूपता) उदाहरण 9 : आकृति 8.24 में, (7) और 6प्र क्रमशः 0७90 और «876 की माध्यिकाएँ हैं। () आकृति 8.24 लि () यदि 8७830 - 0780 है, तो सिद्ध कीजिए कि 0) 52700 - 0फ्न0 0 _ ५8 00 कफ (॥) ७७०8 - ७0प्त5 हल: (0) हमें दिया है कि ७$.63(: - १9080 88 ४९0 कक छठ छठ और. ८७5 ८७, 23- ८5 तथा ८0-८6 अब 83->200 और 7४४ 2फप्त ( .- 0 और प्र, 8 तथा ए& के मध्य-बिंदु हैं) | 202 00 ग्रस्त छठ 32 _घ्घ 42 ए6 (भुजाएँ आनुपातिक हें) या .. (3) और (4) से, 5.5700 - 07प्त0 (भुजा-कोण-भुजा समरूपता) ॒ (४) चूंकि 48000 - #एस्तू0., (ऊपर सिद्ध किया है) (() (2) (3) (6) समरूप त्रिभुज की पर कल हर मन मम दम पल अल के तह की दी मी कक 59 इसलिए हमें मिलता है : ०00 _ ७0 हे है ना (भुजाएँ आनुपातिक हैं) ५० 2070 है का क्र क्र्प्त कक (7) हमें प्राप्त है : ८83 _ 8 ५ पर (७88० - 0080) (5) कक _2छ) या दिल (0 और प्र मध्य-बिंदु हैं) (8 _ ४979 हैं तक फप्त | (6) छ) &8 भा में तथा गम [(8) में सिद्ध किया है] 9 _ 68 कप ठह् [6) से] क् (7) ७0 ८8 _ 980 जा आा 0 आफ एस] अतः, 2(-७)8 - /0(ज्तः ( भुजा-भुजा-भुजा समरूपता) उद्बाहरण ॥॥ : आकृति 8.25 में, यदि ७५७88 < ७५९9 है, तो सिद्ध कीजिए कि 6098 - ७430 है। हल : हमें दिया है कि " हु 05885५20 इसलिए, 2४35 ४८ (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) () ्र तथा 27 4७7 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) (2) 808 _ 40 अंधे... अ्तक [() और (2) से] ात् 48 _ 40 छः ८ ञ जप (3) आकृति 8.25 3३३३३ ०४३०५०११३३९६०३३५१४०३। ३० ५४०११ १९१०५ १११ ३४१०१०३३४४६००। ३१०४ ७४७६ ४००» ५ ४० » १९१ ९०१ ९०» ०४९११ ६४ ७३३३ १७१३ ०११३३» ४०» ६०३ ५ ० ६०००३००३१ ६०३४० ०*११०३१०३३१००१/०४५०००१११३४०६००५१३०३ ०००३ ३५/ ०००० अब # /7)7में, 2७ (अर्थात् 7088 ) भुजाओं ७) और &ए के मध्य अंतर्विष्ट है और 6५83९ में, 2& (अर्थात् 2980) भुजाओं #8 और &0 के मध्य अंतर्विष्ट है। तथा 20058 20९: (उभयनिष्ठ कोण) 43 _ ४०9 साथ ही, त्ल् [(3) से] 6508 -७0७83९!' (भुजा-कोण-भुजा समरूपता) प्रश्नावली 8.2 . आकृति 8.26 में, त्रिभुजों के प्रत्येक युग्ण की जाँच कीजिए और बताइए कि त्रिभुजों के कौन-से युग्म समरूप हैं। आप प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रयुक्त समरूपता कसौटी को भी लिखिए तथा समरूपता संबंध को सांकेतिक रूप में लिखिए। ॒ ) / ए || कर 6० हि 27 /५60? 80% 20० 80% 50 () (कं) 'म्रूप विज: 2222५ 33: उमेश बजे चल कक कक गम मत गे गज गे भतार म लग गे कल तन 6] 4सेमी (8५) हक । कु | 5 सेमी फ् िश 2.5 सेमी ,/” 86 ५ ५2 अर हर न /ट कि टं ५ रु कै टी ॥ छ8< नजन “००7५ ५ ---०+ 2०४०७७-७०४५७७४०...... २०५ » + (्! रॉ 807 9) 3 सेमी ५2647 ० 2४८०5 व: 8] ६) हक, है दि "० | एस न 708 हे रे "९, न । «५. हर ५ 2 ज+ + वपणनन--न बकान्वकाक2५७०५ ५ ज ० शाज> बतन ॥ण दिए ० + हि). आकृति 8.26 2. आकृति 8.27 में, »800 - 088५, /3882055९" और <छ00570% है। 29980, <0'छ “8४8. 2७853 और >5&8# ज्ञात कीजिए । आकृति 8.27 3. आकृत्ति 8.28 में, यदि ए8 | 0₹ है, तो सिद्ध कीजिए कि ९08 - ७९०00 है। 4. आकृति 8.28 में, यदि ७९08 - &१00 है, तो सिद्ध कीजिए कि ?8 | 0४ है। आकृति 8.28 , 5. आकृति 8.29 में, यदि <? - <र[$ है, तो सिद्ध कीजिए कि 0२९० - 67७ है। ए 6 हिल, ०0 आकृति 8.29 ६:00: 27३ क ममक म म म त र प म म म लक 63 6. आकृति 8.30 में, »70 और (४, ७७8८ के शीर्षलंब हैं। सिद्ध कीजिए : (6) ७5४87 - ७007 () 85870 - 8088 6) $880'- 8७०08 (५) 0700 - १8280 आकृति 8, 7. यदि (0) और ठप्त (0 और प्र, »8 और 7 पर स्थित हैं) क्रमश: 2४०8 और “807 के समद्विभाजक हों तथा ७७83८ - ७080 हो, तो सिद्ध कीजिए ; हा ह 0) ठ््त छठ () 8008 - 6प्ठः (7) 6004 - 5पऊऋ 8. आकृति 8.3 में, छा) । ७८ और 0८8 । «98 है। सिद्ध कीजिए प्र ; (0) 38080 - ७७॥)99 ७ ०8 00) हु कुछ आकृत्ति 8,3 कीजिये की २० हम म 8 9. समांतर चतुर्भुज &807) की भुजा 7० के बढ़े हुए भाग परष्ठ एक बिंदु है और छ8, 0) को ए पर प्रतिच्छेदित करती है। सिद्ध कीजिए कि ७७878 - 0८0फ है। 0. आकृति 8.32 में, एक समद्विबाहु त्रिभुज ७830 में 88 5 ४2 है। इसकी बढ़ाई गई भुजा (8 पर 8 कोई बिंदु है। यदि »7) । 80 और पा? । «८ हो, तो सिदूध कीजिए कि 0७87 - ७8८४ है। आकृति 8.32 . आकृति 8.33 में, »ग70 5 00879 तथा 25 22 है। सिदूध कीजिए कि ॥७08 - 0७80 है। ि ए कप क०>०>>»9 ५०» 33७०-०० ० ७०2०8 ० +५मं७५॥ «३०० «७८६- ०००६५.७००५७५५०७+क॥५ ९०००० ०६ | जे असर बतिडरन्नन््न्े छ | (' 0 आकृति 8.33 42. दो समरूप त्रिभुजों के परिमाप क्रमशः 30 सेमी और 20 सेमी हैं। यदि पहले त्रिभुज की एक भुजा ॥2 सेमी हो, तो दूसरे त्रिभुज की संगत भुजा ज्ञात कीजिए। [संकेत : समरूप त्रिभुजों के परिमापों का अनुपात वही होता है जो उनकी भुजाओं का होता है।] 3. यदि एक त्रिभुज के कोण दूसरे त्रिभुज के कोणों के बराबर हों, तो सिद्ध कीजिए कि उनकी संगत भुजाओं का वही अनुपात होगा जो कि उनकी (उनके) संगत (0) माध्यिकाओं (7) कोण समद्विभाजकों (7) शीर्षलंबों 'का अनुपात हैं। 4, एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और इनमें से एक भुजा को समद्विभाजित करने वाली माध्यिका, दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और संगत माध्यिका के आनुपातिक हैं। सिद्ध कीजिए कि त्रिभुज समरूप हैं। 5. किसी त्रिभुज 80! की भूजा 80 पर ॥) एक बिंदु इस प्रकार है कि .2«0(! 5 284८ है। सिद्ध कोजिए कि मम से होगा। प्छ ९& 6. किसी त्रिभुन ७80! की भुजा #8 और #&0(0 तथा माध्यिका #॥), दूसरे त्रिभुज 707 की भुजाओं ?0 और एार तथा माध्यिका ए|/ के आनुपातिक हैं। सिद्ध कीजिए कि ७७३८ - ७९0 है। समर निज जद सगे 50775 0072 सा कल 72772 27005: 07 ले ले 035 77 0777: 465 [संकेत : ७0 को & तक तथा 7]५ को ।( तक इस प्रकार बढ़ाइए कि ॥॥)-7)8 और ७ > शाप हो।] [7. !2 सेमी लंबी एक ऊर्ध्वाधर छड़ी की मैदान में 8 सेमी लंबी छाया बनती है। उसी समय, एक मीनार की मैदान में 40 मी लंबी छाया बनती है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 8. 030८7) एक समलंब है जिसमें 08 || (१) है। उसके बिकर्ण »(! और छा), 0) पर मिलते हैं। समरूपता 0७. 08 कसौटी का उपयोग कर सिद्ध कीजिए कि >>5-> है 00. 00 9, »3(! एक समदूविबाहु त्रिभुज है जिसमें 08 < ७(' है तथा 0(' पर 7) एक ऐसा बिंदु है जिसके लिए 8(४७ « #(' » (१) है। सिद्ध कीजिए कि 8) ८ 80: है। 20. समांतर चतुर्भुज »8(१0 के शीर्ष) से होकर एक रेखा खींची जाती है जो भुजा ७8 और (४ के बढ़े भाग को क्रमश: ह और 7 पर प्रतिच्छेदित करती है। सिद्ध कीजिए कि कलम है #छि. फ्रेह (0 2. समांतर चतुर्भुन »80५) का विकर्ण 8), रेखाखंड ७7 को बिंदु 7 पर प्रतिच्छेदित करता है, जहाँ 8 भुजा 80 पर कोई बिंदु है। सिद्ध कीजिए कि [97 » « एछ» ४७ है। हि ८ आकृति 8.34 में न हहे। श इज रकम 0०. सिद्ध कीजिए कि «2७ 5 <(! और ,८8 5 .20 है। 48] 707... छः । ्छ आकृति 8.34 23, आकृति 8.35 में, ७॥) और 87 क्रमश: 80" और &(! पर लंब हैं। दर्शाइए ; (6) 68#00 - 6830: ह (0) (७ » (7 5 (85% (0 (व) 0७30 - ३0" (6५) (9 & ७8 5 (७ » ए8 आकृति 8.35 आकृति 8.36 भेज दो समरूप त्रिभुजीं के शेत्रफल अभी तक हमने पढ़ा है कि दो समरूप त्रिभुजों में, उसकी संगत भुजाएँ समान अनुपात (आनुपातिक) में होती हैं। अब एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है : हम दो त्रिभुजों के क्षेत्रफलों के अनुपात के संबंध में क्या कह सकते हैं? इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए, हम निम्न परिणाम को सिद्ध करते हैं : प्रगेय 8.2 : दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के वर्गों के अनुपात के बराबर होता है। द्विया हैं; ७५82 और «70२ इस प्रकार हैं कि ७७80 - 070₹। हि न (कर जल ली] नमी कलश. छ है । 5 शक्ति 8.37 | । ! ॥ ॥ || । | उससे 2७9त9-«_>«_+>+« परे ७०००-»-न»->- परम कद के (2 “५ (0! 0 2 वध करना जन ः (0090) 6087 8 डे 8. ह 4 (47072) 7ए0* 00९? एए०* रचना; हम ४0 । 82 और ?$ । 0४ खींचते हैं (आकृति 8,37)। 757 5/८7 मम पक मम ल लक कर मी रा की पक मर मल 67 ] ८#(0080) _ डे » 3(7:८ 0) | । हे जप : जज के 2 (त्रिभुज का क्षेत्रफल ८ हा आधार » ] 2 47(५५80) _ 8ट 59 या (70) ठहर ए58 () अब, त्रिभुजों »7)8 और 780 में, “8-0 [क्योंकि & ७80 - ७ ९0२] 22908 5८ <?90 [ प्रत्येक 90 हैं] इसलिए, & 708 - & ९४0 (कोण-कोण समरूपता) 3 _ #छ8 " छि 30९ चूंकि 0 परंतु छठ ठर (चूंकि & ७80 - & ९0९२) &0 _ 8८ फक ठश [(2) से] (3) ८०" (% 080) 80. 8८४ हु #०जठर ठश का ठरा. ५) और (3) से] (4) चूंकि &७83९- 7९0२, इसलिए 43 _ छट2 ०५ छत दर 7 छ्छ ह (०) डर 4/(५४80) 68! _ छ? _ ०७१ ».. »०एकए _ उके 7 ठछ " छह 09 और (5) से] 8.6 समकोण त्रिभुज के एक शीर्षलंब से बने त्रिभुजों की समरूपता आइए एक समकोण त्रिभुज ७80 को लें जिसका “3 समकोण है (आकृति 8.38)। आइए, शीर्षलंब 80 खींचें तथा इस शीर्षलंब के दोनों ओर के त्रिभुजों 480 और ८80 की _ जाँच करें। हम देखते हैं कि मु ८0 +.2030<5 907 (0 0870 में). 6) 220 मा और 20+ “2080 < 907 (५८४87 में)... (2) |, को साथ ही, ./#87 + “0870 < 90" (3) ः है (), (2) और (3) से, हम सुगमता से देख सकते हैं कि// है ८23 “0890 रा छ ८ रे । 20 > «89 आकृति ह#.॥ क्या आप देख सकते हैं कि (७७छ7) का) “6 > (७089 का) “0870 और. (6५87 का) 2७798 - (७0879 का) 20708 उपर्युक्त को दृष्टिगत करने से, &/७87 - ७8९0७) (कोण-कोण समरूपता) (4) इस प्रकार, लंब 8 के दोनों ओर के त्रिभुज परस्पर समरूप हैं। क्या आप यह भी देख सकते हैं कि त्रिभुजों ५8) और ४8८ में, “४ <& . (समान कोण) तथा “208 5 “2७४९ (प्रत्येक 90? का) अर्थात् 8॥07)8 - 0080 (कोण-कोण समरूपता) (5) इसी प्रकार, हम सिद्ध कर सकते हैं कि 60800 - ७७8८: (6) ऊपर (4), (5) तथा (6) के आधार पर, हम निम्न परिणाम प्राप्त कर सकते हैं : कूालम 8,5 : यदि समकोण तिधुज के समकोण वाले शीर्ष से कर्ण पर लंब डालें, तो लंब के दोनों ओर बने त्रिभुज मूल त्रिभुज के तथा परस्पर समरूप होते हैं । आइए अब हम इन परिणामों का प्रयोग कुछ उदाहरणों द्वारा प्रदर्शित करें। 3७४९७ ।| : सिद्ध कीजिए कि वर्ग की एक भुजा पर निर्मित समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल, डसके विकर्ण पर बने समबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल का आधा होता है। ह० : मान लीजिए »807) एक वर्ग है और ९४7) तथा 0&८ भुजा ७7) तथा विकर्ण »&(! पर क्रमश: बने दो समबाहु त्रिभुज हैं (आकृति 8.39)। समरूप तिभुज 55 के मके ८ 35 मद पलपल धन लेप फग प मत कट रद >> मर लक सर रत जी 2 ]69 मान लीजिए वर्ग की भुजा ८ है। #0>वय मं +अ2० ह द 0). अब, हमें प्राप्त -होता है ह द 670४7 - 0 (0५० ( क्योंकि सभी समबाहु त्रिभुजों में प्रत्येक कोण 60९ का होता है। अतः वे सभी समरूप हैं।) 4/ (/०?.5॥)) _ 2]) 4४ (५0५७८) #0८2? (प्रमेय 8.2) . हा दा ] ए 2० न 2 [()) से] इसलिए, &/ (8९80) 5 5 ० (5080)। आकूँति 8.39 उदाहरण 2 : ए(श२ एक समकोण त्रिभुज है जिसका 2? समकोण है तथा एश । 0४ है (आकृति 8.40)। सिद्ध कीजिए कि 70५४? 5 ((७ » ५ है। हल : चूंकि ?५ । 00९, इसलिए 5शराश - 0(07?५ (गुणधर्म 8.5) फ् फप्न॒(समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएँ आनुपातिक होती हैं) अर्थात्, ए५ < ए५ - 0५ < भर फ आकृा या ए५2 - 0५ » भर | ५32७3 उदाहरण 3 : आकृति 8.4 में, 0९८8 5 90९ और 00) । «98 है। सिद्ध कीजिए. : ८8. _छ8ए 0५७? 870 हल : 30000 -७.280 . (गुणधर्म 8.5) 30 _ &8 370 4८ (भुजाएँ आनुपातिक हैं) 0 लि कि व मम अर कम मम मम आर न 0 हि 5०7, पी मल पक गणित या 3(77- 88 » 40 () इसी प्रकार, #800 - ७88८ (गुणधर्म 8.5) नी 82 _8& ही हे है स आनुपतिक हैं). प्र पुत (भुजाएँ आनु ) है या छटःन्फ5€80 ०0) >> का ॉिकियथःणणएन- 807 _ छ0%8%& और अआकृति 8,4 ॥ल " छटफक (0और(2) से] अरयतू. 4 0 व् 4307 ४9 ॥ प्रश्नावली 8,3 . दो समरूप त्रिभुजों ४82 और 700९ के क्षेत्रफल क्रमश: 64 सेमी ” तथा 2 सेमी? हैं। यदि (0१ - ]5.4 सेमी हो, तो 80 ज्ञात कीजिए। 2. आकृति 8.42 में, »8(४) एक समलंब हैं जिसमें ७8 || (00 और ७8 # 2 (00 है। त्रिभुजों ७08 और 009 के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए। (- आकृति 8.42 3. आकृति 8.43 में, हुए || ७८: और ४ त्रिभुजीय क्षेत्र श्र 4580 को दो बराबर क्षेत्रफल वाले भागों में विभाजित ५ करता है। ++- करता हैं। कर ज्ञात कीजिए। भ आकृति 8.43 | समरूप त्रिभुज न 68 ५ ्यज 32 आ मक ु 4. आकृति 6.44 में, 800 । 80 है। यदि “>> ₹ रद हैं, तो सिदूध कीजिए कि ७५५ एक समकोण 9. 00 ब्रिभुज है। 8. 4 | ३ दि ! कर ऐ रा | 5, ५ रट २०९०७७ हल आग और । ०० ने तब मम कमल मे 3 9 (५ 5. आकृति 8.45 में, &82 और 708८ समान आधार 8८ पर दो त्रिभुज हैं। सिद्ध कीजिए कि &/(4580) _ ७0 हे ०/(50030)0. 00 है जा हँ मी छ ह ० कै - -- ८ आकृति 8.45 , सिद्ध कीजिए कि दो समरूप त्रिभुजों के शेत्रफलों का अनुपात वही होता है जो कि उनकी संगत माध्यिकाओं के वर्गों का अनुपात होता है। 7. ४879 एक त्रिभुज है जिसमें 008 ८ 90" और ७0 । छा है (आकृति 8.46)। सिद्ध कीजिए : 6) ७8 - 8९ » छ0 () &९ <- 8९५» 7८ (9) 57० - 8) * 09 आकृति 8.46 8. यदि दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफल बराबर हों, तो सिद्ध कीजिए कि वे सर्वागसम हें। 9. & ५४८ की भुजाओं 82, 28 और «8 के मध्य-बिंदु क्रमशः 70, & और $ हैं। त्रिभुजों 059 और /80 के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात & कीजिए। ;. | 80 #॥' एक समकोण त्रिभुज है जिसमें “0७3८ 90" छा) । 4८, । जिन 80 और छॉ0 । 68 है (आकृति 8.47)। | | | ः हु सिद्ध कीजिए ३ ॥ | न जज ; 6) 709? - छाप » ४९ । : शी) णाए? 5 ऐश « #प | । हि ! छ | (् ह३ति 8,47 8,/ पाइशाफारी पर अब हम एक महत्त्वपूर्ण प्रमेथ को, जिसे पराइथागोरस प्रमेय के नाम से जानते हैं (यह बौधायन प्रमेय के नाम से भी विख्यात हे), गुणधर्म 8.5 के प्रयोग से सिद्ध करेंगे। पथ 8.3 : समकोण त्रिभुज में, कर्ण का वर्ग अन्य दोनों भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है। दक्ष ४: एक समकोण त्रिभुज ७80 जिसका “8 समकोण है (आकृति 8.48)।, शिवेध 7१ ॥ है * ॥(> ४8 + छए “ना : हमछा) । ४८ खींचते हैं। अत ; 0७808 - ७७8८ (गुणधर्म 8.5) है. 48 मर ह है हज (भुजाएँ आनुपातिक हैं) या 4537 - #०0 > 4९ (॥) ठि साथ ही, 0008 - ७284. (गुणधर्म 8.5) 5 रह । हि हर (७09. 8८ हु हे या हू फट ल 30000” हा, अर बा. छझए<९0०%९५ (2) मारूप बिभुज....८ ८०८८० ने पतन लिन परत रत 5 मल सपा ५८ नेम ५ दल न मकर मल स्ल तरस पक (० 473 (।) और (2) को जोड़ने पर, छः + 3(7 > #&) < 8(+ (70 < 8(? + / (१ (87)+ 00)) न्न्ट(२ (0९ +#९ अब हम इस प्रमेय का विलोम सिद्ध करेंगे ; 2५ ॥ 4 : किसी त्रिभुज में, यादें एक भुजा का वर्ग अन्य दोनों भुजाओं के वर्गों के योग के काबर हो, गो पहली भुजा के सामने का कोण समकोण होता है। ! ४ एक त्रिभुज »80 इस प्रकार का है, जिसमें 8 +80< ४८ है (आकृति 8.49)। ? | हे शी हे ्तमस सनक | है शिरदंध कार “83 - 90० एम ; आइए एक ७7९0९ की रचना करें जिसका 0 समकोण हो तथा ७0 5 #४8 और . (१5४७८ हो। 4पत्ति: 0९07 में श्र! « ए07 + 0४ (पाइथागोरस प्रमेय से) । या एए - 887 + 80४ (चूंकि ?05 ४8 और 02 5 ४80) 0) परंतु &(7- 08? + 87४. (दिया है) .. (2) ६ श्र! < 0९४ () और (2) से] अर्थात् २ 5 0९! ह या 38430 < ७7९0२ (भुजा-भुजा-भुजा सर्वांगसमता) “85 “0590० (सर्वागसम त्रिभुजों के संगत भाग) अतः, 23 > 90% अब हम इन प्रमेयों का प्रयोग उदाहरणों दूबारा प्रदर्शित करते हैं : !॥ १५ : &30 एक समबाहु त्रिभुज है जिसकी भुजा 26 है। सिदूध कोजिए कि शीर्षलंब 4870 + ८४3 है (आकृति 8.50)! 0 ३ & 30 और & 0८0 में, खै ४838-४९ (दिया है) ॥प ह 805 ४0 / और “०85 2४०0०. (प्रत्येक 90% 4 58.05.37 < 0७९7० (समकोण-कर्ण-भुजा ) नर | अंत, 549 + ६ 9 या. छ05 005 नि % 26-76 ४ 255 दी अब 6४४37 से, आकुत्ति 8,॥॥ / 8? - 372+ 070". (पाइथागोरस प्रमेय) या (१? 5 /? + (07 या #2?- 467 - ६7 > 362 थे 4342 ++ /उ6 जराहरण ]% : त्रिभुज &80 में, “७ 5 90" है। यदि ७7) । 82 (आकृति 8,5) हो, तो सिद्ध कीजिए कि ७87? + (00? < छा) + (४ है। जल : 0१०८ से, (० - 8007 + (॥9' (पाइथागोरस प्रमेय) और ०6579 से, कि 5 207 + छा0* (पाइथागोरस प्रमेय) (2) में से () को घटाने पर, हमें मिलता है: श3* - 0(४ <>छा7'-- (0९ या 887+ 077 <877+ 6८? आकृति 8.9॥ जद्हारणा ]6 : आकृति 8.52 में, “8380 > 90? और ७7) । (8 (बढ़े भाग पर) है। सिद्ध कीजिए कि ७0? - ७37 + 80४ + 280.97 है। समरूप त्रिभुज 35६ ४७४७ रु ६65 ४फ 55 “ंजच>० ७ क ४४ डक के <ूंद हैक ०१ कक +े रे जक दे ०८3 ००» के मे ०० ९१५४ ४५ ४३४७ ४ 3 ०४३ ४७०४कज < बे ल> ०5 २०६७० ९४ बव ४ के ३३ > ७ प२ ८ २ ७ २०० व ३ हक ४०७ बे 3 कक ३८३३ २०॥४० १० ४०७ 2० ४ल : समकोण 6 60८ से, सटः 49+]07 (याइथागोरस प्रमेय) या. ७&(४<८ ४777+ (80 + 80) या. &(75५७०7+8(7+ 8707+ 280.80 या. &("5 (७707 +89))-8(४<- 280.89 या. (75८७४ +४8९८7४+280.,80 क्योंकि 607+ छा775 08 (पाइथागोरस प्रमेय) आकृति 8.52 उदाहरण |7 ; सिंदध कॉजए कि समचतुभुज की भुजाओं क वर्गों का यांग, उसके विकर्णों के वर्गों के योग के बराबर होता है। हल : एक समचतुर्भुज 8807) लीजिए, जिसके विकर्ण 4८2 और 8, 0 पर प्रतिच्छेद करते हों (आकृति 8.53)। हमें सिद्ध करना है कि 0छ +8(४+ (१) + 0075 (“7 < छ0/ यहाँ, ७ (' | 80. 0& + 00' और 08 - 0 है। (समचतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं) ',. 8४058 से, । /&छ 5 007 + 08* (पाइथागोरस प्रमेय से) ०) (80) या #8१« 970. 8६०६ या 08? « 4 का 872- > 5 आकृति 8.83 या 4883*7- &(४ + छ70* () परंतु 408 ८ ७87 + छ0* + 0077 +700? (७४८०७ एक समचतुर्भुज है) (2) ,. हमें प्राप्त होता है; 887 + 807 + (007 + 0? 5 07४ + छा)? [(() और (2) से] उदाहरण 8 : आकृति 8.54 में, एक त्रिभुज के अंतःबिंदु 0 से, 00, 08 और 09 क्रमशः भुजाओं 80, (७ और «8 पर लंब हैं। सिद्ध कीजिए : 2 6) 000+087+00-077- 0४-67 | | ह .... ऋहीरकछ07+९5 5 «आई () #क+छ07+ (४5 88 + 207 + छोर रा घर 2२22 |ह ्ि हल : () 08, 08 और 0८ को मिलाइए। पह य।ः तब 0027, ७0870 और 6009 लेकर तथा और के हर पाइथागोरस प्रमेय लगाने पर, । रे 0) ५ उन हा 00? 2 09४ सह, ७ 8 लिन हक पं कली कह: 30 2502५: . 08' - 09 587 गाकति 8.54 और 00-0४ 5 ९४ ह उपर्युक्त तीनों को जोड़ने पर, हमें प्राप्त होता है ; 0 +08' + 00 - 07' - 08 - 0७ < &# + छ70* + एड () : (0) इसी प्रकार, ऊपर की तरह ७089, ७000 और 80५85 लेकर हम सिद्ध कर सकते हैं कि . 0&7+087+ 07 - 07-08 - 07< 287+ ८0/+ छ (2) 6 + छा) + (४४८ 0082 + (007+ 8४ [() और (2) से] प्रभाव: हर 4. .कुछ त्रिभुजों की भुजाएँ नीचे दी गई हैं। निर्धारित कौजिए कि उनमें से कौन-कौन से समकोण त्रिभुज हैं। (0) 7 सेमी, 24 सेमी, 25 सेमी (0) 3 सेमी, 8 सेमी, 6 सेमी (0) 50 सेमी, 80 सेमी, 00 सेमी 2. एक सीढ़ी इस प्रकार रखी है कि उसका निचला सिरा किसी दीवार से 5 मी दूर है और उसका ऊपरी सिरा एक खिड़की तक पहुँचता है, जो भूमि से ।2 मी ऊँचाई पर है। सीढ़ी की लंबाई ज्ञात कीजिए। 3, 20 मी लंबी एक सीढ़ी एक भवन कौ खिड़की तक पहुँचती है, जो भूमि से 6 मी की ऊँचाई पर है। भवन से सीढ़ी के निचले सिरे की दूरी ज्ञात कीजिए। 4. एक व्यक्ति पूरब की ओर 0 मी और फिर उत्तर की ओर 30 मी जाता है। प्रारंभिक बिंदु से उसकी दूरी ज्ञात कीजिए। समरूप जिशुज,; 8८७४४ लेदर की २० 5 भो- के किम मिलियन 2 कक 5 यम पक पे मद लक गिर मिल ख दि त स्तर [77 5. ४8८ एक समदविबाहु त्रिभुज है जिसका कोण ८समकोण है। सिद्ध कीजिए कि ७8? - 240: है। 6. 6मी और ॥ मी लंबे दो खंभे समतल मैदान में गड़े हैं। यदि उनके निचले सिरों की दूरी 2 मी हो, तो उनके ऊपरी सिरों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए। 7, एक ४४४८ में, 2 समकोण है। बिंदु ? और (0 क्रमशः उसकी भुजाओं 0» और ८8 पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि &07+ छ? 5 ४8 +?0* है। 8. एक ४80, जिसका कोण & समकोण है, की 8, और (७ दो माध्यिकाएँ हैं। सिद्ध कीजिए कि 4 (छा2+ (७० 5 5 छट: है। 9, एक समबाहु त्रिभुज में, सिदूध कीजिए कि उसकी एक भुजा के वर्ग का तीन गुना उसके शीर्षलंब के वर्ग के चार गुने के बराबर होता है। 0. आयत ७8009 के अभ्यंतर में कोई बिंदु 0 है। सिद्ध कीजिए कि 08 + 007! + 007४ + 0 है। 4. आकृति 8.55 में, >8 < 90९ और ४70 । 8८ है। सिदृध कीजिए कि 800 + ॥87 + 80 - 280.80 है धर सा मिम आकृति 8.55 2. आकृति 8.56 में, ७७80 की »70 एक माध्यिका है और &8 | 80 है। यदि 80; 5 6, 0७ 5 8, 48 > ८, 0 5 |, 272 5# और 92 5» हो, तो सिद्ध कीजिए : । £। 6) # «| + ०४ + न मल ०१ (त) € 7-४ के दा तो) #+रटत2रफर ८ टिप्पणी : परिणाम (॥8) को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं : छ हट] | +-+-“++-+“५++-+-+“+““-+“+ 5: 80 * 82 + 00१ ८ 2 (माध्यिका 80)?+ 2 द््ज । ॥8| ( आकृति 8.56 3. & से ७७83८ की भुजा 80 पर लंब 80: को 7) पर इस प्रकार प्रतिच्छेदित करता है कि 78 309) है। सिद्ध कीजिए कि 208 52007 +8८* है। 4. एक समबाहु त्रिभुज ७80 में, 82 पर बिंदु )) इस प्रकार है कि 805 ८ 80 है। सिद्ध कीजिए कि 900) +> 78? हे। [ संकेत : »? | 88 खींचिए ] 5. »80 एक समदूविबाहु त्रिभुज है, जिसमें 4()८ ४8८ है। यदि ७8? 20 हो, तो सिद्ध कीजिए कि &80 एक समकोण त्रिभुज है। 6. 70४ में, 00७ | एर और एए -- 70” - 0४ है। सिदूध कीजिए कि 0॥/? 5 एश » /र है। 7. सिद्ध कोजिए कि समांतर चतुर्भुज के विकर्णों के वर्गों का योग, उसकी भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है। 8.8 त्रिभुज के क्रिसी कोण का आंतरिक समद्विभाजक ; आइए, एक त्रिभुज ॥80 बनाएँ जिसकी दो भुजाएँ &8 और «९, 5 सेमी और 7 सेमी हों तथा उनके अंतर्गत कोण 23/0- 50० हो, (आकृति 8.57)। आइए अब >“83/(: का समद्विभाजक खींचें जो 80 से [0 पर मिलता है। हम 87) और (0) को मापते हैं और त्य ज्ञात करते हैं। छ आकृति 8.57 समरूँप तिभुज, 5४ कल छ लेप फिर पद गे: वसंत दर लत तप वर पक 9 रपट दर चकित वी न् > क 79 हम पाएँगे कि ण न पर न्् नस है। दूसरे शब्दों में, कोण का समद्विभाजक सम्मुख भुजा को उस कोण को बनाने वाली भुजाओं के अनुपात में विभाजित करता है। हम इस क्रियाकलाप को इस प्रकार के कई त्रिभुजों को बनाकर और उसके किसी कोण का समद्विभाजक खींचकर दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार हमें एक ही निष्कर्ष प्राप्त होगा। इस प्रकार, हम देखते हैं कि शुपाधर्म 8.6: रैक त्रिधशुज के किसी कोण का आवरिक समद्विभाजक सम्मुख भुजा को, उस कोण को बनाने वाली भुजाओं के अनुपात में विभाजित करता है। टिप्पणी : ऐसे गुणधर्म को हम 0 से ) के समांतर एक रेखा खींचकर जो 8.0 को बढ़ाने पर 8 पर मिलती हो, सिद्ध कर सकते हैं। इसके लिए हमें आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का प्रयोग करना होगा। आइए इस कथन के विलोम पर विचार करें। इसके लिए, आइए एक त्रिभुज »80! की रचना करें जिसमें ७8 5 5 सेमी, ७0 5 7 सेमी और “#& - 56" मान लीजिए (आकृति 8.58)। आइए 8८ को 5+ 75 2 बराबर भागों 84 , 8, 8,, 2५ 0५ --७ /५।० में विभाजित करें। हम ४५ और & को मिलाते हैं। कोण 2848, और “0४«, को मापिए। हम क्या देखते हैं? हम देखते हैं कि 8.08 5 “0५७, है, अर्थात् 83./0., 2४ का समद्विभाजक है। हम इस . [...........७०...+-..४--.७ सिख पाक कमर के; क्रियाकलाप की, इस प्रकार के अनेक त्रिभुजों है, हर है ही ५ ही5 टी + है १॥०ै॥॥ 4580 को बनाकर और 80 को समुचित बराबर आकृति 8.58 भागों में विभाजित कर, पुनरावृत्ति कर सकते हैं। प्रत्येक बार हमको एक ही निष्कर्ष मिलेगा। इस प्रकार, हम देखते हैं कि गुणधर्म 8.7: कवि एक त्रिभुज के किसी कोण के शीर्ष से खींचा गया रेखाखंड सम्मुख भुजा को उस कोण को बनाने वाली भुजाओं के अनुपात में विभाजित करे, तो वह रेखाखंड उस कोण को समद्विभाजित करता है। टिप्पणी : इस गुणधर्म को, 2 से होकर जाती हुई &#, के समांतर एक रेखा खींचकर जो > सेमी 86 के बढ़े हुए भाग को छ पर मिलती हो, सिद्ध कर सकते हैं। इसके लिए भी हमें आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय का प्रयोग करना होगा। अब हम इन गुणधर्मों का प्रयोग कुछ उदाहरणों दूवारा स्पष्ट करेंगे। उदाहरण 9 ; एक चतुर्भुन ७80 का विकर्ण 80, “8 और 7) को समद्विभाजित करता है (आकृति 8.59)! सिद्ध कीजिए कि मम छट हल : आइए हम «८ को मिलाएँ, जो 8 को 0 पर प्रतिच्छेदित करता है। अब, 6582८ से, 20473: छूट 652८ साथ ही, 6400 से, 4 92 0८ 2252 छट फट (गुणधर्म 8.6) () (गुणधर्म 8.6) (2) इसलिए, [(0) और (2) से] आकृति 8.59 उदाहरण 20 ; निम्न में बताइए कि क्या आकृति 8.60 में दिए हुए 67९0४ के »? का ?$ समद्विभाजक है : (0) 70८ 6 सेमी, ?२ ८ 8 सेमी । (08 5 .5 सेमी और 9५ - 2सेमी। ? (0) 70 5 5 सेमी, २ - 2 सेमी, (४ > 2.5 सेमी और (१२ > 9 सेमी। | ?0 _6_3 हल: () फ््ह4 08 7.5. 3 दे और एठछ 3 दर आकृत्ति 8.60 एए_ 05 प्रकार, न स्ट22म 0033 तर अतः, <? का ?$ समद्विभाजक है (गुणधर्म 8.7)। अप्ेरूंप॑ विभुज: ५80०४: लत सर मन 7: हि येप लस 5 सतह: २ मोल नगर पर पान न पक फल रा लत सम कद सन 8] ए0 _ 5 () कप ल्प्ठ यहाँ, 08 5 2.5 सेमी और २४ 5 (0२ - 08 + (9- 2.5) सेमी - 6.5 सेमी 0७४ 25 35. ए5 6.5 3 चूके ए 5 चुके. कक इसलिए ?५$, “7? का समद्विभाजक नहीं है। प्रश्नावली 8.5 8. जाँच कीजिए कि क्या आकृति 8.6। में दिए हुए &&8८ के लिए <“& का ०7 निम्न स्थिति में समद्विभाजक है : () &8 5 5 सेमी, &(: ८ 0 सेमी, 80 5८ .5 सेमी और ()) 5 3.5 सेमी। (४) &8 5८ 4 सेमी, ७१ 5 6सेमी, 870 5८ .6 सेमी और (9) 5 2.4 सेमी। (॥) 48 5 8 सेमी, ७&(? 5 24 सेमी, रे 97) 5 6 सेमी और 0 - 24 सेमी। आकृति 8.6 2, यदि आकृति 8.6। में &70, 2७ को समद्विभाजित करता है तथा »&8 5 2 सेमी, 0९१ - 20 सेमी और 87 - 5 सेमी हो, तो (१) निर्धारित कीजिए। 3. यदि किसी त्रिभुज में एक कोण का समद्विभाजक सम्मुख भुजा को समद्विभाजित करता हो, तो सिद्ध कीजिए कि त्रिभुज समद्विबाहु है। 4. 6५30 के अभ्यंतर में 0 एक बिंदु है। 2“«&08, 2300 और “00% के समद्विभाजक भुजाओं ७8, 80 और 0५ से क्रमशः बिंदुओं 2, छ और ए पर मिलते हैं। सिद्ध कीजिए : 80 . 88 , («78 . एछट . छ& 5. आकृति 8.62 में, ७800) एक चतुर्भुज है जिसमें ७8 + ७7) है। ४8 और 87 क्रमश: 2300 और 200 के समद्विभाजक हैं। सिद्ध कीजिए कि ॥9 || छ0 है। आकृति 8.62... 6. 6080 में, “3952./0 और “8 का समद्विभाजक ४0 को 9 पर प्रतिच्छेदित करता है। सिद्ध 370 80 कौजिए कि फरफः है। 7, 6४४८ में, 28 का समद्विभाजक भुजा ४० को 7 पर प्रतिच्छेदित करता है। 80 के समांतर एक रेखा, रेखाखंडों 8, 98 और 08 को क्रमशः ० और 0 पर प्रतिच्छेदित करती है। सिद्ध कीजिए ; 6) 83 < (७८४७९ ४ 07 00) ए९ » 80 5 0३ » 87 8. 8४3८ की भुजा 82 का 7 मध्य-बिंदु है। 98 और 79 क्रमशः 800 और “00 के ऐसे समद्विभाजक हैं कि 8 और 7 क्रमशः ४8 और ७0 पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि ए7 | 80 है। 9. ७४४3८ की भुजाओं 82, 2७ और ४5 पर क्रमश; बिंदु 0, 8 और 7 इस प्रकार हैं कि ७0), 2«& को; 88, 28 को और (0, 20८ को समद्विभाजित करता है। यदि &8 55 सेमी, 80 - 8 सेमी और (७-4 सेमी हो, तो 88, 28 और ) ज्ञात कौजिए' 0, आकृति 8.63 में, “300 - 90९ है तथा »7) उसका समद्विभाजक है। यदि 08 । ४0० हो, तो सिद्ध कीजिए कि 08 » (88 + ७0) 5 ७8 » ४९ है। आकृति 8.63 ], 6280 में, 80 और 0०0 क्रमशः 28 और “0 के समद्विभाजक हैं। »0 का बढ़ा हुआ भाग 8८ से ? पर मिलता है। दर्शाइए कि मा 0 काक 0) त्ऋता। (0) ्र्ठ ्ि ऊ्ठ | (४) &९, 28/८ का समद्विभाजक है। 9, भूमिका दैनिक उपयोग की बहुत-सी ऐसी वस्तुओं से हमारा संबंध पड़ता है, जो गोल (वृत्ताकार) बनावट की होती हैं। उदाहरणतः विभिन्न मूल्यों के सिक्के, चक्रिका (0॥8०), पहिया, चूड़ी, घड़ी और अन्य आधुनिक उपकरण। हम पिछली कक्षाओं में वृत्तों के तथा उससे संबंधित कुछ शब्दों जैसे जीवा, चाप इत्यादि के बारे में पढ़ चुके हैं। हम वृत्तों से संबंधित कुछ गुणों के बारे में भी बिना सिद्ध किए पढ़ चुके हैं। हम प्रस्तुत अध्याय में, पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके बृत्त के गुणों (गुणधर्मों) का पुनराबलोकन करेंगे तथा इनमें से कुछ गुणधर्मों की उपपत्त्ि भी देंगे। 9.2 बृत्त और उसके भाग स्मरण कीजिए कि वृत्त तल में एक बंद (या संवृत) आकृति है, जो उस तल पर स्थित ऐसे सभी बिंदुओं से बनी है, जिनकी तल पर स्थित एक निश्चित बिंदु से समान दूरी है। निश्चित बिंदु को ' केंद्र (८७४७४) और अचर दूरी को वृत्त की क्रिज्या (/44४७) कहते हैं। आप पूर्व कक्षाओं में पढ़ चुके निम्न तथ्यों को भी स्मरण कीजिए। वृत्त के किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड को वृत्त की जीवा (८/०व कहते हैं। केंद्र से होकर जाने वाली किसी भी जीवा को व्यास (४72#2/2/) कहते हैं। व्यास, वृत्त की सबसे लंबी जीवा होती है। व्यास और त्रिज्या को हम उनकी लंबाइयों के अर्थ में भी प्रयोग करते हैं। इस अर्थ में, व्यास-2 » त्रिज्या। वृत्त पर स्थित कोई भी दो बिंदु वृत्त को दो भागों में विभाजित करते हैं, जिन्हें वृत्त के चाप (4८७) कहते हैं। यदि दोनों भाग असमान हों, तो छोटे भाग को लघु चाप (॥#०/ ८7८) और बड़े भाग को दीर्घ चाप (#4/०/ ६7८) कहते हैं। इनमें से प्रत्येक को चाप /&9 (या 58) कहते हैं। कभी-कभी एक चाप को दूसरे चाप से भिन्न दिखाने के लिए किसी एक चाप पर तीसरा बिंदु ले लेते हैं। फिर भी, इस पुस्तक में, जब तक कथित न हो, चाप ४8 का अर्थ हम लघु चाप ४9 लेंगे। यदि दोनों भाग बराबर हों, तब प्रत्येक भाग अर्धवृत्त (४६#४८22८ं९) कहलाता है। एक वृत्त तल को तीन भागों में विभाजित करता है जिनके नाम अध्यतर (#72/7०7), बहिभभाग (०४४४०४०/) और स्वयं वह वृत्त है। वृत्त अपने अभ्यंतर के साथ मिलकर वृत्तीय क्षेत्र (ल#टाद्वा- #८०४) कहलाता है। एक जीवा वृत्तीय क्षेत्र को दो भागों में विभाजित करती है, जिनको वृत्तीय क्षेत्र का खंड या संक्षेप में वृत्तखंड (०८६॥४८४/ ० ८2४7८/८) कहते हैं। छोटे खंड को लघु वृत्तखंड (#४४०/5८87४०४४/) और बडे खंड को दीर्घ वृत्तखंड (#ऋद्यां०/ 5८४7४०४) कहते हैं। दोनों खंडों के बराबर होने की स्थिति में, प्रत्येक को अध्धवित्ताकार क्षेत्र (इद्कांटटमाद/ #८7०) कहते हैं (आकृति 9.)। आकृति 9.! 9,3 चृत्तों की शर्वागसमता आइए हम दो वृत्त बनाएँ जिनके केंद्र 0, और ९, हों, परंतु उनकी त्रिज्याएँ समान (माना 5 सेमी) हों (आकृति 9.2)। अब हम वृत्त जिसका केंद्र 0, है, काटकर बाहर निकालते हैं (अथवा अक्स "कागज (#8णा8 02००) पर उसका अनुरेखण करते हैं) और केंद्र 0, वाले वृत्त पर इस प्रकार अध्यारोपित करते हैं कि 0, और (,, संपाती हों। हम देखते हैं कि प्रथम वृत्त दूसरे को पूर्ण रूप से ढक लेता है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि दोनों वृत्त सर्वांगसम हैं। लिन लीलिलन-न 3... यु 3-55 ०. ५2 नी ००, आकृति 9.2 हम इस क्रियाकलाप को समान त्रिज्याओं के विभिन्न वृत्त-युग्मों को बनाकर दोहरा सकते हैं। हम हर बार देखेंगे कि प्रत्येक वृत्त-युग्म के वृत्त सर्वांगसम हैं। आइए, अब हम केंद्र 0, और 7), के दो वृत्त पृथक् त्रिज्याओं (माना 3 सेमी और 3.2 सेमी) के खींचें (आकृति 9.3 )। टिनियनक ० ् आकृति १.३. अब हम प्रथम वृत्त को काटकर दूवितीय वृत्त पर रखते हैं। हम देखेंगे कि दोनों वृत्त एक-दूसरे को पूर्णरूप से ढक नहीं पाते हैं। इस प्रकार, हम पाते हैं : गुणधर्म १, ; दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं यादि और केवल यदि उनकी जिज्याएँ समान हों। 9.4 संधान जीआएँ और राबागशव आप आइए एक वृत्त जिसका केंद्र 0 है तथा उसकी दो बराबर जीवाओं »8 और (!) पर विचार करें (आकृति 9,4)। स्पष्टत:, हम कह सकते हैं कि ; ४0298 < 00९८9 ( भुजा-भुजा- भुजा ) ८2308 5 2009 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) इस प्रकार, »8 और (0 द्वारा केंद्र 0 पर अंतरित कोण बराबर हें। आकृति 9.4 विलोमत:, यदि <#08 5 “007 है, तब आकृति से हमें मिलता है कि ह #&08983 5 0009 (भुजा-कोण-भुजा) 3९9) (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) अर्थात् यदि जीवाओं दवार केंद्र पर अंतरित कोण बराबर हों, तो जीवाएँ बराबर होती हैं। 'इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है जंशधर्म 9.2 : वृत्त की बराबर जीवाएँ केंद्र पर बराबर कौण अतरित करती हैं और विलोमत: यदि जीवाओं द्वार वृत्त के केंद्र पर अतरित कोण बराबर हों, तो जीवाएँ बराबर होती हैं। णी ; हम उपर्युक्त परिणाम की पुष्टि दो भिन्न सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाओं के लिए भी उपर्युक्त विधि से ही कर सकते हैं (आकृति 9.5)। हल “3335८... ५,2०७ श०4८००४०<. अल जी _ आकृति 9.5 अब हम दो चापों की सर्वांगसमता के बारे में क्या कह सकते हैं? आइए ज्यामितीय आकृतियों . की सर्वांगसमता पर पुनः ध्यान दें। स्पष्ट रूप से, दो चाप ७3 और (0) सर्वांगसम होंगे, यदि बिना झुकाए या मरोडे, हम एक चाप को दूसरे चाप के ऊपर (अक्स कागज का उपयोग कर) इस प्रकार अध्यारोपित कर सकें जिससे कि दोनों चाप संपाती हो जाएँ (आकृति 9.6)। छ 9 (8) है 2 (५) आकृति 9.6 ध्यान दीजिए कि इस स्थिति में जीवा ७8, जीवा (७) के संपाती होगी। इस प्रकार, 883 -८ (09) है। इसी प्रकार, किसी चृत्त की दो बराबर जीवाएँ ७8 और (८) को लेकर तथा उनको अध्यारोपित कर, हम चाप #8 5 चाप (0) प्रदर्शित कर सकते हैं। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है ; गुपाधर्म 9.3 : यदि किसी वृत्त के दो चाप स्वांगसम हों, तो उनकी संगत जीवाएँ बराबर, होती हैं और विलोमत:ः यदि किसी वृत्त की दो जीवाएँ बराबर हों. तो उनके संगत चाप सर्वांगसम होते हैं। गुणधर्मों 92 और 9.3 से, हम निम्न गुणधर्म प्राप्त कर सकते हैं (आकृति 9.7) : गुणधर्भ 9.4 : किसी वृत्त के दो चाप सर्वांग्सम होते हैं, यदि उनके दूवारा केंद्र पर अंतरित कोण बराबर हों और बिलोमत: यदि किसी वृत्त के दो चाप सवागिसम हैं, तो वे केंद्र पर बराबर कोण अंतरित करते हैं। ह आकृति 9.7 टिप्पणी : किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण को उस चाप का केंद्रीय कोण (०९॥#८ कटा) या चाप की डिग्री माप (यदि मापन डिग्री में हो) कहते हैं। 9.5 केंद्र से जीला पर लंब आइए एक वृत्त लें जिसका केंद्र 0 है और उसकी एक जीवा ७8 खींचें। 0 से »8 पर 0५ लंब डालिए (आकृति 9.8)। आकृति 9.8 ४५ और छा५ को मापकर हम आसानी से देख सकते हैं कि ७५ - छ५ है, अर्थात् 0५ जीवा »8 को समद्विभाजित करता है। ४५ 8५ है, इस तथ्य की पुष्टि हम आसानी से आकृति को 0/ के अनुदिश मोड़ कर भी कर सकते हैं। इसको 00409 < ५089५ (समकोण-कोण- भुजा द्वारा) स्थापित करके भी सिद्ध किया जा सकता है। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है : गुणधर्म 9.5 : एक वृत्त के केंद्र से किसी जीवा पर खींचा गया लंब उस जीवा को समदूविधाणित करता है। इस कथन का विलोम भी सत्य है। इसके लिए, एक व॒ृत्त लीजिए जिसका केंद्र 0 है और एक जीवा माना ४3 खींचिए। अब हम जीवा ७8 को समद्विभाजित करके उसका मध्य-बिंदु |/ निकालते हैं (आकृति 9.9)। हम वास्तविक मापन दूवारा देखते हैं कि 0॥/4 < 90', अर्थात् 0५ । 8 है। इस तथ्य की पुष्टि हम आकृति को इस प्रकार मोड़कर जिससे ४, 8 पर पड़े, कर सकते हैं। हम पाएँगे कि मोड़ वाली रेखा 0// के अनुदिश है। इसको पुन; हम 508]/ £ 003 (भुजा-भुजा-भुजा) से दर्शा कर सिद्ध कर सकते हैं। कि श 3 आकृति 9.9 इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है ; ! गुणथर्म 9.6 : वृत्त के केंद्र से खींची गई रेखा जो किसी जीवा को समद्विभाषित करती है, उस जीवा पर लंब होती है। टिप्पणी ; उपयुक्त से, हम आसानी से कह सकते हैं कि एक वृत्त की किसी जीवा का लंब समद्विभाजक, उसके केंद्र से होकर जाता है। अब हम एक महत्त्वपूर्ण परिणाम तीन असरेख बिंदुओं से होकर जाने वाले एक अद्बितीय वृत्त के संबंध में प्राप्त करेंगे। | प्रमेय 9. ; क्वीन असरैख बिंदुओं से होकर एक और केवल एक ही वृत्त जाता है। दिया है: पी असरेख बिंदु &, 8 और ८ हैं। द मितथ करना है बिंदुओं &, 8 और (0 से होकर जाने वाला एक और केवल एक ही वृत्त है। रचना : रखाखेंड ७8 और 80 खींचिए। ७8 और छ८ के लंब समद्विभाजक, क्रमश: ?[, और (0५४ खींचिए। क्योंकि 88, 80 के समांतर नहीं है, इसलिए श, भी 0 के समांतर नहीं होगा। इसलिए वे किसी बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करेंगे। 08, 08 और 00 को मिलाइए (आकृति 9.0)। 3 आकृति १.॥॥ उपपत्ति : 0, “3 के लंब समद्विभाजक शा, पर स्थित है। 8-08 () इसी प्रकारा, 0350८ (2) इसलिए (]) और (2) से, 0& 5 08 5 00», माना। त्रिज्या # लेकर और 0 केंद्र मानकर एक वृत्त खींचिए। वह बिंदुओं ७, 8 और ९ से होकर जाएगा इससे यह सिद्ध होता है कि 8, 8 और ( से होकर एक वृत्त जाता है। अब हम यह सिद्ध करेंगे कि ॥, 8 और ९ से होकर जाने वाला केवल यही एक वृत्त है। यदि संभव हो, तो मान लीजिए कि »&,8 और (से जाने वाला दूसरा वृत्त भी है जिसका केंद्र 0” और त्रिज्या & है। तब 0',', और (0७ के लंब समद्विभाजक पर अवश्य स्थित होगा। चूंकि दो रेखाएँ एक से अधिक बिंदुओं पर प्रतिच्छेद नहीं कर सकती हैं, अत: 0' और 0 संपाती होंगे। इसलिए, 08508 5/ (७) है। अर्थात् &७, 8 और 0 से जाने वाला एक और केवल एक ही (अद्वितीय) वृत्त है। अब हम कुछ उदाहरणों से इन परिणामों का प्रयोग स्पष्ट करेंगे। आकृति 9.! उद्दाहरण | : आकृति 9, में, 3870) :000# है। सिद्ध कीजिए कि ७85 (0 है। हल: 33607 50048 (दिया है) शी एस न, पंच जक 25 3.6]) -- ७॥) ८: (१)6 -- ७0 नी #++७ या 88 < (00 #8 5 (70 (गुणधर्म 9.3) >दाहरण 2 ; आकृति 9.2 में, &8 < 20 है। सिद्ध कीजिए कि 0 5 7 है। | #5ज.. 55 “४8085 “८0002. (गुणधर्म 9.4) “, ८&08+ 2800 - “0070 + 280८ या “4200 - 2309 0). अब ७ ७00 और 6 807 में, 0057 08 (वृत्त की त्रिज्याएँ) 005 09 (वृत्त की त्रिज्याएँ) और “400- “300 [(॥) से] रा 06000: 480). (भुजा-कोण-भुजा) इसलिए, ८४-८४ (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) उठाहरण 3 ; एक वृत्त की दो जीवाएँ ७8 और ८0 जिनकी लंबाइयाँ क्रमशः 5 सेमी और ॥। सेमी हैं, एक-दूसरे के समांतर हैं तथा वे वृत्त के केंद्र के एक ही ओर स्थित हैं। यदि ७8 और (0 के बीच 3 सेमी की दूरी हो, तो वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। ह :/3 का लंब समद्विभाजक 07, और (0 का लंब समद्विभाजक 0]/ खींचिए, जहाँ 0 वृत्त का केंद्र है। चूंकि 88 | 00 है, इसलिए 0// और 0,एक ही रेखा में हैं, अर्थात् 0,0/ और ।, सरेख हैं। अब 08 और 070 को मिलाइए। मान लीजिए 0]/ >>» सेमी है और वृत्त की त्रिज्या »सेमी है। तब 007 से, 075 0 + 07” (पाइथागोरस प्रमेय) या ट-्ट 2] न्ल््, हः ठ या ४ जट्ौ+ री ' ' () #& 09 से, 08*'- 077 +],3' (पाइथागोरस प्रमेय) 5 2 या ४ ८ (४+ 3) + | | 25 या # रूझ + 6:+9+ न (2) () में से (2) को घटाने पर, हमें मिलता है : 07-06%४-9 + दे श ्ी या 6:5- 9+ 24 जज आकृति १.॥३ या 6: 5 5 या 3 गज कक 58 (]) में & + हे प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है : है] रे न 2 विजय नी चने 2 4 या ७2 -5 22 | (ट 7 लत पध 446 4 बीव6ठ या स्तर या #४ + अर्थात् , वृत्त की त्रिज्या कल सेमी है। उदाहरण 4 : यदि दो वृत्त, एक-दूसरे को दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेदित करते हों, तो सिद्ध कीजिए कि उनके केंद्रों को मिलाने वाली रेखा उनकी उभयनिष्ठ जीवा का लंब समद्विभाजक होती है। हल : मान लीजिए दो वृत्त जिनके केंद्र 0 हे और 7 हैं, & और 8 पर प्रतिच्छेद करते हें हि (आकृति 9.4)। हमको सिद्ध करना है कि 07, &8 का लंब समद्विभाजक है। इसके लिए, हम 06, 08, 7७ और 798 को मिलाते 5 का | थ हैं और मान लेते हैं कि 00 »&8 को |/ पर 5 हु पे प्रतिच्छेदित करती है। अर 6 0५7 और 6 090 में, किम 0४-08 (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ) ९४5०8 (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ) (07 5 0? (उभयनिष्ठ) 6 047 5 0 0397. (भुजा-भुजा-भुजा) या ८“ ७07 5 < 807 . (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) - आकृति 9,(५ अर्थात् <४090५< < 80५ () अब ॥७0/॥/ और ७8309 में, 0& 508 (एक ही वृत्त की त्रेज्याएँ) “20 52800 [(।) से] और 09 > 0/ (उभयनिष्ठ) 4 000४ 5 0 9200/. (भुजा-कोण- भुजा) या &/ ८ 9] (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) (2) तथा “४५४०0 5 “2900. (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) (3) परंतु. <60४0+ “2890 5 80" (रैखिक युग्म) ... ८४५05 2890 ८ 90० (4) 0!५ अर्थात् 0९, 38 का लंब समद्विभाजक है [(2) और (4) से]। उदाहरण 5 : किसी वृत्त की दो जीवाएँ ७8 और /( बराबर हैं। सिदूध कीजिए कि 2820 का समद्विभाजक वृत्त के केंद्र 0 से होकर जाता है। बल व व ते कक न 2 02 2 छा 93 हल ; माना 2820 का समद्विभाजक छए को (( पर. अवन्आआए प्रतिच्छेदित करता है (आकृति 9.5)। (८) 0 090 और 6४0 में, 23520. (दिया है) ८820॥/ 5 “0५५ (५, 3.00 का समद्विभाजक है) और ४४5४ ५४ (उभयनिष्ठ) /, ॥85)/ 2 8 8८५ (भुजा-कोण-भुजा) इस प्रकार, 3 - (7५ आकृति 9.5 और 28५५ 5 20५५ 0 परंतु 2808 + 0008 5 80".. (रैखिक युग्म) (2) 238 5 90" [() और (2) से] अर्थात् ७४ जीवा 80 का लंब समद्विभाजक है। अत;, वह वृत्त के केंद्र 0 से होकर जाएगा (गुणधर्मों 95 और 9.6 से)। प्रश्नावली 9.] . आकृति 9.6 में, ४8 > ८8 है और 0 वृत्त का केंद्र है। सिदूध कीजिए कि 80, 8८0 को समद्विभाजित करता है। 8 आकृत्ति 9.6 2. दो वृत्त, जिनके केंद्र & और 9 हैं, ८ और 7) पर प्रतिच्छेदित करते हैं। सिद्ध कौजिए कि द ८4&08 5 “8279 है। ' 3. आकृति 9.7 में, 28» £2 है और ० वृत्त का केंद्र है। सिद्ध कीजिए कि 02, 8८ का लंद समद्विभाजक है। हक आकृति १,7 4. आकृति 9.8 में, छए वृत्त के केंद्र 0 से जाने वाली : एक रेखा है। यदि 7 वृत्त की जीवाओं #8 और (7) को समद्विभाजित करती हो, तो सिद्ध कीजिए कि #8 | 00 है। 5. सिद्ध कीजिए कि एक वृत्त कौ दो समांतर जीवाओं के मध्य-बिदुओं को मिलाने वाली रेखा वृत्त के केंद्र से होकर जाती है। 6. एक रेखा /दो संकेंद्री वृत्तों को (अर्थात् वृत्त जिनके केंद्र एक ही हों) जिनका केंद्र 0 है, &, 8, 0. और 7) पर प्रतिच्छेदित करती है (आकृति 9.9)। सिद्ध कीजिए कि ४85 (0 है। 7. किसी वृत्त की, जिसका केंद्र 0 है, ७38 और 8८: दो जीवाएँ इस प्रकार की हैं कि 280 “080 है। सिद्ध कीजिए कि 8 5 ८४ है। आकृति 9,9 8. आकृति 9.20 में, 00) किसी वृत्त जिसका केंद्र 0 है, की जीवा ७8 का लंब समद्विभाजक है। यदि 80 एक व्यास हो, तो सिद्ध कीजिए कि 08 -2 00 है। आकृति ५.20 ॥ 9, 88 और (० एक वृत्त, जिसका व्यास ७2 है, की समांतर जीवाएँ हैं। सिद्ध कीजिए कि 68 5 (0) है। ' 0. किसी वृत्त की दो जीवाएँ 70 और 7७ परस्पर समांतर हैं और 88, 70 का लंब समद्विभाजक है। बिना किसी रचना का उपयोग किए, सिद्ध कीजिए कि ७8, 9५ को समद्विभाजित करता है। ]. एक रेखाखंड 48 की लंबाई 5 सेमी है। » और 8 से होकर जाने वाला 4 सेमी त्रिज्या का एक. वृत्त खींचिए। क्या आप & और छ से होकर जाने वाला 2 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींच सकते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारणों को लिखिए। 2. किसी वृत्त के केंद्र को ज्ञात करने की एक विधि लिखिए। 3. किसी दिए हुए वृत्त का एक चाप दिया हुआ है। दर्शाइए कि इससे पूरा वृत्त केसे बनाएँगे। 4. सिद्ध कीजिए कि दो भिन्न वृत्त एक-दूसरे को दो से अधिक बिंदुओं पर प्रतिच्छेदित नहीं कर सकते हैं। 5. एक वृत्त की दो समांतर जीवाएँ »8 और (0 (केंद्र के विपरीत ओर) इस प्रकार हैं कि #085 0 सेमी और 005 24 सेमी है। यदि ४8 और (0) के बीच की दूरी 7 सेमी हो, तो वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। 6. 5 सेमी त्रिज्या के एक वृत्त की जीवाएँ 8 और ४0० ऐसी हैं कि ७85 ४९१८6 सेमी है। जीवा 80 की लंबाई ज्ञात कीजिए। ह 7. एक वृत्त, जिसका केंद्र 0 है और त्रिज्या 0 सेमी है, की दो समांतर जीवाएँ 70 और 7७ हैं। यदि ए0१८6 सेमी और ए$-॥2 सेमी हो, तो ९0 और 7९४ के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए, यदि वे स्थित हों 0) केंद्र 0 के एक ही ओर। (0) केंद्र 0 के विपरीत ओर। 9५,6 केंद्र से समदूरस्थ जीवाएँ आइए अब वृत्त की दो जीवाओं के संबंध में एक अन्य परिणाम की जाँच करें। आइए एक अक्स कागज लें और उस पर केंद्र 0 का एक वृत््त खींचें तथा उसकी दो समान लंबाई की जीवाएँ »&8 और (0 परकार की सहायता से बनाएँ (आकृति 9.27)। अब हम 0४ । &3 और 00 । ८० खींचें। आइए अब हम कागज को इस प्रकार मोड़ें कि ९, ४ पर और 7), 8 पर पडे। यह संभव है, क्योंकि ७8 - (00 है। हम देखते हैं कि ९, |/ पर पड़ता है और मुड़ी हुई रेखा 0 आफ िकट से जाती है। इस प्रकार, 0// + 0 है, अर्थात् &8 और (70, 0 से समान दूरी पर. स्थित हैं। हम इस क्रियाकलाप को अनेक वृत्त और उनकी बराबर जीवाएँ खींचकर दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार हमको वही परिणाम प्राप्त होगा। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि वृत्त की समान जीवाएँ केंद्र से समदूरस्थ होती हैं । यदि हम॑ दो सर्वांगसम वृत्तों की समान जीवाएँ लें, तो आप कया आशा कर सकते हैं? हम दो अक्स कागजों पर दो सर्वांगसम वृत्त और दो समान जीवाएँ 28 और (09 खाँचते हैं (आकृति 9.22)। अब हम 0/ । «8 और एप | (9 उनके केंद्रों क्रशः 0 तथा 7 से खींचते हैं। इसके बाद पहले वृत्त को दूसरे पर इस प्रकार रखिए कि 0, ? पर पड़े और &, 0 पर पड़े। हम पाते हैं कि छ,]) पर तथा ७, ४ पर पड़ते हैं। इस प्रकार, 00/ शक 5 आय है श्र है। अर्थात् पुनः दोनों जीवाएँ अपने केंद्रों से समान दूरी पर स्थित हैं। इस प्रकार, सबयिसम वृत्तों की समान जीवाएँ उनके केंद्रों से बराबर दूरी पर स्थित होती हैं। पिछले परिणाम तथा इस परिणाम से हमें प्राप्त होता है आकृति 9.22 | 2 गुणध्चर्म 9.7 : किसी वृत्त (या स्वायसम वृत्तों 2 की समान जीवाएँ केंद्र (केंद्रों) से समदूरस्थ होती हैं। इस परिणाम के विलोम का सत्यापन हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं : हम एक अक्स कागज लें और उस पर एक वृत्त खींचें जिसका केंद्र 0 है। एक जीवा ४3 खींचिए और 0 से 00७ | ४83 डालिए। फिर वृत्त के अभ्यंतर में एक बिंदु ४ इस प्रकार चिहनित कीजिए कि 0५ - 0५ हो। अब पं से होकर जीवा (9 ऐसी खींचिए कि 00 । 00) हो (आकृति 9.23)। कागज को मोडकर हम आसानी से देख सकते हैं कि (0), ४8 को पूर्णतः ढक लेती है, अर्थात् &3- 0 है। इस प्रकार, किसी 0 | वृत्त में केंद्र से समदूरस्थ जीवाएँ बराबर होती हैं। आकृति 9.23... इसी प्रकार का क्रियाकलाप इस कथन की सत्यता को जाँच के लिए भी किया जा सकता है कि सर्वांगसम वृत्तों में केंद्रों से समदूरस्थ जीवाएँ बराबर होती हैं। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है भुणधर्म 9.8 : किसी वृत्त (या सर्वागसम वृत्तों) की जीवाएँ, जो केंद्र ( केंद्रों) से समदूरस्थ होती हैं, बराबर होती हैं। | अब हम कुछ उदाहरणों से इन गुणधर्मों की उपयोगिता प्रदर्शित करेंगे। उदाहरण 6 : एक वृत्त, जिसका केंद्र 0 है, की ७3 और ९.) दो बराबर जीवाएँ हैं (आकृति 9.24)। यदि ७8 का मध्य-बिंदु ॥। और (० का मध्य-बिंदु |7 हो, तो सिद्ध कीजिए कि “»2५ाप 5 “200५ है। हल : आइए हम शरण, 00 और 0४ को मिलाएँ। ४8 - 009 (दिया है) 0 5 0प (गुणधर्म 9,7) “0५7८ “070५. (बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण). () अब जबकि |/ और ५, ७8 और 00) के मध्य-बिंदु हैं, तो हमें प्राप्त होता है कि आकृति 9.24 0५ । ७8 और 0प । ८0 है (गुणधर्म 9.6) “0/0 5 “09४2८ (प्रत्येक बराबर है 900... (2) (।) और (2) को जोड़ने पर, .. ८४00५ + “0५0 5 ८2090 + “2070५ या “5/५ीप 5 207श उदाहरण 7: आकृति 9.25 में, 0 केंद्र वाले वृत्त की दो जीवाएँ ४3 और (0) हैं। दोनों जीवाएँ परस्पर बिंदु ? पर प्रतिच्छेदित करती हैं। यदि ?0, 2?) को समद्विभाजित 0 करता हो, तो सिदूध कीजिए कि॥85(फ़है। ज+- है ए हल : 0 से, ४8 पर लंब 000 तथा (0) पर लंब 0 डालिए। आकति-45 अब 00५7 और «00 से, “007 5 “007 (प्रत्येक बराबर है 90% “४०0 5 277०0. (90 समद्विभाजक है “2०४ का) 07507... (उभयनिष्ठ भुजा) “. 3 0५7 & & 0>ए (कोण-कोण-भुजा) ' इसलिए, 0]/ - 0५ (सर्वांग्सम त्रिभुजों के संगत भाग) , अतः, &8 5 09 (केंद्र से समदूरस्थ जीवाएँ बराबर होती हैं) प्रण्नावली 9.3 . आकृति 9.26 में, एक वृत्त की, जिसका केंद्र 0 है, &38 और (9 दो बराबर जीवाएँ हैं। यदि 00 । ४8 और 00 । 00 हो, तो सिद्ध कीजिए कि 200२७ “0७ है। आकृति 9.26 पट दम अमल मा मल मम न 499 2. एक वृत्त की, जिसका केंद्र 0 है, #8 और (9 दो बराबर जीवाएँ हैं। ये जीवाएँ बढ़ाए जाने पर छपर मिलती हैं (आकृति 9.27)। सिद्ध कीजिए कि ए8 5 | है। [संकेत: 0 से ७8 और (८0 पर लंब डालिए। ] आकृति ०.27 3. & ४80 के 2820 का समद्विभाजक 87), 0७8८ के परिवृत्त के केंद्र 0 से होकर जाता है (आकृति 9.28)। सिद्ध कीजिए कि ४8 5 ४९ है। आकृति १.३8 4. आकृति 9.29 में, 48 और 0 एक वृत्त की, जिसका केंद्र 0 है, बराबर जीवाएँ हैं। यदि 0) । 48 और 08 । «0 है, तो सिद्ध कीजिए कि ७708 एक समद्विबाहु त्रिभुज है। (न े (४ आकृति 9.29 दे हे 5. आकृति 9.30 में, एक वृत्त जिसका केंद्र 0 है की दो जीवाएँ (0 और ॥ए पर 08 और 08 क्रमशः लंब हैं। यदि आकृति 9.30 0& 5 08 है, तो सिद्ध कीजिए कि 82 5 0४ है। 6. यदि किसी वृत्त की दो बराबर जीवाएँ परस्पर प्रतिच्छेदित करती हों, तो सिदूध कीजिए कि एक जीवा के क्रमित भाग दूसरी जीवा के संगत भागों के बराबर होते हैं। ः 9.7 चञापों और जीवाओं दबारा चृत्त पर स्थित बिंदुओं पर अंतरित कोण एक वृत्त, जिसका केंद्र 0 है, के (लघु) चाप /&83 पर विचार कौजिए (आकृति 9.3)। यह चाप केंद्र पर 2४098 अंतरित करता है। अब हम वृत्त के शेष भाग पर कोई बिंदु ९ लेते हैं। चाप %8 दवारा (! पर अंतरित कोण «(9 है। ध्यान दीजिए कि जीवा »8 भी (: पर यही कोण अंतरित 'करती है। १2 छ निम्न प्रमेय में हम कोण 083 और कोण " &(8 के बीच एक संबंध स्थापित करेंगे। आकृति 9.3 'प्रमेथ 9.2 : किसी चाप द्वारा केंद्र पर अतरित कोण उस चाप द्वारा वृत्त के' शेष थाग पर स्थित किसी बिंदु पर अतरित कोण का दुगुना होता है। (|) (9) . आकृति 9.32 दिया है : एक वृत्त, जिसका केंद्र 0 है, का एक चाप ४ केंद्र पर “७09 अंतरित करता है तथा वृत्त के शेष भाग पर स्थित किसी बिंदु 0 पर «(098 अंतरित करता है (आकृति 9.32)। सिद्ध करना है: 008 5 2.2&९०४8 रचना : (0 को मिलाइए और उसे बिंदु ? तक बढ़ाइए। 00 और 08 को भी मिलाइए। उपपत्ति : ७७00 में, 02-00: (वृत्त की त्रिज्याएँ) “00५ 5 “204८ (बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण) वृत्त............ नल नितिन नितिन नह ननननननननि हनन न ६2: ५०६ ४2४8४ २७०४६०४४६५२०४४४३६४३४ न २००३० व हि 20] साथ ही, 2?0& 5 “00७ + <0&८ (त्रिभुज का बहिष्कोण) 27९08 5 ८2008 + <00& (क्योंकि “006 5 20०0) या. <2?0452 “00 () इसी प्रकार, # 800 लेकर, हम सिद्ध कर सकते हैं कि | 27९08 52.2008 । (2) आकृति 9.32 () के लिए, () और (2) को जोड़ने पर, हमें मिलेगा : 27043 + ८708 5 2(200५ + 2008) या .. 200852.2&08 इसी प्रकार, आकृति 9.32 (४) के लिए, (2) में से () को घटाने पर, हमें मिलता है: 2708 - 2?0& 5 2(20098 - 200५) या 2७085 2.2408 टिप्पणी : यह प्रमेय दीर्घ चाप द्वारा अंतरित कोण के लिए भी सत्य है। ऊपर की ही प्रक्रिया का अनुगमन कर हम इसे सिद्ध कर सकते हैं (आकृति 9.33)। अब हम उस स्थिति का अध्ययन करेंगे जबकि चाप ४3 एक अर्धवृत्त हो (आकृति 9,34)। पहले को तरह हम 00 को मिलाकर, बिंदु ? तक बढ़ाते हैं। हम देखते हैं कि “7000 + <“?(08 5 80? हु “4(083 80९ परंतु “40852 “2८8 या ]80? - 2 “.8(:8 या. “2«०08- प्र * 900 + एक समकोण - इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है; गुणधर्म 9,9 : अर्धवृत्त का कोण समेकोण होता है। ह आकृति 9.34 इस गुणधर्म के बिलोम के संबंध में हम क्या कह सकते हैं? इसके लिए “हम एक समकोण त्रिभुज 5४30 लेते हैं जिसका कोण (! समकोण है। आइए अब 93 को व्यास मानकर एक वृत्त खींचें (आकृति 9.35)। क्या यह वृत्त सम्मुख शीर्ष (! से होकर जाता है? हम स्मरण करें कि यदि हम कर्ण के मध्य-बिंदु को समकोण के शीर्ष से मिलाएँ, तो इस प्रकार बना रेखाखंड कर्ण का आधा होता है। इस प्रकार, 08 508 5 00 है। अतः वृत्त 0 से अवश्य जाता है। .. इस प्रकार, हम गुणधर्म 9.9 का निम्न विलोम प्राप्त करते हैं ; आकृति 9.38 गुणधर्म 9.0 : समकोण त्रिधुज के कर्ण को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त, उसके सम्पुख शीर्ष से होकर जाता है अथवा वृत्त का चाप, जो वृत्त के शेष भाग पर समकोण अतरित करता है, अर्धवृत्त होता है। टिप्पणी : ऊपर के गुणधर्म को हम इस प्रकार भी सिद्ध कर सकते हैं कि मान लें वृत्त ( से नहीं जाता है और तब हम इसका एक विरोधाभास प्राप्त करें। ह अब हम प्रमेय 9.2 का प्रयोग कर एक दूसरा महत्त्वपूर्ण प्रमेय सिद्ध करेंगे। प्रभेथ 9,3 : एक ही वृत्तखंड के कोण बराबर होते हैं। (0) 6) आकृति 9.36 दिया है; एक वृत्त जिसका केंद्र 0 है तथा 08 और <»॥8 वृत्त के एक ही वृत्तखंड में बने दो कोण हैं [ आकृति 9.36 (6) और (9) ]। सिद्ध करना है; «८8 2७798 रखना: 0/ और 08 को मिलाइए। उपपत्ति:.. 2७४0852.22८8 (प्रमेय 9.2) () और “08 5 2.2608 (2) - 22408 52.20708 [() और (2) से] या “4&(8- «<5608 टिप्पणी : यदि एक अर्धवृत्त पर 0 और 0 बिंदु हों, तो हम सरलता से देख सकते हैं कि ८208 5 “७7098 5 90" है। इस प्रमेय के विलोम के बारे में हम क्या कह सकते हैं? इसके लिए आइए एक रेखाखंड /8 खींचें और उसके एक ही ओर कोई दो बराबर कोण «८8 और «708 बनाएँ (आकृति 9.397)। अब ७48 और &० के लंब समद्विभाजक खींचकर & 280 का परिकेंद्र 0 प्राप्त कीजिए। 0 को केंद्र मानकर और त्रिज्या 00 लेकर, आइए एक वृत्त खींचें जो &, 8 और 0! से होकर जाता हो। क्या यह वृत्त 7) से भी होकर जाएगा? हाँ, वह जाएगा। हम इस क्रियाकलाप को कई बराबर >)०- अत, रा कोणों के जोड़े बनाकर और इन तीन बिंदुओं से जाने वाले ४७७७५ वृत्तों को बनाकर दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार हम पाएँगे कि वृत्त चौथे बिंदु से भी जाता है। इस प्रकार, हम प्राप्त करते हैं : गुणधर्म 9] : यदि दो बिंदुओं को मिलाने वाला एक रेखाखंड, अपने एक ही ओर स्थित दो अन्य बिंदुओं पर बराबर कोण अतरित करता हो, तो चारों बिंदु एक वृत्त पर स्थित होते हैं। टिप्पणियाँ : . उपर्युक्त गुणधर्म यह मानकर की तीन बिंदुओं से जाने वाला वृत्त चौथे बिंदु से नहीं जाता है और इस प्रकार इसका एक विरोधाभास प्राप्त करके भी सिद्ध कर सकते हें। 2. एक वृत्त पर स्थित बिंदुओं को एकवृत्तीय (2०४४/०7४८) और बहुभुज को जिसका प्रत्येक शीर्ष .._ एक वृत्त पर स्थित हो, चक्राब (८,८४८) बहुभुज कहते हैं। 9.8 चक्रीय चतुर्भन के कोण चतुर्भुज जिसके सभी (चारों) शीर्ष एक वृत्त पर स्थित होते हैं उसे चक्राव चतुर्भुज कहते हैं। पूर्व कक्षाओं में आपने पढ़ा है कि चक्रीय चतुर्भुज के सम्मुख कोण संपूरक ($प७ए७/०॥०॥»7) होते हैं। हम यहाँ इस परिणाम को सिद्ध करेंगे।...... प्रमेय 9.4 : चक्रीय चतुर्भज के सम्मुख कोणों के किसी भी बुग्म का योग 80" होता है। दिया है: एक चक्रीय चतुर्भुन 88009 है। सिद्ध करना है; 28/0 + ८9800 580% तथा <#00+ ८088 < 80० रचना: माना कि शीर्षों &, 8,2 और 9) से जाने वाले वृत्त का केंद्र 0 है। 08 और 07 को मिलाइए (आकृति 9.38)। ] ८ उपपत्ति ; ड्ला 0 ८880 5 7 ४800 ऑकोतिए न्त तर (प्रमेय 92)... () (ध्यान दीजिए कि कोण 8009 प्रतिवर्ती (७७४) कोण है।) और “800 « ट “3079 ८ 72 (प्रमेय 9.2) ह क् (2) (]) और (2) को जोड़ने पर, विज ८880 + ८800 जुझ+ 5» 7 ७79) ॥ क्योंकि ु प्र * 3605 80? (क्योंकि ४+/ 360") परम कद मिस मर 205 चूंकि चतुर्भुज के कोणों का योग 360" है, इसलिए 25700 + 2८88 < 60 - (28५7) + 38000) 5 360%- 80"- 80% इस प्रमेय के विलोम के बारे में हम क्या कह सकते हैं? इसके लिए एक चतुर्भुज »3000 पर विचार कीजिए, जिसके एक सम्मुख कोणों के युग्म, मान लीजिए, “७80 और ७790 का योगफल 80" है (आकृति 9.39)। ध्यान दीजिए कि दूसरे सम्मुख कोणों के जोड़े का योग भी 80' होगा, क्योंकि किसी चतुर्भुज के चारों कोणों का योग 360" होता है। मान लीजिए कि ४, 8 और 0 से जाने वाला चृत्त 9 से नहीं जाता है और (0) या 00) के बढ़े भाग को 8 पर प्रतिच्छेदित करता है [आकृति 9.39 6) और (0॥)]। 0) आकृति 9.39 अब स्पष्टत:, >23+ 28 ]800 (प्रमेय 9.4) और 28+ «70 < 80० (दिया है) इसलिए, 20 - 25 परंतु यह संभव नहीं है, क्योंकि किसी त्रिभुज का बहिष्कोण, उस त्रिभुज के एक सुदूर (अभिमुख) अंतःकोण के बराबर नहीं हो सकता। इसलिए हमारी यह परिकल्पना कि ४, 8 ओर 0 से होकर जाने वाला वृत्त) से होकर नहीं जाता है, गलत है। अर्थात् 0 वृत्त पर अवश्य स्थित होगा। दूसरे शब्दों में, », 8, 0 और 7) एकवृत्तीय (००॥०५०॥४०) हैं, अर्थात् ४807) चक्रीय चतुर्भुज है। इस प्रकार, हमें प्राप्त होता है । गुणधर्म 9,2 : यदि चत॒र्धज के सम्मुख कोणों का एक युग्म संपूरक हो, तो चत॒र्धन चक्रीय होता है। अब हम इन परिणामों के प्रयोग को कुछ उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करेंगे। उदाहरण 8 ; आकृति 9.40 में, तीन बिंदु ७, 8 और ९ किसी वृत्त पर इस प्रकार स्थित हैं कि जीवाएँ ७8 और #८ केंद्र 0 पर क्रमश: 90" और 0"के कोण अंतरित करती हैं। 3.00 ज्ञात कीजिए। हल; 23005360० - (90"+ 0% + 60 () अब, ८8805 - 280८ (प्रमेष 9.2) आकृति 9.40 “83405 प्र < 60९ [(3) से] न 80९ ह रि उदाहरण 9 ; आकृति 9.4[ में, किसी वृत्त की दो जीवाएँ डे हर ९७ ओर 7२0 केंद्र 0 से समान दूरी पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि व्यास 08 कोणों ?(॥२ और एड को समद्विभाजित करता है। के हल :पूँकि 70७ और 7२0 केंद्र 0 से समान दूरी पर स्थित हैं, अतः ?05४७ () अब &?(0$ और 6२०३४ में, हम पाते हैं : ९९-१९ [(0) से] 8225७: “(07९5६ < “08१8 5 90९ (अर्धवृत्त के कोण) और 08 5 05 | '. 07205 < 470५९ (समकोण-कर्ण-भुजा) अतः, <?(08 5 २0५९ (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) और. <7?४0 + 2२850 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) _ अर्थात् व्यास (8, कोणों 707९ और ?87९ को समद्विभाजित करता है। उदाहरण 0 : केंद्र 0 वाले चृत्त की एक जीवा 80 है। चाप 82 पर एक बिंदु » है, जैसा कि आकृति 9.42 () और () में दिखाया गया है। सिद्ध कीजिए : 0) ८3५0 + “2080 - 90", यदि #& दीर्घ चाप पर एक बिंदु हो। 6) ८820 - 2080 5 90", यदि & लघु चाप पर एक बिंदु हो। 6) 0) आकृति १,42 हल :0) डचत25 (क्यों?) () साथ ही, 27 ]80? - 29 25% [80" - 29 [() से ] या 2:+29 80० या &+ 9८ 90? अर्थात् 23७0+ “080 < 90९ () ड्चत 22 ह (2) तथा #ल् 807 -- 29 27360? ४ 360 - (80% - 29) 5 80९+ 29 ह। या . 2च्807+2/ - [(2)से] . या 2४- 29 5 80९ या ४-»590९ अर्थात् 2880- 2080<90% उदाहरण ।! : सिद्ध कीजिए कि दीर्घ वृत्तखंड का कोण न्यून कोण होता है। हल : एक वृत्त, जिसका केंद्र 0 है, के दीर्घ वृत्तखंड में “(78 लीजिए (आकृति 9.43) हमें सिद्ध करना है कि 2&08 न्यून कोण है। | ह अब “6808 हा <&08 (प्रमेय 9.2) परंतु “808 < 80% ] ] ५ हर “<60(08 < हर >< ]80 अर्थात् नि 2808 < 90० इस प्रकार, “७९08 < 90 है। अर्थात् दीर्घ वृत्तखंड में बना “4९ न्यून कोण है। आकृत्ति 9.43 टिप्पणी : इसी प्रकार, यह सिद्ध किया जा सकता है कि किसी लघु वृत्तखंड में बना कोण अधिक कोण होता है। उदाहरण 2 ; आकृति 9.44 में, ७80! एक त्रिभुज है जिसमें ५8 - ७९ है और &(: पर ? एक बिंदु है। ? से होकर एक रेखा खींची जाती है, जो 8? के बढ़े भाग को () पर इस प्रकार प्रतिच्छेदित करती है कि 2४80 5 “#00 है। सिद्ध कीजिए : ] <000(-८ 90" + ट्र “43.60: हल : ८४30 - “2४९0 (दिया है) .. बिंदु &, 8, 2 और 0 एकवृत्तीय हैं (गुणधर्म 9.) “3७0 - “230९ .. (प्रमेय 9.3) () तथा <208-" “७08 (प्रमेय 9.3) (2) (]) और (2) को जोड़ने पर, ८<30(+ <60(.8 5 “८800९: + “008 या. ८2880+ 20८08 - /«0८ (3) अब, चूंकि ७3 5 &( (दिया है), इसलिए <&80- “2008 (4) ! कक ८ प्रन ७ आकृति 9.44 परंतु <0830+ ८2७९४ + “28७९5 80" (एक त्रिभुज के कोण) <&08+ <#&(!3+ 2830(0:5 80" [(4) से] या 22008 + 2300 <> 80" ! या ८8८8-90" - 7 ४82९ 2/(८9 का मान (3) में रखने पर, हमें मिलता है : <30(/+ 907 - 7 ८3807 ८60७0 ॥| है ] अर्थात् ८४00० <>90९+ दर “840. उदाहरण 3 : चक्रोय चतुर्भुग ७800) की भुजा 700 एक बिंदु छ तक बढ़ाई गई है (आकृति 9.45)। सिद्ध कीजिए कि “308 < ८30 है। हल : ८2347 + 2800 < 80% (!) साथ ही, >2830॥) + “80 5 80" (रैखिक युग्म) (2) 2840 +८ 800 5 23800 +2 80४ [(]) और (2) से] आकृति 9.45 या ८2887 + 23९8 टिप्पणी : कभी-कभी इस परिणाम को एक गुणधर्म की तरह भी प्रयोग करते हैं। 27 कक असम हम हि मय मम यम अप र्गा प्रज्वाजलली 9.3. . निम्न आकृतियों में » से चिह्नित कोणों को ज्ञात कीजिए, जहाँ 0 वृत्त का केंद्र है : 00। 8३ आकृति 9.46 2. 5800 एक चक्रीय समलंब है जिसमें ७0 || 8८ है। यदि 2370" हो, तो समलंब के शेष तीनों न शा कोण ज्ञात कीजिए ह ही टी 0 . 3, आकृत्ति 9.47 में, किसी वृत्त का एक व्यास 8 जीवा ?०0 को समद्विभाजित करता है। यदि “(0 | एए हो, तो सिद्ध कीजिए कि जीवा 70 भी वृत्त का व्यास है। आकृति 9.47 पड हा क्> >> लक गजबबन-नट न ल्नच व कह लललन न 7 प०िलप्लडरप्लव्फ चिट ललाड १ ०००११ ००००० नल बन ननट ०१०३० वकलरमनडनव्टक्िन्नन 7००१३ ०००१० ००८०००९०५०+२१)5०५»०५०%7;०३२९५०५५०५००५००५०४३०३११०००० ०६३० ०३३ ०१०० १९ , आकृति 9.48 में, &8 5 (!) है। सिद्ध कीजिए कि 82-)8 और ७8- (८ है, जहाँ 0, ७0 और 80 का प्रतिच्छेद् बिंदु है। , 809 एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसमें ७7) || 80 है। सिद्ध कीजिए कि »8 5 00 है। <| , ७809 एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण (2 और 8), ? पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि 48 ८ 7007 हो, तो सिद्ध कीजिए : अमल हा 0) ७९88 & ७?700 आकृत्ति 9,48 (0) 7९४ 5 श) और ए९2 5 ?8 (0) 47 | 8८ ५ एक वृत्त के दो व्यास एक-दूसरे को समकोण पर प्रतिच्छेदित करते हैं। सिदूध कीजिए कि उनके अंत बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंडों से बना चतुर्भुन एक वर्ग है। . एक समद्विबाहु त्रिभुज ७8८ में ७8 - »&0 है। इसकी भुजा 82 का मध्य-बिंदु 0 है। सिद्ध कीजिए कि बराबर भुजाओं में से किसी भी भुजा को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त बिंदु 0) से होकर जाएगा . सिद्ध कौजिए कि समचतुर्भुज को किसी भी भुजा को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त, उसके विकर्णों के प्रतिच्छेद बिंदु से होकर जाएगा। , दो वृत्त परस्पर बिंदुओं ७ और 98 पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि ७7? और «0 दोनों वृत्तों के क्रमशः व्यास हों, तो सिदृ्ध कीजिए कि 780 एक रेखा है। . दो सर्वांगसम वृत्त परस्पर बिंदुओं ? और 0 पर प्रतिच्छेद करते हैें। ? से खींची गई एक रेखा वृत्तों से & और 8 पर मिलती है। सिद्ध कीजिए कि 04 - (09 है। , सिदृध कीजिए कि एक समकोण त्रिभुज के कर्ण के मध्य-बिंदु को सम्मुख शीर्ष से मिलाने वाला _ रेखाखंड, कर्ण का आधा होता है। , &0 और छा) एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो एक-दूसरे को समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध कीजिए ; 0) &0 और छा) व्यास हैं। () ४80) एक आयत है। 200 07:76 गणित 4. »8९! और ४7)0 दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनका. उभयनिष्ठ कर्ण ४८ है। सिद्ध कीजिए कि “(४70 5 “09809 है। ह 5. आकृति 9.49 में, एक चक्रीय चतुर्भुज ७807) के विकर्ण &2 और 80, / पर परस्पर समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं। सिद्ध कीजिए कि |( से खींची गई कोई रेखा जो चतुर्भुज की किसी भुजा को समद्विभाजित करती है, उस भुजा की सम्मुख भुजा पर लंब होती-है। .... 0. अल त](20/+७+७ कु 9 ् गण मै, हि, धर | कप 22 है थम नीली 2 मन आह मल कक जी ७) आकृति १.३० 6. आकृति 9.50 में, ७8९८ एक त्रिभुज है और ? भुजा 80 पर इस प्रकार स्थित बिंदु है कि ७8 - 4? है। यदि ९ बढ़ाने पर 6 ४30 के परिवृत्त से 0 पर मिलती हो, तो सिद्ध कीजिए कि (95 (९0 है। आकृति 9.50 ' 7. त्रिभुज ७80, जिसमें ४8 - ८ है, के परिवृत्त पर 7) एक ऐसा बिंदु है कि 8 और 7) रेखा 20 के विपरीत ओर स्थित हैं। यदि (!) एक बिंदु ४ तक इस प्रकार बढ़ाई जाती है कि (8 छो9 हो, तो सिद्ध कीजिए कि ४70 5 45 है। 8. आकृति 9.5 में, ७3८20 एक चक्रीय चतुर्भुज है। एक वृत्त, जो & और 8 से होकर जाता है, ७0 और 8८ से क्रमश: बिंदुओं 8 ओर ए पर मिलता है। सिद्ध कीजिए कि 77 | 00 है। आकृति १5 9. त्रिभुज ४380 की भुजा 80 पर ए एक बिंदु इस प्रकार 4 सं शा 2] स्थित है कि ७8 5 ४? है। शीर्षों & और 2 से क्रमशः “ 8८ और ९४ के समांतर रेखाएँ खींची जाती हैं जो) पर 5 प्रतिच्छेदित करती हैं (आकृति 9.52)। दर्शाइए कि ४ 48270 एकं चक्रीय चतुर्भुज है। , 0 हे ि | 2 कक कस अर कि. 20. ४80 एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें ४85 ४0है। कि ९ एक वृत्त जो 8 और 0 से होकर जाता है, भुजाओं 88 आकर और »( को क्रमश: 0 और ए पर प्रतिच्छेदित करता है। सिदूध कीजिए कि 708 || 80 है। 2, सिद्ध कीजिए कि चक्रीय समांतर चतुर्भुज एक आयत होता है। 22. एक चक्रीय चतुर्भुज »3(7) के सम्मुख कोणों & और ० के समद्विभाजक वृत्त को क्रमश: बिंदुओं ४ और 7 पर प्रतिच्छेदित करते हैं (आकृति 9.53)। सिद्ध कीजिए कि ]% वृत्त का व्यास है! [संकेत : 4 और 7 को मिलाइए। ] ः छि ह आकृति 9.53 23, किसी चक्रौय चतुर्भुज के विकर्ण »(2 और छा) एक-दूसरे को 8 पर समकोण पर ग्रतिच्छेदित करते हैं (आकृति 9.54)। ४ से &8 पर खींची गई एक लंब रेखा 7, (४0 को 9 पर मिलती है। सिद्ध कीजिए कि 9, (0) का मध्य-बिंदु है। आकृति 954... 24. एक समांतर चतुर्भुज 4800 के शीर्बो ॥, 8 और 2 से होकर जाने वाला वृत्त भुजा 070 (या (00 के बढ़े हुए भाग) को बिंदु ? पर प्रतिच्छेदित करता है। सिदूध कीजिए कि 87 > ) है। 25. एक वृत्त की ?0 और 7७ दो समांतर जीवाएँ हैं और रेखाएँ 7९ और 50 परस्पर बिंदु 0 पर प्रतिच्छेदित करती हैं (आकृति 9.55)। सिद्ध कीजिए कि 07 5 00 है। 26, एक समद्विबाहु त्रिभुज ७80: में, #38 < ७0 है। इसके 3 का समद्विभाजक 4 430 के परिवृत्त से 9 पर मिलता है (आकृति 9.56)। यदि »? और 8९ बढ़ाने पर बिंदु 0 पर मिलती हों, तो सिद्ध कीजिए कि 00 5 (४ है। [संकेत ; (! और 7 को मिलाइए।] (्ठ्र्त नन््भीव्ामवपता आकृति 9,56 27. एक समद्विबाहु त्रिभुज ७80 की बराबर भुजाओं 883 ओर /&८ पर क्रमश; बिंदु) और 8 इस प्रकार हैं कि ७05४8 है। सिद्ध कीजिए कि बिंदु 8, 0, ४ और 7 एकवृत्तीय हैं। 28, एक समद्विबाहु त्रिभुज ७80 की बराबर भुजाओं ७8 और 2८ पर क्रमशः दो बिंदु 7) और 7 इस प्रकार हैं कि 8, ०, ४ और) एकवृत्तीय हैं (आकृति 9.57)। यदि 0). ७ +++7__/ और 88 का प्रतिच्छेद बिंदु 0 हो, तो सिद्ध कीजिए कि ककिति शक 30 रेखाखंड [02 का लंब समद्विभाजक है। 29. यदि किसी समलंब की दोनों अप्तमांतर भुजाएँ बराबर हों, तो सिद्ध कीजिए कि वह चक्रीय है। ु 90. यदि किसी चक्रौय चतुर्भज को दो भुजाएँ समांतर हों, तो सिद्ध कौजिए कि () शेष दोनों भुजाएँ बराबर हैं। () दोनों विकर्ण बराबर हैं। | 9 ॥. 8 एक वृत्त का व्याप्त है। वृत्त का केंद्र 0 है और उसकी जीवा (0) ज्रिज्या 00 के बराबर है (आकृति 958)। 0९ और 90 दाने पर बिंदु ए पर मिलती हैं। सिद्ध कौजिए कि 200) 5 60' है। 3), त्रिभुज ॥80 के कोणों ॥, 8 और ( के स्मदविभाजक उसके परिवृत्त को क्रमशः बिहुओं (),8 ओर 7 पर प्रतिकेदित करते हैं! | सिदध कोजिए कि 08 के कोण क्रमश; 90९ - ह भर ि आकृति )8॥ ० हर और ॥ ० ७ हें 9-7 और 9९ - > है 93, सिद्ध कोजिए कि यदि किसी त्रिभुज के एक कोण का समदृविभाजक तथा उसकी सम्मुख भुजा का लंब समद्विभाजक प्रतिच्छेद करते हों, तो वे त्रिभुज के परिवृत्त पर प्रतिच्छेद करेंगे [संकेत ; भान लीजिए कि .» का समद्विभाजक तथा भुजा 9९ का लंब समदविभाजक बिंदु ? पर मिलते हैं। सिद्ध कौजिए कि ५, 8, ? और ( एकवृत्तीय हैं।] वृत्त की स्पर्श रेखाएँ 0. भूमिका अध्याय 9 में, आपने वृत्त के गुणों में से कुछ का अध्ययन किया है। यहाँ पर हम वृत्त की स्पर्श रेखा (स्पर्श) को परिभाषित करेंगे तथा स्पर्शी के गुणों में से कुछ का अध्ययन करेंगे। उनमें से कुछ थुणों को क्रियाकलापों की सहायता से सत्यापित करेंगे तथा आवश्यकतानुसार कुछ की उपपत्ति भी देंगे। आइए हम केंद्र 0 वाले एक वृत्त पर विचार करें। वृत्त के तल में कोई रेखा #8 खींचिए। वृत्त के सापेक्ष यह रेखा तीन अवस्थाओं में हो सकती है, जैसा कि निम्न आकृति में दर्शाया गया (0) (0) (॥) आकृति 0.] आकृति 0.0) में, रेखा ४8 वृत्त को प्रतिच्छेद नहीं करती है। आकृति 0.(0) में, रेखा 48 वृत्त को दो भिन बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करती है तथा यह वृत्त की छंदक रेखा (४०८८४7) कहलाती है। आकृति 0.(॥7) में, रेखा ५8 वृत्त को दो संपाती बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करती है अथवा यदि बुत को सा रेखाएं.:..62 83757 कपल ली उप मे+सलन नर समन द लत भ पम व पल पत पिरदरपे पाप मुकाम ता पक स न 27 भली प्रकार कहा जाए, तो केवल एक ही बिंदु पर प्रतिच्छेद करती है। इस स्थिति में, रेखा ७8 का वृत्त को स्पर्श करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में, ४8 वृत्त के उस बिंदु पर एक स्पर्श रेखा (08०४0) है। वृत्त के इस बिंदु को रेखा ४8 का स्पर्श बिंदु कहते हैं। इस धारणा की निम्न क्रियाकलाप द्वारा भी व्याख्या की जा सकती है : एक वृत्ताकार तार लीजिए। वृत्ताकार तार के एक बिंदु ? पर एक सीधा तार #8 इस प्रकार जोडिए कि तार 8 तथा वृत्ताकार तार एक तल में हों। इसके लिए आप इन दोनों को एक क्षैतिज मेज पर रख सकते हैं। साधारण अवस्था में तार »8 इस चुत्त को एक अन्य बिंदु 0 पर काटेगा (आकृति 0.2)। अब तार ४3 को इस प्रकार घुमाना प्रारंभ कीजिए कि यह बिंदु 0, बिंदु ९, जहाँ यह वृत्ताकार तार से जुड़ा हुआ है, के समीप तथा और समीप आता जाए। एक स्थिति, माना &'8' में यह बिंदु, बिंदु ? के संपाती हो जाता है। तब »'?७' वृत्त को बिंदु ? पर स्पर्श रेखा हो जाती है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि वृत्त की स्पर्श रेखा वह रेखा है, जो वृत्त को एक और केवल एक ही बिंदु पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि उपर्युक्त क्रिया में आप तार ७९8" को और भ्रधिक घुमाएँ, तो यह व॒त्ताकार तार को बिंदु ? के अतिरिक्त पुन: एक अन्य बिंदु पर काटेगा (आकृति 0.2)। अतः हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि : वृत्त के एक बिंदु पर एक और केवल एक ही स्पर्श रेखा होती है 0.2 एक बिंदु से एक वृत्त पर स्पर्श रेखाओं की संख्या आइए हम एक बिंदु से एक वृत्त पर कितनी स्पर्श रेखाएँ खींच | सकते हैं इसकी जाँच करें। स्वाभाविक रूप से यह संख्या वृत्त के सापेक्ष बिंदु की स्थिति पर निर्भर करती है। हमने उपर्युक्त अनुच्छेद में देखा कि यदि बिंदु वृत्त पर स्थित है, तो इस बिंदु से जाने बाली वृत्त की केवल एक स्पर्श रेखा खींची जा सकती है। यदि एक बिंदु ? चृत्त के अंदर स्थित हो, तो इससे होकर जाने वाली कोई भी रेखा वृत्त को दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करेगी (आकृति 0.3)। अतः आकृति ॥0,2 न् आकुति 0,3 वह स्पर्श रेखा नहीं हो सकती। अतः उस बिंदु से, जो वृत्त के अंदर स्थित हो, होकर जाने वाली वृत्त की कोई भी स्पर्श रेखा नहीं खींची जा सकती। अंत में, हम उस स्थिति पर विचार करें जब बिंदु? वृत्त के बाहर स्थित हो। यदि आप इस बिंदु से होकर जाने वाली एक छेदक रेखा खींचें तो यह वृत्त को दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करेगी तथा वृत्त आकृति 0.4 की एक जीवा को समाहित करेगी। इस ,जीवा कौ अधिकतम लंबाई वृत्त के व्यास के बराबर होगी। यदि छेदक रेखा इस व्यास के दोनों ओर खींची जाए, तो आप देखेंगे कि जीवा की लंबाई व्यास से कम होगी (आकृति 0.4)। यदि आप छेदक रेखा को बिंदु ? के परितः व्यास के दोनों ओर : घुमाएँ, तो आप देखेंगे कि जीवा की लंबाई कम तथा और कम ,, ग्रह होती जाएगी तथा प्रत्येक ओर एक स्थिति ऐसी आएगी कि जीवा छोटी होती-होती एक बिंदु बन जाएगी। दूसरे शब्दों में, छेदक 4, रेखा एक स्पर्श रेखा हो जाएगी (आकृति 0.5)। आकृति अत;, वृत्त के एक बाहूय बिंदु से वृत्त पर दो स्पर्श रेखाएँ खींची जा सकती हैं। इस विचार को हम निम्न सारणी में संक्षिप्त करते हैं : सारणी 0, वृत्त के सापेक्ष बिंदु की स्थिति स्पर्श रेखाओं की संख्या . 0.3 स्पर्श रेखाओं के गुण अब हम वृत्त की स्पर्श रेखा के एक आवश्यक गुण, कि वह स्पर्श बिंदु से होकर जाने वाली त्रिज्या हे लंब होती है, की तर्क द्वारा जाँच करते हैं। इसे निम्न प्रकार से सत्यापित किया जा सकता ह ; आइए, केंद्र 0 वाले एक वृत्त पर विचार करें तथा इस पर एक स्पर्श रेखा खींचें। माना स्पर्श वृत्त की स्पर्श रेखाएँ...................."नननननननननानननननलन मल मम बिंदु ए है। 0? को मिलाएँ। माना स्पर्श रेखा पर ? के अतिरिक्त एक अन्य बिंदु 0 है। 00 को मिलाएँ। बिंदु 0 वृत्त के अंदर (या उसके ऊपर) स्थित नहीं हो सकता है, क्योंकि तब रेखा ?0 वृत्त को दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेदित करेगी और वह स्पर्श रेखा नहीं हो सकती है। अतः 0 वृत्त के बाहर स्थित है (आकृति 0.6) तथा इस प्रकार 00> 07! अत: 0 को स्पर्श रेखा के बिंदुओं से मिलाने वाले रेखाखंडों में से 07 न्यूनतम है। क्योंकि किसी बिंदु से किसी रेखा पर बनाए गए रेखाखंडों में से लंब सबसे छोटा होता है, इसलिए 07, ? पर खींची गई स्पर्श रेखा पर लंब है। इस प्रकार, हम प्राप्त करते हैं ; गुणधर्म 0. ; वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा स्पर्श बिंदु से होकर जाने वाली त्िज्या पर लंब होती है। गुणधर्म 0. का प्रयोग किसी वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा खींचने में किया जा सकता है। मान लीजिए कि आपको केंद्र 0 वाले एक वृत्त के एक बिंदु ? पर स्पर्श रेखा खींचनी है। तब आपको (07 को मिलाना होगा तथा 07 के बिंदु ? पर लंब रेखा खींचनी होगी। यही अभीष्ट स्पर्श रेखा होगी। यदि हम किसी वृत्त के दो बिंदुओं पर स्पर्श रेखाएँ खींचते हैं, तो या तो वे समांतर होती हैं या वे एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती हैं [आकृति 0.70), (४)]। यदि स्पर्श रेखाएँ समांतर हैं, तो उनके स्पर्श बिंदु एक व्यास के सिरे होंगे [आकृति 0.70)]। यदि दो बिंदुओं ? और 0 पर खींची गई वृत्त की स्पर्श रेखाएँ ए पर प्रतिच्छेद करती हैं, तो रेखाखंडों [ए? और ५७0 की लंबाइयों को बिंदु [२ से वृत्त पर स्पर्श रेखाओं . की लबाइयाँ कहते हैं [आकृति 0.7 (6)]। 3000: 2000 27 75९ 29 ०0 | 5. पी हि 7६ बं>नव-कमनल पक ५००-+०८८ ० हल ० पककार०' 4 2 ० त५थल-०ब्क 2 रे हे; आंकृत्ति 0.6 9906 20027 0007700 7807 5 255 दद, 7 पैन < सिक दी दि गत 5 कक १ टिक भय 02 40777 गणित अब स्वाभाविक प्रश्न उठता है : लंबाइयों [९? और २0 में क्या संबंध हे? उत्तर का भली प्रकार अनुमान लगाया जा सकता है कि वे समान होंगी। इसे वास्तविक माप दूवारा या चित्र की सममिति का प्रयोग करके दर्शाया जा सकता है। इसे निम्न गुणधर्म के रूप में व्यक्त किया जा सकता है ; पगथम 0.2 : कसी बाहय बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं की लंबाइयाँ बराबर होती हैं। के गुणधर्म 0.2 को निम्न प्रकार से सिद्ध कर सकते हैं : माना कि 0 केंद्र वाले एक वृत्त की 7९? तथा 7१0 दो स्पर्श रेखाएँ हैं (आकृति 0,8)। हमने गुणधर्म 0. में देखा कि डे < 0ए₹ 5 < 007 5 90९ < ये दो समकोण त्रिभुजों 0/₹ तथा 000 में, 2 डी हमें ज्ञात है कि कर्ण 0२ 5 कर्ण 07 (उभयनिष्ठ) 07 5 00 (वृत्त की त्रिज्याएँ) 6 0?/२ & & 000 (समकोण-कर्ण- भुजा) | रए २0 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) हम इस पर भी ध्यान देते हैं कि “7२0 5 ८“ 0१0. (सर्वाग्सम त्रिभुजों के संगत भाग) जा आकृति 0.8 अतः, 0 कोण २0 के समद्विभाजक पर स्थित है अथवा दूसरे शब्दों में, वृत्त का केंद्र दो स्पर्श रेखाओं के बीच के कोण के समदूविभाजक पर स्थित होता है। यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि यदि आप कागज को रेखां 770 के अनुदिश मोडें, तो आकृति 0.8 के भाग जो रेखा 7१0 के दोनों ओर पड़ते हैं सर्वसमान (अर्थात् एक जैसे) हैं और इस प्रकार कहा जाता है कि आकृति रेखा 7१0 के परितः सममित (इज़ााशना०४) है। 0.4 क्ृत्त की एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करने वाली जीवाएँ इस अनुच्छेद में, हम एक बिंदु से होकर जाने वाली वृत्त की जीवाओं के एक आवश्यक गुण के बारे में चर्चा करेंगे। इस गुण का निम्म प्रमेय में कथन दिया गया है. तय |0.]: यदि एक वृत्त की दो जीवाएँ वृत्त के अंदर अथवा बाहर ग्रतिच्छेद करती हैं, तो एक रेखाएँ वत्त को स्पशः रेखाएं... 03४०४ 5४ नी तप पनत कगदा मम कप आकलन पट फ न 5 हर्म मेक पर 22] जीवा के भागों द्वारा बने आयत का क्षेत्रफल दूसरी जीवा के भागों द्वारा बने आयत के क्षेत्रफल के बराबर होता है। दिया है : के वेत्त की दो जीवाएँ ७3 और (८7 जो एक-दूसरे को बिंदु ? पर, जो वृत्त के अंदर अथवा बाहर स्थित है, प्रतिच्छेद करती हैं [आकृति 0.9 6) और (7)]। ह ७] छ। ([ ७७० | ] रा हि ह हु 8 के . रॉ ए 2. ध ५०० ० ; - हे ००... जलन 2 मम () () आकृति 40.9 सिद्ध करना है :.# - ठ 5 ?0.ए० सचना : 0 तथा 870 को मिलाइए। जउपपत्ति : स्थिति | : बिंदु ? वृत्त के अंदर स्थित है [आकृति 0.9 0)]। त्रिभुजों 707७ तथा 798) में, ८<7?(९४७ 5 ८ ए879 (एक ही वृत्तखंड के कोण) < #?( >> ८8799 (शीर्षाभिमुख कोण) 4 ?९(१७ - & 780 (५५७ समरूपता) स्थिति 2 : बिंदु ? वृत्त के बाहर स्थित है [आकृति 0.9 (0)]। 27४८0 + < ०७8 5 807 (रेखिक युग्म) और “(0४७8 + /ए)8 5८ 80" . (चक्रौय चतुर्भुन के सम्मुख कोण) 5; 2?९७०0 5 <ए)98 () अब त्रिभुजों 70७ तथा 787 में, “27९७९ 5 <“ए?798 [(॥) से] < ७? 5 2778 (एक ही कोण) 2 & 70९१8 - / 28!) (/&./ समरूपता ) अतः प्रत्येक स्थिति में, 9७. _ 7९८ भुजों ल्ल्च्ला समरूप गुण पक त ( त्रिभुजों का गुण) अथवा ए& , ?3 5 #?( , ?) छि्पणियाँ : | !. »09 तथा 80! को मिलाकर एक अन्य उपपत्ति भी दी जा सकती है। 2. यदि बिंदु ? वृत्त के ऊपर स्थित है, अर्थात् 9. & तथा 0 के संपाती है, तो 7९७ -7?०-० है। इस स्थिति में भी ९७ .ए8 50570 . 99 है। आगे आइए हम इस प्रमेय के विलोम की सत्यता की जाँच करें। इसे निम्न प्रकार से कह सकते हें $ गणधर्म 0.3: दें दो रेखाएँ 8 तथा (0 एक बिंदु ? पर प्रतिच्छेद करती हैं अथवा 48 तथा (00 को समाहित करने वाली रेखाएँ ? पर प्रतिच्छेद करती हैं, जबकि 78 , ए3 <?0 ,ण) है, तो चारों बिंदु ७, 8, 0, 0 एकवृत्तीय हैं, अर्थात् वे एक ही वृत्त पर स्थित हैं इसे निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है : तीन बिंदुओं &, 8 तथा (! (एक रैखिक नहीं) से होकर जाने वाला एक वृत्त खींचिए। मान लीजिए कि वह 7) से होकर नहीं जाता है। इसलिए वह ()) को या बढ़ाई गई (१) को एक बिंदु, माना, 70” पर प्रतिच्छेद करेगा (आकृति 0.0 तथा 0,)। 5] (ः () () आकृति 0,0 वृत्त की स्पर्श ६] अमर मय दम यम कम सर मे लक किक मी कर ही मम क त 223 6) (|) आकृति 0.! तब वृत्त की जीवाएँ ७8 और (9)' बिंदु ? पर प्रतिच्छेद करती हैं। प्रमेय 0. का उपयोग करके, हम पाते हैं कि ए७ .78-7० , ए0' परंतु ९७ .ए8 57९ .ए0 (दिया है) अतः;, 770 5८ ?70"। जब तक बिंदु 70 तथा ॥)' संपाती न हों, यह विरोधाभास को इंगित करता है। अतः, बिंदु 2 तथा 79” एक ही बिंदु हैं अथवा बिंदु &, 8, (: और 7) एकतवृत्तीय हैं। यदि किसी बाहय बिंदु ? से एक वृत्त पर अनेक छेदक रेखाएँ 78 8,, ९७, 8,, 28, 8, आदि खींची जाएँ, तो हमने प्रमेय 70. का उपयोग कर प्राप्त किया है कि ९8, . ?8, ८ ९४, ,?8, 5 ९४, . ?8, आदि। अगली प्रमेय दर्शाती है कि यह गुणनफल वास्तव में ए2 के बराबर होता है, जहाँ ए' वृत्त पर स्पर्शी है। 0.2: दि ९88 किसी वृत्त की एक छेदक रेखा है जो इसे & तथा 8 पर ग्रतिच्छेद करती है वथा ए' एक स्पर्श रेखा है, तो 7७ . 78 57? होगा। दिया हैः ; केंद्र 0 वाले एक वृत्त की 788 एक छेदक रेखा है जो इसे & तथा छ पर प्रतिच्छेद करती | है तथा ?'' वृत्त की एक स्पर्श रेखा है। . रि&टट 55 पुः | सिद्ध कर्ना ज्चै ४ हर * ए?3 गा 7? ॥॥ आकृति 0.2 224 5 पीर 20002 575 ते कल कि 007 76720 700 कप 2707 गणित कचना :0 को ४8 के मध्य-बिंदु | तथा #॥,? और '' से मिलाइए (आकृति 0,2) उपपत्ति : ९४ 5 शि/ - 0५४ ए8 59५ + शछ +?/ + 0५ (क्योंकि 8५४ 5५8) अतः, 7९७.ए8 5 (९५ - ७0५) (९५ + ७५) न शी - ५ अब 0५, ७8 पर लंब है (गुणधर्म 9.6)। अतः, ए५? - 07 - 00 (पराइथागोरस प्रमेय) तथा शी 5 02! - 0५ (पाइथागोरस प्रमेय) इस प्रकार, ९४७ .?8<८ (07 - 00७) - (05! - 0७) 5 (07 - 04 (07 -- 077 (क्योंकि 085८ 07 वृत्त की त्रिज्या) च्णा (पाइथागोरस प्रमेय) टिप्पणियाँ : ह ].. प्रमेय [0.] की विशेष स्थिति, जबकि ? वृत्त के बाहर स्थित हो, को प्रमेय 0.2 से सिद्ध किया जा सकता है, क्योंकि तब ९8 , 78 577” तथा ?८ , 0 57” है, जिससे प्राप्त होता है 72७ .ए?8 57?८० . ए0। 2. प्रमेय 0.2 को प्रमेय 0.] की एक विशेष स्थिति के रूप में समझा जा सकता है, क्योंकि एए' को एक ऐसी छेदक रेखा माना जा सकता है जो वृत्त को दो संपाती बिंदुओं 7, ग' पर प्रतिच्छेद करती हो। इस प्रकार, ९8 .?8 >एा' . ए' 5 ए४ 3, गुणनफल 74.78 को कभी-कभी वृत्त के सापेक्ष बिंदु ? की क्षमता (0४७७) भी कहते हैं। अब हम उपर्युक्त परिणामों से संबंधित कुछ उदाहरण लेते हैं। उदाहरण ! : एक वृत्त एक चतुर्भुज &8070 की सभी भुजाओं को स्पर्श करता है। सिद्ध कीजिए कि केंद्र पर सम्मुख भुजाओं द्वारा अंतरित कोण संपूरक हैं। हल : मान लीजिए उस वृत्त का केंद्र, जो चतुर्भुज ४3800) की सभी भुजाओं को बिंदुओं ९, ९,४१ तथा 8 पर स्पर्श करता है, 0 है (आकृति 0.3)। 27 6:/ 270 2 मम 225 7) सि्तुल फक *.. ८ ७007+ ८४2 800<-80० हे डे च्य्र और. «८७08 + < 007) 5 80% अल क्योंकि बिंदु खींची रेखाएँ हर टाल या थ क्योंकि बिंदु & से वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाएँ |! 2 6५ तथा ४? हैं, इसलिए 0 कोण $8/7 के 9 हर समद्विभाजक पर स्थित है। दूसरे शब्दों में, | दर ] “9800-72 7000-57 ४ 840। हज 4 रा ५ कोणों ८ ८ / इसी प्रकार, 08, 00 तथा 07 क्रमश: कोणों 48८, “अल 2! 800 तथा (70)& के समद्विभाजक हैं। अब क्योंकि 8 किसी त्रिभुज के कोणों का योग 80" होता है, अतः आकृति 0.33 ८ 23070+ <300<807 - (/ 7)50 + ८ ७700) + 80? - (८ (:80+ ८ 800) ] 360? - हि (८ 80)0+ ८ ४700: + ८ ४80 + «८ 8072) ] कोणों -360?- 2 * 360" (चतुर्भुज के कोणों का योग 360 होता है) * 360 - 800 - ]80" अंत में, “ 208 + < (070 ५360० - (८ 000 + 2 800) < 360० - 80९ + 80" यदि एक बिंदु ? से केंद्र 0 वाले एक वृत्त पर ९४ तथा 798 दो स्पर्श रेखाएं हों, जो वृत्त को & तथा 98 पर स्पर्श करती हों, तो सिदूध कीजिए कि 09, 28 का लंब समद्विभाजक है। तत्व 200 7२४।। 88, हल : मं लौोजिए ४8 को 07? एके बिंदु ८ पर प्रतिच्छेद करती है (आकृति 0.4)। हमें सिद्ध करना है 80-« 08 तथा » ७807 5 / 807- 90% यहाँ एक बिंदु ? से 74 तथा 79 केंद्र 0 शे वाले एक वृत्त पर दो स्पर्श रेखाएँ हें। पा रा गा इसलिए, “ 070 - ८ 870 व जा कम रु (0 कोण ४7?8 के समद्विभाजक पर स्थित है) री 0 । हद हर अब त्रिभुजों 827 तथा ४860 में, हु कु. नह है 6? 5 छ? (गुणधर्म 0.2) ही हे ए057९ (उभयनिष्ठ) कप तथा. ८ 0९०0 - ८ 870 अत, & ७07 < & 807 (भुजा-कोण-धुजा) इससे प्राप्त होता है ७00 08 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) तथा ८ ७07 - ८ 807 « रु « 80" >90" (सर्वागसम त्रिभुजों के संगत कोण) अतः 07९, 28 का लंब समद्विभाजक है। ह त्रिज्याओं ८ तथा ४, जहाँ ०>० है, वाले दिए हुए दो संकेंद्री वृत्तों के लिए बड़े वृत्त को उस जीवा की लंबाई ज्ञात कीजिए, जो दूसरे वृत्त को स्पर्श करती हो। | ... मान लीजिए त्रिज्या 6 वाले वृत्त की एक जीवा 9 है, जो | दूसरे वृत्त को एक बिंदु ९! पर स्पर्श करती है। मान लीजिए 0 ३७ पे उभयनिष्ठ केंद्र है। छोटे वृत्त की त्रिज्य 02 खींचिए तथा 02८. 7 डे. को समाहित करने वाला बड़े वृत्त का व्यास ९0 खींचिए + & (आकृति 0.5)। गुणधर्म 0.] से, 00 तथा इसीलिए 70, ! ! हर ) । 03 का लंब समद्विभाजक है। 8, है / मान लीजिए 05(08च्>है।... है ह 0 | ड़ प्रमेय 0. से, ह ही 2५, (7357९(.(९७ . [लुदार 39.7 या | ४.#ौ7(०+ ४) . (४-४) या | कचधी-0 बल की. स्पर्श रेखाए..2...-३८० ४ पंप 0३३३४ आल: परम ज लए 5 दाग धर रित्तो+ 3220 पनप पर मत यार पड ग 2 कम 227 या हक विज अतः, जीवा ॥8 52४72 (५-४० है। ). सिद्ध कीजिए कि किसी वृत्त की दो समांतर स्पर्श रेखाओं के स्पर्श बिंदुओं को मिलाने वाला रेखाखंड वृत्त का व्यास होता है। 2. 3 सेमी त्रिज्या वाले वृत्त के केंद्र से 5 सेमी दूर स्थित एक बिंदु से स्पर्श रेखा की लंबाई ज्ञात कीजिए। 3, एक वृत्त को बाहय स्पर्श करता हुआ एक चतुर्मुज ४800 है। सिद्ध कीजिए कि 698 + (0) 5 ७70 + 80 है। 4. सिद्ध कौजिए कि एक वृत्त पर एक बाहय बिंदु से खींची गई स्पर्श रेखाओं के बीच का कोण स्पर्श बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण का संपूरक होता है। 5. आकृति 0.6 में, 70 और ७ केंद्र 0 वाले एक वृत्त की दो समांतर स्पर्श रेखाएँ हैं तथा स्पर्श . बिंदु ० वाली एक अन्य स्पर्श रेखा ज़ए, ए० को & पर तथा [१8 को 8 पर प्रतिच्छेद करती गम है। सिद्ध कीजिए कि < 808 5 90" है। | ले । [संकेत : 000! को मिलाइए।] ' 6, एक दी हुई रेखा को एक दिए हुए बिंदु पर स्पर्श ' |. ४ करने वाले वृत्तों के केंद्रों का बिंदुध ज्ञातकीजिए। पी. 7 59 हैं। ४ 7. दो संकेंद्री वृत्तों में सिदूध कीजिए कि बाहय वृत्त की वे सभी जीवाएँ, जो आंतरिक वृत्त को स्पर्श करती हैं, समान लंबाई की होती हें। 8, सिद्ध कीजिए कि किसी वृत्त की एक जीवा के सिरों पर खींची गई स्पर्श रेखाएँ जीवा से समान कोण बनाती हैं। 9, उन तृत्तों के केंद्रों का बिंदुपध ज्ञात कीजिए जो दो प्रतिच्छेदी रेखाओं को स्पर्श करते हों। 0. ] सा . दो सकेंद्री वृत्तों की त्रिज्याएँ 3 सेमी तथा 8 सेमी हैं। मान लीजिए केंद्र 0 तथा 0 बाले दो वृत्तों का एक प्रतिच्छेद बिंदु & है। दोनों वृत्तों की बिंदु # पर स्पर्श रेखाएँ वृत्तों को क्रमश: फिर से छ तथा (! पर मिलती हैं। मान लीजिए बिंदु ? इस प्रकार खोजा गया है कि ४070 एक समांतर चतुर्भुन है। सिद्ध कौजिए कि ? त्रिभुज 480 का परिकेंद्र है (आकृति 0.7)। [संकेत : &0 | ४8 तथा 80 || 07 है। तब 07 । 8 है तथा &8 का समद्विभाजक भी है। इसी प्रकार, ?0, ४0 का लंब समद्विभाजक है।] 8 | ; क रु हट न छा हू हवन आकृति 80,87 . एक त्रिभुज के अंतर्वत्त की त्रिज्या 4 सेमी है तथा स्पर्श बिंदु दुबारा एक भुजा के विभाजित होने से प्राप्त रेखाखंड 6 सेमी तथा 8 सेमी हैं। त्रिभुज की अन्य दोनों भुजाएँ ज्ञात कीजिए। अलग-अलग ज्ञात करके उन्हें बराबर कर लीजिए।] बड़े वृत्त का एक व्यास ४8 है। 87 छोटे वृत्त की स्पर्श रेखा है जो इसे 7) पर स्पर्श करती है। 7) की लंबाई ज्ञात कीजिए (आकृति 0.8)। [संकेत : मान लीजिए रेखा छा) बड़े वृत्त को ४ पर प्रतिच्छेद करती है। ७83 को मिलाइए। 4४०2 » 85 6 सेमी। 708 ८ 80) आकृति 0,88 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ......................."०न [0.5 गक्काता घुलखेट औश उसके कोण हट है ०००१३१०००००१०००५०००००९०००५५००००००००००४४०००१५०००००१५०००००१०००५६६१५०३००६१९००००००००६%० ६०००१ ००० एक वृत्त तथा वृत्त की एक जीवा 8 दी गई है। यदि वृत्त की / ह एक स्पर्श रेखा >8५ खींची जाए, तो जीवा «8 स्पर्श रेखा से हे | हे दो कोण 8#५ तथा 325 बनाती है। #8 वृत्त (वास्तव में, ट 5 वृत्तीय क्षेत्र) को भी दो खंडों 8098 तथा 09 में बाँटती है. 8 (आकृति 0.9)। वृत्तखंडों ७098 तथा ४08 को कोणों 8५0५ तथा 85% के क्रमशः एकातर वृत्तखंड (द॥#श+ऋद्धा2 ८९॥/४४७) कहते हैं। निम्नलिखित प्रमेय उन कोणों जो एक जीवा एक सिरे पर खींची गई स्पर्श रेखा से बनाती हे तथा जीवा द्वारा एकांतर वृत्तखंडों में बनाए गए कोणों में संबंध स्थापित पशर 6१8 पा यदि एक रेखा एक वृत्त को स्पर्श करती है तथा स्पर्श बिंदु-से एक जीवा खींची जाती है, तो वे कोण, जो यह जीवा दी गई रेखा से बनाती है, क्रमशः संगत एकातर वृत्तखंडों में बने कोणों के बराबर होते हैं। ७ ?0 केंद्र वाले वृत्त के बिंदु & पर एक स्पर्श रेखा ?0 है। &8 एक जीवा है तथा जीवा ७3 दबारा बाँटने वाले दो वृत्तखंडों में बिंदु हे हे 0 और 9 हैं (आकृति 0.20)। आकृति ॥0.20 मिदध कामा है : है 96 कृति क.9 28205 ८ 0208 तथा < 847 > 4008 पतन ? खींचिए व्यास ७098 खींचिए तथा 83 को मिलाइए। उपधल्लि ; त्रिभुज ५89 में, <“ 8885 90 (अर्धवृत्त का कोण) अत, <<&8588 + < 88७8 - 90? े () अब क्योंकि 88 | ९0 है, (व्यास तथा स्पर्श रेखा) “४808 + 800 - “ 8५(- 90९ (2) () तथा (2) से, हम पाते हैं, ८“ /4४758 5 < 8.60 प्रमेय 9.3 से, 2 ७०35 ८ ७88 अतः, ८3007 ८ 8९8 (3) पुनः, ८ 320+ ८ 8807 5८ 80* (रैखिक युग्म) तथा ८ 4003+ < ७7093 5 80" (चक्रीय चतुर्भुन के सम्मुख कोण) अतः, 28200 + ८8075 ८ 008+ ८ 008 (3) का प्रयोग कर, हमें प्राप्त होता है : 2807 5 ८ 208 उपर्युक्त प्रमेण का बिलोम भी सत्य है। हम इसें अगली प्रमेय में सिद्ध करते हैं। ..._' यदि किसी वृत्त की एक जीवा के एक सिरे पर ही कक. एक ऐसी रेखा खींची जाती है कि जीवा का इस रेखा के साथ 2 / हे बना एक कोण जीवा द्वारा एकातर वृत्तखंड में बनाए गए | ८ कोण के बराबर हो, तो रेखा वृत्त की स्पर्श रेखा होती है। या के किसी वृत्त की »3 एक जीवा है तथा एक रेखा के है के द ९५७0 इस प्रकार है कि “८ 8/0-5 ८ ७९8 है, जहाँ ० हि «5 325० नाक एकांतर वृत्तखंड में कोई बिंदु है (आकृति 0.2)। के हु पक द रेखा ९४0 वृत्त की स्पर्श रेखा है। मल छत क् हं * यदि ९०४0 स्पर्श रेखा नहीं हो, तो & पर स्पर्श रेखा ?'»(0' खींचिए। क्योंकि!» 0' एक स्पर्श रेखा है तथा ४8 वृत्त की एक जीवा है, इसलिए प्रमेय 0.3 से, “8007 +> ८8९8 प्सतु 2800 > ८ ४८8 (दिया है) अतः, 28805 286... इसलिए ४0“, ७0 के संपाती है या दूसरे शब्दों में, ए'४0', ९७७ के संपाती है। अर्थात् ०४0 वृत्त की # पर स्पर्श रेखा है। बृत्त की स्पर्ण खाए 80270) 78387 07 दा की: 2.52 00275" 3 थ । ट क द 23] . अमेय 0.4 को एक वृत्त के केंद्र ज्ञात न होने की अवस्था में एक बिंदु पर स्पर्श रेखा खींचने में प्रयोग किया जा सकता है। यदि एक रेखा दो वृत्तों को स्पर्श करती है, तो उसे वृत्तों की उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा कहते हैं। अब हम इसकी जाँच करेंगे कि दो दिए गए वृत्तों की भिन्न-भिन्न स्थितियों में कितनी उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाएँ खींची जा सकती हैं। * जब एक वृत्त एक अन्य वृत्त के पूर्ण रूप से अंदर (बिना किसी उभयनिष्ठ बिंदु के) स्थित है (आकृति 0.22)। " ...] यदि अंदर के वृत्त के किसी बिंदु पर कोई स्पर्श रेखा * हे खींची जाए, तो वह बाहय वृत्त को दो भिन्न बिंदुओं पर 0 प्रतिच्छेद करेगी और इस प्रकार वह बाहय वृत्त पर स्पर्श रेखा - हिल बह नहीं हो सकती है। अतः, इस स्थिति में कोई भी उभयनिष्ठ ह 00 स्पर्श रेखा नहीं खींची जा सकती हे। | जब वृत्त अंतःस्पर्श करते हों। हम दो वृत्तों को स्पर्श करना तब कहते हैं जब उन दोनों... वृत्तों में केवल एक उभयनिष्ठ बिंदु हो। इस स्थिति में, दोनों | वृत्तों की केवल एक उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा है जैसा कि आकृति... 0.23 में दिखाया गया है। इस यथार्थ की निम्न प्रकार से... व्याख्या की जा सकती है। उभयनिष्ठ जीवा ७8 वाले दो... परस्पर प्रतिच्छेद करने वाले असमान वृत्त लीजिए जैसा कि | आकृति 0.24 () में दर्शाया गया है। अब छोटे वृत्त को दाई. ? ओर इस प्रकार सरकाते हैं कि जीवा 88 छोटी होती जाए [आकृति 0.24(0)] तथा एक स्थिति में इसकी लंबाई शून्य हो जाएगी, अर्थात् दोनों बिंदु 4, 8 संपाती हो जाएँगे। इस स्थिति में, रेखा ४8 दोनों वृत्तों पर स्पर्श रेखा हो जाएगी। अतः, दो अंतःस्पर्श करने वाले वृत्तों के स्पर्श बिंदु पर केवल एक उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा होगी। इसी प्रकार, छोटे वृत्त (या समान वृत्त) को बाईं ओर विस्थापित करने पर हम बाहय स्पर्श करते हुए दो वृत्त प्राप्त करते हैं, जिनमें एक अकेली रेखा वृत्तों के स्पर्श बिंदु पर दोनों चृत्तों को स्पर्श करती है। आकुँति 0.24 स्थिति 3 : जब वृत्त दो बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करते हों। इस स्थिति में, दोनों वृत्तों की दो उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाएँ ?0 तथा ॥२४ होंगी, जेसा कि आकृति 0.25 में दर्शाया गया है। ५ अल पहन / वि) कोने! अकली, च््् कल कु ट+घंक न है. ४002 ८ ्् फू ढटी 6 ५०० अर "४. है ह | ' ०७ है मई नर निकल बकाप ह १५० अब -2 जनक. 52 “3०००-५० व, ३00 ०.७५. 7“ आकृति ॥0.25 स्थिति 4 : लशहो जब वृत्त बाहय स्पर्श करते हों। यहाँ दोनों वृत्तों की तीन उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाएँ [0/, ?0 तथा २५ होंगी, जैसा कि आकृति 0.26 में दिखाया गया है। आकृति ॥.26 बु। को स्पर्श रेखाएं: ५००४३ ६ १४८7 ३मत सकल र 0 पल तप मय पल पी भ दर 5 पर परिधि तप कि कम कह मिट गए 233 मिथ |: जब एक वृत्त दूसरे वृत्त के पूर्णतः बाहर स्थित हो और उनमें कोई उभयनिष्ठ बिंदु न हो। इस स्थिति में, चार उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाएँ ?0, 7५, तट तथा ॥)५ होंगी, जैसा कि आकृति (0.27 में दर्शाया गया है। ह टर | * शनि की: 95 पं व धिण ढ़ दुआ आय हाय. कप रा ५ [ का न ४) ॥ 5 ' ी पं / | हि ५, ढ # ४ है सी अमित लक पपलणपक अत 5 ॥ ० ४४ हे न >७ 5 छ आदू-पि 827 टिप्पणी : स्थितियों में जम हें स्थितियों 3, 4 तथा 5 में उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाखंड ७3 तथा (५) बराबर होते हैं तथा स्थिति 5 में उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाखंड एछए तथा 6प्त बराबर होते हैं। इन धारणाओं को हम संक्षेप में निम्न सारणी के रूप में लिख सकते हैं : झाश्खी ॥0,2 क्रमांक दो वृत्तों की स्थिति उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाओं की संख्या !. एक वृत्त दूसरे वृत्त के शून्य पूर्णत: अंदर स्थित है ; कक करण कले जे रू दोनों वृत्त दो भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करते हों 5. एक वृत्त दूसरे वृत्त के पूर्णतः बाहर स्थित हो चार निम्न प्रमेय दो वृत्तों के स्पर्श करने के गुण के बारे में है यदि दो वृत्त एक-दूसरे को अतः अथवा बाहूयतः स्पर्श करते हों, तो स्पर्श बिंदु उनके केंद्रों ॥ को मिलाने वाली रेखा पर स्थित होता है। केंद्रों 0) तथा 0, वाले दो वृत्त जो एक-दूसरे को अंतः अथवा बाहयत: बिंदु & पर स्पर्श करते हैं। बिंदु & रेखा 0,0, पर स्थित है, अर्थात् तीनों बिंदु &, 0, तथा 0, सरिख हैं। ..__' स्पर्श बिंदु & पर उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा ?0 खींचिए [आकृति 0.28 6) तथा ()] न् (ए ह | रा ह ः ५ है जा | | । ] | | 398 । हे हु ॥] 3 रा (0, (0, / | 0, / है / 0, ४! गा आ, 5 | | ; | हे ४0 ५१ /:- आकृति 0.28 0) में, “7400, 5 “27९४0, 590" (९८ दोनों वृत्तों की स्पर्श रेखा है) अत:, 0,, 0, तथा & सरेख हें। आकृति 0.28 (6) में, “7४0, 5 “2 ९५0, ८90" . (% दोनों वृत्तों की स्पर्श रेखा है) ८ ९80, + < ९४0, 5 90% + 90 < 80% अतः, 0,, & तथा 0, सरेख हैं, क्योंकि .“ 78४0, तथा “7४०, एक रैखिक युग्म बनाते हैं रेखाएँ. बत/को स्पर्श रेखाएं... ०६०० नेने कल पल रा सपनो अल िसप पक पर धीयरक्पन+ पति म नम पक ह दिए गए एक समकोण त्रिभुज ७80 मै में ५8 को व्यास मानकर एक वृत्त खींचा गया है, | जो कर्ण »(! को बिंदु ? पर प्रतिच्छेद करता है। दर्शादए कि बिंदु ? पर वृत्त की स्पर्श रेखा भुजा 80 को समद्विभाजित करती है। . * मान लीजिए ४8 को व्यास मानकर खींचे ही गए वृत्त के बिंदु ? पर स्पर्श रेखा हुए, 8८ ह को 0 पर प्रतिच्छेद करती है (आकृति 0.29)। छ सिद्ध करना है कि 805 0० है। छ7? को मिलाइए। तब क्योंकि ८ ७98 5 90० (अर्धवृत्त का कोण), इसलिए छ7, 20! पर लंब है। बिंदु 0 से वृत्त पर दो स्पर्श रेखाएँ 0? तथा 08 खींची हुई हैं, अत:, (08 5 (१? पुनः, ?0 स्पर्श रेखा है तथा 78 वृत्त की एक जीवा है। इसलिए प्रमेय 0.3 से, है हाई | “2छ?05".८2880 साथ ही, “870 + .< 07९९१ 5 90९ (87? । ७८) तथा < 980 + 80 5 90९ (७80 समकोण त्रिभुज है) <& 370+ ८ (५१९९८ 5 «८ 80(.+ ८ 3(९/ (2) का प्रयोग करके, हम प्राप्त करते हैं : < 07९ < “2 80५ 5 ८ 0०? अतः, 6 00८7 एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें 0९5 0० है। ह () तथा (3) से, हम प्राप्त करते हैं : 805 0८ "दी ४5५] ४ 338, इक 235 च्ट ्ए (0 ० रे ही पा () (2) (3) ... ४8 एक रेखाखंड है तथा |( इसका मध्य-बिंदु है। &५, |ध8 तथा »8 को व्यास मानकर रेखा ४8 के एक ही ओर अर्धवृत्त खींचे गए हैं। एक वृत्त तीनों अर्धवृत्तों को स्पर्श करते हुए खींचा गया. है। सिद्ध कीजिए कि उसकी त्रिज्या ] जे हर 283 है. अब माना रेखाखंडों ७५, |/8 के मध्य-बिंदु क्रमशः [, ४ हैं तथा तीनों अर्धवृत्तों को स्पर्श करने वाले वृत्त का केंद्र 0 है। 0, 000 तथा 00 को मिलाइए। मान लीजिए केंद्र 0 वाला वृत्त अर्धवृत्तों को बिंदुओं 9, 0 तथा २ पर स्पर्श करता है (आकृति 0.30)। प्रमेय 0.5 का प्रयोग कर, हम देखते हैं कि बिंदु 0, ?,.; बिंदु (९, 0, // तथा बिंवु 0, 0, ५ क्रमशः आकृति 0.3॥ सरैख हैं। मान लीजिए ७8-४० है। तब ] 2, 5 (एप ब्र् अतः, 0.5 +- पर ८ 0 है। इससे प्राप्त होता है कि & 070 समद्विबाहु त्रिभुज है। क्योंकि ७, )7 का मध्य-बिंदु भी है, इसलिए (0) | ॥॥ण अब 00५ 5 ॥२ -- 0२-« पर झ-.+ ओर 02 - 0४? + 0! (पाइथागोरस प्रमेय से) ] न ७+ यु (त्रुब्-ऐ+ (डर थे या 9 5 5 न पा 6० ०-५ 7 हू 3 या 23307 पलपल 2 ४ ] ] या अब 5 हू 6 हु 3 रेखाएँ बत्त को स्पर्श रेखाए:..2.:२७३४६ेलेम मत के पक 9 ५ अप 5 पद ता 22:24: न री पिन तप 2 सदर स्तर कम पक 237 आप यदि दो वृत्त दो भिन्न बिंदुओं & और 8 पर प्रतिच्छेद करते हैं तथा रेखा ४8 उनकी दो उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाओं को बिंदु ए तथा 0 पर प्रतिच्छेद करती है, तो सिदूध कीजिए कि ९४5 08 है। बल लीजिए वृत्तों के केंद्र 0, तथा 0), हैं तथा उभयनिष्ठ स्पर्श रेखाएँ (१8४ और (दा, हैं। भान लीजिए 0,0,, 48 को (! पर प्रतिच्छेद करती है। 0॥२, 0।0, 07/6 तथा 0,0 को मिलाइए (आकृति 0.3)। प्रमेय 0.2 से, ह 9९५ . 78 5 7?७? - ए२! इसलिए, एड - एए इसी प्रकार, (6 5 0, अतः, ? और 00 क्रमशः: 7२5 और [टा, के मध्य-बिंदु हैं। क्योंकि. १७०, है, आकृत्नि 0,3] इसलिए ए१ ८६0 होगा। त्रिभुजों 0/?ए तथा 0|60 में, हम प्राप्त करते हैं ; छह 0 ८ 0०0९ 5 ८ 060 (प्रत्येक 90" के बराबर है) 02 5 0.6 (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ) % 0२? < & 0.६0 (भुजा-कोण- भुजा) अत;, 0? 5 0.0 (सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग) इस प्रकार, 0,270 समद्विबाहु त्रिभुज है। हम यह भी जानते हैं कि 0,0,, ७8 का लंब समद्विभाजक होता है। अतः, यह ?( का भी लंब समद्विभाजक है। अतः, (7? - (५ द (९४ - (9 का प्रयोग करके, हमें प्राप्त होता है : ए&००08. ब्रिज्याओं ८ तथा 8 के दो वृत्त बाहयतः स्पर्श करते हैं। मान लीजिए ८ उस वृत्त की त्रिज्या है जो इन दोनों वृत्तों को स्पर्श करता है तथा दोनों वृत्तों की एक उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा को स्पर्श करता है। सिद्ध कीजिए ; | बंद अंग र० मान लीजिए दोनों वृत्त बाहयतः बिंदु & पर स्पर्श करते हैं तथा उनके केंद्र 0, तथा 0, हैं। भान लीजिए ९0 एक उभयनिष्ठ स्पर्श रेखा है तथा त्रिज्या ८ का वृत्त दोनों वृत्तों को क्रमश; 8 और (! तथा स्पर्श रेखा 70 को 7२ पर स्पर्श करता है। मान लीजिए 6८>8४ है (आकृति 0.32)। 07 पर 0,5 लंब खींचिए। तब ?(00,$ एक आयत है तथा 705 0,858 ८ ((००))- (097 (0,9)* ए मा शक आह * # (48) - (४-४)? ८ आओ हा हे हे लक पर कम गिल हे आ। पा के ॥। डक ः ५० बी कह हम / 8 । इसी प्रकार, छ॒२८ 2४००,२0- 248८ है।..* है. । अब 7९0 श१+२0 है, जिससे प्राप्त होता है : . ि . 2440 ₹ 2./8० + 249८ ] ॥ ल्फ्श्मअक््् न पता या हें 2४ हर हर | . अचर त्रिज्या ७) वाले उस वृत्त के केंद्र का बिंदुपथ ज्ञात कीजिए जो त्रिज्या ॥ वाले एक दिए हुए वृत्त को () बाहयतः स्पर्श करे () आंतरिक रूप से स्पर्श करे, जबकि # ># हो। 2. आकृति 0.33 में, केंद्रों ० और 0' वाले दो वृत्त एक बिंदु & पर बाहयत: स्पर्श करते हैं। / से जाने वाली एक रेखा इन वृत्तों को 8 तथा ८ पर प्रतिच्छेद करती है। सिद्ध कीजिए कि 8 और ( पर स्पर्श रेखाएँ समांतर हैं। [संकेत : सिद्ध कीजिए कि 208» 5 ./ 0'0५] वृत्त की स्पर्श रेखाएं 27४३2 सर 0 सतत करन लक गत मर हर तल 6 8 239 | 3, दो वृत्त दो बिंदुओं & और ४ पर प्रतिच्छेद , | । करते हैं। एक वृत्त के एक बिंदु ए से रेखाखंड........ ली ?/८तथा ए80 ऐसे खींचे गए हैं कि वेदूसरे. /..... ... । वृत्त को बिंदुओं 0 तथा 9) पर प्रतिच्छेद करते....#. क्र । हैं (आकृति 0.34)। सिद्ध कीजिए कि (0,.... ; । ? पर स्पर्श रेखा के समांतर है। 4. केंद्रों 2 और 0* वाले दो वृत्त एक बिंदु ? पर अंतः स्पर्श करते हैं। ? से जाने वाली एक रेखा दोनों व॒त्तों को क्रशः 0 और 7२ पर प्रतिच्छेद करती है। सिदृध कीजिए कि 00 | 0'8 है। 5, दो वृत्त एक बिंदु ? पर बाहयतः स्पर्श करते हैं। ? पर खींची गई स्पर्श रेखा के एक बिंदु '' से वृत्तों पर स्पर्श रेखाएँ १00 तथा १४8 खींची जाती हैं, जहाँ 0, ४ क्रमशः स्पर्श बिंदु हैं। सिदूध कोजिए कि 0०१२ है। 6. किसी वृत्त का एक व्यास &8 तथा एक जीवा »0 ऐसी है कि 8420-30" है। ९ पर स्पर्श रेखा ४8 को बढ़ाने पर बिंदु )) पर प्रतिच्छेद करती है। सिदूध कीजिए कि 805) है। 7, केंद्र 0 वाला एक वृत्त दिया है। एक दूसरा वृत्त दिए गए वृत्त को बिंदु & पर स्पर्श करते हुए तथा 0 से जाते हुए खींचा जाता है। बड़े वृत्त की एक जीवा ४8 दूसरे वृत्त को (! पर काटती है (आकृति 0.35)। सिद्ध कीजिए कि 05९८४ है। [संकेत : 00! को मिलाइए।] श् आकृति ॥0,35 8, आकृति 0.36 में, केंद्र 0” वाला एक वृत्त कद 0 वाले एक अन्य वृत्त को & तथा 8 पर प्रतिच्छेद करता हुआ उसके केंद्र 0 से होकर जाता है। & पर केंद्र 0” वाले वृत्त की स्पर्श रेखा (00 खींची जाती है। सिद्ध कीजिए कि 08, “ (४8 का समद्विभाजक है। आकृति ॥0.36 9, दो किरणें ४8? तथा ४00 दो समांतर रेखाओं द्वारा 8,2 तथा ९,0 पर क्रमशः प्रतिच्छेदित होती हैं। सिदृध कीजिए कि त्रिभुजों ४30 तथा ४९0 के परिवृत्त एक-दूसरे को & पर स्पर्श करते हैं। [संकेत : त्रिभुज ७7९6 के परिवृत्त पर स्पर्श रेखा :6ए खींचिए तथा दर्शाइए कि 2४४7 < “7९0८ 5 < 8८४ है।] 0. आकृति [0.37 में, दो वृत्त एक बिंदु ? पर अंतः स्पर्श करते हैं। बड़े वृत्त की एक जीवा #8 है, जो दूसरे वृत्त को ९ पर स्पर्श करती है। सिद्ध कीजिए कि 0 कोण »78 को समद्विभाजित करती है। ह ह [संकेत : ? पर एक स्पर्श रेखा खींचिए। (॥) को मिलाइए जहाँ 0), »? तथां अंदर वाले वृत्त का प्रतिच्छेदन बिंदु है तथा सिद्ध कीजिए कि “ ?80- » 7८ है ] आकृति 0.37 . ॥, दो वृत्त एक-दूसरे को दो बिंदुओं & तथा 8 पर प्रतिच्छेद करते हैं। बिंदु & पर दोनों वृत्तों की स्पर्श रेखाएँ ७? तथा ७0 खींची जाती हैं, जो अन्य वृत्तों को क्रमशः बिंदुओं 7 तथा 0 पर प्रतिच्छेदित करती हैं। सिदृध कीजिए कि ४3 कोण 780 का समदूविभाजक है। 42. एक समांतर चतुर्भुन ७80) के विकर्ण छ पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि & ४78 तथा 6 8८8 के परिवृत्त एक-दूसरे को बिंदु & पर स्पर्श करते हैं। 3, प्रमेय 0.3 तथा त्रिभुजों की समरूपता का प्रयोग करके, प्रमेय 0.2 की उपपत्ति दीजिए! गय रचनाएँ ॥.। भूमिका कक्षा।# में, आपने पढ़ा है कि दिए हुए मापों के त्रिभुज की रचना केसे की जाती है तथा कैसे एक बहुभुज के क्षेत्रफल के बराबर एक त्रिभुज की रचना की जाती है। इस अध्याय में, हम उन रचनाओं के विषय में चर्चा करेंगे जिनमें वृत्त का समावेश हो और कुछ ऐसी आकृतियों की रचना भी करेंगे जो दी गई आकृतियों के समरूप हों। !.2 किसी वृत्त की स्पर्श रेखा की रचना हम पहले से ही जानते हैं कि ज्यामितीय रचनाओं में केवल दो ज्यामितीय उपकरण यथा एक पटरी (77५) तथा परकार (००॥7888०७) का ही उपयोग करते हैं। क्योंकि वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा उस बिंदु से जाने वाली त्रिज्या पर लंब होती है, इसलिए वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा खींचना सरल है। हमें केवल संगत त्रिज्या खींचनी होती है तथा उस बिंदु पर इसके लंब रेखा बनानी होती है। यहाँ पर स्पर्श रेखा खींचने में हमने वृत्त के केंद्र का प्रयोग किया है। यद्यपि, यदि हम वृत्त के केंद्र का प्रयोग न भी करें, तो भी वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा खींच सकते हैं। इसको निम्न रचना में दिया गया है। रचना ,] : एक वृत्त के एक बिंदु पर बिना वृत्त के केंद्र का प्रयोग किए स्पर्श रेखा खींचना।. दिया है : एक वृत्त तथा उस पर एक बिंदु ए। अभीष्ट : 9 पर बिना वृत्त के केंद्र का प्रयोग किए स्पर्श रेखा खींचना। रचना के चरण ; . ? से होकर जाने वाली वृत्त की एक जीवा ?0 खींचिए (आकृति ,)। 2. दीर्घ चाप ए0 पर एक बिंदु ॥? लीजिए। शर और (0२ को मिलाइए। 3. “?२0 के बराबर “075 बनाइए। श) तब ?> बिंदु ? पर अभीष्ट स्पर्श रेखा है (आकृति .)। | इसकी जाँच हम प्रमेय 0.4 के प्रयोग से कर सकते हैं। रचना .2 : किसी वृत्त पर एक बाहूय बिंदु से, वृत्त के केंद्र का प्रयोग कर, स्पर्श रेखा खींचना। दिया है : केंद्र 0 वाला एक वृत्त तथा इसके बाहर एक बिंदु ?। आकृति !.] अभीष्ट : 9 से वृत्त पर स्पर्श रेखा खींचना। चना के चरण: ], 0? को मिलाइए तथा इसे समद्विभाजित कीजिए। माना कि 07 का मध्य-बिंदु ७ हे। 2, '/ को केंद्र मानकर तथा ४0० त्रिज्या लेकर, एक या अर्धवृत्त खींचिए। माना कि यह दिए गए वृत्त को 0 पर प्रतिच्छेद करता है। 3, ?( को मिलाइए। की वृत्त के बाहर एक बिंदु ? से वृत्त पर 70 अभीष्ट स्पर्श रेखा है (आकृति .2)। इसकी जाँच, 00 को मिलाकर तथा “2700-90? (अर्धवृत्त का कोण) है या दूसरे शब्दों में, 0, 00 पर लंब है, का प्रयोग करके की जा सकती है। टिप्पणी : ए से वृत््त पर दूसरी स्पर्श रेखा खींचने के लिए, केंद्र |( तथा त्रिज्या (0 लेकर पूर्ण वृत्त बनाइए। माना यह दिए गए वृत्त को एक अन्य बिंदु [२ पर प्रतिच्छेदित करता है। इस प्रकार, एए दूसरी स्पर्श रेखा होगी। ह रचना .3 : वृत्त के बाहर के एक बिंदु से वृत्त के केंद्र के प्रयोग किए बिना उस पर स्पर्श रेखाएँ खींचना। ह दिया है : एक वृत्त तथा उसके बाहर एक बिंदु ?। अभीष्ट : 9 से वृत्त पर केंद्र का प्रयोग किए बिना स्पर्श रेखाएँ खींचना। ए रखना के चरण : . वृत्त की एक छेदक रेखा 7७8 खींचिए। 2. एछको समद्विभाजित कीजिए। माना ७, ए8 का मध्य-बिंदु है। 3. ५ को केंद्र मानकर तथा )५९? त्रिज्या लेकर एक अर्धवृत्त की रचना कीजिए 4. ४ से होकर जाने वाली ?8 पर लंब एक रेखा खींचिए। माना वह अर्धवृत्त को एक बिदु (! पर प्रतिच्छेद करती है। 5. ? को केंद्र मानकर तथा त्रिज्या 70 लेकर चाप खींचिए जो दिए गए वृत्त को दो बिंदुओं, ह माना 0 तथा 7२ पर प्रतिच्छेद करता है। आकृति ॥.3 6, ?( तथा ए२ को मिलाइए। इस प्रकार, 20 तथा ए२ अभीष्ट स्पर्श रेखाएँ हैं (आकृति .3)। टिप्पणी : यहाँ अर्धवृत्त को पूरा करने पर 80 उस वृत्त की संगत जीवा की आधी होगी। अत प्रमेय 30. से ९6४ . ७85 0९ या ९७(९०४ - ९७) 5 ७९ या ९७ , 7ए8-7०७?+ 6८४ - ए(४ किसी भी वृत्त के लिए ९ , ए8 ८ ए* (प्रमेय 0.2)। अत:, ९0 ओर ९९२ दिए गए वृत्त की स्पर्श रेखाएँ हैं। 8.3 त्रिभुज के अंतर्वृत्त त्तथा परिवृत्त की रचनाएँ कै इस अनुच्छेद में, हम किसी त्रिभुज के अंतर्वृत्त तथा परिवृत्त की रचनाएँ देंगे। रचना .4 : एक त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ ८, ७ और ८ दी हुई हों, के आंतर्वृत्त की रचना करना। दिया है: एक त्रिभुज ४80, जिसमें 80:5०, (8-४ तथा &8-८ है। अभीष्ट : # »830 के अंतर्वृत्त की रचना करना। ज्यामितीय रचनाएं, 7५८7 पलक मलिक न अलसी 04८57 फल 00707 0० तय ० 55 2 दस 5 सर 372 245 रचना के अरण : !. त्रिभुज ४380! की रचना कीजिए जिसमें 80+< ०, (५७ 59 और ७8 - ८ हो। 2. किन््हीं दो कोणों, माना “38 और “(0 को समद्विभाजित कौजिए। मान लीजिए इन कोणों के समद्विभाजक क्रमश: 890 और (४ हैं जो बिंदु ] पर प्रतिच्छेद करते हैं। 3, भरुजा छ0 (अथवा अन्य किसी भुजा) पर लंब ॥, खींचिए। 4, | को केंद्र मानकर तथा ॥, त्रिज्या लेकर एक वृत्त खींचिए। आकृति ॥॥.4 यही वृत्त, & &80 का अभीष्ट अंतर्वुत्त है (आकृति .4)। टिप्पणी : क्योंकि यहाँ 82 और 8 को अंतर्वत्त की स्पर्श रेखाएँ होना है, अत: इसका केंद्र | कोण ७380: के समद्विभाजक पर स्थित होना चाहिए। इसी प्रकार] कोण ७(8 के भी समद्विभाजक पर स्थित होना चाहिए। इसलिए ] इन दोनों कोणों के समद्विभाजकों का प्रतिच्छेद बिंदु है तथा [, इसकी त्रिज्या है। " रचना .5 : भुजाओं ०, 2, 2 वाले त्रिभुज के परिवृत्त की रचना करना। दिया है : एक त्रिभुज »80 जिसमें 80-०, (४८४ तथा &8 5८ है। अभीष्ट ; त्रिभुनज ७80! के परिवृत्त कौ रचना करना। रचना के चरण : ). त्रिभुज ४30! की रचना कौजिए जिसमें 80-४०, (0.७४-४ तथा ४35८ हो। 2. किन्हीं दो भुजाओं यथा 82 और ७९ के लंब समद्विभाजक क्रमश: 7?( तथा २६ खींचिए। मान लीजिए, ये बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करते हैं। 3. 0को केंद्र मानकर तथा 00 (या 08 या 0७) त्रिज्या लेकर एक वृत्त खींचिए। यही वृत्त, त्रिभुज ७80! का अभीष्ट परिवृत्त है (आकृति .5)। आकृति ॥.5 टिप्पणी : यहाँ क्योंकि 70, 80 का लंब समद्विभाजक है तथा बिंदु 0 इस पर स्थित है, इसलिए 08 + 02 है। इसी प्रकार, 00502 है। अतः, 08508 5 0८ है। इस प्रकार, वृत्त &, 8 तथा 0 से होकर जाता है। अब हम इन रचनाओं को निम्न उदाहरणों द्वारा समझते हैं : उदाहरण : 2 सेमी त्रिज्या के वृत्त के केंद्र से 5 सेमी दूर एक बिंदु से स्पर्श रेखा-युग्म खींचिए तथा प्रत्येक की लंबाई मापिए। हल ; हमें केंद्र ० तथा 2 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त तथा 0 से 5 सेमी दूर एक बिंदु ? दिया है। हमें ? से वृत्त पर स्पर्श रेखा-युग्म खींचना है तथा प्रत्येक स्पर्श रेखा की लंबाई मापनी है। एचना के चरण : . रेखाखंड 00? को समद्विभाजित कौजिए। .... मान लीजिए समद्विभाजक बिंदु | है। 2. ५ को केंद्र मानकर तथा 0 त्रिज्या लेकर एक वृत्त खींचिए। मान लीजिए यह दिए गए वृत्त को बिंदुओं 0 तथा # ९ पर प्रतिच्छेद करता है। 3. 790 तथा शर को मिलाइए (आकृति .6)। 70 तथा एर२ ही अभीष्ट स्पर्श रेखा-युग्म है। मापने पर, हमें प्राप्त होता है: ९0 57२ 5 4.6 सेमी लगभग। उदाहरण 2 : एक त्रिभुज के अंतर्वृत्त की रचना कीजिए जिसकी भुजाएँ 5 सेमी, 2 सेमी तथा ॥3 सेमी हैं तथा उसकी त्रिज्या मापिए। हल : हमें एक त्रिभुज »30! दिया है जिसमें 80! 3 सेमी, (७ ८ 5 सेमी तथा ७3 - 2 सेमी है। हमें इसका अंतर्वत्त खींचना है तथा उसकी त्रिज्या मापनी है। रचना के चरण: . त्रिभुज ४8८! की रचना कीजिए जिसमें 805 3 सेमी, (8 - 5 सेमी तथा 8 - 2 सेमी हो। 2. कोणों छ और (! को समद्विभाजित कीजिए। मान लीजिए इनके समद्विभाजक बिंदु | पर प्रतिच्छेद करते हैं। 3. 8८ पर लंब पट खींचिए। माना [(, 80 को ।, पर प्रतिच्छेद करता है। आकृति .6 ज्यामितीय रचनाएं. ५५४८४ दा 772 लक पक 39778 000 लग दम लि दचचत 253 57 के 47 4. | को केंद्र मानकर तथा [. त्रिज्या लेकर एक वृत्त खींचिए (आकृति .7)। यही वृत्त & ७30 का अभीष्ट अंतर्वृत्त है। मापने पर, हम पाते हैं कि इसकी त्रिज्या [],52 सेमी है। उदाहरण 3 : उस त्रिभुज के परिवृत्त की रचना कीजिए जिसकी भुजाएँ 6.5 सेमी, 7 सेमी तथा 7.5 सेमी हैं तथा उसकी त्रिज्या की माप ज्ञात कीजिए। हल; मान लीजिए हमें एक त्रिभुज »3(: दिया है जिसमें 80! > 7.5 सेमी, 0.4 - 6.5 सेमी तथा ७-7 सेमी है। हमें इसका परिवृत्त खींचना है तथा उसकी त्रिज्या मापनी है। रचना के अरण : । !, त्रिभुज &8(! की रचना कीजिए जिसमें 8(! - 7.5 सेमी, (१७ - 6.5 सेमी तथा ७8 > 7 सेमी हो। 2. भुजाओं 820 तथा (५७ के लंब समद्विभाजक क्रमशः: २६ तथा 70 खींचिए। मान लीजिए ये बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करते हैं। आकृति 8.8 3. 08 को मिलाइए। 0 को केंद्र मानकर तथा त्रिज्या 03 लेकर एक वृत्त खींचिए (आकृति .8)। ह यही वृत्त त्रिभुज. ७80 का अभीष्ट परिवृत्त है। मापने पर, हम पाते हैं कि इसकी क्िज्या , 08 - 4 सेमी लगभग हे। 'प्रम्भावली !.] . एक त्रिभुज की रचना कीजिए जिसकी भुजाएँ 4 सेमी, 5 सेमी तथा 6 सेमी हैं। इसका परिवृत्त खींचिए तथा उसकी त्रिज्या की माप लिखिए। 2. एक समबाहु त्रिभुज, जिसकी एक भुजा 6 सेमी हो, के परिवृत्त की रचना कौजिए और उसकी त्िज्या की माप लिखिए। 3. उस त्रिभुज के अंतर्वत्त की रचना कौजिए जिसकी भुजाएँ 3 सेमी, 4 सेमी तथा 5 सेमी हों तथा उसकी त्रिज्या मापकर लिखिए 4. 6 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचिए। इसके केंद्र से ।0 सेमी दूर एक बिंदु से इस पर स्पर्श रेखा-युम की रचना कीजिए और उनकी लंबाइयाँ मापकर लिखिए। 5. 6 सेमी त्रिज्या के एक वृत्त की स्पर्श रेखाएँ खींचिए जो एक-दूसरे से 60" पर झुकी हों। [संकेत : उन दो त्रिज्याओं के सिरों पर स्पर्श रेखाएँ खींचिए, जो एक-दूसरे से [20 पर झुकी हों।] 6. एक त्रिभुज की रचना कीजिए जिसकी भुजाएँ 5 सेमी, ।2 सेमी तथा 3 सेमी हों। इसका परिवृत्त खींचिए तथा उसकी त्रिज्या की माप लिखिए। 7. एक त्रिभुन 80 की रचना कौजिए जिसमें 805 3.5 सेमी, « 3- 60" तथा शीर्षलंब «0 5 2.5 सेमी हो तथा उसका परिवृत्त खींचिए। 8. एक समदूविबाहु त्रिभुज कौ रचना कौजिए जिसका आधार 8 सेमी तथा शीर्षलंब 4 सम: हो। इसका अंतर्वृत्त खींचिए तथा उसकी त्िज्या की माप लिखिए। !,4 कुछ अन्य रचनाएँ इस अनुच्छे” में, हम त्रिभुजों की उन रचनाओं की चर्चा करेंगे जिनमें वृत्त की रचना का समावेश हो तथा दि |गए ब्रिभुजों और चतुर्भुजों के समरूप त्रिभुजों और चतुर्भुजों की रचनाओं की भी चर्चा करेंगे। अ्ामितीय लनाए ८25 कि 00777 777 007 कक 7 पक दर दे कलर 2 कट 249 अभीष्ट : त्रिभुज ७80! को रचना करना रचना के चरण : , रेखाखंड 8(१- ० खींचिए। 80 के एक ओर < (85% < 8 बनाइए। , छऋ पर एक लंब रेखा छ९ खींचिए। . रेखाखंड 8८ का लंब समद्विभाजक 70 खींचिए। मान लीजिए वह 8५ को बिंदु 0 पर तथा 80 को ७ पर प्रतिच्छेद करता है। 5, 0 को केंद्र मानकर तथा 09 त्रिज्या लेकर कोण 8 के एकांतर वृत्तखंड खींचिए। 6, बिंदु (( से रेखा 70 पर |ध०७- ४ काटिए। 7. ?0 पर ४ से होकर जाने वाली लंब रेखा खींचिए जो वृत्तखंड को मान लीजिए & तथा & पर प्रतिच्छेद करती है। 8, 88, ४0, 23 तथा &'(! को मिलाइए। इस प्रकार प्राप्त &800 और ७80८ ही अभीष्ट त्रिभुज हैं (आकृति .9)। न. (६+> (>> का आकृति ॥,9 टिप्पणी : प्रमेय 0.3 से देखा जा सकता है कि “85 - “28320 - “30 *'0-6 तथा त्रिभु 480 (या ७80) की ऊँचाई 5०४८४ है। रचना .7 : एक त्रिधुज की रचना करना जिसका आधार, शीर्ष कोण तथा शीर्ष से होकर जे वाली माध्यिका दी ही। दिया है: आधार 80-८०, कोण & 5७ तथा & से होकर जाने वाली माध्यिका ४) -॥। अभीष्ट : & ७830 की रचना करना। रचना के चरण : . रेखाखंड 80! ८ खींचिए। 2. 30 के एक ओर “(८85 < 9 बनाइए। 3. छह" पर एक लंब रेखा 8५ खींचिए। 4. रेखाखंड 880! का लंब समद्विभाजक ?0 खींचिए। मान लीजिए वह 8५ को बिंदु 0 पर तथा 30 को बिंदु |/ पर प्रतिच्छेद करता है। 5. 0को केंद्र मानकर तथा 098 त्रिज्या लेकर कोण 8 के एकांतर वृत्तखंड खींचिए। 6. बिंदु ७ को केंद्र मानकर तथा त्रिज्या # लेकर वृत्त का चाप खींचिए जो वृत्तखंड को बिंदुओं & तथा »' पर ग्रतिच्छेद करता है। 7. ७8, 40, ४5 और ७'0 को मिलाइए। इस प्रकार प्राप्त ७80! और ४ '30 ही अभीष्ट त्रिभुज हैं (आकृति .0)। यहाँ भी /300-< “232 '0< “208४-06 तथा माध्यिकाएँ »१)५/ - ७५ -/। आकृति 88.0 रचना ॥,8 : एक दिए हुए त्रिभुण के समरूप एक दिए गए स्केल गुणक में त्रिभुज की रचना करना। | इस रचना को उपयुक्त उदाहरण लेकर भली प्रकार समझा जा सकता है। यहाँ स्केल गुणक (४८/०८/४८४०) का तात्पर्य रचना किए जाने वाले त्रिभुज की भुजाओं का दिए गए त्रिभुज की संगत भुजाओं के अनुपात से है। ज़्यामितीय रचनाएँ......................--------००-०«_-_बत- (कलर प टीन पक ग किक पका रा मर पल य शेप कस जगत मरे कर 25] उदाहरण 4 : एक दिए हुए त्रिभुज ४8८ के समरूप एक त्रिभुज की रचना करना जिसकी प्रत्येक . 3५ भुजा 8880 की संगत भुजा का -वाँ भाग हो। हल : दिए गए त्रिभुज ४80 के समरूप त्रिभुज ४80” कौ रचना करना जिसमें ७8 नि 43, 3 औ (0 ८ ट 00 तथा छेए'- + 80 हो। रचना के चरण : , आधार 80 को पाँच समान भागों में विभाजित कीजिए। माना 80 पर (/” एक ऐसा बिंदु है कि 80'- < 82 है। 2. 0४ के समांतर एक रेखा 0/»&' खींचिए जो 8 को &' पर प्रतिच्छेद करती है। इस प्रकार प्राप्त 830” ही अभीष्ट त्रिभुज है (आकृति .)। पे 8 90 है खो उदाहरण 5 : किसी त्रिभुज 80! के समरूप त्रिभुज की रचना कौजिए जिसकी प्रत्येक भुजा त्रिभुज ४80! की संगत भुजा का -वाँ भाग हो हल ; दिए गए त्रिभुज »80! के समरूप जिभुज ७80” की रचना करना,8 जिसमें &'3 - रू 48, ७0! < ञ 4५९ तथा 80/ < दर 80 हो। उथना के चरण : ,. 80 से किसी न्यून कोण पर झुकी तथा /& जे 34.2 हे अं ' से विपरीत दिशा में एक किरण छल्र खींचिए। 2. 8४ पर 8 से आरंभ करके सात समान रेखाखंड छह 5, 5, |, हऋए, हए तथा हे 5, चिहनित कीजिए 3. 5.(0कों मिलाइए तथा ज.0 के समांतर एक रेखा ५.” खींचिए जो बढ़ाई गई 80 को ( पर प्रतिच्छेद करे। 4. (४ के समांतर एक रेखा (४ खींचिए जो बढ़ाई गई 3.6 को &' पर प्रतिच्छेद करे। इस प्रकार प्राप्त 380” ही अभीष्ट त्रिधभुज है (आकृति .2)। रचना .9 ; एक दिए गए चतुर्धुन के समरूप एक दिए गए स्केल गुणक से एक चतुर्भुज की रचना करना। इस रचना को भी उपयुक्त उदाहरण द्वारा भली प्रकार समझा जा सकता है। उदाहरण 6 : एक चतुर्भुज के समरूप एक चतुर्भुज की रचना करना जिसकी प्रत्येक भुजा दिए गए चतुर्भुज की संगत भुजा का द्र्वॉँ भाग हो। हल : एक चतुर्भुण ४800) दिया है तथा एक समरूप चतुर्भुज »'300' की रचना करनी है जिसमें ७8 5 - 48, 80" 5 - 30, (0' 5 - (५) तथा & 0) 5 - «]) हो। रु ज्यागितीय रचनाएं, 52८ लग पतन 9 मच; 25 085 27%: 57: पल 2 ८5:07 रू न शत मर लि 253 रचना के चरण : !, छा) को मिलाइए और छा) से किसी न््यून कोण पर झुकी एक किरण 85% खींचिए। 2. छ%पर 8 से आरंभ करके सात समान रेखाखंड छज़,, हज, 55, |, जह. ज5 तथा 55, चिहनित कीजिए। 6 आकृति 4,83 3, 95, को मिलाइए तथा >.0” के समांतर एक रेखा &,)' खींचिए जो छा) को 79' पर प्रतिच्छेद करती है। 4, 706 के समांतर रेखा 0'«७' खींचिए जो 8 को &' पर प्रतिच्छेद करती है तथा 700 के समांतर रेखा 70'* खींचिए जो 80 को ( पर प्रतिच्छेद करती है। इस प्रकार प्राप्त &30:7)' ही अभीष्ट चतुर्भुज है (आकृति .3)। प्रश्नावली .2 . एक त्रिभुज ७80: की रचना कीजिए जिसमें 80 5 सेमी, 4» - 607 तथा शीर्षलंब ७॥) 4 सेमी हो! 2. एक त्रिभुज ७80! की रचना कीजिए जिसमें ७-6 सेमी, 3 < 30" तथा शीर्षलंब 80 5 5 सेमी हो। 3. एक त्रिभुज ७80! की रचना कीजिए जिसमें 8(0- 6 सेमी, /& 5 45" तथा माध्यिका ७0 5 सेमी हो। . एक त्रिभुज ७80 की रचना कीजिए जिसमें ४8 55 सेमी, 205 30? तथा माध्यिका (000) - 4 सेपी हो। . एक त्रिभुज »30 की रचना कीजिए जिसकी भुजाएँ 7.5 सेमी, 7 सेमी तथा 6.5 सेमी हों। & 280 के समरूप एक दूसरे त्रिभुज की रचना कीजिए जिसकी प्रत्येक भुजा 8 380! की संगत भुजा का ५ वां भाग हो। « एक दिए हुए त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 5 सेमी, 2 सेमी तथा 3 सेमी हों, के समरूप एक त्रिभुज की रचना कीजिए जिसकी प्रत्येक भुजा दिए गए त्रिभुज की संगत भुजा का चि वाँ भाग हो। . भुजाओं 6 सेमी, 7 सेमी तथा 8 सेमी वाले त्रिभुज के समरूप एक त्रिभुज की रचना कौजिए जिसकी न् 4.2 प्रत्येक भुजा दिए गए त्रिभुज की संगत भुजा का दुतों भाग हो। « एक चतुर्भुज ७809, जिसमें &छ8 - 6.3 सेमी, 805 5.2 सेमी, (१) 5 5.6 सेमी, ).4 5 7.] सेमी तथा “28 «60 है, के समरूप एक चतुर्भुज की रचना कीजिए जिसकी प्रत्येक भुजा चतुर्भुज 480) ; 4 ._.. की संगत भुजा का द्भुवाँ भाग हो। « एक चक्रीय चतुर्भुन ४9९४0 की रचना कीजिए जिसमें .७॥३ > 3 सेमी, 30! - 6 सेमी, (७ > 4 सेमी तथा &70 5 2 सेमी हो। ४380८70 के समरूप एक चतुर्भुज की भी रचना कीजिए जिसकी प्रत्येक भुजा चतुर्भुज ५8८00 की संगत भुजा का .5 गुना हो। 82/ भूमिका आप नवीं कक्षा में त्रिकोणमिति की कुछ प्रारंभिक संकल्पनाओं जैसे त्रिकोणमितीय अनुपात, दिए गए एक त्रिकोणमितीय अनुपात से अन्य त्रिकोणमितीय अनुपात ज्ञात करना, कुछ विशेष कोणों के ब्रिकोणमितीय अनुपात ज्ञात करना और त्रिकोणमितीय अनुपात का प्रयोग करके समकोण त्रिभुज को हल करने आदि का अध्ययन कर चुके हैं।इस अध्याय में, हम त्रिकोणमितीय अनुपातों की और अधिक चर्चा करेंगे, कुछ मूलभूत सर्वसमिकाओं का अध्ययन करेंगे ओर इन सर्वसमिकाओं की सहायता से अन्य त्रिकोणमितीय सर्वस्नमिकाएँ प्राप्त करेंगे। !2.2 त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ एक न्यून कोण »08 लीजिए (आकृति 2,।)। किरण 08 पर एक बिन्दु ? लीजिए और 0& पर लंब 70) डालिए। इस प्रकार, हमें एक समकोण त्रिभुज ९00 प्राप्त होता है। मान लीजिए ८7९00 56 है। याद कौजिए “ ड़ ?९ $ ०0०, झड़ 84 5 ञञॉ 0 ठ् 0080 > ठ्ए 9) 0 ठ्ठे 95 0 [ 9 9< 0९ 522 0 5 हक छा ४760 ह/ _००९..__ 00 0 ह्त्ट ए0 (90 0 गैर. ७०० “0-70 , 00. आए किक, 00 0? 070 0०080 आकृति 2, पुनः, समकोण त्रिभुज ?(0 में, 0०0१ +70? -<07".._ (पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने से) (] 00* है ९0: क 07५ -0?.. (6एश्से भाग देने पर) 07 07 07? है ह ह हे] हु न] 29 ्--++5 |. हि ह्ति कि या (०080)7+ (&79)7ल्5[ _ या ००४20 + आ॥20 5] रा .. ६?) इसी प्रकार, () के दोनों पक्षों को 00% से भाग देने पर, 00*ः ?(१* 07! लड़ी गे च-+प्न ना न+-प- 00* 00" 00* 2० _(०ं बी. तह] या. द ]+ (था 8)? 5 (36० 09? या ]+ज्या6 86026 रा (3) पुनः, () के दोनों पक्षों को ?0 से भाग देने परं, होनी ॥ 30, 70, या (०० 9)१+ [ (00880 8) ह या 0070 + ] 5 005602 0 ही ह (| ऊपर पाए गए संबंध (2), (3) व (4) सभी मूलभूत सर्वसमिकाएँ हैं। प्रत्येक सर्वसमिका अन्य सर्वसमिकाओं की सहायता से सिद्ध की जा सकती है। उदाहरणार्थ, सर्वसममिकाओं (3) व (4) को सर्वसमिका (2) की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। (2) के दोनों पक्षों को क्रमशः ००४29 और आ॥2 8 से भाग देने पर सर्वसमिकाएँ (3) व (4) प्राप्त हो जाती हैं। (2), (3) व (4) को कभी-कभी पाइथागोरियन सर्वस्रमिकाएँ भी कहते हैं। क्योंकि उपर्युक्त सर्वसमिका () प्राप्त करने के लिए पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करते हैं, इसीलिए इन्हें संभवत: पाइथागोरियन सर्वसमिकाएँ कहा जाता है। प्रत्येक त्रिकोणमितीय अनुपात को दूसरे त्रिकोणमितीय अनुपात में व्यक्त करने के लिए, हम मूलभूत सर्वसमिकाओं का प्रयोग कर सकते हैं। उदाहरणार्थ, 0१<8 < 90% के लिए, आ॥9 को ००४ 0, (॥ 9 आदि में व्यक्त किया जा सकता है, जैसा कि नीचे दर्शाया गया हे : ८0570 + 8770 5८], श77 05 | - 0087 0 3॥0 ८ +4ी-००४२0 -- 00870 आ। 8 5 /-००४१० [ न्यून कोणों के लिए आं790 > 0 ] या 0०86 5 /-आ29 इसी प्रकार, ४6०26 55 ] +[9॥2 8 अतः, 860 0 55 ४+(४॥2 0 +87 0 या कक्षा 0 5 २४००२ -। 8-] साथ हो, ०056० 98 5 ,/+००९ ७ या 000 0 + ००४०० 9 -। । 40 साथ ही, (880 5 --- लक [0९ < 8 < 90", सर्वसमिका (2) का प्रयोग करने पर] ९००89 ी-आंपर 9 27 0 - इसी प्रकार, प्रत्येक त्रिकोणमितीय अनुपात को दूसरे त्रिकोणमितीय अनुपातों में बदला जा सकता है। इन्हें आगे सारणी 2.] में दिया जा रहा है। धिा0 कक्षा 8 4+०० 6 8 0009 +००१० +0076 9 0 पी-००४१ ७ 2 4-20 4 जा है ]-भा* 6 धग9 00960 0 8609... | 0०88०7 0-] 00860 9 बी+००८ 0 +०८0/72 6 0060 ] बी-आंत 8 भी+०० 9 त्रिकोणमितीय अनुपातों वाले व्यंजकों और अन्य दी गई सर्वसमिकाओं को सरल करे में मूलभूत सर्वसमिकाओं का उपयोग किया जाता है, जेसा कि नीचे उदाहरणों में दर्शाया गया है। उदाहरण | ; व्यंजबक ४0 0 (००४०० 9 - आं॥ 6) को सरल कीजिए) अप, हल: ॥0 6 (008600-४7॥ 0) "आं00 ् है ध > [-8]72 0 ++ 0052 0 [सर्वसमिका (2) का उपयोग करने पर] उदाहरण ४: सरल कीजिए ; (४200 +980 0) ( - ४7 6) ] 9 हल : (६७० 8 +9॥ 0) (] - शं। 9) < | पता कम ह) (-आं॥0) मा ( -209) 0080 _]- 870 .. 00980 + [69 _?९९ [सर्वसमिका (2) का उपयोग करने पर] 00870 + (8020 -] 75 - 926 877“8 2 | ह! 2 49779 -[[- 00820) 2. हि हा 0082 0+498020-]. 98]20+0057080-] 98079-[- ७0870 | हैले: बायाँ पक्ष ८ आवक 4 पक अकयइर का सका कम उदय स्का 870 श70 870 _ 8770 _ आ70 . 8-0 2770 [सर्वस्नमिका (2) का उपयोग करने पर] न ध्ा20 [सर्वसमिका (3) का उपयोग करने पर] > दायाँ पक्ष जदाईराए! 4: सिद्ध कीजिए ; 007. 9+क्9॥ 9 5 00580 0 560 0 ०0०50 209 090 ०080 ले; बायाँ पक्ष 5 ७०६ 0 + (शा 8 ८ 0087 0+ 87 0 20 ०080 कर ! २. स्टेक कम पक लक [सर्वसमिका (2) का उपयोग करने पर] : हित अल न > [96 ०७०४0 - 00560 6 86० 0 5 दायाँ पक्ष जिजाहरेएण। 5 ; दर्शाइए ई [9// + [802/ ८ 820०/ ॥ -- 8802/ फो है: बायाँ पक्ष ८ &॥48 +2/ - क्षा 8 (072 + ) 7 (86०१8 -) (३००१५) [सर्वसमिका (3) का उपयोग करने पर| +१860480 - 8९02४ > दायाँ पक्ष संदेह ९० 6 ; निम्न सर्वसमिका को सिद्ध कीजिए : (0१7 0 00580:0 ] 0 0-] 8607 0-0086070 ॥70-00४7 0 हल: चूंकि दाएँ पक्ष में केवल ॥॥0 और ००४० हैं, इसलिए यह बाएँ पक्ष के सभी त्रिकोणमितीय अनुपातों को आ। 9 और ००४0 में बदलने का संकेत देता है। अतः, हम पाते हैं : शा 6 8770 _ ०080 __ 726 ४ % ४ (900-] आं026 हे 8720-00820 ..' ह . (). 00४7 0 _ 08660 _ आंत | 0०020 0) 8607 0 -- ०0560* 8 ॥ ] * व 4 2 +-+-> श॥-0-008४20. 00820 झा?0 . .: (।) और (2) को जोड़ने पुर, ._ . (४720 ००४७०: ञा20 ०0४70 बायीं पक्षत्त “दूत पा पर ता नव 7 व कै परत उरू | 770--] 5860:0-0088070 872“20-00820 8079 -00870 आं7 08 + ०087 0 रु क्या या रू नर दाता पक्ष 8770-00820 2॥70- 00520 उदाहरण 7: निम्न सर्वसमिका को सिद्ध कीजिए : 00560 4. ०0860 & मन 5 5 0 री 20025 2 0०5९० 0 -] 00866 8 + 2860 2 00860 00880. ह ] | मिट की 20228 973002%42 की 6 या यप /पदउत+5 हल: बायों पक्ष + (68००४ -] उठ8ब्ब्जैया | 0086020/-] 00860 20 + | | _ 60866 & | 08०00+7+0086०/ सर (०0820. -)(0086०.१ +!) ०0880 4 .(200860.8) _ 200860*./ जिला ) “छत सर्वसमिका (4) का प्रयोग करने पर] न्दायाँ पक्ष ग्रडनालली 2,] | “4 . सरल कीजिए : नमक अर ' ह [+007+. 2. , सिद्ध कीजिए : (७08०० 0 + ००0) ([ - ००४ 0) ₹ आ। 9 2 3. सिद्ध कीजिए : 22 >860 0 -] के 8860 0+| 4. त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं का प्रयोग करते हुए, निम्न व्यंजकों को पूर्णाकों के रूप में लिखिए ् () 3 ०0०0४ & - 3 ०05९02 6 (0) 497 3 - 4 5००: 0. (0) 5 भाः 8+ 5 ०0४7 8 (ए) 7 8९०९ 8 - 7 धवाए 8 5. निम्न व्यंजकों को सरल कीजिए : .. शा। 9 +008 6 () 8 0+ 008 0 । 2-[&70 () 76056० 8 - 3००० निम्न सर्वसमिकाओं को सिद्ध कीजिए ; ग 008 8 +आं0 कक 87 6 2 ि 5820-97 “69 व... .-+--.- ०८०० 0 - का 0 57] 08 ०08 0 8 86 - ०0876 _>] 870 -- 00526 ४९०१ - ४7 0 9. न - 00360 8-00820 (0770 ] ] है नारी व जायज जी है 0. ]_आञ0 [+शा0 5 का 6-] ]. ०० +-० 5 ढ० 84600 का 6 -] 2, (+आं॥9) ([ - आ09) « +5रः 8८070 को मिति या 3 263 3. 87" 8 + ०0870 5 ] - 3 779 ०0४: 6 +0052 न्- 200560 & --] 8॥<.4 44. 5, 0770 + आ? $ ₹ 77? $ 2॥2 ६ 862९ - _ 4- 0080) 6, 3०00+[. ]+०056 7, !-7 ००08 0 2.5५ ( है 2 पारत्वपुह्व _ (0०8७०७-०० 9) 8 िसशर 5 360 0 + शा 2 ५ ]-श0 ४ 9 हार न 00820.0.-000.4. " ॥+०082 + 008 0. हा 820. _ 2 20. 87 2. ]+0080. 8॥ /$ 2] 00+0080 &70-0050 _ 2 2 आ0-0080 आ00+0080 _]-2002 6 2 झ॥20-] 22. (00860 0 - शा 0) (560 & - ०08 /) (शव 60. + ०0 &) 5 | 20087 8 -] & 23 शा 0 005 0 २०00-97 0 24... (360 6 - 008 0) (०० 4 + था 0) द्वा) 0 560 /. 820 0 +[8॥ 0-] _+»॥ 0 ध 0-520 0+]. ००5 0 00009 हि ० 0 0-7! 26. १ृ+छ्वा00 2-36०१ 8 ध्ा 0 0०0 9 देय +00 9 नल जा जे का इक हक ]+[क्षा। 9+ 00 ५ 28. (2770 + 007 ९. + 2 5 8८०१५ ८0860< 0 ]+9॥ 0 ०७05 9 29. “56 ४ का हक ॥8॥ /. &0॥/ _ ४ 30. छठहेणा छ्हया_ व ! ?,.3 पूरक कोणों के ब्रिकोणमितीय अनुपात 90९9 ६ एक समकोण त्रिभुज ?00 (आकृति 2,2) पर है विचार कीजिए। माना कि “?00 5 89 है। तब ञ् ही “(0९० 5 907 - 8 होगा। स्पष्टत: >?00 तथा 0 30202 4 #ऋ 5 02 बढ का ( ४ “(0९०० पूरक कोण हैं। हम जानते हैं कि आकृति 42.2 ९0 00 ए0 शा] 0 5-55 0 48॥) 0 ८ ॥॥॥ | ठछ 005 ठछ क्षा ठ्ठे 0ए 07 00 (!) 00860 0 5----, 5800 5:----, ०00[0 ----+ 2५) (20 ॥ | अब “(९० पर विचार कौजिए जो कि (90? - 6) के बराबर है। यहाँ संलग्न भुजा ?0 है तथा पा भुजा 00 है। आइए अब हम “(070 के त्रिकोणमितीय अनुपातों पर विचार करें। हम पाते हैं कि आं। (90? -_ 8) ८ ०08 8 [() का प्रयोग करने पर] इसी प्रकार, *% बा ००5 (90? - 6) ठ्छ _अंण 0 नल अमर 9 (90? -- 6) ८ छठ ः 0009 ५ ०० (90? - 6) + ठ्ठे न्0 (7? 86० (90? - 6) ८ कुठ् ९०४७० 9 (7 ०08९० (90? - 6) ₹ ठ्ठ >२ 860 0 इस प्रकार, 2॥ (90"--0)-0080 , 0९ ०्के | 52600 2002 साथ ही, आ। 0? 5 0 5 005 907 और 8]] 90९ 5 ] 005 0९ अत;, आ। (90?-0)- 0080 ०0 < < 0 लिए ००४(90* - 0) > जाग न 4000 20000, इसी प्रकार, 80 (907 -- 0) 5०० 6, 0"९<6 < 90? के लिए ००६ (907 -.. 0) 5 ४&॥ 6, 0" < 6< 90? के लिए 8९० (907 . 0) 5 ००४४०, 07<6 5 90? के लिए ००४८० (907 -- 0) 5 ४०० 9, 0" < 8< 90" के लिए आप देख सकते हैं कि (80 0" + 0 5 ००६ 90%, 5७० 0? 5 | 5 ०08९० 90? और ॥॥ 90", 8०० 90% इत्यादि परिभाषित नहीं हैं। । का 5 हम देखते हैं कि किसी कोण का #॥86 > उसके पूरक कोण का ००थां76, किसी कोण का (४02०7 > उसके पूरक कोण का 60्षाहलां, किसी कोण का 5७८७॥ > उसके पूरक कोण का ००६४८८क्षा, और इनका विलोम भी सत्य है। हो सकता है इसी कारण 76, (४78०7 और ४०८थ॥ के साथ पहले (॥०(00 '००' लगाकर क्रमश; ००आ॥०, ००ंक्षा"ट0०/ और ००४८०थ प्राप्त किए गए हैं। आइए कुछ उदाहरणों पर विचार करें। .. ७]0]07 02078, 8 ०0580० ॥3 3 008 80? 5 (90? -- 80?) [... ००89ल्9»॥ (907- 0)| रूशां] 0९ आं700 आंए0% ._. ०0580? 2707 “ 2४४॥ ०५ : आ। ह?+॥॥ 7? को 07 और 45" के कोणों के बीच के त्रिकोणमितीय अनुपातों के पदों में व्यक्त कीजिए। #ब! शी]8]?+ कक्षा 7[?- 008 (907 - 8?) + ००/ (90? -- 7?) ++ 008 9? + 00 9? | 8४४7 १॥ : 9 का मान ज्ञात कीजिए, यदि आं। (9 + 36") 5 ००४ 0, जहाँ 9+ 36" एक न्यून कोण है। ॥#०ें: 8॥ (9+36") > ००05 8 (दिया है) या. ००४ [907 -(9+36०)] 5 ००४७ । है 90? - (98+ 367?) 5 8 या 20 5 54? या 87 27९ उदाहरण ॥| ; यदि (7 26 -00( (98+ 6) है, जहाँ 26 तथा (8 + 6०) न्यून कोण हैं, तो 6 का मान ज्ञात कीजिए। का मान निकालिए। ्रिकोणमिति 2 लो हा पी नि पक रकम मम या या या 00) 20 5 ०00 (98+ 6") ०० (90? -- 20) 5 ०0 (8+ 6?) 907 -- 20 5 8+ 6? 39 5 84? 0 728? प्रशनावली 2, 005 590 हम 'निकालिए। शा निम्न का मान ज्ञात कीजिए : .. 80 49? '.. .... 0050९ नाम || () 200०47? 0॥ 40९ ह 008९० 390 _ 860 5[% ००४ 75९+ ०० 75? को कोणों 0" और 45" के बीच के त्रिकोणमितीय अनुपातों के पदों में व्यक्त कीजिए। ह दर्शाइए : मान निकालिए : ००४ 207 + ७054 707 ) श॥7* 207 + 82 70? ॥) -++-____+_+_+_+_+>-_-+-- 0) ५3 आं॥ 597+ ॥7< 3]९ मान निकालिए : शा। 277 हर है 005 63? ; 008 637९ 8॥ 27९ मान निकालिए ; 608९0< 677 - (472 23९ सिद्ध कीजिए ह 005 (90% न 8) +तहत 0 -2,0%0% 80 0 ००४ (90-08) 9... 8८९: -- ०07 (90 -- 8) 5 ०0४“ (907 -- 8) + ००४: 8 ००४ (90? - 0)008 0 409 0. हि ००5 (90% -9)5 ]. ०05 (8]? + 8) ८ 898 (9९ -- 8) ७०08 20? 0080 8770९" आ॥ 90" -6) 3. हा॥ (907 - 8) ००४ (90 - 8) 5 (80 0 ह [+770 44. 7 9 ००४ (9०0? -- 0) + ००5 9 शआ॥ (90? -- 6) 5 5. 0००05 0 ००8 (90? - 0) - 27 9 ॥॥ (907 - 0) 5 0 46., ०० (907 - 8) 870 (90? - 0) > आ॥ 9 7, ४ ]57॥80 20९ (88 70? (0 75९ ८] 48. मान निकालिए : ३७7 62% 8८0 420 (08 267 00920 48? 9. यदि ६॥ 39 + ००४ (0 - 6०) जहाँ 38 और 9 - 6? न््यून कोण हों, तो 9 का मान निकालिए। 20. यदि & और 8 न्यून कोण हों और ५ & ८ ००४ छ हो, तो सिद्ध कीजिए कि ७ + 85 90" है। 2. यदि &, 8, 2 किसी त्रिभुज के अंत; कोण हैं, तो दर्शाइए कि >003- टे [संकेत : त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 80" होता है। ] . पडि 53॥ ॥॥ 83। भूमिका कई बार हमें मीनार, भवन या पेड को ऊँचाई, जहाज की प्रकाश स्तंभ से दूरी, नदी की चौड़ाई आदि को मापने की आवश्यकता पड़ती है। यद्यपि हम उन्हें आसानी से माप नहीं सकते हैं, परंतु हम ब्रिकोणमिति की संकल्पना से उन्हें ज्ञात कर सकते हैं। 3.2 समकोण त्रिभुज का हल क् नवीं कक्षा में, हम पढ़ चुके हैं कि यदि किसी समकोण त्रिभुज की एक भुजा और एक अन्य भाग (भुजा या कोण) दिया गया हो, तो त्रिभुज के शेष भागों को ज्ञात किया जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरण पर विचार कौजिए : उदाहरण ।; ॥ ४8८ में, 28 समकोण है, #852 सेमी और 2# 30" है (आकृति 3.)। 80 और ४0 ज्ञात कौजिए। ऊँचाई हल : त्रिभुज 80 में, 80 | --“+॥30? है 48 ५3 53: हा 80<--+ ० हित हम नम कम , 2 सेमी या 80- हर सेमी - 4६ सेमी शाकृति 83,! इसी प्रकार, हम »( ज्ञात कर सकते हैं, जैसा कि नीचे दिया हुआ हे अ3 2 + 005 30? ८ 3५ या 680- हा सेमी - 8७3 सेमी 3.3 आमुप्रयोग . मान लीजिए हम वास्तव में, बिना नापे हुए, किसी पेड की ऊँचाई ज्ञात करना चाहते हैं। हम भूमि पर पेड़ के आधार बिंदु छ से (मान लीजिए) !2 मी की दूरी पर बिंदु & पर खड़े हो जाते हैं , (आकृति 3,2)। मान लीजिए, ८2820 का माप 30" है। हम पेड़ की ऊँचाई 8७, त्रिकोणभितीय अनुपात की सहायता से, जैसे कि उपर्युक्त उदाहरण | में किया गया था, ज्ञात कर सकते हैं : ,५- 7९५०-८०» सपरा'क्म $ जब, ५९७४ /०० 2०;०न«+बा+अमम५+ ४ 8७७५५०७.-०० नली ३७%, >किस 2 मी आकृति 3.2 07 प्रा दा साध 30" < 2 273 3 0»: 005 मी व मी 3. ३३ इस प्रकार, त्रिकोणमितीय अनुपातों का उपयोग करते हुए, हम पेड की ऊँचाई ज्ञात कर सकते हैं। जब कभी किसी अभियंता के सम्मुख नदी की चौड़ाई (या मीनार की ऊँचाई आदि) ज्ञात करने जैसी समस्याएँ आती हैं, जिसे मापने वाले फीते द्वारा मापना साधारणतया संभव नहीं होता है, तब वह एक बड़े त्रिभुज की कल्पना करता है। त्रिभुज की एक भुजा, वह रेखाखंड है जो नदी के एक ओर से दूसरी ओर तक खींचा जाता है (या वह रेखाखंड जो मीनार की चोटी से भूमि तक लंबवतू खींचा जाता है, इत्यादि) और इस त्रिभुज की अन्य दो भुजाओं में से एक भुजा और एक कोण किसी सर्वेक्षण मापक यंत्र दवारा आसानी से मापा जा सके। एक भुजा और एक कोण के ज्ञात होने पर अभियंता त्रिकोणमितीय अनुपातों की सहायता से अज्ञात भुजा अर्थात् नदी कौ चौड़ाई या मीनार की ऊँचाई आदि ज्ञात कर सकता है, जैसा कि उपर्युक्त उदाहरण । में दर्शाया गया था। उपर्युक्त प्रकार के प्रश्नों को हल करने से पूर्व, हम पहले कुछ इनसे संबंधित कुछ परिभाषाएँ देंगे। वा 27] शीट उस [4.86 की ४७४) : मान लीजिए भूमि पर खडे हुए हम किसी वस्तु को देख रहे हैं। स्ष्टतः वस्तु की दृष्टि रेखा (या दर्शन रेखा) वह रेखा है, जो हमारी आँख से वस्तु को जिसे हम देख रहे हैं, जोड़ती है (आकृति 3.3)। उलयन कीण (.शट्टोह तो ६ %शााए॥) : यदि वस्तु, आँख की क्षितिज रेखा से ऊपर हो ( अर्थात् यदि वस्तु, आँख के स्तर से ऊपर हो), तो हमें वस्तु को देखने के लिए अपने सिर को ऊपर उठाना होगा। इस प्रक्रिया में हमारी आँख एक कोण से घूम जाती है। अपनी आँखों द्वारा वस्तु पर ऐसे बनाए गए कोण को वस्तु का उन्नयन कोण कहते हैं (आकृति 3.3)। । व्स्तु आक्ात 3. + अबनगम कोण (.%॥ ए७ एा ॥0०॥॥७४७७॥ ) / मान लीजिए एक लड़का किसी मकान की छत पर खड़ा हुआ है और मकान से कुछ दूरी पर भूमि पर पड़ी हुई एक गेंद को देखता है। इस स्थिति में, गेंद को देखने के लिए उसे अपना सिर नीचे की ओर झुकाना पड़ेगा। इस प्रक्रिया में उसकी आँख एक कोण से घूम जाती है। अपनी आँखों द्वारा वस्तु पर बनाए गए ऐसे कोण को वस्तु का अवनमन कोण कहते हैं (आकृति 3.4)। वस्तु आकृति [3.4 अब हम उपर्युक्त संकल्पनाओं से संबंधित ऊँचाई और दूरी के कुछ उदाहरण लेते हैं। उदाह२० ४. एक मीनार भूमि पर ऊर्ध्वाधर खड़ी है। भूमि पर मीनार के आधार से 20 मी दूर पर स्थित एक बिंदु से उसकी चोटी का उन्नयन कोण 60 है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए & मीनार की चोटी है और 8 मीनार का आधार बिंदु है। भूमि पर, (! वह बंद है जहाँ बिंदु » का उन्नयन कोण 60" है (आकृति 3.5)। हे । ५ 60० हा 7560". [| तय छ 20 मी” >> लओ (३४ ४ | %:४ तब, (8520 मी और “(८८ 607 59 मीनार की ऊँचाई है, जिसे हमें ज्ञात करना है। अब समकोण 6५४8८ में, छह 870 60९ 3 4&3-> 80;,/3 - 20.03 भी अत;, मीनार की ऊँचाई 20५3 मी है। उदाहरण 3 : एक सीढ़ी एक दीवार पर इस प्रकार टिकी है कि उसका ऊपरी सिरा दीवार के शिखर को छूता है। सीढ़ी का निचला सिरा दीवार से 2 मी की दूरी पर है। सीढ़ी भूमि के साथ 60? का कोण बनाती है (आकृति 3.6)। दीवार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। हि (॥) आकुति 3.0 उल : माना कि दीवार की ऊँचाई # मी है। तब समकोण त्रिभुज ७8८: [आकृति 3.6 (3)] से, हमें प्राप्त होता है : 3 चल (4 सधा 60? ८ 45 छट 2 या ॥- 243 अत:, दीवार की ऊँचाई 2./3 मी या 3.46 मी (लगभग) है। उदाहरण 4: भूमि पर स्थिर एक ऊर्ध्वाधर बांस के ऊपरी सिरे से एक तनी हुई रस्सी बांधी गई है और रस्सी का दूसरा सिरसा भूमि पर स्थिर किया गया है। सरकस का एक कलाकार भूमि से रस्सी पर चढ़ रहा है। बांस की ऊँचाई 2 मी है और रस्सी भूमि से 30" का कोण बनाती है। कलाकार द्वारा बांस के ऊपरी सिरे पर पहुँचने में तय की गई दूरी ज्ञात कौजिए। हृध् : माना कि रस्सी (की लंबाई (मीटर में) / है। समकोण त्रिभुज »8(! (आकृति 3.7) में, हर &8 _2 शर्ट । है 2 अर्थात् आग 30९ - पा अर्थात् या आकृति 3.7 2720 का माप 7 70 2 कक विस दल कट किट दम अल जग 507 किक पेश पक पद 7० गणित अतः, कलाकार द्वारा तय की गई दूरी 24 मी है। आप मीनार के आधार से 40 मी की दूरी पर भूमि पर एक बिंदु से मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 30० है और मीनार की चोटी पर रखी पानी की टंकी के ऊपरी सिरे का उन्नयन कोण 45" है। ज्ञात कीजिए : () मीनार की ऊँचाई। (7) टंकी की गहराई। मे 9 हर ढ हे हि ह 9 ॥ गा | रॉ 5 [ > 9०४० है नै ८2 हो कल | 0. यो पाल | रे ः “काभीएणण हि फ >ब 3-३: 07020 ह जप (8) (9) आरूति 3,8 हे; 0) माना # (580) मीनार की ऊँचाई है (आकृति 3,8)। समकोण त्रिभुज 2(09 में, हा ज वथि। 300 ८ ---- 40 40. 40 फं या 8--+-5---०) ४3. 3 अत;, मीनार की ऊँचाई री मी या 23. मी (लगभग) हेै। (४) पानी की टंकी की गहराई 8 ज्ञात करने के लिए, हम समकोण & «(८ [आकृति 3.8 (#)] में पहले लंबाई 0.9 ज्ञात करते हैं। अब प्र रू 8457? - | े या 0705 ७९:5७ 40 मी (७0-40 मी दिया है) अत;, (0 5 40 मी अचाई ओर देरी, मल अल सपा कर ललित गा पक मम अर पी आ ममल न शत 275 इस प्रकार, पानी की .टंकी की गहराई 5 छा) > 000 - 08 - (40 -- 23.) मी <[6.9 मी (लगभग) है। बहा हक हत: नदी के एक किनारे पर ऊर्ध्वाधर खड़ा है। वृक्ष के ठीक सम्मुख दूसरे किनारे पर स्थित एक बिंदु से वृक्ष की चोटी का उन्नयन कोण 60" है। उसी किनारे पर, इस बिंदु से 20 मी पीछे स्थित एक बिंदु से वृक्ष की चोटी का उन्नयन कोण 30" है। वृक्ष की ऊँचाई और नदी की चौड़ाई ज्ञात कीजिए। हल: 7 लीजिए # (5 ?)५) वृक्ष की मीट्रों में ऊँचाई है (आकृति 3.9)। मान लीजिए नदी के दूसरे किनारे पर वृक्ष के ठीक सम्मुख 0 और & दो बिंदु हैं। 0// नदी की चौड़ाई है। माना 0)// 5४ मी है। तब आकृति [3.9 में, &(0> 20 मी, 20५07 < 60% और 20० < 30० ु में ए हमें # और ८ ज्ञात करना है। समकोण त्रिभुज 0५7 में, न ५ नि ] 600 नर 43 ध ला को () 3 0 कह साथ ही, समकोण त्रिभुज ४५९ में, हा 20मी ॥| आकृति - ध 30९? - -- आकृति 3,9 हम 43 3 20+ व () और (2) से, हम प्राप्त करते हैं : 20+ थ॑ ठ हा 4४5 टू या 3३4520+ या ८ 0 अत:, ॥# 4५3 5 ]043 57.3 (लगभग) अत:, वृक्ष की ऊँचाई लगभग 7.3 मी और नदी की चौड़ाई 0 मी है। शहशा 7: 00 मी ऊँचे एक प्रकाश स्तंभ की चोटी से एक प्रेक्षक समुद्र में एक जहाज को ठीक अपनी ओर आते हुए देखता है। यदि जहाज का अवनमन कोण 30” से बदलकर 45" हो जाता है, तो प्रेक्षण की इस अवधि में जहाज द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कौजिए॥ हल : मान लीजिए » और 8 जहाज की दो स्थितियाँ हैं। मान लीजिए प्रेक्षण की अवधि में जहाज द्वारा तय की गई दूरी ८ मी है, अर्थात् »858 मी है। मान लीजिए प्रेक्षक बिंदु 0 पर है (आकृति 3.0)। स्पष्टतः 005 00 मी है। माना छ से 0 की दूरी £मी है। बिंदु 0 से & और 8 के अवनमन कोण क्रमश: 30" और 45० ज्ञात हैं। समकोण «00% में, हा -< 00/457? -[ 00 या #< 00 समकोण 600» में, 2 ]00 व +६<004/3 आकृति 3.0 या ०+00 5 00५3 या ०< ]004/3 -00 < 00(05 न ) न+ 73.2 (लगभग) अत;, जहाज दबारा » से छे तक तय की गई दूरी लगभग 73.2 मी है। टिप्पणी : उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे हम वस्तु (०७|००) (या प्रेक्षक) की ओर चलते जाते हैं, तो उन्नयन कोण (या अवनमन कोण) का मान बढ़ता जाता है। प्रश्चाबली 3. (परिकलन के लिए ,/2 5.4 तथा (3 5.73 लीजिए) . एक मीनार के आधार से 20 मी दूर भूमि पर स्थित एक बिंदु से मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 30" है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 77 2 हक न य लरि लत म म क ल, 277 2. एक सीढ़ी को एक दीवार पर लगाने पर उसका ऊपरी स्िरा दीवार के शिखर तक पहुँचता है। सीढ़ी का निचला सिरा दीवार से .5 मी की दूरी पर है और सीढ़ी भूमि के साथ 60" का कोण बनाती है। दीवार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। , बिजली का एक खंभा 0 मी ऊँचा है। खंभे को सीधा लंबवत् रखने के लिए स्टील के तार का एक सिरा खंभे की चोटी से बंधा है और दूसरा, भूमि पर स्थिर किया गया है। यदि स्टील का तार खंभे के आधार बिंदु से होकर जाने वाले क्षेतिज के साथ 45? का कोण बनाए, तो स्टील के तार की लंबाई ज्ञात कीजिए। . मौसम विज्ञान भूमि केन्द्र से एक केबल दूवारा एक गुब्बारा संयोजित है। केबल की लंबाई 25 मी है तथा यह क्षैतिज से 60" के कोण पर नत है। यह मानते हुए कि केबल में कोई ढील नहीं है, भूमि से गुब्बारे की ऊँचाई ज्ञात कौजिए। , सूर्य का उन्नयन कोण (उननतांश, ॥|४।00०) ज्ञात कीजिए, जब किसी ऊर्ध्वाधर खंभे की छाया की लंबाई खंभे की ऊँचाई के बराबर है। . नदी पर बने किसी पुल के उस भाग की लंबाई, जो ठीक नदी के ऊपर है, 50 मी है तथा पुल नदी के किनारे से 457 का कोण बनाता है (आकृति 3.)। नदी की चोड़ाई ज्ञात कीजिए। आकृति 3. , 30 मी ऊँची मीनार से 28.5 मी दूर एक प्रेक्षक, जिसकी ऊँचाई .5 मी है, खड़ा है। प्रेश्षक की आँख से मीनार की चोटी का उन्नयन कोण ज्ञात कीजिए। . किसी मीनार के आधार से पहाड़ी की चोटी का उन्नयन कोण 60" है और पहाड़ी के आधार से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 30" है। यदि मीनार की ऊँचाई 50 मी हो, तो पहाड़ी की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। . एक सड़क, 50 मी ऊँची मीनार के आधार तक, सीधी जाती है। मीनार की चोटी से सड़क पर खड़ी दो कारों के अवनमन कोण क्रमशः 30? और 60" हैं। दोनों कारों के बीच की दूरी ज्ञात कौजिए और बताइए कि प्रत्येक कार मीनार के आधार से कितनी दूरी पर है। 276 / हनन हक आम अल मम मन कक मम मटर मर मम मम कम गणित 0. भूमि पर एक बिंदु? से, 0 मी ऊँचे एक भवन की चोटी और एक हेलीकॉप्टर, जो भवन की चोटी के ठीक ऊपर कुछ ऊँचाई पर जा रहा है, के उन्नयन कोण क्रमश: 30” और 60" हैं। भूमि से हेलीकॉप्स की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। , भूमि पर एक बिंदु से, एक मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 30" है। मीनार की ओर 30 मी चलने के पश्चात् मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 60" हो जाता है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 2. 00 मी चौड़ी एक नदी के मध्य में एक छोटा सा टापू है। इस टपू पर एक ऊँचा वक्ष है। नदी के विपरीत किनारों पर दो बिंदुए और 0 इस प्रकार स्थित हैं कि 8, 0 और वृक्ष एक रेखा में हैं। यदि? और ( से वृक्ष की चोटी के उन्नयन कोण 30" और 45" हों, तो वृक्ष की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 3.'एक ग्ीनार की चोटी से, 7 मी ऊँचे एक भवन के शिखर और आधार के अवनमन कोण क्रमशः 45" और 60 हैं। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कौजिए। 4. 00 मी ऊँची एक मीनार की चोटी और उसके आधार से, एक चट्टान की चोटी के उन्नयन कोण क्रमशः 30" और 45" हैं। चट्टान की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 5. एक मीनार समतल भूमि पर खड़ी है। सूर्य के उनतांश (सूर्य का उन्नयन कोण) 30" पर मीनार की छाया, सूर्य के उन्नतांश 60? पर मीनार को छाया से 45 मी अधिक है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 6. 50 मी ऊँचे एक प्रकाश स्तंभ की चोटी से देखने पर, उसकी ओर आ रहे दो जहाजों के अवनगर त्पोए क्रमशः 30" और 45" हैं। यदि एक जहाज ठीक दूसरे के पीछे हो, तो दोनों जहाजों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए। 7. 5 मी ऊँची मीनार की चोटी पर एक ध्वज-दण्ड लगा हुआ है। भूमि पर स्थित किसी बिंदु से ध्वज-दण्ड के ऊपरी सिरे का उन्नयन कोण 60" है और इसी बिंदु से मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 45० है। ध्वज-दण्ड की लंबाई ज्ञात कौजिए। 8. ।00 मी चौड़ी सड़क के दोनों किनारों पर दो बराबर ऊँचाई के खंभे आमने-सामने स्थित हैं। सड़क के बीच में किसी बिंदु से खंभों के ऊपरी सिरों के उन्यन कोण 30९ और 60" हैं। बिंदु की स्थिति और खंभों की ऊँचाइयाँ ज्ञात कीजिए। वाई ओर देरी, 70 मो स्वैग पक सम ताक दा आहत 222० म 057: न का 5 ते दा री 279 9. किसी मीनार के आधार से ८ और 8 की दूरियों पर एक ही रेखा में स्थित दो बिंदुओं क्रमशः? और 0 से देखने पर, मीनार के ऊपरी सिरे के उन्नयन कोण पूरक पाए जाते हैं। सिद्ध कीजिए कि मीनार की ऊँचाई /द8 है। १0), भतिज तल पर स्थित एक मीनार ऊर्ध्वाधर खड़ी है तथा उसक शिखर पर 7 भी लंबाई का एक ध्वज “दब लगा है' तल पर स्थित किसी बिंदु से ध्वज- दण्ड के आधार तथा ऊपरी सिरे के उन्नयन कोण क्रमश, 30? और 45० हैं। मानार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 3]. ९७ मा ऊँची प्रहाडो क शिखर से किसी मीनार की चोटी और आधार के अवनमन कोण क्रमश: 30९ ओर 45' हैं। मोनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए 22, दो मीनारों के बीच की क्षैतिज दूरी 40 भी है। दूसरी मीनार की चोटी से पहली मीनार की चोटी का उन्नयन कोण 30" है। यदि दूसरी मीनार की ऊँचाई 60 मी“है, तो पहली मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 23, 4000 मी की ऊँचाई पर उड़ते हुए जहाज के ठीक नीचे जिस क्षण दूसरा जहाज आता है, उसी क्षण भूमि पर किसी बिंदु से इन जहाजों के उन्नयन कोण क्रमशः 60" और 45" हैं। उस क्षण पर दोनों जहाजों के बीच की ऊर्ध्वाधर दूरी ज्ञात कौजिए। 24, पानी की सतह से 0 मी ऊपर किसी जहाज की छत पर खड़ा एक व्यक्ति किसी पहाड़ी के शिखर का उन्नयन कोण 60" पाता है और पहाड़ी के आधार का अवनमन कोण 30" पाता है। पहाड़ी से जहाज की दूरी और पहाड़ी की ऊँचाई ज्ञात कौजिए। 25. आँधी चलने से दो भागों में टूटे हुए एक वृक्ष का ऊपरी भाग भूमि से 30" का कोण बनाता है। वृक्ष का ऊपरी सिरा जिस स्थान पर भूमि को छूता है वह स्थान वृक्ष के आधार-बिंदु से 0 मी की दूरी पर है। वृक्ष की ऊंचाई ज्ञात कीजिए। 26. पहाड़ी पर खड़ा एक व्यक्ति एक नाव को देखता है, जिसका उस समय अवनमन कोण 30" है, और यह नाव समुद्र के किनारे उस व्यक्ति के ठीक नीचे के स्थान की ओर आ रही है। नाव समान चाल से आ रही है। 6 मिनट पश्चात् उसका अवनमन कोण 60" हो जाता है। नाव को किनारे तक पहुँचने में लगने वाला समय ज्ञात कीजिए। | प्रष्ठाय क्षमाफल आर आवत्तन 84. भूमिका आप विभिन्न ठोस आकृतियों यथा घनाभ, घन, लंब वृत्तीय बेलन, लंब वृत्तीय शंकु, गोला आदि से पहले से ही परिचित हैं और इन ठोस आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों और आयतमनों के विषय में भी पिछली कक्षाओं में पढ चुके हैं। ह दैनिक जीवन में हमको अनेक ऐसी ठोस वस्तुएँ देखने को मिलती हैं जो कि या तो इनके अंश (भाग) से या इनके संयोजन से बनी होती हैं। उदाहरण के लिए, एक बाल्टी या शीशे का गिलामम एक लंब वृत्तीय शंकु का भाग है। इसी प्रकार, एक बेलनाकार आधार का लंब शंक्वाकार सर्कस का तंबू एक लंब वृत्तीय बेलन तथा एक लंब वृत्तीय शंकु के संयोजन से बनता है। इस अध्याय में, हम एक ठोस आकृति के दूसरी आकृति में रूपांतरण के अध्ययन के साथ ही साथ, ठोस आकृतियों के संयोजनों तथा उनके अंशों, जिनमें शंकु-छिन्नक सम्मिलित है, के पृष्ठीय क्षेत्रफलों और आयतनों के विषय में पढेंगे। आप विभिन्न ठोस आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों और आयतनों से संबंधित उन सूत्रों को पुनः स्मरण कीजिए जो सारणी [4.] में दिए गए हैं और प्रश्नावली 4,] के प्रश्नों को हल कीजिए। इस अध्याय में, हम परिकलनों के सरलीकरण के लिए, # « न लेंगे, जब तक कि कोई अन्य मान लेने के लिए न कहा गया हो। पम्विलाकन हेत प्रश्नावली |4,॥ . एक भूमिगत जलाशय घनाभ के आकार का है जिसकी विमाएँ 48 मी, 36 मी और 28 मी हैं। जलाशय का आयतन ज्ञात कौजिए। 2. एक घन का आयतन 728 सेमी है। 0) उसकी कोर (४) उसका पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कोजिए। एश्लीय क्षेत्रफल और आयतन दिनकर मम [का 0४७४ 3. एक लंब वृत्तीय बेलन के आधार का व्यास 28 सेमी और उसकी ऊँचाई 2] सेमी है। उसका 6) वक्र पृष्ठ (0) संपूर्ण पृष्ठ. (॥) आयतन जात कीजिए! 4. एक बर्तन, जो लत त्॒त्तीर बेलन के आकार का है, झ अयतन 40 ५ सारी है और उपकी जैचई 7 सेमी है; उसके: आधार के. जिल््या ज्ञात हद 5. एक लंब व॒ृत्तीय शंकु क आधार की त्रिज्या ओर उसको ऊँचाई क्रमश: 7 सेमी और “4 सेमी है। पक का आयतन और संपूण पृष्ठोय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए ७. एक लब वृष्यीच राकु व बे पृष्ठाव क्षतफेण 422-७ हींने। है, चींद उसके जानाए की क्या 5 फ््] ' हो, तो उसकी ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 7. . धातु के एक गोले का व्यास 8.4 सेमी है। उसका आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कौजिए। 8. यदि एक गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल 66 सेमी: हो, तो उसका आयतन ज्ञात कीजिए। 9. एक खोखले अर्धगोलीय बर्तन के अंत: और बाहय व्यास क्रमशः 42 सेमी और 45.5 सेमी हैं। उप धारिता तथा उसका बाहरी वक्र पृष्ठ ज्ञात कोजिए। 0, एक ठोस अर्धगोलीय खिलौने की त्रिज्या 3.5 सेमी है। उसका संपूर्ण पृष्ठीण क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए और. 70) हब हल बहुधा हमें एक ठोस को दूसरे रूप के ठोस में परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है। उदहण के लिए, एक धातुयी गोले को पिघलाकर प्रायः बेलनाकार तार में बदलना, कुएँ से खोदी ई मिद- जो मूल रूप में लंब वृत्तीय बेलन के आकार की होती है, उसको कुएँ के चारों ओर प्रग्नन रूप से फैलाने से बना चबुतरा जो एक बेलनाकार खोल (8॥०।|) के आकार का होता है, इत्यादि इस प्रकार की स्थितियों में हम पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन का परिकलन उदाहरणों से समझाएँगे धातु के एक गोले का व्यास 6 सेमी है। गोले को पिघलाकर एक समान वृत्तीय अनुप्रस्थ-परिच्छेद वाला तार बनाया गया है। यदि तार की लंबाई 36 मी हो, तो उसकी त्रिज्या ज्ञात कीजिए। धातु के गोले का व्यास 6 सेमी हैं! इसलिए धातु के गोले की त़्िज्या 3 सेमी है। अब मान लीजिए कि तार के अनुप्रस्थ-परिच्छेद (काट) की त्रिज्या / संमी है। चूंकि धातु का गोला बेलबकार पृष्ठीय क्षेत्रफल और अयतन....... ......... ७ «०ह++5 >बू 5 2 2 तार में परिर्तित करा दियव् गया है, आआ;उउनके आयतन समान होंगे। इस प्रकार, 4 ्र जवारद 3 ल्|ज्वा> #४53%00 या ... | 9॥ 5 360000॥5७ या # “- 0,0| | या / ज> ] अतः, अनुप्रश्थ-परिच्छेद सकौ त्रिज्या |॥ शीत है। उदाहरण 2: जूक शंन्कु, ज्जिसकी सँचशई ॥९ प्रेमी और जिसके आधार की त्रिज्या 6 सेमी है, प्रतिमा बनाने बाली च्विकती मिट्टी से ब्वनाया शपहँँहै। एक बच्चा उसको पुनः गोले के आकार का बनाता है। गेले कौ त्रिज्या ज्ञात 'कौजि्ण। है ल: कु का आयतन-- हि < 7206 ४6 65% 24 सेमी 2 यदि गोले की त्रिय्या » को, तो ईफ़का आयतन र ५472» सेमी? है। चूंकि चिकनी मिट्टी का आयतान शंडकु शैगि! गोले के रूप में समान है, अत; दर श्र हक यु रहटपा0८6 > 6» 24 या #ध 3) ><3»% 24 या # 53 7><3% 3४८2 ४) ५५ 2 या # ३3 22 अर्थात् # 56 इसलिए, गोले की >जिज्या 6सेम्मी है| । उदाहरण न ७ ब् थे पा कक कुआँ, स्जिसका व्यास १॥झूझ है, 22.5 मीटर गहरा खोदा गया है और खोदी गई मिट्टी से उप्तके चारों ओर 05 मी चौड़ा एक बुल्लूरा बनाया गया है। चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कौजिए। हल; __ ०. न. +०«० 7 हल; हु की 235 ॥ 0 व 22223 29 खोदी गई मिट॒टी का आयतन ड प्र ] मीः चबूतरे की बाहरी त्रिज्या ७.) 53.5 मी + 0.5 मी 5 4 मी चबूतरे के आधार का क्षेत्रफल - बाहय वृत्त का क्षेत्रफल - अंतः वृत्त का क्षेत्रफल लता (४ - ४) न ४ (7, फ ४) (४,- #) 22 2... चिल्ला हे # “| (4+3.5) (4 - 3.5) मी 5 मं _22 (35 , 2 पीट हु ]55 मीः चबूतरे की ऊँचाई चबूतरे का आयतन, अर्थात् खोदी गई मिट्टी का आयतन ३2 3 अमर; मम क220 0 अप 205 पक के. आी 83. 35 “नम 3 2 2220० आधार का क्षेत्रफल | 3465 55 ] ठग पद 5 2 | 455 2 2 "].5मी एक आयताकार खेत की लंबाई 20 मी और चौडाई 44 मी है। खेत के एक कोने में 0 मी गहरा, 7 मी व्यास का एक कुआँ खोदा गया और कुएँ से निकली मिट॒टी को खेत के पृछ्ठीय क्षेत्रफल रियल 200 003 020 0 5 कह जद 285 शेष भाग में समान रूप से फैला दिया गया है। ज्ञात कीजिए कि खेत का तल किना ऊँचा उठ गया है। 2 हे हल : खोदी गई मिट्टी का आयतन पा जल | 0] मी < 385 मी खेत का क्षेत्रफल 20» ]4 मी? .. 5 280 मी? खेत के शेष भाग का क्षेत्रफल > खेत का क्षेत्रफल - कुएँ के आधार का क्षेत्रफल 5 मी? न्नत 6 2-० ८ १०३ मी (2 80- पु मी? 560 - 77 न्न ““+->--- मी? £/ ह 4863 मी? 24].5 मी? मान लीजिए, खेत का तल # मीटर ऊँचा उठ गया है। ऊँचे उठे खेत का आयतन 5 (24.5) # मी? क्योंकि ऊँचे उठे हुए खेत का आयतन > खोदी गई मिट्टी का आयतन, इसलिए (24.5) # 5 385 385 ठ्व.5 3850 .. खबा5 .6 लगभग अतः, खेत का तल लगभग .6 मी ऊँचा उठ गया है। या शत ॥ उदाहरण 5 : ते की एक छड़, जिसका व्यास | सेमी और लंबाई- 8 सेमी है, को समान मो के !8 मी लंबे तार में परिवर्तित किया जाता है। तार की मोटाई ज्ञात कीजिए। छड का आयतन ल्+ 77% । ) » 8 सेमी” हल न 27 सेमी? उसी आयतन के तार की लंबाई 58 मी ₹]800 सेमी _ शदि तार लग वानणाश-गरिछोद (टातडइ5-5००ांणा) की व्रिज्या & हो, तो उसका आयतन > 7 9८ # ५६ 800 सेमी इसलिए 3 । 800 नशा हि 5 7-90 या हे की आओ अर्थात् तार के अनुप्रस्थ-परिच्छेद की त्रिज्या - जल सेमी अत:, तार के अनुप्रस्थ-परिच्छेद का व्यास (अर्थात् तार की मोटाई) 5 ५7 सेमी न 0.67 मिमी (लगभग) टंकी 4 उदाहरण 6 ; '* से भरी हुई एक अर्धगोलाकार टंकी एक नल (पाइप) दुबारा 3 लीटर प्रति सेकंड की दर से खाली की जाती है। टंकी को आधा खाली करने में कितना समय लगेगा, यदि टंकी का व्यास 3 मीटर है? का 3. हल : अर्धगोलाकार टंकी की त्रिज्या < छः + 2 टंकी का आयतन 5 2,८22, (2 मीः ते हर नल 5 मी पृष्ठीय क्षेत्रफत और आयतर्त,...0.- ४ ४० तपतनात लत 3मभ 9 सनम आर दलित कद न परमलपन्य 9 3 पम्प मीट ड पु पेलत परम म रस ० 287 5 जी [4 0) _ 99000000 ]4 इसलिए वह आयतन जो खाली करना है दा सेमी _ 99000000 “मुह “पहढ चीटर 99000 लीटर कि 25 क्योंकि. हर रा गे सैकंडों में, अर्थात् 6.5 मिनटों में बाहर निकलेगा। वरिशीआ म सेमी व्यास के एक पाइप द्वारा 5 किमी प्रति घंटे के वेग से बहने वाला पानी बदाहरण 7; सकी लंबी टंकी में एक आयताकार टंकी में गिर रहा है, जो 50 मी लंबी और 44 मी चौड़ी है। टंकी में पानी का स्तर 7 सेमी ऊपर उठने में लगने वाला समय ज्ञात कीजिए। बेलनाकार पाइप द्वारा 5 किमी (5000 मी) के बेग से एक घंटे में बहने वाले पानी का आयतन 22 7 7 वन 3०75 कट ०-६ 320::7+ मी क्योंकि कल - ----मी ॥ हा शह7 */४९ [क्योंकि त्रिज्या+7 सेमी पृ ] 77 मीः हु इस प्रकार, । घंटे में 77 मी ? पानी टंकी में भरेगा। क्योंकि टंकी में पानी के स्तर को 7 सेमी, अर्थात् 7 टेक रो है; ---मी ऊपर उठना है, अत: टंकी में आवश्यक पानी का आयतन ]00 पर दो 340 सी आग न ]54 मी? 388: 000 27 आदत ता, कद 90240 2702 20007 57 77000 दददे के घकक 7 ला दल ता मास ल पक 7 गणित क्योंकि 77 मी 5 पानी टंकी में । घंटे में भरता है, इसलिए 54 मी ? पानी टंकी में 228 घ३ था 2 घंटे में भरेगा। अत:, टंकी में पानी का स्तर 2 घंटे में 7 सेमी उठ जाएगा। प्रश्माघखली 4. 2 . सीसे के एक ठोस गोले, जिसकी त्रिज्या 8 सेमी है, से सेमी त्रिज्या वाली कितनी गोलियाँ बनाई जा सकती हैं? 2. सीसे के एक गोलीय खोल (502) को, जिसका बाहय व्यास 8 सेमी है, पिघलाकर पुन; एक लंबे वृत्तीय बेलन के रूप में ढाला जाता है, जिसकी ऊँचाई 8 सेमी और आधार का व्यास 2 सेमी है। खोल का आंतरिक व्यास ज्ञात कीजिए। 3. धातु के एक गोले का व्यास 6 सेमी है। उसको पिघलाकर एक तार के रूप में परिवर्तित किया गया है, जिसके अनुप्रस्थ-परिच्छेद का व्यास 0.2 सेमी है। तार की लंबाई ज्ञात कीजिए| 4. यदि एक तार के अनुप्रस्थ-परिच्छेद का व्यास 5 % कम कर दिया जाए, तो उसकी लंबाई कितने प्रतिशत बढ़ जाएगी ताकि तार का आयतन अपरिवर्तित रहे? ॥ 5. एक शंकु 8.4 सेमी ऊँचा है और उसके आधार की त्रिज्या 2.] सेमी है। उसे पिघलाकर एक गोले के रूप में ढाला जाता है। गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। 6. धातु के एक गोले की अंतः और बाहय त्रिज्याएँ क्रमशः 3 सेमी और 5 सेमी हैं। उसको पिघलाकर ]0 ि सेमी ऊँचाई वाला एक ठोस लंब वृत्तीय बेलन बनाया जाता है। बेलन के आधार का व्यास ज्ञात कीजिए। 7. सीसे के 3 सेमी व्यास वाले एक गोले को पिघलाकर तीन गोलियों में परिवर्तित किया जाता है। इनमें से दो गोलियों के व्यास ! सेमी और .5 सेमी हैं। तीसरी गोली का व्यास ज्ञात कीजिए। 8. 2 मी व्यास वाला 4 मी गहरा एक कुआँ खोदा गया है। उससे निकली हुई मिट्टी को कुएँ के चारों ओर 5 मी चौड़ाई तक समान रूप से फैलाकर एक चबूतरा बनाया गया है। चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन 9. एक कुआँ जिसका व्यास 3 मी है, [4 मी गहरा खोदा जाता है। कुएँ से निकली मिट्टी को समान रूप से 4 मी चौड़ाई तक उसके चारों ओर फैलाकर एक चबूतरा बनाया जाता है। चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। 0, 50 वृत्ताकार प्लेटों, जिसमें से प्रत्येक की त्रिज्या 7 सेमी और मोटाई न सेमी है, को एक दूसरे के ऊपर रखकर एक ठोस वृत्ताकार बेलन बनाया जाता है। इस प्रकार बने बेलन का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन ज्ञात कीजिए। ।. 5 सेमी व्यास वाला एक गोला, पानी से आंशिक भरे एक बेलनाकार बर्तन में डाला जाता है। बर्तन के आधार का व्यास 0 सेमी है। यदि गोला पूर्णतया पानी में डूबा हो, तो पानी का स्तर कितना ऊपर उठेगा? 2, एक आयताकार तालाब, जो 80 मी लंबा और 50 मी चौड़ा है, में 500 व्यक्ति एक साथ डुबकी लगाते हैं। तालाब में पानी का स्तर कितना ऊँचा उठेगा, यदि एक व्यक्ति द्वारा पानी का औसत विस्थापन 0.04 मी * हो? 3. एक अर्धगोलाकार कटोरी, जिसकी आंतरिक त्रिज्या 9 सेमी है, द्रव से भरी है। इस द्रव को बेलनाकार छोटी बोतलों में भरना है, जबकि प्रत्येक बोतल के आधार का व्यास 3 सेमी और ऊँचाई 4 सेमी है। कटोरी को खाली करने के लिए कितनी बोतलों की आवश्यकता होगी? 4, एक घन के आयतन और उस गोले के आयतन का अनुपात ज्ञात कीजिए, जो घन में ठीक समा जाता है। 5. 7 सेमी भुजा वाले एक घन में से एक बड़ा से बड़ा गोला काटा गया है। इस गोले का आयतन ज्ञात कीजिए। 6. एक शंक्वाकार फ्लास्क पानी से पूरा भरा हुआ है। फ्लास्क की आधार-द्रिज्या » और ऊँचाई # है। पानी एक बेलनाकार फ्लास्क में उडेला जाता है, जिसकी आधार-दत्रिज्या ## है। बेलनाकार फ्लास्क में पानी की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। _ 7.7 सेमी अंत: व्यास वाली वृत्तीय नली द्वारा पानी बाहर निकाला जाता है। यदि नली में पानी का बहाव 72 सेमी प्रति सेकंड हो, तो एक घंटे में कितना पानी बाहर निकाला जाता है? 8, एक वृत्तीय पाइप (नली), जिसका आंतरिक व्यास 2 सेमी है, के द्वारा पानी 0.7 मी प्रति सेकंड के वेग से एक बेलनाकार टंकी, जिसके आधार की त़िज्या 40 सेमी है, में भरा जाता है। एक घंटे में पानी का स्तर टंकी में कितना ऊँचा उठेगा? 9. 22 मी 20 मी की छत से वर्षा का जल नाली द्वारा बेलनाकार बर्तन में, जिसके आधार का व्याप् 2 मी और ऊँचाई 3.5 मी है, गिरता है। वर्षा की मात्रा सेंटीमीटरों में ज्ञात कीजिए, जबकि बर्तन पूरा भू गया हो। 20. एक आयताकार टंकी, जो 5 मी..लंबी और ] मी चौड़ी है, में उस पूरे द्रव को भरना है जिससे एक बेलनाकार टंकी पूरी भरी हुई है। बेलनाकार टंकी का अंत: व्यास 2 मी और लंबाई 5 मी है। आयताकार टंकी की बह कम से कम ऊँचाई ज्ञात कीजिए, जो इस उद्देश्य को पूरा करती हो। 24, उस बेलनाकार टंकी को गहराई ज्ञात कीजिए जिसकी त्रिज्या 28 मी है, यदि उसकी धारिता उम्र आयताकार टंकी के बराबर हो, जिसकी माप 28 मी » 6 मी » ! मी हैं। 22, एक नहर, जो 30 डेमी चौड़ी और 2 डेमी गहरी है, में पानी 0 किमी प्रति घंटे की चाल से बह रहा है। 30 मिनट में कितने क्षेत्र की सिंचाई होगी, यदि सिंचाई हेतु 8 सेमी खड़े पानी की आवश्यकता हो? 23. एक 5 मिमी व्यास वाले बेलनाकार पाइप में पानी 0 मी प्रति मिनट की चाल से बह रहा है। इससे एक शंक््वाकार बर्तन को भरने में कितना समय लगेगा, जिसके आधार का व्यास 40 सेमी और गहराई 24 सेमी है? संकेत॑ में ह 22 ] | [संकेत : एक मिनट में बाहर निकलने वाले पानी का आयतन +5 न युव४३१००० सेमी ] क्त 24. एक अर्धगोलाकार टंकी, जिसकी त्रिज्या न मी है, पानी से पूरी भरी है। वह एक पाइप से जुड़ी है जो उसको 7 लीटर प्रति सेकंड की दर से खाली करता है। टंकी को पूरा खाली करने में. कितना समय लगेगा? 4.3 संयुक्त ठोस आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन जैसा कि पहले बताया जा चुका है, दैनिक जीवन में हम बहुत सी ऐसी ठोस आकृतियों को पाते हैं जो बहुत-सी मूल ठोस आकृतियों, जैसे लंब वृत्तीय बेलन, लंब वृत्तीय शंकु, गोला, गोलार्ध, आदि के संयोजनों से बनती हैं। एक सरक॑स का तंबू, जो बेलनाकार भाग के ऊपर शंक्वाकार या गोलार्ध छत रखकर बना हो; एक खिलौना, जो गोलार्ध पर शंकु रखने से बनी आकृति के आकार का हो; एक बेलनाकार ठोस जिसके सिरों पर गोलार्ध हो, इत्यादि ठोस आकृतियों के संयोजनों के उदाहरण हैं। इस अनुच्छेद में, हम ठोस आकृतियों के संयोजनों का पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन आगे दिए उदाहरणों के अनुसार ज्ञात करेंगे भष्ठीय- क्षेत्रफल और आते... ००८८० ५ सरात लिलल बन बदल उ पान पल उप कसम पल उसपर 29] उदाहरण 8 : एक खिलौना, एक अर्धगोले पर उसी त्रिज्या का शंकु रखने से बना है। शंक््वाकार भ्षाग के आधार का व्यास 6 सेमी और ऊँचाई 4 सेमी है। खिलौने का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (;४ 3.4 प्रयोग कीजिए ) हल : अर्धगोले की त्रिज्या (जो शंकु के आधार की त्रिज्या के बराबर ह्लै) दर 6 सेमी 5 3 सेमी अब, शंकु की तिर्यक ऊँचाई ,/52, 45 सेमी - 5 सेमी खिलौने का पृष्ठीय क्षेत्रफल - शंक्वाकार भाग का चक्र पृष्ठ ई + अर्धगोले का वक्र पृष्ठ (आकृति 4,2) ॑ (7; & 3 & 5+ 2; » 30) सेमी 2 3,.4.» 3 (5 + 6) सेमी 2 - ]03.62 सेमी ? उदाहरण 9 : एक ठोस, एक बेलन तथा दो अर्धगोलाकार सिरों का बना है। यदि ठोस की संपूर्ण लंबाई 04 सेमी और प्रत्येक अर्धगोलाकार सिरे 30 की त्रिज्या 7 सेमी हो, तो एक रुपया प्रति डेमीः की दर से ठोस के पृष्ठ को पालिश करने का व्यय ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए कि बेलन की ऊँचाई # सेमी है (आकृति 4,2)। तब ह ' ॥+ 7 + 75 04 या ४5 90 ठोस का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल +2 » अर्धगोले का वक्र पृष्ठ + बेलन का वक्र पृष्ठ +२(2%22 रा «7 <7+22 प् % 7 » 90) सेमी * + (66 + 3960) सेमी * + 4576 सेमी * ह ; आकृति १4.3 ठोस के पृष्ठ को पालिश कराने का व्यय _ 4576»] ... ]00 ल्+745.76 रु उदाहरण 0 : 3.5 मी लंबे सीसे के एक पाइप (नली) का द्रव्यमान निकालिए, यदि पाहप का बाहरी व्यास 2.4 सेमी और धातु की मोटाई 2मिमी हो तथा ॥ सेमी? सीसे का द्रष्यमान !.4 ग्राम हो। हल : पाइप एक खोखला बेलन है जिसका आधार एक वृत्ताकार बलय (शा्ठ) है। बाहरी व॒ृत्त की त्रिज्या (2) + ठ्र » 2.4 सेमी 5 .2 सेमी भीतरी वृत्त की त्रिज्या /) 5 .2 सेमी - 0,2 सेमी + ] सेमी वृत्ताकार वलय का क्षेत्रफल १ (२१ -#?) पूग (२++) (रे -#) हे 2702+॥6.2 -]) सेमी 2 प ध्द » 2.2 » 0.2 सेमी - _:0% सेमी? हर 3 न्द 2 (350 सेमी * 484 सेमी ? धातु का द्र॒व्यमान 5 484 » .4 ग्रा [[ सेमी 2 सीसे का द्रव्यमान ८ .4 ग्रा] 5557.6 ग्रा 5.5]8 किग्रा (लगभग) अतः, सीसे के पाइप का द्रव्यमान लगभग 5.58 किग्रा है। धातु का आयतन पुष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन......................."०""न-न_नन--नननननननतनननननतनत?नननननननननननननननननननननननननन मनन 293 ॥ ।। : एक समकोण त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 5 सेमी और 20 सेमी हैं, को उसके कर्ण के परितः घुमाया जाता है। इस प्रकार बने हुए द्विशंकु का आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात : कीजिए। (६7:-3.4 लीजिए) हल : मान लीजिए & 230 समकोण त्रिभुज है जिसका कोण & समकोण है और उसकी भुजाओं &8 और ८ के माप क्रमशः 5 सेमी और 20 सेमी हैं (आकृति 4.4)। भुजा 80 (कर्ण) की लंबाई - ,/5?+20 सेमी 5 25 सेमी यहाँ »0 (या &”0) उस द्विशंकु, जो समकोण त्रिभुज को 80 के परितः घुमाने से बना है, के उभयनिष्ठ आधार की त्रिज्या है। शंकु 88७” की ऊँचाई 80 और तिर्यक (तिरछी) ऊँचाई ॥5 सेमी है। शंकु 0७५” की ऊँचाई (00 और उसकी तिर्यक ऊँचाई 20 सेमी है। अब, 5७.03 - ४0७3 (कोण-कोण समरूपता) ,. 20 _ 5 22 20 25 | 20 » 5 इससे प्राप्त होता है; »0 5 स् सेमी - 2 सेमी 80 [5 ह साथ ही, जद्व ्ट््् इससे मिलता है: 80+- ला सेमी - 9 सेमी आकृति 4.4 इस प्रकार, (0७0 5 25 सेमी - 9 सेमी 5 6 सेमी ह ] ] ह द्विशंकु >> | -3.]4/:2 ८9 +--»3.4):2* ८6 सेमी” अब दविशंकु का आयतन (२ 30326 70 0070 | च्ड "जा2' <(9+6) सेमी ? 5 3.]4 ५५ 200 सेमी २ + 3768 सेमी द्विशंकु का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल ८ (3.4 « 2 » 5+ 3.4 » 2 » 20) सेमी 2 <३3.]4 ४ 2 » (5 + 20) सेमी 2 < 38.8 सेमी ? ह उदाहरण 2 : एक खिलौना एक अर्धगोले पर रखे एक लंब वृत्तीय शंकु के आकार का है। शंकु की ऊँचाई 2 सेमी तथा आधार का व्यास 4 सेमी है। यदि एक लंब वृत्तीय बेलन इस ठोस के परिंगत हो, तो वह ठोस की तुलना में कितना अधिक स्थान घेरेगा? हल : मान लीजिए 8?८ अर्धगोला है और ७830 गोलार्ध पर रखा शंकु है (आकृति 4.5)। गोलार्थ (तथा शंकु) की त्रिज्या - नर » 4 सेमी 52 सेमी अब, मान लीजिए लंब वृत्तीय बेलन 776प्त ठोस के परिगत है। लंब वृत्तीय बेलन की त्रिज्या ८ प्रा? 530 5८2 सेमी बेलन की ऊँचाई ८ ७7? 5 80 + 07 ८ 2 सेमी + 2 सेमी 5 4 सेमी अब, लंब वृत्तीय बेलन का आयतन - ठोस का आयतन कि | »22“ 4 - ु »व०८27+ ् व 27 ॥ सेमी 5 आकृति 84.5 न ([677 - 8 70 सेमी * + 8 सेमी ? अतः, लंब वृत्तीय बेलन, ठोस की तुलना में 8% सेमी अधिक स्थान घेरता है। 4.4 लंब वृत्तीय शंकु का छिलक हम अपने दैनिक जीवन में बहुत-सी ऐसी ठोस आकृतियों को देखते हैं जो किसी सामान्य ठोस के भाग होती हैं। उदाहरण के लिए, एक बाल्टी या शीशे का भिलास एक लंब वृत्तीय शंकु का भाग है। ह एक लंब वृत्तीय शंकु को उसके आधार के समांतर एक तल द्वारा काटे गए अनुप्रस्थ-परिच्छेद पर विचार कीजिए [आकृति 4.60)]। अनुप्रस्थ-परिच्छेद एक वृत्त है। मान लीजिए कि शंकु को उसके आधार के समांतर एक तल द्वारा अक्ष के किसी बिंदु में से जाते हुए काटा जाता है और उस भाग को, जिसमें शीर्ष है, हटा दिया जाता है| झचा हुआ भाग [आकृति 4.6 (7) में &8700], पृष्ठीय क्षेत्रणल और आयतन 3०५११०००१००५००११००००००५३१०१००१११०००६१०००९०३० ०६४ ४००४ ४०४४ ३०३ ०१०४ ०००४४ ११११९१०१११११०१९ जो कि एक बाल्टी या शीशे के गिलास के आकार का है [आकृति 4.609)], प्रायः शंकु का छिलक (#5४/5४/४७) कहलाता है। लंब वृत्तीय शंकु के छिनक में दो असमान वृत्ताकार आधार होते हैं और एक वक्र पृष्ठ होता है। दोनों आधारों के केंद्रों को मिलाने वाले रेखाखंड 70 को छिन्नक की ऊँचाई कहते हैं। आकृति 4.6 (8 में, प्रत्येक रेखाखंड छा) या ७९! को उसकी तियक (िरछी) ऊँचाई कहते हैं। स्पष्टत:, छिन्नक की ऊँचाई शंकुओं 0५88 और 000 की ऊँचाइयों के अंतर के बराबर है। इसी आ छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई शंकुओं 008 और 0009 की तिर्यक ऊँचाइयों के अंतर के बराबर है। (6) तो) (भी) आकृत्ति 44.6 4,5 लंब वृत्तीय शंकु के छिन्नक का आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल मान लीजिए # ऊँचाई, / तिर्यक ऊँचाई और #, तथा #, (७, >#,) शंकु के छिन्तक के आधार की त्रिज्याएँ हैं (आकृति 4.7)। हम शंक्वाकार भाग 009 को पूरा करते हैं। लंब वृत्तीय शंक्ु हा छिनक को हम दो लंब वृत्तीय शंकुओं 0५8 और 0009 के अंतर के रूप में देख सकते | मान लीजिए शंकु 058 की ऊँचाई #| और उसकी तिर्यक ऊँचाई 7 है, अर्थात् 005#, और 0508 -5॥ है। तब, शंकु 0000 की ऊंचाई ८ #-# क्योंकि समकोण त्रिभुज 0070 और 078 समरूप हैं (कोण-कोण समरूपता), अत: हम प्राप्त करते हैं : ॥[- है _ 72 / | | /: # -+/: , हद क-न रे “| इससे प्राप्त है: के ५, क्र /7८ या मच कल 7 आफृत्ति 4.7 ८ अब, शंकु 020 की ऊँचाई 7/०- 7 /7# १0 __/72 8 ०72 2, शंकु के छिन्नक का आयतन > शंकु 088 का आयतन - शंकु 000) का आयतन ] ] ह सर व र ह व ॥-%) 5 _ग 282: गर्म _ ४, 7; और 40406: ॥-२२ ४-7५ [() (2) से] ग्पा हे के . 3६ 8४-7४ ] ब् 77 (४४ + ४१2 + 7३ ) ] छिनतक का आयतन दर (हँ + है + 77 ) पृष्ठीय क्षेत्रफल आर आयतंत 5.8 00078 22 नेक कै ८ हद 72 20260 गए 72/07/2777 270 297 टिप्पणी : यदि ७, और &, (७, > #.) दोनों वृत्ताकार आधारों के क्षेत्रफल हों, तो 2. ता 777 और 2 ता 77.7 अतः, शंकु के छिन््नक का आयतन छ् दर (सा नाण्ड कण ग्फ्ँ ४० ] ह जिसे नीचे दिए गए रूप में भी लिख सकते हैं : 4 0+8५+वि+:) अब, ७ 0958 से, ( जय बी क-5) क्योंकि ५000) - ७078, अतः हमें प्राप्त होता हैः ॥-7 _ ४2 ग् हि इससे होता है [5८ ली इससे प्राप्त होता है: जद लात] (3) फ हे (+ैं ८ --+ नं का .. #॥-४॥ ्ट रा | :772 (4) अत;, शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल न ॥% 7 -॥72([, - /) | ७ त्त > -777; - 7 [(3) और (4) से] | ही कह 200... क्र 5 | ४ ४ 7० ० [> सतत जअर ॥ 727(&+४% ) पी+तफ ५ मं ल्री | १.2 || | +34| है - 224] -४| ऊुी 23| ॥ न सा ् 4| 2५ ॥ गा न ध्णा प्र ल्ण्टूट स्किः '. छिननक का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल - 7४ (# + #,) + 77, + 77.2 किसी धातु की चादर से बना एक बर्तन एक शंकु के छिन्नक के आकार का है, जिसकी ऊँचाई 6 सेमी तथा निचले और ऊपरी सिरों की त्रिज्याएँ क्रमशः 8 सेमी और 20 सेमी हैं। 5 रु प्रति लीटर की दर से पूरे बर्तन में भरे दूध का मूल्य ज्ञात कीजिए। बर्तन बनाने में प्रयोग धातु की चादर का मूल्य भी ज्ञात कीजिए, यदि चादर का मूल्य 5₹ु प्रति 00 सेमीः हो। (7: 5 3.4 प्रयोग कीजिए ) बर्तन एक शंकु का छिन्नक है, जिसकी ऊँचाई 6 सेमी और आधारों की त्रिज्याएँ 20 सेमी और 8 सेमी हैं। इस प्रकार, #- 6 सेमी, , 5 20 सेमी, », 5 8 सेमी है। इसकी तिर्यक ऊँचाई ! + 46? + 20-8) सेमी बक्षियाएओं - 20 सेमी अब बर्तन का आयतन>- 3.]4 » न * (202 + 82+ 20 » 8) सेमी ? || +3,[4 १ ह् ४ 624 सेमी ? 3.]4 « 6 » 208 सेमी * ]0449.92 सेमी ? 5 0.45 लीटर (लगभग) इसलिए, दूध की मात्रा 5 0.45 लीटर इसलिए, दूध का मूल्य - (0.45 « 5) र +56.75 रु ऊपर के सिरे को छोड़कर बर्तन का संपूर्ण पृष्ठ [3.4 & 20 » (8+ 20) +3.4 * 82] सेमी ? पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन + (3.4 & 20 » 28 + 3.4 » 64) सेमी 2 + 959.36 सेमी 2 । 959.36:5 प्रयोग की गई चादर का मूल्य बज > 97.97 रु (लगभग) , किसी सर्कस के तम्बू का निचला भाग बेलनाकार है और उसका ऊपरी भाग समान आधार का शंकु है। बेलनाकार आधार की त्रिज्या 20 मी है। बेलनाकार और शंक्वाकार भागों की ऊँचाइयाँ क्रमश: 4.2 मी एवं 2.] मी हैं। तम्बू का आयतन ज्ञात कीजिए। 2, एक 8.25 मी ऊँचा तम्बू 30 मी व्यास वाले आधार तथा 5.5 मी ऊँचाई वाले बेलन पर समान आधार के शंकु को जोड़कर बनाया गया है। 45 रु प्रति वर्ग मी की दर से तम्बू में लगे कपड़े (कैनवास) का मूल्य ज्ञात कौजिए। 3. एक लंब वृत्तीय बेलन के सिरे गोलार्ध हैं। उसका आयतन ज्ञात कीजिए जबकि उसकी संपूर्ण लंबाई 2.7 मी और प्रत्येक अर्धगोलाकार सिरे का व्यास 0.7 मी है। 4. लोहे का एक खंभा 0 सेमी ऊँचे तथा 2 सेमी व्यास के एक बेलनाकार भाग पर 9 सेमी ऊँचा शंकु रखने से बना है। खंभे का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यदि ] घन सेमी लोहे का द्रव्यमान 8 ग्राम होता है। 355 (८ हक प्रयोग कौजिए ) 5, पेट्रोल की एक बेलनाकार टंकी के आधार का व्यास 2 सेमी और लंबाई 8 सेमी है। वह शंक्वाकार सिरों से जुड़ी है, जिनमें से प्रत्येक की अक्ष लंबाई 9 सेमी है। टंकी की धारिता ज्ञात कीजिए। 6, एक तम्बू, 20 मी व्यास वाले आधार तथा 2.5 मी की ऊँचाई वाले बेलन और उसके ऊपर समान आधार के 7.5 मी ऊँचे शंकु को जोड़कर बनाया गया है। तम्बू का आयतन तथा 00 रु प्रति वर्ग मीटर की दर से इसमें प्रयोग किए गए कपडे का मूल्य ज्ञात कौजिए। 7. एक भवन का आंतरिक भाग ]2 मी त्रिज्या वाले आधार तथा 3.5 मी ऊँचाई वाले बेलन और उसके ऊपर व द्ः ] ह््् ृ छ> 3. 4. . एक गोदाम का आकार आकृति 4,8 के अनुसार है। गोदाम ॥/7) 44 ५ समान आधार के 2.5 मी तिर्यक ऊँचाई वाले शंकु के संयोजन से बनाया गया है। भवन का आंतरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन ज्ञात कीजिए। . एक बॉयलर (9००) बेलनाकार है जिसकी लंबाई 2 मी है और उसके प्रत्येक सिरे पर 2 मी व्यास का एक गोलार्ध है। बॉयलर का आयतन ज्ञात कीजिए। . एक बर्तन एक खोखले बेलन के रूप में है जिसकी पेंदी उसी के आधार पर बना एक गोलार्ध है। बेलन की गहराई 4 7 मी है और गोलार्ध-का व्यास 3.5 मी है। उस बर्तन का आयतन और आंतरिक पृष्ठ ज्ञात कीजिए ह , एक समकोणं त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 3 सेमी और 4 सेमी हैं, को उसके कर्ण के परितः घुमाया जाता है। इस प्रकार बने दूविशंकु का आयतन ज्ञात कीजिए। की चौड़ाई की ओर का ऊर्ध्वाधर अनुप्रस्थ-परिच्छेद |+« 0 ॥। £ /॥// 7 मी » 3 मी माप का एक आयत है जिसके ऊपर 3.5 मी ना त्रिज्या का अर्धवृत्त है। घनाभ के आकार वाले भाग की 30227. मो हर 36 कट आंतरिक माप 0 मी 7 मी » 3 मी हैं। गोदाम का आयतन फडट्फि-! 7 और उसके फर्श को छोड़कर संपूर्ण आंतरिक पृष्ठ ज्ञात आकृति 4.8 कीजिए] . एक ठोस लंब वृत्तीय बेलन, जिसकी ऊँचाई 0 सेमी और आधार की त्रिज्या 6 सेमी है, से उसी ऊँचाई और उसी आधार का एक लंब वृत्तीय शंकु काटकर हटा दिया जाता है। शेष ठोस का आयतन ज्ञात कौजिए| 4 सेमी व्यास और 42 सेमी ऊँचाई का एक बेलनाकार बर्तन उसी आकार के 6 सेमी व्यास और 42 सेमी ऊँचाई के बर्तन में डालकर सममित रूप से (3ञग्र7०77०७!५) स्थिर किया गया है। दोनों बर्तनों के बीच के स्थान को ऊष्मा-रोधन हेतु कॉर्क के बुरादे से भर दिया गया है। इसके लिए कितने घन सेमी कॉर्क के बुरादे की आवश्यकता होगी?. लोहे के बने एक बेलनाकार सड़क-रोलर की लंबाई ] मी है। उसका अंत; व्यास 54 सेमी है और लोहे की चादर, जो सड़क-रोलर को बनाने में उपयोग की गई है, की मोटाई 9 सेमी है। रोलर का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यदि | सेमी लोहे का द्रव्यमान 7.8 ग्राम हो। 60 5 3.4 लीजिए) पद क्षेफल और आयतन,...२५ कलर ३० कल समीप पलपेप 5८4 त ४ लक पक 5 मे कान मय पल कल मर कपपले पद 30] [5 यदि 45 सेमी ऊँची एक बाल्टी के सिरों की त्रिज्याएँ 28 सेमी और 7 सेमी हों, तो उसकी धारिता और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कौजिए। 6. एक शंकु की ऊँचाई 30 सेमी है। उसके शिखर की ओर से एक छोटा शंकु उसके आधार के समांतर एक तल दवारा काटा गया है। यदि छोटे शंकु का आयतन दिए हुए शंकु के आयतन का न हो, तो आधार से कितनी ऊँचाई पर उसे काटा गया है? 7. एक खोखले शंकु को उसके आधार के समांतर एक तल से काटा जाता है और उसका ऊपरी भाग हटा दिया जाता है। यदि शेष भाग का बक्र पृष्ठ संपूर्ण शंकु के वक्र पृष्ठ का प्र हो, तो तल के द्वारा काटे गए शंकु की ऊँचाई के दो भागों में अनुपात ज्ञात कीजिए। [संकेत : काटे गए ऊपरी भाग (शंकु) का बक्र पृष्ठ, संपूर्ण शंकु के बक्र पृष्ठ का डर है। ] 5,] भूमिका पिछली कक्षाओं में, आपने सांख्यिको को कुछ मूलभूत संकल्पनाओं का अध्ययन किया है। याद कीजिए कि साधारण भाषा में शब्द सांख्यिकी का उपयोग आऑकड़ों या संख्यात्मक प्रकथनों के लिए किया जाता है। किंतु वह विज्ञान, जो कि संख्यात्मक आँकडों के संग्रह, प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण में उपयोगी विधियों एवं तकनीकों का अध्ययन करता है और उन पर आधारित निष्कर्ष निकालत है, भी सांख्यिकी कहलाता है। इस प्रकार, सांख्यिकी शब्द का उपयोग दो अर्थों में किया जाता है ; (0) ऑँकड़ों के अर्थ में और (7) एक विज्ञान के अर्थ में इस अध्याय में, हम पाई चार्ट (26 ०0४) के उपयोग द्वारा संख्यात्मक आँकड़ों के चित्रमय निरूपण, वर्गीकृत आँकड़ों का माध्य एवं अनिश्चितता के माप के रूप में प्रायिकता की मूलभूत संकल्पना का अध्ययन करेंगे। 5.2 सांख्यिकीय आँकड़ों का चित्रमय निरूपण किसी भी अन्वेषण में प्रथम कार्य आँकड़ों को संकलित करने का होता है। इसे एक निश्चित उद्देश्य को ध्यान में रखकर, एक क्रमबद्ध योजना के अनुसार क्रियान्वित करना चाहिए। किसी अन्वेषण के दौरान जो प्राथमिक आँकड़े संग्रहित किए जाते हैं, वे सरलता से समझने योग्य नहीं होते। इसलिए विद्वतापूर्ण निर्णय लेने हेतु उनका उचित वर्गाकरण (2%णजुं)027०४) आवश्यक होता है। इस ध्येय को ध्यान में रखकर प्राथमिक आँकड़ों को चर के मान के अनुसार वर्गों की सुविधाजनक संख्या में बाँय जाता है, तथा प्रत्येक वर्ग में उसकी बारंबारता को ज्ञात किया जाता है। आँकड़ों का संकलन एवं वर्गीकरण उनके प्रस्तुतीकरण की समस्या को जन्म देता है। आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण का अर्थ होता है कि उनका एक ऐसे स्पष्ट एवं आकर्षक रूप में प्रदर्शन जिससे कि वे सरलता से समझे जाएँ एवं विश्लेषित किए जा सकें। आँकड़ों को प्रस्तुत करने के सामान्यतः निम्नलिखित दो रूप उपयोग में लाए जाते हैं ; () सारणी (90]68) (7) आलेख (3०कृ।5 या [)8शश्ा।8) आप बारबारता बटन सारणी (#2बर४८9 ब्रा 90४०४ 7227८) की रचना से परिचित हैं। बहुधा आँकड़ों को चित्रों दूवारा निरूपित करने पर हमें श्रेष्ठतर संदर्श प्राप्त होते हैं। एक आलेख दत्त आँकड़ों का चित्रीय निरूपण करता है। इन आलेखों को कभी-कभी चार्ट या आरेख (दांव&/८ा8) भी कहा जाता है। सामान्यतः सांख्यिकीय आँकड़ों को निरूपित करने के लिए निम्नलिखित प्रकार के आलेखों या आरेखों का उपयोग किया जाता है : () आयतचित्र (परा50टछ्टाक्ा)) (07) बारंबारता बहुभुज ([॥6०४०४०७ ७०४९०) (8) बारंबारता वक्र (76पप००४०ए ०पराए०)... (९) दंड आरेख (87 0/9हाभा) (०) चित्रालेख (2007० हक) (श) पाई चार्ट (26 ८४०४) या वृत्तीय आरेख ((आएगोआ 0992/977) निम्न अनुच्छेद में, हम केवल पाई्ड चार्ट (४८ ८४८४४) का अध्ययन करेंगे। 5,3 पाई चार्ट पाई चार्ट एक वृत्तीय आरेख है (आकृति 5.)। जब किसी भाग की तुलना अन्य अबयवों या संपूर्ण से करनी हो, तब पाई चार्ट का उपयोग किया जाता है। अवयवों के सापेक्ष मान वृत्त के त्रिज्यखंडों (3०००७) से निरूपित किए जाते हैं। चूंकि त्रिज्रखंड एक पाई की फाँकों के समान हैं, अत: इसे पाई चार्ट (या पाई आरेख) कहते हैं। इसकी रचना करने के लिए हम इस तथ्य का उपयोग करते हैं कि दत्त मानों का कुल योग एक वृत्तीय चाप में स्थित कुल अंशों की संख्या, अर्थात् 360' से संगति करता है। तब वृत्त को भिन्न त्रिज्यखंडों में विभाजित किया जाता है, जो कि आँकडों के अवयवों के सापेक्ष मापों (मानों) को निरूपित करते हैं। वृत्त के केंद्र पर बने संपूर्ण कोण को निर्दिष्ट अनुपातों में विभाजित करने से यह संभव होता है। पाई चार्ट की रचना को हम उदाहरणों की सहायता से समझाएँगे। उदाहरण | ; पाठशाला के एक बालक द्वारा किसी कार्यकारी दिन में विभिन्न गतिविधियों में व्यतीत किए गए घंटों की संख्या निम्नलिखित है: है ७ ७७०७ ७७. 9७ ०.०, ७५७, आकृति 5. निद्रा पाठशाला गृहकार्य खेल अन्य इन आँकडों को एक याई चार्ट के रूप में प्रस्तुत कौजिए। ७०००३०००३००००००००४०००१४ ०४४० ०००४००००००३३००००००५०३१५००००४००३० +*०+००००१३३०५००५००००१ ०००१ ०००००६ हल : एक दिन के 24 घंटों में से विभिन्न गतिविधियों में व्यतीत किए गए घंटों को 360' के अवयबों में विभाजित किया जाता है। चूंकि निद्रा की समयावधि 8 घंटे है, अतः इसे या 360" -20” निरूपित करना चाहिए। इसलिए निद्रा के घंटों को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंड का केंद्रीय कोण 20" होना चाहिए। इसी प्रकार, अन्य गतिविधियों को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंडों के द्वारा अंतरित कोणों के अंश मापों का निम्नानुसार परिकलन किया जाता है ; सारणी 45.] निद्रा पाठशाला गृहकार्य अब हम एक सुविधाजनक त्रिज्या का वृत्त खींचते हैं। 20" के केंद्रीय कोण वाले एक त्रिज्यखंड को निद्रा में व्यतीत किए - गए घंटों का समय निरूपित करने के लिए नियत किया जाता है। इसी प्रकार, अन्य गतिविधियों में व्यतीत किए गए समय को निरूपित करने वाले त़िज्यखंडों को, मान लीजिए, दक्षिणावर्त (०००६८छजां5७) दिशा में चिह्नित किया जाता है। विभिन्न त्रिज्यखंडों की परिशुद्ध रचना हेतु चाँदे का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न प्रिज्यखंडों में भिन्न-भिन्न डिजाइनों की रचना की जाती है, जेसा गतिविधि /“ अवधि केंद्रीय कोण का * चअंटों में _ , 360" -]20' 24 हक 360" <05) 24 रा 360" - 60" 24 2 360" <- 307 24 »360" - 457 24 कि आकृति 5.2 में दर्शाया गया है। भिन्न गतिविधियों के ज्ञात घंटों को पाईं चार्ट की आकृति के निकट दर्शाया जाता है। उदाहरण 2 : किसी महाविद्यालय के विभिन्न संकायों में प्रवेश पाए विद्यार्थियों की संख्या निम्नानुसार है क्काब विद्यार्थियों | 000 .[4200 | 650 450 300 3600 की संख्या उपर्युक्त आँकड़ों को निरूपित करते हुए एक पाई चार्ट खींचिए। हल: सारणी 5.2 में प्रत्येक संकाय का भाग 360"के अवयव के रूप में दर्शाया गया है ; सारणी ॥5,2 पाई चार्ट की रचना उपर्युक्त मानों पर आधारित है। हम एक सुविधाजनक त्रिज्या का वृत्त . खींचते हैं। सर्वप्रथम हमने 00" केंद्रीय कोण वाले एक त्रिज्यखंड को नियत किया है, जो कि विज्ञान संकाय के भाग को दर्शाता है। इसी प्रकार, अन्य संकायों को दर्शाने वाले त्रिज्यखंड चिह्नित . किए गए हैं (आकृति 5.3)। । आकृत्ति 5.3 ह उदाहरण ३ ; आकृति 5.4 में दिए गए पाई चार्ट में किसी महानगर में एक फ्लैट के निर्माण में होने वाले भिन्न मदों के व्यय दर्शाएं गए हैं। पाई चार्ट का अध्ययन करके भिन् मदों पर होने वाले प्रतिशत व्यय ज्ञात कीजिए। यदि फ्लैट का मूल्य 5,40,000 रु हो, तो निम्न को ज्ञात कीजिए ; (0) स्टील एवं सीमेंट पर हुआ अलग-अलग व्यय। ९; () लकड़ी और ईंटों पर हुए व्ययों का अंतर। आकृति 5.4 हल : पाई चार्ट के भिन्न अवयवों को 360" के प्रतिशत मूल्यों में परिवर्तित किया गया है, जिन्हें निम्न सारणी 5.3 में दर्शाया गया है : सारणी 8,3 360? का अवयवब इस प्रकार, मजदूरी, सीमेंट, ईंट, स्टील और लकडी पर प्रतिशत व्यय क्रमशः 250 25 25 2० और 35 हैं। 9. 6 9 2 () स्टील पर हुआ व्यय (प्रतिशत के भाग का उपयोग करके) + 2 ५ -. ४ 540000 रु 2. ]00 + 67500 रु और सीमेंट पर हुआ व्यय स्25 . ॥ न्_ []2500 रु () हमें लकड़ी और ईंटों पर हुए व्ययों का केवल अंतर ज्ञात करना है। लकड़ी और ईंटों को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंडों के केंद्रीय कोणों का अंतर है : 90-50 > 40 इसलिए व्ययों का वांछित अंतर कक ० > 540000 रु 360 न 60000 रु टिप्पणी : ऐसी स्थितियों में, संगत केंद्रीय कोणों के उपयोग या उनके संगत प्रतिशत भागों के उपयोग द्वारा परिकलन किया जा सकता है। उद्ाहग्ण 4 : एक विद्यार्थी के किसी परीक्षा में अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित के प्राप्तांक आसन पाई चार्ट (आकृति 5.5) में दर्शाएं गए हैं। यदि विद्यार्थी के प्राप्तांकों का कुल योग 540 हो, तो निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : () किस विषय में विद्यार्थी को 05 अंक प्राप्त हुए? (0) विद्यार्थी को गणित में हिंदी से कितने अधिक अंक प्राप्त हुए? ह टी॥705 7 पर धरा पा है हरी" . आकृति 5.5 (0) जाँच कीजिए कि क्या सामाजिक विज्ञान एवं गणित के प्राप्तांकों का योग विज्ञान एवं हिंदी के प्राप्तांकों के योग से अधिक है। ता (0) प्राप्तांकों के योग 540 के लिए, केंद्रीय कोण - 360' 05 प्राप्तांकों के लिए केंद्रीय कोण - . चूंकि हिंदी को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंड का केंद्रीय कोण 70 है, अतः विद्यार्थी को हिंदी में 05 अंक प्राप्त हुए। (४) गणित एवं हिंदी को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंडों के केंद्रीय कोणों का अंतर है; +90-70 >20' ». इसके संगत प्राप्तांकों का अंतर - -20_,540-30 360 %05:- 70? अत:, विद्यार्थी को गणित में हिंदी से 30 अंक अधिक प्राप्त हुए। (0) सामाजिक विज्ञान एवं गणित को निरूपित करने वाले ज़िज्यखंडों के केंद्रीय कोणों का योग ॒ + 65" + 90 55 इसी प्रकार, विज्ञान एवं हिंदी को निरूपित करने वाले त्रिज्यखंडों के केंद्रीय कोणों का योग + 807 + 70" - 500 चूंकि 55.> 50' है, अत: सामाजिक विज्ञान एवं गणित में प्राप्त अंकों का योग विज्ञान एवं हिंदी में प्राप्त अंकों के योग से अधिक है। प्रश्मावली 5.] . किसी छात्रावास में विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले छात्रों की संख्या निम्नलिखित है। इन आँकड़ों को एक पाई चार्ट में प्रस्तुत कीजिए। 2, आसन पाई चार्ट (आकृति 5.6) में, एक परिवार के विभिन्न मदों में हुए व्यय दर्शाएं गए हैं। पाई चार्ट का अध्ययन कर भिन्न मदों में हुआ प्रतिशत व्यय ज्ञात कौजिए। ५ कम का | ४ 4, बेकरी की एक दुकान पर एक दिन में विभिन्न मदों (5 ४0 में हुई बिक्री (रुपयों में) निम्नानुसार है : ५ पर साधारण डबलरोटी: 260 रु ह फल-डबलरोटी : 40 रु ला मम केक एवं पेस्ट्री : 00 रु ह ह आकृति 5.6 बिस्कुट * 60 रु अन्य : 20 रु उपर्युक्त बिक्री को निरूपित करने वाला एक पाई चार्ट खींचिए। 4. पाठशाला नेतृत्व के लिए चुनाव में भाग लेने वाले चार विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त वैध मतों की संख्या संलग्न पाई चार्ट (आकृति 5.7) में निरूपित की गई है। वैध मतों की कुल संख्या 720 थी। पाई चार्ट का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए. : () चुनाव में कौन विजयी रहा? (9) किसी उम्मीदवार के दूवार प्राप्त न्यूनतम मतों की संख्या क्या है? (7) विजयी उम्मीदवार ने अपने निकट्तम प्रतिद्वंदी को कितने मतों से हराया? आकृति 5.7 5. निम्नलिखित सारणी 5.4 में, एक राज्य के विभिन्न वर्गों के श्रमिकों के प्रतिशत दिए गए हैं। इन आँकडों को एक पाई चार्ट के रूप में प्रस्तुत कीजिए। सारणा 5,4 किसान खेतिहर श्रमिक ओद्योगिक श्रमिक वाणिज्यिक श्रमिक अन्य 6. जुलाई, 2002 के माह में एक व्यक्ति ने अपने मासिक वेतन के 7200 रु विभिन्न मर्दों में निम्नानुसार व्यय किए : मद व्यय 4000 200 400 (रुपयों में ) इन आँकड़ों को एक पाई चार्ट के रूप में निरूपित कीजिए॥। 7. एक याठशाला प्रबंध समिति ने एक केलेंडर वर्ष में विभिन्न खेलों पर जो राशि व्यय की, वह संलग्न पाई चार्ट (आकृति 5.8) में दर्शाई गए है। यदि फुटबाल पर 9000 रु की राशि व्यय की गई हो, तो निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 6) खेलों पर कुल कितनी राशि व्यय की गई? (0) हॉकी पर फुटबाल से कितनी अधिक राशि व्यय की गई? (ध) क्रिकेट पर कितनी राशि व्यय की गई? ४ . 8. एक विशेष जनपद के किसी गाँव में कृषि उत्पादन के हर “ विभिन्न मदों के प्रतिशत निम्नानुसार हैं। इन आँकड़ों का आकृति 5.8 निरूपण एक पाई चार्ट द्वारा कीजिए। | मद सब्जियाँ | योग 4235 ]2 [5.4 अाधाएा आकर्यी का भाष्य याद या कि किसी चर > के मानों »,, »७...., », के माध्य को 5 से दर्शाया जाता है और उसका मान है: . _ &+ 22 +...-+ २८, पिजनि-5सनकक रा ८ हा (सूत्र 7) [& योग &+29+--+», की प्रतीक 2 से दर्शाया जाता है। उद्दाहरण ४ : किसी महाविद्यालय के दस विद्यार्थियों के प्रतिदिन के जेब खर्च (रुपयों में) क्रमशः निम्नलिखित हैं 26, 27, 20, 29, 2।, 23, 25, 30, 28, 2 माध्य प्रतिदिन जेब खर्च ज्ञात कीजिए। | दी ]7 हल; माध्य ८ #5८--2०, (350 ] ः [26+27+20+29+2]+23+25+30+28+2]] ] प््क्कट सः2 गा [250|5 25 अत:, माध्य प्रतिदिन जेब खर्च 25 रु है। टिप्पणी : इसे ध्यान में रखना चाहिए कि माप की इकाई को भी, जिसमें चर को मापा गया है (यहाँ रुपए) माध्य के मान के साथ देना चाहिए। 5.5 अवर्गीकृत आऑँकड़ों का माध्य याद कीजिए कि यदि यथाप्राप्त आँकड़ों में # प्रेक्षणों के केवल £ अलग-अलग मान हों, जिन्हें », 2७,-०»५ से दर्शाया गया हो और जिनकी बारंबारताएँ क्रमशः /, /;,...... हों, तब आँकड़ों को निम्नलिखित बारंबारता सारणी के रूप 'में रखा जा सकता है सारणी 5.5. | हेड हट पे बड़ दे |5॥ । 24 | रा (कल 7) च्छ 4 ५ जहाँ #> »-/ कुल बारंबारता को प्रकट करता है। . उदाहरण ७ : निम्नलिखित आँकडे 40 विद्यार्थियों की कक्षा में किसी विशेष आयु के विद्यार्थियों की संख्या दर्शाते हैं। विद्यार्थियों की माध्य आयु का परिकलन कीजिए। आयु ( वर्षो में ) 3 [5 छह ' हल : द॒त्त आँकड़ों को निम्नलिखित सारणी के रूप में दर्शाया जा सकता है; सारणी 5.6 5,6 माध्य के परिकलन की कल्पित माध्य विधि यदि ४; के मान परिमाण में बहुत अधिक हों, तो माध्य ऋ& का परिकलन करने में अधिक श्रम लगता है व अधिक समय भी। हम एक संक्षिप्त विधि खोजने की आकांक्षा रखते हैं। यहाँ हम एक स्वेच्छ अचर (बर्थ) ००ाशंभ्ा) ७ लेते हैं, जिसे कल्पित माध्य (655४0०८7४०८७) भी कहते हैं, और इसे प्रत्येक मान 2 में से घटाते जाते हैं। घटाने पर प्राप्त मान 6/5 2८-००, को ८ से ५ का विचलन (४७७४४४४00) कहते हैं। इस प्रकार, तत्व व, एवं 2 > ईद +/(4' दोनों पक्षों का ; पर से #तक योग करने पर 235०० /+ 2.०6; (0 । ्न्गं हि ः [4 इसलिए, ह हे, धर + 0, + >74, स्व | 4+-9,74,. (चूंकि 2,75४) (सूत्र गा) आप देखेंगे कि अनेक स्थितियों में सूत्र तर की अपेक्षा सूत्र [्॒र का उपयोग करना अधिक सुविधाजनक होता है। टिप्पणी : किसी भी संख्या को कल्पित माध्य “४! माना जा सकता है, लेकिन सामान्यत: हम “८ को » के सभी मानों के बीच का कोई मान लेते हैं। उदाहरण 7 : निम्नलिखित बारंबारता बंटन से, जो कि सारणी 5.7 में दिया है, पौधों की माध्य ऊँचाई का परिकलन दोनों, प्रत्यक्ष एवं कल्पित माध्य विधियों से कीजिए 2 00 मरम्मत मम हल तय मम मम कर गणित मझारणी 5.7 ऊँचाई (सेमी में ) (८)| पौधों की संख्या (|) 5 हल ; माध्य का परिकलन निम्नलिखित सारणी 5.8 में दर्शाया है: झारणी 5,8 (0) प्रत्यक्ष विधि से (सूत्र | का उपयोग करके) ; >_] रू... 60745 _ कर गत कल 67.45 सेमी (॥) कल्पित माध्य विधि से (सूत्र तर का उपयोग करके): दिए हुए पाँच मानों में से मध्य के ६567 को कल्पित माध्य लेने पर, ह-२४+-- » (4, 567+-775 67.45 सेमी ..._ इस प्रकार, हमने देखा कि प्रत्यक्ष विधि द्वारा परिकलन लंबा होता है, जबकि कल्पित माध्य विधि अधिक सुविधाजनक है तथा इससे श्रम एवं समय दोनों की बचत होती है। 2वाएरण 8 : सांख्यिकी की एक परीक्षा में 00 विद्यार्थियों के 50 में से प्राप्त अंक सारणी 5.9 में दिए गए. हैं। विद्यार्थियों के प्राप्तांकों का माध्य ज्ञात कीजिए। सारणी 5,9 हल : चूंकि मध्य में दो मान 24 एवं 25 स्थित हैं, इसलिए हम इन दोनों में से किसी को भी कल्पित माध्य मान सकते हैं। मान लीजिए ८5८ 25 है। हम निम्न सारणी बनाते हैं: सारणी 5.0 [____छिलका[__! इसलिए कल्पित माध्य विधि से, +-- 2 १4' ल् 25 + है - 25 + 0.77 ]00 - 25.77 अंक [8.7 गाध्य के पर्किलन की पढ-बिचलन विधि कल्पित माध्य विधि में हमने विचलन ४,->,-०, के मान निकाले थे जहाँ ८ कल्पित माध्य था। कभी-कभी सभी विचलन ८, एक सार्व संख्या # (मान लीजिए) से विभाज्य होते हैं। तब हम पंरिकलनों को अधिक सरल बना सकते हैं। इसके लिए हम है बल कर या »४| 5 ध+ंप व ध्ल | 2225.5 7५ रखते हैं । तब सूत्र ॥ का उपयोग करने पर कऋू-9 श +72./॥(७+#४५) मन ॥<,. ,]। ह रा +--43 _+ 8-०३ //2५ ह (5 ॥ है हद ः ह न ध+#प्र, (सूत्र 7७) डे _ [<< जहा प्र त- 0774 ह पेंचों के सिरों के माध्य व्यास का परिकलन कीजिए। हल: आइए हम कल्पित माध्य ८540 लें। चूंकि इस उदाहरण में &, के मानों के बीच समान अंतर है, इसलिए हम #-3 लेते हैं और पद-विचलन विधि (#०% बंहगंद[०४ 7#2४४०व) से माध्य का परिकलन करने के लिए निम्नलिखित सारणी 5. बनाते हैं सारणी 5.॥] ६ २२०- ४, 7-7 5 0.2 अब पु थी का (लगभग) इसलिए, सूत्र ५ से, ८ +आप्र 5८ 40+39% 0.2 + 40.6 मिमी इस प्रकार, अभीष्ट माध्य व्यास 40.6 मिमी है। 5.8 वर्गीकृत आँकड़ों का माध्य कक्षा [| में, आपने वर्गीकृत आँकड़ों की बारंबारता बंटन सारणी के संबंध में पढ़ा ही है, जिसमें अनेक वर्ग अंतरालों एवं उनकी बारंबारताओं का समावेश होता है। इस अनुच्छेद में, हम ऐसे ही आँकड़ों के माध्य के परिकलन का अध्ययन करेंगे। यहाँ आँकड़े एक बारंबारता बंटन में प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसमें प्रत्येक वर्ग अंतराल में चर के एक या. अनेक मान होते हैं (यह आवश्यक नहीं है कि सभी वर्गों के वर्ग माप समान ही हों)। प्रत्येक वर्ग-अंतराल की अपनी बारंबारता होती है। ऐसी सारणी में अलग-अलग मान अपनी पहचान खो देते हैं। हम यह मान लेते हैं कि किसी विशेष वर्ग-अंतराल के सभी मान वर्ग-अंतराल के मध्य-बिंदु (या वर्ग-चिहन) के तुल्य हैं। यदि बारंबारता बंटन सारणी में #वर्ग-अंतराल हों, तो मध्य-बिंदुओं को ४, »2,..., &५ से प्रकट किया जाता है। यहाँ पर भी माध्य का परिकलन अवर्गीकृत. आँकड़ों के लिए वर्णित किसी भी सूत्र के अनुप्रयोग द्वारा किया जाता है। इसलिए वर्गकृत आँकड़ों के माध्य का परिकलन करने के लिए भी तीन विधियाँ हैं । (0) प्रत्यक्ष विधि ()72० (९४४०१) (7) कल्पित माध्य विधि (855प्रा720 ॥(९०थव )(०(॥००) (0) पद-विचलन विधि (869-06ए800णा (०४००) . अब हम कुछ उदाहरणों द्वारा इन विधियों का उपयोग दर्शाएँगे। उदाहरण 0 : निम्नलिखित आँकड़ों से किसी कक्षा के विद्यार्थियों की परीक्षा के प्राप्तांकों के माध्य का परिकलन तीनों विधियों द्वारा कीजिए 0-0| 0-20| 20-30| 30-40 | 40-50 50-60| योग विद्याथियों | |2 | 48 | 27 | 20 | ॥7 00 | की संख्या हल ; सारणी 5,2 अंक | बिदयार्थियों की संख्या (/) | मध्य-बिंदु (८) [2 5 ]8 5 25 35 45 6 है 2 इसलिए माध्य £४- ग जल तक ५2800 -28 अंक (सूत्र तर दवारा) -. (2) कल्पित माध्य विधि : हम ४5-25 लेते हैं। सारणी 45,3 अंक | विदयाधियों की संख्या| मध्य-बिंदु इसलिए, कल्पित माध्य विधि (सूत्र गा) से, >_.,.] 8 _9«, 300 _ कह 3 जज गत आज -> 28 अंक (3) पद-विचलन विधि : चूंकि वर्ग अंतराल समान माप के हैं, यहाँ पद-विचलन विधि का उपयोग करना सर्वाधिक सुविधाजनक होगा। हम 6525 एवं #-॥0 लेते हैं। सारणी 5.4 इसलिए पद-विचलन विधि (सूत्र 9) से, ही ] $ हऋ- ६ + का प्र >25+0. रा -30 00 300 कक ४५ 25 + 67 25+35- 28 अंक नहेल्ल्डलटट व टडटरन्लनप्ल्टट्टर टच ल्टट 7० ०० २८८९१ ५८४५%५*»*८०-८८२*5२२ ० +*१*5; **४४*८२५५+५; ०5 ४० *४**१ २९०० *००८*९११४५९१५ ०५००० ० ९९०० ०६५२५ ०५५ » ०» ५ ०» अर रडरेहरेरसिरर 92३१ बेर कहकर सह १ ० न ११ रन टूर कक ड रन ुरहल मु रचना चुत दका कक रबर कब नह दर जजउ शत पाक तट बह कक 8 कक ४०8१० रच ०३६ ५३०० २४४३४%०४००४८८४६ २ २2 उदाहरण ॥] : निम्नलिखित संचयी बारंबारता सारणी से विद्यार्थियों के प्राप्तांकों का माध्य ज्ञत कीजिए १ ४ डे सारणी 5,5 विद्यार्थियों की संख्या | हल; सर्वप्रथम हमें संचयी बारंबारता बंटन को सामान्य बारंबारता बंटन में परिवर्तित करना है। हम अंकों का 0-0, 0 - 20, 20 - 30, आदि वर्गों में विन्यास करते हैं। अब 0 और 0 पे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 80 है तथा 0 और 0 से अधिक. अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 77 है। इसलिए 0-0 के बीच में अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 80-77 -3 होगी। इसी प्रकार, /0-20 के बीच में अंक प्राप्त करने वाले : विद्याथियों की संख्या 77-72-5 और इसी प्रकार आगे भी करते जाते हैं। अब 55 को. कल्पित माध्यं & एवं #]0 लेने पर, निम्नलिखित बारंबारता सारणी प्राप्त होती है : - इसलिए, पद-विचलन विधि (सूत्र [५) से, [ 0 ञ्र् न्न्द+ हर लक, 9 हैं (24 :>। - 55+0 ५ ६20 _ 55_3.25 86 न्न 5],75 अंक उदाहरण 2 : निम्नलिखित बारंबारता बंटन के लिए वर्षों में माध्य आयु ज्ञात कौजिए ; आयु का वर्ग-अंतराल हल : यहाँ, वर्ग-अंतराल 5 है। अत:, हम # 55 एवं ८-32 लेते हैं और माध्य के परिकलन हेतु निम्नलिखित सारणी की रचना करते हैं : ' सारणी 5,.7 इसलिए सूत्र [५ से, ह्>4+#गय ८ 32-590.587 - 29.06 अत, माध्य आयु 5 29.06 वर्ष है। जदाह्श्ण 3: एक बहुमंजिले भवन के बच्चों को दिए गए प्रतिदिन के जेब खर्च सारणी 5.8 में दर्शाएं गए हैं। जेब खर्च का माध्य 8 रु है। अज्ञात बारंबारता ज्ञात कीजिए। सारणी १5.8 है वर्ग-अंतराल बारंबारता हल : हम अज्ञात बारंबारता को # से दशाते हैं तथा ८ 5 8 एवं # 2 लेते हैं। फिर हम निम्नलिखित सारणी 5.9 की रचना करते हैं : सारणी 5.9 ः 22(-8+ 7) इसलिए लग किक मत है: प्रश्नावली 5.2 , किसी परीक्षा में 40 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंक निम्नलिखित सारणी में दर्शाएं गए हैं ; तीनों विधियों, अर्थात् प्रत्यक्ष विधि, कल्पित माध्य विधि और पद-विचलन विधि के दूवारा माध्य अंकों का परिकलन कीजिए। 2, मिम्नलिखित बारंबारता बंटन के लिए वर्षों में माध्य आयु ज्ञात कौजिए ; आयु का वर्ग-अंतराल बारबारता (वर्षो में ) 00 से कम 5. वर्ष 2000-200! के लिए किसी नगर के साप्ताहिक निर्वाह खर्च सूचकांक निम्नानुसार हैं हेकह उ् सुतकांक के 40 - 50 450 - 60 ]0 20 60 - 70 70 - 80 80 - 90 90 - 200 माध्य साप्ताहिक निर्वाह खर्च सूचकांक का परिकलन कीजिए। 6. निम्नलिखित बारंबारता बंटन में वर्ग-अंतराल (40-50) की बारंबारता अज्ञात है। यह ज्ञात है कि बंटन का माध्य 52 है। अज्ञात बारंबारता ज्ञात कीजिए। वेतन (रुपयों में ) श्रमिकों की 5 3 4 संख्या मिस किक लि 7, निम्न आँकड़ों से एक कॉलोनी के 00 निवासियों की माध्य आयु ज्ञात कीजिए ; आयु वर्षों में (से अधिक या बराबर ) 8. निम्नलिखित बारंबारता सारणी का माध्य 50 है, पर॑तु वर्गों 20-40 एवं 60-80 की क्रमश; बारंबाराएँ ६ एवं /; अज्ञात हैं। इन बारंबारताओं को ज्ञात कीजिए। बारंबारता 5.9 प्रायिकता । अपने दैनिक जीवन में, हम प्राय: ऐसे वाक्य सुनते हैं जेसे कि "संभवत: आज वर्षा होगी' या 'कल का दिन गर्म रहने की संभावना है' या कि “सर्वाधिक संभावना है कि मैं परीक्षा में प्रथम आऊँगा' - आदि। इन प्रकथनों में अनिश्चितता का समावेश है। अब समस्या यह है कि हम इस अनिश्चितता को कैसे माप सकते हैं? गणित की एक शाखा, जिसे 'प्रायिकता का सिद्धात' (7४९०० ०' 77०४०0॥78) कहते हैं, में अनिश्चितता के मापन का प्रावधान है। इस सिद्धांत में हम ऐसी स्थितियों (या प्रयोगों या घटनाओं) पर ध्यान देते हैं जिनमें कोई विशेष परिणाम निश्चित नहीं होता. है, किंतु वह अनेक संभाव्य परिणामों में से एक हो सकता है। इस सिद्धांत का उद्भव 6वीं शताब्दी में हुआ। उसका प्रादुर्भाव संयोग के खेलों ((्व॥6 ० (०7००) से हुआ, जैसे - सिक्का या पासा उछालना, अच्छी तरह फेंटी गई ताशों की गड्डी से पत्ते या बर्तन से गेंदों को निकालना आदि। इस विषय पर प्रथम पुस्तक इटली के गणित जे. काउन (/, ८८४८४) (50-576) के द्वारा लिखी गई। पुस्तक का शीर्षक ' स्योग के खेलों पर पुस्तक" (7/9७/ ८४ 7४४० 472६८) था, जो कि 663 में प्रकाशित हुई। फ्रांस के गणित्त्ञों बी. पास्कल (8. 788००) (623-662), पियरे डी फरमेट (72७7४ 4४ /'४77४०/) (60-665), स्विस गणितज्ञ जे, बर्नूली (0, 8०7०7) (654-705) आदि ने भी इसमें उल्लेखनीय योगदान किया। प्राकृतिक विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में प्रायिकता के सिद्धांत के विस्तृत एवं महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं। (5.0 प्रायिकता-अनिश्चितता का एक मापक हम उन पहली समस्याओं में से एक की ओर अपना ध्यान देते हैं जिसके कारण प्रायिकता के सिद्धांत का विकास हुआ, यथा एक पासे को फेंकने की समस्या। पासा एक सु-संतुलित घन है जिसके छ: फलकों पर । से 6 तक संख्याएँ (बिंदु) अंकित होती हैं (एक फलक पर एक ही संख्या) जैसा कि आकृति 5.9 में दर्शाया गया है। जब हम पासे से कोई खेल खेलते हैं, तो सामान्यतः उस संख्या में रुचि. रखते हैं जो इसे उछालने के पश्चात् उसके सर्वोपरि फलक पर आती है। ३४5०४ लि न्न “पति |5,9 आइए, हम एक पासे को एक बार उछालें। संभाव्य परिणाम (०६/2०%2») क्या हैं? स्पष्टत: जब पासा गिरेगा, तो कोई भी फलक सबसे ऊपर आ सकता है। अतः प्रत्येक फलक की संख्या संभाव्य परिणाम हो सकती है। चूंकि पासा सु-संतुलित है, अत: कोई भी संख्या, मान लीजिए '2', का ऊपरी फलक पर आना उतना ही संभाव्य है जितना कि किसी अन्य संख्या [, 3, 4, 5 या 6 का। . किसी पासे को एक बार उछालने पर चूंकि यहाँ छः सम-सभावी (८६४०//४ ॥7720) परिणाम ।, 2, 3, 4, 5 या 6 हैं और अंक '2' की प्राप्ति का एक ही अवसर है, इसलिए अंक '2' के ऊपर आने की संभावना 6 में से | है। दूसरे शब्दों में, हम कहते हैं कि '2' की प्राप्ति की प्रायिकता पं है। हम इसे निम्न प्रकार से लिखते हैं : - ] 2) 5 +-८ ५ (2) 6 इसी प्रकार, जब एक सामान्य सिक्के को उछाला जाता है, तब वह चित (पर) या पट (॥) (आकृति 5.0) ऊपर दर्शाएगा। हम देखते हैं कि यहाँ केवल दो सम-संभावी परिणाम हैं, जिनमें से केवल एक ही चित आने के अनुकूल है। इसलिए, सिक्के के एक बार की उछाल में चित आने की प्रायिकता झाकूपतः9.ध॥ ] के द्वारा दी जाती है। इन उदाहरणों से प्रायिकता की परिभाषा निम्न प्रकार दी जा सकती है (यह मानते हुए कि परिणाम सम-सभावी हैं )। किसी घटना ४ की प्रायिकता, जिसे ?(8) से दर्शाते हैं, निम्न से प्राप्त होती है : छ8 के अनुकूल परिणामों की संख्या कक) “ कुल संभाव्य परिणामों को संख्या पासे को उछालने वाले उपर्युक्त उदाहरण में, पासे पर संख्या '2' की प्राप्ति एक घटना (6एथा॥ 8 थी। इसी प्रकार, एक सिक्के को उछालने वाले उदाहरण में चित (प) की प्राप्ति एक घटना 5 थी। आगे बढ़ने से पहले, हम पासे की एकल (»7्रष्टा०) उछाल से संबंधित निम्नलिखित दो प्रएनों के उत्तर प्राप्त करने का प्रयत्त करते हैं : (0) किसी पासे के ऊपरी फलक पर संख्या 8 के आने की प्रायिकता क्या है? हमें ज्ञात है कि एक पासे को एक बार उछालने पर केवल छ: संभाव्य परिणाम होते हैं। यह । से 6 तक कोई भी अंक दर्शा सकता है। चूंकि पासे के किसी भी फलक पर 8 अंकित नहीं है, अतः यह स्पष्ट है कि हमें संख्या 8 की प्राप्ति कभी नहीं होगी, अर्थात् संख्या 8 की प्राप्ति असंभव है। ऐसी घटना को असभव घटना (॥#०5 97९ ८५७४7 कहते हैं। अब, 7(पासे की एक उछाल में 8 की प्राप्ति) « हर >> इसलिए, हम कहते हैं कि किसी असभव घटना की प्रायिकता शून्य होती है। (४) 7 से कम अंक की प्राप्ति की प्रायिकता क्या है? चूंकि पासे के प्रत्येक फलक पर अंकित संख्या 7 से कम है, अत: यह स्पष्ट है कि हमें हमेशा 7 से कम अंक प्राप्त होगा, अर्थात् 7 से कम अंक की प्राप्ति एक निश्चित घटना (४६४2 2५९४) है। अब, ए(7 से कम अंक की प्राप्ति) « न पी इस प्रकार, एक निश्चित घटना की ग्रायिकता ] होती है। इसलिए, किसी घटना 8 की प्रायिकता ?(8) का मान 0 से लेकर [ तक के बीच होता है, अर्थात् ॒ 0<7(8) < हमें ज्ञात है कि एक सामान्य पासे की एकल उछाल में अंक 2 के आने की प्रायिकता | है। 2 से भिन्न कोई दूसरा अंक प्राप्त करने की प्रायिकता क्या है? 2 से भिन्न अंक , 3, 4 5 और 6 (अर्थात् 5 अनुकूल परिणाम) हैं। इसलिए ?(2 से भिन्न अंक की प्राप्ति) ८ पे ध्यान दें कि ?(2)+7(2 के अतिरिक्त अंक) न पर | ४ इसको हम निम्न प्रकार से भी लिख सकते हैं : ९(2) 5 ।- (2 नहीं) सामान्यत:, किसी घटना & के लिए, 7(8) 5 । - ?(8 नहीं) डे या ए9(8) + ९(8 नहीं) 5 ] () या ?(8 नहीं) 5 - ?(8) होता है। आइए, अब हम कुछ उदाहरणों पर ध्यान दें। उद्ापन्ण ।५: एक पासे को एक बार उछाला जाता है। संख्या 3 या 4 की प्राप्ति की प्रायिकता क्या है? हल : कुल छः परिणामों (, 2, 3, 4, 5, 6) में से इस स्थिति के अनुकूल परिणाम दो (अर्थात् 3 या 4) हैं। अनुकूल परिणामों की संख्या « अभीष्ट प्रायिकता 5 ?(3 या 4) «८ संभाव्य परिणामों की कुल संख्या ५) [४-+ न जज उदक़ःण ! 5 ; एक पासे को एकल उछाल में विषम अंक के आने की प्रायिकता ज्ञात कौजिए। हल : कुल छ: संभाव्य परिणामों में से तीन परिणाम (, 3, 5) अनुकूल हैं। इसलिए ९(एक विषम अंक की प्राप्ति) >४(, 3, 5) 5 हु उदाहरण 6 : अच्छी प्रकार से फेंटी गई 52 पत्तों की गड्डी में से एक पत्ता खींचा गया है। एक इक्के की प्राप्ति की प्रायिकता क्या है? हल : चूंकि पत्ते अच्छी तरह से फेंटे गए हैं, अत: परिणाम सम-संभावी होंगे। गड्डी में 4 इक्के होते हैं। इस प्रकार, अनुकूल परिणामों की संख्या > 4 संभाव्य परिणामों की कुल संख्या 52 ] ?९(एक इक्का) 5 दप्र न टिप्पणी : ताश के पत्तों की एक गड्डी में 52 पत्ते होते हैं, जो प्रत्येक 3 पत्तों के चार समूहों (5) में बँटे होते हैं - यथा हुकुम (७), पान (९), ईंट (#) एवं चिड़ी (&)। प्रत्येक समूह में पत्ते-इक्का, बादशाह, बेगम, गुलाम, 0, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3 और 2 होते हैं। उदाहरण 7 : एक थेैले में 3 लाल और 2 नीली गोलियाँ हैं। एक गोली यादृच्छया (#॥00ा) निकाली जाती है। नीली गोली के निकलने की प्रायिकता क्या है? हल : गोली को यादृच्छिक रूप से निकालने का अर्थ हे कि परिणाम सम-संभावी हैं। परिणामों की कुल संख्या 53+2755 ः._ चूंकि भैले में 2 नीली गोलियाँ हैं, अतः . कुल 5 परिणामों में से, अनुकूल परिणाम ८2 इसलिए, 7ए(एक नीली गोली) 5 ८: उदाहरण 8 : अच्छी प्रकार से फेंटी गई 52 पत्तों की गड्डी से एक पत्ता खींचा गया है। लाल रंग के एक बादशाह के प्राप्त होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए। हल : 52 पत्तों की गड्डी में चार बादशाह होते हैं, किंतु केवल पान एवं ईंट के बादशाह लाल होते हैं। इसलिए, अनुकूल परिणामों की संख्या -८2 संभाव्य परिणामों की कुल संख्या - 52 ] “ 2 लाल र्ग स्द््चच्च्ज्ज््िः ?(लाल रग का अर छठ प्रश्नावली 5,3 ह , किसी पासे को एक बार उछालने पर 5 से कम अंक प्राप्त होने की ग्रायिकता ज्ञात कीजिए। ... . , एक थैले में 3 लाल, 5 काली और 4 सफेद गेंदें हैं। थेले में से एक गेंद यादृच्छया निकाली गई। निकाली पाई गेंद के; () सफेद (7) लाल (॥) काली होने की प्रायिकता क्या है? , अच्छी प्रकार फेंटी गई 52 पत्त्तों की ताश की गड्डी से एक पत्ता खींचा गया है। खींचे गए पत्ते का (0) इक्का ढ (0) हुकुम की दुक््की (0) काले रंग का दहला होने की प्रायिकता क्या है? , यह ज्ञातं है कि बिजली के 600 बल््बों की एक पेटी में |2 बल्ब ज्ुटिपूर्ण हैं। इस पेटी से एक बल्ब . यदृच्छया निकाला जाता है। बल्ब के ठीक निकलने की प्रायिकता कया है? , 7 कार्ड, जिन पर , 2, 3, ..., 6, !7 संख्याएँ अंकित हैं, एक पेटी में रखे गए हैं और उन्हें अच्छी तरह से मिलाया गया है। एक व्यक्ति पेटी में से एक कार्ड निकालता है। प्रायिकता ज्ञात कौजिए कि निकाले गए कार्ड पर संख्या (0) विषम हो। (7) अभाज्य हो। (0) 3 से विभाज्य हो। (6४) 3 और 2 दोनों से विभाज्य हो। . किसी लाटरी की 000 टिकटें बेची गईं और उन पर 5 पुरस्कार रखे गए हैं। यदि साकेत ने लॉटरी का एक टिकट खरीदा हो, तो उसके पुरस्कार जीतने की प्रायिकता क्या है? ्् ने. . अच्छी तरह से फेंटी गई ताश की गड्डी से एक पत्ता निकाला गया है। प्रायिकता ज्ञात कौजिए कि निकाला गया पत्ता (0) एक चित्र पत्ता (६9806 ०४४0) होगा। (7) एक लाल चित्र पत्ता होगा। [ संकेत : इक्का, बादशाह, बेगम और गुलाम चित्र पत्ते कहे जाते हैं। ] ; ु किसी पासे को एक बार फेंका जाता है। निम्नलिखित की प्राप्ति की प्रायिकता ज्ञात कीजिए ; (0) सम संख्या। (४) 3 से बड़ी संख्या। (9४) 3 और 6 के बीच की संख्या। , 52 पत्तों की ताश की गड्डी से चिड़ी के बादशाह, बेगम और गुलाम को अलग करके शेष को अच्छी तरह से फेंट दिया गया है। शेष पत्तों में से एक पत्ता निकाला जाता है। निम्न की प्राप्ति की प्रायिकता ज्ञात कीजिए ; (0) पान। (0) बादशाह। '. (॥ चिडी। (0९) पान का दहला। , एक पेटी में रखे कार्डों पर 2 से 70 तक की संख्याएँ अंकित हैं। उन्हें अच्छी तरह मिलाया गया है। इस पेटी में से एक कार्ड निकाला जाता है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि कार्ड पर अंकित संख्या 0) एक सम संख्या है। . (0) [4 से कम संख्या है। (॥ एक पूर्ण वर्ग संख्या है। (0९) 20 से कम एक अभाज्य संख्या है। « एक बालक के पास घन के आकार का एक ब्लाक है, तथा उसके प्रत्येक फलक पर एक अक्षर लिखा है, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है : 7 ज] ] छण छा & घन को एक बार उछाला गया। प्राप्त अक्षर के 0)54 . ()79 होने की प्राय्रिकता क्या है? (2. वि किसी खेल में जीतने को प्रायिकता 0.3 हो, तो उस खेल में हारने की प्रायिकता क्या है? [3, एक थैले में पाँच लाल, आठ सफेद, चार हरी और सात काली गेंदें हैं। एक गेंद यदृच्छया थैले से निकाली जाती है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि निकाली गई गेंद () काली होगी। (४) लाल होगी। (0) हरी नहीं होगी। 4. एक थैले में 5 लाल और कुछ नीली गेंदें हैं। यदि नीली गेंद को निकालने की प्रायिकता, लाल गेंद को निकालने की प्रायिकता से दुगुनी हो, तो थेले में रखी नीली गेंदों की संख्या ज्ञात कौजिए। 5, एक थेैले में ।2 गेंदें रखी हैं, जिनमें से ४ सफेद हैं। ()) यदि एक गेंद यादृच्छिक रूप से निकाली जाती है, तो इसकी क्या प्रायिकता है कि निकाली गई गेंद सफेद है? (0) यदि थैले में 6 सफेद गेंदें और रख दी जाएँ, तो सफेद गेंद के निकालने की प्रायिकता पहली प्रायिकता की दुगुनी हो जाती है। ज्ञात कीजिए। ॥6. दो सिक्के एक साथ उछाले जाते हैं। निम्नलिखित कौ प्राप्ति की प्रायिकता ज्ञात कौजिए। () दो चित (9) कम से कम एक चित (9) कोई चित नहीं। [ संकेत ; संभाव्य परिणाम हैं ; प्रप्त, सा, एफ, 7] /. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : () निश्चित घटना की. प्रायिकता ..................... होती है। (0) असंभव घटना की प्रायिकता ................. होती है। (#) किसी घटना (निश्चित और असंभव घटनाओं के अतिरिक्त) की प्रायिकता ....................- के बीच में होती है। (५) एक पासे को एक बार उछाला गया। अभाज्य संख्या प्राप्त होने की प्रायिकता .................... है। 6.] भूमिका बिंदु को तल पर आलेखित करने की प्रक्रिया से आप पिछली कक्षाओं से ही परिचित हैं। स्मरण कीजिए कि इस प्रक्रिया में दो लंबवत रेखाएँ ५0% और ९0५ बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करती हैं। 0४% तथा ४0५ को निदेशक अक्ष (2००थों॥०/० 4:७8) कहते हैं। 2९0४ को >-अक्ष, ९0९ को >-अक्ष तथा 0 को मूलबिंदु (०४8४) कहते हैं। चूंकि £'0% तथा ९0५ परस्पर लंब हैं, अत: ;'0% तथा ए'0ए को कभी-कभी समकोणिक अक्ष (#6८८४8४४4/ 40:४0) भी कहते हैं (आकृति 6,)। 6.2 बिंदु के निर्देशांक मान लीजिए 7 कोई बिंदु है, जेसा कि आकृति 6.2 में दिखाया गया है।? से क्रमशः »-अक्ष और >-अक्ष पर ?॥/ तथा श॒, लंब खींचिए। लंबाई शा, (या 0/) को बिंदु ? का >-निर्देशांक या भुज (809४टांडडव) तथा लंबाई ?]/ को बिंदु ? का )-निर्देशांक या उसकी कोटि (#ध्र॥८/०) कहते हैं। बिंदु जिसका भुज & तथा कोटि » हो, बिंदु (, 9) अर्थात् ९७५, )) कहलाता है। बिंदु के निर्देशांक लिखते समय >-निर्देशांक पहले तथा 3-निर्देशांक उसके बाद लिखते हैं तथा इन्हें अल्पविराम (,) से अलग करते ५ हर ्ज है 4 4 7 5 *“ कमल मच आकृति 6.] [॥ १0५ )») ते * कोटि (+)) जी] है पन्फ ्ं >>) ९५ भुज ( 4 ु आकृति 6.2 निर्देशांकं ज्यामिति 335 १९६५०४९०२०००५०४०९००३०००३१+६००३+००००००३०००१० ०० ०»३ ३०० ३४०४७ + ००४ २३₹०० ४ «ल््ब्ल्क््त्न्व्वाल्ल्ल* हुए छोटे कोष्ठक 48 ) में लिखते हैं। यथा, बिंदु (६, »)) और (५ :0 भिन्न हैं जब तक कि:#9 हो। बिंदुओं को अंग्रेजी के बड़े अक्षर ९, 0, 7९, , 8 इत्यादि द्वारा व्यक्त करते हैं। दोनों रेखाएँ #0> तथा ४0५ तल को चार भागों में विभकत करती हैं, जिन्हें चतुथाश (दृम्रवद।दा75) कहते हें। (0५, ४५05४, ४६0५" और ५'05 को क्रमश: प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ चतुर्थाश कहते हैं। हम 05, 0५ दिशाओं को प्रायः धनात्मक और 0%', 0५* को ऋणात्मक लेते हैं। नीचे दी हुई सारणी भिन्न-भिन्न चतुर्थाशों में स्थित बिंदुओं के निर्देशांकों के चिहन दर्शाती है : मा] इस प्रकार, बिंदु ९(4, 4), 0(- 4, 4), 7१(- 4, - 4) तथा (4, - 4) विभिन्न चतुर्थाशों में हैं, जैसा कि आकृति 6.3 में दर्शाया गया है। हा 4५ »(२(- 4, »2(4, 4) ॥॥ | ् 5 «० >जननननलनिनणा। करे -4 +3 -2 -+| 0 | २2: 3 न डे गया [५ हगर(-4, -4) :5 ०७(4, - 4) आकृत्ति ॥6.3 ध्यान दीजिए कि , किसी बिंदु का भुज, बिंदु की »-अक्ष से दूरी (लंबबत दूरी) है। किसी बिंदु की कोटि, बिंदु की »-अक्ष से दूरी हे। , भुज, >-अक्ष के दाईं ओर धनात्मक और बाईं ओर ऋणात्मक होता है। कोटि, »-अक्ष के ऊपर धनात्मक और नीचे ऋणात्मक होती है। किसी भी बिंदु का भुज >»-अक्ष पर शून्य होता है। ए किसी भी बिंदु की कोटि >-अक्ष पर शून्य होती है। ४८2,3) ५ | मूलबिंदु के निर्देशांक (0,0) होते हैं। ३०5 | अब हम कुछ उदाहरणों पर विचार करेंगे। गए छा मे ४७ ७ !'+ "02, 3) फर्श [; समकोणिक निर्देशांक निकाय में “४-4 ४3४ ला 23045. बिंदु (0, 0), (2, 3), (-2, 3), (- 4, -3) और 2 | 0,0) डक (5, -!) को आलेखित कीजिए। ०(-4,-3) हत्म * हम समकोणिक निर्देशांक अक्ष 0५5 ॥ ओर ९“0ए लेते हैं और बिंदुओं (0, 0), (2, 3), (-2, 3), (- 4, -3) तथा (5, -) को क्रमशः आकृत्ति ॥8,7 0, &, 8, ८ तथा 7) से चिह॒नित करते हैं )। आकृति 6,4 ६ कर 6.4)। ह 4 कु 4) 3 श [8(3, 0) का] 6 । ॥ 8 आह आल ५ न्य्टे -3 4 रा निर्देशांक ज्यामिति..............-०««_ननननानान- 2 मम न आम मर मर कम लि की 337 आयत बनाने के लिए हम >»-अक्ष और >-अक्ष पर स्थित क्रमशः बिंदुओं & और 0 से लंब खींचते हैं। मान लीजिए ये लंब, बिंदु 8 पर मिलते हैं। इस प्रकार, हमें आयत 080 प्राप्त होता है, जैसा कि आकृति 6.5 में दर्शाया गया है। हम जानते हैं कि आयत की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं। अत: »8 5 00 तथा 0#0-0५ है। इस प्रकार 8 का भुज 3 है तथा कोटि 4 है। अतः, चौथे बिंदु 8 के निर्देशांक (3, 4) हैं। . उदाहरण 3 ; भुजा 26 वाले दो समबाहु त्रिभुज #छ80 तथा ७8९ का. आधार ४8, »-अक्ष के आकृति 6.6 अनुदिश इस प्रकार स्थित है कि 8 का मध्य-बिंदु, ह मूलबिंदु है, जैसा कि आकृति 6.6 में दर्शाया गया है। त्रिभुजों के शीर्षो 0! तथा (!” के निर्देशांक ज्ञात कीजिए। हल: माना कि समबाहु त्रिभुज के आधार ४9 की लंबाई 26 है। चूंकि 88 5 26 है, अतः 80508 6 है। समबाहु त्रिभुज का तीसरा शीर्ष आधार के लंब समद्विभाजक पर स्थित होना चाहिए। चूंकि >-अक्ष, »3 का लंब समद्विभाजक है, अतः (! (या 0”) को »-अक्ष पर स्थित होना चाहिए। इस प्रकार, हमें आकृति 6.6 में दिए गए अनुसार दो त्रिभुज 880 तथा ४830 प्राप्त होते हें। यहाँ », (०, 0) तथा 8, (- ०, 0) है। अब त्रिभुज ४00 तथा त्रिभुज #00' समकोण त्रिभुज हैं। 00 और 00', >-अक्ष पर स्थित हैं। अत:, बिंदुओं ८ तथा 0” का > निर्देशांक शून्य है। अब 8 ४00 से, हम पाते हैं कि &(?- ४0? + 00 या .. 4८ 4+ 0८ या . 005 २३४७ अतः, बिंदु ८ के निर्देशांक (0, ५50) हैं। इसी प्रकार, बिंदु 0” के निर्देशांक (0, -./3०) हैं। ९) (0, - ५43५) प्रश्चावली 6.] . समकोणिक निर्देशांक निकाय में निम्न बिंदुओं को आलेखित कीजिए। वे किस चतुर्थाश में स्थित हैं? (0) (4, 5) 69) (4,-5) | (7) (-0, 2) (४) (-0, -2) (९) (-7, 5) (शं) (9, -3) 2. बिंदुओं (-, 0), (0, 0), (, )), (0, 2), (-, )) को आलेखित कौजिए और उन्हें क्रम से मिलाइए। आपको कौन-सी आकृति प्राप्त होती है? 3. किस चतुर्थाश में बिंदु होगा यदि उसकी (उसका) 6) कोटि 3 और भुज -4 के बराबर हो? () भुज -5 और कोटि -3 के बराबर हो? (0) कोटि 4 और भुज 5 के बराबर हो? (४) कोटि 4 और भुज -4 के बराबर हो? 4. चतुर्भुज को बनाइए, यदि उसके शीर्ष निम्न हों : (6) (, ॥), (2, 4), (8, 4) तथा (0, ) 0) (-2, - 2), (- 4, 2), (- 6, - 2) तथा (-- 4, - 6) प्रत्येक स्थिति में, इस तरह से बने चतुर्भुज का प्रकार बताइए। 6.3 दो बिंठुओं के बीच की दूरी बहुत से प्रश्नों में दो बिंदुओं के बीच की दूरी या दो बिंदुओं को मिलाने से बने रेखाखंड की लंबाई की आवश्यकता पड़ती है, जिसे बिंदुओं के निर्देशांकों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। अब हम किन्हीं दो बिंदुओं ?(४,, »,) तथा 0 ७,,, ».) के बीच की दूरी के लिए सूत्र ज्ञात करते हैं। 0 को मूलबिंदु मानते हुए दो परस्पर लंबवत रेखाएँ, निर्देशांक अक्षों के रूप में लीजिए। ९(७,, ») तथा 0 (७,, ») चिह॒नित कौजिए। बिंदुओं ? और 0 से >-अक्ष पर क्रमश: 708 और 08 लंब खींचिए जो >-अक्ष पर क्रमश: & तथा 8 पर मिलते हैं (आकृति 6.7)। ?८ और 00, /-अक्ष पर लंब खींचिए, जो »-अक्ष को क्रमश: (' तथा 7) पर मिलते हैं। (९? को आगे बढ़ाने पर यह 80 को 7२ पर मिलती है। अब, 0& 57 का भुज>>, मिर्दशांक' ज्यामिति, ३८४४ जहर ते त 2 8275 परत: 7 कक 5०5 5,725 20 7.7 77 ही, 339 इसी प्रकार, 08 5 »,, 0९:5७ तथा 0705», ९०५ इस प्रकार, आकृति 6.7 से, हम प्राप्त करते हैं कि श३ 5७७३ ८ (098 -- 00 5४, -४| कक 02 ४ जा है इसी प्रकार, (0२ * 08 -॥१8 5 08 - ९2७ 5», -» 0 +-०--००००- #----+हि समकोण त्रिभुज २० में, पाइथागोरस प्रमेय से, ह 70* - ए२!+ २0* : या ?((5८(७,/-७) + ७, -9) वह बार जा पा चूंकि दूरी या रेखाखंड ९() की लंबाई सदैव आकृति 6.7 ऋणेतर होती है, इसलिए धनात्मक वर्गमूल लेने पर, हम दूरी को निम्न रूप में पाते हैं : इस परिणाम को दूरी सूत्र (ांध/&४2० 7०४४४) कहते हैं। उपप्रभेय : बिंदु 7(५, »)) की मूलबिंदु (0, 0) से दूरी निम्न रूप में दी जाती है : 075 १ +» 4 उदाहरण 4 : बिंदुओं (8, -2) और (3, -6) के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए। हल: मान लीजिए कि बिंदु? और 0 क्रमश: (8, -2) तथा (3, - 6) हैं (आकृति 6.8) | तब दूरी सूत्र का उपयोग करने पर, गधा रे ( 8 शट ) +(८9+८की शी ट्राः जा 6) आकुंति 86.8 ] उदाहरण 5; सिद्ध कीजिए कि बिंदु (, -), (नर 7] और (, 2) एक समदूविबाहु त्रिभुज के शीर्ष हैं। हल : मान लीजिए कि हम बिंदुओं (, -) (नजर तर और (, 2) को क्रमशः ९? 0 और ए से दर्शाते हैं (आकृति 6.9)। अब, 3 2 +-- ९2 हे रब नर 4 प् 40-7*+2+%])* -]) +(2+) २ ४9 -3 आकृत्ति 6.9 उपर्युक्त से हम देखते हैं कि 7905 08 है। अत, त्रिभुज समद्विबाहु है। उदाहरण 6 : दूरी सूत्र का उपयोग करते हुए, दर्शाइए कि बिंदु (-3, 2), (, - 2) और (9, -0) सरेख हैं। हल : मान लीजिए कि बिंदु (-3, 2), (,-2) और (9, -0) क्रमशः », 8 तथा 0 से व्यक्त होते हैं। बिंदु &, 8 तथा ० सरैख होंगे, यदि दो रेखाखंडों का योग तीसरे रेखाखंड के बराबर होगा। अब, 885 (6+3)+-2-20 '&0 5 /(9+3) + (0-29 5 /वकियाबव 5 242 चूंकि &3+80:54,/2 +8/2 -2/2 - 2 है, इसलिए बिंदु ७, 8 तथा 0 सरेख हैं। उदाहरण 7: *-अक्ष पर वह बिंदु ज्ञात कीजिए, जो बिंदुओं (5, 4) और (-- 2, 3) से समदूरस्थ हो। हल : चूंकि अभीष्ट बिंदु (माना ?) »-अक्ष पर स्थित है, अत: इसकी कोटि शून्य है। माना इस बिंदु का भुज> है। अतः, बिंदु ? के निर्देशांक (६, 0) हैं। मान लीजिए & और 8 क्रमश: बिंदुओं (5, 4) और (- 2, 3) को व्यक्त करते हैं। चूंकि ॥9 5 87 दिया है, अतः 4797 - छए* अर्थात् (४- 5)7+ (0-4) 5 (६+ 2)? + (0-3)? या ४४+ 25-]05+ 65%7+ 4 + कट + 9 या -]4% -- 28 या जरओ इस प्रकार, अभीष्ट बिंदु (2, 0) है। उदाहरण 8 ; किसी त्रिभुज के शीर्ष (-2, 0), (2, 3) तथा (, -3) हैं। क्या यह त्रिभुज समबाहु, समद्विबाहु या विषमबाहु है? हल : मान लीजिए बिंदु (-2, 0), (2, 3) तथा (,-3) क्रमश: ७, 8 तथा ( द्वारा व्यक्त होते हैं। तब, (७+०+6-० पर ४ी-2४५ (३3- और 805 6+ 2५ (3-०) «१११ 5 ३ स्पष्टत:, 88 # 80 # 80 है। अतः, &५3830 एक विषमबाहु त्रिभुज है। उदाहरण 9 : एक रेखाखंड की लंबाई [0 है। यदि इसका एक सिरा (2, -3) हो तथा दूसरे सिरे का भुज 0 हो, तो दर्शाइए कि इसकी कोटि 3 अथवा - 9 होगी। हल : माना (2, -3) बिंदु & है तथा दूसरे सिरे 8 की कोटि »है। तब छ के निर्देशांक (0, )) होंगे तक आलश अब, 485 ,60-2/ +60+9 50 (दिया है) या 64+9+)7+ 6/5 00 या 9+6/+73-0050 या >+67-2750 या (»+ 9) 0-3)50 या »5-9 अथवा 95३3 अर्थात् , दूसरे सिरे की कोटि 3 अथवा -9 है। डंदाहरण [0 ; यदि बिंदु (७ 9) बिंदुओं & (5, )) तथा 8(-], 5) से बराबर दूरी पर स्थित हो, तो सिद्ध कीजिए कि 35 29 है। हल; 7 (५, 9), (5, )) तथा 8 (-], 5) बिंदु दिए हैं। चूंकि 4? 87 है, * इसलिए है? < 87! या 487 - 877 - 0 या. (6-5/+0- 77 - (७+)7+ ७-5)] ८० या ४+25-0४+/ + - 27 - ४ -]- 22:- # - 25 +0/50 या -2:+ 8950 या 3४57 29 उदाहरण ।॥ ; दर्शाइए कि बिंदु (-2, 5) , (3, - 4) तथा (7, 0) एक समकोण त्रिभुज के शीर्ष हैं। निर्देशांक ज्यामिति.........................--------- हम अप मम लक कम का मरिकी आर मिल 343 हल : मान लीजिए तीनों बिंदु & (-2, 5), 8 (3, -4) तथा 0 (7, 0) हैं (आकृति 6.0)। तब, #&3 - (3+ 2) + (4 -5) 5 06 . छ0< (7-3)/+ ((0+4) 5 22 &(४<>(7+2)+ (0- 5)- 06 हम देखते हैं कि 80४ <- 3 + (४ .', 22 5 90० अत:, त्रिभुज ७80! एक समकोण त्रिभुज है, जिसका .४& समकोण है। ५ आकृति 6,80 प्रश्नावली 6.2 4. निम्न में बिंदुओं & और छ के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए : (60) &(0, 0), 8(-5, 2) 6) &(,-3), 8 (4, ) (४) &(-, -), 8(8, -2) 60९) (5, - 8), 8 (-7, -3) 2. जाँच कीजिए कि क्या बिंदु (7,3) से बिंदु (20, 3) (9, 8) तथा (2, -9) समदूरस्थ हैं। प्रश्नों 3 और 4 में दिए गए बिंदु-युग्मों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए ; 3... (०, 0), (0, ८) ह 4... (4, 8), (- 8, ५८) दूरी सूत्र की सहायता से ज्ञात कीजिए कि क्या प्रश्न 5 से 7 तक में दिए गए बिंदु सरेख हैं। . 5. (, 2), (5, 3) और (8, 6) 6. (4, 3), (5, ) और (, 9) 7. 2,5), (-, 2) और (4, 7) ज्ञात कीजिए कि क्या प्रश्नों 8 और 9 में दिए गए बिंदु एक समकोण त्रिभुज के शीर्ष हैं। 8. (-2, !) (2, -2) और (5, 2) 9... (8, 4), (5, 7) और (-., ) ज्ञात कीजिए कि क्या प्रश्नों 70 और ॥ में दिए गए बिंदु एक समद्विबाहु त्रिभुज के शीर्ष हैं। 0. (0,-8), (3, 6) ओर (-5, 2) ]. (6, 6), (5, 2) और (2, 5) 2. >-अक्ष पर वह बिंदु ज्ञात कीजिए जो बिंदुओं (- 2, 5) तथा (2, -3) से समदूरस्थ है। 3. >-अक्ष पर वह बिंदु ज्ञात कीजिए जो बिंदुओं (-5, -2) तथा (3, 2) से समदूरस्थ है। 4. यदि बिंदुओं (3, /) तथा (#, 5) से बिंदु (0,2) की दूरियाँ बराबर हों, तो £ का मान ज्ञात कीजिए। निर्देशांक ज्यामिति.............--*-* 2 2 मत व 3 मम 345 6.4 विभाजन सूत्र आइए बिंदु ९५, 3) के निर्देशांक ज्ञात करें जो रेखाखंड »8 को #%, : 78, के अनुपात में अंत विभाजित करता है, जबकि »(»,, »,.) और 8(८,, »,) है। हम ४, 8 तथा 7 से >-अक्ष पर लंब खींचते हैं, जो »-अंक्ष से क्रमश: बिंदुओं 0, 0 तथा 0. पर मिलते हैं (आकृति 6.)। साथ ही, & तथा ए से »-अक्ष के समांतर रेखा खींचते हैं, जो 70 तथा छा) को क्रमशः बिंदुओं 8 और [९ पर मिलती है। सत्य 80७, 9») 220 आकृति 86.8 आकृति 6.] से यह. स्पष्ट है कि & 887 और # २४ समरूप हैं और इसीलिए कफ फाॉकफे ..... .. फक अंब #08«>0०05०00-0८च+ऋ-अ ए३<८ 60500 - 005%»% -<. छ? 5 07? - 085 0? - ०७७४-३७ और 08 5708 - 792 5 08 - 0००५, - 9 उपर्युक्त को समीकरण (॥) में प्रतिस्थापित करने पर, हम पाते हैं कि इस प्रकार, या का, (४-८ 5.) न्का (४, -20 या ह ॥2%- 72% स/भर "यार या है ह +ह2 ) + 032 7 ह27 या ॥[ + #2 _ ?0)72 + 77207 इसी प्रकार, ्् ककया अत: उम्त बिंदु , जो बिंदुओं & (४, »)) और 8 (५, »,) को मिलाने वाले रेखाखंड को #, :॥, के अनुपात में अंतः विभाजित करता है, के निर्देशांक खर पशएश हरि ह (०) हैं। इसे विभाजन सूत्र (#८८॥०४//ण7॥प4) कहते हैं। टिप्पणी : अंत: विभाजन के विभाजन सूत्र को याद रखने के लिए यह देखना सहायक है कि %, को इससे दूर रहने वाले निर्देशांक से गुणा करना होता है और इसी प्रकार %, को भी इससे दूर रहने वाले निर्देशांक से गुणा करके, इनके योगफल को (॥,+ #,) से भाग देते हैं। इसे आकृति 6.2 में दिखाया गया है। "सन । हि किए 266 मल 860५2) ५ 86०, 2») ९७५ 9) आकृति 46.2 विशेष स्थितियाँ . बिंदु & ,,») और 8 (७,»,) को मिलाने वाले रेखाखंड का मध्य-बिंदु रेखाखंड को ! : । के अनुपात में विभाजित करता है। अतः #%, 5 ] और #, 5 ] को (2) में रखने पए, ... हमें मध्य-बिंदु के निर्देशांक जि अटख) प्राप्त होते हैं। 2. (2) में ऋ,-# तथा %, 5 रखने पर, हमें बिंदुओं &(७, »,) तथा 8(५,, »,) को मिलाने वाले रेखाखंड को £: के अनुपात में अंतः विभाजित करने वाले बिंदु ? के निर्देशांक (22+»2]। /0/2+)2 ६+] £+] प्राप्त होते हैं। £ के विभिन्न मानों के लिए, हमें रेखाखंड पर विभिन्न बिंदु प्राप्त होते हैं। उदाहरण 2: उस बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कीजिए जो बिंदुओं (3, 5) तथा (7, 9) को मिलाने वाले रेखाखंड को 2 : 3 के अनुपात में अंत: विभाजित करता है। .' हल : हमें प्राप्त है : के 53, 3, २ 7, 2, 5, », 5 9, क, ₹ 2 और #, 3 ॥॥7०+#॥022, _ 2%7+3»3 _ 23 ४ औ काना क्कप््लप्+ ८ अत; ॥ + #7; 2+3 5 _ कआओउनए090 _ 2<9+3%5 _ 33 77] + 772 2+3 5 उदाहरण 3 : उस बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कीजिए जो (- 7, 4) और (- 6, - 5) को मिलाने वाले रेखाखंड को 7: 2 के अनुपात में अंत: विभाजित करता है। हल : माना अभीष्ट बिंदु (४, )) है। तब दे: ७>->->नन+-नीीनत+-ीमीनीीनननीन तन. 22: 3अ+«मममममः«»«५णण««»बा»»७+०+०>म०« 3 2 7+2 9 9 _ 7(5)+ 24) -35+8 _ -27 _ 5 7+2 9 9 अत:, अभीष्ट बिंदु । ] है। उदाहरण 4: बिंदु (- 3, 5) और (4, - 9) को मिलाने वाले रेखाखंड को बिंदु (-2, 3) किस अनुपात में विभाजित करता है? मान लीजिए कि वांछित अनुपात ऋ, :#, ह। तब सूत्र की सहायता से, हम पाते है कि 2 #7(4)+ ॥09( 3) | ॥॥| + 2 या ->2क्ा -2 #%,.० 4 #%, > 3 #, या . #/ 7 6 #| या #:#, +₹ ] : 6 अतः, अभीष्ट अनुपात । : 6 है। डिप्पणी : यदि हम कोटि के मान से आरंभ करें, तो भी हमें नल का यही मान प्राप्त होगा। उदाहरण 5: बिंदुओं (5, 5) तथा (9, 20) को मिलाने वाले रेखाखंड को बिंदु (]], 5) कि अनुपात में विभाजित करता है? ल: मान लीजिए बिंदु (, 5), बिदुओं (5, 5) तथा (9, 20) को मिलाने वाले रेखाखंड को £:] के अनुपात में विभाजित करता है। तब ४, 5 5, 9, 55, 9, 5 9, 9, 520, ४5 ] और >> 5 है। पक पप्पू ,_90+9 कि 7 | 220 ७] से, हम पाते हैं कि /+] [] < /2८9+5 ह ६+] ]]/+ |] ₹ 9// +5 या 2#5- 4 या (52 अतः, अभीष्ट अनुपात 2 : | है। टिप्पणी ; » के मान से भी हमें यही अनुपात प्राप्त होगा। मिदेशोक ज्याभिति.:. 3४४३ ४८४२४ सैर ० ० उप 5 तु ४ के 5 भू नल 5 पर क कम 5: का पमनभ 5 पक सा परत 4 नम 349 (6.5 विभाजन सूत्र का अनुप्रयोग यदि किसी त्रिभुज के शीर्ष दिए हों, तो विभाजन सूत्र की सहायता से हम त्रिभुज के केंद्रक के निर्देशांक ज्ञात करेंगे। स्मरण कीजिए कि त्रिभुज की माध्यिकाएँ संगामी होती हैं। संगमन बिंदु को केंद्रक कहते हैं। यह बिंदु प्रत्येक माध्यिका को 2: के अनुपात में विभाजित करता है। मान लीजिए कि बिंदु &, 8 और ९ के निर्देशांक क्रमशः (४, »,), (५, »,) तथा (५, »,) हैं और बिंदु), भुजा 82 का मध्य-बिंदु हे, जैसा कि आकृति 6.3 में दिखाया गया है। ह _ डै2/- 3 22+ 353 ०- हू, मान लीजिए त्रिभुज का केंद्रक 6 (५, )) है। हम जानते हैं कि बिंदु 5, ७7) को 2: के अनुपात में विभाजित करता है। अतः 0. + जे हल पस का _ 2 + 22 + 25 (७3 »)) 2+] ;ल् 3 तथा ह 373 7 3053 25.2... न ८ आय उसडक 3 865))) ० ३8४ 2+] आकृति 46.3 __ 7227 353 3 केदेक 2| + ४2 + > + 9, + इस प्रकार, त्रिभुज का केंद्रक [27275 2) गा 353 ] है। उदाहरण 6 ; त्रिभुज के केंद्रक के निर्देशांक (, 3) हैं तथा त्रिभुज के दो शीर्ष (-7, 6) तथा (8, 5) हैं। त्रिभुज का तीसरा शीर्ष ज्ञात कीजिए। हल : मान लीजिए त्रिभुज का तीसरा शीर्ष ?(५, )) है। त्रिभुज का केंद्रक (, 3) दिया है। अतः, जात ! और शा शत न्न्3 अब सस्स् ] से, हम प्राप्त करते हैं : -7+8++> ध्ञ 3 या &४+]553 या अऋत2 +3+ इसी प्रकार, रण न्ः्3 या ]]+ )७ 9 या 95-2 अत, तीसरे शीर्ष के निर्देशांक (2, -2) हैं। प्रश्नावली 6.3 ह . बिंदुओं (22, 20) और (0, 6) को मिलाने वाले रेखाखंड के मध्य-बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कौजिए। 2. & और 8 के निर्देशांक ((, 2) तथा (2, 3) हैं। (९ के निर्देशांक ज्ञात कीजिए, जबकि प्प न पर हो। 3. बिंदु [२ के निर्देशांक ज्ञात कीजिए जो बिंदुओं 7(- 2, 3) तथा 0 (4, 7) को मिलाने वाले रेखाखंड को > के अनुपात में अंत; विभाजित करता हो। 4. यदि & और छ क्रमश: (, 4) तथा (5, 2) हों, तो ? के निर्देशांक ज्ञात कीजिए, जबकि का है। 5. उस बिंदु के निर्देशांक ज्ञात कीजिए जो बिंदुओं (- 3, -4) तथा (- 8, 7) को मिलाने वाले रेखाखंड को 7:5 के अनुपात में अंतः विभाजित करता है। । 6. बिंदुओं (6, 4) तथा (, -7) को मिलाने वाला रेखाखंड »-अक्ष द्वारा किस अनुपात में विभाजित होगा? 7. बिंदुओं (6, 8) तथा (2, 4) को मिलाने वाले रेखाखंड के मध्य-बिंदु से बिदु (, 2) की दूरी ज्ञात कीजिए। 8, दर्शाइए कि समकोण त्रिभुज 80 में कर्ण का मध्य-बिदु. २ ८ त्रिधुज के शीर्षों 0, & तथा 8 से बराबर दूरी पर है (आकृति 6.]4)। ! 20) 9. उस त्रिभुज को माध्यिकाओं की लंबाइयाँ ज्ञात कीजिए, का 0 जिसके शीर्ष (, -), (0, 4) तथा (-5, 3) हैं। को जण््््णओेछब 0. दर्शाइए कि बिंदुओं (5, 7) और (3, 9) को मिलाने वाले रेखाखंड का मध्य-बिंदु वही है जो बिंदुओं (8, 6) तथा आकृति 6,84 (-0, !0) को मिलाने वाले रेखाखंड का मध्य-बिंदु है। ], बिंदुओं (- 4, 0) और (0, 6) को मिलाने वाले रेखाखंड को 4 बराबर भागों में बाँटने वाले बिंदुओं के निर्देशांक ज्ञात कीजिए। प्रश्नों [2 से 4 में दिए गए प्रत्येक त्रिभुज का केंद्रक ज्ञात कीजिए, जबकि उसके शीर्ष दिए गए हैं; (2, (५, -8), -9, 7), (8, 3) 3, (3,-5), (- 7, 4), (0,-2) 4. (2, !), (, 2), (3, 4) 5, त्रिभुज का तीसरा शीर्ष ज्ञात कीजिए, यदि उसके दो शीर्ष (- 3, )) तथा (0, - 2) हों और उसका केंद्रक मूलबिंदु पर हो। 6, सिदूध कीजिए कि आयत के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं और बराबर होते हैं। [ संकेत : 0 को मूलबिंदु मान कर आयत के शीर्ष (0, 0), (०, 0), (५, 9) तथा (0, 9) लीजिए। ] [7. दर्शाइए कि बिंदु ४(, 0), 8(5, 3), 0(2, 7) तथा 0(- 2, 4) एक समांतर चतुर्भुज के शीर्ष हैं। [संकेत : समांतर चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं। ] प्रश्नावली .। ,त2, >54'... | ४ 2. #5], >च्2 हे 4. कोई हल नहीं... :.5. #52, »"] 7. .अपरिमित रूप से अनेक हल. #. | को 2 9. शीर्ष: (, 0), (2,4) तथा 8, 0). ह 0. 0. ' 43. 6. 9. 8297 शीर्ष : 5, 0); (0, 5), (0,-5) क् द हे प्रश्चावली .2 हा यो ४ शत न 5 ड़ #ऋ० >+-4, गज द् 2! ५ | यु डे 4, #₹ |] अल असर + 5 । ८5, ॥5-2 3* 2! 3] ह ५ सर के अल है 4 टन अल्2, 9 5+-+] 8... 7-3, 954 ४5, 97 ह पु ]4, #।, 7957-22 मिट 2 पल मल 005 ट अत के 47 अल जज आर 87. #5ृ३, »54 35 8 रो "जम रोल ऋर5, #₹-0 20. >5], #52 न शम 2! | ट धर हल 5 का हर हा 3, ४- 2, » जप ] . 6. कोई हल नहीं 54. ]3 ४ +२०--५ (०-०. द् ॥7'” 9, ४7०2, 9५८ 85 25 207 . 42. 9025 अर 3 हा 80 00 0 * 7नपठ9' ?77% 'छ. अत 5, हर > . 2 ! तन उत्तरमालो, ५:६० ३ २ कमल नल %3 02727 फायर 7 02-20 20070 77727: 77% 28-45. 75% है.) 353 प्रश्नावली ,3 है 25 89 4. 5 तर 0 नर का, के 3. >₹, 752 ] 9 5 ह। 4. “जग, / तट 5. ४८5->, 7४5८० थ्ड -०+- | एए व5 ++5 ट 5 ठ है 6. >> ख! है पर 05 ,_ 885 7. गत लात 8. 7-6 9. #9#-6 80, | # 2 ]. ४ #-0 ]2. >5], #5-] 6 247+6* 3, है न 6५ क्त् | 4. हं क्ाज०+, )॥ 55 $, »% हर ) न|॥ हि ५ ठप्न गन ] » च्ध, ॥ 6, ४5०४१, ;# 8 ]7. >>, ४5० 8 +« 2८7 40+0 9८-4८ -ध * 9 दल 9 4१ 2468 ]9, ४4 +8, हनन नाप धर+8 प्रश्नावली .4 . राम : 45 वर्ष, रहीम : 5 वर्ष 2. नीता; 50 वर्ष, गीता : 20 वर्ष 5075 40 2 8... +> 9 5 ! 09 6, 26 7... 8 8. 36 9, 20 रु, 700 रु 0. 700 रु |; , 75 रु, 2/5 रू ]2. लंबाई 5 7 मात्रक, चौड़ाई 59 मात्रक 83. लंबाई 523 मात्रक, चौड़ाई 5 ] मात्रक 4, 3900 रु, 50 रु « 4, एक 48. « 200 रु, 25 र6. 43 5 20९, 3 > 407, «(5 207 ४७ 5 70९" «3553? , “(5 0", 7) रू ]27९ 9, 60 किमी / घं, 40 किमी / घ॑ 2], 8 किमी / घ॑, 4 किमी / घ॑ . (0) (9५) (शा) 2. 0) (५) 3, (0) (५) (शा) 4. () (५) 5. () (9५) . 0) (0) (९) (शो) 2. () 0) 3. (0) (४+ ]) (६+ 2) 42 (४+ 0) (४+ ) (४-2) ३७४७-३3) %+2 8४ (४४ + &+ ) 2 (४ + ४ + ) &ऋ+क 5 4 (४४ + |) (४+ ]) 8(0:7 + |) (४- )७ - 2)(४- 7) 2(5- 5) (5४+]) 402 (४+ ) (20 + 3)* (४+ 3) (४ - 3)९%+ 2)/:+ ) 20. 6 किमी / घं, 4 किमी / थ॑ प्रश्नावली 2.॥ (४) £(४+ [) (५) (0) (५) 0) (९) (शा) (0) (५) () (९) (2%+ 3) (3:+ 4) 35 (४+ ) 3(६+ ) 55 (४- 3) 8(४/ -- [) 3 (४ - ) 2 (४-7) ] (४ + ४ + ) (४+ 3) (& + ६) प्रश्नावली 2.2 8(2%४+ 3) (5४- 7) (5४+ 6) 2॥ 7 (४ + )7 (2: + ) * () (आ) 2४ (६+ 5) (श) ४-2 (0) 5(४+])2 (शी) 4 &-]) ऐ) 2243) (शं) 3(४-]) रा () >-! (#) 2272+3 (2.2 + 3) (४+ 7)? (4४+ 5) (6५) 25(४+ 9) (४+ 8)? (श) (४- ) (४ +॑ ) 0) 8&+)* (६४- )7 (४+ 2) (9५) 53 # (४ + 4) (४- 4)" (४ - 3) () 75% (8 - 6) (४+ 3) टला नर 2 मा व कल मर 355 (0) 2 (8४7 + 27) (४+ 3) (0०) 30(४+ 2)? (७ + ) 4. 0) टॉश;: (2४+ )7 (:४- 5)"; जटए ; (७४+ ) (3४- 5) 0) 7टॉश/ : (/+ 3) (७६+ 4)? (६+ 5)? ; सटए : (४+ 3) (६+ 4) त) ॥एट५ : (७-]) (७+ )); स(€फ : ४-। (ए० ॥ए७॥ : /-; सि८क ; #-] 5, 0% (४- ) (४- 2) (४ + 3) 6, (४/+%- 2) (४४ -5%+ 6) 42, 4572, 875+-3 8, ध5८-2, 85-3 9, 47-33, 8 5 6 0. /#&5८5 . 0) सत्य. (0) असत्य. (7) सत्य. (४) असत्य (२) असत्य प्रश्नावली 3. . () 2. (0), (॥), (५) 3. न १7 :48# 0; /9#0 25+| ४ - ४-2. (४-2)(५+3) 'त्राजा7पय इत्यादि चना तक १ 2 न 3%7+ ४-] शान ाअकर3े (४+ 2)(:-)(४-4) प्रश्नावली 3.2 हे नहीं [ नहीं 4. हां 2, नहीं ; 2%-] 3. नहीं; ४-] नहीं ह- 7 नहीं -2 नहीं डा 4. नहीं; 77 5. नहीं ; इक हद सकरपह 6. नहीं; कप नहीं &४7-5%+6 नहीं नहीं रा 75 ५ गण 8. नहीं; >#-»+] 9. नहीं ; 6 नहीं * । ॒ नहीं डे+2 नहीं ४ +3:+9 0. नहीं; कफ ]. नहीं ; पका. नहीं ; नकल ४ 32 ष 3. नहीं ; 2£ (४- !) 4. नहीं; &+ 3-4 5. नहीं; ॥। क् । रेड | . () +डे ही 2 + 3न्-] कक. / 2 ० 2 .. 2 ना 2. 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[6- 4४ नहीं 0. हाँ हाँ 4. नहीं हाँ 8. नहीं -4+203, -4-2+3 3 24. । ता 2 7 ]+ बी । ]-४] 5... 5 >,-2 29, 2,-4 ] 2 3 टू! 3 * ॥ 5 ही ]3 ब 5 ७ जऋरऋ)- 3 कक “720, -]+४29 --४29 9 0० 2: 79 <4 40. 9 < 722 या <-2 28050 लत 6 00076 070: 7020 7 0 070 00 0 70 0302 22 ०० वह 07570 | 359 प्रश्नावली 4.3 3. ८7? - 32 4. -3 7. हाँ 8. हाँ . हाँ 2, नहीं 5. नहीं 6. हाँ 9, 2+#5 , 2-४5. 20, 3+ 4, 3-4 38) कि 0 4 4. 4 38: -9+ ४33 । -9-%५१3 6 6 कल -4+2 -4-७४2 ३ 7 / 7 30. 3+४5, 3-५5 33. कोई वास्तविक मूल नहीं तज्चद -2,--- 36. ३ 38. 2(+५४5), 2[-45) 4, 9 < 42. [2 > -:4 44. 72.24 या<-4 प्रज्नावली 4.4 | 4. 8, 4 2. 7,5 3, 3, पर 4. 3 सेमी, 5 सेमी 3 5. रा 6. 6 वर्ष 7. 26 8. 9, ।] 9. 6,8 0. 3,5 ]. 8, 9, 0 2. 0 सेमी, 8 सेमी, 6 सेमी 3. 8मी, 5 मी, !7 मी 4., 9,6 अथवा 9,-6 ह '45. पिता: 36 वर्ष, पुत्र ; 9 वर्ष 6, 576 [7. 20मी>5 मी अथवा 0 मी » 0 मी 8. 3 सेमी, 9 सेमी 9. 8 सेमी, 5 सेमी . 20. तेज चलने वाली रेलगाड़ी : 48 किमी / घ॑ ; धीरे चलने वाली रेलगाड़ी : 32 किमी / घ॑ 24. 25 किमी / घ॑ 22. 40 किमी / घ॑ ; 50 किमी / घ॑ '. 23, 750किमी/ घ॑ 24, 5किमी / घं॑ 25, 3 किमी / घ॑ 26. [2 27, 20 प्रश्चावली 5.] . 0) नहीं () हाँ; ०--4 () नहीं (9) हाँ; #5-0 (४) हाँ; 450 (ं) हाँ;4590... (शा) हाँ; 40.7. (शं॥) हाँ; 75-200 (४) नहीं 00 हाँ; 5 ]। 0) नहीं 00) हाँ ; 4-24 2. 0) 458; ०; + 83, ६८८ 9] 6) 5-8 ; 4, 5 43, ०८ 5 35 5 ' ] 5 थ) >> 0.2; 4, 5 2.6, 6८ 5 2.8 (0ए) श्र न], ५ यू (०) 45व7; 4, 5 87, ०( 5 204 9 3. 6) 8 (0) 26 (0 5 6) क्ज | ॥7 4. (0) ॥9 6) 24 0 6. 20वाँ पद उतारमाला 5 +] 7४0: त लक पर टेक ०० ३4०३७० मनन कप तक ज- कप त५प ४-म पथ कमर लाभ ५ मर पकक +0 तमिल 36] 7. 0) 40 () 76 (00) 00 (५) ॥7 8. () -50 (0) 0 4 9, 4,८०4, 7(७-/20 4 0) 37 . ()40 . 0) 5 0, 65 वाँ पद ]. 0) 5 0) 5 0) 5. . 6५) 5 2. 222333 3. - 42 4. () 242 (0) 390 (9) 3774 5. 6) 5050 0) ध्ज 6. 0) 000 (8) 40705 (0) -8930 7. 0) 7, , 5, ..., 3+ 4# ; 525 (0) 7,9, , 3, ..., 5+ 2# ; 35 (8) 5, 4, 3, 2, ।, 0, - ], ..., 6-# ;- 30 (५) 4,-,-6,-[,...., 9 - 50 ; - 465 8. 45 8, $,, 5 204 + 208 9. हाँ ;2400 रु । प्रश्नावली 6.] . 20% 2. 0% .. 3. 6% 4. 3.4] % 5. 6.78 % 6. 260₹ु .. 7. 6% 8. 520₹ 9. 4.69 % 0,. 3.77% . 73.06₹ 2, 5.38 % _ 43. 7.78% 4. 920 रु 85. 2% 6. .8.75% 7. 9.44% 8. 7.54% प्रश्नावली 6.2 . 4860 रु 2. 40608 रु 3, 9260 रु 4. 2700 रु, 664 रु 5, 6760 रु 6. 4096 रु 7. 0648 रु 8. 68920र,99230 रु 9. ]]200 0. 393660 ₹, 66480 रु च्रशमावली 7. 4., 33[8 2. 6296 रु 3. 52395 रु 4, 58393 रू 5. 62]6रु 6. कुछ नहीं 7. ]49] रु 8. 80600 रु 9. 5600 0. 4033 84. 5048 रु 2, 429 रु 3, कुछ नहीं 4., 273 प्रश्नावली 8. ७ .0) हाँ () हाँ 2.0) 0205८2.6 सेमी (8) #७0- 2.65 सेमी प्रश्नावली 8.2 .0) ७४७८४ - & एरए (५७) (0) 670४ - ७ 757 (558) (/) समरूप नहीं (५०) समरूप नहीं (९) समरूप नहीं (शं) 6 एफ - 6 शोर? (७4) 2. 2080 5 657 ; 200% 5 45% ; 8७8 5 457 ; 2७88 ८ 657 ; 2७88 70 2. 8 सेमी 47. 60मी पु प्रण्नावली 8.3 ४2- 3. व!.2 2. 4:] 3. 2 9, |:4 | 2 प्रश्नावली 8.4 . () . 2. 3मी 3, 2मी 4. 3.62 मी 6. [3मी पक 363 प्रश्नानली 8.5 .0) नहीं (0) हाँ 6) हाँ. 2. 8.33 सेमी 9. 8९ - ,67 सेमी, (४ 5 2.46 सेमी, छा) 5 4.4 सेमी प्रश्नावली 9,] . नहीं, क्योंकि व्यास ७8 से छोटा है 5. 3 सेमी 6. 9.6 सेमी 7. (0)2 सेमी (॥) 4 सेमी प्रश्नावली 9.३3 .0) 70" (0) 55% (60) 35% (0५) 35? (४) 30९ 2. ८8 7 ]0", (०5 70", “705 [0? प्रश्नावली 40,] 2. 4 सेमी 6. दी हुई रेखा पर दिए हुए बिंदु से होकर लंब 9. दो रेखाओं के बीच के कोणों के समद्विभाजकों का युग्म ], (3 सेमी, 5 सेमी. 2. 9 सेमी प्रश्नावली 0,2 . (0) दिए हुए वृत्त के संकेंद्रीय #,+# त्रिज्या वाला एक वृत्त, (7) दिए हुए बृत्त के संकेंद्रीय #/-# त्रिज्या वाला एक वृत्त, जहाँ दिए गए वृत्त की त्रिज्या », तथा दूसरे वृत्त की त्रिज्या # है। प्रश्नावली . . 3 सेमी (लगभग). 2. : 3.5 सेमी (लगभग) 3. 4. प्रत्येक 8 सेमी... 6. 65 सेमी 8. ह प्रश्नावली 2, 4. 78. 4, (0) -3 () 5. ()[-शआ) 60 0050 (0) था। 9 प्रश्नावली 2.2 4. । 2, 60)। (४)4| 4. 5. 60)] (॥)] 6. 2 १ 8. 2 ]9. 247 प्रश्नावली 3. 4. .53 भी 2, 2.59 मी 3. 4. 86 मी (लगभग). 5. 45९ 6. 7. 45९ 8, 50 भी 9.. 0. 30 मी ]. 25.95 मी 2, 33, 6.56मी 4., 236.5मी 85. 6. 09.5 मी 7. 3.65 मी [8. 25 मी एक सिरे से, 43.25 मी 20. 9.56 मी 2. 2.2 मी (लगभग) 22. 23. 693.3 मी 24. 7.3 मी, 40 मी... 25. 26. 9 मिनट ड ] सेमी .7 सेमी (लगभग) -4 (॥)5 09४)7 87 ]5९ +[धवा ]50 कं 4.] मी 05.75 मी 57.67 मी ; 86.5 मी , 28:83 मी 36.5 मी 38.93 मी 40.73 मी 7.3 मी उत्तरमाला 0. 42. 5. 8. 2. 24, 48384 मी? 2. ()) 848 सेमी * (0) & सेमी 5. , 42 सेमी 7. 437.33 सेमी: 9, 5.5 सेमी * 52 2. ]0.8 % (लगभग) 5. हि ्त -(8॥)' सेमी 8. 2 408 सेमी ?, 3850 सेमी * 0.5 सेमी ' 3, ]79.67 सेमी * 6. 78.75 सेमी 9. 2्मी 22. 26.73 मिनट (लगभग) 660 मी 2. 02.24 किग्रा हु. 735.43 मी *, 22 मी * प्रश्नावली 4.] 2 सेमी, 864 सेमी? 3080 सेमी ? (0) 2936 सेमी 3 () 232 सेमी * (४) 704 सेमी: 6) 30.46 सेमी/ (॥)22].76 सेमी? (0) 9.404 लीटर (9) 3253.25 सेमी? प्रश्नावली 4.2 न 6(9) सेमी 3. 36मी 2.] सेमी 6. 7 सेमी 0.4 मी 9. .25 मी 5 - सेमी 4], 54 ]4, 6.7 7 " स्का ज 7. 9979.2 लीटर उल्ल . 2.5 सेमी 20. 0.5मी 225000 मी 23, 5.2 मिनट प्रश्नावली 4,3 । 55687.50 रू 3. 0.95 मी (लगभग) 836 सेमी ? * . 6, 5007 मी 3; 55000 रु ]0 भीः 8. 0-5 भी ड् 7 कट न 6 ै 3, 70-- 40, 30-- सेमी 9, 56.5 मी3, कर मी कद ु 2 4. 402.5 मी ?, 250.5 मी? .. 42. 7547 सेमी 3. 980 सेमी? 4. 388.7 किग्रा (लगभग) 5. 4850 सेमी ?, 566.5 सेमी ? (लगभग) 6. 20 सेमी ]7. :2 'प्रश्नावली 5.] (, 2. भोजन : 6.%, कपड़ा :3.9%, आवास : 6.7%, ईंधन : 5.5%, अन्य : 2.8% 3. 4. () शिवरमण, (#) 20 वोट (॥) 40 वोट 'जत्तेरमाला,, 285, कक लेन गए 2 86702 5 20760 0 777, 70 0 याद 20 सेट कद का 3 लि 4 रद पक 367 7, 0) 72000 । 8. (॥) !000 रू (॥) 32000 रु प्रश्नावली 5,2 . 25,86 अंक 2. 39.36 वर्ष 3. 96.8 4. 48.4 अंक 5. 66.3 (लगभग) 6. 7 7. 3 वर्ष 8, 76728, 5 24 प्रश्नावली 5.3 हे ् * ठ «. (0) पर (0) ] (0) ठठ 3 5 कक पक 4... 0.98 « () टटट (0) 52 (॥) वन « 0, 5 हर ॥) -- (7 पं 6... 0.005 « () 7 () ट ॥) ्ट (५) ट « 0, ३ आय « () (0) उठ « (0) 2 () ठ (पर) ठठ ५ 0 « (0) 49 (7) वर (॥) बढ (५) शत 0 « (0) ठ () 75 () छठ. (५) ठ्ु 4. ( ० द 42. 0.7 « (9) ह (0) व « 0, 368.... 3, 45. 8. | 0) पहला | (9) चौथा (४) दूसरा ..(५) तीसरा... (५) दूसरा (छा) चौथा जा 24 छ'/ १. + 6 शा मी । 25 0 “व 2० 20820 () पट | (0) 3 6. (४) है] (3) है! (॥0) थ । | 60)॥ ()0 (690) 0 और। 06४९) हा प्रश्नावली 46.] पंचभुज 3. 0) दूसरा (#) तीसरा. (0) पहला (9) दूसरा (0) समलंब (४) समचतुर्भुज प्रश्नावली 6.2 , 0)3 ()5 (॥) 482 (0४) 3 2. हाँ 3, अहिंध .. 4. इशिबो+७).. 5. नहीं 6. हाँ. 7. हाँ 8. हाँ 9. हाँ 0. हाँ .. 7. हाँ 2. (-2, 0) 3. (0,-2) - 4, | प्रश्नावली 6.3 ],8) या 3] 8 | 24 . (॥, 8) 2 कप ५. ह8- पिला 9 22 2! 22 4. (फिज। 5, कह 6. 4: हक भउ0 बी30 , 5 2 2 [. (-3, .5), (- 2, 3), (- ।, 4.5) 2. (, 4) ]0 7 3, (2,-|) 84., -£,-+ 33 |