3. आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे ऋग्वेद से कैसे भिन्न हैं? - 3. aaj ham jo kitaaben padhate hain ve rgved se kaise bhinn hain?

प्रश्न 3. आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे ऋग्वेद से कैसे भिन्न हैं?

उत्तर: आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे लिखी और छापी गई हैं, जबकि ऋग्वेद का उच्चारण और श्रवण किया जाता था। ऋग्वेद की रचना के सदियों बाद इन्हें लिखा गया था। ऋग्वेद छपने का काम मुश्किल से दो सौ साल पहले हुआ।

प्रश्न 4. पुरातत्त्वविद् कब्रो में दफ़नाए गए लोगों के बीच सामाजिक अंतर का पता कैसे लगाते हैं?

उत्तर: पुरातत्त्वविद् दफ़नाए गए लोगों की कब्रों से प्राप्त वस्तुओं के आधार पर सामाजिक अंतर का पता लगाते हैं। जैसे-ब्रह्मगिरि में एक व्यक्ति की कब्र से 33 सोने के मनके और शंख पाए गए हैं, जबकि दूसरी कब्र के कंकाल के पास केवल मिट्टी के ही बर्तन मिले हैं। यह अंतर दफनाए गए लोगों की सामाजिक स्थिति में भिन्नता को दर्शाता है।

3 आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे ऋग्वेद से कैसे भिन्न हैं ?`?

आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे ऋग्वेद से कैसे भिन्न हैं? उत्तर: आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे लिखी और छापी गई हैं, जबकि ऋग्वेद का उच्चारण और श्रवण किया जाता था। ऋग्वेद की रचना के सदियों बाद इन्हें लिखा गया था। ऋग्वेद छपने का काम मुश्किल से दो सौ साल पहले हुआ।

क्या बताती है हमें किताबें और खबरें?

उत्तर- पुरातत्वविद् कब्रों में दफनाए गए लोगों के बीच सामाजिक अंतर का पता कंकाल के साथ पाई जाने वाली चीजों से लगाते थे। वे यह मानते थे कि कंकाल के साथ पाई गई चीजें मरे हुए व्यक्ति की ही रही होंगी। उदाहरण के लिए एक कब्र में 33 सोने के मनके और शंख पाए गए हैं। दूसरे कंकालों के पास कुछ मिट्टी के बर्तन ही पाए गए हैं

इमाम गांव के लोग क्या खाते थे?

इनामगाँव के लोग अनाज, फल और मांस खाते थे

प्राचीन कब्रे किस तरह लोगों के सामाजिक अंतर को बताती है?

उत्तर: कभी- कभी एक कब्र की तुलना में दूसरी कब्र में मृत व्यक्ति से संबंधित अधिक विलासिता की चीजें मिलती है। इसके अलावा दोनों की क़ब्रों के आकार में भी अंतर मिलता है। जिससे दोनों व्यक्तियों के बीच सामाजिक भिन्नता का पता चलता है। इन्हीं सबूतों के आधार पर पता चलता है कि कुछ लोग अमीर थे तो कुछ गरीब।