वास्कोडिगामा भारत क्या खोजने आए थे? - vaaskodigaama bhaarat kya khojane aae the?

गोवा में एक जगह है जिसे वास्को डी गामा के नाम से जाना जाता है। सचमुच भारत खोया हुआ था और जिसके बारे में दुनिया कुछ नहीं जानती थी। क्या वास्को डी गामा के पहले भारत में कोई विदेशी नहीं आया था? और क्या भारत कोई ऐसी चीज है जिसे खोजा जाए? हजारों वर्ग किलोमीटर के भू भाग को वास्को डी गामा ने खोज लिया। क्या आपको यह हास्यापद नहीं लगता? यह ऐसा ही है कि आप अपने पड़ोसी के घर को खोज लें और दुनिया में इतिहास प्रसिद्ध हो जाएं।


हालांकि आजकल पढ़ाया जाता है कि भारत के समुद्री मार्ग की वास्को डी गामा ने खोज की थी। सचमुच यह हद दर्जे की मूर्खता है कि भारतीय बच्चों को यह पढ़ाया जा रहा है कि वास्को डी गामा ने भारत की खोज की। पढ़ाया यह जाना चाहिए कि वास्को डी गामा ने योरप को पहली बार भारत तक पहुंचने का समुद्री मार्ग बताया। दरअसल, पहले यूरोपी देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था। यूरोप अरब के देशों से मसाले, मिर्च आदि खरीदता था लेकिन अरब देश के कारोबारी उसे यह नहीं बताते थे कि यह मसाले वह पैदा किस जगह करते हैं। यूरोपीय इस बात को समझ चुके थे कि अरब कारोबारी उनसे जरूर कुछ छुपा रहे हैं।

ये कारोबारी अरब के उस पार पूर्वी देशों से ज्यादा परिचित नहीं थे। जहां तक सवाल भारत का है तो इसके एक ओर हिमालय की ऐसी श्रंखलाएं हैं जिसे पार करना उस दौर में असंभव ही था। भारत के दूसरी ओर तीन ओर से भारत को समुद्र ने घेर रखा था। ऐसे में यूरोप वासियों के लिए भारत पहुंचने के तीन रास्ते थे। पहला रशिया पार करके चीन होते हुए बर्मा में पहुंचकर भारत में आना जोकि अनुमान से कहीं ज्यादा लंबा ओर जोखिम भरा था। दूसरा रास्ता था अरब और ईरान को पार करके भारत पहुंचना। लेकिन यह रास्ता अरब के लोग इस्तेमाल करते थे और वे किसी अन्य को अंदर घुसने नहीं देते थे। तीसरा रास्ता समुद्र का था जिसमें चुनौती देने वाला सिर्फ समुद्र ही था।

#

ऐसे में एक ऐसे देश के समुद्री मार्ग को खोज करने यूरोप के नाविक निकल पड़े जिसके बारे में सुना बहुत था लेकिन देखा नहीं। इन नाविकों में से एक का नाम क्रिस्टोफर कोलंबस था जो कि इटली के निवासी थे। भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकले कोलंबस अटलांटिक महासागर में भम्रित हो गए और अमेरिका की तरफ पहुंच गए। कोलंबस को लगा कि अमेरिका ही भारत है। इसी कारण वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस के नाम से जाना जाने लगा। कोलंबस की यात्रा के करीब 5 साल बाद पुर्तगाल के नाविक वास्को डा गामा जुलाई 1498 में भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकले। वास्को डी गामा ने समुद्र के रास्ते कालीकट पहुंचकर यूरोपावासियों के लिये भारत पहुंचने का एक नया मार्ग खोज लिया था।

#

20 मई 1498 को वास्को डा गामा कालीकट तट पहुंचे और वहां के राजा से कारोबार के लिए हामी भरवा ली। कालीकट में 3 महीने रहने के बाद वास्को पुर्तगाल लौट गए। कालीकट अथवा 'कोलिकोड' केरल राज्य का एक नगर और पत्तन है। वर्ष 1499 में भारत की खोज की यह खबर फैलने लगी।

वास्को डी गामा ने योरप के लुटेरों, शासकों और व्यापारियों के लिए एक रास्ता बना दिया था। इसके बाद भारत पर कब्जा जमाने के लिए योरप के कई व्यापारी और राजाओं ने कोशिश की और समय-समय पर वे आए और उन्होंने भारत के केरल राज्य के लोगों का धर्म बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुर्तगालियों की वजह से ब्रिटिश लोग भी यहां आने लगे। अंतत: 1615 ई. में यह क्षेत्र ब्रिटिश अधिकार में आया। 1698 ई. में यहां फ्रांसीसी बस्तियां बसीं। फ्रांस और ब्रिटेन के बीच के युद्ध के काल में इस क्षेत्र की सत्ता बदलती रही।

#

1503 में वास्को पुर्तगाल लौट गए और बीस साल वहां रहने के बाद वह भारत वापस चले गए। 24 मई 1524 को वास्को डी गामा की मृत्यु हो गई। लिस्बन में वास्को के नाम का एक स्मारक है, इसी जगह से उन्होंने भारत की यात्रा शुरू की थी। दरअसल, 1492 में नाविक राजकुमार हेनरी की नीति का अनुसरण करते हुए किंग जॉन ने एक पुर्तगाली बेड़े को भारत भेजने की योजना बनाई, ताकि एशिया के लिए समुद्री मार्ग खुल सके। उनकी योजना मुसलमानों को पछाड़ने की थी, जिनका उस समय भारत और अन्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार पर एकाधिकार था। एस्टावोडिगामा को इस अभियान के नेतृत्व के लिए चुना गया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद वास्को द गामा ने उनका स्थान लिया।

8 जुलाई 1497 को वास्को द गामा चार जहाजों के एक बेड़े के साथ लिस्बन से निकले थे। वास्को द गामा के बेड़े के साथ तीन दुभाषिए भी थे जिसमें से दो अरबी बोलने वाले और एक कई बंटू बोलियों का जानकार था। बेड़े में वे अपने साथ एक पेड्राओ (पाषाण स्तंभ) भी ले गए थे जिसके माध्यम से वह अपनी खोज और जीती गई भूमि को चिन्हित करता था।

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

वास्कोडिगामा भारत क्या खोजने आए थे? - vaaskodigaama bhaarat kya khojane aae the?

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • National
  • Know How Was Vasco Da Gama India Journey.

वास्को डी गामा ने यहां रखा पहला कदम, ऐसी थी उनकी इंडिया आने की जर्नी

पणजी/कोच्ची. आज ही के दिन यानी 8  जुलाई 1497 को पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा भारत की खोज में निकला था। वह 20 मई 1498 को केरल के कोझीकोड जिले के कालीकट(काप्पड़ गांव) पहुंचा था। यहीं से कुछ दूर कोच्ची में वास्को की कब्र है। यहां से तीन बार वे पुर्तगाल गए और आये। वास्को के इंडिया आने के बाद पुर्तगाली भी भारत में आये और गोवा में अपने साम्राज्य स्थापित किया। वास्को डी गामा पहुंचे केरल...

कोच्ची में लगी वास्को डी गामा  का स्टेच्यू

- लिस्बन से यात्रा शुरू कर वे मोजाम्बिक पहुंचे। यहां के सुल्तान की मदद से 20 मई 1498 को वे कालीकट के तट पर पहुंच गए।
- कालीकट के राजा ने उनसे कारोबार करने की संधि की। 1502 को वास्को डी गामा फिर भारत आए और कोच्चि के राजा से व्यापार करने का समझौता किया।
- इसके तहत मसालों का कारोबार बनाए रखने की संधि हुई। 1524 में वास्को डी गामा तीसरी बार भारत पहुंचे और यहीं उनकी 24 मई 1524 को मौत हो गई। 
- पहले उन्हें कोच्चि में ही दफनाया गया। बाद में 1538 में कब्र खोदी गई और वास्को डी गामा के अवशेषों को पुर्तगाल ले जाया गया। लिस्बन में आज भी उस जगह एक स्मारक है जहां से वास्को डी गामा पहली भारत यात्रा शुरू की थी। 

170 लोगों लेकर निकले, लेकिन पहुंचे सिर्फ 55
- वह यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाजों के कमांडर थे, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत के समुद्री तट तक पहुंचे थे। 
- उनकी इस यात्रा में 170 नाविकों के दल के साथ चार जहाज लिस्बन से रवाना हुए। भारत यात्रा पूरी होने पर मात्र 55 आदमी ही दो जहाजों के साथ वापिस पुर्तगाल पहुंच सके। 
- वह मोजाम्बिक, मोम्बासा, मालिन्दी होते हुए भारत के कालीकट बंदरगाह पहुंचे। \'इंडियाज साइंटिफिक हेरिटेज\' नाम की बुक में सुरेश सोनी ने पुरातत्वविद डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के हवाले से लिखा है कि वास्को डी गामा भारत एक खोजी व्यापारी की ही तरह आये थे, मगर एक गुजराती व्यापारी का पीछा करते हुए वह यहां पहुंचे।

क्या हुआ इंडिया आने का फायदा
- वास्को डी गामा का इस खोज ने पश्चिमी देशों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए।
- इस खोज से साथ वास्को डी गामा अपने साथ ईसाई-मुस्लिम संघर्ष भी साथ लेकर आए, जिसके चलते कालीकट राज्य को पुर्तगाल के साथ सैन्य संघर्ष करना पड़ा।
- अपनी इस खोज पूरी होने के बाद वास्को डी गामा को पुर्तगाल में राजकीय सम्मान दिया गया और उसे राजकीय उपाधि भी दी गई। 

काली मिर्च ले गये और हरी मिर्च दे गये
- वास्को डी गामा भारत से काली मिर्च पुर्तगाल ले जाते थे। उस समय तक भारत में हरी मिर्च की खेती नहीं होती थी।

- भारत में हरी मिर्च को पुर्तगाली ही 16वीं सदी में लेकर आए। आज भारत हरी मिर्च (मलयालम में मुलाकू) का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।

आगे की स्लाइड्स में देखिए वास्को डी गामा की लाइफ से जुड़ी कुछ और फोटोज ... 

वास्को डी गामा भारत में क्या खोजने आया था?

आज ही के दिन यानी 8 जुलाई 1497 को पुर्तगाली नाविक वास्को डी गामा भारत की खोज में निकला था। वह 20 मई 1498 को केरल के कोझीकोड जिले के कालीकट(काप्पड़ गांव) पहुंचा था। यहीं से कुछ दूर कोच्ची में वास्को की कब्र है। यहां से तीन बार वे पुर्तगाल गए और आये।

वास्कोडिगामा के जहाज का नाम क्या था?

वास्को डि गामा ने 8 जुलाई, 1497 को पुर्तगाल से अपनी यात्रा शुरू की. उसके साथ चार जहाज और 170 आदमी थे. 5. उन जहाजों का नाम सैन गैब्रिएल, साओ राफाएल और बेरियो था.

वास्कोडिगामा भारत कितनी बार आया है?

डॉम वास्को द गामा (पुर्तगाली: Vasco da Gama) (लगभग 1460 या 1469 - 24 दिसंबर, 1524) एक पुर्तगाली अन्वेषक, यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक और यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों का कमांडर था, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुँचा। वह जहाज़ द्वारा तीन बार भारत आया