बर्टलेम्फी के अनुसार, " व्यवस्था, अन्तरक्रियाओ में निहित तत्वों का समूह है।" व्यवस्था उपागम सिद्दान्त के अनुसार "व्यवस्था" को प्रशासन का केन्द्र बिन्दु माना जाता है। हाल व फैगन के अनुसार, " वस्तुओं के गुणों व उनके मध्य पारस्परिक सम्बन्धों के सामुहिक रुप को व्यवस्था कहते है।" Show साधारण रूप में किसी संगठन के कार्मिक, संसाधन, उत्पाद, प्रक्रिया आदि अलग अलग भाग हो सकते है लेकिन ये सब मिलकर एक व्यवस्था का निर्माण करते है। सामान्यतः व्यवस्थाएँ दो प्रकार की होती है-
व्यवस्था उपागम की विशेषताएँ -
व्यवस्था उपागम की आलोचना -
व्यवस्था उपागम के कितने अंश होते हैं नाम बताइए?यह उपागम मानवीय व्यवहार के उन पक्षों का अध्ययन करने पर बल देता है जो व्यक्ति की दैनिक क्रियाओं एवं व्यवहारों से सम्बन्धित हैं। इसमें मुख्य रूप से तीन पहलुओं, (i) दैनिक जीवन की सामान्य क्रियाएँ, (ii) भाषा का सामाजिक पक्ष, तथा (iii) सामाजिक प्रतिमानों का व्यावहारिक पक्ष, के अध्ययन को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
व्यवस्था दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?यह लेख एक आधार है।
राजनीतिक व्यवस्था सिद्धांत क्या है?(२) राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है। वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है और कभी-कभी क्रांतियों की हिमायत करता है। बहुधा भविष्य के बारे में पूर्वानुमान भी दिए जाते हैं।
सामान्य व्यवस्था सिद्धांत क्या है?डेविड ईस्टन का सामान्य व्यवस्था सिद्धान्त
राजनीतिक व्यवस्था किसी समाज के अन्तर्गत उन अंत: क्रियाओं की व्यवस्था को कहते हैं, जिसके माध्यम से अनिवार्य अधिकारिक आवंटन किए जाते हैं, 'चूंकि समाज में सामाजिक संसाधनों की कमी है। अतः राजनीतिक व्यवस्था का संबंध 'सामाजिक मूल्यों के आधिकारिक आवंटन से है।
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