वैश्विक तापन का क्या कारण है? - vaishvik taapan ka kya kaaran hai?

वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग के कारण और संभावित परिणाम कौन से हैं?

वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावस्वरूप पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में हुई वृद्धि को वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है | समुद्री जलस्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, वर्षा प्रतिरूप का बदलना, प्रवाल भित्तियों व प्लैंकटनों का विनाश आदि वैश्विक तापन के संभावित दुष्प्रभावों में शामिल हैं |

Global Warming Effects and Causes in Hindi

वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावस्वरूप पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में हुई वृद्धि को वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है । ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी से बाहर जाने वाले ताप अर्थात दीर्घतरंगीय विकिरण को अवशोषित कर पृथ्वी के तापमान को बढ़ा देती हैं, इस प्रक्रिया को ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ कहते हैं । ग्रीन हाउस गैसों में मुख्यतः कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, ओज़ोनआदि गैसें शामिल हैं ।1880 से 2012 की अवधि के दौरान पृथ्वी के औसत सतही तापमान में 0.85°C  की वृद्धि दर्ज की गयी है ।1906 से 2005 की अवधि के दौरान पृथ्वी के औसत सतही तापमान में 0.74±0.18°C की वृद्धि दर्ज की गयी है ।

वैश्विक तापन के कारण

वैश्विक तापन का प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है । ग्रीनहाउस गैसों में मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2), मीथेन(CH4) , नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), ओज़ोन (O3), क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैसें शामिल हैं । किसी भी ग्रीनहाउस गैस का प्रभाव वातावरण में उसकी मात्रा में हुई वृद्धि, वातावरण में उसके रहने की अवधि और उसके द्वारा अवशोषित विकिरण के तरंगदैर्ध्य (Wavelength of Radiation) पर निर्भर करता है। ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2) वातावरण में सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित है । ग्रीनहाउस गैसों उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों के दहन, उद्योगों, मोटर वाहनों, धान के खेतों, पशुओं की चराई, रेफ्रीजरेटर, एयर-कंडीशनर  आदि से होता है।

हालाँकि वायुमंडल में सर्वाधिक मात्रा में पायी जाने वाली गैसें नाइट्रोजन, ऑक्सीज़न और ऑर्गन हैं, लेकिन ये ग्रीनहाउस गैसें नहीं हैं क्योंकि इनके अणु में एक ही तत्व के दो परमाणु शामिल हैं, जैसे-नाइट्रोजन (N2) ऑक्सीज़न (O2) या फिर एक ही तत्व का परमाणु इनके अणु में पाया जाता है ,जैसे- ऑर्गन (Ar) । जब ये वाइब्रेट (Vibrate ) होते हैं तो इनके इलैक्ट्रिक चार्ज के वितरण में कोई परिवर्तन नहीं आता है, अतः ये अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation) से लगभग अप्रभावित रहते हैं।

जिन गैसों के अणुओं में अलग अलग तत्वों के दो परमाणु पाये जाते हैं, जैसे- कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) या हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl)  वे अवरक्त विकिरण को अवशोषित तो करते हैं लेकिन अपनी विलेयता (Solubility) और अभिक्रियाशीलता (Reactivity ) के कारण वातावरण में बहुत कम समय तक ही रहते हैं ।अतः ये भी ग्रीनहाउस प्रभाव में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं देते हैं, इसीलिए ग्रीनहाउस गैसों की चर्चा करते वक्त इन्हें छोड़ दिया जाता है।

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वैश्विक तापन के संभावित परिणाम

वैश्विक तापन के संभावित परिणाम निम्नलिखित हो सकते हैं-

1. ग्लेशियरों का पिघलना: ताप बढ़ने से ग्लेशियर पिघलने लगते हैं और उनका आकार कम होने लगता है और ग्लेशियर पीछे हटने लगते हैं।
2. समुद्री जलस्तर में वृद्धि : ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त जल जब सागरों में मिलता है तो समुद्री जल स्तर में वृद्धि हो जाती है
नदियों में बाढ़: ग्लेशियरों से कई बारहमासी नदियां निकलती है और ग्लेशियर के जल को अपने साथ बहाकर ले जाती हैं । यदि ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ जाएगी तो नदी में जल की मात्रा बढ़ जाएगी जोकि बाढ़ का कारण बन सकती है।
3. वर्षा-प्रतिरूप में परिवर्तन: वर्षा होने और बादलों के बनने में तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अतः ताप में वृद्धि के कारण वर्षा-प्रतिरूप या पैटर्न भी बदल जाएगा अर्थात कहीं वर्षा पहले से कम होगी तो कहीं पहले से ज्यादा होने लगेगी । वर्षा की अवधि में भी बदलाव आ जाएगा।
4. प्रवाल भित्ति का विनाश: समुद्री-जल के ताप बढ़ने से प्रवाल भित्ति का विनाश होने लगता है । वर्तमान में लगभग एक तिहाई प्रवाल भित्तियों का अस्तित्व ताप वृद्धि के कारण संकट में पड़ गया है।  
5. समुद्री-जल के ताप बढ़ने से प्लैंकटन का विनाश: समुद्री-जल के ताप बढ़ने से प्लैंकटन का विनाश होने लगता है । प्लैंकटन समुद्री जल प्राथमिक जीव हैं । अल्युशियन द्वीप का पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें व्हेल, समुद्री शेर, मछलियाँ, सी अर्चिन आदि अन्य जलीय जीव शामिल हैं, अब प्लैंकटन की कमी के कारण सिकुड़ गया है।
6. प्रवसन में वृद्धि: ताप में वृद्धि होने सागरीय जलस्तर ऊपर उठेगा तो तटीय क्षेत्र व द्वीप जलमग्न हो जाएंगे और तटीय क्षेत्र के निवासी आंतरिक भागों की ओर प्रवास करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

पर्यावरण और पारिस्थितिकीय: समग्र अध्ययन सामग्री

वैश्विक तापन (Climate change) के बारें में : इसे सरल भाषा में समझे तो वैश्विक तपन या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है। इसलिए वर्तमान समय में हमारी पृथ्वी को आज सबसे बड़ा खतरा ग्लोबल वार्मिंग से ही है।

आपको बता दे की वर्ष 1903 में "स्वात एरिनस" नामक वैज्ञानिक ने ग्रीन हाउस गैसों के कारण धरती के बढ़ते तापमान का सिद्धांत पेश किया था। फिर इसके बाद 1938 में इंग्लैंड के जी.एस. कैलेंडर और फिर 1955 में हंगरी के वैज्ञानिक वेन न्यूमेन ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और उसके प्रभाव का अध्ययन प्रस्तुत किया था।

लेकिन 1958 में पहली बार अमेरिकी वैज्ञानिक प्लास ने कार्बन डाइऑक्साइड तथा क्लोरो फलोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) गैसों के कारण पर्यावरण के विषाक्त होने का सिद्धांत पेश किया।

इसके बाद वर्ष 1974 में जब कार्बन डाइऑक्साइड के दुष्प्रभाव और तापमान बढ़ोतरी में उसकी भूमिका को कम्प्यूटर माडलों तथा संबंधित अनुसंधानों के जरिए समझाया गया तब कहीं जाकर दुनिया इस बारे में कुछ सचेत हुई।

वैश्विक तापन के कारण :

दोस्तों वैश्विक तापन का प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है। ग्रीनहाउस गैसों में मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2), मीथेन(CH4) , नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), ओज़ोन (O3), क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैसें शामिल हैं।

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वैश्विक तापन का मुख्य कारण क्या है?

वैश्विक तापन का प्रमुख कारण मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होना है । ग्रीनहाउस गैसों में मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2), मीथेन(CH4) , नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), ओज़ोन (O3), क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैसें शामिल हैं ।

वैश्विक तापन का प्रभाव क्या है?

वैश्विक तापन के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है। ध्रुवों की बर्फ तेजी से पिघलने लगी है जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ओजोन परत के क्षरण से पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव बढ़ने लगे हैं। न केवल मानव जीवन बल्कि पशु-पक्षी और वनस्पतियों पर भी प्रदूषित पर्यावरण का प्रभाव पड़ रहा है।

वैश्विक तापमान का मतलब क्या होता है?

आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है 'पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन' पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जलस्तर में ...

वैश्विक तापन के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है?

वैश्विक तापन को नियन्त्रण करने के उपाय निम्नलिखित हैं। ग्रीन हाउस गैसों का स्राव, जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग तथा ऊर्जा के अन्य स्रोतों-पवन ऊर्जा, सौर्य ऊर्जा आदि का उपयोग बढ़ाना चाहिए। इसके अतिरिक्त पृथ्वी पर वानस्पतिक क्षेत्र खासकर वनों को बढ़ाएँ, जिससे CO, का उपयोग प्रकाश संश्लेषण में हो जाएगा।

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