प्रतिवेदन (Report)की परिभाषा Show प्रतिवेदन का उद्देश्य- प्रतिवेदन का उद्देश्य बीते हुए समय के विशेष अनुभवों का संक्षिप्त संग्रह करना है ताकि आगे किसी तरह की भूल या भम्र न होने पाये। प्रतिवेदन में उसी कठोर सत्य की चर्चा रहती है, जिसका अच्छा या बुरा अनुभव हुआ है। प्रतिवेदन का दूसरा लक्ष्य भूतकाल को वर्तमान से जोड़ना भी है। भूत की भूल से लाभ उठाकर वर्तमान को सुधारना उसका मुख्य
प्रयोजन है। किंतु, प्रतिवेदन डायरी या दैंनंदिनी नहीं है। प्रतिवेदन में यथार्थ की तस्वीर रहती है और डायरी में यथार्थ के साथ लेखक की भावना, कल्पना और प्रतिक्रिया भी व्यक्त होती है। दोनों में यह स्पष्ट भेद है। प्रतिवेदन (Report)की परिभाषा यह अतिसंक्षिप्त; किन्तु काफी सारगर्भित रचना होती है, जिसे पढ़कर या सुनकर उस घटना या अन्य कार्यवाई के बारे में वस्तुपरक जानकारी मिल जाती है। इससे किसी कार्य की स्थिति और प्रगति की सूचना मिलती है। प्रतिवेदन अंग्रेजी के रिपोर्ट (Report) शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता है। समाचार पत्र के लिए किसी घटना अथवा दुर्घटना का विवरण रिपोर्ट या प्रतिवेदन है। किसी सामाजिक अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम के विवरण को भी प्रतिवेदन कहा जाता है। थाने में किसी दुर्घटना, अपराध (जैसे चोरी आदि) की शिकायत या रिपोर्ट के लिए प्रतिवेदन कक्ष (Reporting Room) बने होते हैं। इन स्थितियों में प्रतिवेदन से विवरण, सूचना, समाचार अथवा शिकायत आदि अर्थ लिए जाते हैं। प्रतिवेदन का एक विशेष अर्थ भी है। किसी कार्य-योजना, परियोजना, समस्या आदि पर किसी उच्च अधिकारी द्वारा नियुक्त समिति प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है जिसमें उस योजना या समस्या का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है। यह विवरण गहन पूछताछ तथा छानबीन पर आधारित होता है। अच्छे प्रतिवेदन में घटना, समस्या आदि से सम्बद्ध तथ्यों का प्रामणिक तथा निष्पक्ष विवरण होता है। संक्षिप्तता तथा स्पष्टता प्रतिवेदन के अनिवार्य गुण हैं। प्रतिवेदन लिखने के लिए निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए- प्रतिवेदन के निम्नलिखित विशेषताएँ हैं - प्रतिवेदन का उद्देश्य- प्रतिवेदन का उद्देश्य बीते हुए समय के विशेष अनुभवों का संक्षिप्त संग्रह करना है ताकि आगे किसी तरह की भूल या भम्र न होने पाये। प्रतिवेदन में उसी कठोर सत्य की चर्चा रहती है, जिसका अच्छा या बुरा अनुभव हुआ है। प्रतिवेदन का दूसरा लक्ष्य भूतकाल को वर्तमान से जोड़ना भी है। भूत की भूल से लाभ उठाकर वर्तमान को सुधारना उसका मुख्य प्रयोजन है। किंतु, प्रतिवेदन डायरी या दैंनंदिनी नहीं है। प्रतिवेदन में यथार्थ की तस्वीर रहती है और डायरी में यथार्थ के साथ लेखक की भावना, कल्पना और प्रतिक्रिया भी व्यक्त होती है। दोनों में यह स्पष्ट भेद है। प्रतिवेदन के प्रकार स्कूल के प्रधानाध्यापक भी शिक्षा पदाधिकारियों को अपने स्कूल के संबंध में प्रतिवेदन लिखकर भेजते हैं गाँव का मुखिया भी अपने गाँव का प्रतिवेदन सरकार को भेजता है। किसी संस्था का मंत्री भी उसका वार्षिक या अर्द्धवार्षिक प्रतिवेदन सभा में सुनाता है। इस प्रकार, स्पष्ट है कि सामाजिक और सरकारी जीवन में प्रतिवेदन का महत्त्व और मूल्य दिन-दिन बढ़ता जा रहा है। प्रतिवेदन के तीन प्रकार हैं- (1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन के किसी संबंध में अथवा विद्यार्थी-जीवन पर प्रतिवेदन लिख सकता है। इसमें व्यक्तिगत बातों का उल्लेख अधिक रहता है। यह प्रतिवेदन कभी-कभी डायरी का भी रूप ले लेता है। यह प्रतिवेदन का आदर्श रूप नहीं है। एक उदाहरण इस प्रकार है- 7-10-2000 (2) संगठनात्मक प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी संस्था, सभा, बैठक इत्यादि का विवरण दिया जाता है। यहाँ प्रतिवेदक अपने बारे में कुछ न कहकर सारी बातें संगठन या संस्था के संबंध में लिखता है। यह प्रतिवेदन मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक भी हो सकता है। एक स्कूल में वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापक ने निम्नलिखित प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया- स्कूल का वार्षिकोत्सव : प्रतिवेदन दिनांक 20. 12. 2005 (3) विवरणात्मक प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी मेले, यात्रा, पिकनिक, सभा, रैली इत्यादि का विवरण तैयार किया जाता है। प्रतिवेदक को यहाँ बड़ी ईमानदारी से विषय का
यथार्थ विवरण देना पड़ता है। इस प्रकार के प्रतिवेदन का एक उदाहरण इस प्रकार है- 17 अप्रैल, 2009 को हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया गया। पूरे विद्यालय-भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया। यों तो छोटे बच्चों का कार्यक्रम 2 बजे दिन से ही आरंभ हो चुका था; किन्तु मुख्य कार्यक्रम संध्या 5 बजे से शुरू हुआ। मुख्य अतिथि प्रो० वाल्मीकि बाबू ने अपने भाषण में इस विद्यालय की कार्यपद्धतियों की जोरदार सराहना की। प्राचार्य डॉ० अरविन्द कुमार ने 'शिक्षा के ध्येय' और 'अभिभावकों के कर्तव्यों' पर बड़ा ही प्रेरक भाषण किया। सभी कक्षाओं के प्रथम एवं द्वितीय स्थानों पर आए बच्चों, विभिन्न खेलों में विजेता एवं उपविजेता टीमों और शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया। रंगारंग कार्यक्रम हुए जिसमें शरद, मनीष, पूजा, शिम्पी, आरती, ऋचा, कोमल, निशांत आदि छात्र-छात्राओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। लगभग 10 दिन तक पूरे क्षेत्र में इस वार्षिकोत्सव की चर्चा होती रही। (2) साहित्यिक संस्था 'ज्ञान-प्रसार समिति' द्वारा आयोजित दिनकर जयन्ती पर प्रतिवेदन इस साल पूरे देश में राष्ट्र कवि दिनकर की जन्म-शताब्दी मनाई गई। पाटलिपुत्र की एक साहित्यिक संस्था 'ज्ञान-प्रसार समिति' ने रवीन्द्र-भवन में राष्ट्रकवि दिनकर की जन्म-शताब्दी मनाई। इस समारोह की अध्यक्षता युवा कवि आदित्य कमल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक डॉ० नामवर सिंह थे। अपने वक्तव्य में सभापति आदित्य कमल ने डॉ० दिनकर के साहित्यिक योगदान को समाज की अमूल्य निधि-बताते हुए कहा- ''राष्ट्रकवि दिनकर की वाणी राष्ट्र की वाणी थी। वे आम जनता के कवि थे। उन्होंने अपने समय के प्रायः सभी मिथकों को तोड़ा।'' इस अवसर पर श्री दीपक चौथरी, श्री अंजनि कुमार, श्री सुशील कुमार-जैसे सशक्त बुद्धिजीवी उपस्थिति थे। अन्त में 'ज्ञान-प्रसार समिति' के सचिव श्री जय प्रकाश 'ललन' ने धन्यवाद ज्ञापन किया। (3) विद्यालय के अल्पाहार गृह (कैंटीन) में खाने-पीने की वस्तुओं के संबंध में कुछ छात्रों की शिकायत पर प्राचार्य द्वारा नियुक्त समिति का प्रतिवेदन दिनांक 15 सितम्बर 2017 को प्राचार्य द्वारा गठित तीन सदस्यों की समिति ने 12 दिन तक अल्पाहार गृह के कामकाज का निरीक्षण किया। विभिन्न कोणों से जाँच-पड़ताल करने के उपरांत समिति इन निष्कर्षों तक पहुँची है- (1) पिछले दो वर्षों से अल्पाहार गृह में उपलब्ध खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता एक समान नहीं रही। (2) विद्यालय के पूरे समय खाद्य-पदार्थो उपलब्ध रहें, इसे सुनिश्चित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। (3) कुछ छात्रों के व्यवहार से अल्पाहार गृह के ठेकेदार को क्राकरी आदि के टूट-फूट जाने से हानि उठानी पड़ती है। (4) कुछ खाद्य-पदार्थों के दाम अलाभकारी हैं, इसलिए उन्हें प्रायः तैयार नहीं किया जाता। (5) सुझाव साहित्यिक गतिविधियां कौन कौन सी है?निबंध, कविता, कहानियाँ, वाद-विवाद, चर्चाएँ, प्रश्नोत्तरी, सेमिनार और पुस्तकालय के कार्य जैसी गतिविधियाँ जो किसी व्यक्ति की साक्षरता से संबंधित हैं, साहित्यिक गतिविधियों की श्रेणी में आती हैं जो सह-पाठयचर्या गतिविधियों का एक भाग हैं।
विद्यालय में कौन कौन सी गतिविधियां होती है?विभिन्न गतिविधियाँ. वन्दना - संगीतमय सस्वर ईश वन्दना विद्यालय की थाती में समाहित है । ... . शारीरिक गतिविधियाँ - विद्यालय में प्रातःकाल में सामूहिक शारीरिक अभ्यास बालकों को नियमित रूप से करवाया जाता है । ... . साँस्कृतिक गतिविधियाँ - विद्यालय में उत्सव एवं जयन्तियों का आयोजन आचार्यों के मार्गदर्शन में बालकों द्वारा ही किया जाता है।. साहित्यिक कार्यक्रम क्या है?यह कार्यक्रम उन लेखकों के लिए है, जो सामूहिक पहचान की खोज में है। सन् 1996 में आयोजित प्रथम कार्यक्रम में तीन कवयित्रियों ने भाग लिया। सन् 1998 में प्रारंभ हुए साहित्यिक कार्यक्रम आविष्कार पाठकों के लिए अवसर प्रदान करता है कि वे भारतीय साहित्य के महान रचनाकारों की कृतियों को एक नवीन दृष्टि से देखें।
विद्यालय में कौन कौन से कार्यक्रम आयोजित की जानी चाहिए?विद्यालय में प्राथमिक स्तर से ही सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियां आयोजित की जानी चाहिए ताकि विद्यार्थियों में अपने देश समाज की संस्कृति को समझने और उसे जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया जा सके।
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