Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Textbook Exercise Questions and Answers. Show PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 7 वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बारHindi Guide for Class 11 PSEB वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Textbook Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. PSEB 11th Class Hindi Guide वह तोड़ती पत्थर, जागो फिर एक बार Important Questions and Answers अति लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. वह तोड़ती पत्थर सप्रसंग व्याख्या 1. वह तोड़ती पत्थर कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
2. चढ़ रही थी धूप कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष ;
3. देखते देखा मुझे तो एक बार कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
4. सजा सहज सितार कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
जागो फिर एक बार सप्रसंग व्याख्या 1. जागो फिर एक बार कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : हे सिन्धु नदी के किनारे रहने वालो ! सिन्ध देश के घोड़ों पर सवार होकर चारों प्रकार की सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) से युद्ध करते हुए तुमने यह ललकार किसकी सुनी थी कि सवा-सवा लाख पर एक सिंह को चढ़ाऊंगा तब मैं अपने को गोबिन्द सिंह नाम से कहलाऊंगा। सवा लाख से एक भारतीय योद्धा को लड़वा कर ही मैं अपना नाम सार्थक करूंगा। विशेष :
2. किसने सुनाया यह कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : हे भारतवासियो ! तुम सिंह हो, आज तुम्हारी मांद में, तुम्हारे घर में एक गीदड़ आ गया है क्या उसको मार भगाने के लिए तुम जागोगे नहीं, ऐसे ही सोये रहोगे। जरा गुरु गोबिन्द सिंह जी जैसे शूरवीरों को याद तो करो।। विशेष :
3. सत् श्री अकाल, कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : हे भारतवासियो ! उस समय तुम (गुरु गोबिन्द सिंह जी से प्रेरणा पाकर) मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले भगवान् शंकर की अमृत संतान जैसे बन गए थे। भाव यह कि गुरु गोबिन्द सिंह के रहते मृत्यु तुम पर विजय नहीं पा सकती थी अथवा तुम्हें मृत्यु का भय नहीं रहा था। हे भारतवासियो! तुम अपने भौतिक संसार (मृत्यु लोक) के सातों पर्दे (योगसाधना में सात प्रकार के आवरण माने जाते हैं) भेद कर (पार कर) हे शोक को दूर करने वाले ! तुम वहां पहुँच गए थे जहां हज़ार पंखुड़ियों वाला कमल खिला हुआ था (सहस्रार तक पहुंचने के पश्चात् मनुष्य पूर्णतः मुक्त हो जाता है।) इसलिए हे भारतवासियो ! तुम एक बार वैसे ही जाग पड़ो, सचेत हो जाओ। विशेष :
4. सिंहनी की गोद से कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : किन्तु जब कोई किसी भेड़ से उसका बच्चा छीनता है तो भेड़ की माता विवश होकर अपलक देखती रह जाती है। वह अपने शापित जन्म पर, जो अपनी सन्तान के छीने जाने पर उसकी रक्षा नहीं कर सकती, गर्म-गर्म आंसू बहाती है अथवा दुःख भरे आँसू बहाती है किन्तु क्या योग्य व्यक्ति, वीर व्यक्ति उस भेड़ की तरह जी सकता है ? यह कथन पश्चिमी देशों का नहीं हमारी गीता का ज्ञान है जिसे तुम बार-बार स्मरण करो और शत्रु का नाश करने के लिए एक बार फिर से जाग जाओ, सचेत हो जाओ। विशेष :
5. पशु नहीं, वीर तुम, कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : यह भिन्न बात है कि इस समय तुम समय के चक्र में दब गए हो किन्तु तुम्हारी अपार शक्ति किसी से छिपी नहीं है। आज भी तुम राजकुंवर हो, युद्ध क्षेत्र में सब के अगुआ हो, नेता हो, तुम आज भी युद्ध करने में कुशल हो, किंतु इस सबसे क्या होता है ? यह तो केवल भ्रम है, माया है कि तुम परतंत्र हो। वास्तविकता तो यह है कि तुम सदा-सदा से उसी तरह से मुक्त रहे हो जैसे कि बंधन-हीन छंद होते हैं। तुम तो सदैव सच्चिदानंद ब्रह्म में लीन रहे हो। विशेष :
6. महामन्त्र ऋषियों का कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
वह तोड़ती पत्थर Summaryजीवन परिचय आधुनिक हिन्दी काव्य-विकास की चर्चा में ‘निराला’ को महाप्राण, काव्य-पुरुष, महाकवि इत्यादि विशेषणों से सम्बोधित किया जाता है। इनका जन्म सन् 1896 में बंगाल प्रान्त के मेदिनीपुर जिले में महिषादल नामक स्थान पर हुआ था। इसी स्थान पर इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने अनेक भाषाओं का अध्ययन भी किया। वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस एवं विवेकानन्द की विचारधारा से विशेष प्रभावित थे। उन्मुक्तता अक्खड़ता के साथ निर्बल, असहाय एवं दीन दुःखियों की सहायता इनके व्यक्तित्व की विलक्षणता है। सन् 1961 में इनका निधन हो गया था। वह तोड़ती पत्थर का सार ‘तोड़ती पत्थर’ कविता के कवि ‘सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला जी’ हैं’। इस कविता के माध्यम से कवि ने मजदूर वर्ग को आर्थिक विषमता का वर्णन किया है। एक मज़दूर महिला भीष्ण गर्मी में सड़क किनारे पत्थर तोड़ रही है। उसके कपड़े भी फटे हुए हैं, जिस सड़क पर बैठी वह पत्थर तोड़ रही है, वहाँ उसके सामने बहुत बड़ा महल है, यह कैसी विडंबना है ? बड़े-बड़े महल खड़े करने वाले हाथ अपनी आजीविका के लिए भीषण गर्मी में पत्थर तोड़ रहे हैं। यह आर्थिक विषमता के कारण है। शोषित वर्ग को जीवन के न्यूनतम साधन जुटाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है।’ जागो फिर एक बार Summaryजागो फिर एक बार कविता का सार ‘जागो फिर एक बार’ कविता के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी हैं। कवि ने कविता में गुरु गोबिन्द सिंह की वीरता का उदाहरण देकर मनुष्य की सोई हुई पौरुष शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया है। गुरु गोबिन्द सिंह जी अपने शत्रुओं के लिए अकेले ही सवा लाख के बराबर थे। कवि ऐसी ही शक्ति आज के युवक में जागृत करना चाहता है जिससे वह आततायियों से लड़ सके। अपने देश की रक्षा कर सके। युवकों को गुरु गोबिन्द सिंह की तरह सभी प्रकार क्रियाओं में निपुण होना चाहिए। उनमें संयम का समावेश होना चाहिए। हममें शेरनी की तरह हिम्मत होनी चाहिए। जब हमारे देश की प्रभुसत्ता पर खतरा हो तो हम उसकी रक्षा के लिए डटकर सामना करना चाहिए। हमारे पूर्वजों का यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है। हमें सदैव याद रखना है कि हम किन लोगों की सन्तान हैं और पूरे संसार को अपनी शक्ति का परिचय देना है। वह तोड़ती पत्थर कविता क्या संदेश देती है?इस कविता में कवि 'निराला' जी ने एक पत्थर तोड़ने वाली मजदूरी के माध्यम से शोषित समाज के जीवन की विषमता का वर्णन किया है। कविता का भाव सौंदर्य की दृष्टि से बहुत ही अद्भुत है। सड़क पर पत्थर तोड़ती एक मजदूर महिला का वर्णन कवि ने अत्यंत सरल शब्दों में किया है। वो तपती दोपहरी में बैठी हुई पत्थर तोड़ रही है।
वह तोड़ती पत्थर का भाव सौंदर्य क्या है?उत्तर- 'तोड़ती पत्थर' कविता प्रगतिवादी विचारधारा की कविता है जिसमें एक श्रमिक महिला की दयनीय स्थिति को बताया है। - सरल-सहज भाषा का प्रयोग किया है। - खड़ी बोली की सशक्त अभिव्यक्ति है। - अनुप्रास की छटा दर्शनीय है-नत-नमन, ज्यों जलदी, देखते देखा, सजा सहज सितार।
तोड़ती पत्थर कविता के केन्द्र में समाज का कौन सा वर्ग है?इस कविता के माध्यम से कवि ने श्रमिक वर्ग और संपन्न वर्ग दो विरोधी वर्गों के चित्र खींचे हैं और यह बताया है एक तरफ कठिन परिस्थितियों में काम करने वाला श्रमिक वर्ग है तो दूसरी तरफ सुख सुविधा संपन्न भवनों में रहने वाले लोग।
तोड़ती पत्थर कविता में किसका चित्रण है?तोड़ती पत्थर कविता भी इसी तरह की कविता है। इसमेें निराला जी ने इलाहाबाद के पथ पर भरी दोपहरी में पत्थर तोड़ने वाली मजदूरनी का यथार्थ चित्रण किया है। यह चित्रण अत्यंत मर्मस्पर्शी है। मजदूरनी चिलचिलाती धूप में बैठी अपने हथौड़े से पत्थर पर प्रहार कर रही है।
|