Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Important Questions and Answers. Show RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवादबहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये- 1. रेल की पटरियों को जोड़े रखने के लिए .............. के रूप में लकड़ी की भारी जरूरत
थी। निम्न वाक्यों में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये- 1. इम्पीरियल
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना 1906 में देहरादून में हुई। निम्न को सुमेलित कीजिए-
उत्तर:
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
वर्तमान में पारिस्थितिकी विशेषज्ञों सहित ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह पद्धति कतई वैज्ञानिक नहीं है। प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. (2) ग्रामीण अपनी अलग-अलग जरूरतों, जैसे-ईंधन, चारे व पत्तों की पूर्ति के लिए वन में विभिन्न प्रजातियों चाहते थे, जबकि वन-विभाग को ऐसे पेड़ों की जरूरत थी जो जहाजों और रेलवे के लिए इमारती लकड़ी मुहैया करा सकें, ऐसी लकड़ियाँ जो सख्त, लंबी और सीधी हों। इसलिए वनपालों ने सागौन और साल जैसी प्रजातियों को प्रोत्साहित किया और दूसरी किस्में काट डाली गईं। प्रश्न 12. घुमंतू कृषि के लिए जंगल के कुछ भागों को बारी-बारी से काटा और जलाया जाता है। मानसून की पहली बारिश के बाद इस राख में बीज बो दिए जाते हैं और अक्टूबर-नवंबर में फसल काटी जाती है। इन खेतों पर दो-एक साल खेती करने के बाद इन्हें 12 से 18 साल तक के लिए परती छोड़ दिया जाता है जिससे वहाँ फिर से जंगल पनप जाएं। घुमंतू कृषि में मिश्रित फसलें उगायी जाती हैं जैसे मध्य भारत और अफ्रीका में ज्वार-बाजरा, ब्राजील में कसावा और लैटिन अमेरिका के अन्य भागों में मक्का व फलियाँ। प्रश्न 13.
प्रश्न 14. सरकार द्वारा वनों के नियमन द्वारा घुमन्तू खेती पर रोक लगा दी। अनेक कृषक समुदायों को जंगलों के घर से जबरन विस्थापित कर दिया गया। इससे खेती प्रभावित हुई। प्रश्न 15.
प्रश्न 16. प्रश्न 17.
दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. (2) व्यावसायिक खेती-व्यावसायिक खेती ने भी भारत में वन क्षेत्रों को प्रभावित किया। अंग्रेजों ने व्यावसायिक फसलों जैसे—पटसन, गन्ना, गेहूँ व कपास के उत्पादन को बढ़ावा दिया। इस तरह की खेती के लिए अधिक उपजाऊ भूमि की आवश्यकता थी। उपलब्ध भूमि पर पारम्परिक तरीके से वर्षों से की जा रही खेती के कारण वह खास उपजाऊ नहीं रह गई थी। अतः नई उपजाऊ भूमि के लिए जंगलों को साफ किया जाने लगा। फलतः वनों का तेजी से ह्रास हुआ। (3)चाय-कॉफी के बागान-यूरोप में चाय, कॉफी और रबड़ की बढ़ती माँग के कारण इनके बागानों के विकास को प्रोत्साहित किया गया। इसके लिए यूरोपीय लोगों को परमिट दिया गया तथा हर सम्भव सहायता दी गई। बाड़ाबन्दी करके जंगलों को साफ कर बागान विकसित किये गये। वनवासियों को न्यूनतम मजदूरी पर पेड़ काटकर बागान के लिए जमीन तैयार करने के साथ-साथ बागान के विकास सम्बन्धी अन्य कार्यों में लगाया गया। इस तरह वन तथा वनवासी दोनों को ही नुकसान पहुंचाया गया। (4) रेलवे-1860 के दशक से भारत में रेल लाइनों का जाल तेजी से फैला। अतः रेल की पटरियाँ बिछाने के लिए आवश्यक स्लीपरों के लिए अत्यधिक संख्या में पेड़ काटे गये। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 1 मील लम्बी पटरी बिछाने के लिए 1760-2000 स्लीपरों की जरूरत होती थी जिसके लिए लगभग 500 पेड़ों की आवश्यकता होती थी। 1890 तक लगभग 25,500 कि.मी. लम्बी लाइनें बिछायी जा चुकी थीं। इस कार्य को बहुत तेजी से किया गया क्योंकि रेलवे सैनिकों तथा वाणिज्यिक वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह तक लाने-ले जाने में सहायक था। फलतः वनों का तेजी से ह्रास हुआ। (5) जहाज निर्माण-जहाज निर्माण उद्योग वन क्षेत्र में कमी के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण था। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक इंग्लैण्ड में ओक के वन लगभग समाप्त हो चुके थे अतः भारतीय वनों की कठोर तथा टिकाऊ लकड़ियों पर अंग्रेजों की नजर पड़ी। उन्होंने इसकी अंधाधुन्ध कटाई शुरू की। फलतः वनों का तेजी से ह्रास हुआ। प्रश्न 2.
1878 के वन अधिनियम ने ग्रामीणों को निम्न प्रकार प्रभावित किया-
प्रश्न 3. (2) पर्यावरण संरक्षण तथा पारिस्थितिकी संतुलन-वन पर्यावरण का संरक्षण करते हैं तथा पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं । वन क्षेत्र की कमी के कारण ही आज विश्व को ग्लोबल वार्मिंग का सामना करना पड़ रहा है। (3) प्रजाति संरक्षण-वनों में हमें वन्य जीवों तथा वनस्पति की हजारों प्रजातियाँ मिलती हैं। अतः प्रजाति संरक्षण की दृष्टि से वनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रश्न 4. (2) यूरोपीय कम्पनियों का एकाधिकार-अंग्रेजों के आने के बाद वन-उत्पादों का व्यापार पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में चला गया। ब्रिटिश सरकार ने कई बड़ी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों को विशेष इलाकों में वन-उत्पादों के व्यापार का एकाधिकार सौंप दिया। इससे इन कम्पनियों को बहुत लाभ पहुंचा। (3) परम्परागत जीवनयापन पर प्रतिबन्ध-लोगों द्वारा शिकार करने और पशओं को चराने पर बंदिशें लगा दी गईं। इस प्रक्रिया में मद्रास प्रेसीडेंसी के कोरावा, कराचा व येरुकुला जैसे अनेक चरवाहे और घुमंतू समुदाय अपनी जीविका ठे। इनमें से कुछ को 'अपराधी कबीले' कहा जाने लगा और ये सरकार की निगरानी में फैक्ट्रियों, खदानों व बागानों में काम करने को मजबूर हो गए। (4) काम के नये अवसर-यूरोपियों के आने से पूर्व स्थानीय लोग अपने रोजगार के लिए प्रकृति पर निर्भर करते थे, परन्तु अब उन्हें नियमित रोजगार मिलने लगे। कइयों ने वन विभाग में श्रमिकों तथा पहरेदारों की नौकरी कर ली। (5) कम मजदूरी तथा खराब कार्यदशाएँ-लोगों को काम के नये अवसर मिले किन्तु उनकी जीवन दशाएँ खराब हुईं। जैसे असम के चाय बागानों में काम करने के लिए झारखंड के संथाल और उराँव व छत्तीसगढ़ के गोंड जैसे आदिवासी पुरुषों व औरतों, दोनों की भर्ती की गयी। उनकी मजदूरी बहुत कम थी और कार्य परिस्थितियाँ उतनी ही खराब। उन्हें उनके गाँवों से उठा कर भर्ती तो कर लिया गया था लेकिन उनकी वापसी आसान नहीं थी। प्रश्न 5.
इन सब कदमों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए स्थानीय लोगों को मजबूर किया। 2. विद्रोह का विकास-
3. विद्रोह का दमन-अंग्रेजों ने बगावत को दबाने के लिए सेना भेजी। आदिवासी नेताओं ने समझौता करने का प्रयास किया, परन्तु अंग्रेजों ने उनके शिविरों को घेर कर उन पर गोली चलाई। इसके बाद उन्होंने गाँव की ओर मार्च किया तथा बगावत में भाग लेने वालों को सजा दी। अधिकतर गाँव खाली हो गए क्योंकि लोग जंगलों में भाग गए। अंग्रेजों को फिर से नियंत्रण करने के लिए तीन महीने (फरवरी-मई) लग गए, परन्तु वे गुंडा धूर को कभी पकड़ न पाए। 4. बगावत के परिणाम-(i) आरक्षण पर कार्य कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया। (ii) आरक्षित करने वाला क्षेत्र 1910 से पहले की योजना से लगभग आधा रह गया। (iii) इस विद्रोह ने अन्य कबीले के लोगों को भी ब्रिटिश सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों के विरुद्ध बगावत करने के लिए प्रोत्साहित किया। वन नियमों से लोगों का जीवन कैसे प्रभावित हुआ?जंगल संबंधी नए कानूनों ने वनवासियों के जीवन को एक और तरह से प्रभावित किया। वन कानूनों के पहले जंगलों में या उनके आसपास रहने वाले बहुत सारे लोग हिरन, तीतर जैसे छोटे-मोटे शिकार करके जीवनयापन करते थे। यह पारंपरिक प्रथा अब गैर-कानूनी हो गयी। शिकार करते हुए पकड़े जाने वालों को अवैध शिकार के लिए दंडित किया जाने लगा।
भारत वन अधिनियम का उद्देश्य क्या था?भारतीय वन अधिनियम, 1927 का उद्देश्य वन उपज की आवाजाही को नियंत्रित करना था, और वनोपज के लिए वन उपज पर शुल्क लगाना था। यह एक क्षेत्र को आरक्षित वन, संरक्षित वन या एक ग्राम वन के रूप में घोषित करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की भी व्याख्या करता है।
भारत में वन संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ?1988 के अिधिनयम सं० 69 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत । 3 2010 के अिधिनयम सं० 19 की धारा 36 और अनुसूची 3 ारा अंत:स्थािपत । 4 1988 के अिधिनयम सं० 69 की धारा 3 ारा अंत:स् थािपत ।
4 युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं ?`?(क) युद्ध की जरूरतों को पूरा करने के लिए लकड़ी की मांग बढ़ जाती है और अधिक से अधिक वन काटे जाते हैं। (ख) युद्ध में विशाल वन क्षेत्र अग्नि की भेंट चढ़ जाते हैं। (ग) युद्ध के समय सरकारें लकड़ी के विशाल भंडारे तथा आरा मिलों को स्वयं भी जला डालती हैं, ताकि ये संसाधन शत्रु के हाथ न लग जाए।
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