भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के द्विसदनी विधायिका के निचले सदन का नाम उत्तर प्रदेश विधान सभा है। इसमें कुल ४०३ सदस्य होते हैं जिसमें एक आंग्ल-भारतीय भी सम्मिलित है जो राज्यपाल द्वारा नामित होता है। Show
इतिहास[संपादित करें]स्वतन्त्रता-पूर्व[संपादित करें]संयुक्त प्रान्त के लिए विधान सभा पहली बार 1 अप्रैल 1937 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अधीन प्रस्थापित हुई। 1935 के अधिनियम के तहत, सभा की ताक़त 228 निर्धारित हुई थी और उसकी अवधि पाँच साल की थी। पुरूषोत्तम दास तंडन और अब्दुल हक़ीम 31 जुलाई 1937 को क्रमशः सभापति और उपसभापति निर्वाचित हुएँ। स्वतन्त्रता-पश्चात्[संपादित करें]स्वतन्त्रता के बाद, विधान सभा पहली बार 3 नवम्बर 1947 को मिली। उसकी 4 नवम्बर 1947 की मीटिंग को, विधान सभा ने यह प्रस्ताव अभिस्वीकार किया कि उसके सारे व्यापार और कार्यवाही के लेनदेन के लिए हिन्दी का उपयोग होगा और तदानुसार सदन का सारा व्यापार तत्पश्चात हिन्दी में ही होने लगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा के कार्यकाल[संपादित करें]उत्तर प्रदेश विधानसभा के विभिन्न कार्यकालों की सूची निम्नलिखित है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भारत में विधानसभा की कुल सीटें कितनी है?विधान सभा- परिचय
वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 426 हो गई। 9 नवम्बर, 2000 को उ०प्र० राज्य के पुनर्गठन एवं उत्तराखण्ड के गठन के पश्चात् विधान सभा की सदस्य संख्या 403 निर्वाचित एवं एक आंग्ल भारतीय समुदाय के मनोनीत सदस्य को सम्मिलित करते हुए कुल 404 हो गई है।
एक राज्य में कितने विधायक होते हैं?प्रत्येक राज्य में प्रत्येक संसद के सदस्य (सांसद) के लिए सात और नौ विधायक होते हैं, जो भारत के निम्न सदन लोकसभा द्विसदनीय लोकसभा में है।
UP विधानसभा अध्यक्ष कौन है 2021?श्री सतीश महाना
3, हरजेन्दर नगर, जनपद- कानपुर।
विधानसभा क्षेत्र क्या होता है?विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में ) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है।
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